Chhapra:  पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर नेहरू युवा केन्द्र सारण छपरा के तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मेगा फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 का आयोजन बनियापुर प्रखण्ड के खाकी मठिया बाजार बतराहा स्थित गुरुकुल के प्रांगण में किया गया। इस अवसर पर सर्वप्रथम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मानचित्र पर माल्यार्पण किया गया और उनके जीवनमूल्यों एवं सिद्धान्तों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई.

ततपश्चात फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान पर दीपक कुमार सिंह द्वितीय स्थान पर अंकित सिंह एवं तृतीय स्थान पर बंटी सिंह रहे जिन्हें मेडल, किताब एवं नेहरु युवा केन्द्र के सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया इसके अतिरिक्त सभी प्रतिभागियों को भी नेहरू युवा केन्द्र के जिला युवा अधिकारी मयंक भदौरिया, लेखा एवं कार्यक्रम सहायक सत्यनारायण प्रसाद यादव , नमामि गंगे के जिला परियोजना अधिकारी नितीश कुमार , गुरुकुल के संस्थापक अनुराग सिंह एवं अभिमन्यु सिंह, माँ यूथ आर्गेनाईजेशन के पीयूष राठौर, नेहरू युवा केन्द्र के पूर्व स्वयंसेवक अमित पंडित के द्वारा मेडल से पुरुस्कृत किया गया एवं सभी को राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने एवं नेहरू युवा केन्द्र के सभी कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग लेने के लिये प्रेरित किया गया। कार्यक्रम में सभी युवाओं ने पूरे उत्साह एवं उमंग से प्रतिभाग किया तत्पश्चात खेल सामग्री भी युवा मंडलो को वितरित की गई एवं कार्यक्रम में आज़ादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत फिटनेस शपथ एवं राष्ट्रगान भी गाया गया। इस अवसर पर अभिनव भारत युवा मंडल के अध्यक्ष पवन प्रतिहार, काली सिंह, नीतीश राणा, संदीप साह, सूरज चौबे, अजय शंकर पांडेय, सुमित पंडित, कुणाल, अंकुश आदि युवा उपस्थित रहे।

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उठने दे हुंकार हृदय से, जैसे वह उठना चाहेः राष्ट्रीयता और जनपक्षधरता में भीगी रचनाओं के लिए जन-जन में लोकप्रिय हुए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ। ओज, विद्रोह के साथ कोमल श्रृंगारिक चेतना को अलग दृष्टि और स्वर देने वाले श्रेष्ठ कवि दिनकर की रचनाओं ने अपने दौर में जनप्रियता का नया मुहावरा गढ़ा- ‘सेनानी करो अभय प्रयाण भावी इतिहास तुम्हारा है/ ये नखत अमा के बुझते हैं सारा आकाश तुम्हारा है।’

पटना विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले दिनकर जी 1950- 1952 तक मुजफ्फरपुर कॉलेज में हिंदी के विभागाध्यक्ष और भागलपुर विश्वविद्यालय के उप कुलपति व बाद में भारत सरकार के हिंदी सलाहकार बने। वे 1952- 1962 तक 12 वर्ष राज्यसभा के सदस्य रहे। उनकी सर्वश्रेष्ठ कृतियों में ‘कुरुक्षेत्र’, ‘उर्वशी’, ‘हुंकार’, ‘रश्मिरथी’ ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शामिल हैं। महाभारत पर आधारित ‘कुरुक्षेत्र’ को विश्व के सौ सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74वां स्थान दिया गया। हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में उनके लिखे गद्य का भी विशिष्ट स्थान है। इनमें ‘संस्कृति के चार अध्याय’, ‘काव्य की भूमिका’, ‘हमारी सांस्कृतिक एकता’, ‘राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता’ शामिल हैं।

राष्ट्रभाषा हिंदी के सवाल पर बेहद मुखर रहे दिनकर ने तत्कालीन नेहरू सरकार को कई अलग-अलग मौकों पर संसद में घेरा। इसलिए आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा- ‘दिनकर जी अहिंदी भाषियों के बीच हिंदी के सभी कवियों में से सबसे लोकप्रिय कवि थे और अपनी मातृभाषा से प्रेम करने वालों के प्रतीक थे।’

