नई दिल्ली, 21 सितंबर (हि.स.)। पितृ अमावस्या आज रविवार को है, इसके साथ ही पितृ पक्ष का आज अंतिम दिन है। अश्विन मास की अमावस्या को पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन अंतिम श्राद्ध और तर्पण के बाद पितृ विदा होते हैं।

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इन 15 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और दुखों को दूर कर लौट जाते हैं।

पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और आश्विन अमावस्या के दिन इसका समापन होता है। इस बार 7 सितंबर से शुरू हुआ पितृ पक्ष आज 21 सितंबर को समाप्त हो रहा है। इस दिन महालया अमावस्या है जो पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Navratri 2025: शारदीय नवरात्र का सोमवार से शुभारंभ हो रहा है। मां दुर्गा की आराधना के इन नौ दिनों को लेकर शहर से लेकर गांव तक श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने को मिल रहा है। शहर के श्यामचौक, नगरपालिका चौक, तेलपा टेंपू स्टैन्ड और पंकज सिनेमा के पास समेत कई स्थानों पर पूजा पंडालों का निर्माण जारी है और पूजा की भव्य तैयारियां की जा रही है।

नवरात्र को लेकर बाजारों में भी रौनक बढ़ गई है। पूजा सामग्री, वस्त्र और सजावटी सामान की खरीदारी जोरों पर है। भक्तिमय वातावरण के बीच पूरा शहर नवरात्रि के उत्साह में सराबोर नजर आ रहा है।

नवरात्रि कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

22 सितंबर को शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस दिन मां दुर्गा के आह्वान के लिए कलश स्थापना की जाएगी।
शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना का प्रमुख शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। यह अवधि लगभग 1 घंटा 56 मिनट की है और इसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

इसके अलावा, कलश स्थापना का दूसरा शुभ समय अभिजीत मुहूर्त में रहेगा, जो सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक होगा।

धार्मिक मान्यता है कि इन पावन क्षणों में कलश स्थापना करने से पूरे नवरात्रि पर्व में शुभ फल की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि का पर्व देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की साधना और आराधना की जाती है, जिनका प्रत्येक दिन विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 22 सितंबर, सोमवार से हो रहा है। खास बात यह है कि इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन पड़ने के कारण यह पर्व नौ नहीं, बल्कि पूरे दस दिनों तक चलेगा।

इस बार देवी मां गजवाहन (हाथी) पर विराजमान होकर अपने भक्तों के बीच पधारेंगी। हाथी की सवारी को सुख, समृद्धि और शुभता का द्योतक माना गया है। वहीं, विदाई के समय मां दुर्गा नरवाहन अर्थात भक्तों के कंधों पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी, जो एक विशेष संदेश समेटे हुए है।

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हरिद्वार, 20 सितंबर (हि.स.)। माँ शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र इस बार 22 नवम्बर से आरंभ हो रहे हैं। सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस बार एक नवरात्र अधिक होगा। चतुर्थी तिथि में वृद्धि के चलते नवरात्रि इस बार दस दिन के होंगे। इन नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जो की शुभ माना जाता है।

22 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक चलने वाले नवरात्र पर्व को लेकर ज्योतिषियों के अनुसार, हाथी पर सवार माता दुर्गा का आगमन सुख, समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है। यह संकेत देता है कि देश और घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी। ऐसे अवसर पर घटस्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस साल प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को रात 01: 23 बजे से 23 सितंबर को 02: 55 बजे तक रहेगा। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06: 09 से 08: 06 बजे तक है। इसके अतिरिक्त अभिजित मुहूर्त सुबह 11.49 से दोपहर 12.38 तक रहेगा। घटस्थापना की कुल अवधि लगभग 49 मिनट की है।

ज्योतिष के मुताबिक मां दुर्गा को हाथी पर सवार होकर धरा पर आना न केवल व्यक्तिगत जीवन में समृद्धि और सुख का संकेत देता है, बल्कि समाज और देश में भी स्थिरता और खुशहाली का प्रतीक होता है।

