Dharm Desk: शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है और 8 अक्टूबर को समाप्त होगा. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त को सभी जानना चाहते है.

आचार्य हरेराम शास्त्री के अनुसार कलश स्थापना के लिए 29 सितम्बर रविवार को प्रातः काल से रात्रि 10 बजे तक प्रतिपदा तिथि और रात्रि 9 बजकर 40 मिनट तक हस्त नक्षत्र से युक्त मुहूर्त में शुभ मुहूर्त है.

उन्होंने बताया कि विशेष कामना वाले भक्त और मूर्तियों के पास दिन में 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक अभिजित मूहुर्त में करें.

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उन्होंने बताया कि विलवाभिमन्त्रण 4 अक्टूबर दिन शुक्रवार को 12 बजे के बाद सन्ध्या काल तक करें. पत्रिका प्रवेश, नेत्रोंमिलन अर्थात पट्ट खोलने का शुभ मुहूर्त 5 अक्टूबर शनिवार को प्रातः काल से दिन में 2 बजकर 03 मिनट तक.

महानिशा पूजा 5 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 11 बजे से रात्रि 3 बजे तक करें. महाअष्टमी 6 अक्टूबर रविवार को करें. महानवमी हवन यज्ञ आदि 7 अक्टूबर दिन सोमवार को प्रातः काल से दिन में 3 बजकर 5 मिनट तक करें. साथ ही कन्या पूजन, वटुक पूजन आदि करें.

विजयादशमी 8 अक्टूबर दिन मंगलवार को प्रातः काल से शाम को 4 बजे तक. इस दिन अबूझ मुहूर्त होने से यात्रा, देशाटन, उत्सव, क्रय-विक्रय मुहूर्त तथा सभी कार्य प्रारंभ करने का शुभ मुहूर्त है.

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Dharm Desk: शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में देवी का आगमन और गमन की सवारी महत्वपूर्ण मानी गयी है. अश्विन शुक्ल प्रतिपदा दिन रविवार 29 सितम्बर को शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो रहा है.

पंडित हरेराम शास्त्री के अनुसार रविवार को प्रारम्भ होने से देवी का आगमन गज अर्थात हाथी से हो रहा है. जिसका फल सुखद वृष्टि है और गमन 8 अक्टूबर मंगलवार को हो रहा है इसलिए भगवती पैरों से युद्ध करने वाले पक्षी पर सवार होकर जाएंगी. जिसका फल, राष्ट्र में अराजकता और युद्ध की सम्भावना है.

Chhapra: शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया. नव दिनों तक माता की आराधना में सभी जुटे रहेगें. नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ पूजा आराधना की शुरुआत होती है. नवरात्र पर गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना की गयी.

सुबह से लोग नदी से जल और मिट्टी लाकर कलश की स्थापना अपने अपने घरों में करने में व्यस्त दिखे. पूजा पंडालों में भी कलश स्थापित की जाती है.

नवरात्र के पहले दिन पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरुप में साक्षात् शैलपुत्री की पूजा होती है. इनके एक हाथ में त्रिशुल और दूसरे में कमल का पुष्प है. शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण नवदुर्गा का सर्वप्रथम स्वरुप शैलपुत्री कहलाता है.

बाज़ारों में रही रौनक
नवरात्र के आगमन को लेकर सभी लोग तैयारियों में जुटे है. शहर के तमाम बाज़ारों में बुधवार देर शाम तक लोग पूजा से जुड़े सामानों की खरीदारी करते देखे गए.

छपरा: नवरात्र में नव दिनों तक चले अनुष्ठान के बाद शुक्रवार को विभिन्न पंडालों में स्थापित प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू हुआ. ढोल-ताशों के धुनों के साथ गली मुहल्लों में पूजा पंडालों में स्थापित प्रतिमाओं और घरों में स्थापित कलश का विसर्जन किये जा रहे है.

विसर्जन को जाती माता की प्रतिमा
विसर्जन को जाती माता की प्रतिमा

विधान सभा चुनाव के मद्देनज़र सभी पूजा पंडालों को 23 तक विसर्जन कर लेने को लेकर प्रशासन ने निर्देश दिए है. विसर्जन के दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गए है.

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विसर्जन को जाती हनुमान जी की प्रतिमा

 

 

 

 

 

चौक चौराहों पर जिला पुलिस के साथ साथ अर्द्धसैनिक बलों को सुरक्षा के लिए लगाये गए है. मूर्तियों के विसर्जन के लिए रूट चार्ट भी बनाये गए है.