डेंगू में कीवी, नारियल पानी, पपीता लीफ और गिलोय की बढ़ी डिमांड

Chhapra: जिले में इन दिनों डेंगू का कहर जारी है. शहर से लेकर गांव तक इसकी चपेट में आने से हाल के दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ी है. शहर के कई इलाकों में अधिसंख्य लोग डेंगू से ग्रसित है. वही ग्रामीण इलाको में भी इसका प्रभाव बढ़ा है. डेंगू से बचाव और रोकथाम को लेकर सरकार और प्रशासन भी सजग है लेकिन इसके बावजूद मरीजों की तादाद बढ़ रही है.

डेंगू को लेकर सदर अस्पताल में भी जांच और डेंगू वार्ड बनाए गए है. इसके साथ साथ कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डेंगू वार्ड संचालित है. जिसमे मरीजों को निर्धारित सुविधा दी जा रही है.

मरीजों की अधिकाधिक संख्या डेंगू के इलाज को लेकर निजी क्लीनिक पर पहुंच रहे है. लगभग सभी चिकित्सकों के यहां हाल के दस दिनों में डेंगू से ग्रसित मरीजों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है. वही चिकित्सकों द्वारा जांच के उपरांत निर्धारित सलाह के साथ दवा और आवश्यक निर्देश दिए जा रहे है.

डेंगू से ग्रसित मरीजों के लिए इन दिनों नारियल पानी जिसे हम दाब के नाम से जानते है उन्हे पीने की सलाह दी जा रही है. इसके साथ साथ गिलोय, पपीता के पत्ते का जूस, कीवी फल और बकरी के दूध का सेवन करने की सलाह दी जा रही है. जिससे की उन्हें शरीर में हो रही कमजोरी के साथ साथ प्लेटलेट्स को बढ़ाने में सहायता मिल रही है.

चिकित्सकों की सलाह के बाद बाजारों में इसकी डिमांड बढ़ गई है. नारियल पानी और कीवी फल शहर के साथ साथ गांव के भी बाजारों में उपलब्ध है जहां से आसानी से लोग इसे खरीद रहे है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में पपीता के पत्ते और बकरी का दूध आसानी से मिल जा रहा है जिससे नारियल पानी और कीवी की खरीददारी ग्रामीण क्षेत्रों में कम है. वही गिलोय के पौधें भी आसानी से मिल रहे है.

डेंगू बीमारी से ग्रसित मरीजों को दवाइयों के साथ साथ इन चीजों को देने से मरीज तुरंत ठीक हो रहे है. जिससे इसकी डिमांड और दाम दोनो में वृद्धि हुई है.

साहेबगंज के घर घर में डेंगू मरीज़, ना फॉगिंग ना डीडीटी का छिड़काव

Chhapra: शहर के मुख्य बाजार साहेबगंज में इन दिनों डेंगू कहर बरपा रहा है. विगत एक सप्ताह से इस मुहल्ले के कुछेक घर को छोड़ लगभग सभी घरों में डेंगू से पीड़ित मरीज है. जो चिकित्सकों के यहां इलाज करवा रहे है. लगभग सभी घरों में डेंगू से पीड़ित मरीज है लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस इलाकों में साफ सफाई, फॉगिंग और डीडीटी छिड़काव ना के बराबर है.

सड़कों के बगल की नालियां खुली रहने से मच्छरों का जमघट है. ऐसे में सावधानियां बरतने के बाद भी लोग डेंगू से ग्रसित हो जा रहे है.

साहेबगंज में बढ़ते डेंगू के प्रकोप को लेकर आर्य समाज पथ में रहने वाले लोगों का कहना है कि दीपावली से अबतक इस मुहल्ले में रहने वाले लगभग सभी घरों में डेंगू ने अपना पांव जमा रखा है. कुछेक घर को छोड़ दें तो लगभग सभी घरों में एक के बाद एक लोग डेंगू से ग्रसित है. बुखार के लक्षण आने के बाद जांच में यह तय हो जा रहा है की मरीज डेंगू से ग्रसित है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि डेंगू ने इस मुहल्ले में अपना पांव जमा लिया है. लेकिन नगर निगम प्रशासन द्वारा ना ही इस मुहल्ले में लगातार फॉगिंग कराई जा रही है और ना ही डीडीटी का छिड़काव या साफ सफाई का छिड़काव किया जा रहा है. स्थानीय लोग बुखार आने के बाद निजी क्लिनिक या चिकित्सकों से अपना इलाज करा रहे है.

लोगों का कहना है कि आर्य समाज पथ के लगभग सभी घरों में डेंगू के मरीज़ है. कई इलाज के बाद ठीक हो चुके है तो कई इलाजरत है. सदर अस्पताल के सिविल सर्जन भी इसी मुहल्ले से तालुकात रखते है. लेकिन उनके द्वारा भी कोई ठोस पहल नहीं की गई. लिहाज़ा स्थानीय लोग और मरीज खुद ही चिकत्सकों की सलाह का पालन करते हुए उनकी दवा और निर्देश पर इलाजरत है.