चीन से मिली हार के बाद भी दिनकर जी ने नेहरू जी को सवालों के कठघरे में खड़ा किया। इस हार के बाद दिनकर जी आहत होकर संसद में कविता पाठ किया- रे रोक युधिष्ठिर को न यहां जाने दे उनको स्वर्गधीर, फिरा दे हमें गांडीव गदा लौटा दे अर्जुन भीम वीर।

दिनकर जी को पद्म विभूषण सम्मान के साथ भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। उनके समकालीन कवि हरिवंश राय बच्चन ने कहा था- ‘दिनकर जी को एक नहीं बल्कि गद्य, पद्य, भाषा और हिंदी सेवा के लिए चार अलग-अलग ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने चाहिये।’

अन्य अहम घटनाएंः

1862ः महान राष्ट्रभक्त और राजनेता श्रीनिवास शास्त्री का जन्म।

1879ः रिचर्ड रोड्स ने सुनने में मदद करने वाला शुरुआती उपकरण बनाया जिसे ऑडियोफोन का नाम दिया।

1929ः बाल विवाह निषेध विधेयक को मंजूरी, यह शारदा कानून के नाम से जाना गया।

1965ः भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा।

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न्यूयॉर्क:  अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के सम्मेलन में शामिल होने आए ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो को कोविड वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाने के कारण रेस्तरां में प्रवेश नहीं मिला, जिसके कारण राष्ट्रपति को रविवार रात को सड़क किनारे खड़े होकर पिज्जा खाना पड़ा। न्यूयॉर्क के रेस्तरां में बिना कोविड टीकाकरण के प्रमाण के प्रवेश की अनुमति नहीं है। इस नियम के चलते ब्राजील के राष्ट्रपति को भी रेस्तरां में प्रवेश नहीं मिला।

ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो के साथ प्रतिनिधिमंडल में शामिल दो कैबिनेट मंत्रियों की यह फोटो सामने आई है।

उल्लेखनीय है कि बोलसोनारो कोरोना वायरस महामारी के मौजूदा टीकों को संदेह की नजर से देखते हैं। न्यूयॉर्क के लिए निकलने से पहले ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा था कि मेरे शरीर का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) इतना मजबूत है कि कोरोना वायरस का आसानी से मुकाबला कर सकता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को एक बैठक में बोलसोनारो से टीकाकरण के सवाल पर बोलसोनारे ने कहा था, अभी नहीं।

बता दें कि न्यूयॉर्क के मेयर ने शहर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के कार्यक्रम से पहले इसमें शामिल होने वाले सभी देशों के अध्यक्षों से टीका लगवा लेने की अपील की है। मेयर बिल डे ब्लेसियो ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि अगर आप टीका नहीं लगवाना चाहते हैं तो यहां मत आइए।

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संसार को शांति का संदेशः निरंतर बढ़ती हिंसा, तनाव, वैमनस्यता और बाजारवाद की विकृतियों के बीच दुनिया को जिस बेशकीमती चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, वह है- शांति। इसके विपरीत समय के साथ संघर्ष, टकराव और आपसी नफरत ने दुनिया पर अपनी गिरफ्त को और भी मजबूत किया है। हालांकि हर दौर ने दुनिया में शांति की जरूरतों को अपने तरीके से रेखांकित किया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1981 में 19 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाने की घोषणा की। अगले साल 1982 में पहली बार इसे वैश्विक स्तर पर मनाया गया। उसकी थीम थी- ‘राइट टू पीस ऑफ पीपुल।’ संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के हर हिस्से में शांति का संदेश पहुंचाने के लिए कला से लेकर साहित्य, संगीत, सिनेमा और खेल की दुनिया की मशहूर हस्तियों को शांतिदूत नियुक्त किया हुआ है। सफेद कबूतरों को शांति का प्रतीक माना जाता है, भारत में शांति का संदेश देने के लिए सफेद कबूतर उड़ाये जाते हैं और शिक्षण संस्थानों में आमतौर पर शांति का संदेश देने वाले कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

अन्य अहम घटनाएंः

1784ः अमेरिका का पहला दैनिक समाचार पत्र (पेनसिलवेनिया पैकेट एंड जनरल एडवरटाइजर) प्रकाशित हुआ।

