New Delhi/Chhapra: भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु भोजपुरी क्षेत्रों के सांसदों ने कवायद तेज कर दी है. दिल्ली में सभी सांसद एक जगह एकत्रित हुए.

इस सम्बंध मे जानकारी देते हुए महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने बताया कि सभी सांसद इस बात पर सहमत हुए कि भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराना ही सभी का एकमात्र उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा करोड़ों लोगों की भाषा है. विश्व के कई देशों में भी यह बोली जाती है. यह भाषा आज तक उपेक्षित रही है.

इसे भी पढ़ें: छपरा में दिनदहाड़े मिर्चा झोंक अपराधियों ने मारी गोली, व्यापारी से 6 लाख लूटे

इसे भी पढ़ें: कारगिल विजय दिवस की 20वीं बरसी पर रोटरी सारण ने शहीदों को किया नमन

भोजपुरी भाषा भाषी क्षेत्र के करोड़ों लोगों की वर्षों पुरानी मांग है कि इस भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि यह भाषा अपनी पहचान बना सके. इस भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाने से लाखों युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी भाषा में परीक्षा देने का अवसर मिलेगा. भोजपुरी गीत संगीत, भोजपुरी के कवि, लेखक, गीतकार, साहित्यकार रंगकर्मी को उचित सम्मान मिलेगा.

एक साथ एकत्रित होकर भोजपुरी भाषा के प्रति दृढ़ संकल्पित होने वाले सांसदों में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, अर्जुन राम मेघवाल, आर के सिन्हा, मनोज तिवारी, विरेंद्र सिंह मस्त, जगदंबिका पाल, रवि किशन, हरीश द्विवेदी, संगम लाल गुप्ता आदि उपस्थित रहे.

Chhapra: भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग लगातार उठती रही है. भोजपुरी क्षेत्रवासी हमेशा से चाहते हैं कि भोजपुरी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाए.

महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए मंगलवार को संसद में नियम 377 के अधीन सूचना के अंतर्गत इस मामले को उठाया.

इसे भी पढ़ें: सासंद रूडी ने अपनी ही सरकार को संसद में घेरा, बिहार में पर्यटन की अनदेखी को लेकर उठाए सवाल

सांसद सिग्रीवाल ने संसद में मांग उठाते हुए कहा कि अभिव्यक्ति के लिए भाषा की महत्ता और अनिवार्यता कितनी है हम सभी इस से अवगत हैं. इसी कारण व्यक्ति अपने अपने क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाओं के विकास, प्रचार, प्रसार और मान्यताओं के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है. हमारे देश में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं इन्हीं भाषाओं में से एक प्राचीन भाषा का भोजपुरी भी है. यह भाषा विश्व के कई देशों तथा देश के कई राज्यों में करोड़ों करोड़ों लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है.

इतनी प्राचीन और बड़े भूभाग में बड़ी जनसंख्या में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किए जाने हेतु देश के अनेक संगठनों, प्रतिनिधियों द्वारा बहुत लंबे समय से संसद से लेकर सड़क तक आवाज उठाई जाती रही है. पूर्व की सरकारों द्वारा कई बार आश्वासन दिया गया की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने हेतु शीघ्र आवश्यक कदम उठाया जाएगा. इसके बावजूद आज तक भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं किया जा सकता है.

सांसद सिग्रीवाल ने लोकसभा के अध्यक्ष के माध्यम से सरकार से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने हेतु शीघ्र आवश्यक कदम उठाया जाए. जिससे कि देश के अंदर वास कर रहे करोड़ों लोगों की भावनाओं और उनके विश्वास का आदर हो सके.