Isuapur: प्रखण्ड की सेविका और सहायिका अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है. इसुआपुर धर्मशाला परिसर में आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए अपनी मांगो के समर्थन में आवाज बुलंद की.

प्रखंड के सौ से अधिक केंद्रों के सेविका और सहायिकाओं ने अपने 17 सूत्री मांगों को लेकर आवाज उठाते हुए जोरदार नारे लगाए.

हड़ताल में शामिल सेविकाओं कहना है कि सरकार विगत हड़ताल समाप्ति को लेकर बनी सहमति को अबतक पूरा नही कर पाई है. सरकार के ढुलमुल रैवये से सेविका सहायिका अपने को ठगा महसूस कर रहे है.

सेविकाओं का कहना है कि सरकार के मंत्री ने वार्ता किया था लेकिन वेतन वृद्धि सहित अन्य लाभ को लेकर बनी सहमति आजतक ठंडे बस्ते में है. उन्होंने 17 सूत्री मांग का एक आवेदन भी प्रखंड कार्यालय में सीडीपीओ को देते हुए अनिश्चित कालीन हड़ताल की घोषणा की है.

Chhapra: मार्च में शिक्षकों की फीकी होली के बाद मई के महीनें में शिक्षकों का रमज़ान भी बदरंग होने जा रहा है. नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार की बेरुख़ी और शिक्षकों का अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे रहना दोनों ही इसके कारण है. नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है.कोरोना वायरस के Lockdown के बाद ही शिक्षक हड़ताल पर है. विद्यालय भी विगत 13 मार्च से बंद है. फिलहाल lockdown की अवधि 17 मई तक निर्धारित है.

17 फरवरी से हड़ताल पर रहने वाले शिक्षकों को वेतन नही मिल रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा वैसे शिक्षकों को वेतन देने की अनुमति है जो हड़ताल से वापस आये हो, वह भी उस दिन से जब वह हड़ताल से वापस आये हो. शिक्षक संघ द्वारा जारी सूची के अनुसार जिले में प्रारंभिक विद्यालयों में करीब 95 प्रतिशत से अधिक शिक्षक एवं माध्यमिक विद्यालयों में 85 प्रतिशत शिक्षक हड़ताल पर है.

मुस्लिम शिक्षकों के लिए रमज़ान का महीना पाक पवित्र और ईबादत का महीना है. इस माह में मुस्लिम समुदाय के सभी 30 दिनों का रोजा रखते है साथ ही साथ ईद के अवसर पर नए नए कपड़ों की खरीददारी होती है. लेकिन इस बार मुस्लिम शिक्षकों का रोज़ा और रमज़ान बदरंग हो रहा है. फरवरी से वेतन नही मिलने के कारण शिक्षक आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके है, ऐसे में घर परिवार के लोगों का रोजा रखना भी मुश्किल हो रहा है.

25 मई को ईद है ऐसे में मुस्लिम शिक्षकों को यह चिंता सता रही है कि उनके बच्चों एवं परिवार की उम्मीदों पर क्या होगा. बहरहाल केंद्र सरकार ने Lockdown की अवधि में सभी को कार्यरत मानते हुए वेतन देने का आदेश दिया है. लेकिन शिक्षकों के हड़ताल पर रहने से राज्य सरकार ने कोई निर्देश नही दिया है. शिक्षक संघ सरकार से बार बार वार्ता करने की बात कह रहे है लेकिन सरकार वार्ता को तैयार नही हो रही है और ना ही शिक्षकों पर किसी तरह की नरमी का ही आदेश जारी कर रही है.

Chhapra: छपरा जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव तथा बिहार शिक्षा मंच के संयोजक प्रो रणजीत कुमार ने बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को एक खुला पत्र भेजकर 25 फरवरी से अपनी न्यायोचित माँगो की पूर्ति हेतु शिक्षकों द्वारा जारी आंदोलन को अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने नियोजित शिक्षकों की मूल मांगों जैसे वेतनमान, पेंशन, सेवांत लाभ, अंतरजिला स्थानांतरण, राज्यकर्मी का दर्जा, भविष्य निधि कटौती, उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मान सम्मान तथा समय से वेतन भुगतान के मुद्दे पर बेबाकी से समय समय पर सरकार को दर्जनों पत्र लिखकर समस्याओं एवम मांगों से अवगत कराया है. लेकिन एक सोची समझी राजनीति के तहत धरने को सम्बोधित करने से मुझे मना कर दिया गया. इस निर्देश को केवल सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के दायरे में आने वाले सारण, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी एवम पश्चिमी चंपारण में सख्ती से लागू किया गया जबकि उसी दिन आपने हड़ताल का समर्थन करने के लिए बिहार की जनता के नाम से एक अपील पत्र भी जारी किया.