1857ः बहादुरशाह जफर द्वितीय ने अंग्रेजों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

1883ः अमेरिका और ब्राजील के बीच टेलीग्राफ सेवा की शुरुआत।

1956ः प्रमुख भारतीय फोटोग्राफर प्रबुद्ध दासगुप्ता का जन्म।

1964ः माल्टा ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल की।

1991ः अर्मेनिया को सोवियत संघ से स्वतंत्रता मिली।

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Chhapra: एनडीआरएफ के उप कमान्डेंट कुमार बालचंद्र के द्वारा सीमा सुरक्षा बल के 135वीं वाहिनी में कार्यरत सहायक उप निरीक्षक स्वर्गीय सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ग्राम-प्रभुनाथ नगर, जिला- सारण (बिहार), के उत्तराधिकारी को उनके आवास पर ऑपरेशनल कैजुअलिटी सर्टिफिकेट जो महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल द्वारा जारी किया गया है उसे प्रदान किया गया।

इस अवसर पर वहां मौजूद कुमार बालाचंद्र उप कमान्डेंट एनडीआरएफ ने बताया कि सहायक उप निरीक्षक स्वर्गीय सुरेन्द्र प्रसाद सिंह मेहनती ईमानदार और कर्त्तव्यपरायण व्यक्ति थे और कर्तव्य का निर्वहन करते हुए 2018 में देश के लिए शहीद हो गए और देश श्री सिंह के अतुलनीय योगदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा। श्री कुमार ने साथ ही साथ उनके परिवार को भरोसा दिलाया कि किसी भी परिस्थिति में देश और सीमा सुरक्षा बल परिवार उनके साथ है।

इस अवसर पर श्री एम पी सिंह, DSP सारण सदर, श्री सतेंद्र कुमार सिंह, सर्किल अफसर, सारण सदर, SHO मुफ्फसिल थाना, सारण, स्थानीय ग्रामीण तथा मीडियाकर्मी भी मौजूद थे।

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Baniyapur:  स्थानीय थाना क्षेत्र के कराह पंचायत के बथानी टोला गाव में शौच करने गए एक व्यक्ति की मौत गड्ढे में पैर फिसलने से हो गयी है. जिसके बाद सुबह शव गड्ढे से मिलने की खबर से स्वजनों में कोहरा मच गई है. जहां सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए छपरा भेज दिया है.

घटना के संबंध में बताया गया है कि कराह पंचायत के बथानी टोला निवासी 45 वर्षीय कमलेश राय बुधवार की देर शाम शौच के लिए गए थे. जिनके देर तक नही वापस लौटने पर परिवार वालो ने काफी खोजबीन किया. कही कोई पता नही चला जब सुबह गाव के एक बसवारी के पास सड़क के किनारे गड्ढे में उक्त व्यक्ति का शव मिला तो स्वजनों सहित गाव मेंं कोहराम मच गया. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण उमर पड़े.

घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉटम के लिए छपरा भेज दिया. वही मौके पर स्थानीय बुद्धिजीवियों ने घटना से आहत शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दिया. मृतक गाय, भैस पालन कर दूध बेचकर बच्चों का भरण पोषण करता था.

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Chhapra:  सुमित कुमार सिंह माननीय मंत्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी बिहार-सह-प्रभारी मंत्री सारण जिला की अध्यक्षता में बाढ़, अतिवृष्टि एवं अन्य आपदाओं से संबंधित समीक्षात्मक बैठक समाहरणालय सभागार में आहूत की गयी। सर्वप्रथम माननीय प्रभारी मंत्री का प्रभारी जिला पदाधिकारी-सह-उप विकास आयुक्त अमित कुमार के द्वारा स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया गया। तत्पश्चात माननीय मंत्री के द्वारा प्राकृतिक एवं अप्राकृतिक आपदा से मृत हुए कुल 48 व्यक्तियों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान के रुप में प्रत्येक को 4 लाख रुपये राषि का स्वीकृत्यादेश वितरित किया गया।

