पर्यावरण के प्रति मेरी बचपन से ही काफी रुचि रही है. अक्सर पानी, जंगल, हवा, जंगली जीव-जंतुओं के बारे में जानने-समझने की जिज्ञासा मेरे मन में हमेशा बनी रही. यही वह अहम वजह रही कि पर्यावरण से जुड़ी पुस्तक जहां से भी मिली, उसे पढ़े बिना नहीं रहा. पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार ,लेखक एवं चर्चित पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत की एक पुस्तक ” पर्यावरण : विकास और यथार्थ ” देखने को मिली. आदत के मुताबिक उसे भी पढ़े बिना रहा नहीं गया. उसे पढ़ने के बाद ही मैं पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं और उसकी बदहाली के बारे में जान-समझ सका.

श्री रावत ने इस पुस्तक में पर्यावरण, जल, जंगल, जमीन, वृक्ष, बांध, नदी, वायु, कीटनाशक , प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि विभिन्न विषयों पर देश के प्रख्यात पर्यावरणविद, विषय विशेषज्ञों -वैज्ञानिकों के तथ्यपरक विचारों को समाहित करने का महती कार्य किया है. 

वैसे श्री रावत से मेरा परिचय बरसों पुराना है. सभा-सेमीनार, वृक्षारोपण कार्यक्रमों और सम्मेलनों में उनसे अक्सर मेरी भेंट भी होती रही है लेकिन कभी भी पुस्तक के बारे में चर्चा नहीं हुयी. शायद वह इस बारे में बताना नहीं चाहते हों. यह भी सही है कि अपने बारे में वह कभी कुछ कहने से बचते रहते हैं. लगता है यह उनकी प्रवृति है. मिले तब उन्होंने बताया कि हां वह मेरी ही पुस्तक है जो सन 2005 में नटराज प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुयी थी और अब इसकी बहुत कम प्रतियां ही लोगों के पास होंगी. मेरे पास तो इसकी एक ही प्रति शेष बची है. 

उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के लिए रेमन मैगसेसे व स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित भाई राजेंद्र सिंह जी ने मंगलकामना व्यक्त करते हुए कहा था कि यह पुस्तक वास्तव में हमारे समाज को साझे संकट से मुक्ति दिलाने में प्रमुख भूमिका निर्वहन करेगी. साथ ही पर्यावरण की सही तस्वीर प्रस्तुत करके अपने दायित्व को निबाहने में सफल होगी, वहीं सरकार और समाज के मानस को भी सुधारने में सहायक सिद्ध होगी. 

सबसे बड़ी बात कि इस पुस्तक की भूमिका जाने-माने पर्यावरणविद और “आज भी खरे हैं तालाब” और ” राजस्थान की रजत बूंदें” नामक पर्यावरण से जुड़ी चर्चित और ख्यातनामा पुस्तकों के रचयिता आदरणीय अनुपम मिश्र जी ने लिखी है. जब इस बारे में श्री रावत से पूछा तो उन्होंने बताया कि आमतौर पर अनुपम जी भूमिका आदि लिखने के पक्षधर नहीं थे. लेकिन जब मेंने विषय वस्तु की जानकारी दी तो उनका कहना था कि मैं तुम्हारी किताब की भूमिका जरूर लिखूंगा लेकिन इसके लिए तुम्हें आना पड़ेगा. सच यह है कि मैं गया और उन्होंने बोलकर भूमिका लिखवायी और किताब छपने से पहले उसका प्रूफ भी देखा.

असलियत में यह पुस्तक विश्व विद्यालयों में पर्यावरण के छात्रों के लिए संदर्भ ग्रंथ के रूप में अहम भूमिका का निर्वहन कर रही है. यहां में इस पुस्तक की श्री अनुपम मिश्र जी की लिखी भूमिका देना आवश्यक समझता हूं जो स्वयं पुस्तक की महत्ता की परिचायक है.

इस संदर्भ में ज्ञानेन्द्र रावत का कहना है कि यह पुस्तक पर्यावरण के प्रति जन चेतना जाग्रत करने का एक छोटा सा प्रयास है. जरूरत इस बात की है कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए कमर कसकर तैयार हो जायें और ऐसी जीवन पद्धति विकसित करें जो हमारे पर्यावरण को संतुलित बनाये रखने में सहायक हो. हालात गवाह हैं कि सिर्फ कागजी योजनाओं और भाषणबाजी से यह संकट दूर होने वाला नहीं है. अब हमें इस दिशा में कुछ सार्थक प्रयास करने होंगे, तभी स्थिति में कुछ बदलाव की उम्मीद की जा सकती है.

