Chhapra: शहर के दहियावा ब्राह्मण टोली में स्थापित 18 भुजाओं वाली मां दुर्गा की प्रतिमा इस वर्ष अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। यह प्रतिमा वर्ष 1975 से हर साल यहां स्थापित की जा रही है। खास बात यह है कि यह अद्भुत और अनोखी प्रतिमा दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनी हुई है।

50वां उत्सव एक विशेष अवसर के रूप में माना जा रहा है

स्थानीय निवासी गुलशन कुमार ने बताया कि उनका परिवार 1975 से इस प्रतिमा का साक्षी रहा है और अब वह तीसरी पीढ़ी के रूप में इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत यहां पूरी होती है।

प्रतिमा के साथ ही इस बार पंडाल की सजावट भी देखने लायक होगा। स्थानीय कलाकारों द्वारा हुनर का शानदार प्रदर्शन किया जा रहा है। पंडाल में अलग-अलग आकर्षक चीजें बनाई जा रही है।

 छपरा शहर और आसपास के क्षेत्रों से लोग इस पंडाल को देखने और मां दुर्गा के दर्शन करने के लिए आते हैं, इस वर्ष का यह 50वां उत्सव एक विशेष अवसर के रूप में माना जा रहा है।

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Jammu, 14 सितंबर (हि.स.)। माता वैष्णो देवी यात्रा खराब मौसम के कारण 19 दिनों के अंतराल के बाद आज से नहीं शुरू हो पाई और अगले आदेशों तक स्थगित कर दी गई है। भवन और ट्रैक पर लगातार बारिश के चलते यात्रा रोकने के बाद श्राइन बोर्ड ने भक्तों से आधिकारिक संचार चैनलों के माध्यम से अपडेट रहने का अनुरोध है।

भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कम से कम 34 लोगों की जान चली गई

माता वैष्णो देवी यात्रा के रास्ते में 26 अगस्त को अर्धकुंवारी में इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कम से कम 34 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर तीर्थयात्री थे और कई अन्य घायल हो गए। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 26 अगस्त के भूस्खलन के कारणों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता विभागीय जल शक्ति के अतिरिक्त मुख्य सचिव शलीन कबरा कर रहे हैं, जिसमें डिविजनल कमिश्नर और जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक भी शामिल हैं। यह कमेटी जांच के बाद एलजी सिन्हा को एक व्यापक रिपोर्ट सौंपेगी।

माता वैष्णो देवी यात्रा अगले आदेशों तक फिर स्थगित

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन कुमार वैश्य ने 13 सितंबर को 22 सितंबर से शुरू होने वाले नौ दिवसीय नवरात्रों के दौरान निर्बाध तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए आध्यात्मिक विकास केंद्र, कटरा में एक संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की। सीईओ ने कहा कि नवरात्रि उत्सव नजदीक है और बोर्ड को पवित्र तीर्थस्थल और कटरा में आधार शिविर में भक्तों की एक महत्वपूर्ण आमद की उम्मीद है। इस प्रकार नवरात्र महोत्सव के दौरान सभी हितधारकों के बीच तालमेल पर जोर दिया गया। उन्होंने आने वाले दिनों में परेशानी मुक्त तीर्थयात्रा के लिए विभिन्न मोर्चों पर कार्रवाई करने का भी आह्वान किया।

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने खराब मौसम और पवित्र तीर्थस्थल तक जाने वाले मार्ग के आवश्यक रखरखाव के कारण अस्थायी रूप से स्थगित होने के बाद श्री माता वैष्णो देवी जी की यात्रा 14 सितंबर (रविवार) से अनुकूल मौसम की स्थिति के अनुसार फिर से शुरू करने की घोषणा की थी।इसी के मद्देनजर के मुताबिक भवन परिसर के साथ अन्य धार्मिक स्थलों की साफ-सफाई तथा रंग रोगन का कार्य तेजी से कराया गया। श्राइन बोर्ड का अधिकतर स्टाफ भी तैनात कर दिया गया। इसके बावजूद भवन और ट्रैक पर लगातार बारिश के चलते आज से यात्रा नहीं शुरू हो पाई और अगले आदेशों तक फिर स्थगित कर दी गई है।

