वैष्णव साधुओं के अनी अखाड़े के संत व महामण्डलेश्वर 08 जनवरी को करेंगे छावनी प्रवेश

महाकुंभ नगर(UP):  वैष्णव साधुओं के अनी-अखाड़े का छावनी प्रवेश 08 जनवरी को महाकुंभ मेला क्षेत्र में होगा। इनकी पेशवाई प्रयागराज के के.पी.इण्टर कॉलेज से शुरू होगी। इस दौरान, साधु-संत, महामण्डलेश्वर हाथी, घोड़े, पालकी, रथ, बग्घी और चांदी के हौदे पर सवार होकर मेला क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। इस यात्रा में निर्वाणी, निर्मोही व दिगम्बर अखाड़े के करीब 774 महामण्डलेश्वर शामिल होंगे। इनका छावनी प्रवेश ढोल-नगाड़े, शंखनाद और जयघोष के साथ होगा।

यह जानकारी निर्वाणी अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत मुरलीदास महाराज ने हिन्दुस्थान समाचार को दी। उन्होंने बताया कि छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़ों के पदाधिकारी और संत शामिल होते हैं। इस यात्रा में वैष्णव अखाड़ा के अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़ा के शिविर में प्रवेश करके संत अपना डेरा जमाते हैं।

अयोध्या के श्रीहनुमान गढ़ी के संत राजूदास महाराज ने बताया कि निर्मोही, दिगम्बर और निर्वाणी-ये तीन अनी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न शिविरों में विभिन्न पताकाओं से युक्त संगठित होकर यह कुंभ मेले के अवसर पर मार्च करते हैं। उन्होंने बताया कि सर्वमान्य पताका श्रीमहंत के शिविर के समक्ष लगाई जाती है। नागा,संन्यासियों का संगठन उसी प्रकार संगठित रहता है जैसे सैनिक संगठन होते हैं।

उन्होंने बताया कि बिगुल और तुरही की आवाज सुनकर जैसे सैनिक का संगठन सावधान हो जाता है, उसी प्रकार यह नागमणि की आवाज सुनकर सावधान हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि सेना जैसे मार्च करते हैं, इसलिए इन्हें शाही नाम दिया गया है।

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-अंगद टीला पर होने वाले कार्यक्रम में समाज आमन्त्रित है : चंपत राय

अयोध्या, 22 दिसंबर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ भारतीय काल गणना के अनुसार मनाई जाएगी। उक्त जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कारसेवक पुरम में रविवार को दी।

ट्रस्ट के महामंत्री राय ने आज पत्रकार वार्ता में बताया कि वर्ष 2025 में जनवरी मास में पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी को दोपहर समय 12: 20 बजे मंदिर गर्भगृह में आरती और विशेष पूजा होगी। उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी 22 जनवरी 2024 को की गई थी, वर्ष 2025 में जनवरी मास में पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी को है। इसे ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ नाम दिया गया है। इस अवसर पर तीन दिवसीय (11,12 व 13 जनवरी) आयोजन होगा। व्यवस्था के दृष्टिगत पांच स्थानों को आयोजन स्थल बनाया गया है।

70 एकड़ मंदिर परिसर में होने वाले आयोजन और यज्ञ मण्डप के कार्यक्रम

राय ने बताया कि शुक्ल यजुर्वेद माध्यन्दिनी शाखा के 40 अध्यायों के 1975 मंत्रो से अग्नि देवता को आहुति प्रदान की जाएगी, 11 वैदिक मन्त्रोच्चार करेंगे। होम का यह कार्य प्रातः काल 8 से 11 बजे तक और अपराह्न 2 से 5 बजे तक होगा। उन्होंने बताया कि श्रीराममंत्र का जप यज्ञ भी इसी कालखंड में दो सत्रों में होगा, छह लाख मंत्र जप किया जाएगा।

इसके साथ राम रक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा, पुरुष सूक्त, श्री सूक्त, आदित्य हृदय स्तोत्र, अथर्वशीर्ष आदि के पारायण भी होंगे। दक्षिणी प्रार्थना मंडप में नित्य अपराह्न 3 से 5 बजे तक भगवान को राग सेवा प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने बताया कि मंदिर प्रांगण में तीनों दिन सायंकाल 6 से 9 बजे रात्रि तक रामलला के सम्मुख बधाई गान होगा। यात्री सुविधा केंद्र के प्रथम तल पर 3 दिवसीय संगीतमय मानस पाठ होगा।

