नई दिल्ली, 12 जुलाई (हि.स.)। भारत सरकार अब से हर वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाएगी। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।

केन्द्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। गृह मंत्री अमित शाह ने आज अधिसूचना पर सोशल मीडिया में कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिये गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया।

शाह ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया।

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नई दिल्ली, 12 जुलाई (हि.स.)। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता केसी त्यागी ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले की सराहना की है।

त्यागी ने शुक्रवार काे यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि हम केंद्र सरकार के इस फैसले की सराहना करते हैं। उन्हाेंने आगे कहा कि वह भी आपातकाल के दौरान जेल गए थे ।मीडिया से बातचीत के दाैरान केसी त्यागी ने आपातकाल के दाैरान जेल में रहने के अनुभव भी साझा किये।

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नई दिल्ली, 10 जुलाई (हि.स.)। देश के सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए आज सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया।

इन सीटों पर उपचुनाव मौजूदा सदस्यों की मृत्यु या उनके इस्तीफे के कारण कराया जा रहा है। 14 जून को इन सीटों पर उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी की गई थी।

लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार हो रहे इस उपचुनाव में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर की किस्मत दांव पर लगी है।

पश्चिम बंगाल के रायगंज, राणाघाट दक्षिण, बागदा और मानिकतला, उत्तराखंड के बद्रीनाथ और मंगलौर, पंजाब के जालंधर पश्चिम, हिमाचल प्रदेश के देहरा, हमीरपुर और नालागढ़, बिहार के रूपौली, तमिलनाडु के विक्रवंडी और मध्य प्रदेश के अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव पर सभी प्रमुख दलों की नजर है।

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लखनऊ, 10 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर उन्नाव जिले के बेहटा मुजावर क्षेत्र में गढ़ा गांव के पास आज सुबह 5:30 एक स्लीपर बस आगे चल रहे दूध टैंकर से टकरा गई। इस हादसे में एक बच्चे समेत 18 लोगों की मौत हो गई। करीब 20 लोग घायल बताए गए हैं।

चीख-पुकार के बीच पुलिस को सूचना देकर आसपास के लोगों ने बचाव कार्य शुरू किया। इस बीच पहुंची स्थानीय पुलिस ने राहगीरों की मदद से बस में फंसे लोगों को बाहर निकलवाया।

पुलिस उपाधीक्षक अरविंद सिंह ने बताया कि बस बिहार से दिल्ली जा रही थी। इसमें अधिकतर मजदूर सवार थे। बस में करीब 50 यात्री थे। संभव है चालक को झपकी लगने से हादसे हुआ हो। हताहत और घायलों के नाम-पते जुटाए जा रहे हैं। घायलों को बांगरमऊ प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया है। एसडीएम नम्रता सिंह ने चिकित्सा केंद्र पहुंचकर घायलों से बातचीत की। (विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा है।)

लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर उन्नाव जनपद में आज सुबह लगभग साढ़े पांच बजे दूध के टैंकर (यूपी70 सीटी 3999 ) में बिहार से आ रही डबल डेकर बस (यूपी95 टी 4720) की जोरदार टक्कर में 18 यात्रियों की मौके पर मौत हो गई। 30 से ज्यादा घायल हैं। इनमें कई की हालत नाजुक है। यह बस सीतामढ़ी से दिल्ली जा रही थी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर दुख प्रकट करते हुए अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर हर संभव मदद करने के निर्देश दिए हैं।

घटनास्थल पर पुलिस अधीक्षक उन्नाव, क्षेत्राधिकारी बांगरमऊ और अन्य थानों की पुलिस मौजूद है। यह हादसा बेहटा मुजावर थाना क्षेत्र के गढ़ा गांव के सामने हुआ है।

