मास्को/कीव: रूसी सेनाओं ने गुरुवार तड़के यूक्रेन पर समुद्री, जमीन, हवाई (जल, थल और नभ) रास्ते से जबर्दस्त हमला कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में यह सबसे बड़ा सैन्य हमला है। इस हमले में दोनों पक्षों ने भारी क्षति का दावा किया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार ने कम से कम 40 लोगों के मारे जाने का दावा किया है।

रिपोर्ट के रूसी सेना ने यूक्रेन के 74 सैन्य ठिकानों और 11 एयरबेस तबाह कर उसकी हवाई रक्षा प्रणाली नष्ट कर दी है। वहीं यूक्रेन ने रूस के पांच लड़ाकू विमान और कई टैंक नष्ट करने की बात कही है। भारी बमबारी से देश के कई इलाकों से बड़ी तादाद में पलायन शुरू हो गया है। कई देश भी कीव से अपने दूतावास खाली करने लगे हैं।

यूक्रेन पर हमले की वैश्विक ताकतों ने निंदा की है लेकिन वे यूक्रेन के बचाव में सैन्य हस्तक्षेप नहीं करने की बात कही है। वहीं प्रतिबंधों से बेपरवाह रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने हमले को उचित बताते हुए पश्चिमी देशों को चेतावनी दी कि रूसी कार्रवाई में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के प्रयास के ‘ऐसे परिणाम होंगे, जो पहले किसी ने नहीं देखे होंगे। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि हम प्रतिबंधों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेंगे।

यूक्रेन ने रूस से अपने राजनयिक संबंध तोड़े
हमले के विरोध में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की ने कहा हमने रूस से अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए हैं। जेलेंस्की ने देश में ‘मार्शल ला’ की घोषणा करते हुए कहा कि रूस ने यूक्रेन के सैन्य आधारभूत ढांचे को निशाना बनाया है। जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने बुधवार को पुतिन के साथ बातचीत (फोन काल) की व्यवस्था करने को कहा था लेकिन क्रेमलिन की ओर से कोई जवाब नहीं आया।

यूक्रेन की पूरी वायु रक्षा प्रणाली नष्ट
कीव (राजधानी), खार्कीव, ओडेसा और यूक्रेन के अन्य शहरों में जोरदार धमाकों की आवाज सुनी गई। यूक्रेन के सीमा रक्षकों द्वारा इस संबंध में तस्वीरें और वीडियो जारी कर कहा गया कि रूसी सैन्य वाहन क्रीमिया से यूक्रेन में दाखिल हुए। वहीं, रूसी सेना ने दावा किया कि उसने कुछ ही घंटों में यूक्रेन की पूरी वायु रक्षा प्रणाली नष्ट कर दी। यूरोपीय प्राधिकार ने यूक्रेन के वायु क्षेत्र को एक सक्रिय संघर्ष क्षेत्र घोषित कर दिया है। रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सेना ने घातक हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन के एयरबेस व सैन्य आधारभूत ढांचों को निशाना बनाने के लिए किया है।

रूसी सेना कई किलोमीटर अंदर तक घुसी
एरेस्टोविच ने कहा कि रूसी सेना यूक्रेन के इलाके में खार्कीव और चेर्निहिव क्षेत्र एवं संभवत: कुछ अन्य क्षेत्रों में कई किलोमीटर अंदर तक घुस गई है। यूक्रेन के गृह मंत्री के सलाहकार एंटोन गेराशेचेंको ने फेसबुक पर कहा कि रूसी सेना ने कीव, खार्कीव और निप्रो में यूक्रेन की कमान सुविधा, वायु सेना अड्डे एवं सैन्य भंडार पर मिसाइल से हमला किया है।

