• सफाई एजेंसी के कार्यशैली पर उठे सवाल
  • एनजीओ के माध्यम से लिया जाएगा होल्डिंग टैक्स
  • लंबित कार्यों को लेकर पार्षदों के हंगामा

Chhapra: छपरा नगर निगम में गुरुवार को बोर्ड की बैठक आयोजित की गयी. इस दौरान बोर्ड ने अहम फैसले लिए. साथ ही साथ बैठक में नगर निगम के तमाम पदाधिकारियों के साथ साथ सभी वार्ड पार्षद उपस्थित रहे. बैठक के दौरान शुरू से ही वार्ड पार्षदों के बीच काफी गहमा गहमी देखने को मिली. पार्षदों ने निगम अधिकारियों से लंबित कार्यो को लेकर कई सवाल पूछे.

कूड़ा फैलाने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर 2000 जुर्माना

नगर निगम बोर्ड ने छपरा में कूड़ा फैलाने वालों के लिए आर्थिक दंड का प्रस्ताव पास किया है. इसके तहत कोई भी व्यवसायिक प्रतिष्ठान इत्यादि सड़क पर कूड़ा फेंकते हैं. तो उनके खिलाफ ₹2000 का फाइन लगाया जाएगा. निगम का कहना है कि शहर में डोर टू डोर सर्विस शहर में शुरू कर दिया गया है. इसलिए व्यवसायिक प्रतिष्ठान शाम में सड़क पर कूड़ा नहीं फेकेंगे. अगर वो ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही साथ अर्थदंड भी लगाया जाएगा. इसके इसके तहत तमाम होटल, रेस्टोरेंट के साथ साथ दुकानदार व अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को रखा गया है. बोर्ड के इस फैसले का सभी सदस्यों ने स्वागत किया.

सड़क पर बालू गिट्टी छोड़ने पर भी 2000 फाइन

यही नहीं शहर में सड़कों पर बालू, गिट्टी, ईट छोड़ने पर भी नगर निगम ₹2000 फाइन लगाएगा. पार्षदों की मांग थी, कि लोगों द्वारा सड़क पर अतिक्रमण किया जा रहा है. लोग मनमाने ढंग से बालू, गिट्टी गिराकर छोड़ देते हैं. जिससे सड़क जाम तथा आम लोगों को समस्या होती है. जिसके बाद बोर्ड ने ऐसा करने वालों पर दो हज़ार रुपया फाइन लगाने का प्रस्ताव पारित किया.

बोर्ड की बैठक में हुए ये महत्वपूर्ण फैसले

  • बोर्ड की बैठक में कई निर्णय लिए गए. इसके तहत तमाम टेंडरों के शीघ्र ही कार्यआदेश जारी करने का फैसला लिया गया.
  • शहर के विभिन्न भागों में नगर निगम द्वारा लगाए गए लाइट के मरम्मत का निर्देश दिया गया.
  • शहर में एलईडी लाइट लगा रही कंपनी ईईएसएल के भुगतान पर रोक लगाने पर भी प्रस्ताव पास किया गया.
  • एनजीओ द्वारा होगा होल्डिंग टैक्स कलेक्शन
  • होल्डिंग टैक्स के आधार पर आवास योजना का मिलेगा लाभ

सफाई एजेंसी की कार्यशैली पर पार्षदों के हंगामा

शहर में डोर टू डोर कचरा उठा रहे एंजेंसी के कार्यशैली पर पार्षदों ने जमकर सवाल किए. पार्षदों ने कहा कि एजेंसी ठीक से काम नहीं कर रही. एजेंसी के पास अपने पर्याप्त उपकरण भी नहीं हैं. इसपर निगम बोर्ड ने एजेंसी को चेतावनी दी है. अगर काम करने का तरीका नहीं सुधरा तो अगली बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास कर सफाई एजेंसी को हटाया जाएगा.