इइन नवरात्र में 22 सितंबर प्रतिपदा, 23 सितंबर द्वितीया, 24 सितंबर तृतीया, 26 व 27 सितंबर चतुर्थी, 27 सितंबर पंचमी, 28 सितंबर षष्ठी, 29 सितंबर महा सप्तमी, 30 सितंबर महा अष्टमी व 1 अक्टूबर को महा नवमी मनायी जाएगी, जबकि 2 अक्टूबर विजयादशमी पर्व का आयोजन होगा।

इस बार कलश स्थापना के समय 22 सितंबर को प्रातःकाल से शाम 07.59 बजे तक शुक्ल योग रहेगा, जिसके बाद ब्रह्म योग शुरू होगा। शुक्ल योग को कार्यसिद्धि और मंगलकारी योग माना जाता है। ऐसे में इस समय किए गए कलश स्थापना और मां दुर्गा के आह्वान को विशेष फलदायी बताया गया है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो पर्वत की पुत्री और नवदुर्गा का प्रथम रूप हैं।

शारदीय नवरात्र को लेकर अभी से बाजारों में रौनक दिखायी देने लगी है। पजा सामग्री के बाजार सजने लगे हैं। इसके साथ ही मां दुर्गा की प्रतिमाएं भी जगह-जगह बिक्री के लिए सजी हुई हैं।

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कटरा, 17 सितंबर (हि.स.)। जयकारों के बीच जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर की तीर्थयात्रा बुधवार को फिर से शुरू हो गई। हाल ही में आए विनाशकारी भूस्खलन के कारण 22 दिनों तक यात्रा स्थगित रही थी। इस भूस्खलन में 34 लोगों की मौत हो गई थी और 20 घायल हो गए थे।

माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (एसएमवीडीएसबी) ने अनुकूल मौसम की स्थिति में आज सुबह यात्रा को फिर से खोलने की घोषणा की जिससे बड़ी संख्या में कटरा शहर में डेरा डाले श्रद्धालुओं के चेहरे खिल उठे। कटरा शहर तीर्थयात्रियों का आधार शिविर है।

यात्रा के आरंभ स्थल बाणगंगा दर्शनी द्वार पर सैकड़ों तीर्थयात्री तड़के ही एकत्रित हो गए और तीर्थयात्रा शुरू होने पर अपार खुशी और राहत व्यक्त की।

श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि खराब मौसम और मंदिर तक जाने वाले मार्ग के आवश्यक रखरखाव के कारण यात्रा अस्थायी रूप से स्थगित किए जाने के बाद पहाड़ी पर स्थित मंदिर की ओर जाने वाले दोनों मार्गों से यात्रा सुबह 6 बजे शुरू हो गई। तीर्थयात्रियों को वैध पहचान पत्र साथ रखने, निर्धारित मार्गों का पालन करने और जमीनी कर्मचारियों के साथ सहयोग करने की सलाह दी गई है। पारदर्शिता और पता लगाने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिटी कार्ड आधारित ट्रैकिंग अनिवार्य है।

तीर्थस्थल बोर्ड ने अस्थायी तौर पर यात्रा के निलंबन के दौरान श्रद्धालुओं के धैर्य के लिए आभार व्यक्त किया। एक अधिकारी ने कहा कि यात्रा का फिर से शुरू होना हमारी सामूहिक आस्था और दृढ़ता की पुष्टि है और बोर्ड इस पवित्र तीर्थस्थल की पवित्रता, सुरक्षा और गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

महाराष्ट्र से आए एक समूह की महिला तीर्थयात्री ने कहा कि हमें बेहद खुशी है कि यात्रा फिर से शुरू हो गई है। हम दो दिन पहले पुणे से आधार शिविर पहुँचे थे और इंतज़ार करना मुश्किल था लेकिन हमें यकीन था कि अपने गृहनगर लौटने से पहले हम दर्शन ज़रूर करेंगे।

