नई दिल्ली: विदेश से आने वाले यात्रियों को 14 फरवरी से सात दिनों के अनिवार्य पृथकवास पर नहीं रहना होगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को इस संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी किए। संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार हवाई अड्डे पर कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव दिखाने पर सात दिनों के अनिवार्य पृथकवास की आवश्यकता नहीं होगी।

इस संबंध में गुरुवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने जानकारी दी कि मंत्रालय ने विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं, इनका पूरी लगन से पालन करें, सुरक्षित रहें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश को मजबूत करें।

संशोधित दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अगर य़ात्रियों के पास पूर्ण टीकाकरण प्रमाण पत्र है तो उन्हें आरटी-पीसीआर की अनिवार्य 72 घंटे की रिपोर्ट दिखाना भी आवश्यकता नहीं होगा। ओमिक्रोन वैरिएंट से प्रभावित देशों से भी ‘एट रिस्क’ मार्किंग को भी हटा दिया है।

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन हाई कोर्ट के लिए 16 जजों की नियुक्ति की है। इसी के साथ राष्ट्रपति ने जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी को मद्रास हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया है।

आज जारी नोटिफिकेशन में राष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज के रूप में जिन सात नामों को नियुक्ति किया है, उनमें कोनाकांति श्रीनिवास रेड्डी ऊर्फ श्रीनिवास रेड्डी, गन्नामनेनी रामकृष्ण प्रसाद, वेंकटेश्वरुलु निम्मागड्डा, तारलादा राजशेखर राव, सत्ती सुभाष रेड्डी, रवि चीमालापति और वैदिबोयाना सुजाता शामिल हैं।

राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज के रूप में जिन सात नामों को नियुक्त किया है, उनमें मनिंदर सिंह भाटी, द्वारकाधीश बंसल, मिलिंद रमेश फड़के, अमरनाथ (केसरवानी), प्रकाश चंद्र गुप्ता और दिनेश कुमार पालीवाल शामिल हैं। राष्ट्रपति ने उड़ीसा हाई कोर्ट के जज के रूप में जिन सात नामों को नियुक्ति किया है, उनमें वी नारासिंह, बिराजा प्रसन्ना सतपथी और मुराहरि श्रीरमन शामिल हैं।

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– अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में इस बार बर्फबारी ने तोड़ा 34 साल पुराना रिकॉर्ड

– सेना के जवान चीन-पाकिस्तान सीमा के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों की शीत लहर में तैनात

नई दिल्ली: बर्फीले तूफान में 06 फरवरी की शाम से लापता सेना के गश्ती दल का अभी तक पता नहीं चल सका है। अरुणाचल प्रदेश के कामेंग जिले में हिमस्खलन के बाद फंसे सेना के 7 जवानों को तलाशने में मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश पुलिस की टीम भी जुट गई। 19 जेएके राइफल्स के जवानों को खोजने के लिए पहले से ही सेना ने बचाव कार्य चला रखा है और बचाव कार्यों में सहायता के लिए विशेष टीमों को एयरलिफ्ट किया गया है। हिमस्खलन के बाद जब सेना के इस गश्ती दल से संपर्क स्थापित नहीं हो सका तो फौरन एक एक्सपर्ट टीम क्विक रेस्पॉन्स के लिए मौके पर लगाई गई। उस टीम में शामिल विशेषज्ञ लापता जवानों की तलाश में जुटे हैं।

पश्चिम कामेंग जिले की पुलिस के मुताबिक यह घटना तवांग जिले के जंग पुलिस स्टेशन के तहत एलएसी के साथ जंगदा बस्ती से लगभग 35 किलोमीटर दूर के मैमी हट इलाके के पास हुई है। मंगलवार सुबह से पुलिस की एक टीम भी सेना के तलाशी अभियान में शामिल हो गई है। 6 फरवरी को मैमी हट के पास हिमस्खलन की चपेट में आने से 19 जेएके राइफल्स के सात सैन्यकर्मी फंस गए हैं। घटना के बाद सेना के अधिकारियों ने जंग थाने को सूचना दी थी लेकिन यह क्षेत्र बहुत दूर है और बर्फबारी के कारण सभी सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। इस बार डारिया हिल में बर्फबारी ने 34 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यहां इससे पहले 1988 में इतनी बर्फबारी हुई थी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा शहर में दो दशक बाद बर्फबारी हुई है।