Chhapra:  न्याय फाइटिंग फॉर द पीपुल छपरा के संस्थापक महासचिव मोहम्मद सुल्तान हुसैन इदरीशी द्वारा छपरा नगर निगम बोर्ड से प्रधानमंत्री आवास योजना में हो रही लापरवाही एवं त्रुटि के समाधान के संबंध में नगर निगम बोर्ड को  खत लिखा है.
सुल्तान ने लिखा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022 तक सभी बेघरों का आवास लाभ देना सरकार का लक्ष्य है. मगर छपरा नगर निगम के कर्मियों द्वारा इस कार्य में लापरवाही की जा रही है. जब योजना का शुभारंभ हुआ था तो शुरुआत में कुछ लोगों को इसका लाभ मिला था. मगर इसके बाद योजना के कार्यान्वयन का लाभ गरीब एवं आम जनता को नहीं मिल पाया. कभी फार्म गायब हो जाता है तो कभी डेटा का बहाना बना निगम कर्मचारी योजना का पलीता लगाने में लगे रहे.
मोहम्मद सुल्तान ने निगम कर्मियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि बार-बार नियम बदले जा रहे हैं. अबकी बार आवास योजना के लिए चयनित लोगों से ब्लॉक का रसीद मांगा जा रहा है और ब्लॉक से निर्गत एलपीसी जबकि छपरा नगर निगम क्षेत्र में दर्जनों मोहल्ले ऐसे हैं जो अनसर्वेड हैं. जिस वजह से रसीद नहीं निर्गत हो पा रहा है.

वहीं नगर निगम की महिला पार्षद नाजिया सुल्तान ने कई बार लोगों को लाभ देने के लिए कार्रवाई करने का प्रस्ताव दिया. जिसकी बोर्ड द्वारा स्वीकृति भी मिली. परंतु निगम प्रशासन द्वारा आज तक स्वीकृति प्रस्ताव पर कोई कार्य नहीं किया गया. जिससे सैकड़ों लोग लाभ से वंचित हैं. पार्षद ने बोर्ड से प्रस्ताव पारित कर नियमों में बदलाव लाने की दरखास्त की है. जिससे आवास योजनाओं के लाभुकों को इसका लाभ मिल सके.

Chhapra: छपरा में आधुनिक सुविधाओं से लैस आश्रय भवन बनकर तैयार हो गया है. छपरा सदर अस्पताल ओपीडी के पीछे बने इस आश्रय भवन को 49 लाख 33 हज़ार की लागत से निर्मित किया गया है. यहां ठहरने के लिए आपको प्रतिदिन मात्र 20 से ₹25 खर्च करने होंगे. यहां आपको वो सारी सुविधाएं मिलेंगी जो एक निजी होटल में होती हैं.

50 बेड, आरओ वाटर, टेलीविजन और सस्ता खाना जैसी अनेक सुविधाएं

यह तीन मंजिला मंजिला आश्रय भवन 50 बेड से लैस है. यहां आपको सस्ते दर पर खाना के साथ प्रत्येक बेड के पास मोबाइल चार्जर, सामान रखने के लिए लॉकर, पीने के लिए आर ओ पानी की सुविधा मिलेगी. इसके अलावें इस आश्रय भवन में भारतीय व वेस्टर्न शौचालय दोनों बनाये गए हैं. साथ ही साथ मनोरंजन के लिए टेलीविजन भी लगाया गया है.

आधार कार्ड दिखाकर कोई भी रुक सकता है

यहाँ रुकने के लिए किसी भी व्यक्ति को आधार कार्ड होना जरूरी है. आधार कार्ड दिखाकर कोई भी व्यक्ति यहां एक बेड लेकर रुक सकता है. इससे भवन का संचालन व देखरेख स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जाएगा. छपरा नगर निगम द्वारा जनवरी के अंतिम सप्ताह में से शुरू कर दिया जाएगा जिसके बाद लोग यहां सस्ते दरों में ठहर सकते हैं.

Chhapra: शहर की स्वच्छता को लेकर सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ हो चुका है. विगत 2 वर्षों से लगातार निचले पायदान पर रहने वाले छपरा शहर को इस बार ऊपरी पायदान पर बढ़ने के आसार दिख रहे हैं. हालांकि छपरा नगर निगम द्वारा स्वच्छता को लेकर किए गए प्रयासों के बावजूद भी विगत 1 वर्षों में शहर की तस्वीरों में बदलाव नहीं दिख रहा है.

4 जनवरी से स्वच्छता को लेकर प्रारंभ होने वाले इस सर्वेक्षण में इस बार बदलाव किए गए हैं. पिछले 3 वर्षों की तुलना में इस बार देश के सभी शहरों में स्वच्छता का सर्वेक्षण किया जाना है. जिससे छपरा शहर को इस सर्वेक्षण में 500 के भीतर रहने में भी परेशानी होगी.