इसके अतिरक्त अंगद टीला पर अपराह्न 2 से 3:30 बजे तक राम कथा और अपराह्न 3:30 से 5 बजे तक प्रभु श्रीराम के जीवन पर प्रवचन होंगे। उन्होंने बताया कि तीनों दिन सायंकाल 5:30 से 7:30 बजे तक भिन्न-भिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। अंगद टीला के समस्त कार्यक्रमों में समाज सादर आमंत्रित है। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठा द्वादशी (11 जनवरी, 2025) को प्रातः काल से प्रसाद वितरण प्रारंभ होगा।

इस अवसर पर ट्रस्ट सदस्य डा अनिल मिश्र, विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा उपस्थित रहे।

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मुरादाबाद, 18 दिसम्बर (हि.स.)। जिलाधिकारी अनुज सिंह ने बुधवार को जनपद के श्रद्धालुओं को बताया कि प्रयागराज पहुंचने से पहले महाकुंभ मेला 2025 मोबाइल एप डाउनलोड करें और मेला की जानकारी प्राप्त करें तथा यात्रा से पूर्व निवास स्थान सुनिश्चित कर लें।

जिलाधिकारी अनुज सिंह ने महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 के मध्य उत्तर प्रदेश के जनपद प्रयागराज में किया जा रहा है। मेला क्षेत्र गंगा एवं यमुना नदी के किनारों पर लगभग 4200 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। मेला क्षेत्र में दिन के समय तापमान कभी-कभी 9 डिग्री तथा रात्रि में लगभग 2 डिग्री तक हो सकता है, दिन में धूप न होने पर घने कोहरे की स्थिति भी बन जाती है। जिलाधिकारी ने जनपद के श्रद्धालुओं को बताया कि प्रयागराज पहुंचने से पहले महाकुंभ मेला 2025 मोबाइल एप डाउनलोड करें और मेला की जानकारी प्राप्त करें तथा यात्रा से पूर्व निवास स्थान सुनिश्चित कर लें।

इसके साथ ही बदलते मौसम के अनुसार कपड़े एवं खान-पान का सामान साथ, रखें गर्म एवं ऊनी वस्त्र साथ में अवश्य रखें, मौसम की पूर्ण जानकारी हेतु मौसम विभाग (IMD) की वेबसाइट देखें एवं आपदा की पूर्व चेतावनी हेतु सचेत मोबाइल एप डाउनलोड कर चेक करें। 60 वर्ष से अधिक आयु या पूर्व से बीमार व्यक्ति यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच अवश्य कराए और डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही यात्रा करें।

उन्होंने बताया कि पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नंबर चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाइयां अपने साथ अवश्य रखें। इसके साथ उन्होंने बताया कि हृदय रोग, श्वास रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगी यात्रा के समय विशेष सावधानी बरतें, यदि श्रद्धालु आयुष्मान कार्ड धारक हैं तो अपना आयुष्मान कार्ड साथ में रखें जिससे कि आकस्मिकता की स्थिति में सरकारी एवं निजी चिकित्सालय में आयुष्मान योजना के अंतर्गत मुफ्त इलाज प्राप्त हो सके।

इसके साथ ही जिलाधिकारी ने बताया कि आपात स्थिति में श्रद्धालु महाकुंभ हेल्पलाइन नंबर 1920, पुलिस हेल्पलाइन 112 तथा आपदा हेल्पलाइन 1077 पर कॉल कर सकते हैं।

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Sonpur: कला संस्कृति एवं युवा विभाग , बिहार के सौजन्य से जिला प्रशासन द्वारा दो दिवसीय हरिहर नाथ महोत्सव का आयोजन 11 एवं 12 दिसम्बर 2024 को सोनपुर में किया जा रहा है।

दो दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन उप मुख्य (कला संस्कृति एवं युवा विभाग) मंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा 11 दिसंबर को संध्या 5 बजे हरिहर नाथ मंदिर परिसर, सोनपुर में किया जायेगा।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में मंत्री विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग , बिहार सह प्रभारी मंत्री सुमित कुमार सिंह भी शिरकत करेंगे।

सांसद सारण, महराजगंज सहित सारण जिला के सभी सदस्य विधान परिषद एवं सदस्य विधान सभा की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