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नई दिल्ली: यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थियों और नागरिकों को वहां से निकालने के लिए भारतीय वायुसेना की मदद लेने पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय को स्थिति से अवगत कराया है। इसके अलावा वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए भी लोगों को स्वदेश लाने के उपाय किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संभावित बातचीत के पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक विशेष ब्रीफिंग में इसकी जानकारी दी। विदेश सचिव ने कहा कि यूक्रेन की स्थिति पर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विचार किया है।

उन्होंने मीडिया को बताया कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास में करीब 20 हजार विद्यार्थियों और नागरिकों ने अपना पंजीकरण कराया था। इसमें से करीब 4 हजार लोग स्वदेश लौट चुके हैं। अन्य लोगों को यात्रा के विभिन्न विकल्पों से स्वदेश लाने की कार्यवाही जारी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के पड़ोसी देशों हंगरी, स्लोवाकिया रोमानिया एवं पोलैंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय राजनयिकों का दल पहुंच रहा है। नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय से रूसी भाषा के जानकार अधिकारियों को वहां भेजा जा रहा है। इसका मकसद स्थानीय अधिकारियों के साथ बेहतर संवाद करना है। उन्होंने कहा कि सड़क मार्ग के जरिए 9 से 12 घंटे तक सफर कर पड़ोसी देशों में पहुंचा जा सकता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के काम में देरी हुई, पर विदेश सचिव ने कहा कि घटनाक्रम बदल रहा था और स्थिति जटिल थी। भारतीय दूतावास ने बहुत पहले ही भारतीय नागरिकों और छात्रों को परामर्श जारी कर सलाह जारी कर यूक्रेन छोड़ने की अपील की थी। विश्वविद्यालयों और और मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र अपनी पढ़ाई बाधित नहीं करना चाहते थे। यूक्रेन के शिक्षण संस्थाओं में उस समय ऑनलाइन क्लासेस की सुविधा नहीं थी। विदेश मंत्रालय ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ संपर्क स्थापित कर आग्रह किया है कि छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा दी जाए।

उन्होंने कहा कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षा संबंधी निर्देश दिए गए हैं। उनसे नजदीकी बचाव स्थलों में शरण लेने अथवा यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्रों में जाने के लिए कहा गया है।

विदेश सचिव ने कहा कि यूक्रेन के घटनाक्रम पर अमेरिका की ओर से पेश किए जाने वाले प्रस्ताव का प्रारूप भारत को मिला है। इसमें कुछ बदलाव भी हो रहा है। अंतिम प्रस्ताव पेश किए जाने पर भारत पूरे प्रकरण के बारे में अपना रवैया स्पष्ट करेगा।

यूक्रेन संकट के बारे में विदेश सचिव ने कहा कि भारत घटनाक्रम से जुड़ा एक पक्ष है। इसके मद्देनजर भारत विभिन्न संबंधित देशों के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि विचार विमर्श और राजनयिक उपाय ही मौजूदा संकट के समाधान करने का एकमात्र रास्ता है। भारत ऐसी किसी बातचीत में सहयोग करने के लिए तत्पर है।

रूस के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों तथा ऑस्ट्रेलिया जापान आदि देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के संबंध में विदेश सचिव ने कहा कि हम इस बात का आकलन करेंगे कि इनसे भारतीय हितों पर क्या असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों के कारण अन्य देशों के साथ के साथ रिश्तों पर निश्चित रूप से असर पड़ता है।

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नई दिल्ली: भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वहां जारी सैन्य संकट के बीच हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि भारत-रूस के विशेष संबंधों को देखते हुए ‘मोदीजी’ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करें।

पत्रकारों से बातचीत में यूक्रेन के भारत में राजदूत इगोर पोलिखा ने कहा कि नई दिल्ली और मास्को के बीच विशेष रणनीतिक संबंध है। परिस्थितियों को नियंत्रित करने में भारत सक्रीय भूमिका निभा सकता है। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध करते हैं कि वह तुरंत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और हमारे राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से बात करें।