सरकार से लोकतांत्रिक मूल्यों एवम परम्पराओं के निर्वहन की अपेक्षा करने वाले अपने संकीर्ण सियासी लाभ के लिए इन शाश्वत मूल्यों को दफन करने में जरा भी संकोच नहीं करते. ऐसा प्रतीत होता है कि संघ और सियासत के शतरंजी बिसात पर आपको मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

इन सवालों का जवाब दे माननीय

प्रो कुमार ने आम शिक्षकों की तरह संघ नेतृत्व की नीति एवम नीयत को लेकर सवाल खड़ा किया है जिसमे नियोजन वाद का संघ का समर्थन, शिक्षकों के वोट की बदौलत 18 वर्ष से विधान पार्षद के पद पर रहने के बावजूद शिक्षक शोषित हो रहे है. इनकी आवाज नही उठायी गयी. वस्तुतः शिक्षकों की रहनुमाई के नाम पर लगातार शिक्षक हितों की सौदेबाज़ी होती रही है. सत्ता के साए में सुविधा की सियासत करने वाले शिक्षकों के दुःख दर्द को क्या समझेगें? अभी हाल में ही विधानमंडल में राज्यपाल के अभिभाषण पर शिक्षक प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवाल का जबाब देने के क्रम में जब मुख्यमंत्री शिक्षकों को जलील करने वाली भाषा का प्रयोग कर रहे थे तो आपके विधान पार्षद महोदय प्रतिकार करने के बदले सदन से ही अनुपस्थित हो गए.

मुख्यमंत्री का यह कहना कि ज्यादा बोलिएगा तो सारा पोल पट्टी खोलकर रख देंगे. क्या राज है जिसके खुलने से माननीय भयभीत हैं? बिहार सरकार वर्ष 2006 से ही नियोजित शिक्षकों के नाम पर कुल 37500/-(60%केंद्र तथा 40%राज्य) उठाती रही है और शिक्षकों को वेतन मद में 6000 रु से प्रारंभ कर आजकल अधिकतम 30000 रु दे रही है. सब कुछ जानते हुए भी क्या विधान पार्षद ने कभी शोषण एवम अन्याय के खिलाफ सदन में अपनी आवाज़ बुलंद किया ?शिक्षकों के इस अनवरत शोषण में क्यों नहीं माननीय की भी संलिप्तता मानी जाय?

वामपंथी नेताओं के बारे में आम धारणा है कि उनमें पदलोलुपता एवम कुर्सी प्रेम अन्य दलों की तुलना में कम होता है लेकिन यहाँ तो उल्टा दिखाई पर रहा है. संघ के दोनों महत्वपूर्ण पदों पर ताउम्र काबिज़ रहने के लिए संघ के संविधान में संशोधन कर पदों की अदला बदली कर ली गई. क्या संघ में कोई दूसरा काबिल व्यक्ति नहीं है जो इन पदों को सँभाल सके?नियोजित शिक्षकों को अपने हाल पर रोना आ रहा है और नेता शिक्षकों से प्राप्त चंदे की राशि से 27 लाख की गाड़ी खरीदकर सवारी कर रहे हैं.

बी एस टी ए राजनीतिक संगठन है और अध्यक्ष क्या विधानपार्षद पद हेतु संघ के घोषित उम्मीदवार हैं? यदि नहीं तो संघ का व्यक्तिगत सियासी महत्वाकांक्षा के लिए दुरुपयोग क्यों ? अप्रैल में विधानपार्षद का चुनाव होना था इसे ध्यान में रखते हुए 25 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई. इससे इनका छिपा हुआ सियासी एजेंडा सामने आ गया. सरकार की हठधर्मिता की वजह से शिक्षक निलंबित हुए हैं.उनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज किया गया है. कार्यरत अवधि का भी वेतन रोक दिया गया है. अप्रत्याशित कोरोना महामारी एवम लॉक डाउन की वजह से आंदोलन की धार भी कुंद पर गई है.