बहरहाल विगत एक सप्ताह से अधिक समय से इन मुहल्लों के साथ साथ ऐसे कई मुहल्ले है जहां डेंगू ने अपना पांव जमा रखा है लेकिन प्रशासन द्वारा ना साफ सफाई, डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा है ना फॉगिंग ही कराई जा रही है. ऐसे में लोगों को स्वयं सचेत होकर साफ सफाई और मच्छरदानी का प्रयोग करना और बुखार आने पर चिकित्सक से संपर्क कर उनके निर्देशों का पालन करना ही सूझबूझ है.

पटना:  बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश के करीब 30 करोड़ की आबादी के श्रद्धा और स्वच्छता के महापर्व छठ का सोमवार सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया ।

बिहार में गंगा घाट सहित कोसी गंडक बागमती और छोटी नदियों पर आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री आवास में अपने परिवार के निकटतम सदस्यों के साथ उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।

पटना के दीघा घाट के आसपास रहने वाली महिला व्रती पैदल ही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नदी के तट पर पहुंची। इस दौरान वे छठी माई की गीत गा रही थीं। गंगा तट पर पहुंचने पर सबसे पहले व्रतियों ने आम की दातुन से मुंह धोया। उसके बाद नदी के पानी में स्नान करने का सिलसिला शुरू हुआ। स्नान करने के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर को जल अर्पित किया।

बेगूसराय: गांव की गलियों में गूंजते छठ के गीत और परदेसियों की बढ़ती संख्या ने लोगों को पर्व के समरसता भाव का एहसास कराना शुरू कर दिया है। छठ मतलब एक ऐसा पर्व जिसमें सभी सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाते हैं, हर घर से एक समान खुशबू और गीतों की आवाज आनी शुरू हो जाती है।

लोक आस्था का बिहारी पर्व छठ ग्लोबल हो चुका है, हर ओर छठ की धूम मच रही है। ऐसे में छठ जब ग्लोबल हुआ तो पूजा के प्रसाद भी बदलते चले गए। अब अमेरिका में लोग हल्दी का पत्ता कहां से लाएंगे, ऑस्ट्रेलिया में सुथनी कैसे मिलेगा, ब्रिटेन में लोग गन्ना कहां से लाएंगे, बोस्टन में बांस का सूप मिलना तो मुश्किल ही है। जिसके कारण विदेशों में रह रहे भारतीय वहां उपलब्ध फल और धातु से बने सूप में सूर्यदेव को अर्घ्य देने की तैयारी कर चुके हैं लेकिन बिहार का कोई सुदूरवर्ती गांव हो या वॉशिंगटन का जैसा आधुनिक विदेशी शहर, तमाम जगहों पर एक प्रसाद आज भी कॉमन है, जिसके बिना छठ पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है, वह प्रसाद है गेहूं के आटे से तैयार किया जाने वाला ठेकुआ। लेकिन, कई ऐसी बातें हैं, चीजें हैं जिनका छठ पर्व के साथ चोली दामन का साथ बन गया है। बिहार का सुप्रसिद्ध व्यंजन छठ के बहाने दुनिया में छा गया है। छठ की पूजा संपन्न हो गई और प्रसाद में यदि आपने ठेकुआ नहीं दिया तो लोग जरूर सवाल उठाएंगे की ठेकुआ के बगैर प्रसाद अधूरा है

ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य को भी ठेकुआ बहुत प्यारा है, इसीलिए इस दौरान बना ठेकुआ सबसे स्वादिष्ट बनाया जाता है। शुद्ध घी का बना ठेकुआ स्वाद अनोखा हो जाता है। लोकगीत के मधुर धुनों पर झूमती महिलाएं जब ठेकुआ बनाती हैं तो इसमें ना सिर्फ चीनी और गुड़, बल्कि महिलाओं के सुमधुर गीत की मिठास भी घुल जाती है। ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं सुखाने जब तमाम छतों पर महिलाएं जुटी तो लोकगीतों के लय ने अमीर-गरीब और ऊंच-नीच के तमाम भेदभाव मिट जाते हैं।

