कुवैत सिटी, 22 दिसम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो दिवसीय कुवैत यात्रा के आखिरी दिन दोनों देशों ने संबंधों को और मजबूत करते हुए रणनीतिक साझेदारी पर सहमति जताई। यात्रा समाप्त कर प्रधानमंत्री मोदी स्वदेश लौट आए हैं लेकिन उससे पहले रविवार को रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और खेल के व्यापक क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को नियमित बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

प्रधानमंत्री मोदी और कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा सहित अन्य कुवैती नेताओं के बीच रविवार को व्यापक चर्चा हुई। इस दौरान रक्षा को रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक स्वीकार करते हुए दोनों देशों का कहना रहा कि समझौता ज्ञापन द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए आवश्यक रूपरेखा प्रदान करेगा। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा कर्मियों का प्रशिक्षण, तटीय रक्षा, समुद्री सुरक्षा और रक्षा उपकरणों का संयुक्त विकास तथा उत्पादन शामिल है।

दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवाद सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की निंदा की और आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क एवं सुरक्षित पनाहगाहों को बंद करने तथा आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का आह्वान किया।

पीएम मोदी की यात्रा की समाप्ति पर जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि सुरक्षा के क्षेत्र में मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग की सराहना करते हुए दोनों पक्षों ने आतंकवाद विरोधी अभियानों, सूचना और खुफिया जानकारी साझा करने, अनुभवों के विकास और आदान-प्रदान, सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों, क्षमता निर्माण और कानून प्रवर्तन, मनी-लॉन्ड्रिंग, नशीली दवाओं की तस्करी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराध में सहयोग को मजबूत करने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

इस दौरान अन्य समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए जो खेल, संस्कृति और सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग की सुविधा प्रदान करेंगे। बैठक में, भारतीय पक्ष ने खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) की कुवैत की अध्यक्षता के माध्यम से प्रभावशाली समूह के साथ अपने सहयोग को तेज करने में भी गहरी रुचि दिखाई। साथ ही

आतंकवाद, कट्टरपंथ और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए साइबर स्पेस के उपयोग को रोकने सहित साइबर सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का सदस्य बनने के कुवैत के फैसले का स्वागत किया, जो कम कार्बन उत्सर्जन वाले विकास तरीके विकसित करने और उन्हें लागू करने तथा टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने में सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वास्थ्य, जनशक्ति और हाइड्रोकार्बन पर मौजूदा संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) के अलावा, व्यापार, निवेश, शिक्षा और कौशल विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और आतंकवाद-निरोध, कृषि और संस्कृति के क्षेत्रों में नए जेडब्ल्यूजी स्थापित किए गए हैं। दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और विस्तारित करने के लिए नवगठित संयुक्त सहयोग आयोग (जेसीसी) और इसके तहत जेडब्ल्यूजी की बैठकें शीघ्र बुलाने पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि अमीर के साथ उनकी मुलाकात ‘‘उत्कृष्ट” रही। उन्होंने कहा कि कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा के साथ शानदार बैठक। हमने औषधि, सूचना प्रौद्योगिकी, फिनटेक, अवसंरचना और सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘‘हमारे देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों के अनुरूप हमने अपनी साझेदारी को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाया है और मैं आशावादी हूं कि आने वाले समय में हमारी दोस्ती और भी अधिक विकसित होगी।”

0Shares

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (हि.स.)। कुवैत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान “द ऑर्डर का मुबारक अल कबीर” से सम्मानित किया। यह प्रधानमंत्री मोदी का 20वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। प्रधानमंत्री माेदी और कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में दोनों देशों ने भारत-कुवैत संबंधों काे ‘रणनीतिक साझेदारी’ पर जाेर दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी दाे दिवसीय यात्रा पर शनिवार से कुवैत के प्रवास पर हैं। यात्रा के दूसरे दिन रविवार काे शीर्ष नेतृत्व के साथ वार्ता से पहले यहां प्रधानमंत्री माेदी ने कुवैत के बेयान पैलेस में कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने कुवैत के क्राउन प्रिंस सबा अल-खालिद अल-सबाह से भी मुलाकात की।