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कटरा, 12 सितंबर (हि.स.)। मां वैष्णो देवी यात्रा मार्ग का मरम्मत कार्य अंतिम चरण में है और जल्द ही यात्रा शुरू करने की तैयारी है। यात्रा स्थगित होने के कारण आधार शिविर कटरा में सन्नाटा पसरा है और दुकानदार भक्तों का इंतजार कर रहे हैं। खराब मौसम और पवित्र तीर्थस्थल तक जाने वाले मार्ग के आवश्यक रखरखाव के कारण अस्थायी रूप से स्थगित यात्रा अनुकूल मौसम का आकलन करने के बाद 14 सितंबर से फिर शुरू होगी।

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुताबिक भवन परिसर के साथ अन्य धार्मिक स्थलों की साफ सफाई तथा रंग रोगन का कार्य तेजी से जारी है। श्राइन बोर्ड का अधिकतर स्टाफ भी तैनात कर दिया गया है। शारदीय नवरात्रों में भवन को सजाने की तैयारी है। मां के भक्तों की इंतजार की घड़ियां समाप्त होने को हैं। बहुत जल्द मां भगवती अपने भक्तों को चिट्ठियां डाल अपने दरबार में हाजिरी देने के लिए आमंत्रण भेजेंगी। खराब मौसम और पवित्र तीर्थस्थल तक जाने वाले मार्ग के आवश्यक रखरखाव के कारण अस्थायी रूप से स्थगित होने के बाद श्री माता वैष्णो देवी जी की यात्रा 14 सितंबर (रविवार) से अनुकूल मौसम की स्थिति के अनुसार फिर से शुरू होगी।

बोर्ड ने तीर्थयात्रियों को सलाह जारी की है कि वे वैध पहचान पत्र साथ रखें निर्धारित मार्गों का पालन करें और जमीनी कर्मचारियों के साथ सहयोग करें। लाइव अपडेट, बुकिंग सेवाओं और हेल्पलाइन सहायता के लिए भक्त श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। श्राइन बोर्ड ने यात्रा के अस्थायी निलंबन के दौरान सभी भक्तों के धैर्य और समझ के लिए उनका आभार व्यक्त किया है।

मां वैष्णो देवी यात्रा 26 अगस्त को अर्धकुंवारी इलाके में भारी बारिश के कारण भूस्खलन होने के बाद स्थगित कर दी गई थी। यह हादसा कटरा से मंदिर तक 12 किलोमीटर की ट्रेकिंग के लगभग मध्य में इंडरप्रस्थ भोजनालय के पास हुआ था, जिसमें 34 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए थे।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस भूस्खलन की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता विभागीय जल शक्ति के अतिरिक्त मुख्य सचिव शलीन कबरा कर रहे हैं, जिसमें डिविजनल कमिश्नर और जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक भी शामिल हैं।

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जीवित्पुत्रिका व्रत हिन्दू धर्म में महिलाएं के लिए बेहद कठिन व्रत माना जाता है, जो बहुत खास भी माना जाता है। व्रत करने वाले महिलाएं पुरे दिन निर्जला रहकर व्रत करती है। 

विशेष तौर पर यह व्रत झारखंड, बिहार, बंगाल तथा उतर प्रदेश के कुछ क्षेत्र में मनाया जाता है। आश्विन माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जीवितीय व्रत किया जाता है। माताएं पुरे दिन निर्जला व्रत रखती है पुरे दिन उपवास रहकर संध्या में अस्नान कर जीमूतवाहन की पूजा करती है। यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु के लिए कामना करती है।

व्रत का विधिवत नियम

जीवित्पुत्रिका व्रत यानि जीवितिया व्रत का नियम बहुत कठिन है देश के अलग अलग राज्यों में इस व्रत को अलग अलग नाम से जाना जाता है। जिवितिय, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन नाम से जाना जाता है। व्रत का आरम्भ एक दिन पहले नहायखाय करती है, यानी जो स्त्री इस व्रत को रखती है एक दिन पहले सुबह में नित्यक्रिया से निवृत होकर अस्नान करती है दैनिक पूजन कर फिर अपने पूर्वजों को याद करके पकवान बनती है सेंघा नमक से तथा बिना लहसुन प्याज का खाना शुद्धता से बनाकर अपने पूर्वजों के लिए भोग लगाकर तब खाना खाती है.