इस महोत्सव में 11 दिसंबर को भरत शर्मा व्यास तथा 12 दिसम्बर को भजन गायिका देवी की प्रस्तुति होगी।

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Chhapra: गीता जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में  भरत मिश्र संस्कृत महाविद्यालय सलेमपुर के प्रांगण में पेंटिंग, लेखन, श्लोक संवाद जिला स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रो उच्चारण एवं दीप प्रज्वलित मुख्य अतिथि अरुण पुरोहित के साथ बद्रीनाथ नारायण पांडेय, कमलाकर मिश्र,सुधांशु शर्मा, आचार्य अम्बरीष मिश्रा, विनोद कुमार सिंह, उत्तम कुंडू एवं अजय सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

जिसमें शहर के दर्जनों स्कूल के सैकड़ो बच्चों ने भाग लिया । विभिन्न प्रतियोगिताओं को अलग-अलग वीक्षको द्वारा लिया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि अरुण पुरोहित धर्म प्रचारक ने कहा कि समिति का लक्ष्य जन जागरण के द्वारा हर घर तक गीता को पहुंचाना लक्ष्य है। गीता हमें जीवन जीने की कला बताती है। मनुष्यों की हर समस्या का समाधान गीता में है। 3 साल के अथक प्रयास का ही आज नतीजा है की हजारों की संख्या में( 4 से 15 साल उम्र) के बच्चे प्रतियोगिता में भाग लेकर गीता के श्लोक पढ़कर उसके अर्थ को अपने परिवार में समझा रहे हैं । कार्यक्रम में उपस्थित सभी ने अपने विचार रखें।

मुख्य अतिथि अरुण पुरोहित ने बताया गीता जयंती 11 दिसंबर को सभी लोग अपने घरों में गीता का पूजन करें गीता का पाठ करें अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ बैठकर गीता पर परिचर्चा करें।

जिला के सभी प्रखंड में 11 दिसंबर तक यह कार्यक्रम चलता रहेगा। इस अवसर पर नरेश चौबे, अनिल शुक्ला, सीमा सिंह, मिथिलेश सिंह, कामेश्वर सिंह विद्वान, विमलेश सिंह, सुरेश चौबे, उपस्थित रहे। 

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Chhapra: मारूती मानस मंदिर में प्रांगण आयोजित सात दिवसीय यज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को विश्व विख्यात कथा वाचक महामंडलेशवर स्वामी डाॅ इंद्रदेशवरानंद का प्रवचन सुनने छपरावासी उमड़ पड़े।

महाराज जी ने वेद, गीता तथा कृष्ण के कई प्रसंगों का उल्लेख कर बहुत ही सुंदर ढंग से अपनी बातों को काफ़ी प्रभावी तरीके से रखा।

उन्होंने कहा कि जीवन में बहुत घटनाएं होती हैं, उसको पकड़ कर बैठोगे तो आगे नहीं बढ़ोगे। ईर्ष्या, घृणा, द्वेष आदि से आदमी को बचना चाहिए। कभी भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। परमात्मा के नेत्रों से कोई नहीं बच सकता। हम लोग कभी-कभी चश्मा लगाकर भी सही अक्षर नहीं पहचान पाते लेकिन परमात्मा हर अक्षर पर नजर रखते हैं।

आप क्या कर रहे हैं,आपका कर्म कैसा है,उसी के अनुरूप परमात्मा आपको देखते हैं। प्रसंगवश महाराज जी ने कहा कि गलत तरीके से कमाया गया धन राक्षस बन जाता है, जो आगे नाश ही करता है। सुंदर घर, सुंदर वस्त्र, सुंदर वचन, अच्छा भोजन, यही धन का सदुपयोग है। अगर गलत तरीके से धन कमाया तो वह व्यसन,शराब,दुराचार,अपव्यय में चला जायेगा। बुरा धन निश्चित रूप से आपका बुरा ही करेगा। जब हमारे पाप इकट्ठे हो जाते हैं तो वह पाप हमारा दुश्मन बन जाता है। कर्म का फल इस धरती पर सबको भोगना पड़ता है। परमात्मा की दुनिया में जो कुछ सुंदर है, वह कई जन्मों के पुण्य का फल है।

इस अवसर पर मुख्य रूप सें भरत सिंह, जितेन्द्र कुमार सिंह, शैलेन्द्र सेंगर, पंडित रामप्रकाश मिश्रा आदि थे।

