नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने अपनी चंद्र अन्वेषण यात्रा में गुरुवार को एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। प्रज्ञान रोवर को लेकर चल रहा अंतरिक्ष यान का ‘विक्रम’ लैंडर सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया। इससे मिशन एक कदम और आगे बढ़ गया। इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

इसरो के ट्वीट में कहा गया – “चंद्रयान-3 मिशन: लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने कहा, ‘सवारी के लिए धन्यवाद, दोस्त!’ एलएम को प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है। कल लगभग शाम चार बजे पहले से तय गति कम करने के बाद एलएम थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए तैयार है।”

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से भारत दुनिया में ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन इस उपलब्धि को हासिल कर चुके हैं। चन्द्रयान-3 की विशेषता यह है कि यह भारत के प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। कोई और अन्य देश अभी तक ऐसा नहीं कर सका है। 

 

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नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन के तहत चंद्रयान-3 बुधवार को चंद्रमा के और करीब आ गया है। अब चंद्रमा की सतह से चंद्रयान-3 की दूरी केवल 150 किलोमीटर रह गई है। इसके साथ ही मिशन की कामयाबी का अंतिम चरण शुरू हो चुका है। जिसपर देशभर के साथ-साथ दुनिया के कई बड़े देशों की नजरें हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स पर चंद्रयान-3 के सफर को लेकर ताजा जानकारी दी- `चंद्रयान-3 के चंद्रमा तक पहुंचने की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली हैं। हमारी आशा के मुताबिक चंद्रमा की 153 किलोमीटर X 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया। चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब 17 अगस्त को प्रोपल्शन माड्यूल और लैंडर अलग होने को तैयार हैं। 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी है।’

इसरो ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से तीन सप्ताह में चंद्रयान-3 को चंद्रमा की पांच से अधिक कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से स्थापित करने में सफलता पाई है। 01 अगस्त को यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया।

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नई दिल्ली, 9 अगस्त (हि.स.)। चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार (9 अगस्त) को चांद की सतह के एक और कदम नजदीक पहुंच गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) ने बुधवार को ट्वीट करके यह जानकारी दी। चंद्रयान -3 और चंद्रमा की दूरी अब 174 किमी x 1437 किमी रह गई है। कक्षा बदलने की प्रक्रिया अब 14 अगस्त को की जाएगी।

इसरो ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘चंद्रयान-3 चंद्रमा की तीसरी कक्षा में पहुंच गया है। वह चांद के और करीब आ गया है। आज की गई प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी रह गई है। अगला ऑपरेशन 14 अगस्त को 11.30 -12.30 बजे की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान मार्क-3 के जरिए लॉन्च किया गया था।

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नई दिल्ली, 27 जुलाई (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को गगनयान सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम का तीसरा हॉट सफल परीक्षण किया। इसरो ने ट्वीट करके जानकारी दी कि गगनयान सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम पर दो और हॉट परीक्षण 26 जुलाई को सफलतापूर्वक किए गए।

इसरो ने कहा कि मिशन के लिए आवश्यक और निरंतर मोड में परीक्षण आयोजित किए गए। डी-बूस्टिंग आवश्यकताओं और ऑफ-नॉमिनल मिशन परिदृश्यों को प्रदर्शित करने के लिए तीन और हॉट परीक्षण निर्धारित हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की लॉन्चिंग के लिए इसरो कई तरह के परीक्षण कर रहा है।

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नई दिल्ली, 25 जुलाई (हि.स.)। चंद्रयान-3 मंगलवार को चंद्रमा की ओर एक कदम और आगे बढ़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को एक बार फिर कक्षा बदलने की प्रक्रिया (अर्थबाउंड-फायरिंग-2) सफलतापूर्वक पूरा कर चंद्रयान-3 को पृथ्वी की पांचवीं कक्षा और आखिरी कक्षा में भेज दिया है। इसरो अब एक अगस्त को मध्यरात्रि 12-01 बजे के बीच चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में भेजेगा।

मंगलवार को इसरो ने ट्वीट करके कहा कि चंद्रयान-3 पृथ्वी की पांचवीं कक्षा (पृथ्वी-बाउंड पेरिगी फायरिंग) में बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित की गई है। 25 जुलाई को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच चंद्रयान-3 की कक्षा को सफलतापूर्वक बदला गया।

उल्लेखनीय है कि 14 जुलाई को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के तीसरे संस्करण को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है, जिससे चंद्रमा की दुर्लभ तस्वीरें और जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

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नई दिल्ली, 6 जुलाई (हि.स.)। चंद्रयान-3 अब 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को ट्वीट के माध्यम से साझा की।