कुवैत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान “द ऑर्डर का मुबारक अल कबीर” प्रदान किया। यह प्रधानमंत्री मोदी का मिला 20वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।

उल्लेखनीय है कि ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर कुवैत का सर्वाेच्च सम्मान है। यह मित्रता के प्रतीक के रूप में राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी संप्रभुओं तथा विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को प्रदान किया जाता है। इसे पहले बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश जैसे विदेशी नेताओं को प्रदान किया जा चुका है। पिछले 43 वर्ष में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस खाड़ी देश की यह पहली यात्रा है।

इस मौके पर दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। वार्ता की जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि चर्चा में दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के तरीकों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया। प्रधानमंत्री ने कुवैत में भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए अमीर के प्रति आभार व्यक्त किया।

कुवैत से संबंधों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा के साथ शानदार बैठक हुई। हमने फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, फिनटेक, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की। हमारे देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों के अनुरूप, हमने अपनी साझेदारी को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाया है और मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में हमारी दोस्ती और भी मजबूत होगी।”

यहां कुवैती समाचार एजेंसी की महानिदेशक फातमा अल-सलेम के साथ एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि व्यापार, वाणिज्य कुवैत के साथ संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि फार्मास्यूटिकल, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की काफी संभावनाएं हैं।

0Shares

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से बुधवार को बीजिंग में भारत के विशेष प्रतिनिधि और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मुलाकात की।

चीनी समाचार एजेंसी के अनुसार हान ने कहा कि अगले साल चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है। दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं द्वारा पहुंची महत्वपूर्ण सहमति को लागू करना चाहिए। उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की गति को बनाए रखना चाहिए। राजनीतिक पारस्परिक विश्वास विकसित करना चाहिए। धीरे-धीरे संस्थागत संवाद बहाल करना चाहिए और अर्थव्यवस्था, व्यापार और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाना चाहिए। इससे द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर विकास पथ पर लौटने में बढ़ावा मिलेगा।

डोभाल ने कहा कि पांच साल के अंतराल के बाद सीमा के सवाल पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैठक फिर से शुरू होना दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 23वें दौर की वार्ता के लिए चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

0Shares

बीजिंग, 18 दिसंबर (हि.स.)। भारत और चीन सीमा विवाद के स्थाई समाधान के लिए आज यहां वार्ता करेंगे। चीन की राजधानी बीजिंग में आज होने वाली विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे। चीन ने अपने विदेशमंत्री वांग यी को विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया है। बैठक में हिस्सा लेने के लिए डोभाल कल बीजिंग पहुंचे।

विशेष प्रतिनिधि स्तर वार्ता पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल-मई, 2020 से चल रहे मौजूदा तनाव को समाप्त करने के बाद शुरू की जा रही है। विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की व्यवस्था पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जुलाई, 2003 की बीजिंग यात्रा के दौरान की गई थी। इसका उद्देश्य यह था कि भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का स्थाई समाधान हो सके। तब से अब तक 22 चरण की बातचीत हो चुकी है। डोभाल वर्ष 2014 से 2019 तक इस वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता पांच वर्ष बाद हो रही है। इसकी शुरुआत फिर करने की सहमति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अक्टूबर, 2024 में बनी थी। उसके बाद दोनों देशों के विदेशमंत्रियों की बैठक हो चुकी है।

0Shares

हाल के दिनों में कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज ने नए बिजनेस फील्ड में कदम रखा है। सलमान खान की बहन अर्पिता, मलाइका अरोड़ा, भूमि पेडनेकर, शिल्पा शेट्टी समेत तमाम सेलिब्रिटीज ने फूड इंडस्ट्री में डेब्यू किया और अपने-अपने आलीशान रेस्टोरेंट शुरू किए। कई मशहूर हस्तियों ने अपने मेकअप और कपड़ों के ब्रांड भी शुरू किए हैं। एक्टिंग के साथ-साथ बिजनेस की ओर रुख करने वाले एक्टर्स की लिस्ट में अब बॉलीवुड के ‘संजू बाबा’ का नाम भी जुड़ गया है। 65 साल की उम्र में संजय दत्त ने पत्नी मान्यता दत्त के साथ दुबई में नया बिजनेस शुरू किया है।