शहर के सफाई की चर्चा करें तो नियमित रूप से कचड़ों का उठाव होने के बावजूद भी शहर के कई मुख्य स्थानों पर कचड़ों का अंबार लगा है. वहीं शहर की कई सड़कों में मूत्रालय एवं शौचालय की स्थिति नगण्य है.।

यहां तक की नगर निगम कैंपस एवं नगरपालिका चौक, थाना चौक, मौना चौक, गांधी चौक, साहेबगंज, दरोगा राय चौक, बस स्टैंड, कचहरी स्टेशन सहित कई स्थानों पर ना हीं एक मूत्रालय है और ना ही शौचालय. जिससे गंदगी फैल रही है.

साहेबगंज चौक से लेकर मौना चौक एवं कटहरी बाग तक सड़कों पर कचरा फैला हुआ है.

ऐसे में स्वच्छता को लेकर कराए जा रहे सर्वेक्षण 2019 में छपरा शहर को 500 के भीतर आना नामुमकिन साबित होगा. हालांकि इस बार सर्वेक्षण की प्रक्रिया में बदलाव है. शहरवासियों को स्वयं सर्वेक्षण में भाग लेना होगा एवं आवंटित कंपनी भी अपने तरीके से सर्वेक्षण करेगी.

विदित हो कि वर्ष 2016 में देश के सिर्फ 73 शहरों का सर्वेक्षण किया गया था. जिसके बाद 2017 में 434 शहरों का सर्वेक्षण किया गया. जिसमे अपना शहर छपरा शामिल था और 422वे नम्बर पर था. वही विगत वर्ष 2018 में 4203 शहरों के सर्वेक्षण में 417वे नंबर पर था. नगर निगम द्वारा प्रतिदिन करीब 13 लाख रुपयें सफाई पर एनजीओ के माध्यम से खर्च किये जाते है. इसके बावजूद भी अपना शहर 2018 के सर्वेक्षण के दौरान देश के सबसे 15 गंदे शहरों में 13वे नम्बर पर शामिल था.

ऐसे में शहर की स्वच्छता को लेकर कराए जा रहे सर्वेक्षण में शहर की संख्या बेहतर करने के लिए आम से लेकर खास तक को सर्वेक्षण में भाग लेने की जरूरत है.

छपरा: विकास कार्यों को लेकर छपरा नगर निगम कार्यालय में सोमवार को सशक्त स्थाई समिति की बैठक का आयोजन किया गया. बैठक के दौरान शहर की सड़कों और वार्डों में साफ-सफाई व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए ज़ोर देने पर चर्चा हुई. इस मौके पर मेयर प्रिया सिंह ने शहर में सफाई करने वाले एनजीओ की जमकर क्लास लगायी. उन्होंने एनजीओ को शख्त निर्देश देते शहर में सफाई व्यवस्था जल्द से जल्द दुरुस्त करने के लिए कहा. प्रिया सिंह ने एनजीओ को फटकार लगाते हुए पूछा कि लोगों की शिकायत आने के बाद भी एनजीओ द्वारा लापरवाही क्यों होती है. शहर में ठीक से सफाई हो अगर लोगों की शिकायतें मिली तोअब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

लाभुकों के खाते में जल्द भेजा जाएगा शौचालय और आवास योजना की राशि

इस बैठक में नगर निगम द्वारा आवास योजना, शौचालय योजना तथा कई अहम योजनाओं के लिए लाभुकों को राशि जल्द से जल्द भुगतान करने के लिए निर्णय लिया गया. इसके अलावें नगर निगम ने जेम पोर्टल से मोबाइल शौचालय खरीददारी के लिए अपने कर्मियों को ट्रेनिंग के लिए भी भेजा.

स्टैंडिंग कमिटी की बैठक के दौरान शहर में अब हर रोज फागिंग करने का निर्णय लिया गया. इससे मच्छरों का आतंक कम किया जा सकेगा, साथ ही लोगों को बीमारियों से भी बचाया जा सकेगा. इसके नगर निगम में उपलब्ध सभी खराब और बन्द पड़े फोगिंग मशीनों को ठीक किया जा चुका है. ये मशीनें शहर में रोज फॉगिंग करते नजर आएंगी. साथ ही साथ निगम के इस बैठक में निविदा कार्य व अन्य विकास कार्यों पर युध्द स्तर पर तेज़ी लाने का निर्णय किया गया.