इस पुस्तक की रचना में प्रख्यात पर्यावरणविद परमादरणीय पद्मश्री सुंदरलाल बहुगुणा, जलपुरुष राजेन्द्र सिंह, पर्यावरणविद डा. वंदना शिवा, बाबा आम्टे, वरिष्ठ पत्रकार यशवंत व्यास, दैनिक ट्रिब्यून के संपादकराजकुमार सिंह, राष्ट्रीय सहारा के संपादक रहे विभांशु दिव्याल, प्रख्यात बौद्ध दार्शनिक डा. धर्मकीर्ति, जाने-माने कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा, वन्य प्राणी विशेषज्ञ राकेश व्यास एवं अपने अभिन्न वरिष्ठ पत्रकार मित्र अनिल जैन व एच. एल. दुसाध का समय-समय पर भरपूर सहयोग मिला जिसके बलबूते ही इस दुरूह कार्य को करने में समर्थ -सफल हो सका.

इस बारे में मेरा मानना है कि यह पुस्तक विकास के नाम पर पर्यावरणीय विनाश का सिलसिलेवार तथ्यपरक खुलासा करती है और यह सवाल भी खड़ा करती है कि यदि अब भी हम नहीं चेते तो पर्यावरण का विनाश समूची दुनिया के विनाश का कारण होगा.

 

 

 

 

( लेखक श्री प्रशांत सिन्हा एक जाने-माने समाज सेवी, जल संरक्षण एवं जल प्रहरी सम्मान से सम्मानित पर्यावरण कार्यकर्ता हैं.)

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New Delhi: प्‍याज की कीमतें कम करने और देश भर में इसकी पर्याप्‍त उपलब्‍धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं.

उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की सचिव ने कहा कि 31 दिसम्‍बर तक व्‍यापारियों के लिए प्‍याज के भंडारण की सीमा तय कर दी गई है. ये जो स्‍टॉक लिमिट्स लगाये गये हैं, इसका मैसेज ये है कि नो वन इज़ टू होल्‍ड दी ऑनियन्‍स एंड मैन्‍यूपु‍लेट दा प्राइसेज़. जिसका नुकसान आम कंज्‍यूमर को पूरे देश में सहन करना पड़ा. दैट इज़ दा वैरी स्‍ट्रॉंग मैसेज दैट वी आर गिवन आउट.

सचिव ने कहा कि थोक विक्रेता 25 मीट्रिक टन प्‍याज का भंडारण कर सकते है जबकि खुदरा व्‍यापारियों को दो मीट्रिक टन का भंडार रखने की इजाजत होगी.

मंत्रालय ने कहा है कि खुले बाजार में प्‍याज की बिक्री की जा रही है और कीमतें कम करने के लिए इसकी आपूर्ति बढ़ाई जाएगी. खरीफ के मौसम में 37 लाख मीट्रिक टन प्‍याज के मंडियों में पहुंचने की संभावना है.

महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, आंध्र-प्रदेश और मध्‍य-प्रदेश के प्‍याज उगाने वाले जि़लों में हाल की वर्षा से खरीफ की फसल के खराब होने की आशंकाओं के कारण प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी दिखाई दी है.

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New Delhi: आज शाम 6 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम संदेश देंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेे ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.

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नई दिल्ली: रसोई गैस सिलेंडर को लेकर नियम बदलने वाला है. हर किसी को इस नियम के बारें में जानना जरूरी है. सिलेंडर की ब्लैक मार्केटिंग पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने 1 नवंबर से नया नियम लागू करने की तैयारी में है. LPG सिलेंडर की होम डिलीवरी का पूरा सिस्टम अब बदलने वाला है.

दरअसल, अगर आप भी घर बैठे सिलेंडर मंगवाते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. सरकारी तेल कंपनियों के मुताबिक एक नवंबर से देश के 100 स्मार्ट सिटीज में गैस की डिलीवरी के लिए वन टाइम पासवर्ड (OTP) अनिवार्य हो जाएगा.

सरकार का लक्ष्य यह है कि गैस सिलेंडर सही उपभोक्ता तक पहुंचे. इसे सुनिश्चित करने के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है. यानी अब जब 1 नवंबर से सिलेंडर लेकर डिलीवरी ब्वॉय आपके घर आएंगे तो उन्हें OTP बताना होगा.