तीर्थयात्रियों ने यात्रा के फिर से शुरू होने को बहुत खास दिन बताया और कहा कि तीर्थस्थल के दर्शन करना आशीर्वाद है और हम इसे संभव बनाने के लिए अधिकारियों को धन्यवाद देते हैं। तीर्थस्थल बोर्ड ने सभी तीर्थयात्रियों से सुरक्षा दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने और आधिकारिक संचार माध्यमों से अपडेट रहने का आग्रह किया है।

अब मार्ग सुरक्षित घोषित होने के साथ ही आने वाले दिनों, खासकर 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलने वाले आगामी नवरात्रि के दौरान तीर्थयात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।

तीर्थयात्रा 26 अगस्त को स्थगित कर दी गई थी जब मंदिर जाने वाले मार्ग पर एक बड़े भूस्खलन के कारण जनहानि हुई थी।

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Chhapra: आज पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जा रही है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है। इस अवसर पर कारखानों, कार्यशालाओं, दुकानों, निर्माण स्थलों और विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों में विशेष पूजन-अर्चन का आयोजन किया गया है।

सुबह से ही लोगों ने अपने-अपने कार्यस्थलों को साफ-सुथरा कर रंग-बिरंगी सजावट में जुटे हैं। जगह-जगह पूजा-पंडालों में विशेष हवन और प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई है। लोग पूरे उत्साह के साथ भगवान विश्वकर्मा से अपने कारोबार और कामकाज में प्रगति की कामना करते हैं।

शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में पूजा का खास नजारा देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में श्रमिकों और कर्मचारियों ने एक साथ पूजा में हिस्सा ले रहे हैं।

धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग, द्वारका, लंका सहित कई महानगरों और दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था। इसलिए उन्हें वास्तुकार और शिल्प विज्ञान का देवता कहा जाता है। यही कारण है कि इस दिन कारीगर, इंजीनियर, श्रमिक और तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग विशेष श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर बधाई देते हुए कहा है कि “विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर राज्य के सभी श्रमिक भाई-बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं। यह सृजन के प्रणेता भगवान विश्वकर्मा की आराधना का दिवस है।

उन्होंने कहा कि आज राज्य जिस प्रकार विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की के नए आयामों को छू रहा है उसमें हमारे श्रमिक भाई-बहनों का अतुलनीय योगदान है। मैं आशा करता हूं कि सभी श्रमिक बंधु एवं श्रम संगठन राज्य के औद्योगिक विकास एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे। मेरा विश्वास है कि सभी श्रमिक भाई-बहनों के सहयोग से राज्य निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगा।

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Jammu, 16 सितंबर हि.स.। जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले के आधार शिविर कटरा से श्री माता वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा आज लगातार 22वें दिन भी स्थगित रही।

यह यात्रा पहले 14 सितंबर से फिर से शुरू होने वाली थी लेकिन खराब मौसम के कारण इसे फिर से स्थगित कर दिया गया। श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि श्री माता वैष्णो देवी यात्रा अगले आदेश तक स्थगित कर दी गई है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे आधिकारिक संचार माध्यमों के माध्यम से अपडेट रहे।

भूस्खलन के कारणों की जाँच के लिए समिति का गठन किया गया है 

26 अगस्त को अर्धकुंवारी स्थित इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में 34 लोग मारे गए जिनमें ज़्यादातर तीर्थयात्री थे और कई घायल हो गए। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जो श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं ने 26 अगस्त को हुए भूस्खलन के कारणों की जाँच के लिए एक उच्च-स्तरीय तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया है।

जम्मू-कश्मीर जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शालीन काबरा की अध्यक्षता वाली समिति जिसमें जम्मू के संभागीय आयुक्त रमेश कुमार और जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक बी.एस. टूटी शामिल हैं उपराज्यपाल सिन्हा को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी।