स्थाई समिति की इस बैठक में मेयर प्रिया सिंह के साथ डिप्टी मेयर अमितांजली सोनी, वार्ड पार्षद उदय कुमार सिंह, सिटी मैनेजर, नरगिस बानो आदि उपस्थित थे.

Chhapra: विभाग के निर्देश के बाद भी छपरा नगर निगम क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त नही हो पाया है. छपरा को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए विभाग ने नगर निगम को 2 अक्टूबर तक का समय दिया था. जिसके बाद 2 अक्टूबर बीत जाने के बाद भी छपरा को खुले में शौच से मुक्त नहीं कराया जा सका है. शौचालय के अभाव में अब भी निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्डों के लोग खुले में शौच के लिए जा रहे हैं. सबसे ज्यादा तो वार्ड 12, 14 के साथ अन्य वार्डों के लोग दियारा इलाक़ों में खुले में शौच के लिए जा रहे हैं.

नगर निगम की सुस्ती के कारण नहीं खत्म हुई समस्या

इस क्षेत्र में होने वाले कार्य में नगर निगम लगातार सुस्ती दिखा रहा है. जिस कारण छपरा खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाया है. इससे पहले छपरा नगर निगम के 28 वार्डों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था. जिसके बाद 2 अक्टूबर तक 7 और वार्डों को ओडीएफ घोषित किया गया है. अभी भी शहर के 10 वार्ड ओडीएफ घोषित होने का इन्तेजार कर रहे हैं.

छपरा को खुले में शौच से मुक्त करने की दिशा में नगर निगम ने सामुदायिक शौचालय बनवाने की बात कही गयी थी. इसके तहत वैसे लोग जिनके घरों में शौचालय बनवाने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है. उनके लिए सामुदायिक शौचालय बनाने की बात कही गयी थी. लेकिन तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी शहर में एक भी सामुदायिक शौचालय नहीं बनवाया जा सका है.

इसके अलावें शहर में पहले से मौजूद सामुदायिक शौचालयों का हाल बेहद खराब है. नगर निगम की अनदेखी के कारण कई शौचालय जजर्र हो गए है. इनकी मरम्मती तक भी नहीं करायी गयी है. इसके अलावें कुछ सामुदायिक शौचालय अतिक्रमण का भी शिकार हो गए हैं.

नही खरीदे एक भी नये मोबाइल टॉयलेट

इसके अलावा नगर निगम द्वारा शहरवासियों के लिए बड़ी संख्या में मोबाइल टॉयलेट खरीदने की बात कही गई थी. लेकिन 2 अक्टूबर बीत जाने के बाद भी एक भी नये मोबाइल टॉयलेट नहीं खरीद पाया है. वही पहले से मौजूद मोबाइल टॉयलेट इस्तमाल करने को लेकर लोगों को जागरूक भी नहीं किया गया. ये मोबाइल टॉयलेट लावारिस हालात में इधर उधर पड़े हुए हैं.

गौरतलब है कि छपरा नगर निगम द्वारा कराय गये सर्वे में 6500 से अधिक परिवारों में शौचलय नहीं होने की बात सामने आयी थी. जिसके बाद हज़ारों परिवारों से आवेदन लेकर उन्हें दो मुश्त में शौचालय बनाने की राशि दी जानी थी. निगम कर्मचारियों का कहना है कि लगभग लोगों को पहली किश्त व दूसरी किश्त राशि भेज दी गयी है. कुछ ही लोगों को ये रकम भजेना बाकी है. साथ ही शौचालय बनवाने के लिए नये आवेदन अब नहीं आये हैं. देखने वाली बात यह होगी कि आखिर कब तक छपरा नगर निगम खुले में शौच से मुक्त हो पाता है.क्या बोलीं मेयर: शौचालय की समस्या को लेकर छपरा नगर निगम की मेयर प्रिया सिन्हा का कहना है कि शौचालय से सम्बन्धित कार्य नगर आयुक्त देखते हैं. आगामी बोर्ड की बैठक में नगर आयुक्त से इस बारे में सवाल किया जाएगा.