अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने की जिम्मेदारी शिक्षा से जुड़े लोगों और शिक्षाविदों की: शंकरानन्द

अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने की जिम्मेदारी शिक्षा से जुड़े लोगों और शिक्षाविदों की: शंकरानन्द

Chhapra: वर्तमान काल देश के लिए संधिकाल है और इस काल में देश के लोगों को अज्ञान से ज्ञान और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की महती जिम्मेदारी शिक्षा से जुड़े लोगों और शिक्षाविदों की है। उक्त बातें भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री व ख्यातिप्राप्त राष्ट्रवादी विचारक एवं चिंतक बी. आर. शंकरानन्द ने कहीं। वे रविवार को जयप्रकाश विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में आयोजित एक दिवसीय विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थें।  उन्होंने कहा कि हमें स्वाधीनता तो सात दशक पूर्व मिल गई लेकिन स्व-तंत्र के साथ स्वतंत्रता की पूर्णरूपेण प्राप्ति अभी भी नहीं हो सकी है।

गोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार बाजपेई ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति ने कहा कि हमारा देश विकासशील से विकसित होने की ओर तेजी से अग्रसर है और वर्ष 2047 तक निश्चित रूप से भारत दुनिया की सबसे बड़ी शक्तियों में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में इस तरह के आयोजन की बहुत आवश्यकता है।

विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि स्वाधीनता तो मिल गई अब स्व-तंत्र बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में केंद्र सरकार द्वारा अंग्रेजों के बनाए कई कानूनों को बदला गया है। स्व-तंत्र के लिए हम सभी को अपना योगदान देना चाहिए। इससे पहले आगत अतिथियों को अंगवस्त्र और पौधे देकर सम्मानित किया गया।

जय प्रकाश विश्वविद्यालय के आई. क्यू. ए. सी. द्वारा अमृत काल : स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर विषयक इस एकदिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था।

इस मौके पर भारतीय शिक्षण मंडल उत्तर बिहार के प्रांत अध्यक्ष अजीत आर्य, विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्राचार्य, प्राध्यापक सहित छात्र-छात्रा उपस्थित थे।

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