बैठक में अपर समाहर्त्ता डॉ गगन के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि 13 सितम्बर 2021 तक कुल 1279.58 एमएम वर्षा होने की सूचना है जबकि सामान्य वर्षापात 1001.36 एमएम तक अनुमानित था। सरकार के आकलन से 21.79 एमएम वर्षापात ज्यादा रिकार्ड की गयी है। वर्ष 2021 में अबतक कुल 11 अंचलों के बाढ़ से प्रभावित होने की जानकारी दी गयी है। इसमें रिविलगंज, सदर छपरा, गरखा, अमनौर, परसा, मकेर, पानापुर, तरैया, दरियापुर, दिघवारा एवं सोनपुर शामिल है। बाढ़ 2021 में अबतक कुल 68 पंचायतों के भी प्रभावित होने की जानकारी दी गयी। कुल 162 गाँव एवं दो लाख पचीस हजार आठ सौ चौबीस लोगों के बाढ़ से प्रभावित होने एवं एक लाख इक्हतर हजार नवासी लोगों के बाढ़ से निष्क्रमित होने की जानकारी दी गयी। बाढ़ में आवागमन के सुचारु ढ़़ग से चलाने के लिए कुल 297 नाव एवं एस.डी.आर.एफ. के तीन दलों के साथ 08 मोटरबोट चलाये जाने की जानकारी दी गयी। बाढ़ से प्रभावित लोगों को दो वक्त का गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने हेतु 41 सामुदायिक रसोई के संचालन किये जाने की जानकारी दी गयी। जिसमें अबतक कुल दो लाख चौवन हजार आठ सौै तीस बाढ़ पीड़ितों को भोजन कराया गया है। प्रभावित परिवारों के बीच बाइस हजार एक सौ दो पॉनिथिन सीट्स का वितरण किया गया एवं प्रभावित परिवारों के बीच 7605 ड्राई राशन पैकेट का वितरण किया गया।
बाढ़ से प्रभावित अंचलों में कुल 189 शरणस्थली चिन्हित किये गये है। जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर बाढ़ से संबंधित 54 प्रकार की मानव दवा के विरुद्ध 47 प्रकार के मानव दवा के उपलब्धता की जानकारी दी गयी। शेष दवा की उपलब्धता के संबंध में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, सारण को आदेषित किया गया। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चलन्त मेडिकल टीम का गठन किये जाने की बात बताई गयी। बाढ़ शरणस्थली पर पेयजल हेतु कुल 44 अस्थाई चापाकल लगाये गये है तथा 524 अस्थाई शौचालय बनाये गये। कुल 145 चापाकलों की मरम्मति की गयी तथा 890 चापाकलों को संक्रमणरहित बनाया गया। बाढ़ एवं अतिवृष्टि के कारण कुल 85321.6 हेक्टेयर क्षेत्र मे लगी फसल की क्षति होने की जानकारी दी गयी।
बैठक में उपस्थित विधायकगण, पार्षद एवं महापौर के द्वारा विभिन्न समस्याओं के बारे में बताया गया। सभी समस्याओं को गंभीरता से सुनने के बाद माननीय प्रभारी मंत्री के द्वारा संबंधित पदाधिकारी को आवष्यक दिशा-निर्देश दिया गया। माननीय प्रभारी मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार आमजनों के कल्याण एवं राहत के लिए सतत प्रयत्नशील है। वे स्वयं बाढ़ से जिले में हुई क्षति के आकलन करने पहुॅचे है। क्षति की वास्तविक स्थिति की जानकारी वे माननीय मुख्यमंत्री महोदय को देेगें। इस बीच राहत कार्य में लगे विभिन्न विभाग के पदाधिकरियों को पूरी पारदर्शिता से तत्परतापूर्वक अपने कर्तब्यों का निवर्हन करने का कहा। उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि ढिलाई व लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध सख्त अनुशासनिक कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गयी। अंत में अपर समाहर्त्ता महोदय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
बैठक में माननीय सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के साथ जिले के माननीय विधायक, पार्षद, महापौर के साथ जिलास्तरीय पदाधिकारीगण, सभी अंचलाधिकारी एवं संबंधित कर्मीगण उपस्थित थे।

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Chhapra: पूर्व मध्य रेलवे के साहिबपुर कमाल एवं उमेशनगर स्टेशनों के मध्य बाढ़ के कारण डाउन लाइन के लिंक सिंकेज (धंस जाने के कारण) के कारण गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग चलाने जाने का निर्णय लिया गया है.

