Chhapra: विजयादशमी के पावन अवसर पर छपरा के राजेन्द्र स्टेडियम में भव्य रावण वध कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हजारों की संख्या में जुटी जनता ने बुराई पर अच्छाई की विजय के इस पर्व का उत्साहपूर्वक आनंद लिया।

शाम होते ही जब रावण के पुतले में अग्नि दी गई तो पूरा मैदान जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद आकर्षक एवं इको-फ्रेंडली आतिशबाजी ने लोगों का मन मोह लिया। अहमदाबाद से आई विशेष टीम ने आधुनिक तकनीक से आतिशबाजी का प्रदर्शन किया, जिसमें रंग-बिरंगी रोशनी से आकाश जगमगा उठा।

यह नजारा देखने के लिए शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।

आयोजकों ने बताया कि इस बार का रावण वध कार्यक्रम खास तौर पर पर्यावरण को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया था। आतिशबाजी में प्रदूषण को कम करने वाले नए प्रयोग किए गए।

कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रही। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, वहीं भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त बल की तैनाती की गई।

विजयादशमी के इस भव्य आयोजन ने लोगों के बीच भाईचारे और सद्भाव का संदेश देते हुए, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत की परंपरा को एक बार फिर जीवंत कर दिया।

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Chhapra: सारण जिले के जलालपुर प्रखंड के फुटानी बाजार का पंडाल इस बार अपनी अनोखी डिजाइन को लेकर चर्चा में है। यहां दुर्गा पूजा समिति ने विशाल ऑक्टोपस की आकृति पर आधारित पंडाल बनाया है, जो श्रद्धालुओं और दर्शकों दोनों को आकर्षित कर रहा है।

पंडाल का पूरा ढांचा ऑक्टोपस के आकार में तैयार किया गया है। इसके आठ लंबे हाथ बाहर की ओर फैले हुए हैं, जिन पर रंगीन लाइटिंग की गई है। पंडाल का प्रवेश द्वार ऐसा बनाया गया है मानो श्रद्धालु ऑक्टोपस के मुख से होकर भीतर प्रवेश कर रहे हों। अंदर भव्य मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान है, जिसे देखने के लिए भक्तों की लंबी कतार लग रही है।

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रात्रि में पंडाल का नजारा और भी अद्भुत हो जाता है। हाथों पर लगी रंगीन रोशनी और बीच–बीच में चलने वाले लेजर शो इसे किसी समुद्री जीव विज्ञान प्रदर्शनी जैसा बना देते हैं। बच्चे और युवा इस पंडाल को खासा पसंद कर रहे हैं और इसे सेल्फी प्वाइंट बना चुके हैं।

आयोजकों ने बताया कि इस पंडाल का मकसद श्रद्धालुओं को अनोखा अनुभव देना है। पहली बार इस इलाके में ऐसा पंडाल बना है जो पूरी तरह समुद्री जीव की आकृति पर आधारित है।

फुटानी बाजार का यह पंडाल अब केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि कला, सृजनशीलता और तकनीक का अनोखा संगम बन चुका है। विगत कुछ वर्षों में इस पूजा समिति के द्वारा बनाए गए पंडालों ने खूब सुर्खियां बटोरीं हैं। 

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Chhapra: छपरा शहर का नेहरू चौक इस बार नवरात्र में खासा आकर्षण का केंद्र बना है। यहां पूजा समिति ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर पंडाल का निर्माण कराया है। श्रद्धालु यहां पहुंचकर ऐसा अनुभव कर रहे हैं मानो वे सचमुच हिमालय की गोद में विराजमान भगवान शिव की नगरी में पहुंच गए हों।

पंडाल के बाहरी हिस्से को पत्थरों जैसी संरचना से सजाया गया है, जबकि प्रवेश द्वार पर लकड़ी और फाइबर का इस्तेमाल कर मंदिर की हूबहू प्रतिकृति तैयार की गई है। चारों ओर पर्वतीय दृश्यों को दर्शाने वाली पेंटिंग और सजावट की गई है।

