अभिनेता संजय दत्त ने किए बाबा महाकाल के दर्शन, भस्म आरती में हुए शामिल

अभिनेता संजय दत्त ने किए बाबा महाकाल के दर्शन, भस्म आरती में हुए शामिल

Bhopal, 25 सितम्बर (हि.स.)। बालीवुड अभिनेता संजय दत्त गुरुवार को भाेर में मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे और यहां बाबा महाकाल के दर्शन किए। संजय दत्त भगवान महाकाल की भस्म आरती में भी शामिल हुए। उन्होंने नंदी हाल में बैठकर जाप भी किया। भस्मारती के बाद उन्होंने देहरी से ही बाबा महाकाल के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

जय महाकाल का तिलक लगाकर भस्म आरती में शामिल हुए संजय दत्त

महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि अभिनेता संजय दत्त आज तड़के करीब तीन बजे बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचे थे। वे यहां पूरी तरह से भक्ति में लीन दिखाई दिए। उन्होंने भगवा रंग के धोती कुर्ते पहन रखे थे और मंदिर में आते ही वह पूर्ण सादगी के साथ माथे पर जय महाकाल का तिलक लगाकर भस्म आरती में शामिल हुए। उन्होंने करीब दो घंटे नंदी हॉल में बैठकर बाबा महाकाल की भस्म आरती देखी। भस्म आरती में बाबा महाकाल के निराकार से साकार स्वरूप को देखकर वे अभीभूत हो गए। इस दौरान कभी संजय दत्त हाथ जोड़कर बाबा महाकाल का जाप करते नजर आए।
संजय दत्त ने पूर्ण सादगी के साथ बाबा महाकाल के दर्शन किए। मंदिर पहुंच मार्ग पर उन्होंने एक छोटी बच्ची से माथे पर जय श्री महाकाल का तिलक लगवाया और उससे कुछ देर बात भी की। नंदी हॉल में भस्म आरती के दौरान वे भगवान महाकाल के प्रत्येक शृंगार को निहारते रहे और इसके बारे में उन्होंने पंडित यश गुरु से भी पूछा। पंडित यश गुरु ने भस्म आरती से संबंधित संजय दत्त की सभी जिज्ञासाओं को शांत किया।

दर्शन के बाद संजय दत्त ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मेरा सौभाग्य है कि बाबा महाकाल ने मुझे यहां पर बुलाया। अनुभूति व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैंने आज प्रत्यक्ष रूप से शक्ति को अनुभव किया है। सालों से आने की कोशिश कर रहा था। आज बाबा का बुलावा आया और मैं यहां आ गया। जब बाबा महाकाल बुलाएंगे, तब फिर से आऊंगा। बाबा महाकाल का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।

बाबा महाकाल का भस्म आरती में हुआ राजा स्वरूप का श्रृंगार

अश्विन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर आज भस्म आरती में भगवान महाकाल का राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। इस दौरान दौरान बाबा महाकाल के दरबार में हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। भक्तों ने जय श्री महाकाल का जयघोष भी किया, जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल के जयकारों से गुंजायमान हो गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया।

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि तड़के चार बजे महाकालेश्वर मंदिर के पट खुलने के बाद पंडे-पुजारियों ने भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक और दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया। इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद भगवान महाकाल को मस्तक रजत चंद्र, भांग, चंदन और गुलाब के फूल की माला अर्पित की गई। रजत मुकुट, त्रिपुण्ड अर्पित कर श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई।

भगवान महाकाल का भांग, ड्रायफ्रूट और आभूषण के साथ फूलों से राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। भस्म अर्पित करने के बाद शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की। भगवान महाकाल ने गुलाब के सुगंधित पुष्प धारण किए। फल और मिष्ठान का भोग लगाया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।

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