कुल मिलाकर शिक्षकों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. सवाल है कि जब सब कुछ शिक्षकों को ही करना और भोगना है तो फिर नेता क्या करेंगे ? विधान मंडल सत्र के दौरान सरकार की हठधर्मिता के विरुद्ध अपने सहयोगियों के साथ अध्यक्ष जी विधानमंडल के समक्ष भूख हड़ताल पर क्यों नहीं बैठे ?सरकार के साथ वफादारी भी निभाएंगे और चुनाव नजदीक आने पर शिक्षकों को सब्जबाग भी दिखाएगें. शिक्षक समाज इस सियासी खेल पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं.

पत्र में उठाये गए मसलों पर आपका तथ्यात्मक जवाब शिक्षकों को मिलेगा, मुझे ऐसी आशा है. पुनश्च मैं चार लाख नियोजित शिक्षकों की न्यायोचित मांगों का समर्थन करता हूँ तथा उनके संघर्ष में शामिल हूँ.

Patna: बिहार राज्य शिक्षक समन्वय समिति के अध्यक्ष मंडल सदस्य केशव कुमार ने शिक्षकों की चट्टानी एकता को सलाम करते हुए बिना सरकार के सम्मानजनक वार्ता के हड़ताल समाप्त नही करने का संदेश दिया है.

उन्होंने कहा कि राज्य के 4 लाख शिक्षकों की अस्मिता पर बन आयी है. एक तरफ शिक्षा मंत्री शिक्षकों से वार्ता की पहल करते है. शिक्षकों को आश्वासन देते है कि सरकार उनके प्रति संवेदनशील है और एक रात में ही वह अपने बयानों से पलट जाते है.

कोरोना की वजह से लाॅक डाउन के बावजूद भीं शिक्षकों से वार्ता न कर कोरोना जैसे महामारी मे भी इस सरकार ने शिक्षको की सुधी लेना उचित नहीं समझा. आज तक कोरोना से बिहार मे महज एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है जबकी बिहार मे हड़ताली शिक्षकों के बीच से वेतन के अभाव मे 45 शिक्षको ने दम तोड दिया. सरकार यदि आज भी संवेदनशील नहीं हुई तो न जाने आगे कितने शिक्षको पर सामत आएगी. उन्होंने कहा कि हर एक शिक्षको के मृत्यु का जवाब सरकार को देना होगा. केशव कुमार ने आगे कहा की आर्थिक रूप से कमजोर हमारे शिक्षक को यदि विशेष परिस्थिति आ जाए तो वह संघ को जरूर सूचित करे शिक्षक समाज उसका हर संभव मदद करेगा. इसके अलावे 45 मृत शिक्षको के परिजनो को उन्होंने संघ व चार लाख शिक्षक समाज के तरफ से संत्वना देते हुए लाॅक डाउन के बाद सरकार व संघ के तरफ से हर संभव मदद का आश्वासन दिया.

Patna: नियमित शिक्षकों की भांति राज्यकर्मी का दर्जा और हूबहू सेवा शर्त की मांग को लेकर जारी शिक्षकों की हड़ताल जारी है. शिक्षको की हड़ताल 50 दिन के बाद भी जारी है. हड़ताली शिक्षकों के प्रति सरकार का उदासीन रवैया शिक्षकों के आंदोलन को गति प्रदान कर रहा है ऐसे में सबसे विकट समस्या उन शिक्षकों की है जो आर्थिक तंगी के कारण एक एक कार इलाज के अभाव में मौत की गाल में समा रहे है.

सूबे में अबतक 42 शिक्षकों की मौत हो चुकी है. इन शिक्षकों की मृत्यु हड़ताल अवधि में हुई है. सरकार के उदासीन रैवये को देखते हुए परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार, राज्यपाल बिहार एवं मानवाधिकारी आयोग बिहार को पत्र भेजकर बिहार में आर्थिक तंगी के कारण हो रही शिक्षकों की मौत पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है.इस संदर्भ में बंशीधर ब्रजवासी का कहना है कि राज्य के शिक्षक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है. कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉक डाउन में सभी हड़ताली शिक्षक भी सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे है. भारत सरकार ने निर्देश दिया कि इस लॉक डाउन अवधि में सभी सरकारी और निजी संस्थान में कर्मचारी को कर्तव्य पर मानते हुए उन्हें वेतन का भुगतान किया जाए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार सभी के लिए राहत योजना एवं अन्य राहत की घोषणाएं कर रही है लेकिन राज्य के 4 लाख शिक्षको को लेकर किसी तरह के बयान नही दे रही है. नियोजित शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. हालात यह है कि जो शिक्षक बीमार थे वह आर्थिक तंगी के कारण अपना इलाज नही करा पा रहे है. अपने परिवार के हालात सोंचकर कई शिक्षकों की ह्रदयघात से मृत्यु हो चुकी है.