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अंदर भव्य मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान है। रोशनी की विशेष व्यवस्था की गई है जिससे पंडाल का हर कोना आध्यात्मिक आभा से भरा नजर आता है। रात्रि में लाइटिंग इफेक्ट से पूरा पंडाल किसी धार्मिक तीर्थ जैसा अनुभव कराता है।

भक्तों ने बताया कि इस पंडाल को देखकर उन्हें उत्तराखंड के केदारनाथ धाम की याद ताजा हो जाती है। यहां आकर वे केवल मां दुर्गा के दर्शन ही नहीं, बल्कि हिमालयी आध्यात्मिकता का अनुभव भी कर रहे हैं।

पूजा समिति के सदस्यों का कहना है कि इस थीम का उद्देश्य श्रद्धालुओं को धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना है। भीड़–भाड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल और स्वयंसेवक लगातार तैनात हैं।

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Chhapra: बनियापुर का दुर्गा पूजा पंडाल इस बार श्रद्धालुओं और दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां “ऑपरेशन सिंदूर” की थीम पर तैयार पंडाल देश के सैनिकों के शौर्य और बलिदान को समर्पित है। आयोजकों ने बताया कि इस थीम का उद्देश्य देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करना और युवाओं को सेना के प्रति प्रेरित करना है।


पंडाल में प्रवेश करते ही चारों ओर युद्धभूमि का दृश्य दिखाई देता है। मिट्टी, लकड़ी और थर्माकोल से बने मॉडलों के जरिए सेना की कार्रवाई, रणभूमि और सैनिकों की वीरता को जीवंत कर दिया गया है। पंडाल के बीचोबीच स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा को शक्ति और साहस का प्रतीक बताकर सैनिकों से जोड़ा गया है।

रात्रि में रंगीन लाइट और साउंड इफेक्ट इस पंडाल की खूबसूरती और भी बढ़ा देते हैं। कई जगहों पर देशभक्ति गीत बजाए जाते हैं, जिससे वातावरण भावुक और प्रेरणादायी हो उठता है। श्रद्धालु यहां आकर केवल पूजा–अर्चना ही नहीं कर रहे, बल्कि भारत माता के वीर सपूतों के योगदान को भी याद कर रहे हैं।

आयोजक समिति का कहना है कि यह पंडाल नवरात्र के अवसर पर श्रद्धा और देशप्रेम का संगम प्रस्तुत करता है। यहां उमड़ रही भीड़ इस बात का प्रमाण है कि लोग न केवल मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं, बल्कि देश की रक्षा में लगे जवानों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं।

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Chhapra: अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थानीय इकाई लायंस क्लब ऑफ छपरा सारण द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर लायंस क्लब ऑफ छपरा सारण, रघुशांति एवं लियो क्लब ऑफ छपरा सारण संयुक्त रूप से शिक्षक के पी श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, जगदम कॉलेज, विजय कुमार सिन्हा, रिटायर्ड अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग, जे पी यूनिवर्सिटी, डॉ सुभाष कुमार गुप्ता, प्रिंसिपल, उच्च माध्यमिक विद्यालय, मरहा, श्वेता रानी, प्रिंसिपल, उच्च माध्यमिक विद्यालय, दिलिया रहीमपुर एवं रवि भूषण हसमुख, एस डी एस सीनियर सेकेंडरी के शिक्षकों को साल, मोमेंटो एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

साथ में क्लब के शिक्षक लायन मनोज वर्मा संकल्प, विक्की आनंद, चंदन कुमार, मनीष सिन्हा, ए के श्रीवास्तव, साकेत श्रीवास्तव, धर्मनाथ पिंटू, सौरभ कुमार, अभिजीत सिंह, राजेश्वर प्रसाद, धनंजय कुमार, वैजेनती देवी, डॉ शर्मीला राय, सीमा कुमारी एवं रत्ना कुमारी, सुशीला सिंह, अनीता द्विवेदी, छोटू कुमार, बबलू कुशवाहा, सूरज कुमार, रौशन कुमार, रविकांत सिंह, पिंकु कुमार एवं सुल्ताना प्रवीण को भी क्लब द्वारा साल, मोमेंटो एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से पी डी जी लायन डॉ एस के पांडेय, अध्यक्ष लायन संजय कुमार आर्या, सचिव लायन डॉ नागेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष लायन डॉ ओ पी गुप्ता, गणेश पाठक, अर्चना श्रीवास्तव, सीमा पांडेय, साकेत, प्रमोद मिश्रा, जगदीश शर्मा, सत्यनारायण प्रसाद, अमितेश रंजन, वासुदेव गुप्ता, रणधीर कु, अमर कु रजनीश कु सहित क्लब के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।