यह कदम सिलेंडर से चोरी होने वाली गैस, सिलेंडर चोरी रोकने और सही कस्टमर की पहचान के लिए लागू किया जा रहा है. इस नियम के तहत जैसे ही आप सिलेंडर बुक करेंगे, आपके मोबाइल पर एक ओटीपी प्राप्त होगा.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति और वैक्सीन की स्थिति, वितरण और प्रशासन की तैयारियों को लेकर समीक्षा की. प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि कोरोना वैक्सीन के वितरण को लेकर ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे जल्दी से जल्दी पूरे देश में कोरोना वैक्सीन पहुंच सके. साथ ही वैक्सीन का वितरण सुचारू रुप से होना चाहिए. साथ ही वितरण के लिए हमें चुनाव प्रबंधन के अनुभव का इस्तेमाल करना चाहिए.

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक समुदाय की मदद करने के प्रयास में आगे बढ़ने का निर्देश देते हुए कहा कि हमें अपने अपने प्रयासों को तत्काल पड़ोसी देशों तक सीमित नहीं रखना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिया कि देश की भौगोलिक स्थिति और विविधता को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन की पहुंच तेजी से सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक्स, वितरण और प्रशासन में हर कदम को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. इसमें कोल्ड स्टोरेज चेन, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क, मॉनिटरिंग मैकेनिज्म, एडवांस असेसमेंट और आवश्यक उपकरण तैयार करने की एडवांस प्लानिंग शामिल होनी चाहिए.

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New Delhi: केंद्रीय मंत्री व लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में निधन हो गया है. वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने दिल्ली के अस्पताल में अंतिम सांस ली.

इस बात की जानकारी उनके पुत्र व सांसद चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी.

 

रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्य सभा सांसद रहे. फिलहाल वे केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे.

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन पर राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौर गयी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत नेताओं ने उनके निधन पर दुःख जाहिर किया है.

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नई दिल्ली: भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण की रिपोर्ट की मानें तो बुधवार 08 अक्टूबर तक देश में कोरोना के कुल एक्टिव मामले 9 लाख से अधिक है. जबकि, रिकवरी रेट में बड़ी उछाल आयी है. कुल 57 लाख से अधिक लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. 1 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में आइये जानते हैं. पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 78,524 नए मामले सामने आए और 971 मौतें हुईं हैं.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार देश में बुधवार यानी पिछले 24 घंटे में 11,94,321 नमूनों की जांच की गयी है. जिसके बाद 7 अक्टूबर तक भारत में कुल कोरोना वायरस टेस्ट 8,34,65,975 पहुंच गए है.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को 88वें भारतीय वायुसेना दिवस के अवसर पर बधाई देते हुए देश के ‘वीर योद्धाओं’ को सलाम किया और कहा कि राष्ट्र के प्रति उनका साहस, शौर्य और समर्पण हर किसी को प्रेरित करने वाला है. उन्होंने कहा कि वायुसेना के जांबाज ना सिर्फ दुश्मनों से भारतीय आसमान की रक्षा करते हैं बल्कि आपदा की स्थिति में मानवता की सेवा में भी बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘वायुसेना दिवस पर भारतीय वायुसेना के सभी वीर योद्धाओं को बहुत-बहुत बधाई. आप न सिर्फ देश के आसमान को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि आपदा के समय मानवता की सेवा में भी अग्रणी भूमिका निभाते हैं. मां भारती की रक्षा के लिए आपका साहस, शौर्य और समर्पण हर किसी को प्रेरित करने वाला है.’

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New Delhi: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना जारी कर दी गई है. अब राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेंगे.

बीजेपी केंद्रीय चुनाव की समित की बैठक रविवार को आयोजित की गई. इस बैठक में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव और शहनवाज हुसैन पार्टी मुख्यालय पहुंचे. बैठक में सीट बंटवारे और उम्मीदवारों के नामों पर मंथन हुआ.

भाजपा सोमवार को प्रथम चरण के सभी उम्मीदवारी पर आधिकारिक घोषणा कर सकती है.

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New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज मनाली में दक्षिण पोर्टल पर दुनिया की सबसे लम्‍बी राजमार्ग टनल – अटल टनल राष्‍ट्र को समर्पित की। यह टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है, जो पूरे साल मनाली को लाहौलस्पीति घाटी से जोड़ती है। इससे पहले, यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलगथलग  रहती थी।

यह टनल हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाई गई है। यह टनल मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्‍थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।

यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणालियों सहित अति-आधुनिक इलेक्‍ट्रो-मैकेनिकल प्रणालियों से युक्‍त है। इस टनल में पर्याप्‍त सुरक्षा सुविधाएं भी उपलब्‍ध कराई गई हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस टनल में दक्षिण पोर्टल से उत्‍तरी पोर्टल तक यात्रा की और मुख्‍य टनल में ही बनाई गई आपातकालीन टनल का भी निरीक्षण किया। उन्‍होंने इस अवसर पर ‘द मेकिंग ऑफ अटल टनल’ पर एक चित्रात्‍मक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आज के दिन को ऐतिहासिक बताया, क्‍योंकि आज न केवल भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का विजन पूरा हुआ है, बल्कि इस क्षेत्र के करोड़ों लोगों की दशकों पुरानी इच्‍छा और सपना भी पूरा हुआ है।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल टनल हिमाचल प्रदेश के बड़े हिस्‍से के साथ-साथ नये केन्‍द्रशासित प्रदेश लेह-लद्दाख के लिए भी एक जीवन रेखा बनने जा रही है। इससे मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3 से 4 घंटे कम हो जाएगी। उन्‍होंने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश और लेह-लद्दाख के हिस्‍से देश के बाकी हिस्‍सों से सदैव जुड़े रहेंगे और इन क्षेत्रों का तेजी से आर्थिक विकास होगा।

श्री मोदी ने कहा कि अब यहां के किसान, बागवानी विशेषज्ञ और युवा राजधानी दिल्‍ली तथा देश के अन्‍य बाजारों तक आसानी से पहुंच सकेंगे।  प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की सीमा संपर्क परियोजनाएं सुरक्षाबलों की भी मदद करेंगी, क्‍योंकि इससे सुरक्षाबलों के लिए नियमित आपूर्ति सुनिश्चित होगी और उन्‍हें गश्‍त करने में भी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने इस सपने को साकार करने में अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों के साहस और प्रयासों की सराहना की।

उन्‍होंने कहा कि अटल टनल भारत के सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को नई मजबूती देने जा रही है। यह विश्‍वस्‍तरीय संपर्क का जीता-जागता सबूत होगी। उन्‍होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और समग्र विकास में सुधार करने की लम्‍बे समय से चली आ रही मांग के बावजूद कई योजनाएं दशकों तक केवल बिना किसी प्रगति के लटकाने के लिए ही बनाई गईं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी ने वर्ष 2002 में इस टनल की पहुंच सड़क की आधारशिला रखी थी। अटल जी सरकार के बाद इस काम की इतनी उपेक्षा की गई कि 2013-14 तक केवल 1300 मीटर यानी डेढ़ किलोमीटर से भी कम टनल का निर्माण हुआ अर्थात एक साल में केवल लगभग तीन सौ मीटर टनल का ही निर्माण हुआ। तब विशेषज्ञों ने कहा था कि अगर निर्माण इसी गति से जारी रहा, तो यह टनल 2040 तक ही पूरी हो सकेगी।

श्री मोदी ने कहा कि इसके बाद सरकार ने इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू किया और हर साल 1400 मीटर की गति से निर्माण कार्य हुआ। उन्‍होंने कहा कि इससे यह परियोजना 6 वर्षों में पूरी हो कई है, जबकि इसका अनुमान 26 साल में पूरी होने का था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति करने की जरूरत हो, तो बुनियादी ढांचे को तेजी से विकसित किया जाना चाहिए। इसके लिए राजनीतिक इच्‍छा शक्ति और प्रतिबद्धता की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि ऐसी महत्‍वपूर्ण और मुख्‍य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के पूरा होने में हुई देरी से वित्‍तीय हानि होने के साथ-साथ लोगों को आर्थिक और सामाजिक लाभ से वंचित होना पड़ता है।

उन्‍होंने कहा कि 2005 में इस टनल के निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 900 करोड़ रुपये थी, लेकिन लगातार होने वाली देरी से आज यह कार्य 3200 करोड़ रुपये में पूरा हुआ है, जो अनुमानित लागत से तीन गुना से भी अधिक है।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि अनेक महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं के साथ भी अटल टनल की तरह का ही रुख अपनाया गया है। लद्दाख में दौलतबेग ओल्‍डी जैसी रणनीतिक रूप से बहुत महत्‍वपूर्ण हवाई पट्टी का निर्माण 40 से 45 वर्षों तक अधूरा पड़ा रहा, जबकि वायुसेना को इस हवाई पट्टी की जरूरत थी।

 श्री मोदी ने कहा कि बोगीबील पुल पर कार्य अटल जी की सरकार के दौरान शुरू हुआ था, लेकिन बाद में इस काम में शिथिलता आ गई। यह पुल अरूणाचल प्रदेश और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के बीच प्रमुख संपर्क उपलब्‍ध कराता है। उन्‍होंने कहा कि इस पुल के निर्माण में 2014 के बाद अप्रत्‍याशित रूप से तेजी आई और इस पुल का उद्धाटन दो वर्ष पूर्व अटल जी के जन्‍म दिन के अवसर पर किया गया था।