संजय दत्त और पत्नी मान्यता दत्त के नए बिजनेस का नाम बेहद अजीब ‘दत्त’स फ्रैंकटी’ है। इस संबंध में एक्टर की पत्नी ने सोमवार को एक पोस्ट शेयर कर सभी को जानकारी दी है। मान्यता लिखती हैं, “हम जल्द ही आपके लिए हमारी पसंदीदा स्वादिष्ट घरेलू रेसिपी ला रहे हैं। भोजन प्रेमी यहां गर्म चाय के साथ अपने पसंदीदा रोल का आनंद ले सकते हैं।” उनके पोस्ट और शेयर किए गए वीडियो से स्पष्ट है कि रेस्टोरेंट में लोग फ्रेंकी जैसे रोल का आनंद ले सकते हैं। संजय दत्त को उनके नए बिजनेस के लिए पूरे बॉलीवुड से शुभकामनाएं मिली हैं। सलमान खान, अजय देवगन, अर्जुन कपूर, मोहनलाल ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर संजय के नए बिजनेस वीडियो की एक झलक शेयर की और दत्त परिवार को शुभकामनाएं दीं।

संजय दत्त के काम की बात करें तो उन्होंने 1981 में रिलीज हुई फिल्म ‘रॉकी’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। कुछ सालों के बाद संजय दत्त को अपने करियर और निजी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। 2018 में उनकी जीवनी पर आधारित फिल्म ‘संजू’ रिलीज हुई थी। इससे सभी को उनके जीवन का दूसरा पक्ष समझ में आया। इसके अलावा एक्टर ने ‘केजीएफ’, ‘लियो’, ‘गुड़चड़ी’ जैसी फिल्मों में काम किया। अब जल्द ही वह फिल्म ‘वेलकम टू जंगल’, ‘हाउसफुल 5’ में नजर आएंगे।

0Shares

– ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं में रूसी उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने के नए अवसरों पर जोर दिया

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (हि.स.)। रूस की यात्रा के आखिरी दिन मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। उन्होंने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और संयुक्त प्रयासों से उल्लेखनीय परिणाम मिलेंगे। रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं।

रक्षा मंत्री ने आज मॉस्को में भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य एवं सैन्य सहयोग आयोग (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) की 21वीं बैठक के मौके पर पुतिन से मुलाकात में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच की मित्रता सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अपने रूसी मित्रों के साथ खड़ा रहा है और भविष्य में भी ऐसा करता रहेगा। राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं।

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने रूसी समकक्ष एंड्री बेलौसोव के साथ मॉस्को में आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी की बैठक की। रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-रूस संबंध बहुत मजबूत हैं और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की जिम्मेदारियों को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि 2024 के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो रूस यात्राओं से संबंध और मजबूत हुए हैं। राजनाथ सिंह ने अपने घरेलू रक्षा उद्योग की क्षमताओं को सभी क्षेत्रों और औद्योगिक सहयोग में विस्तार करने के दृढ़ संकल्प को दोहराया। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं में रूसी उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने के नए अवसरों पर जोर दिया।

रूसी रक्षा मंत्री ने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास पर आधारित संबंधों को गहरा करने पर जोर दिया। उन्होंने आईएनएस तुशील के जलावतरण पर रक्षा मंत्री को बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि 2021-31 के लिए सैन्य तकनीकी सहयोग समझौते के क्रियान्वयन से ‘मेक इन इंडिया’ को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा। राजनाथ सिंह ने रूसी मंत्री बेलौसोव को 2025 में आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी के 22वें सत्र की सह-अध्यक्षता करने के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया। अंत में दोनों मंत्रियों ने 21वीं आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी बैठक के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए।