मंच संचालन लायन डॉ नागेंद्र कुमार एवं मनोज वर्मा संकल्प संयुक्त रूप से किए। यह जानकारी जनसंपर्क पदाधिकारी लायन गणेश पाठक ने दी।

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Chhapra: लायंस क्लब ऑफ छपरा सिटी के द्वारा शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर शिक्षक सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें शिक्षक एवम् धर्म गुरुओं को गुलाब ओर ( पेन ) कलम मिठाईयां अंग वस्त्र इत्यादि से सम्मानित किया गया।

लायन क्लब ऑफ छपरा सिटी के सेक्रेटरी कार्यक्रम संयोजक लायन सुमित कुमार ने कहा गुरु का सामान भारत की संस्कृति है। गुरु के बिना उज्वल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती। गुरु ही है जो बीज की तरह सींच कर विद्यार्थी को अच्छा भविष्य सुनहरा जीवन अपने हक और समाज में समान पूर्वक जीने का शिक्षा एवं प्रेरणा प्रदान करता है। जो हर व्यक्ति के जीवन को सफल बनाते है।

साथ ही छपरा के धर्म प्रचारक अरुण पुरोहित ने समाज के शिक्षकों के योगदान की सराहना की एक्ट्रेस वैष्णवीने शिक्षकों के समर्पण की काफी प्रशंसा की। साथ ही शिक्षक एन के चौधरी ने कहा शिक्षा के साथ साथ संस्कार और नैतिकता का होना अनिवार्य है ज्ञान तभी सार्थक होता है जब उसमें अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्य जुड़े हो। लायन डॉ राजेश डाबर ने मंच संचालित कर सभी को प्रोत्साहित किया।

विश्व हिंदू परिषद के अजय सिंह, कृष्ण कुमार वैष्णवी, शिक्षक समाज सेवी लायन धर्मनाथ पिंटू एवम् अन्य शिक्षकों को सम्मानित किया गया।  लायन प्रवीन ओबेरॉय ने धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

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बिहार सरकार के द्वारा ‘मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परम्परा योजना’ की शुरुआत

Chhapra: बिहार सरकार के द्वारा ‘मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परम्परा योजना’ की शुरुआत की गई है। जिससे बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और दुर्लभ कलाओं को एक नया जीवन मिलेगा। साथ ही राज्य की पारम्परिक लोक एवं शास्त्रीय कलाएं संरक्षित ओर सुरक्षित होंगी। 

यह योजना सदियों पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा को फिर से स्थापित करेगी साथ ही हमारी सांस्कृतिक विरासत और कला शैलियों को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाएगी।

* इस योजना के अंतर्गत कलाकारों को मिलेगी आर्थिक सहायता

* गुरुओं को प्रतिमाह 15 हजार रुपये

* संगतकार को प्रतिमाह 75 सौ रुपये

* शिष्यों को प्रतिमाह 3 हजार रुपये

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Chhapra: अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस क्लब छपरा सारण की युवा इकाई लियो क्लब छपरा सारण की नई कार्यकारिणी का गठन सत्र 2025 – 26 हेतु सोमवार को आयोजित एक नियमित बैठक में किया गया, जिसका कार्यकाल 01 जुलाई 2025 से शुरू हो चुका है।

बैठक लायंस पदाधिकारियों के नेतृत्व में की गई जिसमें मुख्य रूप से लियो क्लब के चेयरपर्सन लायन प्रमोद कुमार मिश्रा और लियो क्लब के चार्टर प्रेसिडेंट लायन डा मनोज कुमार वर्मा संकल्प मौजूद रहें।