-मार्ग परिवर्तन-

– 08 सितम्बर, 2021 को नई दिल्ली से प्रस्थान करने वाली 02554 नई दिल्ली-सहरसा विशेष गाड़ी परिवर्तित मार्ग छपरा ग्रामीण-मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-नरहन-खगड़िया के रास्ते चलाई जायेगी।

– 08 सितम्बर, 2021 को नई दिल्ली से प्रस्थान करने वाली 02564 नई दिल्ली-सहरसा विशेष गाड़ी परिवर्तित मार्ग छपरा ग्रामीण-मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-नरहन-खगड़िया के रास्ते चलाई जायेगी।

– 08 सितम्बर, 2021 को अमृतसर से प्रस्थान करने वाली 04688 अमृतसर-सहरसा विशेष गाड़ी परिवर्तित मार्ग छपरा ग्रामीण-मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-नरहन-खगड़िया के रास्ते चलाई जायेगी।

– 08 सितम्बर, 2021 को श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा से प्रस्थान करने वाली 05656 श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा-कामख्या विशेष गाड़ी परिवर्तित मार्ग समस्तीपुर-नरहन-खगड़िया के रास्ते चलायी जायेगी।

– 08 सितम्बर, 2021 को चण्डीगढ़ से प्रस्थान करने वाली 05904 चण्डीगढ़-डिब्रूगढ़ विशेष गाड़ी परिवर्तित मार्ग छपरा ग्रामीण- मुजफ्फरपुर -समस्तीपुर-नरहन-खगड़िया के रास्ते चलाई जायेगी।

– 07 सितम्बर, 2021 को लालगढ़ से प्रस्थान करने वाली 05910 लालगढ़-डिब्रूगढ़ विशेष गाड़ी परिवर्तित मार्ग छपरा ग्रामीण-मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-नरहन-खगड़िया के रास्ते चलाई गयी।

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Kashmir: कश्मीर की खूबसूरत वादियों में रोटरी क्लब सारण ने लेह लद्दाख परिभ्रमण के दौरान ऐतहासिक लाल चौक पर अपने बैनर के साथ जश्न मनाया। अध्यक्ष रो.अजय गुप्ता एवं सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि रोटरी सारण 27 अगस्त 2021को श्री माता वैष्णव देवी दर्शन एवं लेह लद्दाख परिभ्रमण पर है जिसे माननीय छपरा विधायक डॉ.सी.एन.गुप्ता जी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। परिभ्रमण में क्लब के चार्टड सचिव राजेश फैशन, पंकज कुमार, दिनेश कुमार गुप्ता, सुरेन्द्र गुप्ता, सुनील सिंह, गोविंद अग्रवाल, सत्यनारायण, राजेश गोल्ड सहित सभी सदस्य मौजूद हैं।

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हॉकी के जादूगर का जन्मः जादूगर तो वह बाद में कहलाये, इसके पहले उन्होंने हॉकी को कई रोमांचभरी कहानियों से भर दिया था। ऐसे भारतीय हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 को इलाहाबाद में हुआ था।

सेना के जवान ध्यानचंद की हॉकी स्टिक ऐसी थी कि गेंद उससे दूर रहना पसंद ही न करे। कहा जाता है कि एक बार तो उनकी हॉकी को तोड़कर देखा गया कि उसमें कोई चुंबक अथवा गोंद तो नहीं लगा है।साल 1926 में पहली बार विदेश गए ध्यानचंद ने न्यूजीलैंड में एक मैच के दौरान दागे गए 20 में 10 गोल अकेले ही किए। वहां 21 मैचों में से भारत ने 18 मैच जीते और पूरी दुनिया ध्यानचंद को पहचानने लगी। कहा जाता है कि ध्यानचंद के खौफ से ही 1928 में ब्रिटेन की टीम ने ओलंपिक से अपना नाम ही वापस ले लिया था।