ठेकुआ के डिजाइन भले ही अलग-अलग होने लगे हैं, लेकिन इसका स्वाद आज भी वही है जो दशकों पूर्व था। अंतर बस इतना है कि पहले यह ठेकुआ प्रातः कालीन पूजा के बाद गांव-गाव में रिश्तेदारों तक पहुंचाए जाते थे और अब देश के कोने-कोने ही नहीं, विदेश तक भेजे जा रहे हैं। जिनके भी परिजन विदेश में रह रहे हैं, वहां कुरियर से यह भेजा जा रहा है। जबकि विदेश में छठ करने वाले परिवार कम ही सही लेकिन ठेकुआ जरूर चढ़ाते हैं। बिहार से बाहर किसी अन्य राज्य या विदेश में जाना हो अथवा भेजना हो ठेकुआ ज्यों-का-त्यों रहेगा, जबकि दूसरे प्रसाद खराब हो सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार में स्वादिष्ट व्यंजन निर्माण की समृद्ध परंपरा है। हमारे बुजुर्गों का मानना था कि बरसात आने से पहले घर में पर्याप्त चीजें बनाकर रख कर ली जानी चाहिए, जिससे बरसात के फीके मौसम में भी खाने का स्वाद बना रहे। पहले इतने होटल, परिवहन के साधन और खाने को लेकर अन्य तमाम विकल्प नहीं मौजूद होते थे। यदि कोई कहीं जा रहा है, तो ठेकुआ लेकर निकल गया, उस समय के सप्ताह भर की यात्रा हो अथवा आज के जमाने में कहा जाने वाला टूर, ठेकुआ भूख मिटाने का सबसे बेहतर साधन होता था और आज भी गांव वासियों के लिए सर्वोत्तम है। कहीं जाना होता मां ठेकुआ की पोटली बांध कर दे देते थे।

रास्ते भर खाने के लिए नहीं सोचना पड़ता, उसी तरह जब लौटना होता तो उधर से भी ठेकुआ ही दिया जाता। ठेकुआ खाने के लिए कहीं रुकना नहीं पड़ता है, खाते-खाते भी दो-चार किलोमीटर तय कर लेते थे। इसे कहीं रख दीजिए खराब नहीं होगा, स्वाद और अंदाज वही होगा। इसलिए इसकी बादशाहत आज भी कायम है। फिलहाल हर ओर छठ की धूम मची हुई है और घर-घर में ठेकुआ पकवान बनाने की तैयारी हो गई है। गेहूं सूख गया, चीनी और सुखा मेवा के साथ ही घी एवं रिफाइन भी आज आ गया है, चार दिवसीय महापर्व के उमंग में चप्पा-चप्पा डूब गया है।

छठ पर्व को पूरी तरह प्रकृति संरक्षण की पूजा माने तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस पर्व में लोग प्रकृति के करीब तो पहुंचते ही हैं उसमे देवत्व स्थापित करते हुए उसे सुरक्षित रखने की कोशिश भी करते हैं। वैसे देखा जाए तो भारतीय संस्कृति में कोई भी ऐसा पर्व नही है जिसका प्रकृति से सरोकार न हो।

दीपावली के छठे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल को षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ महापर्व में पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है। मुख्यतः यह त्योहार सूर्य पूजा, उषा पूजा, जल पूजा को जीवन में विशेष स्थान देते हुए पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी देता है। इस पर्व में सभी लोग प्रकृति के सामने नतमस्तक होते हैं। अपनी अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रहे होते हैं।

यह पर्व इस संसार में अपनी तरह का अकेला ऐसा महापर्व है जिसमे धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक आयाम की सबसे ज्यादा प्रबलता है। सूर्य इस त्योहार का केंद्र है। भारतीय समाज में भगवान भास्कर का स्थान अप्रतिम है। समस्त वेद, स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों में भगवान सूर्य की महिमा का विस्तार से वर्णन है। सूर्य जीव जगत के आधार है। सूर्य के बिना कोई भी भोग – उपभोग संभव नही है। अतः सूर्य के प्रति आभार प्रदर्शन के लिए छठ व्रत मनाया जाता है। ऐसा लोगो का मानना है कि सूर्य उन क्षेत्रों के सबसे उपयोगी देव हैं जहां पानी की उपलब्धता ज्यादा है। जब सूर्य समाधि में व्यक्ति स्वयं निर्जल होकर भास्कर को जल समर्पित करता है तो प्रकृति और व्यक्ति के अतुल्य समर्पण के दर्शन होते हैं। व्यक्ति के प्रकृति को स्वयं से उपर रखने के दर्शन होते हैं।

हमारी सूर्य केंद्रित संस्कृति कहती है कि वही उगेगा जो डूबेगा। जैसे सूर्य अस्त होता है वैसे ही फिर उदय होता है। अगर एक सभ्यता समाप्त होती है तो दुसरी जन्म लेती है। जो मरता है वह फिर जन्म लेता है। जो डूबता है वह फिर उबरता है। जो ढलता है वह फिर खिलता भी है। यही चक्र छठ है। यही प्राकृतिक सिद्धांत छठ का मूल मंत्र है। अतः छठ में पहले डूबते और फिर अगले दिन उगते सूर्य की पूजा स्वाभाविक है। व्रत करने वाला आभार जताने घर से निकल कर किसी तालाब, नदी, पोखरा पर जाता है और अरग्य देता है। इसका अर्थ होता है हे सूर्य आपने जल दिया है उसके लिए आभार लेकिन आप अपने ताप का आशीर्वाद भी हम पर बना कर रखें।