व्रत करने का क्या है नियम

धार्मिक मान्यता के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत का नियम कथा के अनुसार इस प्रकार है। सप्तमी युक्त अष्टमी व्रत नहीं करे शुद्ध अष्टमी में व्रत करे और नवमी में व्रत का पारणा करे तभी जीवित्पुत्रिका व्रत करने का फल की प्राप्ति मिलता है। 

कब करे यह व्रत

14 सितम्बर 2025 दिन रविवार को व्रत किया जायेगा।

अष्टमी तिथि का आरम्भ 14 सितम्बर 2025 सुबह 08:41 मिनट से
अष्टमी तिथि का समाप्ति 15 सितम्बर 2025 सुबह 06:27 मिनट तक। 
नवमी तिथि का आरम्भ 15 सितम्बर 2025 सुबह 06:27 से आरम्भ होगा। जिसमे व्रत का पारण किया जाता है। 

जीवित्पुत्रिका व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है। 
इस साल नहाय खाय 13 सितम्बर 2025 दिन शनिवार को किया जायेगा। 
14 सितम्बर 2025 दिन रविवार को निर्जला व्रत रखा जायेगा। 
15 सितम्बर 2025 दिन सोमवार को व्रत का पारण सूर्य उदय के बाद किया जायेगा। 

व्रत का पारण कैसे करे

जीवित्पुत्रिका व्रत का प्राण 15 सितम्बर 2025 दिन सोमवार को किया जायेगा। इस दिन प्रातः काल स्नान आदि के बाद पूजा करके पारण करे। मान्यता यह है व्रत का पारण
गाय के दूध से करे। 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Navratra 2025: दुर्गा पूजा को लेकर जिले भर में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। जगह-जगह पंडाल सजाए जा रहे हैं और मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी पूजा समितियां पूरी मेहनत में जुटी हैं और पंडालों को नया स्वरूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। श्रद्धालुओं को इस बार पारंपरिक से लेकर आधुनिक थीम वाले पंडालों की झलक देखने को मिलेगी।

गांधी चौक पर सजेगा कृष्ण मंदिर का रूप

शहर का गांधी चौक पूजा पंडाल हमेशा अपनी थीम को लेकर चर्चा में रहता है। इस बार यहां अहमदाबाद (गुजरात) के श्रीकृष्ण मंदिर का रूप देखने को मिलेगा।

पूजा समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह ने छपरा टुडे से बातचीत में बताया कि इस बार हम गांधी चौक को कृष्ण रंग में रंगने वाले हैं। हमारा प्रयास है कि यहां आने वाले लोगों को आकर्षित करें।

समिति के अन्य सदस्यों का कहना है कि पूजा को लेकर सभी योजनाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। अब बस पंडाल निर्माण के अंतिम चरण और माता रानी के आगमन का इंतजार है।

गांधी चौक पर साल 1990 से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इन वर्षों में पूजा की आस्था में कभी कोई कमी नहीं आई और न ही आयोजन में कोई बाधा आई है। गांव-देहात से भी हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

लाखों का खर्च और बाहर से आए कारीगर

पंडाल निर्माण पर करीब 10 लाख रुपये की लागत आ रही है। मूर्तियों पर भी विशेष खर्च किया गया है, जिसके लिए कारीगरों को सोनपुर से बुलाया गया है। वहीं पंडाल निर्माण का जिम्मा पश्चिम बंगाल के कलाकार ज्योति दादा और उनकी टीम संभाल रही है।

समिति की टीम

इस मौके पर पूजा समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह, कार्यकारी सचिव रितेश कुमार, पिंटू गुप्ता, कोषाध्यक्ष बालेश्वर राय, उपाध्यक्ष गोबिंद श्रीवास्तव और चंदन गुप्ता मौजूद थे। इसके अलावा सदस्य के रूप में रमेन राय, जयकांत यादव, धर्मेंद्र यादव, अभिषेक कुमार, तथा उप सचिव नागेंद्र राय और गब्बर राय भी मौजूद रहे।

