छपरा: लोक आस्था का महापर्व छठ उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया. सोमवार को अहले सुबह से लोग घाटों पर अर्घ्य देने के लिए पहुँचने लगे थे.

घाटों पर कोशी भरी गयी. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी घाटों, तालाबों पर मौजूद थे. छठ की अनुपम छटा वातावरण को एक अलग ही रंग में ढाल चुकी थी.  सभी छठ की भक्ति में लीन नज़र आ रहे थे. 

जैसे ही भगवान भास्कर ने दर्शन दिए व्रतियों ने उन्हें अर्घ्य समर्पित किया. नदी में कलसुप लेकर व्रतियों ने अर्घ्य दिया और इसी के साथ 36 घंटों से जारी व्रत समाप्त हुआ. व्रतियों ने व्रत तोड़ा और सभी ने मिलकर प्रसाद ग्रहण किया.

घाटों पर खूब हुई आतिशबाजी 

नदी किनारे छठ पूजा करने जहाँ एक ओर व्रती पहुंचाई थी. वही दूसरी ओर छोटे बच्चे, जवान आतिशबाजी में व्यस्त दिखे.

आतिशबाजी करते बच्चे
आतिशबाजी करते बच्चे

 घाटों पर जमकर आतिशबाजी की गयी. हालाकि पूजा समितियों के द्वारा घाटों के करीब आतिशबाजी ना करने की अपील लगातार की जा रही थी. 

गुलाबी सर्दी का हुआ अहसास

उदयीमान भगवान्अ भास्कर को अर्घ्य देने घाटों पर पहुंचे लोगों को मौसम की पहली सर्दी का अहसास हुआ. लगभग सभी लोग हल्के ऊनी  वस्त्रों को पहन घाटों पर पहुंचे थे.’

पूजा समितियों ने किये बेहतर प्रबंध 

छठ पूजा को लेकर शहर से लेकर गांवों तक में पूजा समितियां सजग दिखी.
व्रतियों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए सभी उचित कदम उठाये गए थे. घाटों पर वाहनों के पार्किंग, रौशनी की भरपूर व्यवस्था की गयी थी. वही कई घाटों पर चाय और लड्डू की व्यवस्था भी की गयी थी.  

चाक-चौबंद दिखी सुरक्षा व्यवस्था

छठ महापर्व के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस-प्रशासन मुस्तैद दिखा. नदी घाटों, तालाबों के साथ साथ शहर के सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर पुलिस बल की तैनाती की गयी थी. पूजा के शांतिपूर्ण समापन के बाद सभी ने राहत की साँस ली.    

यहाँ देखे छठ पूजा 2016 की झलकियाँ 

छपरा: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के शुरू हो गया. जिसके लेकर लोग खरीददारी के लिए बाज़ारों में निकल रहे है और उन्हें सुबह से शाम तक जाम का सामना करना पड़ रहा है.

गुरुवार के दिन भी शहरवासियों को जाम से जूझना पड़ा. गांधी चौक से मौना चौक और सलेमपुर चौक से नगरपालिका चौक तक वाहनों की लम्बी कतार लगी रही. बाइक और साइकिल से चलना तो दूर पैदल चलना भी दुर्लभ रहा. शहर का मुख्य सड़क जाम रहने से बाईक सवार गली का सहारा लेते दिखे.

शहर में कई जगहों पर जाम का कारण सड़क किनारे खड़ी गाडियां थी. पार्किंग की व्यवस्था ना होने से लोग खरीददारी करने के लिए सड़क किनारे गाड़ी खड़ा कर मजबूर थे. जाम में फंसे लोगों का कहना था कि प्रशासन द्वारा कम-से-कम त्योहारों में यातायात को लेकर विशेष व्यवस्था करनी चाहिए. ताकि लोगों को परेशानी न हो. वही लोगों को भी अपने वाहन को यत्र तत्र पार्क करने से बचना चाहिए.

छपरा (संतोष कुमार): आस्था के महापर्व छठ को लेकर परदेशियों का घर आना जारी है. लेकिन रेलगाड़ी इन दिनों यात्रियों से खचाखच भरी हुयी है. दिल्लीमुंबई और देश के अन्य प्रदेशों से बिहार आने वाली सभी रेलगाड़ी में ससरने तक की जगह नही मिल रही है. आरक्षित हो या अनारक्षित सबका एक ही हाल है. ऐसे में अपने घर आना मुश्किल का काम है. लेकिन दिल्ली में रहकर अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करने वालो ने इस मुश्किल का हाल ढूंढ लिया.

कहते है जहां चाह होती है वही राह भी अपने आप निकल जाती है और निकले भी क्यों ना छठी मईया का आशीर्वाद जो साथ था. सो इस आशीर्वाद के साथ दिल्ली से ट्रक पर चढ़ अपने घर पहुँच गये.