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अयोध्या, 25 नवंबर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के “प्रतिष्ठा द्वादशी” के नाम से जाना जाएगा और पहली वर्षगांठ पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह उत्सव तीन दिन का होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक सोमवार को मणिराम दास छावनी में सम्पन्न हुई।

बैठक चार ट्रस्टी उपस्थित नहीं हो पाए और भारत सरकार में विशेष सचिव आईएएस प्रकाश लोखंडे ऑनलाइन सम्मिलित हुए। बैठक में ही प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ के सिलसिले में यह तय हुआ है कि इसे प्रतिष्ठा द्वादशी के नाम से जाना जाएगा और पहली वर्षगांठ द्वादशी 11 जनवरी को है।

बैठक को अध्यक्षता ट्रस्ट अध्यक्ष एवं मणिराम छावनी मंहत नृत्य गोपाल दास महाराज ने किया। बैठक के बाद में ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि भक्तों द्वारा समर्पित 940 किलो चांदी सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिन्टिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया को मेल्ट करने के लिए सौंपी गई। जिसकी गुणवत्ता उच्चतम क्वालिटी की थी, 71 नमूनों में से 64 की गुणवत्ता 90 से 98 फ़ीसदी पाई गई।

उन्होंने बताया कि अर्चक प्रशिक्षण 6 माह तक कराने के बाद उनका प्रमाण पत्र दिया गया था। उन अर्चकों की नियुक्ति नियमावली बैठक में स्वीकारी गई। जिन्हें नियमावली स्वीकार होगी। उन्हें सेवा में लिया जाएगा। समस्त आर्चकों को 18 मंदिरों में चक्रीय क्रम से जाना होगा।

अशौच की दशा में अर्चक स्वविवेक से कार्य से विरत रहेंगे। जिस प्रकार जन्माष्टमी पर्व हिंदी तिथि एवं पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। उसी तरह पौष शुक्ल (कुर्म द्वादशी) को संतों का विचार है कि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाए। वर्ष 2025 में यह तिथि 11 जनवरी को होगी। इसके अलावा दूरदर्शन 18 मंदिरों की आरती के उत्तम प्रसारण की व्यवस्था स्थायी रूप से कर रहा है।

परिसर में यात्री सेवा केंद्र के निकट 3000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली द्वारा हेल्थ केयर सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिसमें अल्ट्रासाउंड आदि सुविधाएं भी रहेंगी। उन्होंने बताया कि परिसर के दक्षिणी कोने में 500 लोगों के बैठने के लिए प्रेक्षागृह अतिथि समागृह तथा ट्रस्ट का कार्यालय निर्माण के लिए महंत नृत्य गोपाल दास जी ने पत्थर का अनावरण कर शुभारंभ किया।गर्मी और वर्षा से यात्रियों को बचाने हेतु मंदिर तक अस्थायी जर्मन हैंगर लगाए गए थे।

यहां 9 मीटर चौड़े और लगभग 600 मीटर लंबे स्थाई शेड का निर्माण होगा। जिसका कुछ हिस्सा राजकीय निर्माण निगम उत्तर प्रदेश तथा कुछ हिस्सा एलएनटी को दिया गया है। महामंत्री चंपत राय ने बताया कि निर्माण प्रगति में क्रमशः सप्त मंडल मंदिर मार्च तक शेषावतार मंदिर अगस्त तक और परकोटा अक्टूबर तक बनकर पूर्ण होगा।

उन्होंने रामानंदी परंपरा के श्रेष्ठतम संत नृत्य गोपाल दास जी के स्वास्थ्य के विषय में सोच समझ कर लिखने व बोलने की सलाह दी। पत्रकार वार्ता में ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र तथा मंदिर की व्यवस्था देख रहे गोपाल राव भी उपस्थित रहे।

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Chhapra: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा, सोन, घाघरा और गंडक नदियों समेत विभिन स्थलों पर पवित्र स्नान किया. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नदियों में स्नान को लेकर लोग रात भर घाटों पर जमे रहे. सोनपुर, रिविलगंज, मांझी, डोरीगंज आदि घाटों पर स्नान के लिए विशेष व्यवस्था की गयी थी. 