13 सितंबर को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन कुमार वैश्य ने 22 सितंबर से शुरू होने वाले नौ दिवसीय नवरात्रों की शुरुआत से पहले और आगामी नवरात्रों के दौरान निर्बाध तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए आध्यात्मिक विकास केंद्र कटरा में एक बैठक की अध्यक्षता की।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि नवरात्रि अब कुछ ही दिनों में आ रही है और बोर्ड को पवित्र तीर्थस्थल के साथ-साथ आधार शिविर कटरा में भी श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ की उम्मीद है। इस प्रकार उन्होंने नवरात्रि उत्सव के दौरान सभी हितधारकों के बीच तालमेल पर ज़ोर दिया।

उन्होंने आने वाले दिनों में बिना किसी परेशानी के तीर्थयात्रा के लिए विभिन्न मोर्चों पर कार्रवाई करने का भी आह्वान किया।

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Chhapra: शहर के दहियावा ब्राह्मण टोली में स्थापित 18 भुजाओं वाली मां दुर्गा की प्रतिमा इस वर्ष अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। यह प्रतिमा वर्ष 1975 से हर साल यहां स्थापित की जा रही है। खास बात यह है कि यह अद्भुत और अनोखी प्रतिमा दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनी हुई है।

50वां उत्सव एक विशेष अवसर के रूप में माना जा रहा है

स्थानीय निवासी गुलशन कुमार ने बताया कि उनका परिवार 1975 से इस प्रतिमा का साक्षी रहा है और अब वह तीसरी पीढ़ी के रूप में इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत यहां पूरी होती है।

प्रतिमा के साथ ही इस बार पंडाल की सजावट भी देखने लायक होगा। स्थानीय कलाकारों द्वारा हुनर का शानदार प्रदर्शन किया जा रहा है। पंडाल में अलग-अलग आकर्षक चीजें बनाई जा रही है।

 छपरा शहर और आसपास के क्षेत्रों से लोग इस पंडाल को देखने और मां दुर्गा के दर्शन करने के लिए आते हैं, इस वर्ष का यह 50वां उत्सव एक विशेष अवसर के रूप में माना जा रहा है।

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Jammu, 14 सितंबर (हि.स.)। माता वैष्णो देवी यात्रा खराब मौसम के कारण 19 दिनों के अंतराल के बाद आज से नहीं शुरू हो पाई और अगले आदेशों तक स्थगित कर दी गई है। भवन और ट्रैक पर लगातार बारिश के चलते यात्रा रोकने के बाद श्राइन बोर्ड ने भक्तों से आधिकारिक संचार चैनलों के माध्यम से अपडेट रहने का अनुरोध है।

भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कम से कम 34 लोगों की जान चली गई

माता वैष्णो देवी यात्रा के रास्ते में 26 अगस्त को अर्धकुंवारी में इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कम से कम 34 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर तीर्थयात्री थे और कई अन्य घायल हो गए। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 26 अगस्त के भूस्खलन के कारणों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता विभागीय जल शक्ति के अतिरिक्त मुख्य सचिव शलीन कबरा कर रहे हैं, जिसमें डिविजनल कमिश्नर और जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक भी शामिल हैं। यह कमेटी जांच के बाद एलजी सिन्हा को एक व्यापक रिपोर्ट सौंपेगी।

माता वैष्णो देवी यात्रा अगले आदेशों तक फिर स्थगित

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन कुमार वैश्य ने 13 सितंबर को 22 सितंबर से शुरू होने वाले नौ दिवसीय नवरात्रों के दौरान निर्बाध तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए आध्यात्मिक विकास केंद्र, कटरा में एक संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की। सीईओ ने कहा कि नवरात्रि उत्सव नजदीक है और बोर्ड को पवित्र तीर्थस्थल और कटरा में आधार शिविर में भक्तों की एक महत्वपूर्ण आमद की उम्मीद है। इस प्रकार नवरात्र महोत्सव के दौरान सभी हितधारकों के बीच तालमेल पर जोर दिया गया। उन्होंने आने वाले दिनों में परेशानी मुक्त तीर्थयात्रा के लिए विभिन्न मोर्चों पर कार्रवाई करने का भी आह्वान किया।