तेजपुर स्थित रक्षा पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने कहा कि वर्तमान में खोज और बचाव अभियान जारी है। बचाव अभियान में सहायता के लिए विशेष टीमों को एयरलिफ्ट किया गया है। पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में भारी बर्फबारी के साथ खराब मौसम देखा जा रहा है। सर्दियों के महीनों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गश्त करना मुश्किल हो जाता है। सैन्य कर्मियों के साथ पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं। अरुणाचल प्रदेश के तवांग स्थित भारत-चीन की सीमा पर 21 दिसंबर को भारी बर्फबारी हुई थी जिसने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। हिमस्खलन के बाद जब सेना के इस गश्ती दल से संपर्क स्थापित नहीं हो सका तो फौरन एक एक्सपर्ट टीम क्विक रेस्पॉन्स के लिए मौके पर लगाई गई। उस टीम में शामिल विशेषज्ञ लापता जवानों की तलाश में जुटे हैं।

मई 2020 में सिक्किम में हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के दो जवानों की मौत हो चुकी है। पिछले साल अक्टूबर में उत्तराखंड की 7,120 मीटर ऊंची छोटी माउंट त्रिशूल पर चढ़ाई करने गए नौसेना के 20 सदस्यीय दल में से नौसेना के चार पर्वतारोही शहीद हो गए थे। इसी तरह 2019 में सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन के कारण सेना के छह जवानों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य जगहों पर इसी तरह की घटनाओं में 11 अन्य मारे गए थे। इन घटनाओं के बाद सरकार ने संसद में दिए बयान में कहा था कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों के कर्मियों को पहाड़ों के हिमाच्छादित इलाकों में जीवित रहने और हिमस्खलन जैसी किसी भी घटना का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाता है।

सेना ने यह भी कहा कि उच्च ऊंचाई पर तैनात जवान परिचालन चुनौतियों का सामना करने के लिए हाईटेक गैजेट्स, सर्विलांस ड्रोन, नाइट विजिल कैमरा, थर्मल इमेजिंग ट्रेसर, हेलीकॉप्टर, स्नो स्कूटर, हिमस्खलन डिटेक्टर का उपयोग करते हैं। सैनिकों को उच्च तकनीक वाले उपकरण प्रदान किए गए हैं जिसमें पाकिस्तान के साथ सीमा पर चरम स्थितियों से निपटने के लिए ट्रैकर और वर्दी शामिल हैं। भारतीय सेना के जवान चीन और पाकिस्तान की सीमा के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 5-10 फीट बर्फ और माइनस 5 से 20 डिग्री सेल्सियस तक की शीत लहर में तैनात हैं। भारतीय सेना के जवान कठोर मौसम और पहाड़ी इलाकों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) की रक्षा कर रहे हैं। सैनिकों को विशेष रूप से कम ऑक्सीजन के स्तर के साथ समुद्र तल से लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई पर कठोर मौसम की स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

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– सेना प्रमुख ने आर्टिलरी सम्मेलन में वरिष्ठ गनर अधिकारियों के साथ बातचीत की

– खुद को ताकतवर बनाने के लिए रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के प्रयासों को सराहा

नई दिल्ली: भारतीय सेना अब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में ऊंचाई वाले पहाड़ों पर के-9 वज्र तोप तैनात करने की योजना बना रही है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को हैदराबाद में द्विवार्षिक आर्टिलरी सम्मेलन के दौरान वरिष्ठ गनर अधिकारियों के साथ बातचीत की। उन्होंने ‘इन स्ट्राइड विद द फ्यूचर’ में खुद को ताकतवर बनाने के लिए रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के ठोस प्रयासों को सराहा।

भारतीय सेना उत्तराखंड और चीन के साथ सीमा साझा करने वाले देश के पूर्वोत्तर राज्यों में स्वदेशी के-9 वज्र हॉवित्जर तैनात करने की योजना बना रही है। भारतीय सेना दुर्गम पर्वतीय इलाकों में तैनात करने के लिए 200 के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों का ऑर्डर देने की तैयारी कर रही है। फिलहाल इन स्वदेशी तोपों की एक रेजिमेंट यानी 20 तोपें 12 से 16 हजार फीट ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ तैनात हैं। 38 किलोमीटर दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत दक्षिण कोरिया की कंपनी के सहयोग से 100 तोपों का निर्माण गुजरात के हजीरा प्लांट में किया है जिन्हें सेना को सौंपा जा चुका है।