मृतकों में दिलशाद पुत्र अशफाक निवासी थाना मोदीपुरम जिला मेरठ, बीटू पुत्र राजेन्द्र निवासी थाना भादूर जिला शिवहर, बिहार, रजनीश पुत्र रामविलास निवासी जिला सीवान बिहार, लालबाबू दास पुत्र रामसूरज दास निवासी थाना हिरागा जिला शिवहर बिहार, रामप्रवेश कुमार, भरत भूषण कुमार पुत्र लाल बहादुर दास, बाबू दास पुत्र रामसूरज दास निवासी, मो. सद्दाम पुत्र पुत्र मो. बशीर निवासी गमरोली थाना शिवहर, बिहार शामिल हैं।

नगमा पुत्री शहजाद, शबाना पत्नी शहजाद निवासी भजनपुरा दिल्ली, चांदनी पत्नी मो. शमशाद निवासी शिवोली, मुलहारी, मो. शफीक पुत्र अब्दुल बसीर, मुन्नी खातून पत्नी अब्दुल बसीक, तौफीक आलम पुत्र अब्दुल बसीर की शिनाख्त कर ली गई है। चार लोगों की समाचार लिखे जाने तक शिनाख्त नहीं हो पाई है।

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देवघर, 7 जुलाई (हि.स.)। झारखंड के देवघर में रविवार सुबह बड़ा हादसा हो गया। नगर थाना क्षेत्र के सीता होटल के पास बमबम बाबा पथ हंसकुप मुहल्ले में एक तीन मंजिला इमारत ढह गयी। हादसे के बाद शुरू हुआ एनडीआरएफ और प्रशासन की टीम का रेस्क्यू ऑपरेशन आठ घंटे बाद खत्म हुआ। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि चार लोग सुरक्षित निकाले गए।

इस हादसे में मनीष दत्त द्वारी (50), सुनील यादव (35) और सुनील यादव की पत्नी सोनी देवी (28) की मौत हो गई। दिनेश बर्नवाल, मुन्नी बर्नवाल, सत्यम और अनुपमा देवी घायल हैं, जिनका सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है। घटना के बाद एनडीआरएफ और स्वास्थ्य विभाग की टीम को घटनास्थल पर प्रतिनियुक्त किया गया है। घटनास्थल पर डीसी और एसपी कैंप कर रहे हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीम ने तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर मलबे में फंसे लोगों को एक-एक करके निकाला।

बताया जाता है कि यह भवन सीताकांत झा का है। तीन मंजिला इस भवन में किराएदार रह रहे थे। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण भवन कमजोर होता जा रहा था। इस दौरान ग्राउंड फ्लोर पर कंस्ट्रक्शन का भी काम हो रहा था, जिस वजह से मकान और भी ज्यादा कमजोर हो गया था। शनिवार देर शाम हुई बारिश के बाद मकान रविवार सुबह धंस गया, जिस कारण से दूसरे और तीसरे मंजिल पर रह रहे लोग मकान के अंदर फंस गए।

घटना की सूचना मिलने पर देवघर उपायुक्त विशाल सागर मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि जैसे ही घटना की जानकारी जिला प्रशासन को मिली वैसे ही एनडीआरएफ और मेडिकल की टीम मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य में जुट गई। चार लोगों को रेस्क्यू कर निकाल लिया गया जबकि तीन लोगों की मौत हो गई।

सांसद सुबह से घटनास्थल पर रहे मौजूद
गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि देवघर में रविवार सुबह छह बजे के आसपास बमबम झा पथ पर तीन मंजिला मकान ढह गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तुरंत एनडीआरएफ की टीम भिजवाई। सुबह से मैं खुद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व स्थानीय लोगों के साथ घटनास्थल पर मौजूद हूं। स्थानीय लोगों और एनडीआरएफ ने एक महिला समेत चार को बचाया है। घायलों के लिए देवघर एम्स ने इलाज की सुविधा कर रखी है।

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अलीगढ़/हाथरस, 05 जून (हि.स.)। कांग्रेस नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शुक्रवार की सुबह हाथरस हुई दुर्घटना के पीड़ितों से मिलने अलीगढ़ पहुंचे। यहां पर उन्होंने अलीगढ़ से हाथरस सत्संग में गए मृतकों और घायलों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने घटना को लेकर शोक जताया। कहा कि यह बेहद दर्दनाक हादसा हुआ है और अपनों के खोने का दर्द मैं समझ सकता हूं।

