पटना: बिहार में गंगा, कोसी और उसकी सहायक नदियों में एक बार फिर बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है. राजधानी के आसपास सोन और पुनपुन नदी का जलस्तर भी चढ़ने लगा है. गंगा नदी पटना, कटिहार और मुंगेर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं, कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, सोन, पुनपुन, घाघरा, बागमती, महानंदा और परमान नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है. जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में पानी फैल गया है. बचाव और राहत कार्य के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को तैनात कर दिया गया है. वहीं, जल संसाधन विभाग ने अपने सभी तटबंधों के सुरक्षित होने का दावा किया है.

जल संसाधन विभाग के मुताबिक, आज दिन में दो बजे गंगा नदी के जलस्तर में बक्सर, गांधीघाट, हाथीदह, मुंगेर, भागलपुर एवं कहलगांव में लगातार वृद्धि की प्रवृत्ति दर्ज की गयी है. हालांकि, गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से बक्सर में 33 सेमी गांधीघाट में 81 सेमी तथा हाथीदह में 49 सेमी खतरे के निशान से ऊपर है. संबंधित अभियंता अपने-अपने परिक्षेत्राधीन तटबंधों की सुरक्षा हेतु निगरानी एवं चौकसी बरत रहे हैं.

Chhapra/Doriganj:  चार दिवसीय सूर्य उपासना के पावन पर्व छठ व्रत के पहले दिन नहाय खाए के अवसर पर छठ व्रतियों ने गंगा के पावन जल मे स्नान किया. इस अवसर पर डोरीगंज के विभिन्न घाटों बंगाली बाबा घाट, तिवारी घाट, महुआ घाट, रहरिया घाट, डोरीगंज घाट सहित सभी घाटों पर हजारों छठ व्रतियों ने गंगा मे स्नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित किया.

इसे भी पढ़े: नहाय खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व चैती छठ

नहाय खाए पर गंगा मे स्नान को विशेष महत्व दिया गया है. जिसे देखते हुए दूर दराज के गाँवों के साथ साथ छपरा शहर से भी हजारों की संख्या मे छठ व्रती गंगा मे स्नान को पहुँचे थे. सभी घाटों पर मेले सा नजारा था. खासकर बंगाली बाबा घाट पर व्रतियों की खासी भीड़ देखी गयी.

नहाय खाए के साथ ही छठ पर्व की शुरुआत हो गयी है. इसके बाद 22 को खरना 23 को पहला अर्ध्य एवं 24  मार्च को परना यानि उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ छठ व्रत की समाप्ति हो जाएगी.

इसे भी पढ़े: चैती छठ को लेकर युवाओं ने शुरू किया घाटों का निर्माण

वैसे तो यह पर्व पूरे देश मे मनायी जाती है लेकिन बिहार मे यह पर्व खासी उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनायी जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सारे कष्ट दैहिक, दैविक एवं भौतिक सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है एवं शरीर मे एक नई उर्जा का संचार होता है.

पौराणिक काल में एक भगीरथ प्रयास हुआ और भगीरथी की आराधना और दृढ संकल्प के फलस्वरूप धरती पर गंगा का अवतरण हुआ. तब से लेकर आज तक विशाल हृदय लिए गंगा की धारा समाज के लिए समस्त पापों का नाश करने वाली मोक्षदायिनी नदी के रूप में हमारे बीच विद्यमान है.

गंगा पवित्र है, पर सुविधाभोगी समाज के आचरण ने गंगा की पवित्रता और उसकी अविरलता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. समय के साथ गंगा की निर्मलता प्रदूषित हो चुकी है. आज गंगा अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्षरत है. गंगा का पानी अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता था, पर आज गंगा में जिस प्रकार गन्दगी बढ़ी है उसने इस मोक्षदायिनी नदी के अस्तित्व पर संकट ला दिया है.

शहरों का तेजी से हो रहा आधुनिकीकरण, बढ़ती जनसंख्या और सरकार और समाज की दोहरी मानसिकता का दुष्परिणाम आज गंगा के प्रदूषित होने की प्रमुख वजह है. सदियों से गंगा प्रदूषण की मार झेलती आ रही है. कभी कल-कारखानों की गन्दगी तो कभी शहरों में फ़ैल रही गन्दगी, सबको गंगा ने अपने अंदर समावेशित किया है किन्तु गंगा की सफाई को लेकर समाज में व्याप्त उदासीनता के कारण आज गंगा को बचाना एक चुनौती बनी हुई है.

हमारी रूढ़िवादी सोंच ने भी गंगा को काफी हद तक प्रभावित किया है. पूजा-पाठ एवं महत्वपूर्ण समय पर होने वाले स्नान के समय गंगा को प्रदूषण का जो दंश झेलना पड़ता है वो हमारी लापरवाही का नतीजा है. आज गंगा में प्रतिदिन हजारो टन कचड़ा किसी न किसी माध्यम से प्रवाहित किया जा रहा है पर हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए की मोक्षदायिनी गंगा को भी प्रदूषण से मुक्ति की आवश्यकता है.

वर्तमान केंद सरकार ने भी गंगा को पूर्णतः निर्मल बनाने के लिए कई योजनाओं का सृजन किया है पर उन योजनाओं का निराकरण तभी संभव है जब हम सब मिलकर गंगा की अविरलता और निर्मलता स्थापित रखने में सहयोग करें. गंगा से कचड़े को निकालने के लिए कई आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है. पूरे देश में इसके अंतर्गत वृहत जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. देश और विदेश के एनजीओ की मदद से भी गंगा को स्वच्छ बनाने की दिशा में कई योजनाएं चल रही हैं पर हम सब को जीवन और मुक्ति देने वाली गंगा की धारा तभी निर्मल हो पाएगी जब पूरा देश एक साथ खड़ा होगा और ये निर्णय करेगा की हम गंगा को कभी प्रदूषित नहीं होने देंगे.

हम सब अगर एक दिशा में सार्थक प्रयास करें तो निश्चित ही गंगा प्रदूषण मुक्त हो सकती है. हम सब ने मिलकर फिर से एक भगीरथ प्रयास किया तो हमारे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाली गंगा पुनः निर्मलता के साथ हमारे बीच अविरल रहेगी. बस गंगा को  जरूरत है आज ‘एक और भगीरथ की’.

छपरा: रोट्रेक्ट सारण के तत्वावधान में रविवार को सेमीनार का आयोजन किया गया. ‘प्रदूषित गंगा के बचाव एवम् निवारण’ विषयक इस सेमीनार का स्थानीय गुरुकुल पब्लिक स्कूल में आयोजन किया गया. 20160221_131047

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि रोटरी सारण के संस्थापक अध्यक्ष श्याम बिहारी अग्रवाल तथा रोटरी सारण के पूर्व अध्यक्ष पंकज कुमार ने दीप-प्रज्जवलित कर किया. 

 

रोट्रेक्ट सारण के तत्वावधान में आज स्थानीय गुरुकुल पब्लिक स्कूल में ‘प्रदूषित गंगा के बचाव एवम् निवारण’ विषय पर सेमीनार …

Posted by Chhapra Today on Sunday, February 21, 2016

इस अवसर पर वक्ताओं ने गंगा की सफाई को लेकर अपने विचार व्यक्त किये. इसके बाद सभी प्रतियोगियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.