रूसी राजदूत ने कहा, “मोदीजी दुनिया के सम्मानित और शक्तिशाली नेता हैं। हमारी अपेक्षा है कि मोदीजी किसी तरह से पुतिन को समझाने की कोशिश करें। हम भारत की ओर से सहयोग के कुछ शब्द और किसी व्यावहारिक सहायता के लिए बेहद शुक्रगुजार होंगे।”

रूसी राजदूत ने मौजूदा परिस्थितियों में भारत के संयुक्त राष्ट्र में अपनाए गए रूख पर निराशा व्यक्त की। उनका कहना था कि भारत ने दोनों पक्षों से तनाव को बढ़ने से रोकने की अपील की है। असल में रूस ने आक्रमता दिखाई है और यूक्रेन अपनी सीमा को बचाने के प्रयास कर रहा है।

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कीव: रूस और यूक्रेन में टकराव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने गुरुवार को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का एलान कर दिया। रूसी सेनाओं ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर बैलेस्टिक मिसाइलें दागी है। यूक्रेन के कई अन्य शहर भी हमले की चपेट में आए हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने टीवी पर प्रसारित अपने संबोधन में यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का एलान किया। उन्होंने कहा कि ये कार्रवाई यूक्रेन से आने वाली धमकियों के जवाब में की गई है। दावा किया कि वह वहां रहने वाले लोगों को बचाने का इरादा रखते हैं। रूस का यूक्रेन पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है और रक्तपात की जिम्मेदारी यूक्रेन सरकार की होगी।

पुतिन की घोषणा के साथ ही रूसी सेनाओं ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया। राजधानी कीव समेत कई जगह धमाके सुनाई देने लगे। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव और प्रमुख शहर खारकीव समेत कई यूक्रेनी शहरों में मिसाइल से हमला शुरू कर दिया है।
स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है। रूस द्वारा जंग के एलान के बाद यूक्रेन के पूर्वी बंदरगाह शहर मारियुपोल में शक्तिशाली विस्फोटों की आवाज सुनी गई।

संयुक्त राष्ट्र में रूस के प्रतिनिधि ने कहा कि यूक्रेन के लोग वर्षों से पीड़ित हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा घोषित विशेष अभियान यूक्रेन के लोगों की रक्षा के लिए हैं। रूस का लक्ष्य यूक्रेन को नरसंहार से मुक्त करना है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के अनुरूप निर्णय लिया गया है हम यूक्रेन में स्थिति का विश्लेषण करेंगे।

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वाशिंगटन (Agency): रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को रूस के खिलाफ पहले चरण के प्रतिबंधों की घोषणा की है। व्हाइट हाउस में अपने संबोधन में अमेरिका ने रूस के दो बड़े बैंकों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान करते हुए कहा कि यूक्रेन पर अगर रूस ने अपनी आक्रामकता जारी रखी तो आगे कठोर दंड का सामना करना पड़ेगा। रूस को दी जा रही मदद के साथ पश्चिमी देशों से मिल रही मदद को भी रोका जाएगा। व्हाइट हाउस ने यूक्रेन में रूस द्वारा लिए गए फैसले को आक्रमण करार दिया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका व्यापक वित्तीय प्रतिबंध लगाने का इरादा रखता है। बाइडन ने कहा कि अमेरिका के सबसे कठोर प्रतिबंध का पैकेज यूरोपीय देशों के सहयोग से तैयार कर लिया गया है, जो रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और रूस के अंतराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त होगा। इससे रूस में मंदी आने की संभावना बनेगी। अमेरिका ने अब तक यह खुलासा नहीं किया है कि वह संभावित कठोरतम पाबंदियों में किस विकल्प का उपयोग करेगा। बाइडेन ने कहा है कि हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं। स्थिति का आकलन करते हुए हम कदम उठाने जा रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। हम युद्ध को टालने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं।