बैठक से पहले रक्षा मंत्री ने सेंट्रल मॉस्को में रूसी रक्षा मंत्रालय में गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया।

इससे पहले उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मारे गए सोवियत सैनिकों की स्मृति में मॉस्को में ‘अज्ञात सैनिक की समाधि’ पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत करके विदेशों में प्रवासी भारतीयों के योगदान को सराहा। मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास स्कूल (केन्द्रीय विद्यालय) के छात्रों और रूसी कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। रक्षा मंत्री ने रूस की अपनी यात्रा के दौरान जीवंत भारतीय समुदाय के साथ विदेशों में भारतीयों के मजबूत सांस्कृतिक संबंधों और योगदान का जश्न मनाया।

0Shares

दमिश्क, 10 दिसंबर (हि.स.)। इजराइल ने सीरिया पर आक्रमण कर मुल्क के कम से कम 100 सैन्य ठिकानों को पलक झपकते राख के ढेर में बदल दिया। सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे के बाद अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद सपरिवार देश छोड़कर रूस भाग चुके हैं।

अरबी समाचार वेबसाइट “+963” के अनुसार, इजराइली सेना ने देश के दक्षिण-पश्चिम में कुनीत्रा ग्रामीण इलाकों में जमीनी घुसपैठ के बाद सोमवार को पूर्व सीरियाई सरकार से संबंधित कई सैन्य स्थलों पर हवाई हमले किए।राजधानी दमिश्क के बरजेह क्षेत्र में रासायनिक हथियारों के उत्पादन से जुड़े एक पूर्व सरकारी स्थल के पास कम से कम दो विस्फोट किए। साथ ही दक्षिणी दमिश्क के सैय्यदा जैनब क्षेत्र के आसपास ईरानी समर्थक गुटों से संबंधित सैन्य गोदामों और मुख्यालयों को भी निशाना बनाया।

वेबसाइट ने एक स्थानीय सूत्र के हवाले से कहा कि इजराइली सैन्य विमानों ने मध्य सीरिया के होम्स ग्रामीण इलाके में शायरात सैन्य हवाई अड्डे पर हमला कर बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया।

इस क्षेत्र में हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाके तैनात हैं। इजराइली सेना ने उन्हें कोई क्षति नहीं पहुंचाई। इजराइल ने उत्तर-पूर्व में हसाकाह ग्रामीण इलाके में कामिश्ली हवाई अड्डे और टारटाब रेजिमेंट को भी निशाना बनाया। इसके बाद यहां कई विस्फोट हुए। देश के पूर्व में दीर एज-जोर में अल-मयादीन रेगिस्तान में ऐन अली श्राइन के पास ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के एक पूर्व मुख्यालय को हवाई हमला कर जमींदोज कर दिया। यहां तोपखाना स्थापित किया गया था।

हमले के बाद टैंक, गोला-बारूद और खदानों में आग लग गई।इसके अलावा इजराइली लड़ाकू विमानों ने मुल्क के पश्चिम में लताकिया के बंदरगाह पर तैनात सैन्य नौकाओं और रास शामरा क्षेत्र के पास अल-बायदा के बंदरगाह में वायु रक्षा ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।

इजराइली समाचार पत्र मारीव के अनुसार, सीरियाई बलों के वहां से हटने के बाद इजराइली बलों ने माउंट हर्मन सैन्य स्थल पर नियंत्रण कर लिया। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि बफर जोन पर नियंत्रण कर लिया गया है। गौरतलब है कि सोमवार को इजराइल ने सीरिया के कम से कम 100 सैन्य ठिकानों पर हमला किया। सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, इजराइल ने विभिन्न क्षेत्रों में सैन्य स्थलों को निशाना बनाया।

इससे पहले इजराइली युद्धक विमानों ने रविवार और शनिवार को भी सीरिया के रणनीतिक सैन्य और सुरक्षा स्थलों को निशाना बनाकर कई केंद्रित हवाई हमले किए। इजराइली ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी के मुताबिक, इजराइली बलों ने दमिश्क में वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र पर बमबारी की।