चीन सीमा पर गोलाबारी के लिए सेना ने ऊंचाई वाले इलाके में पिछले साल पूरी रेजिमेंट तैनात करने से पहले परीक्षण के तौर पर कुछ तोपों को तैनात किया था। लद्दाख सेक्टर में हॉवित्जर का सफलतापूर्वक परीक्षण किए जाने के बाद 200 के-9 वज्र हॉवित्जर तोप खरीदने का निर्णय लिया गया है। 38 किलोमीटर से अधिक दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम इस स्वदेशी तोप ने सेना के तोपखाने को मजबूत किया है। भारत की विशिष्ट विशेषताओं के साथ तोप का वज्र संस्करण कठिन और विस्तारित फील्ड परीक्षणों के दौरान भारतीय सेना की जरूरतों के अनुरूप पूरी तरह से उभरा। लार्सन एंड टुब्रो ने कहा कि ‘के9 वज्र-टी’ सिस्टम के निर्माण में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।

रक्षा मंत्रालय ने 2017 में दक्षिण कोरिया की कंपनी हानवा टेकविन से के-9 वज्र-टी 55मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट (पांच रेजिमेंट) आपूर्ति के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का करार किया था। शुरुआती 100 तोपों का ऑर्डर मूल रूप से पंजाब के मैदानी इलाकों और अर्ध-रेगिस्तान के लिए था जिसमें पूरी तरह तैयार मिलीं 10 तोपों को नवम्बर, 2018 में सेना में शामिल किया गया था। बाकी 90 टैंक ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने सूरत के हजीरा प्लांट में तैयार किए हैं। फैक्टरी में तैयार किया गया 100वां टैंक एलएंडटी ने 18 फरवरी, 2021 को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा था।

सेना अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में ऊंचाई वाले पहाड़ों पर तैनाती के लिए अलग से 200 के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर का ऑर्डर करने की तैयारी कर रही है। लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने फाइलों को स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। भारतीय निजी क्षेत्र की रक्षा फर्म लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को दिया जाने वाला यह महत्वपूर्ण ऑर्डर अब तक का सबसे बड़ा होगा। यह ऑर्डर सेना के आधुनिकीकरण के साथ ही औद्योगिक रक्षा उद्योग को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए बूस्टर डोज भी साबित होगा।

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नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में थोड़ी और कमी आई है। मंगलवार सुबह तक पिछले 24 घंटों में कोरोना के 67 हजार 597 नए मरीज मिले। इस बीच कोरोना को मात देने वालों की संख्या एक लाख, 80 हजार, 456 रही। हालांकि, इस अवधि में 1188 संक्रमितों की मौत हो गई।

मंगलवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना से ठीक होने वालों की कुल संख्या चार करोड़, 08 लाख , 40 हजार, 658 है। इस दौरान रिकवरी रेट में सुधार के साथ यह बढ़कर 96.46 प्रतिशत हो गया है। देश में एक्टिव मरीजों की संख्या घटकर 09 लाख, 94 हजार 891 तक पहुंच गयी है। दैनिक संक्रमण दर 5.02 प्रतिशत है।

आईसीएमआर के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 13 लाख, 46 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए। अबतक कुल 74 करोड़, 29 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं।

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सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रखर हिमायतीः स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, कानूनविद्, शिक्षाविद्, लेखक और इतिहासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का भारत के नवनिर्माण में अहम स्थान है।

सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष रहे केएम मुंशी, संविधान सभा में ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य के साथ कई दूसरी उप समितियों के भी सदस्य रहे। 1938 में भारतीय विद्या भवन की स्थापना के लिए भी उनका स्मरण किया जाता है। उन्हें मुंबा देवी संस्कृति महाविद्यालय सहित कई दूसरे शिक्षण संस्थानों की स्थापना का श्रेय जाता है। वे कुलपति, राज्यपाल सहित कई महत्वपूर्ण समितियों के अध्यक्ष के रूप में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दीं। 08 फरवरी 1971 को उनका निधन हो गया।

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 29 दिसंबर 1887 में बांबे राज्य (आज गुजरात) में पैदा हुए केएम मुंशी का कहना था कि भारतीय संस्कृति कोई जड़ वस्तु नहीं, यह चिंतन का सतत प्रवाह है। वे मानते थे कि अपनी जड़ों को पकड़े रहना है, लेकिन बाहर की हवा का निषेध नहीं करना है।

केएम मुंशी बांबे से विधि स्नातक होने के बाद वकालत की और 1915 में गांधीजी से प्रभावित होकर आजादी के आंदोलन में सक्रिय हो गए। सविनय अवज्ञा आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन सहित महात्मा गांधी के दूसरे स्वतंत्रता कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कई माह जेल में रहे।

