डेंगू में कीवी, नारियल पानी, पपीता लीफ और गिलोय की बढ़ी डिमांड

Chhapra: जिले में इन दिनों डेंगू का कहर जारी है. शहर से लेकर गांव तक इसकी चपेट में आने से हाल के दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ी है. शहर के कई इलाकों में अधिसंख्य लोग डेंगू से ग्रसित है. वही ग्रामीण इलाको में भी इसका प्रभाव बढ़ा है. डेंगू से बचाव और रोकथाम को लेकर सरकार और प्रशासन भी सजग है लेकिन इसके बावजूद मरीजों की तादाद बढ़ रही है.

डेंगू को लेकर सदर अस्पताल में भी जांच और डेंगू वार्ड बनाए गए है. इसके साथ साथ कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डेंगू वार्ड संचालित है. जिसमे मरीजों को निर्धारित सुविधा दी जा रही है.

मरीजों की अधिकाधिक संख्या डेंगू के इलाज को लेकर निजी क्लीनिक पर पहुंच रहे है. लगभग सभी चिकित्सकों के यहां हाल के दस दिनों में डेंगू से ग्रसित मरीजों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है. वही चिकित्सकों द्वारा जांच के उपरांत निर्धारित सलाह के साथ दवा और आवश्यक निर्देश दिए जा रहे है.

डेंगू से ग्रसित मरीजों के लिए इन दिनों नारियल पानी जिसे हम दाब के नाम से जानते है उन्हे पीने की सलाह दी जा रही है. इसके साथ साथ गिलोय, पपीता के पत्ते का जूस, कीवी फल और बकरी के दूध का सेवन करने की सलाह दी जा रही है. जिससे की उन्हें शरीर में हो रही कमजोरी के साथ साथ प्लेटलेट्स को बढ़ाने में सहायता मिल रही है.

चिकित्सकों की सलाह के बाद बाजारों में इसकी डिमांड बढ़ गई है. नारियल पानी और कीवी फल शहर के साथ साथ गांव के भी बाजारों में उपलब्ध है जहां से आसानी से लोग इसे खरीद रहे है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में पपीता के पत्ते और बकरी का दूध आसानी से मिल जा रहा है जिससे नारियल पानी और कीवी की खरीददारी ग्रामीण क्षेत्रों में कम है. वही गिलोय के पौधें भी आसानी से मिल रहे है.

डेंगू बीमारी से ग्रसित मरीजों को दवाइयों के साथ साथ इन चीजों को देने से मरीज तुरंत ठीक हो रहे है. जिससे इसकी डिमांड और दाम दोनो में वृद्धि हुई है.

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साहेबगंज के घर घर में डेंगू मरीज़, ना फॉगिंग ना डीडीटी का छिड़काव

Chhapra: शहर के मुख्य बाजार साहेबगंज में इन दिनों डेंगू कहर बरपा रहा है. विगत एक सप्ताह से इस मुहल्ले के कुछेक घर को छोड़ लगभग सभी घरों में डेंगू से पीड़ित मरीज है. जो चिकित्सकों के यहां इलाज करवा रहे है. लगभग सभी घरों में डेंगू से पीड़ित मरीज है लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस इलाकों में साफ सफाई, फॉगिंग और डीडीटी छिड़काव ना के बराबर है.

सड़कों के बगल की नालियां खुली रहने से मच्छरों का जमघट है. ऐसे में सावधानियां बरतने के बाद भी लोग डेंगू से ग्रसित हो जा रहे है.

साहेबगंज में बढ़ते डेंगू के प्रकोप को लेकर आर्य समाज पथ में रहने वाले लोगों का कहना है कि दीपावली से अबतक इस मुहल्ले में रहने वाले लगभग सभी घरों में डेंगू ने अपना पांव जमा रखा है. कुछेक घर को छोड़ दें तो लगभग सभी घरों में एक के बाद एक लोग डेंगू से ग्रसित है. बुखार के लक्षण आने के बाद जांच में यह तय हो जा रहा है की मरीज डेंगू से ग्रसित है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि डेंगू ने इस मुहल्ले में अपना पांव जमा लिया है. लेकिन नगर निगम प्रशासन द्वारा ना ही इस मुहल्ले में लगातार फॉगिंग कराई जा रही है और ना ही डीडीटी का छिड़काव या साफ सफाई का छिड़काव किया जा रहा है. स्थानीय लोग बुखार आने के बाद निजी क्लिनिक या चिकित्सकों से अपना इलाज करा रहे है.