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने खराब मौसम और पवित्र तीर्थस्थल तक जाने वाले मार्ग के आवश्यक रखरखाव के कारण अस्थायी रूप से स्थगित होने के बाद श्री माता वैष्णो देवी जी की यात्रा 14 सितंबर (रविवार) से अनुकूल मौसम की स्थिति के अनुसार फिर से शुरू करने की घोषणा की थी।इसी के मद्देनजर के मुताबिक भवन परिसर के साथ अन्य धार्मिक स्थलों की साफ-सफाई तथा रंग रोगन का कार्य तेजी से कराया गया। श्राइन बोर्ड का अधिकतर स्टाफ भी तैनात कर दिया गया। इसके बावजूद भवन और ट्रैक पर लगातार बारिश के चलते आज से यात्रा नहीं शुरू हो पाई और अगले आदेशों तक फिर स्थगित कर दी गई है।

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कटरा, 12 सितंबर (हि.स.)। मां वैष्णो देवी यात्रा मार्ग का मरम्मत कार्य अंतिम चरण में है और जल्द ही यात्रा शुरू करने की तैयारी है। यात्रा स्थगित होने के कारण आधार शिविर कटरा में सन्नाटा पसरा है और दुकानदार भक्तों का इंतजार कर रहे हैं। खराब मौसम और पवित्र तीर्थस्थल तक जाने वाले मार्ग के आवश्यक रखरखाव के कारण अस्थायी रूप से स्थगित यात्रा अनुकूल मौसम का आकलन करने के बाद 14 सितंबर से फिर शुरू होगी।

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुताबिक भवन परिसर के साथ अन्य धार्मिक स्थलों की साफ सफाई तथा रंग रोगन का कार्य तेजी से जारी है। श्राइन बोर्ड का अधिकतर स्टाफ भी तैनात कर दिया गया है। शारदीय नवरात्रों में भवन को सजाने की तैयारी है। मां के भक्तों की इंतजार की घड़ियां समाप्त होने को हैं। बहुत जल्द मां भगवती अपने भक्तों को चिट्ठियां डाल अपने दरबार में हाजिरी देने के लिए आमंत्रण भेजेंगी। खराब मौसम और पवित्र तीर्थस्थल तक जाने वाले मार्ग के आवश्यक रखरखाव के कारण अस्थायी रूप से स्थगित होने के बाद श्री माता वैष्णो देवी जी की यात्रा 14 सितंबर (रविवार) से अनुकूल मौसम की स्थिति के अनुसार फिर से शुरू होगी।

बोर्ड ने तीर्थयात्रियों को सलाह जारी की है कि वे वैध पहचान पत्र साथ रखें निर्धारित मार्गों का पालन करें और जमीनी कर्मचारियों के साथ सहयोग करें। लाइव अपडेट, बुकिंग सेवाओं और हेल्पलाइन सहायता के लिए भक्त श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। श्राइन बोर्ड ने यात्रा के अस्थायी निलंबन के दौरान सभी भक्तों के धैर्य और समझ के लिए उनका आभार व्यक्त किया है।

मां वैष्णो देवी यात्रा 26 अगस्त को अर्धकुंवारी इलाके में भारी बारिश के कारण भूस्खलन होने के बाद स्थगित कर दी गई थी। यह हादसा कटरा से मंदिर तक 12 किलोमीटर की ट्रेकिंग के लगभग मध्य में इंडरप्रस्थ भोजनालय के पास हुआ था, जिसमें 34 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए थे।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस भूस्खलन की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता विभागीय जल शक्ति के अतिरिक्त मुख्य सचिव शलीन कबरा कर रहे हैं, जिसमें डिविजनल कमिश्नर और जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक भी शामिल हैं।

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जीवित्पुत्रिका व्रत हिन्दू धर्म में महिलाएं के लिए बेहद कठिन व्रत माना जाता है, जो बहुत खास भी माना जाता है। व्रत करने वाले महिलाएं पुरे दिन निर्जला रहकर व्रत करती है। 