एक बार तो ध्यानचंद का खेल देखने ही नहीं, भारत को हराने का सार इंतजाम कर हिटलर खुद खेल देखने आया। मैदान पर पानी डालकर गीला कर दिया गया था, पर यह क्या, शुरू में परेशान भारतीय टीम ब्रेक के बाद चमत्कार करने लगी। खाली पैर मैदान में उतरे ध्यानचंद के खेल से जर्मनी के मुकाबले भारत 8-1 से जीत गया। बाद में हिटलर ने ध्यानचंद को अपने देश की ओर से खेलने और अपनी सेना में बड़ा पद देने का प्रस्ताव किया, जिसे भारत के इस लाल ने विनम्रता के साथ ठुकरा दिया।

देश ने उनके खेल और देश के प्रति समर्पण को सम्मान दिया। उन्हें सेना में एक-एक कर मेजर तक की प्रोन्नति मिली और पद्मभूषण का सम्मान दिया गया। अभी फिर से ओलंपिक में भारतीय हॉकी का सम्मान मिलने के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सबसे बड़े खेल सम्मान का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम करने की घोषणा की है।

अन्य महत्वपूर्ण घटनाएंः
1612: सूरत की लड़ाई में अंग्रेजों के हाथ पुर्तगालियों की हार।
1833: ब्रिटिश दास उन्मूलन अधिनियम को कानून का रूप मिला।
1842: ग्रेट ब्रिटेन और चीन के बीच नानकिंग की संधि पर हस्ताक्षर के साथ ही पहला अफीम युद्ध समाप्त।
1887: गांधीजी के डॉक्टर रहे और गुजरात के पहले मुख्यमंत्री जीवराज मेहता का जन्म।
1931: शक्तिशाली नगा आंदोलन की बुनियाद रखने वाले नगा आध्यात्मिक गुरु जदोनांग का निधन।
1932: नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम में अंतरराष्ट्रीय युद्ध-विरोधी समिति का गठन।
1941: मानव इतिहास की जघन्य घटना। रूस में जर्मन इंस्तज कमांडो ने 1469 यहूदी बच्चों की हत्या की।
1945: ब्रिटिश ने हांगकांग को जापान से मुक्त कराया।
1949: पहले ही प्रयास में मंगल पर भारतीय यान पहुंचाने वाली टीम के नायक वैज्ञानिक के. राधाकृष्णन का जन्म।
1957: नागरिक अधिकार अधिनियम, 1957 पारित।
1976: प्रसिद्ध बांग्ला विद्रोही कवि, संगीतज्ञ और दार्शनिक काजी नजरुल इस्लाम का निधन।
1996: आर्कटिक द्वीप के स्पिट्सबर्गेन की पहाड़ी में विमान हादसा। वनुकोवो एयरलाइंस के दुर्घटनाग्रस्त होने से सभी 141 यात्रियों की मौत।
2000: न्यूयार्क में चार दिवसीय विश्व शांति शिखर सम्मेलन शुरू।
2004: एथेंस ओलिंपिक का समापन।
2014: फिल्म गांधी के लिए ऑस्कर जीतने वाले निर्देशक रिचर्ड एटनबरा का निधन।

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वांशिगटन/लंदन: अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट के बाहर गुरुवार को आत्मघाती आतंकी हमले में मारे गए अमेरिकी सैनिकों के सम्मान में 30 नाटो देशों ने अपना राष्ट्रीय ध्वज झुका कर श्रद्धांजलि दी है और शोक व्यक्त किया।

नाटो मुख्यालय के कई देशों के झंडे आधे झुके हुए हैं। नाटो प्रमुख जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने इस हमले की निंदा की है। स्टोल्टेनबर्ग ने काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले को लेकर कहा कि सभी पीड़ितों के प्रति हमारी संवेदना है। दूसरों की रक्षा करने में जान गंवाने वाले वाले अमेरिकी सैनिकों का हम सम्मान करते हैं।

बतादें कि काबुल हवाई अड्डे के बाहर दो आत्मघाती धमाकों में अबतक 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इन हमलों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस-खुरासान ने ली है। ये दोनों धमाके उस जगह हुए, जहां अफगानी नागरिक हवाई अड्डे में घुसने का प्रयास कर रहे थे। जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने हमले के बाद ट्वीट किया था कि ‘मैं काबुल हवाई के बाहर हुए भयानक आतंक हमले की कड़ी निंदा करता हूं। जो लोग इससे प्रभावित हुए हैं उनके साथ मेरी संवेदनाएं हैं। हमारी प्राथमिकता ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्द से जल्द निकालने की है।’

