Chhapra: शिक्षक नेता प्रो.(डॉ.) लाल बाबू यादव ने कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट में हड़ताली शिक्षकों को फरवरी एवं मार्च माह के वेतन का भुगतान मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए किए जाने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.
पत्र में उन्होंने लिखा है कि बिहार राज्य के प्राथमिक से लेकर 12वीं तक के लगभग साढ़े चार लाख नियोजित शिक्षक 17 फरवरी एवं 25 फरवरी 2020 से हड़ताल पर हैं. शिक्षकों की प्रमुख मांगों में उन्हें समान काम के लिए समान वेतन तथा राज्य कर्मी का दर्जा दिए जाने की मांग सम्मिलित है. शिक्षकों ने जिस वक्त हड़ताल शुरू किया था उस वक्त दूर-दूर तक कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी की आशंका नहीं थी परंतु दुर्भाग्यवश पूरे देश में हमें इस भयंकर आपदा के दौर से गुजारना पड़ रहा है जिसमें आपके नेतृत्व एवं निर्देशानुसार देश की जनता लॉक डाउन में रहकर इस महामारी की आशंका को दूर करने का प्रयास कर रही है.
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देश के आवाम की छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए आपकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण घोषणा की है परंतु बिहार के इन हड़ताली शिक्षकों को इस अभूतपूर्व स्थिति में भी फरवरी एवं मार्च 2020 के वेतन एवं पारिश्रमिक से वंचित रखा गया है. जबकि देश के कई सेवा क्षेत्रों ने अपने कर्मियों को अग्रिम वेतन, अतिरिक्त वेतन तथा बोनस आदि देकर लॉक डाउन की परिस्थिति में उन्हें सहायता प्रदान करने का प्रयास किया है ।देश की शिक्षा समवर्ती सूची में है, विशेषकर राज्य के नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए केंद्र सरकार भी आवश्यक राशि मुहैया कराती है हालांकि इसका संचालन बिहार सरकार द्वारा किया जाता है.
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इस विषम परिस्थिति में शिक्षकों को वेतन से वंचित रखना मानवीय मूल्यों एवं गरिमा के खिलाफ है, ऐसी परिस्थिति में देश के प्रधानमंत्री होने के नाते मेरा आपसे आग्रह है कि आप बिहार के नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान के मामले में सार्थक हस्तक्षेप करें और बिहार सरकार को कृपा पूर्वक या निर्देश देने का कष्ट करें कि वह राज्य के हड़ताली नियोजित शिक्षकों को आज की विषम परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए फरवरी एवं मार्च 2020 का वेतन भुगतान करें. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन शिक्षकों के ऊपर ही उनके परिवार के लगभग 25 लाख से ज्यादा लोग निर्भर हैं.
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