राज्य में एक व्यक्ति की मौत कोरोना वायरस से हुई है. सरकार उनके प्रति जितनी सवेंदनशील दिख रही है वैसे राज्य के 42 शिक्षकों की मौत पर नही दिख रही. एक एक कार शिक्षक मौत के मुँह में जा रहा है लेकिन राज्य सरकार के रवैया उदासीन है. सरकार शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर उन्हें इस आर्थिक तंगी से निजात दिलाये, शिक्षकों से वार्ता करें, उनकी मांगों पर पहल करें.

Patna: राज्य में वर्ग 1 से लेकर 12 तक की विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों को फरवरी माह के वेतन भुगतान को लेकर पत्र जारी कर दिया गया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर के महाजन ने हड़ताली शिक्षकों के वेतन भुगतान को लेकर पत्र जारी करते हुए सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं.FEB 2020 teacher payment letter

अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी पत्र में कहा गया है की राज्य के नियोजित शिक्षकों को फरवरी 2020 माह के लिए कार्य की अवधि तक वेतन का भुगतान किया जाएगा. जो शिक्षक हड़ताल पर है उन्हें नो वर्क नो पे के आधार पर वेतन का भुगतान नही किया जाएगा.

विदित हो कि राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से हड़ताल पर हैं, वही माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नियोजित शिक्षक 25 फरवरी से हरताल पर है. शिक्षकों द्वारा लगातार नियमित शिक्षकों की भांति राज्य कर्मी का दर्जा एवं हू ब हू सेवा शर्त की मांग की जा रही है.

नियोजित शिक्षकों की इस हड़ताल को देखते हुए राज्य सरकार ने नो वर्क नो पे के साथ-साथ जनवरी एवं फरवरी माह के वेतन के भुगतान पर भी रोक लगाई थी. लेकिन विगत कुछ दिनों पूर्व शिक्षकों को जनवरी माह के वेतन का भुगतान किया गया. वही मंगलवार को फरवरी माह के कार्य अवधि के वेतन के भुगतान को लेकर भी पत्र जारी कर दिया गया.

Patna: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर के महाजन ने शिक्षको के जनवरी और फरवरी के वेतन भुगतान का आदेश निर्गत किया है.

अपर मुख्य सचिव आर के महाजन द्वारा जारी पत्र में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना एवं डीपीओ समग्र शिक्षा को निर्देश देते हुए कहा गया है कि वर्ग एक से 12 तक के सभी नियमित और नियोजित शिक्षकों को वेतन का भुगतान किया जाए. साथ ही साथ फरवरी माह के वेतन भुगतान को लेकर कुछ बंदिशें भी लगाई गई है.फरवरी माह के वेतन भुगतान को लेकर जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि इस माह में कई शिक्षक हड़ताल पर है इस परिस्थिति में फरवरी माह का भुगतान वैसे ही नियमित, नियोजित शिक्षकों को किया जाए. जो इंटर और मैट्रिक की परीक्षा में वीक्षण एवं मूल्यांकन कार्य मे शामिल हो हड़ताल में शामिल नही हो.सभी पदाधिकारियों को यह भी कहा गया है कि वेतन भुगतान की कार्रवाई की सूचना 31 मार्च तक भेजना भी सुनिश्चित करें.

Chhapra: हड़ताली नियोजित शिक्षकों ने कोरोना वायरस के प्रति सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया गया. हड़ताली शिक्षको ने स्थानीय नगरपालिका चौक पर एकत्रित होकर हाथ को धोया.

बिहार राज्य समन्वय समिति के आह्वान पर शिक्षक नेता समरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रति जागरूक होने की जरूरत है. आम जनमानस में जागरूकता से ही इसको समाप्त किया जा सकता है.

श्री सिंह ने कहा कि सरकार हड़ताली शिक्षको के प्रति ढुल मूल रवैया अपना रही है.सरकार की सभी बातों को दरकिनार कर शिक्षक हड़ताल ओर रहकर कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता अभियान में शामिल है. प्रतिदिन इनके द्वारा जागरूकता फैलाया जाएगा जिससे कि किसी को इस बीमारी का संक्रमण ना हो.श्री सिंह ने कहा कि शिक्षको ने हाथ धुलाई का कार्यक्रम कर यह संदेश दिया है कि स्वच्छ रहकर ही इस बीमारी को भगाया जा सकता है. खाने के पूर्व खाने के बाद, सहित सभी कार्यो को करने एवं उसकी समाप्ति के बाद और समय समय पर हैंडवाश करें.

