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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कई खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
#Cabinet approves Minimum Support Prices (#MSP) for Kharif Crops for marketing season 2021-22
Details:https://t.co/uHpEWvYdlo#CabinetDecisions pic.twitter.com/vYkLvttEvN
— MIB India 🇮🇳 #We4Vaccine (@MIB_India) June 9, 2021
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 के लिए 1940 कर दिया गया है। इसी तरह बाजरा और दालों के समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी की गई है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य को जारी रखने की सरकारी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए तोमर ने कहा कि वर्तमान प्रक्रिया पहले की भांति ही जारी रहेगी। इस विषय पर किसी को भी कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। सरकार लगातार इसमें इजाफा भी कर रही है।
आज घोषित दामों में बढ़ोत्तरी इस प्रकार है-
धान (सामान्य) 1868 से 1940, धान (ग्रेड ए) 1888 से 1960, ज्वार (संकर) 2620 से 2736, ज्वार (मालदंडी) 2640 से 2758, बाजरा 2150 से 2250, रागी 3295 से 3377, मक्का 1850 से 1870, अरहर (अरहर) 6000 6300, मूंग 7196 से 7275, उड़द 6000 से 6300, मूंगफली 5275 से 5550, सूरजमुखी के बीज 5885 से 6015, सोयाबीन (पीला) 3880 से 3950, तिल 6855 से 7307, नाइजरसीड 6695 से 6930, कपास (मध्यम स्टेपल) 5515 से 5726, कपास (लंबा स्टेपल) 5825 से 6025।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान आरोप लगा रहे हैं कि सरकार धीरे-धीरे न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना को खत्म करना चाहती है।
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद बुधवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई।
भाजपा में शामिल होने से पहले जितिन प्रसाद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की थी।
श्री @JitinPrasada जी का भारतीय जनता पार्टी में स्वागत है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में भाजपा के जनसेवा के संकल्प को और मजबूती मिलेगी। pic.twitter.com/88oPR916PD
— Amit Shah (@AmitShah) June 9, 2021
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद काफी समय से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज थे। जितिन उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और इसे और ज्यादा सजीव बनाने के लिए पत्र लिखा था। प्रसाद उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से आते हैं। ऐसे में पार्टी उत्तर प्रदेश में मजबूत होगी।
LIVE: Shri @JitinPrasada joins BJP in presence of Shri @PiyushGoyal at BJP HQ. https://t.co/jtF3FBzMik
— BJP (@BJP4India) June 9, 2021
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले तीन दिनों से भारत और चीन के लड़ाकू विमानों की आसमानी हलचल बढ़ी है। दोनों देशों की वायुसेनाओं के कई फाइटर जेट 24 घंटे सीमा के करीब मंडरा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि चीनी वायुसेना पूर्वी लद्दाख के सामने करीब दो दर्जन चीनी लड़ाकू विमानों के साथ अभ्यास कर रही है। चीन की हरकतों पर पैनी नजर रखने के लिए भारतीय वायुसेना के भी लड़ाकू विमान लगातार उड़ान भर रहे हैं।
लद्दाख बॉर्डर पर जमीन से आसमान तक तनाव के बीच इन दिनों आसमान में दोनों देशों की हवाई हलचल बढ़ गई है। सोमवार को दिन में भी बॉर्डर पर चीन के जे-20 और जे-16 विमानों ने लद्दाख इलाके के आसपास उड़ान भरी और रात में भी चीनी एयरफोर्स के लड़ाकू विमान बॉर्डर के बेहद करीब उड़ान भरते देखे गए। भारतीय वायुसेना भी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के सात एयरबेस पर नजर बनाए हुए है और लड़ाकू विमान लगातार सीमा की चौकसी कर रहे हैं। मंगलवार को भी दिन में लगभग दो दर्जन चीनी लड़ाकू विमानों ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के सामने एक अभ्यास किया जिसे भारतीय पक्ष ने करीब से देखा। चीनी विमानों के अभ्यास में मुख्य रूप से जे-11 शामिल है जिसे सुखोई-27 लड़ाकू विमानों की चीनी डुप्लीकेट माना जाता है।
भारत और चीन के बीच एक साल से चल रहे सैन्य गतिरोध के कारण भारतीय वायुसेना ने पहले से ही लड़ाकू विमान राफेल के साथ ही मल्टी रोल कम्बैक्ट मिराज-2000, सुखोई-30एस और जगुआर की ऐसी जगह तैनाती कर रखी है जहां से एलएसी पर नजर रखी जा सके। लद्दाख क्षेत्र में भारतीय लड़ाकू विमानों की गतिविधि पिछले साल से काफी बढ़ गई है। इस साल चीनी सैनिकों और वायु सेना की गर्मियों में तैनाती के बाद भारतीय वायु सेना भी लद्दाख में मिग-29के सहित अपने लड़ाकू विमानों की टुकड़ी नियमित रूप से तैनात कर रही है। भारतीय वायु सेना लद्दाख क्षेत्र में चीनियों पर बढ़त रखती है क्योंकि उनके लड़ाकू विमानों को बहुत ऊंचाई वाले ठिकानों से उड़ान भरनी होती है, जबकि भारतीय बेड़ा मैदानी इलाकों से उड़ान भरकर कुछ ही समय में पहाड़ी क्षेत्र तक पहुंच सकता है।
