Chhapra: कोविड-19 टीकाकरण की तैयारी में गांवों पर विशेष जोर दिया जा रहा है. यही कारण है कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी चिकित्सा केंद्रों के प्रभारी को टीकाकरण के लिए टास्कफोर्स गठन करने का निर्देश दिया है. राज्य स्वास्थ्य समिति ने जिला से लेकर प्रखंड तक सरकारी स्कूलों, पंचायत भवनों, सामुदायिक भवनों, नगर पालिका भवन को वैक्सीनेशन बूथ बनाने का भी फैसला किया है. इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि आउटरिच में टीकाकरण के लिए आवश्यकता पड़ने पर टेंट लगाकर अस्थाई टीकारकरण बूथ बनाया जायेगा. टीकाकरण स्थल का चयन पहले से की जायेगी और टीकाकरण दल को सूचित किया जायेगा.

पहले चरण में निजी व सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जायेगा. इसके लिए गाइडलाइन जारी कर दिया गया है. गाइडलाइन के अनुसार सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य, रेफरल अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल व सदर अस्पताल में ही टीकाकरण का कार्य किया जायेगा.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार निजी स्वास्थ्य कर्मियों को टीकाकरण के लिए ऐसे निजी अस्पतालों में टीकाकरण बूथ बनाया जायेगा, जहां पर 100 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी कार्यरत रहेंगे. टीकाकरण केंद्र बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा जायेगा कि रोगी के देखभाल वाले क्षेत्र से अलग हो. ताकि संक्रमण की संभावना न रहे.

गाइडलाइन के अनुसार टीकाकरण कक्ष में एक बार में सिर्फ एक व्यक्ति की ही एंट्री होगी. टीकाकरण कक्ष में छह फीट की दूरी सुनिश्चित करने हुए बैठने की व्यवस्था की जायेगी. कोविड पर संचार सामग्रियों को टीकाकरण कक्ष में प्रदर्शित किया जायेगा. पेयजल और शौचालय की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए. टीकाकरण के बाद लाभार्थी 30 मिनट तक इंतजार करेंगे इसलिए अधिक स्थान की आवश्यकता होगी.

गाइडलाइन के अनुसार जहां वैक्‍सीन दी जाएगी, वहां तीन कमरे होंगे. पहला वेटिंग रूम होगा, दूसरा वैक्सीनेशन रूम और तीसरा ऑब्‍जर्वेशन रूम. तीनों जगह सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करना होगा. वैक्‍सीन देने वाली टीम में एक वैक्‍सीन ऑफिसर और चार वैक्‍सीनेशन कर्मी होंगे. टीकाकरण रूम में किसी महिला को वैक्‍सीन मिलते वक्‍त एक महिला स्‍टाफ मेंबर की मौजूदगी अनिवार्य होगी.टीकाकरण की एक साइट पर दिनभर में केवल 100 लोगों को टीका लगेगा.

आरंभिक चरण में कोविड-19 के टीके स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले प्राथमिकता समूह को दिए जाएंगे. टीके की उपलब्धता के आधार पर 50 से ज्यादा उम्र वालों को भी इसकी खुराक दी जा सकती है. चिन्हित लोगों को टीकाकरण और उसके समय के बारे में उनके मोबाइल नंबर पर सूचना दी जाएगी.

Chhapra: निजी विद्यालयों की तर्ज पर सरकारी विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं भी छात्रों की तरह अब ड्रेस में विद्यालय आएंगे.

नई सोच के तहत जिले के नगरा प्रखंड के उत्क्रमित विद्यालय लोहा छपरा के प्रधानाध्यापक और समन्वयक की पहल पर यह कार्य प्रारंभ हुआ है. जिसकी शुरुआत सभी ने 11 पौधारोपण कर की है.

