Chhapra: वेटरंस फोरम के सचिव डॉ बीएनपी सिंह ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मध्य शहर में दो ऐतिहासिक संस्थाएं हैं। जहां अब वे सभी गतिविधियां नहीं होती हैं जिन उद्देश्यों के लिए उनकी स्थापना की गई थी। ये संस्थाएं मृत प्राय हो गई हैं और उनकी भूमि पर अवांछित तत्वों द्वारा गैरकानूनी रूप से कब्जा कर लिया गया है। धीरे-धीरे उस कब्जे को नियमित करने का और निजी संपत्ति में तब्दील करने का प्रयास किया जा रहा है। ये दोनों संस्थाएं छपरा क्लब और थियोसोफिकल सोसायटी, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अनुसार पंजीकृत है ।
उन्होंने बताया कि उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार छपरा क्लब की स्थापना 1930 के पूर्व की गई थी। यह क्लब 5 एकड़ 10 डिसमिल में पसरा हुआ है। एक समय यह शहर की जीवंत सांस्कृतिक सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु हुआ करता था जहां शहर के प्रबुद्ध वर्ग के लोग प्रशासनिक अधिकारियों एवं यूरोपीय लोगों के साथ मिलकर शहर के ताना-बाना का रचना किया करते थे। क्लब भवन विभिन्न इंडोर खेल के मैदानों को मिलाकर 50 डिसमिल में है जिसमें अभी 47 दुकानों का भी निर्माण किया गया है।
वर्ष 2015 के पूर्व यहां एक विवाह भवन निर्माण के लिए 35 डिसमिल जमीन एक निजी व्यक्ति को दे दी गई। किंतु तब के जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने रुचि प्रदर्शित करते हुए पाया की क्लब के अस्तित्व का कोई वैधानिक आधार नहीं है । इसलिए उन्होंने 2016 में फिर से सोसायटी पंजीकरण नियमावली 1860 के अधीन इस क्लब का पंजीकरण करवाया और जिलाधिकारी इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं।
उन्होंने बताया कि नवगठित कार्यकारिणी के दिनांक 7-04-2018 के कार्यवाही में यह दर्ज है कि उपरोक्त विवाह भवन को 01.01.2015 से 1,94,376 प्रति माह के हिसाब से कुल बकाया 75,80,644 रु देना है। इस राशि का 40% प्रतिशत तत्काल प्रभाव से जमा करने को कहा गया । पर विवाह भवन के संचालक ने कुल 303265 रुपए में से मात्र 10 लाख रुपए ही जमा किया और शेष राशि में राहत के लिए वाद संख्या सी डब्ल्यू जेसी 3422/2016 में उच्च न्यायालय चले गए। पर, उन्हें उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली। किराया नियमावली के अनुसार प्रत्येक 3 वर्ष पर 15% किराए में वृद्धि की जानी है। इस प्रकार बढ़ा किराया एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार 2 लाख 15 हजार रुपया प्रतिमाह हुआ। एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार कुल किराया 1 करोड़ 76 लाख रुपया अभी बाकी है जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है।
प्रेस वार्ता में वेटरंस फोरम द्वारा विवाह भवन को नवगठित कार्यकारिणी के पूर्व किए गए लीज की वैधानिकता पर ही प्रश्न उठाया गया। फिर उपरोक्त विवाह भवन द्वारा किराया नहीं दिया जा रहा है, इसे भी चिंतनीय बताया गया। ऐसी स्थिति में स्थानीय प्रशासन से आग्रह किया गया कि उस गैरकानूनी लीज धारी विवाह भवन को तत्काल बंद किया जाए और संपूर्ण बकाया किराया वसूला जाए। अन्यथा फोरम उचित वैधानिक कदम उठाने के लिए स्वतंत्र होगा।
उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में हर साल किराया होता है जमा: राजेश प्रसाद
वेटरंस फोरम के द्वारा किए गए प्रेस वार्ता पर प्रतिक्रिया देते हुए विवाह भवन संचालक राजेश प्रसाद ने बताया कि मामला 10 साल पुराना है। छपरा क्लब के सदस्यों की सहमति से उन्हें भूमि आवंटन किया गया था। सरकारी अधिकारी भी बैठक में थें। जब क्लब की पुरानी टीम को भंग कर के नई टीम बनाई गई तब किराया पुनर्निर्धारित कर 22 लाख रुपये सालाना कर दिया गया। जिसको कम करने के लिए अधिकारियों को आवेदन दिया गया। लेकिन उन्होंने कहा कि कम नहीं होगा, अब के हिसाब से रेट यही रहेगा। आप चाहें तो न्यायालय जा सकते हैं। जिसके बाद न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया गया। जहां पटना उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए गंभीरता से लिया और दलील सुनते हुए स्टे लगा दिया और बढ़ाए गए किराया का 40 प्रतिशत (9 लाख 80 हजार रुपये साल का) जमा करते रहने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा अबतक उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में हर साल किराया जमा करा दिया जाता है। जिन लोगों के द्वारा आरोप लगाया गया है उनको जानकारी का आभाव है। छपरा क्लब का अपना बैंक अकाउंट है और जिलाधिकारी इसके पदेन अध्यक्ष हैं।
थियोसोफिकल सोसाइटी की परिसंपत्तियां निजी व्यापारिक हितों के लिए की जा रही प्रयोग
वहीं सारण बुद्धिजीवी मंच के प्रोफेसर पृथ्वीराज सिंह ने कहा कि छपरा में थियोसोफिकल सोसाइटी की परिसंपत्तियां निजी व्यापारिक हितों के लिए प्रयोग की जा रही है । यह इसके मूल घोषित उद्देश्यों के विपरीत है और देश के अधिकांश भागों में थियोसोफिकल सोसायटी की परिसंपत्तियों का यही हाल है।
अंत में वेटरन्स फोरम के सचिव डॉ बीएनपी सिंह द्वारा दोहराया गया कि इन सभी संस्थाओं की गतिविधियों सोशल ऑडिट किया जाना चाहिए। और उन पर गैर कानूनी रूप से काबिज लोगों से उन्हें मुक्त कर उन्हें सरकार में न्यस्त किया जाना चाहिए। अन्यथा उचित पटल पर इस मुद्दे को उठाया जाएगा।