लोगों का कहना है कि आर्य समाज पथ के लगभग सभी घरों में डेंगू के मरीज़ है. कई इलाज के बाद ठीक हो चुके है तो कई इलाजरत है. सदर अस्पताल के सिविल सर्जन भी इसी मुहल्ले से तालुकात रखते है. लेकिन उनके द्वारा भी कोई ठोस पहल नहीं की गई. लिहाज़ा स्थानीय लोग और मरीज खुद ही चिकत्सकों की सलाह का पालन करते हुए उनकी दवा और निर्देश पर इलाजरत है.

बहरहाल विगत एक सप्ताह से अधिक समय से इन मुहल्लों के साथ साथ ऐसे कई मुहल्ले है जहां डेंगू ने अपना पांव जमा रखा है लेकिन प्रशासन द्वारा ना साफ सफाई, डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा है ना फॉगिंग ही कराई जा रही है. ऐसे में लोगों को स्वयं सचेत होकर साफ सफाई और मच्छरदानी का प्रयोग करना और बुखार आने पर चिकित्सक से संपर्क कर उनके निर्देशों का पालन करना ही सूझबूझ है.

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बनियापुर : बनियापुर प्रखंड के कराह गाव में परम्परगत हर्षोल्लास के साथ छठ संम्पन हुआ.इस अवसर पर पारम्परिक धर्मिक आस्था के सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्वक्षता का संदेश के रूप में गंगा महाआरती का हुआ. आयोजन 14 वर्षो से लगातार कार्यक्रम के निरन्तरता के लिये प्रबुद्ध लोगो ने ईस आयोजन को एतिहासिक एवं समाज को दिशा देने वाला बताया.

बनियापुर प्रखंड क्षेत्र के हरपुर कराह छठ घाट लगातार 14 वर्षो से छठ पूजा में विशेष आयोजन के लिये चर्चित रहा है. गंडकी नदी घाट पर विशेष गंगा महाआरती का आयोजन हुआ. जिसमे बनारस से ब्राह्मणों ने गंगा पूजन व महाआरती की. इस दौरान छठ व्रतियों के अलावा काफी लोगो की भीड़ ने महाआरती में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ. इस संबंध में संयोजक राकेश निकुम्भ ने कहा कि छठ पूजा में सूर्य और गंगा की काफी महता है और ये दोनों ही साक्षात है. यह काफी महत्वपूर्ण है कि सूर्य पूजा के साथ ही गंगा पूजन और आरती से स्थानीय लोगो मे और आस्था जागृत होगी, और लोग जब ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसे अपने जीवन मे उतारने लगेंगे, तो वह दिन दूर नही जब गंगा वाकई में स्वच्छ और निर्मल होगी. ग्रामीण क्षेत्र में गंगा आरती करना और लोगो को गंगा के प्रति जागरूक करना सबसे बड़ा कार्य है. गंगा का पानी नदी तालाबों से होकर गुजरता है. जब ग्रामीण क्षेत्रों से लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे. तभी देश स्तर पर होने वाली स्वच्छता को बल मिलेगा. कार्यक्रम में पूजा समिति के धूप नारायण सिंह, विनोद सिंह, सूरज कुमार, नरसिंह सिंह, गोल्डन ब्रदर्स के सोनू, बिपुल, प्रणव, आदि लोग मौजूद रहे.

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पटना:  बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश के करीब 30 करोड़ की आबादी के श्रद्धा और स्वच्छता के महापर्व छठ का सोमवार सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया ।

बिहार में गंगा घाट सहित कोसी गंडक बागमती और छोटी नदियों पर आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री आवास में अपने परिवार के निकटतम सदस्यों के साथ उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।

पटना के दीघा घाट के आसपास रहने वाली महिला व्रती पैदल ही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नदी के तट पर पहुंची। इस दौरान वे छठी माई की गीत गा रही थीं। गंगा तट पर पहुंचने पर सबसे पहले व्रतियों ने आम की दातुन से मुंह धोया। उसके बाद नदी के पानी में स्नान करने का सिलसिला शुरू हुआ। स्नान करने के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर को जल अर्पित किया।

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अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य देने के साथ तीसरे दिन का अनुष्ठान संपन्न

Chhapra: आस्था का महापर्व छठ के चारदिवासीय अनुष्ठान के तीसरे दिन वर्तियों ने नदी में खड़े होकर अर्घ्य दिया. रविवार को संध्या समय में अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को वर्तियों ने अर्घ्य देकर तीसरे दिन का अनुष्ठान पूरा किया.

