Chhapra: मारूती मानस मंदिर में प्रांगण आयोजित सात दिवसीय यज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को विश्व विख्यात कथा वाचक महामंडलेशवर स्वामी डाॅ इंद्रदेशवरानंद का प्रवचन सुनने छपरावासी उमड़ पड़े।
महाराज जी ने वेद, गीता तथा कृष्ण के कई प्रसंगों का उल्लेख कर बहुत ही सुंदर ढंग से अपनी बातों को काफ़ी प्रभावी तरीके से रखा।
उन्होंने कहा कि जीवन में बहुत घटनाएं होती हैं, उसको पकड़ कर बैठोगे तो आगे नहीं बढ़ोगे। ईर्ष्या, घृणा, द्वेष आदि से आदमी को बचना चाहिए। कभी भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। परमात्मा के नेत्रों से कोई नहीं बच सकता। हम लोग कभी-कभी चश्मा लगाकर भी सही अक्षर नहीं पहचान पाते लेकिन परमात्मा हर अक्षर पर नजर रखते हैं।
आप क्या कर रहे हैं,आपका कर्म कैसा है,उसी के अनुरूप परमात्मा आपको देखते हैं। प्रसंगवश महाराज जी ने कहा कि गलत तरीके से कमाया गया धन राक्षस बन जाता है, जो आगे नाश ही करता है। सुंदर घर, सुंदर वस्त्र, सुंदर वचन, अच्छा भोजन, यही धन का सदुपयोग है। अगर गलत तरीके से धन कमाया तो वह व्यसन,शराब,दुराचार,अपव्यय में चला जायेगा। बुरा धन निश्चित रूप से आपका बुरा ही करेगा। जब हमारे पाप इकट्ठे हो जाते हैं तो वह पाप हमारा दुश्मन बन जाता है। कर्म का फल इस धरती पर सबको भोगना पड़ता है। परमात्मा की दुनिया में जो कुछ सुंदर है, वह कई जन्मों के पुण्य का फल है।
इस अवसर पर मुख्य रूप सें भरत सिंह, जितेन्द्र कुमार सिंह, शैलेन्द्र सेंगर, पंडित रामप्रकाश मिश्रा आदि थे।