क्लब के सदस्यों की सर्वसम्मति से नए अध्यक्ष के रूप में पिछले छह वर्षों से क्लब में अपनी सेवा दे रहे सदस्य लियो विशाल भास्कर को चुना गया वहीं लियो मोनू कुमार को सचिव तो महिला सशक्तिकरण को मजबूती देने के लिए लियो सुल्ताना प्रवीण को कोषाध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई। उपाध्यक्ष के रूप में क्लब के सक्रिय सदस्य लियो विकास कुमार पटेल को चुना गया।

नवचयनित अध्यक्ष विशाल भास्कर ने बताया कि लियो क्लब छपरा सारण हमेशा से सदस्यों के सहयोग से समाज कल्याण और युवाओं के हित में एक से बढ़कर एक कार्य करते आ रहा है और मैं विश्वास दिलाता हूं कि मेरे कार्यकाल में भी क्लब के द्वारा सभी प्रकार के सेवा कार्य जरूरतमंदों के कल्याण हेतु की जाएगी।

वहीं लायंस क्लब के पूर्व जिलापाल डॉ एस के पांडे ने नए अध्यक्ष को बधाई देते हुए कहा कि लियो विशाल भास्कर क्लब के सक्रिय सदस्य रहें हैं और पूर्ण विश्वास है कि लियो क्लब इनके नेतृत्व में छपरा शहर और आस पास के ग्रामीण क्षेत्र में भी युवाओं को जागरूक कर एक सही दिशा देने का प्रयास करेगी।

इस अवसर पर लायंस क्लब के अध्यक्ष लायन संजय आर्या, लियो क्लब के निर्वतमान अध्यक्ष लियो सुप्रीम, लियो आदिल खान, लियो धनंजय, लियो प्रकाश कुमार, लियो मनोज, लियो छोटू, लियो सूरज, लियो आशुतोष, लायन दिलीप चौरसिया, लायन अमर कुमार, लायन वासुदेव गुप्ता, लायन नागेन्द्र कुमार आदि सदस्य मौजूद थें, जिन्होंने नई टीम को बधाई दी ।

उक्त जानकारी लियो क्लब के को चेयरपर्सन लायन साकेत श्रीवास्तव ने दी।

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स्वतंत्रता दिवस समारोह में भारत सरकार के विशेष अतिथि होंगे मैथिली के युवा लेखक गुंजन श्री

सहरसा: आगामी 15 अगस्त को भारत सरकार द्वारा दिल्ली स्थित लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए मैथिली के युवा लेखक गुंजन श्री को आमंत्रित किया गया है। यह आमंत्रण प्रधानमंत्री युवा लेखक योजना के तहत चयनित लेखकों को मिला है। जिसके लिए रक्षा मंत्रालय एवं शिक्षा मंत्रालय कार्यालय द्वारा भी जारी किया गया है।

देशभर से चयनित 100 युवा लेखकों में से मैथिली भाषा से गुंजन श्री इकलौते लेखक हैं, जिन्हें यह आमंत्रण उनकी भाषायी लेखन यात्रा के लिए प्राप्त हुआ है। यह न सिर्फ मिथिला क्षेत्र बल्कि मैथिली भाषा के लिए भी महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। गुंजन श्री मधुबनी जिला के बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्राधीन रामनगर गांव निवासी मैथिली के लेखक कमल मोहन चुन्नू के पुत्र हैं और फिलवक्त पटना आईआईटी में कार्यरत हैं।

गुंजन श्री मैथिली भाषा साहित्य के प्रमुख युवा लेखक हैं। इनकी अब तक चार किताबें ‘प्रेमक टाइमलाइन’, ‘तरहथ्थी पर समय’, ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मिथिला के दलित समाजक योगदान’ और ‘समय-संदर्भ’ प्रकाशित है।वहीं पांचवीं पुस्तक ‘मर्सी’, जो कि यात्रा संस्मरण, प्रकाशाधीन है।

उल्लेखनीय है कि गुंजन श्री इससे पूर्व राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में भी मैथिली भाषा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और अब तक 22 देशों में अपनी भाषा और साहित्य को लेकर संवाद कर चुके हैं।