यह केंद्र रासायनिक हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें विकसित करने के लिए जाना जाता है। इजराइल ने खलखला एयर बेस को भी निशाना बनाया। हवाई हमले के बाद इस एयर बेस में रॉकेट और मिसाइलों के बड़े भंडार में विस्फोट के साथ आग लग गई।

0Shares

वाशिंगटन, 06 दिसंबर (हि.स.)। संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया में गुरुवार सुबह भूकंप का जोरदार झटका महसूस किया गया। अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.0 रही।

इसके बाद सुनामी की चेतावनी जारी की। हालांकि इसे एक घंटे बाद वापस ले लिया गया। द न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, भूकंप के तेज झटके कैलिफोर्निया तट से 30 मील दूर एक महसूस किए गए। इसके बाद पांच लाख से अधिक सेलफोन पर आपातकालीन सुनामी अलर्ट जारी किया गया। भूकंप के केंद्र के निकटतम ग्रामीण इलाके में किराने की दुकानों के फर्श पर डिब्बे और बोतलें बिखर गईं।अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 7.0 रहने के बावजूद कम नुकसान हुआ।

इसकी वजह इसका केंद्र सैन फ्रांसिस्को खाड़ी से 200 मील उत्तर में प्रशांत महासागर में सुदूरवर्ती क्षेत्र में होना है। भूकंप के केंद्र पेट्रोलिया में एक जनरल स्टोर के क्लर्क 73 वर्षीय मार्गिट कुक ने कहा कि 53 वर्ष में उसने पहली बार इतने जोर के झटके महसूस किए।

बड़ा रेफ्रिजरेटर तो रसोई के फर्श पर ही लुढ़क गया। साइट पॉवरआउटेज डॉटकॉम यूएस के अनुसार, भूकंप की वजह से हम्बोल्ट काउंटी में 10,000 से अधिक घरों की बिजली गुल हो गई।

शुरुआती भूकंप के बाद पूरे उत्तरी कैलिफोर्निया तट पर एक दर्जन से अधिक झटके आए।इससे पहले 1989 में उत्तरी कैलिफोर्निया में विनाशकारी भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 6.9 थी और इसमें 63 लोगों की मौत हो गई थी और 3,700 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

दक्षिणी कैलिफोर्निया में 1994 में लॉस एंजिल्स के नॉर्थ्रिज पड़ोस में आए भूकंप में 60 लोग मारे गए थे और लगभग 7,000 लोग घायल हुए थे। 40,000 से अधिक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं।

गुरुवार का भूकंप प्रशांत समयानुसार सुबह 10:44 बजे उस क्षेत्र में आया, जिसे भूकंपविज्ञानी मेंडोकिनो ट्रिपल जंक्शन कहते हैं, जो तीन प्रमुख प्लेटों का एक टेक्टोनिक मिलन बिंदु है।

अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण में प्राकृतिक खतरों के अनुसंधान के पूर्व प्रमुख लुसी जोन्स के अनुसार, प्लेटों की परस्पर क्रिया बड़ी संख्या में भूकंप का कारण बनती है।

डॉ. जोन्स ने कहा कि इतनी ही ताकत वाला भूकंप कैलिफोर्निया के अत्यधिक आबादी वाले क्षेत्रों के लिए विनाशकारी होगा। यह भूकंप एक प्रकार से “स्ट्राइक स्लिप” था। इसमें टेक्टोनिक का टूटना लगभग पूरी तरह से क्षैतिज होता है।

इससे बड़ी सुनामी आने की संभावना नहीं होती। अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूकंप विज्ञान केंद्र निदेशक क्रिस्टीन गौलेट ने कहा कि जिस क्षेत्र में भूकंप आया वह अप्रत्याशित है।

भूकंप के केंद्र के निकटतम क्षेत्रों में रहने वालों ने कहा कि भूकंप का झटका ऐसा था मानों वह हिलती-डुलती लिफ्ट में हों।