उल्लेखनीय है कि नाटो 30 देशों की सेनाओं का संगठन है। इसमें एक देश की सेना को दूसरे देश में भेजा जाता है, उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण दिया जाता है। नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। इसे उत्तर अटलांटिक एलांयस के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन में अमेरिका के अलावा फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, इटली, नार्वे, पुर्तगाल समेत अन्य देश शामिल हैं। अमेरिका और नाटो देश के सैनिक पिछले करीब 20 सालों से अफगानिस्तान में तैनात थे।

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महान युद्ध की शुरुआतः किसी युद्ध को दे ग्रेट वॉर कहा जाय, यह अजूबा है। फिर भी प्रथम विश्व युद्ध को इस नाम से भी याद किया जाता है। इतिहास बताता है कि यह नाम इसलिए पड़ा कि इस तरह के युद्ध की तब कल्पना भी नहीं की गई थी। ऐसे युद्ध की शुरुआत आज की ही तिथि यानी 28 जुलाई को 1914 में हुई थी।

हुआ यूं कि जून 1914 में, ऑस्ट्रो-हंगेरियन वारिश फर्डिनेंड की हत्या कर दी गई थी। तब आस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। देखते-देखते इसका दायरा बढ़ता गया और आपसी संगठनों के कारण 1914 से 1919 के मध्य यूरोप, एशिया और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के 37 देशों तक इसका विस्तार हो गया। फिर तो संघर्ष जमीन पर ही नहीं, समुद्र और आकाश में भी हुआ। इस युद्ध की परिधि में करीब आधी दुनिया आ गई और इस दौरान लगभग एक करोड़ लोग मारे गए। घायलों की संख्या इसकी दोगुनी आंकी गई। ब्रिटेन के अधीन भारत के सैनिक भी इस युद्ध का हिस्सेदार बने और हताहतों में भी उनका बड़ा हिस्सा था।

तब की मीडिया रिपोर्ट के हिसाब से युद्ध में शामिल करीब आठ लाख भारतीय सैनिकों में से 47 हजार, 746 सैनिक मारे गये थे। घायल भारतीयों की संख्या 65 हजार के आसपास थी। एक तथ्य यह भी है कि स्वाधीनता की आस में भारतीय नेताओं ने विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के साथ रहने का फैसला किया। युद्ध शुरू होने के पहले जर्मनों की इस कोशिश की ओर भारतीय नेताओं ने ध्यान नहीं दिया कि भारत में ब्रिटेन के विरुद्ध आन्दोलन तेज किया जाय। इसके पीछे तर्क था कि ब्रिटेन के युद्ध में फंसने के बाद भारत के क्रान्तिकारी इसका लाभ उठा सकते हैं। तब जर्मनी का प्रस्ताव नहीं माना गया और युद्ध के बाद ब्रिटेन ने भी भारत को कोई छूट नहीं दी। वर्ष 1919 की 28 जून को युद्ध समाप्त हुआ, जब जर्मनी के सामने फ्रांस इटली, ब्रिटेन और सहयोगी देशों ने संधि पर दस्तखत कर दिए।

अन्य महत्वपूर्ण घटनाएंः
521…तुर्की के सुल्तान सुलेमान प्रथम के सैनिकों ने बेलग्रेड पर कब्जा किया।
1600…मुगलों ने अहमदनगर पर कब्जा किया।
1845…प्रसिद्ध पत्रिका साइंटेफिक अमरीकन का पहला संस्करण छपा।
1858…उंगलियों के निशान को पहचान बनाने वाले ब्रिटिश विलियम जेम्स हर्शेल का जन्म।
1896…भारत के जाने-माने शायर रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी का जन्म।
1904. कलकत्ता से बैरकपुर तक प्रथम कार रैली का आयोजन।
1916…प्रथम विश्वयुद्व में इटली ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1972…साधारण बीमा कारोबार राष्ट्रीयकरण विधेयक पारित किया गया।
1984…सोवियत संघ ने भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।
1986…भाग्यश्री साठे शतरंज में ग्रैंडमास्टर बनने वाली पहली महिला बनीं।
2018… भारत के मंजीत सिंह ने जकार्ता एशियाई खेलों की पुरुष 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।

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