इससे स्पष्ट हो गया है कि व्हाइट हाउस रूस पर कड़ी पाबंदियां लगाने के मूड में है। कई पश्चिमी देशों के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी यूक्रेन के विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाकों की स्वतंत्रता को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा मान्यता दिए जाने के बाद रूसी सैनिक इन इलाकों में प्रवेश कर गए हैं, लेकिन कुछ नेताओं ने संकेत दिया कि यह यूक्रेन पर पूर्ण आक्रमण के समान नहीं है। इससे पहले यूक्रेन-रूस संकट के बीच नाटो ने तय किया है कि वह मंगलवार को यूक्रेन के दूत के साथ तत्काल बैठक करेगा।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रूस की पांच बैंकों पर प्रतिबंध का ऐलान किया था। इनमें रोसिया बैंक, आईएस बैंक, जनरल बैंक, प्रोमस्याज बैंक और द ब्लैक सी बैंक शामिल हैं। इसके अलावा तीन नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा जर्मनी के चांसलर ओलाफ शुल्ज ने रूस के साथ नॉर्ड स्ट्रीम 2 परियोजना को निलंबित कर दिया है। नॉर्ड स्ट्रीम-2 बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तरपूर्वी जर्मनी तक जाने वाली दूसरी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है।

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कीव: यूक्रेन में युद्ध के हालात के बीच वहां बीस हजार से अधिक भारतीय फंसे हुए हैं। कीव स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीयों की वापसी के लिए विशेष उड़ानें शुरू कराई हैं। साथ ही वहां फंसे सभी भारतीय नागरिकों से संपर्क भी स्थापित किया जा रहा है।

यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले और लगातार बढ़ते तनाव के बीच वहां फंसे भारतीयों को लेकर भी चिंताएं बढ़ गयी हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमर्ति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को जानकारी दी कि बीस हजार से अधिक भारतीय छात्र-छात्राएं व नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं। उन्होंने रूसी संघ के साथ यूक्रेन की सीमा पर बढ़ते तनाव को गहरी चिंता का विषय करार दिया। इन घटनाक्रमों से क्षेत्र की शांति और सुरक्षा खंडित होगी। उन्होंने कहा कि भारतीयों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है।

इस बीच वहां फंसे भारतीयों को निकालने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं। मंगलवार सुबह एयर इंडिया का विशेष विमान यूक्रेन रवाना हो गया है। भारत की ओर से 200 से अधिक सीटों वाले ड्रीमलाइनर बी-787 विमान को विशेष अभियान के लिए तैनात किया गया है।

इस बीच भारतीय विद्यार्थियों का भारत पहुंचना भी शुरू हो चुका है। यूक्रेन से वापस आई एक छात्रा आस्था सिंधा ने बताया कि भारतीय दूतावास वहांं फंसे लोगों की सहायता तत्परता के साथ कर रहा है। ई-मेल और फोन कॉल्स के माध्यम से संपर्क भी बनाया जा रहा है। दूतावास ने वहां फंसे नागरिकों को देश छोड़ने के लिए एडवाइजरी भी जारी की थी।

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लंदन (एजेंसी): रूस और यूक्रेन विवाद के बीच ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने गुरुवार को गोल्डन वीजा रद्द करने का ऐलान कर धन निवेशकों को विशेष झटका दिया है। माना जा रहा है कि रूस के निवेशकों और वर्तमान वैश्विक हालात को देखते हुए ब्रिटेन ने यह कदम उठाया है।

सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस से सैकड़ों अरबों डॉलर ब्रिटेन में निवेश किया गया जिससे कुछ सहयोगियों में यह आशंका पैदा हो गई कि अवैध धन वैश्विक वित्तीय प्रणाली में फैल रहा है। संसद की खुफिया और सुरक्षा समिति के ब्रिटिश सांसदों ने 2020 में चेतावनी दी थी कि टियर 1 निवेशक वीजा प्रणाली को ओवरहाल करने सहित रूसी अभिजात वर्ग के अवैध वित्तीय लेनदेन से निपटने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है।

इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सरकार में गृह मंत्री प्रीति पटेल ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने टियर 1 वीजा प्रणाली को बंद कर दिया है, जो कम से कम 2 मिलियन पाउंड (2.72 मिलियन डॉलर) का निवेश करने वालों के लिए बसने का मौका देती है।

प्रीती पटेल ने ट्वीट कर कहा कि हमने जो भी वीजा दिया है, उसकी समीक्षा के बाद मैंने टियर 1 इन्वेस्टर वीजा को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। यह धोखाधड़ी और अवैध वित्त पर हमारे नए सिरे से कार्रवाई की शुरुआत है।

बता दें कि लंदन को लंबे समय से ‘लंदनग्राड’ या ‘मास्को-आन-थेम्स’ करार दिया गया है, जो अमीर रूसियों और पूर्व सोवियत गणराज्यों के अन्य धनी निवासियों के लिए पसंद का शहर है। रूसी कुलीन वर्गों से लेकर मध्य पूर्वी तेल व्यवसायियों और नव-निर्मित चीनी उद्यमियों तक विदेशी खरीदारों ने पिछले तीन दशकों में लंदन की संपत्ति पर खर्च करने की होड़ लगी है।

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कीव: रूस और यूक्रेन के बीच संभावित युद्ध का खतरा टलता नजर आ रहा है क्योंकि यूक्रेन की सीमा से रूसी सैनिक लौटने लगे हैं। रूस ने यूक्रेन सीमा के पास तैनात अपने सैनिकों की वापसी का ऐलान भी किया है।

यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े के बाद से लगातार यूक्रेन पर रूस के हमले का खतरा मंडरा रहा है। अब भी यूक्रेन की सीमा पर एक लाख से अधिक रूसी सैनिक तैनात हैं। इस संबंध में यूरोपीय देशों और अमेरिका सहित दुनिया के अनेक देशों द्वारा किए जा रहे राजनयिक प्रयासों के बीच रूसी सैनिकों की वापसी गतिरोध खत्म करने की दिशा में उठाया गया पहला बड़ा कदम है।

रूस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मेजर जनरल इगोर कोनाशेनकोव ने मंगलवार सुबह कहा कि यूक्रेन की सीमा के पास तैनात सुरक्षाबलों ने अपना सैन्य अभ्यास पूरा कर लिया है और वे वापसी की तैयारी कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि दक्षिणी और पश्चिमी सैन्य इकाइयां अपना काम पूरा कर चुकी हैं। वे रेलों और कारों से अपने सैन्य ठिकानों में जाना शुरू कर रही हैं। अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सैन्य अभ्यास में शामिल रहीं कितनी सैन्य इकाइयों ने लौटना शुरू किया है। अभी इस बात को लेकर भी महज कयास ही लगाए जा रहे हैं कि सैनिकों की वापसी के बाद यूक्रेन के आसपास तैनात रूसी सैनिकों में कितनी कमी आने वाली है। रूसी सैनिकों की वापसी के बाद एक बड़े युद्ध की आशंका कम होने की उम्मीद है।

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– सिर्फ ढाई महीने में 40 प्रतिशत महंगा हुआ कच्चा तेल
– भारतीय कंपनियों पर तेल की कीमत बढ़ाने का दबाव

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार तेजी आ रही है। पिछले कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड की कीमत प्रति बैरल 2.04 डॉलर बढ़कर 96.48 डॉलर प्रति बैरल हो गई। सिर्फ एक ही कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड के कीमत में 2.2 प्रतिशत की उछाल आई है। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्लूटीआई) क्रूड की कीमत भी पिछले कारोबारी सत्र में 2.36 डॉलर यानी 2.5 प्रतिशत की उछाल के साथ 95.46 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।