राहुल गांधी शुक्रवार की भोर में ही दिल्ली से चलकर उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग भगदड़ काण्ड के पीड़ितों से मिलने पहुंचे हैं। यहां पर उन्होंने सबसे पहले अलीगढ़ में प्रभावितों से मिलने अकराबाद क्षेत्र के पिलखाना गांव पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारों के सदस्यों से भेंट की और घटना का दुर्भाग्यपूर्ण बताया। ताला नगरी अलीगढ़ में हाथरस काण्ड के पीड़ितों का दर्द बांटकर वे हाथरस जाएंगे। जहां राहुल दलित बस्ती में आयोजित हाथरस हादसे में मृत लोगों के प्रति संत्वना के लिए आयोजित प्रार्थना सभा में भी हिस्सा लेंगे और अस्पताल में भर्ती लोगों का हालचाल जानेंगे।

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-मौके पर पहुंचे मुख्य सचिव व डीजीपी ने लिया हालात का जायजा, युद्ध स्तर पर राहत कार्य जारी

हाथरस, 02 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में सिकंदराराऊ थाना अंतर्गत फुलरई मुगलगढ़ी के एक खेत में साकार हरि बाबा का एक दिवसीय सत्संग चल रहा था। सत्संग समापन के बाद वहां बाबा के दर्शन पाने की होड़ में भारी संख्या में पहुंचे बाबा के अनुयायियों की भीड़ जुटी थी। तभी अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 116 लोगों की लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। यह बात घटनास्थल और हालात का जायजा लेने पहुंचे प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने पत्रकारों से कही।

डीजीपी ने कहा कि सत्संग में 80 हजार लोगों की अनुमति ली गई थी लेकिन वहां अनुमति से अधिक लोगों की भीड़ पहुंची। इस मामले में आयोजकों पर मुकदमा दर्ज होगा और कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हादसे में काफी संख्या में घायल लोगों को आसपास के जिलों में भर्ती कराया गया है। आशंका है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। प्रशासन अब भी घटना में कुल कितने लोगों मौत हुई है, इसके आंकड़े जुटा रहा है। मृतकों की संख्या अभी बढ़ सकती है। वहीं घायलों को समुचित उपचार जारी है।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि मृतकों में सात बच्चे हैं और एक पुरुष के अलावा शेष महिलाएं हैं। इन मृतकों में 62 लोगों की शिनाख्त कर ली गई है। अन्य की पहचान के प्रयास जारी हैं, घटना में सभी बिन्दुओं पर जांच जारी है। कठोर कार्रवाई होगी।

सीएम ने कहा, हाथरस की घटना हादसा या सजिश इसकी होगी जांच

घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवास पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने इस संबंध में कहा कि जाँच समिति बना दी गई है। घटनास्थल पर मुख्य सचिव और डीजीपी कैंप कर रहे हैं। वहीं प्रदेश सरकार के तीन मंत्री वहां घायलों को उपचार आदि की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। घटनास्थल पर भेजे गए तीनों मंत्रियों असीम अरुण, संदीप सिंह और लक्ष्मी नारायण चौधरी समेत मुख्य सचिव और डीजीपी से लगातार संपर्क करते हुए पल-पल की रिपोर्ट ली जा रही है। उन्होंने कहा कि यह हादसा है या साजिश, इसकी जांच होगी। उन्होंने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। साथ ही मुख्यमंत्री ने एडीजी आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ के नेतृत्व में टीम गठित कर 24 घंटे में दुर्घटना के कारणों की जांच रिपोर्ट तलब की है।