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दुर्गा पूजा को लेकर जिले भर में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। जगह-जगह पंडाल सजाए जा रहे हैं और मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी पूजा समितियां पूरी मेहनत से जुटी हुई हैं और पंडालों को नया रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। इस बार श्रद्धालुओं को पारंपरिक से लेकर आधुनिक थीम वाले पंडालों की झलक देखने को मिलेगी।

पिछले कुछ वर्षों से फिर से परंपरागत पंडालों का दौर लौट आया है। कपड़े और रंग-बिरंगे कागज की जगह अब घास-फूस और देसी अंदाज वाले पंडाल लोगों को ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं। इसी वजह से पूजा समितियां श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रही हैं।

बनियापुर में बन रहा है ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की थीम पर पूजा पंडाल

बनियापुर में इस बार पूजा पंडाल अपनी खास थीम को लेकर सुर्खियों में है। पहलगाम की हृदयविदारक घटना के बाद सेना द्वारा चलाए गए मिशन ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) से प्रेरित होकर इस पंडाल को तैयार किया जा रहा है। इसमें आतंकवाद के खात्मे का संदेश तो होगा ही, साथ ही नारी सशक्तिकरण को भी प्रमुखता से दर्शाया जाएगा।

पूजा समिति के अध्यक्ष संजय सिंह ने छपरा टुडे डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि हम लोग इस बार देश में हुई इस हृदय विदारक घटना को सांस्कृतिक रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि लोगों को सामाजिक संदेश भी मिले।

50 लाख की लागत, लोकल कारीगरों को मिली अहमियत

पंडाल निर्माण पर करीब 50 लाख रुपये की लागत आ रही है। मूर्तियों पर भी खास खर्च किया गया है। इसके लिए कारीगरों को मोतिहारी से बुलाया गया है, जबकि पंडाल निर्माण का जिम्मा मांझी के कारीगर ओमप्रकाश और उनकी टीम संभाल रही है।

समिति का कहना है कि इस बार विशेष रूप से स्थानीय कारीगरों को प्राथमिकता दी गई है। पहले कोलकाता और अन्य राज्यों से कारीगर बुलाए जाते थे, जिससे खर्च काफी बढ़ जाता था। वहीं, लोकल कारीगरों के जुड़ने से न सिर्फ लागत घटी है बल्कि उन्हें रोजगार भी मिला है।

श्रद्धालुओं में उत्साह

इस थीम आधारित पंडाल को लेकर स्थानीय लोग भी बेहद उत्साहित हैं। श्रद्धालु इसे सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश का अनूठा संगम मान रहे हैं।

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Pitra Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बहुत ही पवित्र और महत्व पूर्ण माना जाता है। यह लगभग 15-16 दिनों का पर्व होता है, जिसमें हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक संस्कार करते हैं। इस दौरान लोग अपने पितरों को याद करते हैं, उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और यह मानते हैं कि इस समय पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों की समस्याओं को कम करने में मदद करती हैं। पितृ पक्ष का महत्व सिर्फ रीतियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें अपने पूर्वजों का सम्मान करना और उनके योगदान को याद रखना भी सिखाता है।

पितृ पक्ष 2025 की तिथि

इस साल पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद पूर्णिमा से होगा, यानी 7 सितंबर 2025, रविवार, रात 1:41 बजे से। यह अवधि सर्वपितृ अमावस्या तक चलेगी, जो 21 सितंबर 2025 को समाप्त होगी। इस दौरान श्रद्धालु दैनिक रूप से तर्पण और श्राद्ध के अनुष्ठान करते हैं।

श्राद्ध और पिंडदान का अंतर

श्राद्ध शब्द व्यापक है और इसमें पूर्वजों के लिए किए जाने वाले पूरे धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं। इसमें ब्राह्मणों को भोजन कराना, दान देना, प्रार्थना और पिंडदान करना शामिल है।