प्रकृति से प्रेम, सूर्य और जल की महत्ता का प्रतिक छठ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपा पोती किया जाता है । वैज्ञानिकों के अनुसार, गाय के गोबर में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी-12 पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। घर द्वार से लेकर हर मार्ग और नदी, पोखरा, तालाब, कुआं तक की सफाई से जल, वायु और मिट्टी शुद्ध होता है जो पर्यावरण को संरक्षित करता है। इस पर्व पर प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाला केला, दीया, सुथनी, आंवला, बांस का सूप, डलिया किसी न किसी रूप में हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। यह पर्व पूरी तरह से वैज्ञानिक महत्व एवं प्रदूषणमुक्त हैं।

प्रकृति का हनन रोकना भी छठ है। गंदगी, काम, क्रोध, लोभ को त्यागना छठ है। सुख सुविधा को त्याग कर कष्ट को पहचानने का नाम छठ है। शारीरिक और मानसिक संघर्ष का नाम छठ है। छठ सिर्फ प्रकृति की पूजा नही है। वह व्यक्ति की भी पूजा है। व्यक्ति प्रकृति की ही तो अंग है। छठ प्रकृति के हर उस अंग की उपासना है जिसमे कुछ गुजरने की, कभी निराश न होने की, कभी हार न मानने की, डूबकर फिर खिलने की, गिरकर फिर उठने की हठ है। यह हठ नदियों में, बहते जल में, और किसान की खेती में है। इसलिए छठ नदियों, सूर्य एवं परंपराओं की पूजा है। छठ पर्व से सबक लेते हुए हमें अपनी संस्कृति, प्रकृति के प्रति जागरुक होना चाहिए। अपनी संस्कृति एवं प्रकृति की मर्यादाओं, श्रेष्ठताओं को कभी नही भूलना चाहिए।

(लेखक प्रशांत सिन्हा पर्यावरण मामलों के जानकार एवं समाज सेवी हैं।)

Chhapra/ Garkha: आस्था के महापर्व छठ पर जिले के दो सूर्य मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटती है. जिले के गरखा प्रखण्ड के मिठेपुर स्थित इस सूर्य मंदिर में लोगों द्वारा मांगी मन्नत पूरी होती है. घोड़ों पर सवार भगवान सूर्य की आलौकिक विशालकाय प्रतिमा भक्तों को अपने आप अपनी ओर आकर्षित करता है.

आस्था के महापर्व छठ पर यहाँ भक्तो की भाड़ी भीड़ जुटती है. सूर्य उपासना के इस महापर्व पर श्रद्धालु यहाँ रहकर चार दिवसीय अनुष्ठान को पूरा करते है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

भगवान सूर्य का यह मंदिर गरखा प्रखंड के मिठेपुर मुख्य मार्ग पर स्थित है.

Chhapra: छठ महापर्व को लेकर छठ घाट के साफ-सफाई और वहां व्यवस्था को लेकर पूजा समिति और जिला प्रशासन आपसी तालमेल से कार्य कर रहे हैं. छपरा शहर के अलीयर स्टैंड पर नगर निगम के द्वारा साफ सफाई कराई गई है. इसके साथ ही शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित नदी घाटों पर अलग-अलग पूजा समितियों के द्वारा घाटों का निर्माण कराया गया है. जहां आना-जाना सुलभ हो इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही प्रकाश और सुरक्षा की व्यापक इंतजाम किए गए हैं. कई पूजा समितियों के द्वारा गोताखोर और नाव की व्यवस्था भी की गई है. ताकि पर्व के दौरान होने वाली भीड़ में किसी की डूबने की संभावनाओं को टाला जा सके.

इसके साथ ही आने जाने वाले मार्ग, वाहन पार्किंग पर पूजा समितियां विशेष ध्यान दे रही हैं. ताकि व्रत को लेकर घाटों पर पहुंचने वाले लोगों के वाहन को भी सही ढंग से लगाया जा सके और जाम की समस्या उत्पन्न ना हो. पूजा समितियों के द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है कि व्रतियों को कोई परेशानी ना हो. आम लोग भी जगह-जगह साफ सफाई में जुटे हैं. हर मोहल्ले में लोग जन सहयोग से साफ सफाई में जुटे हैं. पूरा जिला छठ में हो गया है.

बाजारों में भी जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. जगह-जगह छोटी-बड़ी दुकानें सज गई है. जहां छठ पूजा से संबंधित फल और अन्य सामान बिक रहे हैं. कुल मिलाकर कोरोना के 2 सालों के काल के बाद इस बार सब लोग खुलकर त्यौहार मना रहे हैं. व्यापारियों में भी त्यौहार पर बाजार में आई रौनक से खुशी है.

