Chhapra: शहर के बीचों बीच एक मुहल्ला है नाम है मौना बानगंज. यहां रहने वाले लोग भले ही नगर निगम के रजिस्टर में निगम क्षेत्र के निवासी है लेकिन यहां रहने वाले लोग खुद को नरक के निवासी ही समझते है. ना जनप्रतिनिधि, ना शासन, ना प्रशासन किसी की नज़र इस मुहल्ले पर नही पड़ती. आलम यह है कि जिनके पास विकल्प है वह इस मुहल्ले को छोड़ कही ना कही आशियाना खोज चुके है लेकिन जिनके पास कोई विकल्प नही है वह इसी जीवन नरक में जीवन बसर कर रहे है. स्थिति तो अब यह बन चुकी है कि इस मुहल्ले में अब रहने वाले लोगों के रिस्तेदारों का आना भी बंद हो गया है और कुछ लोगों ने खुद से आने के लिए मना कर दिया है.
तस्वीर को देख कर आप अंदाजा लगा सकते है कि इस मुहल्ले में रहने वाले लोग कैसे अपने घरों में जाते होंगे वो भी तब जब इससे सटे मुख्य सड़क पर अभी डबल डेकर का काम शुरू भी नही हुआ है. अगर निर्माण कार्य शुरू हो जाये तो फिर क्या कहने.
मौना बानगंज शहर के पुराने मुहल्लों में से एक है. मौना चौक से गांधी चौक जाने वाली मुख्य सड़क से इसका जुड़ाव है. यू कहे तो मौना चौक से महज़ 100 मीटर पर यह मुहल्ला है. मुहल्ले की बानगी भी कम नही है लिहाजा इस इस मुहल्ले में रहने वाले लोग या तो नौकरी पेशा है या फिर अच्छे व्यवसाय से जुड़े है समृद्ध भी है. विगत एक दशक के अधिक समय से इस मुहल्ले में ना सड़क बनी न नाली. आसपास की गली मुहल्लों में नई सड़क बनी कारण इस मुहल्ले की सड़क का लेवल नीचा हो गया. जिसके बाद से ही इस सड़क पर जलजमाव की स्थिति है. जो हल्की बारिश में ही झील बन जाती है. उसपर से नगर निगम की कृपा सफाई कर नाली की गंदगी सड़क पर रख दी जाती है जो धीरे धीरे फिर नाले में चली जाती है.
मुहल्ले में रहने वाले लोग अब इस स्थिति से आजिज़ हो चुके है. जनप्रतिनिधियों के दरवाजा खटखटाया लेकिन स्थिति जस की तस. यहां रहने वाले नौकरी पेशा और सेवा निवृत्त कर्मचारियों का कहना है कि आखिर इसका निदान कौन कर सकता है. हमारी कोई सुनता नही है. जलजमाव एक विकट समस्या बन गयी है अब तो रिस्तेदारों को भी घर आने से मना करना पड़ रहा है. घर के लोग भी नौकरी और व्यवसाय में जो बाहर गए है वह भी आना नही चाहते. हमारे पास विकल्प नही है सो यहां जमे है. प्रतिदिन झील का दीदार करते है. बैतरणी को पार कर जाते है और फिर वापस आते है. उनका कहना है कि हम भले ही नगर निगम के रजिस्टर में निगम निवासी जे रूप में दर्ज है लेकिन व्यवस्था और स्थिति हमे नरक का अनुभव कराती है. लोगों का दर्द है कि इस व्यस्था से निजात मिल जाये तो यही स्वर्ग बन जाये.
बहरहाल आगामी वर्ष में नगर निगम का चुनाव है. लोगों को उम्मीद है क्योंकि उम्मीद पर जीवन टिका है.