नई दिल्ली, 23 अगस्त (हि.स.)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने अपने एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग के नियमों को और कड़ा कर दिया है। नए नियम के मुताबिक अब एसएमई सेगमेंट में उन्हीं कंपनियों को लिस्टिंग की इजाजत दी जाएगी, जिनके पास एप्लीकेशन करने के पहले के तीन वित्त वर्षों में कम से कम दो वित्त वर्ष के दौरान पॉजिटिव फ्री कैश फ्लो टू इक्विटी (एफसीएफई) होगी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का ये नियम 1 सितंबर से लागू हो जाएगा।
एफसीएफई किसी कंपनी द्वारा उत्पन्न की गई वो नकदी होती है, जो कंपनी के सभी कर्जों और पुनर्निवेश (रिइन्वेस्टमेंट) से जुड़े दायित्वों को पूरा करने के बाद कंपनी के शेयर धारकों के बीच भुगतान किए जाने के लिए उपलब्ध होता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की ओर से जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि एफसीएफई का ये अतिरिक्त क्राइटेरिया 1 सितंबर और उसके बाद दाखिल किए जाने वाले सभी ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस (डीआरएचपी) यानी आईपीओ लाने के लिए सेबी की अनुमति प्राप्त करने वाले प्रारंभिक दस्तावेजों पर लागू होगा। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो एसएमई प्लेटफॉर्म के तहत ले जाने वाले आईपीओ के सभी आवेदन इस नए नियम के तहत परखे जाएंगे। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के एसएमई प्लेटफॉर्म पर आईपीओ लाने के लिए पहले से बनाए गए अन्य नियमों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। एनएसई की ओर से जारी सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि यह नया नियम अगले आदेश तक जारी रहेगा।
शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि इस बात का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था कि छोटे और रिटेल इंवेस्टर्स के हितों की सुरक्षा के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज इस तरह का नया नियम लागू कर सकता है। इसके पहले एनएसई ने कुछ दिन पहले ही एसएमई प्लेटफॉर्म के आईपीओ के लिस्टिंग के दिन प्राइस मूवमेंट पर 90 प्रतिशत की बाध्यकारी सीमा लागू की थी। 4 जुलाई को जारी किए गए एनएसई के सर्कुलर में कहा गया था कि एसएमई प्लेटफॉर्म के आईपीओ के लिए स्पेशल प्री ओपन सेशन के दौरान एक्सचेंज में ओपनिंग प्राइस डिस्कवरी यानी इक्विलीब्रियम प्राइस को स्टैंडर्डाइज करने के लिए एसएमई प्लेटफॉर्म के इनिशियल पब्लिक ऑफर्स (आईपीओ) के लिए इश्यू प्राइस पर 90 प्रतिशत तक की कुल सीमा तय करने का फैसला लिया गया है।
उल्लेखनीय की एसएमई प्लेटफॉर्म पर आने वाले आईपीओ पिछले कुछ दिनों के दौरान जोरदार सब्सक्रिप्शन और लिस्टिंग के समय जबरदस्त लिस्टिंग गेन की वजह से काफी चर्चा में रहे हैं। इस साल एसएमई प्लेटफॉर्म पर ऐसे कई आईपीओ आए हैं, जो 900 से 1,000 गुना तक ओवर सब्सक्राइब हो गए। जोरदार सब्सक्रिप्शन के बाद लिस्टिंग के दौरान ऐसे शेयरों की आमतौर पर भारी भरकम प्रीमियम के साथ लिस्टिंग होती है, जिससे इस प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने वाले कई स्टॉक्स की कीमत लिस्टिंग के साथ ही दोगुनी हो जाती है। इस जोरदार उछाल को लेकर मार्केट एक्सपर्ट्स कई बार निवेशकों के साथ धोखाधड़ी होने की आशंका भी जता चुके हैं। इसीलिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज लगातार नियमों की समीक्षा कर रहा है और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियमों को सख्त करने की कोशिश में जुटा है।

 
									 
									 
									 
									 
									 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																





 
                         
                         
                         
                         
				 
				 
				 
				 
				 
				 
				 
				 
				