सहायता राशि का किया ऐलान
मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने का भी ऐलान किया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भी मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता की घोषणा की गई है। घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सरकारी आवास पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं और पल पल की रिपोर्ट के लिए उन्होंने प्रदेश सरकार के तीन मंत्रियों असीम अरुण, संदीप सिंह और लक्ष्मी नारायण चौधरी, मुख्य सचिव और डीजीपी को मौके पर भेजा है और लगातार उनके संपर्क में हैं। मुख्यमंत्री का निर्देश है कि घटना का दोषी कोई हो, बचेगा नहीं, उस पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। दूसरी तरफ जिला प्रशासन ने आम लोगों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर 05722227041 तथा 05722227042 जारी किए हैं।

सत्संग के दौरान मची भगदड़
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को नारायण साकार विश्व हरि के नाम से प्रसिद्ध भोले बाबा के कार्यक्रम में लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ जुटी। कार्यक्रम स्थल पर प्रशासन की परमिशन से ज्यादा भक्त सत्संग कार्यक्रम में पहुंचे। भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। मुख्य सचिव मनोज सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार घटनास्थल पर जांच के दौरान इसको लेकर आयोजकों की बड़ी लापरवाही मिली है। उन्हें घायलों से इलाज के दौरान यह जानकारी पूछताछ में पता चली। उन्होंने बताया कि समुचित उपचार के लिए कुछ घायलों को एटा भेजा गया। घटना सिकंदराराऊ कोतवाली क्षेत्र के जीटी रोड स्थित गांव फुलराई के पास की है।

हादसे के बाद बाबा फरार, आयोजक अंडर ग्राउंड
हाथरस हादसे का जिम्मेदार साकार विश्व हरी भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है, जो कि उत्तर प्रदेश पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी करता था। सूरज पाल उर्फ भोले बाबा इटावा में लगभग अट्ठाइस वर्ष पहले एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) में तैनात रह चुका है। जानकारी के मुताबिक 26 साल पहले किसी मुकदमे में फंसने के बाद सूरज पाल पुलिस विभाग से बर्खास्त कर दिया गया था। नौकरी से बर्खास्त और जेल से छूटने के बाद उसने अपना नाम और पहचान बदली और सूरज पाल भोले बाबा बन गया। वर्तमान में उसके पास बाबा राम रहीम की तरह इनकी अपनी सिक्योरिटी टीम है। हाथरस में सत्संग के दौरान हुए हादसे के बाद वह जनपद से अपने काफिले के साथ फरार हो गया है। वहीं सत्संग का आयोजन करीब 78 आयोजकों द्वारा किया गया था। इन सभी पर पुलिस व प्रशासनिक कार्रवाई को अमल में लाया जा रहा है। यह सभी आयोजक भी अंडर ग्राउंड हो गए हैं।

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Chhapra: NGT के आदेश को लेकर मॉनसून अवधि (15 जुलाई से 15 अक्टूबर 2024) तक के दौरान राज्य में बालू का खनन बंद है। 

ज़िला खनन पदाधिकारी व अनुमंडल पदाधिकारी एवं डीएसपी के द्वारा सारण जिला अंतर्गत बालू परिवहन के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि जन सामान्य एवं विकास के कार्यों के बालू के उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु सरकार की स्तर से बालू के बंदोबस्तधारियों को बालू घाट के सीमा से 300 मीटर तक सेकेन्ड्री लोडिंग पॉइंट निर्धारित कर एवं अनुज्ञप्तिधारियों को K-अनुज्ञप्ति निर्गत कर बालू का भंडारण कर बिक्री करने हेतु अनुमति दी जाती है।

अनुज्ञप्तिधारियों, बंदोबस्तधारियों द्वारा मॉनसून, बंद अवधि में ई-चालान के माध्यम से बालू का बिक्री किया जाता है।  दक्षिणी बिहार के ज़िलों से संवेदकों, अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा पीला बालू का ई- चालान के उत्तरी बिहार एवं उत्तर प्रदेश में प्रेषण किया जाता है। उत्तरी बिहार एवं उत्तर प्रदेश के निकटवर्ती क्षेत्रों, ज़िलों में बालू का परिवहन सारण जिला से होकर किया जाता है। जिसकी वजह से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वैध बालू लदे वाहनों का सारण जिला से होकर परिवहन होता रहता है। 