इस अवसर पर अरविंद राय, संजय राय,सुनील सिंह, संतोष कुमार, संजय राय, राजू सिंह, शशि शेखर, रमेश कुमार सिंह प्रवीण कुमार सहित दर्जनों शिक्षक मौजूद थे.

Chhapra: जिले में चल रहे नियोजित शिक्षकों की हड़ताल के 14वे दिन शिक्षकों ने अपने-अपने विधानसभा के विधायक के आवास पर धरना दिया. साथ ही साथ अपनी मांगों को लेकर एक मांग पत्र सौंपते हुए उनसे सदन में इस पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने का आग्रह किया.

हड़ताली नियोजित शिक्षकों द्वारा छपरा स्थित मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक जितेंद्र कुमार राय, तरैया विधानसभा क्षेत्र के विधायक मुद्रिका प्रसाद राय के चकहन आवास पर, विधायक मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह के आवास पर धरना देते हुए अपना मांग पत्र सौंपा. मांग पत्र मिलने के बाद गरखा के विधायक पूर्व मंत्री मुनेश्वर चौधरी ने कहा कि शिक्षकों की मांग जायज है, विपक्ष में बैठी राजद ने सदन में शिक्षकों की मांगों को रखा है. सरकार को इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए. जिससे समाज और शिक्षक दोनों की समस्या का निदान हो सके.उधर विधायक मुद्रिका प्रसाद राय ने भी शिक्षकों से मिले मांग पत्र के बाद कहा कि शिक्षक हड़ताल पर बैठे हैं. इस विषय पर शिक्षकों से सरकार को आगे आकर वार्ता करनी चाहिए. सरकार को अविलंब इस हड़ताल को खत्म करवाने का प्रयास करना चाहिए. शिक्षकों की मांग जायज है.

मांग पत्र सौपने वालो में संजय राय, ब्रजेश सिंह, राकेश सिंह, सुरेंद्र सिंह, विजय विजेंद्र, संतोष कुमार, राजेश कुमार सिंह, रागिनी, रिंकी कुमारी, रंजू कुमारी, माला कुमारी, सुधा कुमारी, अरुण प्रसाद यादव, सेराजुदीन अंसारी, मेराज आलम मजहरूल हक, सुरेश कुमार माझी, काग्रेश शर्मा, मिनहाज आलम, रविंद्र कुमार दास, सुनील कुमार सिंह, अजय राम, जितेंद राम, अशोक यादव, मो एहसान, मनोज राय सहित सैकड़ो शिक्षक उपस्थित थे.

इसुआपुर: प्रखंड के बीआरसी भवन पर आयोजित नियोजित शिक्षकों की हड़ताल के आठवें दिन सभा को परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष समरेन्द्र बहादुर सिंह ने संबोधित किया.

इस दौरान जिलाध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि सरकार का मंसूबा साफ नही दिख रहा है. शिक्षको की चट्टानी एकता से सरकार भयभीत है और रोज नए नए हथकंडे अपना रही है. शिक्षको पर नए नए आदेश निकाले जा रहे है लेकिन शिक्षको के लिए सेवा शर्त नही बन रही है.

सरकार पदाधिकारियों पर पैसा खर्च कर रही है शिक्षको को न्यायालय में खड़ा कर रही है लेकिन शिक्षको के वेतन देने के लिए पैसा नही है. हमारी लड़ाई सरकार से है, एकता हमारी पूंजी है, लड़ाई लड़नी है, जिसमे सभी शिक्षक अपने हक के लिए एक साथ है. जबतक सरकार नियमित शिक्षको की तरह सेवाशर्त और नियमित शिक्षक का दर्जा नही देगी तबतक हम डटे रहेंगे.

इसके अलावे धरने को विनोद राय, संजय राय, अशोक यादव सहित दर्जनों शिक्षको ने सभा को संबोधित किया.

छपरा: बिहार लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के बैनर तले छपरा नगर निगम कर्मचारी संघ के सफाई कर्मी दोबारा से अनिश्चितकालीन पर चले गए हैं. यह कर्मी कई महीनों से छपरा नगर निगम से मानदेय बढ़ाने व पिछले 3 महीने से बकाये वेतन के भुगतान की मांग कर रहे हैं. इन कर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद शहर में एक बार फिर से विभिन्न वार्डों में सफाई व्यवस्था ठप हो गयी है. साथ ही साथ बुधवार को नगर निगम कार्यालय में भी टाला लटका रहा और सभी कार्य ठप हो गए.