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Chhapra: छठ महापर्व की लोकप्रियता आज देश-विदेश तक देखने को मिलती है। छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में एक होता है, इसमें पूरे चार दिनों तक व्रत के नियमों का पालन करना पड़ता है।  और व्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। छठ पूजा में नहाय खाय, खरना,अस्ताचलगामी अर्घ्य और उदयगामी अर्घ्य का विशेष महत्व होता है। आस्था के महापर्व छठ की आज से शुरूआत हो रही है।  

छठ पर्व का विवरण

1) पहला दिन- नहाय खाय, 05 नवंबर 2024 मंगलवार

2) दूसरा दिन- खरना, 06 नवंबर 2024, बुधवार

3) तीसरा दिन- अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, 07 नवंबर 2024, गुरुवार, संध्या अर्घ्य- 05.27 मिनट से पहले

4) आखिरी दिन व चौथे दिन उदयगामी सूर्य को अर्घ्य, 08 अक्टूबर 2024, शुक्रवार, प्रातः अर्घ्य 06.34 मिनट पर

कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्नानादि से निवृत होने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है। इसे नहाय खाय भी कहा जाता है। इस दिन कद्दू भात का प्रसाद खाया जाता है।

कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन संध्या में खरना होता है। खरना में खीर और बिना नमक की पूरी आदि को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। खरना के बाद निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भी व्रती उपवास रहती है और शाम नें किसी नदी, तालाब, पोखर में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य एक बांस के सूप, कोनिया में फल, ठेकुआ प्रसाद, ईख, नारियल आदि को रखकर दिया जाता है।

कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सवेरे को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इस दिन छठ व्रत संपन्न हो जाता है और व्रती व्रत का पारण करती हैं।

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-मंदिर की भव्य सजावट, सैन्य बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच बाबा केदार के जयघोष से गूंजा धाम

-बाबा की डोली पहले पड़ाव को प्रस्थान, छह माह शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन

देहरादून, 03 नवम्बर (हि. स.)। विश्व प्रसिद्ध और ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज के पावन पर्व पर रविवार प्रात: साढ़े आठ बजे विधि-विधान और धार्मिक परंपरा के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस दौरान सेना के भक्तिमय धुनों के साथ श्रद्धालुओं के ‘जय बाबा केदार’ के उद्घोष से पूरा धाम गूंज उठा। 15 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। अब आने वाले छह महीने तक भक्तगण बाबा केदार के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन कर सकेंगे।

रविवार प्रातः पांच बजे से बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में कपाट बंद किए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। बीकेटीसी के आचार्य, वेदपाठियों, पुजारीगणों ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा की। स्वयंभू शिवलिंग को भस्म, स्थानीय पुष्पों, बेलपत्र आदि से समाधि रूप दिया गया। प्रातः 08:30 बजे बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया गया और केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इस विशेष अवसर के लिए दीपावली के दिन से ही फूलों से मंदिर की साज-सज्जा की जा रही थी।

कपाट बंद होने के साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान कर गई। हजारों श्रद्धालु बाबा की पंचमुखी डोली के साथ पैदल रवाना हुए। श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह भंडारे आयोजित किये गये थे। आज केदारनाथ में मौसम साफ रहा। आसपास बर्फ होने से सर्द हवा भी चलती रही लेकिन श्रद्धालुओं में भारी उत्साह रहा।

यात्राकाल में रिकार्ड साढ़े 16 लाख से अधिक तीर्थ यात्री पहुंचे

कपाट बंद होने के अवसर पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि इस यात्राकाल में रिकार्ड साढ़े 16 लाख से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से आज भव्य व दिव्य केदारपुरी का पुनर्निर्माण हो रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी के मार्गदर्शन में केदारनाथ धाम यात्रा का सफल संचालन हुआ। उन्होंने सफल यात्रा संचालन के लिए बीकेटीसी के कर्मचारियों, पुलिस-प्रशासन, यात्रा व्यवस्था से जुड़े विभिन्न विभाग, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी आदि का आभार जताया।

5 नवंबर ऊखीमठ पहुंचेगी पंचमुखी डोली

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि बाबा केदार की पंचमुखी डोली आज रामपुर में रात्रि प्रवास करेगी। 04 नवंबर सोमवार को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी रात्रि प्रवास कर 05 नवंबर मंगलवार को शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी। शीतकाल में बाबा केदार की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में ही होगी।

