• हमेशा बीमारियों से जूझते है बच्चे-बूढ़े-जवान
  • वार्ड पार्षद से मिलता है सिर्फ आश्वासन

Chhapra: छपरा नगर निगम वार्ड संख्या चार मे स्थिति नर्क जैसी बनी हुई है. कई परिवार इस नर्क मे ज़िंदगी बिताने को मजबूर है. तस्वीर मसूमगंज मुहल्ले देवी स्थान के पास का है. जहां सड़क और नाला निर्माण तो वर्षों पहले हुआ लेकिन ट्रैक्टर के आवागमन से महीनो मे टूट गया. नाला टूट जाने से पूरे मुहल्ले के नाले का पानी खाली पड़ी जमीन मे इकट्ठा होता है.

स्थानीय निवासी विवेक राज ने बताया कि नाले का पानी जमा होने से यहाँ जीना मुश्किल हो गया है. ऐसी स्थिति विगत कई सालों से बनी हुई है. कभी-कभी नाले का पानी रोड पर आ जाने से आने-जाने मे भी बहुत परेशानी होती है. इस जलजमाओ से हमेशा बच्चे-जवान-बूढ़े बीमारी से जूझते रहते है.

उन्होने बताया कि इलैक्शन मे स्थिति से निपटे के लिए वार्ड पार्षदों द्वारा आश्वासन दिया गया. इलैक्शन के बाद नापी भी कराई गयी. लेकिन बजट का हवाला देते हुये अब तक कोई कार्य नही हुआ है. मुहल्ले का बुरा हाल है. मुहल्लावासी नर्क मे जिंदगी गुजर बसर करने को मजबूर है.

Chhapra: ठंड के मौसम में तापमान में उतार चढ़ाव लोगों के लिए आफत का सबब बन गया है. चिकित्सकों के मुताबिक ठंड के कारण ब्रोकइटिस और फ्रांज़ीटिश की मरीजों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. लोगों में सबसे ज्यादा गले व सांस की नली का संक्रमण हो रहा है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस बीमारी के शिकार हो रहे है. मेडिसिन और टी वी चेस्ट विभाग में आने वाले बीस फीसदी मरीज़ गले मे संक्रमण के शिकार है.

ये है लक्षण

सदर अस्पताल के मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डॉक्टर के एम दूबे ने बताया कि गले मे संक्रमण से सांस लेने में दिक्कत होती है. लोंगो को सांस फूलने व दमा की भी शिकायत होती है. सांस की नली में संक्रमण को ही ब्रोकइटिस कहते है. इससे म्युकस का निर्माण होता है जिससे कफ बनता है. यह दो प्रकार का होता है. पहला एकूटश ब्रोकइटिस दो तीन हफ्ते में ठीक होने के बाद दुबारा यह पुनः बीमारी हो जाता है, तो उसे क्रोनिक ब्रोकइटिस कहते है. डॉ के अनुसार यह बीमारी ज्यादातर वायरस के कारण होता है.

ऐसे बरते सतर्कता

उन्होंने इसके उपाय के बारे में बताते हुए कहा कि संक्रमण से बचने के लिये साफ सफाई का ध्यान रखें, सार्वजनिक जगहों से घर आने पर हाथों को अच्छे से धोया करे, सार्वजनिक जगहों पर मुँह को ढ़के रखे, गले मे संक्रमण के इलाज हेतु घरेलू उपचार करें. दूध में चीनी के बजाय शहद का उपयोग करें, सोंठ व दालचीनी को समान मात्रा में पीसकर आधे गिलास गर्म पानी मे मिलाकर पीयें।