अर्घ्य को लेकर व्रतियों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे. महापर्व छठ पर शहर से लेकर गांव तक नदी घाट, तालाब पोखर और जलाशयों में लोगों की भारी भीड़ जुटी थी. इसके अलावा लोगों ने अपने घर की छतों पर भी कृत्रिम जलाशयों का निर्माण कर भगवान को अर्घ्य दिया.

छठ महापर्व पर सारण जिले के सोनपुर से लेकर शीतलपुर, दिघवारा, डोरीगंज, छपरा के शहरी इलाकों के साथ साथ रिवीलगंज और मांझी, मकेर, पानापुर, तरैया के नदी घाट पर अर्घ्य देने के लिए व्रती जुटे थे.

शहर से सटे तेलपा, रोजा, रावल टोला, सीढ़ी घाट, सोनार पट्टी, दहियांवा, गुदरी, दौलतगंज के नदी किनारे व्रतियों की भारी भीड़ जुटी थी.

व्रतियों ने नदी में खड़े होकर भगवान अस्ताचलगामी को अर्घ्य दिया. अर्घ्य देने के साथ ही तीसरे दिन का अनुष्ठान संपन्न हो गया. इसके बाद सोमवार को व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य देगे.

महापर्व छठ में शामिल होने के लिए लोग दूर दूर से अपने घर आते है. पूरे वर्ष में एक बार ही सही लेकिन छठ में अपने घर आना लोग नही भूलते है. परिवार के लोगों को आपस में जोड़ने का भी छठ एक सशक्त माध्यम है. जिसमे सभी मिल जुलकर इस पर्व का आनंद उठाते है.

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छठ पर्व को पूरी तरह प्रकृति संरक्षण की पूजा माने तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस पर्व में लोग प्रकृति के करीब तो पहुंचते ही हैं उसमे देवत्व स्थापित करते हुए उसे सुरक्षित रखने की कोशिश भी करते हैं। वैसे देखा जाए तो भारतीय संस्कृति में कोई भी ऐसा पर्व नही है जिसका प्रकृति से सरोकार न हो।

दीपावली के छठे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल को षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ महापर्व में पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है। मुख्यतः यह त्योहार सूर्य पूजा, उषा पूजा, जल पूजा को जीवन में विशेष स्थान देते हुए पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी देता है। इस पर्व में सभी लोग प्रकृति के सामने नतमस्तक होते हैं। अपनी अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रहे होते हैं।

यह पर्व इस संसार में अपनी तरह का अकेला ऐसा महापर्व है जिसमे धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक आयाम की सबसे ज्यादा प्रबलता है। सूर्य इस त्योहार का केंद्र है। भारतीय समाज में भगवान भास्कर का स्थान अप्रतिम है। समस्त वेद, स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों में भगवान सूर्य की महिमा का विस्तार से वर्णन है। सूर्य जीव जगत के आधार है। सूर्य के बिना कोई भी भोग – उपभोग संभव नही है। अतः सूर्य के प्रति आभार प्रदर्शन के लिए छठ व्रत मनाया जाता है। ऐसा लोगो का मानना है कि सूर्य उन क्षेत्रों के सबसे उपयोगी देव हैं जहां पानी की उपलब्धता ज्यादा है। जब सूर्य समाधि में व्यक्ति स्वयं निर्जल होकर भास्कर को जल समर्पित करता है तो प्रकृति और व्यक्ति के अतुल्य समर्पण के दर्शन होते हैं। व्यक्ति के प्रकृति को स्वयं से उपर रखने के दर्शन होते हैं।

