भारतीय एकता
है विकट परिस्थिति आज यह,
क्यों टुकड़ों में बिखर रहा समाज यह।
कैसे भूल गए वीरों की कुर्बानी,
जिन्होंने अखंड भारत के खातिर अपनी जान गंवा दी।
अब यह संकल्प हमारा है,
अनेकता में एकता,
धर्म में निरपेक्षता लाना है।
आजाद भारत में मेरे, आज भी है बालश्रम,
आज भी है उंच-नीच, जाति-धर्म।
इन बेड़ियों को तोड़, हमें मानव बन दिखाना है,
सत्य व अहिंसा के पथ पर हमें सदैव बढ़ना है,
बापू के सपनों का भारत संजोए रखना है,
अनेकता में एकता,
धर्म में निरपेक्षता लाना है।
सबसे अनुपम है मेरे भारत की विशेषता,
सौरभ अहिंसा का, सदा दुनिया में बिखेरता।
खण्ड-खण्ड को जोड़ जिसने, अखंड भारत का निर्माण किया,
वाणी में थी सिंह-गर्जना, उर में था अनुराग भरा।
उस लौह-पुरुष की विरासत को हमें बचाए रखना है,
सबके हृदय में फ़िर एकता का दीप जलाना है,
अनेकता में एकता,
धर्म में निरपेक्षता लाना है।
लेखिका -अर्चना कुमारी वर्मा
(M.A- P.G Department of History J.P.U, Chapra)