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Adra Nakshatra: 22 जून से आद्रा नक्षत्र की शुरुआत हो चुकी है। यह न केवल भारतीय धर्म, संस्कृति और ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है, बल्कि इससे जुड़ी कई लोक मान्यताएं भी प्रचलित हैं। विशेष रूप से बिहार में, आद्रा को पारंपरिक और प्राकृतिक रूप से मनाने की प्रथा चली आ रही है। इस अवसर पर सात्विक भोजन का विशेष महत्व होता है, जो शुद्धता और आंतरिक शांति का प्रतीक माना जाता है।

शास्त्रों में आद्रा का महत्व

शास्त्रों के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र का सीधा संबंध भगवान शिव के रुद्र रूप से है। रुद्र, शिव जी का वह रूप है जो तेज, उग्र और संहारक माना जाता है। जब आर्द्रा नक्षत्र आता है, तो इसे रुद्र की विशेष उपस्थिति का समय माना जाता है। ऐसे समय में अगर कोई व्यक्ति भगवान रुद्र की पूजा करता है, व्रत रखता है और हल्का, सात्विक भोजन करता है, तो उसे मन की शांति, बीमारियों से सुरक्षा और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। इसी वजह से इस दिन ज्यादा तैलीय, मसालेदार या भारी भोजन से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर और मन दोनों साफ-सुथरे और शांत बने रहें। यही अवस्था पूजा और ध्यान के लिए सबसे सही मानी जाती है।

आद्रा को लेकर लोक मान्यताएं

बिहार में यह लोक मान्यता प्रचलित रही है कि आर्द्रा नक्षत्र से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। इसी समय खेतों में धान का बीज डाला जाता है, जिससे खेती का मौसम विधिवत आरंभ होता है। इस अवसर पर महिलाएं घर पर दाल-पूरी, खीर और आम का सात्विक भोजन बनाकर अपने कुल देवी-देवताओं को भोग अर्पित करती थीं। चूंकि इस मौसम में आम प्रमुख फल होता है, इसलिए इसका विशेष महत्व माना जाता था।

आद्रा नक्षत्र को लेकर एक प्रसिद्ध लोक कहावत भी है:

“आदरा के बदरा बरिस गइलें आजु, इनर बरिसिहें कहिया”

इस कहावत के माध्यम से लोग इंद्र देव से वर्षा की प्रार्थना करते थे और कहते थे कि—आर्द्रा नक्षत्र का जो बादल था, उसकी बारिश तो हो गई, लेकिन हे इंद्र देव! आपकी कृपा की वह भरपूर वर्षा कब होगी, जिससे धान के खेतों को पूरी तरह जल मिल सके और फसल लग सके? हालांकि समय के साथ-साथ ये परंपराएं और मान्यताएं अब विलुप्त होती जा रही हैं। न तो यह कहावत अब सामान्य जन-जीवन में सुनाई देती है, और न ही वह पारंपरिक सात्विक भोजन संस्कृति पहले जैसी रह गई है।

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Chhapra: कत्थक नृत्यांगना कुमारी अनीषा को चिरांद कला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी डॉ विभा भारती समेत कई गणमान्य लोगों ने प्रदान किया।

कत्थक नृत्यांगना कुमारी अनिशा ने मनमोहक प्रस्तुति दी। उनकी कला साधना को सम्मानित करते हुए उन्हें ‘चिरांद रत्न सम्मान’ प्रदान किया गया। 

डोरीगंज चिरांद स्थित ऐतिहासिक बंगाली बाबा घाट पर भव्य गंगा महाआरती सह गंगा बचाओ संकल्प समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। यह आयोजन गंगा, सरयू और सोन नदियों के संगम पर श्रद्धा, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए प्रत्येक वर्ष होता है।

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– 10 मई को सीतामढ़ी में सजेगा धर्म, संस्कृति और लोक जीवन का मंच
– राज्यपाल होंगे मुख्य अतिथि, धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियां बनेंगी साक्षी
– समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार की पहल पर भारत की सांस्कृतिक विविधता का महोत्सव