Chhapra: जिलाधिकारी राजेश मीणा एवं पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने कहा है कि दुर्गापूजा एवं नगरपालिका आम निर्वाचन, 2022 के अवसर विधि-व्यवस्था संधारण प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। पदाधिकारीगण आसूचना तंत्र को सुदृढ़ एवं सक्रिय रखें तथा संवेदनशील स्थानों पर विशेष सतर्कतामूलक कार्रवाई करें। जिला दंडाधिकारी सारण एवं पुलिस अधीक्षक सारण आज समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में इस विषय पर आयोजित एक बैठक में पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।

डीएम राजेश मीणा ने कहा कि दिनांक 26.09.2022 को शारदीय नवरात्रा की कलश स्थापना होगी। विजयादशमी दिनांक 05.10.2022 को होने की संभावना है। नवरात्रा के क्रम में दिनांक 02, 03, 04 एवं 05 अक्टूबर, 2022 को क्रमशः सप्तमी, अष्ठमी एवं नवमी तथा विजयादशमी मनाया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न देवालयों तथा सावर्जनिक दुर्गा पूजन स्थलों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होने की संभावना है। नगरपालिका चुनाव के अवसर पर जिले के नगर निकाय क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता प्रभावी है एवं विधिवत रूप से चुनाव परिणाम की घोषणा तक यह जारी रहेगी।

जिला दंडाधिकारीने कहा कि आदर्श आचार संहिता का अनुपालन, विधि-व्यवस्था संधारण, यातायात प्रबंधन, शांति-व्यवस्था तथा भीड़ प्रबंधन हेतु यथेष्ट प्रशासनिक सतर्कता, यथोचित निगरानी तथा सुरक्षामूलक कार्रवाई किया जाना आवश्यक है।

जिला दंडाधिकारी ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि असामाजिक तत्वों पर कड़ी निगरानी रखें। सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल को क्रियाशील रखें तथा अफवाहों का त्वरित खंडन करें।
डीएम एवं व एसपी महोदय के द्वारा अनुमंडलवार तैयारियों की समीक्षा की गई। अधिकारीद्वय ने अनुमंडल पदाधिकारियों एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारियों को ससमय शांति समिति की बैठक आयोजित करने का निदेश दिया। सभी पदाधिकारी संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतेंगे तथा असामाजिक तत्वों के विरूद्ध निरोधात्मक एवं दण्डात्मक कार्रवाई करेंगे। कॉम्युनिकेशन प्लान सुनिश्चित कर विधि-व्यवस्था का संधारण करेंगे। पंडाल का निर्माण तथा प्रतिमा विसर्जन हेतु निर्धारित मानकों का अनुपालन अनिवार्य है। पुलिस अधीक्षक महोदय ने कहा कि सभी थाना प्रभारियों को पूजा आयोजन हेतु शत-प्रतिशत अनुज्ञप्ति निर्गत/नवीकरण कराने का निर्देश दिया। अनुज्ञप्ति में अंकित जुलूस मार्ग का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन भी सुनिश्चित करने को कहा गया। अधिकारीद्वय ने कहा कि उत्कृष्ट भीड़-प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए हम सबको तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहना होगा। पार्किंग की समुचित व्यवस्था रहनी चाहिए। शौचालय एवं पेयजल की बेहतर सुविधा सुनिश्चित की जाए।

जिला दंडाधिकारी ने कहा कि आयोजन एवं पंडाल की अनुज्ञप्ति में ही यह शर्त प्रविष्ट करेंगे कि पूजा समिति के आयोजक पूजा पंडालों में चिन्हित स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरों का अस्थायी रूप से अधिष्ठापन करवायेंगें, ताकि भीड़ की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके। पंडालों के पास सीसीटीवी की व्यवस्था रहनी चाहिए। किसी भी प्रकार के अफवाह से बचने तथा सोशल मीडिया पर भी अफवाहों से बचने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही माईकिंग भी कराया जाय। अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों के विरूद्ध सुसंगत धाराओं के अंतर्गत नियमानुसार कार्रवाई भी सुनिश्चित करेंगे। आपतिजनक स्लोगन, कार्टुन इत्यादि पर रोक है। इसे सभी पदाधिकारी सख्ती से सुनिश्चित करेंगे। विसर्जन के दिन नदी में बिना अनुमति के नाव परिचालन पर रोक रहेगी। रात्रि 10 बजे से सुबह 06.00 बजे तक लाउडस्पीकर पर रोक है। साथ ही जुलूस में डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसे सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। सिविल सर्जन आपाताकलीन चिकित्सा व्यवस्था एवं एम्बुलेंस की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

बैठक में डीएम ने विद्युत विभाग के अभियंताओं को निदेश दिया जाय कि पूजा पंडालों में कहीं भी लूज वायर न रहे। नगर निगम, नगर परिषद् तथा नगर पंचायत अपने-अपने कार्यक्षेत्र में पूर्णरूपेण सफाई, सैनेटाईजेशन, प्रकाश की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

जिला दंडाधिकारी ने जिला नियंत्रण कक्ष के साथ-साथ अनुमंडल स्तरों पर नियंत्रण कक्ष को सक्रिय करने का निर्देश दिया। साथ ही नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों/पुलिस पदाधिकारियों/कर्मियों के अतिरिक्त क्विक रिसपॉन्स टीम (क्यू.आर.टी) का भी गठन करने को कहा गया। ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनका उपयोग किया जा सके। जिला अग्निशमन पदाधिकारी को फायर ब्रिगेड प्रतिनियुक्त करने का निदेश दिया।

