Chhapra: जिले में गृह प्रसव को दरकिनार कर महिलाओं ने सुरक्षित व संस्थागत प्रसव के तरफ अपना कदम बढ़ाया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा संस्थागत प्रसव को अधिकाधिक बढ़ावा देने के लिए किये गये प्रयासों का सकारात्मक असर दिख रहा है. गर्भवती महिलाओं के प्रसव प्रबंधन की दिशा में आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर लायी गयी जागरूकता और स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचना में बदलाव से संस्थागत प्रसव की तस्वीर बदल रही है. सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है. संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देख-रेख में कराया जाता है. अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं.साथ ही किसी भी आपात स्थिति यथा रक्त की अल्पता या एस्पेक्सिया जैसी समस्याओं से निपटने को तमाम सुविधाएं अस्पतालों में उपलब्ध होती हैं.

संस्थागत प्रसव में 11 प्रतिशत का हुआ इजाफा
हाल ही जारी किये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—5 के अनुसार जिले में संस्थागत प्रसव में बदलाव देखने को मिला है.बीते पांच सालों में संस्थागत प्रसव के फायदों के प्रति आयी जागरूकता के कारण इसमें 11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. पूर्व में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 4 की रिपोर्ट बताती संस्थागत प्रसव दर 62 प्रतिशत था, जो अब 73 प्रतिशत हो गया है.वहीं एनएफएचएस 4 में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में संस्थागत प्रसव दर 44 प्रतिशत रहा था. यह दर बीते पांच सालों में बढ़ कर 57.2 प्रतिशत हो गया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा अनुमंडलीय व सदर अस्पताल में सुरक्षित प्रसव संबंधी विभिन्न सुविधाएं प्रदान की गयी हैं.

गृह प्रसव दर में भी आयी कमी
आमजनों में संस्थागत प्रसव के प्रति आयी जागरूकता के कारण घरों में होने वाले प्रसव दर भी घटे हैं. राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे-4 के अनुसार यह आंकड़ा 17.3 फीसदी था. एनएफएचएस 5 के मुताबिक वर्तमान में यह दर 8.7 प्रतिशत है. यानि घरों में प्रसव दर 8.5 फीसदी घटा है. घरों में प्रसव कई मायनों में जोखिम होता है. प्रसव के समय किसी भी आपात स्थिति से निबटने की सुविधाओं की कमी के कारण प्रसूता की जान भी चली जाती है। प्रसव के समय मां व शिशु की सुरक्षा कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना लागू 

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से जननी सुरक्षा योजना चलायी जा रही है. जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर, ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिए जाते हैं. जिसमें साथ ही इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों पर संदर्भित करने के लिए आशाओं को प्रति प्रसव ग्रामीण क्षेत्रों में 600 रुपये एवं शहरी क्षेत्रों के लिए प्रति प्रसव 400 रुपये आशाओं को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है.

स्वास्थ्य संस्थानों में दी जाती है ये सेवाएं:
• सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव की निःशुल्क व्यवस्था
• निःशुल्क दवा की व्यवस्था
• गर्भवती को उनके घर से लाने एवं प्रसव के बाद अस्पताल से एम्बुलेंस द्वारा घर पहुँचाने की निःशुल्क व्यवस्था
• प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्स के द्वारा निःशुल्क प्रसव प्रबंधन
• नवजात शिशुओं में बेहतर प्रतिरक्षण हेतु शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान सुनश्चित कराने की व्यवस्था एवं साथ ही साथ जन्म प्रमाण पत्र भी दिया जाता है.

Chhapra: जी हाँ, अतिथि देवो भवः के सिद्धांत वाले इस देश में एक अतिथि से सारण में चोरी की घटना हुई थी. यहाँ अतिथि हंगरी का नागरिक है और सदर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है.

विगत दिनों छपरा सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड से उसका लैपटॉप, मोबाइल, पासपोर्ट और पैसे चोरी होने की घटना सामने आई थी. इस मामले में सारण पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए भगवान बाजार थाना क्षेत्र के नई बाजार से एक युवक को गिरफ्तार किया है. जिसके पास से लैपटॉप और मोबाइल बरामद किया गया है.

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वही पासपोर्ट का अभी पता नहीं चल पाया है. हालांकि चोर से पुलिस पूछताछ कर रही है. बता दें कि विदेशी नागरिक पर्यावरण संरक्षण, शांति व अपनी कलात्मक फोटोग्राफी का संदेश लेकर हंगरी से दार्जिलिंग की यात्रा पर साइकिल से निकला है. वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर आइसोलेट करने के लिए छपरा सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था. उस दौरान चोर ने उसका सामान चुरा लिया था. इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन पर भी लापरवाही को लेकर सवाल खड़े हुए थे.