इसरो ने ट्वीट कर बताया कि चंद्रयान-3 मिशन श्रीहरि कोटा से 14 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे लॉन्च किया जाएगा। इसरो प्रमुख सोमनाथ के अनुसार चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा।

चंद्रयान -3 धरती के नेचुरल उपग्रह चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और कई प्रकार की जांच करेगा। इसमें एक आर्बिटर एक लैंडर और एक रोवर है। इस बार इसरो का पूरा ध्यान इसके चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिगं पर है। इससे पहले लांचिंग की तारीख 5 जुलाई रखी गई थी। मिशन सफल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए भेजा गया था, जो चंद्रमा की सतह पर उतरने के अपने आखिरी चरण में विफल रहा था। चंद्रयान-2 के लैंडर की चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी, जिसकी वजह से उसका पृथ्वी पर मौजूद नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया था।

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– इसरो के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग तैयारियां अंतिम चरणों में
– चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर 13 जुलाई को चंद्रमा पर रवाना होने के लिए तैयार

नई दिल्ली, 05 जुलाई (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को लेकर तैयारियां अंतिम चरणों में हैं। चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर रॉकेट एलवीएम-3 के साथ 13 जुलाई को चंद्रमा पर रवाना होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। चंद्रयान-3 लैंडर को आज इसरो श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में हेवी लॉन्च रॉकेट पर असेंबल किया गया। चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को वही नाम देने का फैसला किया है, जो चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम थे।

चंद्रयान-2 के बाद इस मिशन को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग की क्षमता की जांच के लिए भेजा जा रहा है। चंद्रयान-2 मिशन आखिरी चरण में विफल हो गया था। उसका लैंडर पृथ्वी की सतह से झटके के साथ टकराया था, जिसके बाद पृथ्वी के नियंत्रण कक्ष से उसका संपर्क टूट गया था। चंद्रयान-3 को उसी अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए भेजा जा रहा है। इसमें लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद उसमें से रोवर निकलेगा और सतह पर चक्कर लगाएगा। लैंडर का नाम विक्रम होगा जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है और रोवर का नाम प्रज्ञान होगा। चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के भी यही नाम रखे गए थे।

इसरो अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 मिशन फेल होने के बाद का ही अगला प्रोजेक्ट चंद्रयान-3 है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा, लेकिन चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं, एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। चंद्रयान-2 मिशन जिस वजह से असफल हुआ था, उन पर इस प्रोजेक्ट में फोकस किया गया है। चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का ऐलान चंद्रयान-2 के लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के चार साल बाद हुआ है।

चंद्रयान-3 मिशन के जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के उस हिस्से तक लॉन्च होने की उम्मीद है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता। चंद्रयान -3 का उद्देश्य चंद्र सतह पर एक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। चंद्रयान-3 को एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रणोदन मॉड्यूल को मिलाकर बनाया गया है, जिसका कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। अकेले प्रणोदन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है जो लैंडर और रोवर को 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा में ले जाएगा।

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रायबरेली, 05 जून(हि.स.)। अब दृष्टिहीन भी आसानी से न केवल अखबार पढ़ सकेंगे, बल्कि मोबाइल का भी उपयोग करने में उनको बहुत सहूलियत होगी। यही नहीं वह सामने वाले को पहचान भी सकेंगे। यह सब होगा एक विशेष चश्मे से जिसका अविष्कार किया है, रायबरेली के रहने वाले छात्र नैतिक श्रीवास्तव ने। कई राज्यों के विज्ञान प्रदर्शनी के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी उनके इस अविष्कार की मान्यता मिल गई है। अब वह भारत सरकार की इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के तहत इस प्रोजेक्ट स्मार्ट ग्लासेस फॉर ब्लाइंड पीपल का प्रदर्शन करने जापान जा रहे हैं।

रायबरेली जिले के महराजगंज क्षेत्र के हसनपुर गांव निवासी नैतिक श्रीवास्तव का दावा है कि इस चश्मे के जरिए दृष्टिहीन चेहरा पहचान सकेंगे, अखबार और किताबें पढ़ सकेंगे। नैतिक के बनाए प्रोजेक्ट की मदद से दृष्टिविहीन लोगों को रोजमर्रा के काम करने में सहूलियत होगी। जैसे अखबार पढ़ना, परिवार व क़रीब के लोगों को चश्में में लगे सेंसर की मदद से पहचान करना। इसके अलावा यह चश्मा मौसम का पूर्वानुमान भी बताएगा। नैतिक श्रीवास्तव के इस प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने की तैयारी चल रही है।