कपाट बंद होने के अवसर पर स्वामी संबिदानंद महाराज, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ. सौरव गहरवार, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, केदारनाथ विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, भास्कर डिमरी, प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग, धर्माचार्य ओंकार शुक्ला, तीर्थ पुरोहितों की संस्था केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला, वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, डोली प्रभारी प्रदीप सेमवाल, ललित त्रिवेदी, देवानंद गैरोला, अरविंद शुक्ला, कुलदीप धर्म्वाण, उमेश पोस्ती, प्रकाश जमलोकी, रविंद्र भट्ट आदि मौजूद रहे।

चारधाम यात्रा समापन की ओर

इस यात्रा वर्ष की उत्तराखंड चारधाम यात्रा समापन की ओर है। धामों में मौसम सर्द हो गया है। बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद हो रहे हैं। गंगोत्री धाम के कपाट बीते शनिवार 02 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं। केदारनाथ धाम के कपाट आज भैयादूज 03 नवंबर को प्रात: बंद हुए और यमुनोत्री धाम के कपाट आज भैयादूज के अवसर पर दोपहर को बंद हो जाएंगे। जबकि गुरुद्वारा हेमकुंट साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बीते 10 अक्टूबर को बंद हो गए। द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 20 नवंबर को बंद हो रहे हैं और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट सोमवार को बंद होंगे। चतुर्थ केदार रूद्रनाथ के कपाट 17 अक्टूबर को बंद हुए।

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भौम प्रदोष के साथ धनतेरस बड़े धूम धाम से मनाया जायेगा। धनतेरस कार्तिक माह के कृष्णपक्ष के त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस त्योहार को कई नाम से जाना जाता है। 
धनतेरस को धनवंतरी दिवस, धन्वन्तरी जयंती तथा धनतेरस के नाम से से जाना जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 29 अक्तूबर 2024 दिन मंगलवार को मनाया जायेगा

इस दिन का मान्यता यह है इस दिन भगवान धनवंतरी समुन्द्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे, जब समुंद्र का मंथन हुआ था उसमे बहुत सारे रत्न, आभूषण निकले थे उसी से माता लक्ष्मी तथा भगवान धनवंतरी हाथ में अमृत कलश लिए प्रगट हुए थे। वही अमृत लोगो को कल्याण हेतु आर्युवेद में उपयोग किया गया जिसे लोग निरोग हुए। भगवान धनवंतरी प्रगट के समय पीतल का कलश हाथ में लेकर अवतरित हुए इसलिए इस दिन लोग अपने कल्याण के लिए बर्तन की खरीदारी करते है। 

मान्यता यह भी है दिवाली की शुरूआत धनतेरस के दिन से आरंभ होता है और यह पांच दिन तक मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है। धनतेरस के दिन स्थिर लगन में धनतेरस के पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है भगवान धनवंतरी का पृथ्वी पर लोगो को निरोग तथा दीर्घायु एवं कल्याण के लिए अवतरित हुए थे।

धनतेरस मनाने का शास्त्रोक्त नियम

धनतेरस कार्तिक माह के कृष्णपक्ष के उदया व्यापिनी त्रयोदशी को मनाया जाता है। (उदयाव्यापनी) का मतलब यह होता है सूर्य का उदय त्रयोदशी में हो उसी दिन यह त्योहार मनाया जाता है। 29 अक्तूबर 2024 मंगलवार को त्रयोदशी मिल रहा है। 

धनतेरस का पूजा का शुभ मुहूर्त 

त्रयोदशी तिथि का आरंभ 28 अक्तूबर 2024 दिन सोमवार सुबह 09:10 मिनट से
त्रयोदशी तिथि का समाप्त 29 अक्तूबर 2024 दिन मंगलवार सुबह 10:49 मिनट तक

महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त
स्थिर लगन वृष संध्या 06 :11 मिनट से 08 :15 मिनट तक रहेगा 

चौघडिया मुहूर्त
लाभ : सुबह 10:09 से 11:33 सुबह
अमृत : सुबह 11:33 से 12:57 दोपहर
शुभ : दोपहर 02 :22 से 03 :46 दोपहर

धनतेरस के दिन क्या खरीदे

इस दिन पीतल धातु से बने वस्तु की खरीदारी किया जाता है।  मान्यता यह है भगवन धनवंतरी जब प्रगट हुए थे उनके हाथ में पीतल का अमृत भरे कलश था इसलिए पीतल की खरीदारी करते है। पीतल के धातु में खाना खाने तथा पानी पीने से शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाता है वयोक्ति स्वस्थ्य रहता है। 