प्रखंड के इस पहले सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को एक ड्रेस कोड में देखकर सभी तारीफ कर रहे हैं. साथ ही साथ प्रखंड के अन्य विद्यालयों में भी इस कार्य के अनुसरण की योजना बनने लगी है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहा छपरा के समन्वयक विजेंद्र कुमार विजय ने बताया कि जिस प्रकार निजी विद्यालयों में शिक्षकों का ड्रेस कोड होता है ठीक उसी प्रकार सरकारी विद्यालयों में भी ड्रेस कोड बनाकर एक शुरुआत की गई है.

श्री विजय ने बताया कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहा छपरा में पदस्थापित शिक्षक सप्ताह के 6 दिनों तक अलग-अलग ड्रेस कोड के अनुसार विद्यालय में शिक्षण कार्य करेंगे. महिला एवं पुरुष शिक्षक के लिए ड्रेस कोड का निर्माण किया गया है.

साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रतिदिन विद्यालय में आने वाले छात्र विद्यालय परिधान में शिक्षा ग्रहण करें.

उन्होंने बताया कि मेरा प्रयास है मेरे संकुल के अधीन जितने भी विद्यालय हैं, साथ ही साथ इस प्रखंड के सभी विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षक को एक ड्रेस तथा आई कार्ड के साथ वह विद्यालय पहुंचे.

जिससे कि शिक्षकों में अलग उत्साह, ऊर्जा का प्रवाह हो साथ ही उनकी एक अलग पहचान स्थापित हो सके.

इस नए कार्य की शुरुआत पर विद्यालय प्रधानाध्यापक राजेश कुमार सिंह, शिक्षिका अनिता कुमारी, प्रमोद कुमार सिंह, मुकेश कुमार, आसिफ अली, गायत्री कुमारी के समन्वयक विजेंद्र कुमार विजय द्वारा गमले में पौधा लगाया गया.

गरखा: ज़िले के गरखा प्रखण्ड में स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय में डिजिटल क्लासरूम शुरू कर दिया गया. सोमवार को विद्यालय में डिजिटल क्लासरूम का उद्घाटन किया गया.
गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधार में यह एक बड़ा और कारगर कदम साबित होगा.

पढ़ाई को को मनोरंजक व शिक्षाप्रद बनाने के लिए डिजिटल क्लास की शुरुआत गरखा स्थित सरकारी विद्यालय से की गई है.
इससे न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी, बल्कि अधिक संख्या में बच्चों को स्कूल की तरफ आकर्षित भी किया जा सकेगा.

उदघाट्न के दौरान वार्ड सदस्य संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी चन्दन प्रसाद ने कहा कि वह दिन गुजर गए जब शिक्षा में प्रशिक्षण केवल पाठ्य पुस्तकों द्वारा कराया जाता था. आजकल डिजिटल शिक्षण जैसे पीपीटी, वीडियो प्रस्तुतियों, ई-लर्निंग, ऑनलाइन प्रशिक्षण और डिजिटल पद्धतियों के प्रयोग के साथ-साथ शिक्षण अत्यधिक संवादात्मक, मनोरंजक और प्रभावी हो गया है. बच्चे इसे न केवल सुन रहे हैं बल्कि स्क्रीन पर भी देख रहे हैं. जिससे उनकी सीखने की क्षमता में इजाफा हुआ है.

प्रधानाध्यापक अखिलेश पाठक ने कहा कि डिजिटल क्लासेज भारत के आधुनिक शिक्षा युग की आधार शिला है. जिस गति से लोग डिजिटल प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ रहे हैं वह खुशी की बात हैं. उप मुखिया उमानाथ सिंह ने कहा कि छात्राओं की यह उम्र शिक्षा, भाषा और आय की रुढ़िबद्धता से मुक्त है. यह वो माध्यम है जो आशा व अवसर के बीच की दूरी को खत्म करता है.

वही इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नित्यानंद ने किया. मंच का संचालन विजय कुमार शिक्षक ने किया. इस मौके पुर्व मुखिया ताराचंद दास, किशोरी राय, शत्रुघ्न राय, बच्चा सिंह, राजकिशोर राय, उमेश सिंह मौजूद आदि रहे.