सूत्रों ने कहा कि चीनी विमान हवाई अभ्यास के दौरान अपने क्षेत्र के भीतर ही रहे। भारत ने झिंजियांग और तिब्बत क्षेत्र में होटन, गर्गुनसा, काशघर, होपिंग, डकोंका द्ज़ोंग, लिंझी और पंगत एयरबेस में हवाई क्षेत्रों सहित चीनी वायु सेना की गतिविधियों को करीब से देखा। चीन ने भारत से गतिरोध बढ़ने के बाद एक साल के भीतर अपने उक्त एयरबेस को अपग्रेड किया है। चीन के इन हवाई अड्डों पर लड़ाकू विमानों को छिपाने के लिए ठोस निर्माण किये गए हैं जिनकी पुष्टि सेटेलाइट तस्वीरों से भी हुई है। चीन ने भारत से समझौते के बाद पैन्गोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को हटा लिया है, लेकिन अपनी वायु रक्षा प्रणालियों को अब तक नहीं हटाया है जो लंबी दूरी पर विमानों को निशाना बना सकते हैं।
चीनी सेना एलएसी के करीब हर साल मई के आसपास अभ्यास करने के लिए आती है, जिस पर भारत की नजर रहती है। इसीलिए पिछले साल भी चीन की तरफ से हुआ मोबलाइजेशन भारत के लिए नया नहीं था। भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे भी मान चुके हैं कि पिछले साल के चीनी अभ्यास पर हमारी नजर थी परन्तु वह ऐसा करेंगे, ऐसा अंदाजा नहीं लगाया जा सका था। नतीजतन चीन के सैनिक पिछले साल मई में कई भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा जमाकर बैठ गए। इसी तरह हर साल गर्मियों में चीनी सैनिक तिब्बत पठार में ट्रेनिंग के लिए आते हैं और सर्दियों में वापस चले जाते हैं।
नई दिल्ली: अनूप चंद्र पांडे को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। पांडे उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
मंगलवार को जारी अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी है। वे जब से कार्यभार संभालेंगे, तभी से उनकी नियुक्ति मान्य होगी। उनकी नियुक्ति के साथ ही अब तीन सदस्यीय चुनाव आयोग अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य कर सकेगा।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए संबंधित वैक्सीन की कीमतें निर्धारित कर दी हैं, जिसके तहत कोविशील्ड 780 रुपये, को-वैक्सीन 1,410 रुपये और स्पूतनिक-वी 1,145 रुपये प्रति खुराक होगी। एक दिन पहले प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी दिशानिर्देशों में नई कीमतों से संबंधित जानकारी दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य में इस बात की जानकारी दी गई है कि इन वैक्सीन की कीमत पर वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी पांच प्रतिशत की दर से लगाया गया है। कोविशील्ड पर 30 रुपये, को-वैक्सीन पर 60 रुपये और स्पूतनिक-वी पर 47 रुपये जीएसटी लगेगा।
निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन खुराक की कीमत को हर उत्पादनकर्ता घोषित करेगा और किसी भी अन्य अतिरिक्त शुल्क की जानकारी पहले से देगा। निजी अस्पताल इन कीमतों पर अधिकतम 150 रुपये सेवा शुल्क के तौर पर ले सकते हैं। इसकी देखरेख करने का काम राज्य सरकार का होगा।
कोविन वेबसाइट पर निजी कोविड-19 केंद्रों के अधिकतम मूल्य की जानकारी घोषित की जाएगी। वैक्सीन निर्माता के कीमतों में बदलाव करने पर यह दोबारा से घोषित की जाएंगी।
केंद्र सरकार आबादी, कोरोना संक्रमण और वैक्सीनेशन की प्रगति को आधार मानते हुए राज्यों को दी जाने वाली मुक्त वैक्सीन की संख्या निर्धारित करेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में जानकारी दी थी कि 21 जून से देशभर में मुफ्त टीकाकरण की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। केंद्र सरकार वैक्सीन उत्पादनकर्ताओं से खरीद कर उन्हें राज्यों को वितरित करेगी। वैक्सीन निर्माताओं को अपने उत्पादन का 25 प्रतिशत निजी अस्पतालों को बेचने का अधिकार होगा।
– बच्चों की पढ़ाई उसी स्कूल में जारी रहे, जिसमें वे पढ़ रहे थे
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना महामारी की वजह से अपने माता-पिता या दोनों में किसी एक को खोया है, उनकी पढ़ाई उस स्कूल में जारी रहे, जिस स्कूल में वे पढ़ रहे थे। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंगलवार को यह आदेश दिये।
सुप्रीम कोर्ट ने जिलों के डिस्ट्रिक चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट को निर्देश दिया है कि ऐसे बच्चों को भोजन, दवा, कपड़े, राशन आदि का बंदोबस्त सुनिश्चित करे।
सुप्रीम कोर्ट में दिए गए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के आंकड़े के मुताबिक 30,071 बच्चों ने कोरोना महामारी के काल में अपने माता-पिता में से दोनों को या इनमें से एक को खोया है। आयोग के मुताबिक इनमें 26,176 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने दोनों में से एक को खोया है।
पिछले 7 जून को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फंड से आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया तय की जा रही है। इस बाबत राज्यों से विचार-विमर्श भी चल रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से भी पूछा था कि उनके यहां ऐसे बच्चों की सहायता की क्या योजना है।
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