हमारी सूर्य केंद्रित संस्कृति कहती है कि वही उगेगा जो डूबेगा। जैसे सूर्य अस्त होता है वैसे ही फिर उदय होता है। अगर एक सभ्यता समाप्त होती है तो दुसरी जन्म लेती है। जो मरता है वह फिर जन्म लेता है। जो डूबता है वह फिर उबरता है। जो ढलता है वह फिर खिलता भी है। यही चक्र छठ है। यही प्राकृतिक सिद्धांत छठ का मूल मंत्र है। अतः छठ में पहले डूबते और फिर अगले दिन उगते सूर्य की पूजा स्वाभाविक है। व्रत करने वाला आभार जताने घर से निकल कर किसी तालाब, नदी, पोखरा पर जाता है और अरग्य देता है। इसका अर्थ होता है हे सूर्य आपने जल दिया है उसके लिए आभार लेकिन आप अपने ताप का आशीर्वाद भी हम पर बना कर रखें।

प्रकृति से प्रेम, सूर्य और जल की महत्ता का प्रतिक छठ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपा पोती किया जाता है । वैज्ञानिकों के अनुसार, गाय के गोबर में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी-12 पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। घर द्वार से लेकर हर मार्ग और नदी, पोखरा, तालाब, कुआं तक की सफाई से जल, वायु और मिट्टी शुद्ध होता है जो पर्यावरण को संरक्षित करता है। इस पर्व पर प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाला केला, दीया, सुथनी, आंवला, बांस का सूप, डलिया किसी न किसी रूप में हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। यह पर्व पूरी तरह से वैज्ञानिक महत्व एवं प्रदूषणमुक्त हैं।

प्रकृति का हनन रोकना भी छठ है। गंदगी, काम, क्रोध, लोभ को त्यागना छठ है। सुख सुविधा को त्याग कर कष्ट को पहचानने का नाम छठ है। शारीरिक और मानसिक संघर्ष का नाम छठ है। छठ सिर्फ प्रकृति की पूजा नही है। वह व्यक्ति की भी पूजा है। व्यक्ति प्रकृति की ही तो अंग है। छठ प्रकृति के हर उस अंग की उपासना है जिसमे कुछ गुजरने की, कभी निराश न होने की, कभी हार न मानने की, डूबकर फिर खिलने की, गिरकर फिर उठने की हठ है। यह हठ नदियों में, बहते जल में, और किसान की खेती में है। इसलिए छठ नदियों, सूर्य एवं परंपराओं की पूजा है। छठ पर्व से सबक लेते हुए हमें अपनी संस्कृति, प्रकृति के प्रति जागरुक होना चाहिए। अपनी संस्कृति एवं प्रकृति की मर्यादाओं, श्रेष्ठताओं को कभी नही भूलना चाहिए।

(लेखक प्रशांत सिन्हा पर्यावरण मामलों के जानकार एवं समाज सेवी हैं।)

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Chhapra: छठ महापर्व को लेकर छठ घाट के साफ-सफाई और वहां व्यवस्था को लेकर पूजा समिति और जिला प्रशासन आपसी तालमेल से कार्य कर रहे हैं. छपरा शहर के अलीयर स्टैंड पर नगर निगम के द्वारा साफ सफाई कराई गई है. इसके साथ ही शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित नदी घाटों पर अलग-अलग पूजा समितियों के द्वारा घाटों का निर्माण कराया गया है. जहां आना-जाना सुलभ हो इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही प्रकाश और सुरक्षा की व्यापक इंतजाम किए गए हैं. कई पूजा समितियों के द्वारा गोताखोर और नाव की व्यवस्था भी की गई है. ताकि पर्व के दौरान होने वाली भीड़ में किसी की डूबने की संभावनाओं को टाला जा सके.

इसके साथ ही आने जाने वाले मार्ग, वाहन पार्किंग पर पूजा समितियां विशेष ध्यान दे रही हैं. ताकि व्रत को लेकर घाटों पर पहुंचने वाले लोगों के वाहन को भी सही ढंग से लगाया जा सके और जाम की समस्या उत्पन्न ना हो. पूजा समितियों के द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है कि व्रतियों को कोई परेशानी ना हो. आम लोग भी जगह-जगह साफ सफाई में जुटे हैं. हर मोहल्ले में लोग जन सहयोग से साफ सफाई में जुटे हैं. पूरा जिला छठ में हो गया है.