जिला में जिला स्तरीय, अनुमंडल स्तरीय, अंचल स्तरीय टीम गठित कर बालू लदे वाहनों का नियमित रूप से जाँच किया जाता रहा है। अवैध बालू लदे वाहन पाए, पकड़े जाने पर उक्त वाहन मालिक एवं चालक पर प्राथमिकी दर्ज किया जाता है।

उन्होंने बताया कि गत वित्तीय वर्ष में कुल- 2162 वाहन ज़ब्त कर 776 प्राथमिकी प्राथमिकी दर्ज, 806 गिरफ़्तार कर 3937.16 लाख राजस्व की वसूली की गई है। वर्तमान वर्ष में माह- जून के अंत तक 537 वाहन ज़ब्त कर 280 प्राथमिकी 307 गिरफ़्तारी करते हुए 608.46 लाख राजस्व की वसूली की गई है। 

हाल ही में, दाउदपुर थाना अंतर्गत चेकिंग के दौरान 3 अवैध बालू से लदा हाईवा तथा पासिंग करा रहे एक बालू माफिया को एक  स्कॉर्पियो के साथ पकड़ा गया हैं।

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-पहला- भारतीय न्याय संहिता, दूसरा-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, तीसरा-भारतीय साक्ष्य अधिनिमयनई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। देश में रविवार रात घड़ी पर बड़ी और छोटी सूई का कांटा ठीक 12 पर पहुंचते ही एक जुलाई की तारीख ने भारत की दंड संहिता में नया इतिहास लिख दिया। आज से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो गए। तीन नए कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकी (एफआईआर) से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है।

यही नहीं आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नए कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है। इसी के साथ आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान किया गया है। शिकायत, समन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी।

अब तीन दिन में एफआईआर
नए कानून में तय समय सीमा में एफआईआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआईआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।

आरोप-पत्र की भी टाइम लाइन तय

दुष्कर्म केस में सात दिन के भीतर पीड़िता की चिकित्सा रिपोर्ट पुलिस स्टेशन और कोर्ट भेजी जाएगी। इससे पहले सीआरपीसी में इसकी कोई समय सीमा तय नहीं थी। नया कानून आने के बाद समय में पहली कटौती यहीं से होगी। नए कानून में आरोप-पत्र की भी टाइम लाइन तय है। आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोप-पत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता।

अदालत के लिए भी समय सीमा
अदालत के लिए भी समय सीमा तय की गई है। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाए इसके लिए कई उपाय किए गए हैं। प्ली बार्गेनिंग का भी समय तय है। प्ली बार्गेनिंग पर नया कानून कहता है कि अगर आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर आरोपी गुनाह स्वीकार कर लेगा तो सजा कम होगी। ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा अभी सीआरपीसी में प्ली बार्गेनिंग के लिए कोई समय सीमा तय नहीं थी। नए कानून में केस में दस्तावेजों की प्रक्रिया भी 30 दिन में पूरी करने की बात है। फैसला देने की भी समय सीमा तय है। ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा।

दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय
लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं। नए कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी।

ऐसा है नया कानून
– पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया।
– राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध।
– मॉब लिंचिंग सेल में आजीवन कारावास या मौत की सजा।
– पीडि़त कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआईआर।
– राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं।
– एफआईआर, केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट होंगे डिजिटल।
– तलाशी और जब्ती में आडियो-वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य।
– गवाह के लिए ऑडियो-वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प।
– सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाना अनिवार्य।
– छोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रावधान।
– पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत।
– भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त।
– इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकार्ड माने जाएंगे साक्ष्य।
– भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा।

बड़ा बदलाव
-इंडियन पीनल कोड (आईपीसी)1860 की जगह ली भारतीय न्याय संहिता 2023 ने।
-क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) 1973 की जगह ली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 ने।
– इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023।