पिंडदान: श्राद्ध का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें चावल के पिंड का त्याग करके पूर्वजों के सूक्ष्म शरीर को पोषण दिया जाता है। अगर आप प्रयागराज में पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करते हैं, तो आप पूरी श्राद्ध क्रिया कर रहे हैं, और पिंडदान इसका मुख्य कर्म है।

श्राद्ध और तर्पण की प्रमुख नियमावली

सही तिथि: श्राद्ध हमेशा पूर्वज के मृत्यु वार्षिक तिथि पर किया जाता है। अगर सही तिथि याद न हो, तो सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध करना चाहिए।

ब्राह्मण भोज और दान: श्राद्ध का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें दान देना है। भोजन हमेशा सात्विक होना चाहिए। मान्यता है कि जब आप ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, तो भगवान विष्णु आपके पूर्वजों को शांति और मोक्ष प्रदान करते हैं। इससे पूर्वज खुश होते हैं और अपने वंशजों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

तर्पण: पितृ पक्ष में प्रतिदिन जल, तिल और कुशा घास से तर्पण किया जाता है। इस दौरान सही विधि और मंत्रों का पालन करना आवश्यक है।

दान (चैरिटी): पितृ पक्ष के दौरान जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न सिर्फ पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लाभकारी है, बल्कि समाज सेवा का भी उत्तम तरीका है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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पटना, 06 सितम्बर (हि.स.)। मोक्ष की भूमि बिहार के गयाजी में पितरों के मुक्ति का 17 दिनों तक चलने वाले मेले का शनिवार को प्रभारी मंत्री सुनील कुमार सहित अन्य मंत्रियों ने उद्धाटन किया। गयाजी में छह (06) से इक्कीस (21) सितंबर तक इस मेले का आयोजन होगा।

बिहार के गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला-2025 का शुभारंभ आज वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। बिहार सरकार के प्रभारी मंत्री ने मेला का उद्घाटन किया। मेला उद्घाटन के अवसर पर प्रभारी मंत्री सुनील कुमार, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी, पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह, गया के विधायक मंजू अग्रवाल, मेयर गणेश पासवान, जिला परिषद अध्यक्ष नैना कुमारी सहित प्रशासनिक अधिकारी एवं गणमान्य मौजूद रहे।

विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के लिए गयाजी में 324 सेक्टर अधिकारियों की तैनाती की गयी है। विदेशों से भी आने वाले श्रद्धालुओं पर प्रशासन की नजर रहेगी। पिंडदानियों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए विष्षुपद मंदिर के पास पुलिस कंट्रोल रूम भी खोल दिया गया है। सुबह तीन बजे से रात 11 बजे तक गयाजी शहर के किसी भी रूट पर ट्रक और बस जैसे बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है।

दरअसल, मोक्ष का यह महापर्व 17 दिनों तक चलेगा। इस दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गयाजी आएंगे। भगवान विष्णु की पावन नगरी गयाजी में आश्विन महीने में प्राचीन काल से ही यह मेला लगता आया है।

पौराणिक मान्यता है कि यहां पिंडदान, श्राद्धकर्म और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिल जाता है। वर्तमान में यहां 54 वेदी स्थल हैं। जहां लाखों की संख्या में आए श्रद्धालु अपने पितरों के उद्धार के लिए अनुष्ठान करते हैं।

गयाजी में पितृपक्ष मेला के लिए जिला प्रशासन ने 64 सरकारी जगहों पर श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की है। गांधी मैदान में 2500 लोगों के लिए टेंट सिटी बनायी गयी है। इसके अलावा 132 होटल, गेस्ट हाउस और 527 पंडा के निजी भवनों को तैयार किया गया है। यहां शुल्क देकर श्रद्धालु ठहर सकते हैं। 76 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के ठहरने का इंतजाम प्रशासन ने किया है।

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जम्मू, 05 सितंबर (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर के रियासी ज़िले में स्थित माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर की तीर्थयात्रा शुक्रवार को लगातार 11वें दिन स्थगित रही। हालांकि, दस दिनों की भारी बारिश अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के बाद धूप खिलने से मौसम में काफी सुधार हुआ है, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक यात्रा फिर से शुरू करने पर कोई फैसला नहीं लिया है।

माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर के रास्ते में अर्धकुंवारी में 26 अगस्त को हुए भूस्खलन में 34 तीर्थयात्री मारे गए और 20 अन्य घायल हो गए। यात्रा उसी दिन अगले आदेश तक स्थगित कर दी गई थी। श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्णय के कारण यात्रा अभी भी स्थगित है।

यात्रा को फिर से शुरू करने का निर्णय सभी पहलुओं का आकलन करने के बाद उचित समय पर लिया जाएगा।माता वैष्णो देवी मंदिर के आधार शिविर, जम्मू और कटरा के बीच स्थानीय लोगों और फंसे हुए यात्रियों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए शुरू की गई लोकल ट्रेन सेवाएं भी स्थगित रहीं। पिछले कई दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण त्रिकुटा पहाड़ियों में भूस्खलन और सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए तीर्थयात्रा मार्ग असुरक्षित हो गया है।​

प्रशासन ने तीर्थयात्रियों को अगली सूचना तक अपनी यात्रा स्थगित करने की सलाह दी है, क्योंकि मरम्मत कार्य और सुरक्षा निरीक्षण अभी भी जारी हैं। यात्रा स्थगित होने के कारण कटरा आधार शिविर भी वीरान सा दिख रहा है और दुकानों और होटलों में भी लोगों की आवाजाही बहुत कम हो रही है।

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Dehradun, 1 सितंबर (हि.स.)। उत्तराखंड में लगातार बारिश को देखते हुए राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा सहित हेमकुंड साहिब यात्रा भी 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।

चारधाम यात्रा को 5 सितंबर तक स्थगित करने का निर्णय लिया गया 

गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय ने सोमवार को बताया कि भारी बारिश से प्रदेश में कई जगह भूस्खलन या मलबा आने से मार्ग बाधित हो रहे हैं। जिन्हें सरकार प्राथमिकता पर खोलने के प्रयास कर रही है, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा ओर सुविधा को देखते हुए, फिलहाल चारधाम एवं हेमकुंड साहिब यात्रा को 5 सितंबर 2025 तक स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि वे प्रतिकूल मौसम की स्थिति को देखते हुए फिलहाल यात्रा मार्गों पर प्रस्थान न करें तथा प्रशासन के परामर्शों का पालन करें। मौसम सामान्य होने एवं मार्ग पूरी तरह सुरक्षित पाए जाने के उपरांत यात्राओं को पुनः प्रारम्भ किया जाएगा।

प्रशासन सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है

कमिश्नर पांडेय ने बताया कि प्रदेश सरकार एवं स्थानीय प्रशासन सड़क मार्गों की निगरानी, सफाई तथा यात्रियों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। यात्रियों से अनुरोध है कि धैर्य एवं संयम बनाए रखें व यात्रा संबंधी अद्यतन जानकारी के लिए प्रशासनिक नियंत्रण कक्ष से सम्पर्क करते रहें।

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Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में इसे बड़े धूमधाम से गणेशोत्सव के नाम से मनाया जाता है। भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी होती है। इस साल यह पर्व 27 अगस्त, बुधवार को पड़ रहा है और 6 सितम्बर को विसर्जन किया जाएगा। इस दौरान भक्त अपने घरों या सामूहिक पंडालों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करके पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी केवल उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि इसे सकारात्मक ऊर्जा, खुशहाली और बाधाओं के निवारण के लिए भी माना जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन के संकट कम हों और परिवार में सुख-शांति बनी रहे, तो इस दिन कुछ विशेष उपाय करना बेहद फायदेमंद होता है।

गणेश चतुर्थी पर करें ये आसान उपाय

दीपक जलाएं
उत्तर-पूर्व दिशा में दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। इससे परिवार पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है और धन लाभ भी होता है।

मोदक का भोग
गणेश जी को मोदक का भोग अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे जीवन की समस्याएं कम होती हैं और घर में सुख-शांति आती है।