बाजारों में भी जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. जगह-जगह छोटी-बड़ी दुकानें सज गई है. जहां छठ पूजा से संबंधित फल और अन्य सामान बिक रहे हैं. कुल मिलाकर कोरोना के 2 सालों के काल के बाद इस बार सब लोग खुलकर त्यौहार मना रहे हैं. व्यापारियों में भी त्यौहार पर बाजार में आई रौनक से खुशी है.

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छपरा के बाजारों में मिल रहा है ड्रैगन फ्रूट, करनी है खरीददारी तो पहुंच जाइए यहां…

Chhapra: महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है रविवार को वर्तियो द्वारा पहले दिन का अर्घ्य भगवान सूर्य को दिया जाएगा. इसके लिए तैयारियां जोरो पर है. बाजारों में रौनक है और छोटे बड़े सभी दुकानों पर खरीददारों की भीड़ है.

महापर्व छठ में सभी वस्तुओं के उपयोग की प्राथमिकता रहती है. जिसमे मुख्य रूप से फलों की जरूरत होती है. अर्घ्य के कालसुप में फलों का समूह रहता है. छपरा के बाजारों में इसबार अन्य फलों के साथ ड्रैगन फ्रूट भी उपलब्ध है. शहर के नगरपालिका चौक पर लगे फल दुकानों में यह नया फल लोगों के लिए उपलब्ध है.

फल का नाम सिर्फ ड्रैगन फ्रूट है, बाकी यह देशी फल है जिसकी अब सारण जिले में भी खेती हो रही है. फल ज्यादा ही पौष्टिक एवं लाभदायक होता है.

महापर्व छठ में इस बार ड्रैगन फ्रूट भी लोगों के अर्घ्य में शामिल होगा. अगर आप भी इस फल के बारे में जानते है, अगर आपको भी इस फल को आवश्यकता हो तो आप इसे नगरपालिका चौक से खरीद सकते है.

ड्रैगन फ्रूट की कीमत आम फलों के अनुपात में दुगनी है. जिससे सभी इस फ्रूट को खरीदने में संकोच कर रहे है.

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Chhapra: छपरा जंक्शन पर लगी स्वचालित सीढी आम जनता को सुविधा देने की बजाय परेशानियों का सबब बनकर रह गई है. त्योहारों में जहां सुबह से लेकर शाम तक देश के कोने कोने से लोग अत्यधिक संख्या में ट्रेनों से घर आ रहे है, ऐसे में यह स्वचालित सीढी कभी चलती है तो कभी बंद रहती है. स्वचालित सीढ़ी के लगातार ना चलने का कोई ठोस कारण नहीं है. यह विभागीय बाबुओं के ऊपर निर्भर है जिनके द्वारा जब मन किया इसे चला दिया जाता है और जब मन किया तब बंद कर दिया जाता है, ना उन्हें यात्रियों की सुविधा की चिंता है ना उनकी बढ़ रही समस्याओं की.

स्वचालित सीढ़ी के बारे में स्थानीय फेरी वालों एवं कुली ने बताया कि चलता है बंद रहता है कोई समय नहीं है. बाबू लोग बताते है कि बिजली की समस्या है जिसके कारण यह नही चल पाता.

वही रात्रि में शहीद एक्सप्रेस से छठ में अपने घर आ रहे यात्रियों से बात चीत की गई तो उन्होंने बताया कि पर्व है वर्ष में एक बार घर आते है. स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ी का बोर्ड देखकर अच्छा लगा. सामान ज्यादा था तो सभी उसी तरफ बढ़ गए लेकिन आगे जाने पर देखा की सीढ़ी बंद है. ऐसे में सामानों को बड़ी परेशानी से उठाकर कर नीचे जा पाए. परिवार के सभी सदस्यों को सामान ढोना पड़ा. विभाग को कम से कम त्योहार के समय इसे सुचारू रखना चाहिए जिससे कि यह सुविधा दें वर्ना सो पीस बनाने से क्या फायदा.

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Chhapra: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान का आज दूसरा दिन है. आज व्रती खरना करेंगी. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा.

महापर्व छठ को लेकर पूरा वातावरण छठ में हो गया है. बाजारों में जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. छठ पूजा से जुड़े सामानों की दुकान जगह-जगह सज गए हैं. स्थाई दुकानों के साथ-साथ कुछ अस्थाई दुकान भी सजे हुए हैं. जहां लगातार पहुंचकर लोग छठ पूजा के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं.