महराजगंज क्षेत्र के न्यूस्टैंडर्ड पब्लिक स्कूल के कक्षा 11 के छात्र नैतिक नेत्रहीनों की मदद के लिए सपोर्टिव विज़न आधारित चश्मे के प्रोजेक्ट पर पिछले कई वर्षों से काम कर रहे हैं। इसके लिए इनके प्रोजेक्ट्स को राष्ट्रीय विज्ञान अनुसंधान से मंजूरी मिलने के बाद बाल वैज्ञानिक नैतिक श्रीवास्तव को दिसम्बर 2022 में कंबोडिया जाने का मौका मिला था। यही नहीं बाल वैज्ञानिक नैतिक के प्रोजेक्ट को राष्ट्रपति भवन में आयोजित इंस्पायर मानक अवार्ड योजना में राष्ट्रीय स्तर पर टाप 60 में चयनित किया गया है।

नेत्रहीनों की सहायता के लिए सपोर्टिव लेंस बनाने वाले न्यूस्टैंडर्ड पब्लिक स्कूल सलेथू के छात्र नैतिक श्रीवास्तव सहित प्रदेश भर से नौ छात्रों को छात्र इंस्पायर्ड अवार्ड योजना के अंतर्गत जापान भेजा जाएगा। जापान में सकूरा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सभी छात्रों को अपने प्रोजेक्ट पर अनुभव साझा करेंगे।

उल्लेखनीय है कि गांव के ही एक दृष्टिहीन रामसेवक की परेशानियों ने नैतिक को इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए प्रेरित किया और आज वह सफ़लता के मुकाम पर हैं। नैतिक का कहना है कि उनके इस प्रोजेक्ट से दृष्टिहीनों के जीवन मे आमूल चूल बदलाव होगा, कॉलेज के शिक्षक राजीव सिंह व माता पिता के सहयोग की बदौलत, वह इस अहम प्रोजेक्ट को पूरा कर पाएं हैं।

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खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए मंगलवार, 23 मई की शाम बेहद रोमांच होने वाली है। दरअसल, इस दिन सूर्य के अस्त होने के बाद शाम को पश्चिमी आकाश में अद्भुत खगोलीय नजारा दिखने जा रहा है, जिसमें हंसियाकार चंद्रमा चमकते शुक्र और लाल ग्रह मंगल के बीच दिखता हुआ मिथुन तारामंडल के तारों के साथ मेल-मुलाकात करता हुआ नजर आएगा। यह जानकारी सोमवार को भोपाल की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी।

उन्होंने बताया कि सूर्यास्त के बाद लालिमा समाप्त होने के साथ ही हंसियाकार चंद्रमा के साथ शुक्र (वीनस) अपनी चमक बिखेर रहा होगा, तो उसके कुछ ऊपर मंगल (मार्स) लालिमा के साथ होगा। उसके पास ही मिथुन तारामंडल के जुड़वां तारे पोलुक्स एवं कैस्टर भी इस मिलन समारोह का हिस्सा बनेंगे। इसके साथ ही बिहाईव स्टार क्लस्टर भी इनके आसपास दिखेगा।

सारिका ने बताया कि मिलन करते इन खगोलीय पिंडों के बीच आपस की दूरी करोड़ों किलोमीटर होगी, लेकिन इनका पृथ्वी से बनने वाला कोण इस प्रकार होगा कि वे एक-दूसरे से मिलते से नजर आएंगे। जुड़वां तारे कहे जाने वाले तारों में से पोलुक्स 33 प्रकाशवर्ष दूर और विकसित लाल विशालकाय तारा है जो कि हमारे सूर्य से दोगुना विशाल है जबकि केस्टर 51 प्रकाशवर्ष दूर नीला तारा है जो हमारे सूर्य से 2.7 गुना अधिक भारी है। रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार पोलक्स और केस्टर जुड़वां भाइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सारिका ने बताया कि इस खगोलीय घटना में चंद्रमा लगभग 1000 तारों के समूह, जिसे कि बिहाईव स्टार क्लस्टर कहते हैं, उनके भी समीप दिखेगा। बुधवार (24 मई) शाम के आकाश में भी इस दृश्य को देखा जा सकेगा, लेकिन तब चंद्रमा आगे बढ़कर मंगल के करीब पहुंच चुका होगा। इस तरह ग्रहों, तारों और उपग्रहों का मिलन समारोह का मनमोहन दृश्य दिखने जा रहा है। दोनों ही दिन इसे रात्रि 10 बजे के पहले देखा जा सकेगा।

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Chhapra:शुक्रवार की शाम लोगों को आकाश में एक अद्भुत खगोलीय घटना देखने को मिली। चैत्र शुक्ल तृतीय के दिन चाँद के नीचे शुक्र गृह के दिखने की खगोलीय घटना हुई।  इस नजारे को लोगों ने अपने कैमरे में कैद किया। 