आपको बता दें कि सितंबर 2014 के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ये सबसे ऊंची कीमत है। सितंबर 2014 में ब्रेंट क्रूड 96.78 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया था, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्लूटीआई) क्रूड सितंबर 2014 में 95.82 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था। जिसकी वजह से कच्चे तेल के आयात पर निर्भर रहने वाले भारत जैसे देशों का इंपोर्ट बिल काफी ज्यादा हो गया था। हालांकि 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमत में लगातार गिरावट आई, जिसके कारण कच्चे तेल के आयात पर निर्भर करने वाले देशों को काफी राहत मिली थी।

जानकारों का कहना है कि पहले कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से बनी वैश्विक परिस्थितियों के कारण और अब रूस और यूक्रेन के बीच के तनाव ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पर काफी असर डाला है। कोरोना संक्रमण की वजह से 2019 में काफी नुकसान का सामना करने के बाद तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगी देशों ओपेक प्लस ने कच्चे तेल के उत्पादन में काफी कटौती कर दी थी। जिसके कारण पिछले 1 साल से कच्चे तेल की कीमत में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है।

कच्चे तेल की कीमत में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण 1 दिसंबर 2021 को ब्रेंट क्रूड की कीमत 68.87 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी। उम्मीद की जा रही थी कि 2022 में ओपेक और ओपेक प्लस में शामिल देश कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करेंगे, ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की उपलब्धता सामान्य हो सके। ऐसा होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में भी कमी आती, जिससे भारत जैसे कच्चे तेल के आयातक देशों को काफी राहत मिल सकती थी।

कमोडिटी मार्केट के एक्सपर्ट मयंक श्रीवास्तव का कहना है कि ओपेक और ओपेक प्लस में शामिल देशों की पिछली बैठक में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने की बात पर सहमति भी बनी थी। लेकिन 2022 की शुरुआत से ही रूस और यूक्रेन के बीच जिस तरह से तनाव बढ़ा है, उसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में नकारात्मक माहौल बनने लगा है। इसकी वजह से कच्चे तेल की कीमत में भी लगातार तेजी दिख रही है। पिछले ढाई महीने के दौरान ही कच्चे तेल की कीमत में 27.61 डॉलर की बढ़ोतरी हो चुकी है। इस तरह 1 दिसंबर 2021 से लेकर अभी तक के करीब ढाई महीने में कच्चे तेल की कीमत है 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है।

आपको बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से अधिक कच्चा तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार से खरीदता है। ऐसी स्थिति में कच्चे तेल की कीमत में हो रही बढ़ोतरी से भारत में भी पेट्रोल और डीजल समेत दूसरे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में तेजी आने की आशंका बन गई है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल एक डॉलर की बढ़ोतरी होने से भारत में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर पेट्रोल या डीजल की कीमत में प्रति लीटर 40 पैसे तक का भार बढ़ जाता है, जिसकी पूर्ति पेट्रोल या डीजल की कीमत में बढ़ोतरी करके किया जाता है।

इस तरह अगर देखा जाए तो 1 दिसंबर 2021 से लेकर अभी तक की अवधि में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर डीजल या पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 11 रुपए से अधिक की बढ़ोतरी करने का दबाव बन चुका है। इसके साथ ही अगर डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में आई कमजोरी को भी इस गणना में ड़ दिया जाए, तो इन ढाई महीने में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर प्रति लीटर करीब 14 रुपए की बढ़ोतरी करने का दबाव बन गया है।

जानकारों का कहना है कि सियासी वजहों से सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अभी पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी नहीं कर रही हैं, जिसकी वजह से उनका संचित घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में 10 मार्च को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद एक बार फिर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में तेज बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हो सकता है।

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मेलबर्न: आस्ट्रेलिया में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की बात दोहराई गई है। बैठक में इंडो-पैसिफिक के विकास और समृद्धि को रेखांकित करते हुए समुद्री क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून, शांति और सुरक्षा को मान्यता देने पर बल दिया गया है।