नगरपालिका चुनाव के अवसर पर सारे पदाधिकारी को तत्पर रहने का निर्देश दिया गया। आदर्श आचार संहिता का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करवाने का सख्त निर्देश भी दिया गया।

आदित्य हत्याकांड के दोषियों पर स्पीडी ट्रायल चलाए सरकार: पूर्व सांसद पप्पू यादव

जलालपुर: भटकेसरी के आदित्य तिवारी हत्याकांड के दोषियों पर सरकार द्वारा स्पीडी ट्रायल चलाया जाए तथा कड़ी से कड़ी सजा दी जाय. उक्त बातें पूर्व सांसद पप्पू यादव ने भटकेसरी में कहीं.

वे जलालपुर हाई स्कूल चाकू कांड में मृत आदित्य के परिजनों से मिलने उसके आवास पर शुक्रवार को पहुंचे हुए थे. उन्होंने मृतक के पिता भाई तथा मां को सांत्वना दी.

बाद में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 10- 12 साल के लड़के का इस बात के लिए हत्या कर दिया गया कि वह गलत का विरोध कर रहा था. यह बहुत चिंता का विषय है. इस पर समाज को सोचना चाहिए . यदि दोषियों के खिलाफ पहले ही पंचायती होती, प्रशासन उस पर सक्रिय रहता तो इस तरह की घटना नहीं घटती.

उन्होंने कहा आरोपी अपना बर्थ डे कट्टा से केक काटकर मना रहा है. इस बात को सबने देखा. प्रशासन की नजर क्यों नही गई. समाज ने क्यों नही ऐक्शन लिया. इतनी बड़ी घटना घट ग ई.परिवार का चिराग बूझ गया.सपने धाराशाही हो गए.

उन्होने कहा कि इस चाकूबाजी मे कई लोग शामिल होंगे एक दो तो होंगे नहीं. इस कांड के लिए सिर्फ प्रशासन दोषी नही है.

उन्होंने कहा कि क्रिमिनल को बढावा तो सोसाईटी देती है. वहीं पोलटिशियन सिर्फ वोट बैंक सुरक्षित रहने की बात सोंचते हैं. प्रशासन स्पीडी ट्रायल चलाएं और दोषियों पर कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित कराएं. वहीं स्कूल के पूरे सिस्टम पर भी ध्यान देने की जरुरत है.

शहर में आदर्श आचार संहिता का उड़ रहा माखौल, हर सड़क चौराहे पर टंगे है भावी प्रत्याशियों के बड़े बड़े होडिंग्स और बैनर

Chhapra: नगरपालिका आम चुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया जारी है. दो चरणों में हो रहे नगर पालिका आम चुनाव के लिए छपरा नगर निगम एवं विभिन्न नगर पंचायतों के लिए वार्ड पार्षद, उप मुख्य पार्षद एवं मुख्य पार्षद के पदों के लिए नामांकन की प्रक्रिया इन दिनों रफ्तार में है.

जिले में चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू की गई है, लेकिन इसका असर ग्रामीण क्षेत्रों को कौन कहे शहर में ही नहीं दिख रहा है.

आम दिनों की भांति शहर के मुख्य चौक-चौराहों के साथ-साथ गली मोहल्लों में सभी भावी प्रत्याशियों के बैनर टंगे हैं. शहर के थाना चौक एवं नगरपालिका चौक को छोड़ दें तो मोना चौक, साहेबगंज, गांधी चौक सांढा रोड सहित अन्य सड़कों पर विद्युत पोल के साथ-साथ बड़े-बड़े होर्डिंग्स एवं बैनर आदर्श आचार संहिता में भी लोगों के बीच विभिन्न पदों पर अपने प्रत्याशी बनने की खबर पहुंचा रहे हैं.

इन मुख्य सड़कों से पूरे दिन जिला प्रशासन के दर्जनों वाहन गुजरते हैं. यहां तक की इस चुनाव को लेकर बनाए गए निर्वाचन पदाधिकारी के साथ थानाध्यक्ष, नगर निगम के पदाधिकारी एवं कर्मचारी पूरे दिन गुजरते हैं, लेकिन आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते बैनर और होर्डिंग किसी को दिखाई नहीं देती है.

शहर के मुख्य चौराहा मौना चौक के चारों तरफ बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे हैं. जिन पर प्रत्याशियों द्वारा चुनावी मैदान में खड़ा होने का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. छपरा नगर निगम चुनाव को लेकर इन बैनर और होर्डिंग में दावे कर रहे कुछ प्रत्याशियों ने अपना नामांकन निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष दर्ज करा दिया है तो वही कुछ प्रत्याशी अगले कुछ दिनों में अपना नामांकन दाखिल करेंगे.