दूर्वा चढ़ाएं
गणेश जी को दूर्वा बहुत प्रिय है। उनके मस्तक पर दूर्वा चढ़ाने से बप्पा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

गणेश स्तोत्र का पाठ
सच्चे मन से गणेश स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन लाभ का योग बनता है।

लौंग-कपूर आहुति
परिवार पर किसी की नजर न लगे, इसके लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के सामने गोबर के उपले पर 2 कपूर और 6 लौंग की आहुति दें। आहुति की लौ परिवार के सभी सदस्य अपने माथे से स्पर्श करें।

गणेश चतुर्थी पर ये उपाय करने से न केवल घर में सुख-शांति आती है, बल्कि जीवन की बाधाएं भी कम होती हैं। इसे सही तरीके से करने से आप व्यक्तिगत और पारिवारिक दोनों क्षेत्रों में खुशहाली का अनुभव कर सकते हैं।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज एक बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है. यह त्योहार भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. खासतौर पर महिलाएं इसे बड़े उत्साह के साथ मनाती हैं. हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करती हैं और पूरे नियम-पूर्वक व्रत का पालन करती हैं. शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक जीवन में सौहार्द और खुशहाली के लिए रखती हैं. वहीं, अविवाहित लड़कियां इसे अपनी मनचाही जीवनसाथी की प्राप्ति की कामना के लिए करती हैं.लेकिन बिहार में तीज व्रत सिर्फ महिलाएं विवाह के बाद ही करती है और कन्या सिर्फ भगवान शंकर का पूजा करती है.

हरतालिका तीज का नाम और कथा

हरतालिका शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ‘हरत’और ‘आलिका’जिसका अर्थ है अपहरण और महिला मित्र कथा के अनुसार, माता पार्वती की सहेलियों ने उन्हें जंगल में ले जाकर छुपा दिया ताकि उनके पिता, पार्वती की मर्जी के बिना भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं.

हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि

हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि महिलाएं इसे निर्जला (बिना पानी और भोजन के) 24 घंटे तक रखती हैं. व्रत की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होती है.महिलाएं स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं और मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां बनाकर पूजा करती हैं. दिनभर महिलाएं व्रत रखकर संध्या में कथा सुनती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और रातभर जागरण करती हैं. सुबह भगवान शिव तथा पार्वती के प्रतिमा को नदी या तलाब में विसर्जन कर घर आकर अपने कूल देवता का पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराकर या कुछ अन्य दान कर भोजन करती है .

हरतालिका तीज 2025 की तिथि

– इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी.

– तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025, दोपहर 11:31 .

– तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025, दोपहर 12:39 बजे.
-हस्त नक्षत्र का आरम्भ 26 अगस्त 2025 सुबह 04:04 बजे.
-हस्त नक्षत्र का समाप्ति 27 अगस्त 2025 सुबह 06:00 बजे.

– इस हिसाब से व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा.

हरतालिका तीज का पूजन संध्या काल में करे.

हरतालिका तीज का पूजन सामग्री 

तालाब का मिट्टी या शुद्ध स्थान का मिट्टी, छोटी चौकी, पिला या लाल कपडा, 1 मीटर, जनेऊ 1, आटा का चूरन, अगरबती, माचिस, पिला चंदन, सिंदूर, चावल, दही, ऋतुफल, रक्षा सुत, गंगाजल, श्रृगार की सामान, पान के पता, सुपारी, भगवान पर चढाने के लिए, फुल माला, कपूर प्रसाद के लिए मिठाई।

हरतालिका तीज का महत्व

इस व्रत को करने वाली महिलाएं इसे भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक मानती हैं.इसके ख़ुशी में महिलाये सुबह से अलग अलग पकवान बनाती है. महिलाएं 24 घंटे बिना पानी और भोजन के व्रत करती हैं. रात में वे शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं और पूरी भक्ति के साथ पूजा करती हैं. शादीशुदा महिलाएं माता पार्वती को‘सोलह श्रृंगार’ अर्पित करती हैं और भगवान शिव को वस्त्र व अन्य पूजा सामग्री समर्पित करती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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