आस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को मेलबर्न में चौथी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका की मेजबानी की, जहां शीर्ष राजनयिकों ने अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, कोविड-19 महामारी और स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक सहित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की मांग की है।

क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में आस्ट्रेलिया, भारत और जापान के विदेश मंत्रियों और अमेरिका के विदेश मंत्री ने कहा कि “हमारी बैठक ने क्वाड के सकारात्मक और महत्वाकांक्षी एजेंडे को आगे बढ़ाया है। हम क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए इंडो-पैसिफिक भागीदारों के साथ मिलकर काम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। क्वाड के रूप में एक साथ काम करते हुए, हम इस क्षेत्र को व्यावहारिक समर्थन देने में अधिक प्रभावी हैं। क्वाड देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि क्वाड मानता है कि समुद्री क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून, शांति और सुरक्षा हिंद-प्रशांत के विकास और समृद्धि का आधार है। क्वाड पड़ोसी देशों को हर संभव मदद देने की कोशिश करता है।

क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने और साइबर अपराध का मुकाबला करने के लिए क्षमता निर्माण को मजबूत करने की भी बात कही। उन्होंने रैंसमवेयर के बढ़ते खतरे को दूर करने के लिए हिंद-प्रशांत में भागीदारों की सहायता के लिए समन्वित प्रयासों के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की है।

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वाशिंगटन: बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक की मशाल गलवान संघर्ष में शामिल रहे चीनी सेना के रेजिमेंटल कमांडर को थमाने की चारो तरफ निंदा हो रही है। अमेरिका में विदेश नीति संभालने वाले दो सबसे वरिष्ठ सीनेटरों ने पार्टी लाइन से हटकर चीन की कड़ी निंदा की है।

गलवान संघर्ष के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रेजिमेंटल कमांडर को बुधवार को बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक मशाल रिले में मशाल थमाने निंदा हो रही है। इसके अलावा, अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने पड़ोसियों को डराने के लिए चीन के प्रयासों पर अपनी चिंताओं को दोहराया और कहा है कि वह हिंद-प्रशांत में अपने दोस्तों, भागीदारों और सहयोगियों के साथ खड़ा है।

‘सीनेट विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष और वाशिंगटन डीसी में अमेरिका की विदेश नीति पर सबसे शक्तिशाली आवाजों में से एक बॉब मेनेंडेज ने ट्वीट किया कि मैं बीजिंग ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार में शामिल होने के लिए भारत की सराहना करता हूं। हम उन सभी देशों के साथ खड़े हैं, जो सीसीपी (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी) के जघन्य मानवाधिकारों के हनन और ओलंपिक 2022 को घटिया राजनीतिक जीत में बदलने के झूठे प्रयास को खारिज करते हैं।

ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साथ, अमेरिका ने शिनजियांग में चीन के मानवाधिकारों के हनन के विरोध में ओलंपिक का कूटनीतिक रूप से बहिष्कार किया है, हालांकि, उनके संबंधित राष्ट्रीय खेल दल खेलों में भाग ले रहे हैं।

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जकार्ता: इंडोनेशिया में मंगलवार देर रात 12:55 बजे भूकंप का तेज झटका महसूस किया गया। यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (ईएमएससी) के अनुसार इस भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 6.0 मैग्नीट्यूट मापी गई है।

यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर ने बताया है कि इंडोनेशिया के केपुलावन बारात दया में रात 12.55 बजे 6 तीव्रता का भूकंप का झटका महसूस किया गया है। इस भूकंप का केंद्र 127 किलोमीटर (78.91 मील) की गहराई में था।

ईएमएससी ने कहा कि भूकंप की पहली रिपोर्ट में तीव्रता 6.4 बताई गई थी लेकिन बाद में इसे संशोधित किया गया है। फिलहाल इस भूकंप से होने वाले नुकसान व जानमाल की अभी आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है।

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