  जानकारों के अनुसार चाँद के साथ एक जगह शुक्र ग्रह  के दिखने  की यह खगोलीय घटना सौ सालों के बाद हुई है। ऐसा संयोग इस वर्ष बहुत सालों के बाद बना है। चाँद की यह तस्वीर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर Viral हो गई और लोगों ने इसे खूब शेयर किया। आसमान में यह नजारा शाम 6:30 बजे से लेकर करीब 2 घंटे तक देखा गया। सारण जिले के आसपास समेत कई राज्यों में भी लोगों ने इस खगोलीय घटना को देखा।       

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भोपाल: खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए आज से सप्ताह रोमांचकारी रहने वाला है। इसकी शुरुआत बुधवार से हो चुकी है। आज की शाम सूर्य के विदा लेते ही पश्चिम में हंसियाकार चंद्रमा के साथ चमकते शुक्र और बृहस्पति ने खगोले प्रेमियों का मन मोह लिया।

दरअसल, आकाशमंडल के दो ग्रह गुरू और शुक्र एक-दूसरे के नजदीक आ रहे हैं। बुधवार को इनकी नजदीकी आने की शुरुआत हुई और चंद्रमा इनके मिलन का गवाह बना। यह दोनों ग्रह आगामी एक सप्ताह में प्रतिदिन करीब आते जाएंगे और अंत में एक दूसरे में समाए से नजर आएंगे।

भोपाल की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि पृथ्वी का पड़ौसी ग्रह शुक्र जो कि आज पृथ्वी से लगभग 21 करोड़ किलोमीटर दूर रहते हुये माईनस 3.9 मैग्नीट्यूड से चमक रहा था और उसके ऊपर बृहस्पति ग्रह स्थित था, जो कि लगभग 85 करोड़ किलोमीटर दूर रहते हुये माईनस 2.11 मैग्नीट्यूड से चमक रहा था। इन दोनों चमचमाते ग्रहों के बीच हंसियाकार चंद्रमा था जो कि इन दोनों ग्रहों के होने जा रहे मिलन की सूचना दे रहा था।

सारिका ने बताया कि आने वाले 7 दिनों तक जब इन ग्रहों को देखेंगे, तो ये हर शाम पास आते दिखेंगे और अंत में दोनों एक-दूसरे में समाये से दिखने लगेंगे। इस घटना को खगोल विज्ञान में कन्जक्शन कहा जाता है। हालाकि, चंद्रमा तो इनकी पहचान बताकर आगे बढ़ता जाएगा। आसमान में यह नजारा रात आठ बजे तक देखा जा सकेगा।

 

इनपुट एजेंसी से

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फेस ऑफ़ फ्यूचर इंडिया ने मनाया स्थापना दिवस, राष्ट्रीय स्तर पर 34 प्रतिभागियों को प्रेरणा दूत अवार्ड से किया गया सम्मानित

Chhapra: स्थानीय प्रेक्षा गृह में फेस ऑफ़ फ्यूचर इंडिया के सातवें स्थापना दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन कला संस्कृति मंत्री जितेंद्र कुमार राय, प्राचार्य प्रमेंद्र रंजन, स्वामी अतिदेवानंद जी महाराज, विद्या वाचस्पति त्रिपाठी सहित अन्य लोगों ने दीप प्रज्वलित कर किया.

इस अवसर पर अपने संबोधन में कला संस्कृति मंत्री जितेंद्र कुमार राय ने कहा कि समाज की सेवा ही असली सेवा है. आज के युवाओं समाज की सेवा का जो संकल्प लेकर उसे पूरा किया जा रहा है अनुकरणीय है. युवा विभिन्न कलाओं में अपनी प्रतिभा को स्थापित कर परचम लहरा रहे है. राज्य सरकार भी इन युवाओं के बेहतर भविष्य को लेकर संकल्पित है. खेल और कला के नए आयाम स्थापित कर इन युवाओं को प्रोत्साहित करने का कार्य राज्य सरकार कर रही है जिससे इनका मनोबल बढ़े. उन्होंने कहा कि फेस ऑफ़ फ्यूचर इंडिया अपना सातवां वार्षिकोत्सव मना रहा है. पूरे भारत से समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले युवा बिहार के सारण में उपस्थित है जिससे के मिनी भारत का रूप सारण में दिख रहा है.

कला संस्कृति मंत्री जितेंद्र कुमार राय ने समाजसेवा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले देश के कोने कोने से उपस्थित 34 प्रतिभागियों को प्रेरणा दूत अवार्ड से सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर रौनक रत्न सहित अन्य कलाकारों ने नृत्य और संगीत से समां बांधा. कार्यक्रम की अध्यक्षता मंटू कुमार यादव तथा मंच संचालन कंचन बाला ने किया.

मौके पर फेस ऑफ़ फ्यूचर इंडिया के राज्य से लेकर प्रखंड स्तर के स्वयं सेवक उपस्थित थे.

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