विशेष तौर पर यह व्रत झारखंड, बिहार, बंगाल तथा उतर प्रदेश के कुछ क्षेत्र में मनाया जाता है। आश्विन माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जीवितीय व्रत किया जाता है। माताएं पुरे दिन निर्जला व्रत रखती है पुरे दिन उपवास रहकर संध्या में अस्नान कर जीमूतवाहन की पूजा करती है। यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु के लिए कामना करती है।

व्रत का विधिवत नियम

जीवित्पुत्रिका व्रत यानि जीवितिया व्रत का नियम बहुत कठिन है देश के अलग अलग राज्यों में इस व्रत को अलग अलग नाम से जाना जाता है। जिवितिय, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन नाम से जाना जाता है। व्रत का आरम्भ एक दिन पहले नहायखाय करती है, यानी जो स्त्री इस व्रत को रखती है एक दिन पहले सुबह में नित्यक्रिया से निवृत होकर अस्नान करती है दैनिक पूजन कर फिर अपने पूर्वजों को याद करके पकवान बनती है सेंघा नमक से तथा बिना लहसुन प्याज का खाना शुद्धता से बनाकर अपने पूर्वजों के लिए भोग लगाकर तब खाना खाती है.

व्रत करने का क्या है नियम

धार्मिक मान्यता के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत का नियम कथा के अनुसार इस प्रकार है। सप्तमी युक्त अष्टमी व्रत नहीं करे शुद्ध अष्टमी में व्रत करे और नवमी में व्रत का पारणा करे तभी जीवित्पुत्रिका व्रत करने का फल की प्राप्ति मिलता है। 

कब करे यह व्रत

14 सितम्बर 2025 दिन रविवार को व्रत किया जायेगा।

अष्टमी तिथि का आरम्भ 14 सितम्बर 2025 सुबह 08:41 मिनट से
अष्टमी तिथि का समाप्ति 15 सितम्बर 2025 सुबह 06:27 मिनट तक। 
नवमी तिथि का आरम्भ 15 सितम्बर 2025 सुबह 06:27 से आरम्भ होगा। जिसमे व्रत का पारण किया जाता है। 

जीवित्पुत्रिका व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है। 
इस साल नहाय खाय 13 सितम्बर 2025 दिन शनिवार को किया जायेगा। 
14 सितम्बर 2025 दिन रविवार को निर्जला व्रत रखा जायेगा। 
15 सितम्बर 2025 दिन सोमवार को व्रत का पारण सूर्य उदय के बाद किया जायेगा। 

व्रत का पारण कैसे करे

जीवित्पुत्रिका व्रत का प्राण 15 सितम्बर 2025 दिन सोमवार को किया जायेगा। इस दिन प्रातः काल स्नान आदि के बाद पूजा करके पारण करे। मान्यता यह है व्रत का पारण
गाय के दूध से करे। 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Navratra 2025: दुर्गा पूजा को लेकर जिले भर में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। जगह-जगह पंडाल सजाए जा रहे हैं और मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी पूजा समितियां पूरी मेहनत में जुटी हैं और पंडालों को नया स्वरूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। श्रद्धालुओं को इस बार पारंपरिक से लेकर आधुनिक थीम वाले पंडालों की झलक देखने को मिलेगी।

गांधी चौक पर सजेगा कृष्ण मंदिर का रूप

शहर का गांधी चौक पूजा पंडाल हमेशा अपनी थीम को लेकर चर्चा में रहता है। इस बार यहां अहमदाबाद (गुजरात) के श्रीकृष्ण मंदिर का रूप देखने को मिलेगा।

पूजा समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह ने छपरा टुडे से बातचीत में बताया कि इस बार हम गांधी चौक को कृष्ण रंग में रंगने वाले हैं। हमारा प्रयास है कि यहां आने वाले लोगों को आकर्षित करें।

