टीबी रोग को जड़ से मिटाने के लिए जागरूक होने की जरूरत

टीबी रोग को जड़ से मिटाने के लिए जागरूक होने की जरूरत

देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य है। इसी लक्ष्य के साथ जिले में भी कम चल रहा है। टीबी उन्मूलन अभियान को आगे आकर सफल बनाने की जरूरत है। इसमें सभी का योगदान महत्वपूर्ण है। सीडीओ डॉ रत्नेश्वर प्रसाद ने कहा कि टीबी लाइलाज नहीं है। मरीज खुद सामने आएं। अपने रोग को छुपाए नहीं, अन्यथा संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं होगा। अभी भी महिलाएं टीबी रोग को छुपा रही हैं, जिससे रोगियों को खोजने और उपचार करने में परेशानी हो रही है। इस रोग को छुपाएं नहीं है। इसका उपचार आसानी से हो रहा है। लोगों को जागरूक करने और जागरूक होने की जरूरत है।

किसी को भी हो सकता टीबी-

सीडीओ ने बताया कि लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि टीबी हमें नहीं हो सकता। अमीर हो या गरीब, टीबी किसी को भी हो सकता है। टीबी जात-पात, ऊंच-नीच नहीं देखता। इसलिए लोगों को यह भ्रम निकाल देना चाहिए। मरीजों में हर वर्ग और समुदाय के लोग हैं। इसलिए इस बीमारी को भेदभाव से नहीं देखना चाहिए। खासकर गांव में यह भ्रांति है कि यह बीमारी गरीबों को ज्यादा होती है। 

टीबी उन्मूलन के लिए हो रहे प्रयास-

टीबी मुक्त जिला बनाने के लक्ष्य के साथ यक्ष्मा केंद्र के कर्मी लगातार प्रयास कर रहे हैं। विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे हैं। टीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ कर्मी दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों तक  गांवों का दौरा कर रहे हैं। टीबी मरीजों से मिल रहे हैं। उन्हें समझा रहे हैं, ताकि उनका हौसला बढ़ा रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्यवेक्षकों द्वारा मरीजों का समुचित ध्यान रखा जा रहा है। क्षेत्र भ्रमण कर वे टीबी मरीजों के दवा सेवन, उनके खानपान, रहने व सोने के तरीकों, मास्क के उपयोग समेत अन्य दिनचर्या की जानकारी दे रहे हैं। डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इसे जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। 

लक्षण दिखे तो जांच केंद्र में टीबी की जांच कराएं- 

दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, रात के समय बुखार आना, बलगम में खून आना, वजन का कम होना व रात को सोते समय पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी जांच केंद्र में टीबी की जांच करवानी चाहिए। अधिक से अधिक लोग टीबी के लक्षणों के बारे में जानें और अपने आसपास रहने वाले लोगों में यदि इनमें से कोई लक्षण दिखे तो जांच के लिए प्रेरित करें। अधिसूचित रोगी का जब तक उपचार चलता है, तब तक प्रतिमाह 500 रुपये वित्तीय सहायता प्रोत्साहन राशि निक्षय पोषण योजना के तहत सीधे मरीज के खाते में भेजी जाती है।

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