नगर निगम चुनाव की घोषणा के बाद से ही आदर्श आचार संहिता लागू है, घोषणा के उपरांत सदर अनुमंडल पदाधिकारी ने सभी थानाध्यक्षों एवं अंचलाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारियों को पत्र निर्गत करते हुए छपरा नगर निगम, माझी, कोपा, एकमा बाजार, जलालपुर, सहित सहित अन्य क्षेत्रों में नगर निगम चुनाव को लेकर टंगे बैनर पोस्टर एवं होल्डिंग्स को हटाने का निर्देश दिया था. जिसके बाद नगर निगम के कर्मचारियों ने थाना चौक से दरोगा राय चौक, नगरपालिका चौक होते हुए कुछ सड़कों से बैनर और पोस्टर होल्डिंग्स को हटा दिया. लेकिन इसके बावजूद भी शहर की मुख्य सड़कों चौक चौराहों पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स इन कर्मचारियों की लापरवाही को उजागर करता है.

शहर में आदर्श आचार संहिता लागू होने के 1 सप्ताह बाद भी इन बैनर पोस्टर होल्डिंग्स का ना हटना आदर्श आचार संहिता का माखौल उड़ा रहा है.

बहरहाल नगर पालिका आम चुनाव को लेकर दोनों चरणों के लिए नामांकन का दौर जारी है. सोमवार को प्रथम चरण के नामांकन का अंतिम दिन है, वही दूसरे चरण के नामांकन की प्रक्रिया जारी रहेगी. विभिन्न पदों पर प्रत्याशी अपना नामांकन दर्ज करा रहे हैं. जिसके बाद उनके नामांकन पत्रों की संवीक्षा, नाम वापसी की प्रक्रियाओं के बाद उन्हें सिंबल प्रदान किया जाएगा.

जिसके बाद वह क्षेत्र में मतदाताओं के बीच अपने पक्ष में मतदान करने को लेकर प्रचार प्रसार करेंगे लेकिन इस चुनाव में अभी से ही बड़े-बड़े होर्डिंग्स इन भावी प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों को गोलबंद कर रहे हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

देश-दुनिया के इतिहास में 14 सितंबर की तारीख कई वजहों से दर्ज है। इस तारीख को ऐसा बहुत कुछ घटा है, जिससे इससे अतीत में झांकना जरूरी हो जाता है। भारत के लिहाज से 14 सितंबर की तारीख बहुत अहम है। दरअसल साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश के सामने कई बड़ी समस्याएं थीं। इसमें से एक समस्या भाषा को लेकर भी थी। भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती थीं। ऐसे में राजभाषा क्या होगी यह तय करना एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हिंदी को जनमानस की भाषा कहा करते थे।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में फैसला लिया गया कि हिंदी भी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। संविधान में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने का इस रूप में उल्लेख किया गया है- ‘संघ की राष्ट्रभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।’

मूर्धन्य साहित्यकार व्योहार राजेंद्र सिंह ने दूसरे साहित्यकारों आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त, सेठ गोविंद दास के साथ मिलकर हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा बनवाने में अथक योगदान दिया। इस संयोग कहिए कि राजेंद्र सिंह के जन्म दिन 14 सितंबर को ही संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। इसे 26 जनवरी 1950 को संविधान में स्वीकार कर लिया गया लेकिन तीन साल बाद 1953 में राजेंद्र सिंह के जन्म दिवस पर पहला हिंदी दिवस मनाया गया। इसके बाद पूरे देश में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

दुनिया के कंप्यूटर युग में बदलने के बाद हिंदी का प्रचार-प्रसार अत्यधिक तेजी से हुआ। कई तकनीकी विषयों की हिंदी में पढ़ाई ने हिंदी के प्रसार को नया आयाम दिया है। हिंदी के प्रभाव क्षेत्र का यह कारवां आज यहां तक पहुंच गया है कि अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हमारे देश में 77 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते, समझते और पढ़ते हैं।

इसके अलावा लॉर्ड विलियम बैंटिक को भारत में गवर्नर जनरल रहते हुए किए गए आर्थिक और सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है, लेकिन उनकी नीतियों से भारत को नुकसान भी उठाना पड़ा था। आज ही की तारीख को 1774 में लॉर्ड बैंटिक का जन्म हुआ था। वे 1828 में बंगाल के गवर्नर बने और 1833 से 1835 तक भारत के गवर्नर जनरल रहे। इस दौरान उन्होंने भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए बहुत कदम उठाए।

पहला बड़ा कदम था, न्याय व्यवस्था से पारसी को हटाकर उसकी जगह अंग्रेजी को लागू करना। साथ ही हायर एजुकेशन में अंग्रेजी उन्होंने ही दाखिल की, जिसने आगे चलकर कई भारतीयों के लिए विदेश में जाकर पढ़ने का रास्ता खोला। इसके अलावा, एक और कदम उन्होंने उठाया, वह था सती प्रथा का अंत। साथ ही उन्होंने मानव बलि, अनचाहे बच्चे की हत्या और ठगी खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। कई विद्वान यह भी कहते हैं कि लॉर्ड बैंटिक ने भारत में पश्चिमीकरण की शुरुआत की और कहीं न कहीं यही 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का कारण बना।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1770ः डेनमार्क में प्रेस की स्वतंत्रता को मान्यता मिली।