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वही सारण की जनता ने सोशल साइट्स के माध्यम से इस घटना को शर्मनाक बताते हुए पुलिस से सामान जल्द बरामद करने की मांग की थी. रविवार को आखिरकार पुलिस ने सारण समेत पूरे बिहार की लाज बचा ली. अन्यथा अतिथि को भगवान् का दर्जा देने वाले भारत से विदेशी नागरिक गलत सन्देश लेकर अपने वतन लौटता. सभी सारण पुलिस की तत्परता की प्रशंसा कर रहे है.

Chhapra: मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत रौजा मेला के समीप ऑटो पलटने से एक वृद्ध की मौत हो गयी. ऑटो में अन्य सवार यात्रियों को हल्की चोट आई है. मृतक मांझी के मुबारकपुर गांव निवासी 62 वर्षीय आरुणि महतो बताया जाता है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार वह अपनी पत्नी और पोते के साथ ऑटो से मुबारकपुर जा रहा था. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ट्रक को साइड देने में ऑटो चालक सड़क के इतना किनारे चला गया ऑटो सड़क के किनारे गड्ढे में पलट गया. जिसके बाद वृद्ध को लोगों ने छपरा सदर अस्पताल भेजा जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

मृतक ऑटो में आगे वाली सीट पर बैठा था, बाकी ऑटो चालक सहित पीछे बैठे सभी यात्रियों को हल्की चोट आई है.

Patna:बिहार स्वास्थ्य विभाग सूबे के जिला अस्पताल व स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीज की बढ़ती संख्या को देखते हुए टोकन सिस्टम को लागू करने की योजना बना रहा है. इसके तहत अस्पतालों में मरीजों के भीड़ नियंत्रित करने में भी आसानी होगी, साथ ही मरीजों को भी घंटों लाइन में नही लगाना पड़ेगा. जिसमें अस्पताल में मरीजों को रजिस्ट्रेशन कराते ही टोकन मिल जाएगा. जिसके बाद डिस्प्ले पर टोकन का नंबर आते ही मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिए जा सकेंगे.

साथ ही अस्पताल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन अब ऑनलाइन होगा, ताकि मरीजों को अधिक से अधिक सुविधा मिल सके. वैसे जो मरीज घर बैठे ही ओपीडी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे, उन्हें भी रजिस्ट्रेशन के बाद टोकन दिया जाएगा.

Chhapra: ठंड के मौसम में तापमान में उतार चढ़ाव लोगों के लिए आफत का सबब बन गया है. चिकित्सकों के मुताबिक ठंड के कारण ब्रोकइटिस और फ्रांज़ीटिश की मरीजों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. लोगों में सबसे ज्यादा गले व सांस की नली का संक्रमण हो रहा है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस बीमारी के शिकार हो रहे है. मेडिसिन और टी वी चेस्ट विभाग में आने वाले बीस फीसदी मरीज़ गले मे संक्रमण के शिकार है.

ये है लक्षण

सदर अस्पताल के मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डॉक्टर के एम दूबे ने बताया कि गले मे संक्रमण से सांस लेने में दिक्कत होती है. लोंगो को सांस फूलने व दमा की भी शिकायत होती है. सांस की नली में संक्रमण को ही ब्रोकइटिस कहते है. इससे म्युकस का निर्माण होता है जिससे कफ बनता है. यह दो प्रकार का होता है. पहला एकूटश ब्रोकइटिस दो तीन हफ्ते में ठीक होने के बाद दुबारा यह पुनः बीमारी हो जाता है, तो उसे क्रोनिक ब्रोकइटिस कहते है. डॉ के अनुसार यह बीमारी ज्यादातर वायरस के कारण होता है.

ऐसे बरते सतर्कता

उन्होंने इसके उपाय के बारे में बताते हुए कहा कि संक्रमण से बचने के लिये साफ सफाई का ध्यान रखें, सार्वजनिक जगहों से घर आने पर हाथों को अच्छे से धोया करे, सार्वजनिक जगहों पर मुँह को ढ़के रखे, गले मे संक्रमण के इलाज हेतु घरेलू उपचार करें. दूध में चीनी के बजाय शहद का उपयोग करें, सोंठ व दालचीनी को समान मात्रा में पीसकर आधे गिलास गर्म पानी मे मिलाकर पीयें।