त्योहारों में शहर में बढ़ेगी गंदगी:

नवरात्रि की शुरआत होते ही नगर निगम कर्मचारी संघ के हड़ताल पर चले जाने से शहर में नालों की सफाई, वार्डों में कचड़े का उठाव का कार्य लगभग ठप्प हो गया है. जिससे कुछ दिनों शहर में गन्दगी भी बढ़ने की आशंका है. त्योहारों के मौसम में कर्मियों के हड़ताल से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. बीते 8 अक्टूबर को निगम स्टैंडिंग कमिटी की बैठक के दौरान नवरात्रि में शहर में विशेष सफाई को लेकर नगर आयुक्त अजय सिन्हा द्वारा विशेष नीति बनाई गई थी. जो अब बेअसर साबित हो रहा है.

ये हैं मांगे:

गौरतलब है कि बिहार लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के क्षेत्रीय मंत्री सियाराम सिंह के निर्देश पर कर्मियों ने यह अनिश्चित हड़ताल की है. सियाराम सिंह ने बताया कि निगम ने विभिन्न कर्मियों की मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया. जिससे अब सभी सफाई कर्मी अनिश्चित हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.

इससे पूर्व पिछले माह में निगम सफाईकर्मी महासंघ के आह्वाहन पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. लेकिन 2 दिन बाद मेहर प्रिया सिंह के आश्वासन के बाद हड़ताल को खत्म कर दिया गया था. महासंघ के क्षेत्रीय मंत्री सियाराम सिंह का कहना है कि उन्होंने निगम से 42 सफाईकर्मियों के बकाया वेतन के भुगतान की मांग की थी. लेकिन 3 महीने का बकाया वेतन अभी तक निगम द्वारा भुगतान नहीं किया जा सका है. साथ ही साथ दैनिक मजदूरों को जूता, कपड़े तथा सफाई उपकरण भी नहीं दिए गए हैं. जिससे कर्मी खुद के स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर कार्य करते हैं. निगम ने अभी तक इन्हें न तो कपड़े उपलब्ध कराय है और ना ही कोई उपकरण.

सियाराम सिंह ने अपनी मांग रखते हुए कहा कि निगम में कई महीनों से अनुकम्पा पर बहाली लंबित है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों के लिए भी सातवां वेतन लागू होना चाहिए जो अब तक लंबित है. साथ ही साथ उन्होंने निगम पर आरोप लगाया कि नगर निगम में पेंशन धारियों को 5 वर्ष बाद पारिवारिक पेंशन बंद कर दिया जाता है. 10 वर्ष बाद उनके भी पेंशन बंद कर दिए जाते हैं जबकि आसपास के नगर में निगम आजीवन पेंशन मिलने का प्रावधान है.

क्या बोलीं मेयर:
सफाई कर्मियों को वापस काम पर बुलाने की कोशिश की जा रही है. बकाये वेतन भी कल तक भुगतान कर दिए जाएंगे. मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर भी बोर्ड में फैसला पास कराया जाएगा. सफाई उपकरण व सफाई के लिए ड्रेस जल्द उपलब्ध करा दिए जाएंगे. अन्य मांगे विभाग से ही पूरी की जा सकती हैं.

Chhapra: कार्यपालक सहायकों का आन्दोलन सातवें दिन भी जारी रहा. शहर के नगरपालिका चौक पर रविवार से आमरण अनशन पर चले गये.

अपनी पांच सूत्री मांगों के समर्थन में कार्यपालक सहायक लगातार आन्दोलन कर रहे है. आमरण अनशन के पहले दिन रविवार को भी कई संगठनों और संघों ने उनके आंदोलन को अपना नैतिक समर्थन दिया और उनके साथ नजर आये. आमरण अनशन करने वाले कार्यपालक सहायकों में जिलाध्यक्ष निलेश कुमार, अमर कुमार, विश्वजीत कुमार, उपेंद्र राम, नवीन गिरि शामिल है.

धरना को पंचायत सचिव सेवक संघ के प्रदेश महासचिव सुरेश सिंह, पर्यवेक्षिका हीना परवीन, जिला पंचायत सचिव संघ के अध्यक्ष प्रभुनाथ यादव, जिला सचिव बीरबल अंसारी, संघ्र के मीडिया प्रभारी हिमांशु राज उर्फ गेशू आदि ने संबोधित किया.