भूकंप के केंद्र से लगभग 50 मील उत्तर-पूर्व में यूरेका के एक प्राथमिक विद्यालय की उप प्रधानाचार्य सू निकोल्स ने कहा कि वह छुट्टी पर थी। अचानक इतनी जोर का झटका लगा कि वह अपने परिवार के कमरे में एक डेस्क के नीचे चली गईं। उन्होंने घर को हिलते और लैंप को इधर-उधर झूलते हुए देखा। कुछ देरबाद वह स्कूल पहुंचीं तो बच्चों को कक्षाओं के बाहर एक मैदान में ले जाया गया था।

0Shares

वाशिंगटन, 1 दिसंबर (हि.स.)। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतवंशी कश्यप काश पटेल को जांच एजेंसी ‘फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (एफबीआई) का अगला डायरेक्टर नियुक्त किया है। ट्रम्प ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रुथ सोशल पर इसकी घोषणा की। पोस्ट में ट्रम्प ने काश पटेल के पिछले कामों की तारीफ भी की। ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान काश पटेल रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ स्टाफ, नेशनल इंटेलिजेंस में डिप्टी डायरेक्टर और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में आतंकवाद विरोधी कार्यक्रमों के सीनियर डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं।

ट्रम्प के बेहद भरोसेमंद भारतवंशी काश पटेल एफबीआई डायरेक्टर पद पर 20 जनवरी 2025 को नई सरकार के कार्यकाल के साथ काबिज हो जाएंगे। ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर लिखा, “मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि कश्यप ‘काश’ एफबीई के अगले निदेशक के रूप में काम करेंगे। काश एक शानदार वकील, इंवेस्टिगेटर और ‘अमेरिका फर्स्ट’ वॉरियर हैं, जिन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार उजागर करने, न्याय की रक्षा करने और अमेरिकी लोगों की रक्षा करने में बिताया है।”

काश पटेल का पूरा नाम कश्‍यप पटेल है। उनके माता-पिता का जीवन युगांडा में बीता। उनके पिता 70 के दशक में बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका आ गए थे। 1980 में काश पटेल का जन्‍म न्‍यूयॉर्क के गार्डन सिटी में हुआ। काश पटेल ने कानून की पढ़ाई की। नस्लवाद विरोधी माने जाने वाले काश ने इससे पहले ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन फैकल्टी ऑफ लॉज से अंतरराष्‍ट्रीय कानून में सर्टिफिकेट भी प्राप्त किया था। काश पटेल ने कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम किया। इससे पहले राष्ट्रपति के उप सहायक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् में आतंकवाद निरोध के वरिष्ठ निदेशक के रूप में भी वे काम कर चुके हैं।

0Shares

वाशिंगटन, 1 दिसंबर (हि.स.)। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को ब्रिक्‍स देशों को धमकाया है। ट्रम्प ने धमकी दी है कि अगर ब्रिक्‍स देश अपनी कोई नई करेंसी लेकर आते हैं और अमेरिकी डॉलर से व्‍यापार नहीं करते तो उन पर सौ फीसदी टैरिफ लगाया जा सकता है। ब्रिक्स के सदस्य देशों में भारत के साथ-साथ रूस, चीन, ब्राजील, साउथ अफ्रीका, मिस्र, ईरान, यूएई और इथियोपिया शामिल हैं।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पद संभालने से पहले ही अपने तेवर दिखा दिए हैं। ट्रम्प ने मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘हमें इन देशों से एक प्रतिबद्धता की जरूरत है कि वे न तो एक नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर को बदलने के लिए किसी अन्य मुद्रा को वापस लेंगे या उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। या फिर अमेरिका के बाजार को अलविदा कहना होगा।’

इसके साथ ही उन्‍होंने लिखा, ‘ऐसे देश किसी अन्‍य मार्केट की तलाश कर सकते हैं। ऐसी कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।’