गुजराती और अंग्रेजी के अच्छे लेखक होने के बावजूद केएम मुंशी को हिंदी से खासा अनुराग था। राष्ट्रीय हितों के लिए वे हमेशा हिंदी के साथ मजबूती से खड़े रहे। उन्होंने हंस पत्रिका के संपादन में मुंशी प्रेमचंद का सहयोग किया। उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकें लिखीं जिसमें उपन्यास, कहानी, नाटक, इतिहास से संबंधित हैं। 1956 में उन्होंने अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की।

अन्य अहम घटनाएंः

1897ः पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म।

1925ः सुप्रसिद्ध ठुमरी गायिका शोभा गुर्टू का जन्म।

1939ः पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेम्स माइकल लिंगदोह का जन्म।

1941ः मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह का जन्म।

1951ः हिंदी के मंचीय कवि अशोक चक्रधर का जन्म।

1963ः भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का जन्म।

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कोरोना काल के बाद विश्व एक नई व्यवस्था की तरफ बहुत तेजी से बढ़ रहा है। ‘एक भारत’ के रूप में हमें इस अवसर को जरूर भुनाना चाहिए। भारत को एक लीडरशिप की भूमिका के लिए खुद को कम नहीं आंकना चाहिए।

लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चली चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव ‘यह सोचने का सही समय है कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक नेतृत्व की भूमिका कैसे निभा सकता है। यह भी उतना ही सच है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने विकास के कई कदम उठाए हैं।

प्रधानमंत्री ने चर्चा का जवाब देने की शुरूआत से पहले भारत रत्न स्व. लता मंगेशकर को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि लता दीदी ने अपने संगीत के माध्यम से देश को एक करने का काम किया।

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि दलीय भावना और राजनीति के कारण कुछ लोग देश और राष्ट्रीय हितों की अवहेलना कर देश में विभाजन पैदा करने का कुचक्र रच रहे हैं, जिसका खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरा होने के अमृत काल में पूरे देश को एकजुट रहकर सामूहिक प्रयासों से चुनौतियों का सामना करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य है कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता देश की विकास यात्रा और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी आज देश में अंग्रेजों की नीति का अनुसरण करते हुए फूट डालो और राज करो के रवैए पर चल रही है। लगता है कि कांग्रेस ने तय कर लिया है कि उसे अगले 100 साल तक सत्ता में नहीं आना है।

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी टुकड़े-टुकड़े गैंग की सरगना बन गई है। इससे प्रतीत होता है कि विभाजनकारी राजनीति उसके डीएनए (गुणसूत्र) का हिस्सा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में अपने लम्बे संबोधन में कोरोना महामारी के संकट तथा उससे उबरने के लिए देशवासियों के सफल प्रयास, किसानों के परिश्रम से रिकॉर्ड कृषि उत्पादन, युवाओं की उद्यमशीलता से देश में स्टार्टअप के विस्तार और औद्योगिक उत्पादन एवं निवेश में बढ़ोतरी की उपलब्धियों को गिनाया।

प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद में सदन ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर दिया।

मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का आरंभ करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कथनों का सिलसिलेवार खंडन किया। हालांकि उन्होंने एक बार भी राहुल का नाम नहीं लिया। मोदी ने एक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करने के लिए विष्णु पुराण के हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए श्लोक को उद्धृत किया। विष्णु पुराण में कहा गया है कि समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण जो भूभाग है, उसे भारत कहते हैं तथा उसकी सन्तान भारती कहलाती है।

मोदी ने इस संबंध में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पुस्तक भारत की खोज का भी हवाला दिया, जिसमें पंडित नेहरू ने एक राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख किया था।

मोदी ने कांग्रेस पर विघटनकारी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी की सत्ता में आने की इच्छाशक्ति खत्म हो गई है। यही कारण है कि वह इस नीति पर चल रही है कि जब कुछ मिलने वाला नहीं है तो कम से कम काम तो बिगाड़ दो। उन्होंने कहा कि अंग्रेज चले गए लेकिन उनकी फूट करो और राज करो की नीति को कांग्रेस ने अपना चरित्र बना लिया है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता जमीनी हकीकत और जड़ों से कटे हुए लोग हैं। यदि कोई उन्हें सच्चाई का आईना दिखाते हैं तो वह आईना ही तोड़ देने पर आमादा हो जाते हैं। मोदी ने इस कथन के संबंध में एक शेर कहा, “वो जब दिन को रात कहें, तो तुरंत मान जाओ। नहीं मानोगे तो वो दिन में नकाब ओढ़ लेंगे। जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे, वो मगरूर हैं खुद की समझ पर बेइंतहा, इन्हें आईना मत दिखाओ, वो आईने को भी तोड़ देंगे।”

