नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए केन्द्र सरकार द्वार वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रदान किया जा रहा है। गीता प्रेस ने सम्मान को स्वीकारते हुए कहा कि गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित होना बड़े सम्मान की बात है। हालांकि, वह इसकी नकद राशि को स्वीकार नहीं करेगा जो कि एक करोड़ रुपये है।
वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस विश्व में सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता पुस्तकें शामिल हैं। इस संस्था ने राजस्व सृजन के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए। गीता प्रेस अपने संबद्ध संगठनों के साथ जीवन के उत्तरोत्तर विकास और सर्वजन-कल्याण के लिए प्रयासरत है।
गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी ने कहा कि गांधी शांति पुरस्कार हमारे लिए बहुत सम्मान की बात है। उन्होंने इसे सनातन संस्कृति का सम्मान बताया। उन्होंने कहा कि हम सम्मान स्वीकार करते हैं लेकिन इसके साथ मिलनी वाली एक करोड़ रुपये की नगद राशि को नहीं लेंगे। असल में इसका कारण उन्होंने संस्था द्वारा किसी भी प्रकार का दान स्वीकार नहीं करने के सिद्धांत को बताया है। गीता प्रेस ने प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल ने 18 जून को विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया है। यह पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को अहिंसक और अन्य गांधीवादी आदर्शों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है।
गीता प्रेस को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है।”
गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी। यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बगैर सभी व्यक्तियों के लिए खुला है। पुरस्कार में एक करोड़ रुपये की राशि, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला व हथकरघा विशिष्ट कृति प्रदान की जाती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस को अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किए गए कार्यों की सराहना करना है।
गांधी शांति पुरस्कार 2021, मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन शैली का प्रतीक है।