मुजफ्फरपुर और मोतिहारी के 60 से अधिक दिल्ली में अपनी रोजी रोटी की जुगत में लगे लोग विगत एक महीने से ट्रेन में टिकट का प्रयास कर रहे थे. लेकिन उन लोगो को आरक्षित टिकट नही मिल पाया. अंततः उन्हें जनरल टिकट से यात्रा करने की सोची लेकिन ट्रेन की भीड़ देख उनकी हिम्मत न बनी. आखिरकार उस कॉलोनी के सभी लोगों ने एक मिनी ट्रक को किराये पर लेकर छठी माता के जयकारे के साथ अपने घर के लिए चल दिए. ट्रक में कुल 55 लोग सवार थे. बुधवार को ट्रक छपरा से गुजर रही थी.

इसी बीच मुलाकात के दौरान सवार दिनेश सिंह, बलिराम महतों सहित अन्य लोगों ने बताया कि छठ के पर्व को लेकर पूरे वर्ष में एक बार वे घर जरूर आते है. इस बार ट्रेन से नही तो ट्रक से ही सही वे घर जा रहे है. ट्रेन की टिकट की अपेक्षा पैसा और समय दोनों ही काम लगा है. साथ ही शारीरिक परेशानी भी नही है.

उन्होंने बताया कि छठ पूजा को देखने के लिए ही चालक भी तैयार हो गये. त्योहार समाप्त होने के बाद वह इसी ट्रक से वापस भी जायेंगे.

छपरा: महापर्व छठ को लेकर तैयारी अब अंतिम चरण में है. बाज़ारों में खरीदारी को लेकर रौनक है. वही घाटों पर साफ़ सफाई में पूजा समिति के लोग जुटे है. 

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पूजा समितियों के द्वारा घाटों पर लोगों को पहुँचने के लिए मार्ग को सुगम बनाया जा रहा है. शहर के धर्मनाथ मंदिर घाट, सत्यनारायण मंदिर घाट, नेवाजी टोला घाट, कटरा, दहियावां, रूपगंज, जयराम दास का मठिया घाट काफी जगहों पर समितियों के द्वारा तैयारियां की जा रही है. img_20161102_143752996_hdr_wm

धर्मनाथ मंदिर घाट पर चार पहिया वाहन जा सके इसके लिए सड़क का निर्माण आपसी सहयोग से लोगों के द्वारा किया जा रहा है. वही जय रामदास मठिया घाट पर चचड़ी पुल का निर्माण किया जा रहा है. ताकि नदी के दोनों और से घाट पर लोग पूजा कर सके. इसके आलावे घाटों पर रौशनी, पार्किंग और अन्य व्यवस्था किये जा रहे है. 

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घाटों पर साफ़ सफाई और आवश्यक कार्य के लिए जिलाधिकारी दीपक आनंद ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है. उन्होंने पदाधिकारियों को सभी संवेदनशील छठ घाटों का निरीक्षण कर आवागमन, प्रकाश, पार्किंग आदि की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के निर्देश दिया है.

आज जब सब तरफ लोग पुराने रीती-रिवाजो को भुल कर एक नई संस्कृति की गाथा रचने में लगे पड़े है. ऐसे में जब भी यह विचार आता है की वह कौन सा व्रत, पर्व या आयोजन है जो आने वाले कई दशकों तक अपनी संस्कृति और महत्ता बनाये रखने में कामयाब होगा?

तो स्वतः ही ध्यान लोक समन्वय तथा आस्था के महापर्व छठ की तरफ आ टिकता है. सालों से देखता आ रहा हूँ. कई पर्वो के आयोजन के तरीके बदल गए. लोग टुकड़ो में बट कर आयोजन करने लगे. लेकिन जब बात छठ पर्व पर आकर टिकती है तो नजारा खुद-ब-खुद बदल जाता है. कोई किसी को ईख पहुँचा रहा होता है. तो कोई किसी के लिए बाजार से पूजन सामग्री ला देता है, चौतरफा मदद के हाथ खड़े दिखाई देते है.

सारे भेदभाव और मतभेद भुलाकर लोग छठ पर्व की गूँज को प्रत्येक वर्ष और भी दुर तक पहुचाने की हरसंभव प्रयास करते है. लाखों की संख्या में परिजन घर को पहुँचते है तो सिर्फ छठ के आयोजन के लिए. छठ एकमात्र ऐसा त्यौहार है,जहाँ जानी दुश्मनी तक को परे रखकर आपसी सद्भाव का परिचय प्रस्तुत किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा.

अत: लोक समरसता के इस पर्व की असीम शुभकामनाये. इस आशा और विश्वास के साथ की अगले वर्ष छठ पर्व की धमक और आभा और फैलेगी. एक बार फिर शुभकामनाये एवम् बधाईया.

यह लेखक के अपने विचार है 

anurag ranjan

अनुराग रंजन

छपरा (मशरख)