Chhapra: रोटरी क्लब छपरा ने शनिवार को स्थानीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय, पूर्वी माला छपरा में मुफ्त नेत्र जाँच शिविर लगाया. इस शिविर में विद्यालय के 72 बच्चों के आँखों की जाँच की गई.

जिसमें डॉ विश्वजीत के नेतृत्व में पटना से आई तीन सदस्यों की टीम ने बच्चों के आँख का परीक्षण किया. जांच में बच्चों के आंखों से पानी निकलना,उनकी आँखों मे कीचड़ होना, आँखों मे खूजली होना ये सब पाया गया. डॉक्टर विश्वजीत ने सदस्यों एवं स्कूल प्रशासन को बताया कि ये सब अब आम बातें हो गई है, जिसका मुख्य कारण कुपोषण है.

इस मौके पर अध्यक्ष डॉ दिप्ति सहाय ने बच्चों को हरी साग और सब्जियों को अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा सम्मलित करने को कहा. पूर्व मंडलाध्यक्ष डॉ राकेश प्रसाद ने कहा कि आप बच्चों को सुबह शाम मैदान में खूब खेलना चाहिए. सचिव पुनितेश्वर ने कहा कि क्लब की ओर से लगभग सभी विद्यालयों में समय समय पर नेत्र शिविर का आयोजन किया जाएगा और जरूरत मंद बच्चों को चश्मा भी उपलब्ध कराया जाएगा.

इस अवसर पर रोटेरियन डॉक्टर कन्हैया वर्मा, पूर्व अध्यक्ष रोटेरियन सुशील शर्मा, पूर्व अध्यक्ष रोटेरिन डॉक्टर शहज़ाद आलम, रोटरी पटना मिड टाउन के सदस्यों एवं पूर्व अध्यक्ष रोटेरिन रामचंद्र प्रसाद उपस्थित थे.

Chhapra: जिले में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की परीक्षा लेने की तैयारी शिक्षा विभाग कर रहा है. विगत अप्रैल माह से सितंबर माह तक की गई पढ़ाई के आधार पर सभी बच्चों का मूल्यांकन विभाग द्वारा किया जाएगा

शिक्षा विभाग द्वारा मूल्यांकन को लेकर तिथि की घोषणा कर दी गई है. साथ ही साथ मूल्यांकन के लिए तिथि वार विषय का शेड्यूल भी जारी कर दिया गया है.जिसके आधार पर प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक बच्चों का मूल्यांकन परीक्षा लेंगे.

लेकिन सबसे बड़ी अचरज की बात यह है कि आखिर विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे बिना किताब पढ़ें मूल्यांकन परीक्षा में कैसे शामिल होंगे.

अगर बच्चें भाग भी लेते हैं तो वह अपनी उत्तर पुस्तिकाओं में प्रश्न का उत्तर क्या लिखेंगे ?

सरकारी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में वर्ग एक से पांच लेकर 5 तक तथा 8 तक अप्रैल माह से छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं.

एक एक माह के इंतेजार के बाद 6 माह बीत जाने के बाद भी अब तक बच्चों का बच्चों को पाठ्यपुस्तक नहीं मिल पाई है.
बिना किताबों के ही बच्चें 6 माह से पढ़ाई कर रहे है.

शिक्षा विभाग ने आगामी 5 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक छात्र छात्राओं की वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा की तिथि निर्धारित की है.

इसके लिए विषय की समय सारणी भी जारी कर दिया गया है.बिना किताब पढ़ें ही बच्चें इस परीक्षा में शामिल होकर अपनी उत्तर पुस्तिका में क्या लिखेंगे यह समझ से पड़े है.

लेकिन इतना तो तय है कि 5 अक्टूबर से आयोजित मूल्यांकन परीक्षा में शिक्षा विभाग की व्यवस्था की पोल खुल जाएगी.

सूबे की इस शैक्षणिक व्यवस्था से बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल हो पाएगा यह सरकार और अधिकारियों के सोचने का विषय है.