सीतामढ़ी, 06 मई (हि.स.)। जब देश वैश्विक सोच और आधुनिक जीवनशैली की ओर तेजी से बढ़ रहा है, तब ऐसी कौन-सी शक्ति है जो हमारी जड़ों से हमें जोड़े रखती है? वह शक्ति है- लोक संस्कृति, जो पीढ़ियों से समाज को दिशा देती आई है। इसी लोक परंपरा का सबसे उज्ज्वल प्रतीक हैं मां सीता… जिनके त्याग, धैर्य और मर्यादा ने न केवल धार्मिक कथा को जीवंत किया, बल्कि भारतीय समाज की आत्मा को भी आकार दिया। उनके आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे त्रेता युग में थे। आगामी 10 मई को सीतामढ़ी में आयोजित होने वाला सीता महोत्सव-2025 लोक संस्कृति के पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण अवसर है।

भारतीय भाषाओं की आवाज देश की एकमात्र बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार 10 मई को सीता महोत्सव-2025 के जरिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की विविधता को एकसूत्र में पिरोएगी। श्री जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम सीतामढ़ी का प्रेक्षागृह ‘लोक संस्कृति एवं लोकजीवन में मां सीता’ विषयक सीता महोत्सव-2025 का साक्षी बनेगा। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य मां सीता के जीवन और उनके लोकजीवन में योगदान को समर्पित करना है। हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष अरविन्द भालचंद्र मार्डीकर कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार समूह के मुख्य समन्वयक राजेश तिवारी ने कहा कि सीता महोत्सव यह संदेश देगा कि अगर हमें एक मजबूत, नैतिक और एकजुट भारत चाहिए तो हमें अपनी लोक संस्कृति की ओर लौटना होगा- उस संस्कृति की ओर जिसकी जड़ें मां सीता के जीवन से सिंचित हैं। उन्होंने बताया कि लोक संस्कृति में मां सीता का स्थान अडिग है और सीता महोत्सव लोकजीवन में उनके योगदान को पुनः स्थापित करने का एक प्रयास है। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को सम्मानित करने का भी आदर्श उदाहरण बनेगा और मां सीता के आदर्शों से जुड़कर समाज को नई दिशा देगा।

राज्यपाल समेत धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियां बढ़ाएंगी महोत्सव की शोभा

सीता महोत्सव में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे। वे इस अवसर पर मां सीता के जीवन और उनके योगदान को लेकर अपने विचार साझा करेंगे। साथ ही, पीठाधीश्वर श्री जानकी जन्मभूमि मंदिर पुनौराधाम के श्रीमहंत कौशल किशोर दास जी महाराज आशीर्वचन देंगे। मुख्य वक्ता सिद्धपीठ हनुमत निवास अयोध्या धाम के श्रीमहंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज, बगही धाम सीतामढ़ी के श्रीमहंत डॉ. शुकदेव दास जी महाराज और बतौर विशिष्ट अतिथि श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की अनन्त श्री विभूषित महामंडलेश्वर श्री मां योग योगेश्वरी यती जी जैसी धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियां भी मौजूद रहेंगी। महोत्सव में विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी और भाग्य विधाता चैरिटेबल एवं ट्रस्ट (रजि.) के संस्थापक अध्यक्ष राम सुरेश चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष संतोष सुरेश चौधरी, निदेशक भाष्कर झा भी उपस्थित होंगे।

सजेगी सांस्कृतिक सुर संध्या, उदय और सुरेन्द्र छेड़ेंगे स्वर

इस महोत्सव में सांस्कृतिक सुरों की शाम भी सजेगी। बिहार के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित उदय कुमार मलिक और भजन गायक डॉ. सुरेन्द्र कनौजिया अपने संगीत से इस कार्यक्रम को और भी रंगीन करेंगे। उनकी मधुर और शास्त्रीय गायकी न केवल कार्यक्रम में रूहानी अहसास जोड़ेगी, बल्कि यह भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति सम्मान और श्रद्धा को भी नए स्तर तक पहुंचाएगी। सांस्कृतिक मंच पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुरों में गजब का जोश और ऊर्जा देखने को मिलेगी। शास्त्रीय संगीत और मां सीता के जीवन के मिले-जुले प्रभाव कार्यक्रम में चार चांद लगाएंगे।

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