समिति के अन्य सदस्यों का कहना है कि पूजा को लेकर सभी योजनाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। अब बस पंडाल निर्माण के अंतिम चरण और माता रानी के आगमन का इंतजार है।

गांधी चौक पर साल 1990 से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इन वर्षों में पूजा की आस्था में कभी कोई कमी नहीं आई और न ही आयोजन में कोई बाधा आई है। गांव-देहात से भी हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

लाखों का खर्च और बाहर से आए कारीगर

पंडाल निर्माण पर करीब 10 लाख रुपये की लागत आ रही है। मूर्तियों पर भी विशेष खर्च किया गया है, जिसके लिए कारीगरों को सोनपुर से बुलाया गया है। वहीं पंडाल निर्माण का जिम्मा पश्चिम बंगाल के कलाकार ज्योति दादा और उनकी टीम संभाल रही है।

समिति की टीम

इस मौके पर पूजा समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह, कार्यकारी सचिव रितेश कुमार, पिंटू गुप्ता, कोषाध्यक्ष बालेश्वर राय, उपाध्यक्ष गोबिंद श्रीवास्तव और चंदन गुप्ता मौजूद थे। इसके अलावा सदस्य के रूप में रमेन राय, जयकांत यादव, धर्मेंद्र यादव, अभिषेक कुमार, तथा उप सचिव नागेंद्र राय और गब्बर राय भी मौजूद रहे।

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दुर्गा पूजा को लेकर जिले भर में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। जगह-जगह पंडाल सजाए जा रहे हैं और मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी पूजा समितियां पूरी मेहनत से जुटी हुई हैं और पंडालों को नया रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। इस बार श्रद्धालुओं को पारंपरिक से लेकर आधुनिक थीम वाले पंडालों की झलक देखने को मिलेगी।

पिछले कुछ वर्षों से फिर से परंपरागत पंडालों का दौर लौट आया है। कपड़े और रंग-बिरंगे कागज की जगह अब घास-फूस और देसी अंदाज वाले पंडाल लोगों को ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं। इसी वजह से पूजा समितियां श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रही हैं।

बनियापुर में बन रहा है ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की थीम पर पूजा पंडाल

बनियापुर में इस बार पूजा पंडाल अपनी खास थीम को लेकर सुर्खियों में है। पहलगाम की हृदयविदारक घटना के बाद सेना द्वारा चलाए गए मिशन ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) से प्रेरित होकर इस पंडाल को तैयार किया जा रहा है। इसमें आतंकवाद के खात्मे का संदेश तो होगा ही, साथ ही नारी सशक्तिकरण को भी प्रमुखता से दर्शाया जाएगा।

पूजा समिति के अध्यक्ष संजय सिंह ने छपरा टुडे डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि हम लोग इस बार देश में हुई इस हृदय विदारक घटना को सांस्कृतिक रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि लोगों को सामाजिक संदेश भी मिले।

50 लाख की लागत, लोकल कारीगरों को मिली अहमियत

पंडाल निर्माण पर करीब 50 लाख रुपये की लागत आ रही है। मूर्तियों पर भी खास खर्च किया गया है। इसके लिए कारीगरों को मोतिहारी से बुलाया गया है, जबकि पंडाल निर्माण का जिम्मा मांझी के कारीगर ओमप्रकाश और उनकी टीम संभाल रही है।

समिति का कहना है कि इस बार विशेष रूप से स्थानीय कारीगरों को प्राथमिकता दी गई है। पहले कोलकाता और अन्य राज्यों से कारीगर बुलाए जाते थे, जिससे खर्च काफी बढ़ जाता था। वहीं, लोकल कारीगरों के जुड़ने से न सिर्फ लागत घटी है बल्कि उन्हें रोजगार भी मिला है।

श्रद्धालुओं में उत्साह

इस थीम आधारित पंडाल को लेकर स्थानीय लोग भी बेहद उत्साहित हैं। श्रद्धालु इसे सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश का अनूठा संगम मान रहे हैं।

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