खास बात यह है कि हाल के महीनों में ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी नई करेंसी या अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। पिछले महीने ही ब्रिक्स समिट हुआ था जिसमें नई करेंसी पर चर्चा हुई थी। मगर डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी के बाद ब्रिक्स देशों को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले ट्रम्प ने सोमवार को घोषणा की कि पदभार ग्रहण करते ही वह कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे। उन्होंने कहा कि वह तब तक टैरिफ लागू रखेंगे, जब तक दोनों देश अपने क्षेत्रों से अवैध रूप से अमेरिका में ड्रग्स और अप्रवासियों के प्रवाह को नहीं रोकते।

0Shares

रियो डी जेनेरियो,18 नवंबर (हि.स.)। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा का प्रथम चरण पूरा कर दूसरे चरण में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंच गए। प्रधानमंत्री ब्राजील में 18 और 19 नवंबर को होने वाले 19वें जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री ने यात्रा का पहला चरण नाइजीरिया में पूरा किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने रियो डी जेनेरियो विमानतल के फोटो अपने एक्स हैंडल पर साझा किए हैं। प्रधानमंत्री ने एक्स हैंडल पर लिखा है, ” यह जी-20 में भाग लेने के लिए रियो डी जनेरियो का अवसर है।” प्रधानमंत्री की तीन देशों की यात्रा का तीसरा चरण 21 नवंबर को पूरा होगा।

प्रधानमंत्री मोदी नई दिल्ली से 16 नवंबर को नाइजीरिया पहुंचे। वहां 17 नवंबर को उनका राष्ट्रपति विला में स्वागत किया जाएगा। उन्होंने राष्ट्रपति टीनूबू के साथ बैठक भी की। प्रधानमंत्री मोदी रियो डी जनेरियो में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद गुयाना रवाना होंगे। वो वहां के जॉर्जटाउन में दूसरे कैरिकॉम-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। गुयाना की यात्रा इस मायने में खास है क्योंकि किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 1968 के बाद यह पहली यात्रा है।

रूस में ब्रिक्स की बैठक के एक महीने से भी कम अंतराल बाद प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ब्राजील में दोबारा मुलाकात हो सकती है। जी-20 सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी मुलाकात होगी।

0Shares

अबुजा, 17 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को नाइजीरिया की राजधानी अबुजा पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागात हुआ। नाइजीरिया के लोगों के विश्वास और सम्मान के प्रतीक अबुजा ‘शहर की चाबी’ प्रधानमंत्री को भेंट की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर साझा किए गए पोस्ट में गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार व्यक्त करते हुए लिखा कि मेरी कामना है कि यह यात्रा हमारे देशों के बीच द्विपक्षीय मित्रता को और मजबूत बनाए।

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को अपनी तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में नाइजीरिया के अबुजा शहर पहुंचे। जहां मंत्री न्येसोम एज़ेनवो वाइक ने प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी भरा स्वागत किया। 17 सालों में नाइजीरिया की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने प्रधानमंत्री मोदी के अबुजा एयरपोर्ट पहुंचने पर वहां के भारतीय मूल के नागरिकों में खासा उत्साह देखने को मिला। भारतीय मूल के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी भरा स्वागत किया। बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जो तिरंगा हाथ में थामे ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। मोदी ने सभी का अभिनंदन स्वीकार किया।

इससे पहले नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू ने भी एक्स पोस्ट कर लिया- मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाइजीरिया की पहली यात्रा पर स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं, जो 2007 के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की हमारे प्यारे देश की पहली यात्रा भी है। हमारी द्विपक्षीय चर्चाओं में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को नई दिल्ली से तीन देशों की यात्रा पर रवाना हुए। वे 17 नवंबर से 21 नवंबर तक नाइजीरिया, ब्राजील और गुयाना की यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी 18 से 19 नवंबर तक होने वाले 19वें जी20 शिखर सम्मेलन के लिए ब्राजील जाएंगे। तीन देशों की यात्रा के आखिरी चरण में प्रधानमंत्री मोदी गुयाना जाएंगे, जहां वे पांच दशकों में देश का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास रचेंगे। अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी गुयाना की संसद को भी संबोधित करेंगे और 185 साल पहले गुयाना में प्रवास करने वाले भारतीय प्रवासियों को श्रद्धांजलि देंगे।

0Shares