1833ः विलियम बैंटिक भारत का पहला गवर्नर जनरल बनकर आया।

1901ः अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की अमेरिका में गोली मारकर हत्या।

1917ः रूस आधिकारिक तौर पर गणतंत्र घोषित।

1949 : संविधान सभा ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया।

1959 : सोवियत संघ का अंतरिक्ष यान पहली बार चंद्रमा की सतह पर उतरा।

1960ः खनिज तेल उत्पादक देशों ने मिलकर ओपेक की स्थापना की।

1998 : माइक्रोसॉफ्ट, जनरल इलेक्ट्रिक को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनी।

1999ः किरीबाती, नाउरू और टोंगा संयुक्त राष्ट्र में शामिल।

2000ः माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज एमई की लॉन्चिंग की।

2000ः तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिकी सीनेट के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया।

2000ः ओलिंपिक मशाल सिडनी पहुंची।

2001 : अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के अभियान के लिए अमेरिका में 40 अरब डॉलर मंजूर किए।

2003ः गुयाना-बिसाउ में सेना ने राष्ट्रपति कुंबा माला की सरकार का तख्ता पलटा।

2003ः एस्टोनिया यूरोपीय संघ में शामिल हुआ।

2006ः परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने पर इब्सा में सहमति।

2007ः जापान ने तानेगाशिया स्थित प्रक्षेपण केंद्र से पहला चंद्र उपग्रह एच-2ए प्रक्षेपित किया।

2008ः रूस के पेर्म क्राई में पेर्म हवाई अड्डे पर एयरोफ्लोट विमान 821 के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से विमान में सवार सभी 88 लोग मारे गए।

2009: भारत ने श्रीलंका को 46 रनों से हराकर त्रिकोणीय सीरीज का कॉम्पैक कप जीता।

2016ः पैरालिंपिक में भारत ने चौथा पदक जीता।

जन्म
1894ः भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता ज्ञान चंद्र घोष।
1910ः दूसरे विश्वयुद्ध में सक्रिय महिला जांबाज रसूना सैद।
1914ः फिल्म निर्देशक गोपालदास परमानंद सिप्पी (जीपी सिप्पी) ।
1921ः कथाकर मोहन थपलियाल।
1923ः भारत के प्रसिद्ध वकील और राजनीतिज्ञ राम जेठमलानी।
1930ः फिल्म निर्माता राजकुमार कोहली।
1945ः भारतीय राजनीतिज्ञ, इंजीनियर और लेखक तथागत राय।
1954ः 42 यूनिवर्सिटी शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय श्रीकांत जिचकर।
1957ः प्रसिद्ध विद्वान और भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक गोपी कुमार पोदिला।
1963ः भारतीय क्रिकेटर रॉबिन सिंह।
1993ः ओलंपिक के लिए सीधी योग्यता हासिल करने वाले पहले भारतीय तैराक साजन प्रकाश।

निधन

1947ः हिंदी के कालिदास के रूप में प्रसिद्ध कविवर चन्द्र कुंवर बर्त्वाल।

1971ः ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध बांग्ला साहित्यकार ताराशंकर बंद्योपाध्याय।

1985ः हिन्दी सिनेमा के जाने-माने संगीतकार रामकृष्ण शिंदे।

1992ः आधुनिक राजस्थान के सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी कवि चंद्रसिंह बिरकाली।

2008ः मिर्जा गालिब के प्रख्यात विशेषज्ञ एवं उर्दू के विद्वान राल्फ रसेल।

दिवस

हिंदी दिवस

विश्व बन्धुत्व एवं क्षमा याचना दिवस

विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस

 

Chhapra: शहर के गांधी चौक पर दुर्गा पूजा को लेकर पूजा पंडाल का निर्माण चल रहा है.

यहां इस वर्ष कोलकाता के लोकनाथ मंदिर जैसे पंडाल को आकार देने में कारीगर लगे हुए हैं.

समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह, उपाध्यक्ष सोहन कुमार यादव और कोषाध्यक्ष बालेश्वर राय ने बताया कि बंगाल के रानाघाट से कारीगर पंडाल निर्माण के लिए बुलाए गए हैं.

इस पूजा समिति के द्वारा 1990 से पूजा का आयोजन होता आ रहा है. यहां हाजीपुर के कारीगर मूर्ति बनाते हैं. मां दुर्गा की मुर्तिंके साथ गणेश, लक्ष्मी, कार्तिक जी की भी प्रतिमा रहेगी. जिसके निर्माण में मूर्तिकार जुटे हुए हैं.