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नई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। भारतीय थल सेना के नवनियुक्त प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने आज औपचारिक तौर पर कार्यभार संभाल लिया।

30 जून को ही सेवानिवृत्त हुए जनरल मनोज पांडे ने उन्हें कमान सौंपी थी। सोमवार सुबह सबसे पहले जनरल उपेन्द्र द्विवेदी इंडिया गेट के निकट स्थिति राष्ट्रीय समर स्मारक (नेशनल वार मेमोरियल) पहुंचे।

वहां देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को सैल्यूट किया । इसके बाद जनरल द्विवेदी साउथ ब्लाक स्थित सेना मुख्यालय पहुंचे। सेना मुख्यालय में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

मुख्यालय में प्रवेश करने से पूर्व वहां उपस्थित अपने बड़े भाई सहित वरिष्ठ परिजनों के पांव छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर उन्होंने मीडिया को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा- “मेरे लिए ये अत्यंत गर्व और सम्मान का अवसर है कि मुझे भारतीय थलसेना का नेतृत्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

भारतीय सेना के गौरवशाली परंपरा हमारे सैनिकों के बलिदान और योगदान की बुनियाद पर आधारित है। इस पर मैं उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने कर्तव्य पथ पर अपने प्राणों की आहुति दी है।

आज भारतीय थलसेना आधुनिकीकरण के पद पर अग्रसर है। इस दिशा में आत्मनिर्भरता को पूर्णता हासिल करने के लिए भारत सेना हमेशा तैयार है। मैं देश और भारतीय नागरिकों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय सेना हर चुनौती का सामना के लिए पूर्णता तैयार है।” जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज वैश्विक समीकरण बदल रहे हैं। वर्तमान दौर की लड़ाइयां नया रूप ले रही हैं। हमें इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सैनिकों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर नई रणनीतियां बनाकर तैयार रखने की आवश्यकता है।

भारतीय थल सेना की कमान संभाल चुके लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने फरवरी में थल सेना उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। सेनाध्यक्ष के रूप में जनरल द्विवेदी की नियुक्ति को सरकार ने 11 जून को मंजूरी दी थी। सन 1964 में एक जुलाई को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री (जम्मू-कश्मीर राइफल्स) में कमीशन मिला था।

मध्य प्रदेश में रीवा के सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र जनरल द्विवेदी अपने करीब 40 साल के लंबे और असाधारण करियर में वह विभिन्न पदों पर रहे। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक के अलावा अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज महू में भी अध्ययन किया है।

उत्तरी सेना के कमांडर के तौर पर जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन के अलावा, उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर अभियान के संचालन की योजना और कार्यान्वयन के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन और परिचालन संबंधी अंतर्दृष्टि प्रदान की है। जनरल द्विवेदी सीमा विवाद को हल करने में चीन के साथ जारी वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल रहे। यही नहीं वो भारतीय सेना की सबसे बड़ी सैन्य कमान के आधुनिकीकरण में भी शामिल रहे। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों को अपनाने के अभियान का नेतृत्व किया।

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नई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को आज उनके 75 वें जन्मदिवस पर बधाई दी है। एक्स पर बधाई संदेश पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा – ‘वेंकैया नायडू गारू को उनके 75वें जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मैं उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। इस विशेष अवसर पर मैंने उनके जीवन, सेवा भाव और राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण पर अपने कुछ विचार साझा किए हैं।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी वेबसाइट नरेन्द्र मोदी डॉट इन पर करीब 1500 शब्दों में पूर्व राष्ट्रपति के साथ अपनी जीवन यात्रा को साझा किया है। इसमें प्रधानमंत्री ने लिखा कि वेंकैया जी का 75वां जन्मदिवस एक विशाल व्यक्तित्व की व्यापक उपलब्धियों को समेटे हुए है। उनका जीवन सेवा, समर्पण और संवेदनशीलता की ऐसी यात्रा है, जिसके बारे में सभी देशवासियों को जानना चाहिए। राजनीति में अपने प्रारम्भिक दिनों से लेकर उपराष्ट्रपति जैसे शीर्ष पद तक उन्होंने भारतीय राजनीति की जटिलताओं को जितनी सरलता और विनम्रता से पार किया, वो अपने आपमें एक उदाहरण है। उनकी वाकपटुता, हाजिरजवाबी और विकास से जुड़े मुद्दों के प्रति उनकी सक्रियता के कारण उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर हर पार्टी में सम्मान मिला है।