उन्‍होंने कहा कि अटल जी ने बिहार में मिथिलांचल के दो प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ने के लिए कोसी महासेतु की आधारशिला रखी थी। 2014 के बाद सरकार कोसी महासेतु के निर्माण कार्य में तेजी लाई और इस पुल का कुछ सप्‍ताह पहले ही उद्घाटन किया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थिति अब बदल गई है और पिछले 6 वर्षों में सीमावर्ती बुनियादी ढांचा – चाहे वह सड़कें हों, पुल हों या टनल हों, उन सभी का पूरी शक्ति और पूरी गति से विकास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सुरक्षाबलों की जरूरतों का ध्‍यान रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। लेकिन इससे पहले इन जरूरतों से समझौता किया गया और देश के सुरक्षाबलों के हितों से भी समझौता किया गया।

उन्होंने सुरक्षाबलों की जरूरतों का ख्‍याल रखने के लिए वन रैंक, वन पेंशन योजना लागू करना, आधुनिक लड़ाकू विमान की खरीददारी, गोला-बारूद की खरीददारी, आधुनिक राइफलें, बुलेटप्रूफ जैकेटें, कड़ी सर्दी में प्रयुक्‍त उपकरणों की खरीददारी, जैसे कार्यान्‍वयनों को सरकार की पहलों में सूचीबद्ध किया, जबकि पिछली सरकार ने इन सभी जरूरतों पर ध्‍यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में ऐसा करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी, लेकिन अब देश में यह स्थिति बदल रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा निर्माण में एफडीआई के रूप में दी गई छूट जैसे प्रमुख सुधार किए गए हैं, ताकि देश में ही आधुनिक हथियार और गोला-बारूद का उत्पादन किया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधार चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ के पद का सृजन करने और सुरक्षाबलों की जरूरत के अनुसार खरीददारी तथा उत्पादन दोनों में ही बेहतर समन्वय स्थापित करने के रूप में शुरू हुए थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को अपने बढ़ते हुए वैश्विक कद के अनुरूप ही अपने बुनियादी ढांचे और अपनी आर्थिक तथा रणनीतिक क्षमता को भी उसी गति से सुधारना होगा। उन्‍होंने कहा कि अटल टनल देश के आत्‍मनिर्भर बनने के संकल्‍प का एक चमकता उदाहरण है।

 

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New Delhi: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘अटल टनल’ के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया और इसे इंजीनियरिंग का एक चमत्कार बताया। अपने ट्वीट में श्री शाह ने कहा कि “आज का दिन पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि आज भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का स्वप्न मोदी सरकार ने पूरा किया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को इस अभूतपूर्व परियोजना पर निरंतर काम कर इसे पूर्ण करने पर बधाई”।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि “दुनिया की सबसे लंबी हाइवे सुरंग ‘अटल टनल’ से लेह और मनाली के बीच की यात्रा का समय 4-5 घंटे कम हो जाएगा। यह एक ऑल वेदर टनल है जिससे लाहौल-स्पीति अब पूरे साल देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा रहेगा। पहले यह हिस्सा कई महीनों तक देश के अन्य क्षेत्रों से कटा रहता था”।

अमित शाह ने यह भी कहा कि “अटल टनल पूरे क्षेत्र के लिए एक बहुत बड़ा वरदान साबित होगी, जिससे अब लोंगो की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, व्यापार अवसरों तथा आवश्यक वस्तुओं तक सुगम पहुँच होगी। अटल टनल से देश की रक्षा क्षमताओं को बल मिलेगा और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलने से रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न होंगे”।

अटल टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है। यह टनल हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है। अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्‍व के लिए डिजाइन किया गया है। यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीएनियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्‍ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्‍त है।

रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय 3 जून, 2000 को लिया गया था जब स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड़ की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 दिसम्‍बर 2019 को हुई बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए योगदान को सम्‍मान प्रदान करने के लिए रोहतांग टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया गया था।

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New Delhi: उत्तरप्रदेश के हाथरस में हुए गैंगरेप को लेकर राजनीति तेज है. शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हाथरस पहुंचे. कांग्रेस नेता ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की.

पीड़ित परिवार से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि कोई भी ताकत हमें चुप नहीं करा सकती.

गौरतलब है कि गैंगरेप की शिकार लड़की गंभीर हालात में कई दिन जीवन के लिए जूझती रही. उसकी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी.

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