छपरा शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के अपने घर आना जारी है. रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर काफी भीड़ देखने को मिल रही है. दूर प्रदेश और विदेश में रहने वाले लोग अपने घर लौट रहे हैं. छठ पूजा को लेकर सभी में उत्साह देखने को मिल रहा है.

दूसरी ओर घाटों के निर्माण में जुटी समितियां अब उसे अंतिम रूप देने के लिए लगी है. वहीं जिला प्रशासन सुरक्षा के तमाम उपायों के मद्देनजर कार्य कर रहा है. पुलिस प्रशासन भी सतर्क है और दंडाधिकारी समेत पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति भी जगह-जगह की गई है.

कुल मिलाकर छठ मय वातावरण से सभी उत्साहित हैं. महापर्व छठ बिहार का सबसे बड़ा त्यौहार है. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. छठ पूजा को लेकर साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. इसे लेकर भी स्थानीय लोगों और सरकारी एजेंसियों के द्वारा कार्य किया जा रहा है. अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को रविवार को अर्घ्य दिया जाएगा. जिसके बाद सोमवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ अनुष्ठान संपन्न हो जायेगा.

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Chhapra: नगर थाना क्षेत्र के सोनारपट्टी में बुधवार की रात कनक मंदिर नामक आभूषण दुकान से चोरों ने करीब चार लाख रुपये के आभूषण व एक लाख रुपये नकद की चोरी की घटना को अंजाम दिया है. पीड़ित दुकानदार राजन प्रसाद ने बताया कि गुरुवार की सुबह जब उसने अपनी दुकानें खोली तो कई सामान बिखरे हुए थे. वहीं दुकान में गैस कटर का इस्तेमाल कर तिजोरी काटने का भी असफल कोशिश की गयी है.

चोरों ने काउंटर में रखे कैश व गहने चुरा लिये. पीड़ित दुकानदार ने बताया कि चोर दुकान की बिल्डिंग की छत से होकर दुकान में प्रवेश कर गये और चोरी की घटना को अंजाम देने के बाद दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे के डीवीआर को भी अपने साथ लेकर चले गये है. चोरी की घटना के बाद दुकानदार ने नगर थाने की पुलिस को इसकी सूचना दी. जिसके बाद पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंच कर पूरी घटना का जायजा लिया. अभी तक इस घटना में प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है.

हालांकि पीड़ित दुकानदार ने पुलिस के समक्ष अपना बयान दिया है. वहीं पुलिस को घटना के संदर्भ में आवेदन भी दिया है. पुलिस सभी बिंदुओं की जांच कर रही है. वहीं चोरी की इस घटना के बाद सोनारपट्टी के अन्य दुकानदारों में भी दहशत व्याप्त है.

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Chhapra : तीन नवंबर से पीजी फर्स्ट सेमेस्टर सत्र 2020-22 का परीक्षा फार्म ऑनलाइन मोड में भरा जायेगा. एक नवंबर तक कॉलेजों में छठ को लेकर अवकाश है. ऐसे में कॉलेज खुलते ही फार्म भरने से संबंधित गतिविधियां शुरू हो जायेंगी. विदित हो कि इस परीक्षा में छपरा, सीवान व गोपालगंज के पीजी कॉलेजों तथा जेपीयू के 17 पीजी विभागों में नामांकित छात्र-छात्राएं शामिल होंगे. परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तिथि आठ नवंबर तक निर्धारित है. वहीं प्रथम सेमेस्टर के लिए सैद्धांतिक विषयों के लिए सात सौ रुपये, वहीं सैद्धांतिक व प्रायोगिक विषयों के लिए नौ सौ रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है.

परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि परीक्षा शुल्क ऑनलाइन जमा करना है. वहीं फार्म ऑनलाइन भरने के बाद उसकी एक प्रति डाउनलोड कर उसके साथ स्नातक उत्तीर्ण परीक्षा का अंक पत्र, प्रवेश पत्र, पंजीयन प्रमाणपत्र आदि कागजात को संलग्न कराकर विभागों में सत्यापित कराना होगा. जिसके बाद फार्म स्वीकार किया जायेगा.

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