प्रधानमंत्री ने लिखा कि वेंकैया गारू (तेलुगू में गारू बड़े भाई या सम्मान के लिए प्रयोग किया जाता है) और मैं दशकों से एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं। हमने लंबे समय तक अलग-अलग दायित्वों को संभालते हुए साथ काम किया है, और मैंने हर भूमिका में उनसे बहुत कुछ सीखा है। मैंने देखा है, जीवन के हर पड़ाव पर आम लोगों के प्रति उनका स्नेह और प्रेम कभी नहीं बदला।

प्रधानमंत्री ने लिखा है कि वेंकैया गारू की वाकपटुता, शब्दशैली और संगठन सामर्थ्य से प्रभावित होकर एनटीआर जैसे दिग्गज ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। एनटीआर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना चाहते थे, लेकिन वेंकैया गारू हमेशा की तरह अपनी मूल विचारधारा पर अडिग रहे। उन्होंने आंध्र प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई, गांवों में जाकर सभी क्षेत्रों के लोगों से जुड़े। उन्होंने विधानसभा में पार्टी का नेतृत्व किया और आंध्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी बने।

1990 के दशक में केन्द्रीय संगठन में वेंकैया नायडू के आने से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और अटल जी की सरकार में मंत्री और 2014 में मोदी सरकार में शहरी विकास मंत्री तक के लंबे सफर को एक स्वर्णिम काल बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि वर्ष 2017 में, हमारे गठबंधन ने उन्हें हमारे उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया। ये हमारे लिए एक कठिन और दुविधा से भरा निर्णय था। हम ये जानते थे कि वेंकैया गारू के स्थान को भरना बेहद कठिन होगा। लेकिन साथ ही, हमें ये भी पता था कि उपराष्ट्रपति पद के लिए उनसे बेहतर कोई और उम्मीदवार नहीं है। उपराष्ट्रपति बनने पर उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए जिससे इस पद की गरिमा और भी बढ़ी। वह राज्यसभा के एक उत्कृष्ट सभापति थे, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि युवा सांसदों, महिला सांसदों और पहली बार चुने गए सांसदों को बोलने का अवसर मिले। उन्होंने सदन में उपस्थिति पर बहुत जोर दिया, समितियों को अधिक प्रभावी बनाया। उन्होंने सदन में बहस के स्तर को भी ऊंचा उठाया। जब अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को हटाने का निर्णय राज्यसभा के पटल पर रखा गया, तो वेंकैया गारू ही सभापति थे। मुझे यकीन है कि यह उनके लिए एक भावनात्मक क्षण था। वह युवा जिसने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक विधान, एक निशान, एक प्रधान के संकल्प के लिए अपना जीवन समर्पित किया था, जब वह सपना पूरा हुआ तो वह सभापति के पद पर आसीन था। किसी निष्ठावान देशभक्त के जीवन में इससे बड़ा समय और क्या होगा!

प्रधानमंत्री ने लिखा कि उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा करने के बाद भी, वेंकैया गारू सार्वजनिक जीवन में बेहद सक्रिय हैं। वह लगातार देश के लिए जरूरी मुद्दों और विकास कार्यों को मुझसे बात करते रहते हैं। मुझे आशा है कि युवा कार्यकर्ता, निर्वाचित प्रतिनिधि और सेवा करने का जुनून रखने वाले सभी लोग उनके जीवन से सीख लेंगे और उन मूल्यों को अपनाएंगे। यह वेंकैया गारू जैसे लोग ही हैं जो हमारे राष्ट्र को बेहतर और अधिक जीवंत बनाते हैं।