धनतेरस के दिन क्या नहीं खरीदे

धनतेरस के दिन लोहा, टीना, स्टील, अलमुनियम का खरीदारी नहीं करे, भूलकर भी सीसा के वस्तु का खरीदारी नहीं करे।  यह राहु के कारक होता है, सीसा खरीदने से परिवार में परेशानी बढ़ जाती है। 

धनतेरस पर करे यह उपाय

धनतेरस के दिन गाय की पूजा करने से स्वस्थ्य ठीक रहता है.गाय को हिन्दू धर्म में माता का प्रतिक माना जाता है, धनतेरस के दिन गाय को रोटी खिलाएं. शमी के पेड़ का पूजन करे.इस दिन कोई पड़ोसी में बीमार हो उसको दावा खरीदकर देने से आपका तथा आपके परिवार के रोग नाश होगा.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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धनतेरस इस साल 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसी दिन से दीपावली महोत्सव की शुरुआत होती है। यह धन और स्वास्थ्य का पर्व है। इस खास दिन पर भक्त भगवान कुबेर, जो धन के देवता हैं और भगवान धन्वंतरी, जो स्वास्थ्य के देवता हैं, की पूजा करते हैं।

धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहते हैं और इसे हिंदू धर्म में धन्वंतरी जी की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन कुछ खास चीजें खरीदना शुभ माना जाता है, जो समृद्धि और भाग्य लाने में मदद करती हैं। जानिए धनतेरस 2024 पर कौन-सी चीजें खरीदने से सौभाग्य बढ़ता है।

सोना और चांदी का आभूषण
धनतेरस पर सोने या चांदी के आभूषण खरीदना एक पारंपरिक रिवाज है। इसे समृद्धि और भाग्य लाने वाला माना जाता है। आप सोने की चूड़ियां, हार या सिक्के खरीद सकते हैं।

बर्तन
नए बर्तन खरीदना, खासकर चांदी के, शुभ माना जाता है। चांदी के कटोरे, प्लेट्स या पारंपरिक कुकिंग पॉट्स खरीदना अच्छा विकल्प हो सकता है।

लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां
धनतेरस पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां खरीदना भी शुभ माना जाता है। ये समृद्धि, वैभव और बाधाओं को दूर करने का प्रतीक हैं।

कीमती धातुएं
सोने और चांदी के अलावा, आप प्लेटिनम या हाई क्वालिटी वाले सिक्के में भी निवेश कर सकते हैं, जो लंबे समय में लाभदायक हो सकते हैं।

घर के सामान
नए घरेलू उपकरण खरीदना भी शुभ माना जाता है। जैसे कि रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन या एयर कंडीशनर ये सभी उपयोगी और लाभकारी हो सकते हैं।

नई गाड़ी
अगर आप बड़े खरीदारी की योजना बना रहे हैं, तो धनतेरस पर नई गाड़ी (कार, बाइक आदि) खरीदना भाग्य और आशीर्वाद लाने वाला माना जाता है।

निवेश
स्टॉक्स, बांड्स या म्यूचुअल फंड्स में निवेश पर भी विचार कर सकते हैं। धनतेरस आपके निवेश पोर्टफोलियो को शुरू करने या बढ़ाने का सही समय है।

हेल्थ रिलेटेड प्रोडक्ट
चूंकि धनतेरस स्वास्थ्य से जुड़ा है, आप आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स, हर्बल सप्लीमेंट्स या स्वास्थ्य संबंधी वस्तुएं खरीदने पर विचार कर सकते हैं।

सजावटी सामान
जैसे सजावटी दीपक (दीये), वॉल हैंगिंग्स या पारंपरिक आर्ट आपके घर में त्योहार की रौनक बढ़ा सकते हैं।

पूजा सामग्री
धनतेरस के दिन पूजा के लिए आवश्यक सामान खरीद सकते हैं जैसे अगरबत्ती, मोमबत्तियां या सजावटी पूजा की थालियां।

धनतेरस मनाने के टिप्स
सफाई और सजावट: धनतेरस से पहले अपने घर को अच्छे से साफ करें। फूलों, रोशनी, और रंगोली से सजाएं ताकि समृद्धि का स्वागत हो सके।

पूजा: देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरी से आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करें।

दान: जरूरतमंदों को दान देने पर विचार करें, क्योंकि अपनी संपत्ति को साझा करना भी अधिक समृद्धि का आमंत्रण है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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