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– लोकसभा चुनावों के दौरान एक माह के लिए बढ़ाया गया था कार्यकाल

– सेना को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए याद किये जाएंगे जनरल मनोज पांडे

नई दिल्ली, 30 जून (हि.स.)। थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे चार दशकों से अधिक की राष्ट्र सेवा के बाद रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। इस मौके पर उन्हें नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक लॉन में औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राष्ट्र की सेवा में उनका असाधारण और शानदार करियर उनके अटूट समर्पण और प्रेरणादायक नेतृत्व का प्रमाण है, जिसका भारतीय सेना पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्हें भारतीय सेना को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में किये गए उनके मजबूत प्रयासों के लिए याद किया जाएगा।

जनरल मनोज पांडे ने बतौर सेना प्रमुख 30 अप्रैल, 2022 को भारतीय सेना की बागडोर संभाली थी। उन्हें 31 मई को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 26 मई को लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी सेवा को एक महीने का विस्तार देने मंजूरी दे दी थी। यह विस्तार सेना नियम 1954 के नियम 16 ए (4) के तहत दिया गया था, जो उनकी सामान्य सेवानिवृत्ति से एक महीने आगे यानी 30 जून तक था।

जनरल पांडे आज सेवानिवृत्त होने से पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचे और भारतीय सशस्त्र बलों के वीर जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने साउथ ब्लॉक लॉन में औपचारिक सलामी गारद का निरीक्षण भी किया।

जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल युद्ध की उच्च तैयारी, परिवर्तन की प्रक्रिया को गति देने के साथ-साथ आत्मनिर्भर पहलों की दिशा में उनके मजबूत प्रयास के लिए याद किया जाएगा। सीओएएस के रूप में जनरल मनोज पांडे ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर परिचालन तैयारियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने जम्मू और कश्मीर, पूर्वी लद्दाख और उत्तर पूर्व में अग्रिम क्षेत्रों का अक्सर दौरा किया और सभी रैंकों की परिचालन तैयारियों और मनोबल का प्रत्यक्ष जायजा लिया।

जनरल मनोज पांडे ने पांच अलग-अलग स्तंभों के तहत तकनीकी अवशोषण पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय सेना के समग्र परिवर्तन की शुरुआत की। इन तकनीकी पहलों के तहत प्रगति हुई, जो भारतीय सेना को एक आधुनिक, चुस्त, अनुकूल और प्रौद्योगिकी-सक्षम भविष्य के लिए तैयार बल में बदलने की दिशा में आगे बढ़ाती रहेगी। ‘आत्मनिर्भरता’ पहल के तहत स्वदेशी हथियारों और उपकरणों के अनुकूलन पर उनके जोर ने भारतीय सेना के दीर्घकालिक अस्तित्व का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने मानव संसाधन विकास पहलों को प्रोत्साहन दिया, जिसका सेवारत कर्मियों, उनके परिवारों और अनुभवी बिरादरी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

सीओएएस के रूप में उन्होंने द्विपक्षीय/बहुपक्षीय अभ्यास, सेमिनार और चर्चाओं को प्रोत्साहित किया। उनके मार्गदर्शन में दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण करने के लिए चाणक्य रक्षा वार्ता की स्थापना की गई। इसके अलावा उन्होंने इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ्स कॉन्फ्रेंस (आईपीएसीसी) के संचालन और साझेदार देशों के साथ वार्षिक अभ्यास के पैमाने और दायरे को बढ़ाने के माध्यम से सैन्य कूटनीति को बढ़ावा दिया।

जनरल ऑफिसर की चार दशक से अधिक की सैन्य यात्रा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से शुरू हुई। उन्हें दिसंबर, 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स (बॉम्बे सैपर्स) में कमीशन मिला। उन्होंने विभिन्न परिचालन वातावरण में महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कमांड और स्टाफ नियुक्तियां कीं। उनकी शानदार सेवा के लिए जनरल ऑफिसर को परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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