मोदी ने कहा कि कुछ लोग की सुई वर्ष 2014 के कालखंड के समय पर ही अटकी हुई है। ऐसे लोग सैकड़ों वर्ष की गुलामी के कालखंड और उसकी मानसिकता से आजादी के 75 साल बाद भी उबर नहीं पाये हैं। यह गुलामी की मानसिकता किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए बहुत बड़ा संकट है।

कांग्रेस नेताओं की विशेषाधिकार पर आधारित जीवनशैली पर प्रहार करते हुए मोदी ने कहा कि इतने वर्षों तक देश पर राज करने वाले और महलों जैसे घरों में रहने वाले लोग आम देशवासियों, विशेषकर छोटे किसानों के कल्याण की बात भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के लिए छोटे किसानों को सशक्त बनाना एक अनिवार्य शर्त है। उनकी सरकार की प्राथमिकता छोटे किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करना है।

प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी से सफलतापूर्वक उबरने के लिए देश के सामूहिक प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं ने इसके खिलाफ लड़ाई को भी कमजोर बनाने की कोशिश की। कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान स्वास्थ्य चेतावनी की अवहेलना करते हुए प्रवासी मजदूरों को महाराष्ट्र और दिल्ली से अपने घरों को लौटने के लिए उकसाया गया। इससे अफरातफरी की स्थिति पैदा हुई ।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने में सहायता करने की बजाय कांग्रेस पार्टी और उसके समर्थक बुद्धिजीवियों और मीडिया के एक वर्ग ने दुनिया में भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री ने राहुल का नाम लिये बिना कहा कि कुछ नेता मेक इन इंडिया अभियान का भी मजाक और उपहास कर रहे हैं। राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने देश को स्वदेशी का मंत्र दिया था। राष्ट्रपिता की विरासत पर दावा करने वाली कांग्रेस आज उन्हीं के विचारों का अनादर कर रही है।

मोदी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नेहरू के कई कथनों का भी हवाला देकर कांग्रेस नेताओं की आलोचना का उत्तर दिया। मोदी ने कहा कि पंडित नेहरू ने लाल किले से कहा था कि कोरिया और अमेरिका जैसे देशों के घटनाक्रम से अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है तथा महंगाई का संकट पैदा होता है। मोदी ने कांग्रेस सरकारों पर देश की रक्षा सेनाओं की आवश्यकताओं को नजर अंदाज करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद से मामलों को वर्षों तक लटकाये रखा जाता था। जब तक उनपर फैसला करने की बारी आती थी, तब तक रक्षा प्रौद्योगिकी पुरानी हो जाती थी। उन्होंने कहा, “यदि हम रक्षा क्षेत्र को देखें तो सारी बातें समझ आती हैं, वह क्या करते थे, कैसे करते थे, क्यों करते थे और किसके लिए करते थे।” हमारी सरकार ने रक्षा खरीद की सारी प्रक्रियाओं को आसान बनाया है।

मोदी ने अपने संबोधन में उत्तर प्रदेश की विभिन्न विकास परियोजनाओं मे हुई देरी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किस प्रकार पुरानी योजनाओं को लम्बे अंतराल के बाद शुरू किया गया है।

मोदी ने कहा कि देश में अनेक ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने पिछले तीन चार दशकों से कांग्रेस पार्टी को सत्ता में आने का मौका नहीं दिया है। इसमें नगालैंड, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, गोवा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार शामिल हैं।

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने रविवार को भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर दो दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।इस दौरान उनके सम्मान में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

लता मंगेशकर के सम्मान में पूरे देश में 6 और 7 फरवरी को राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। लता मंगेशकर का आज 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 8 जनवरी को उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। राजकीय सम्मान के साथ आज शाम मुंबई के शिवाजी पार्क में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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Mumbai: स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में आज सुबह 8:12 मिनट पर निधन हो गया.

लता मंगेशकर के निधन की जानकारी देते हुए ब्रीच कैंडी अस्पताल, मुंबई के चिकित्सक डॉ. प्रतीत समदानी ने बताया कि  उनके शरीर के कई अंग खराब हो गए थे। उनका इलाज काफी दिनों से अस्पताल में चल रहा था. आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. 

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियां लता दीदी को भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी। प्रधानमंत्री ने उनके परिजनों से फोन पर बात करके भी अपनी संवेदना व्यक्त की।

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रसिद्ध गायिका के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें साझा करते हुए सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, “मैं शब्दों से परे पीड़ा में हूं। दयालु और देखभाल करने वाली लता दीदी हमें छोड़कर चली गई हैं। वह हमारे देश में एक खालीपन छोड़ गई हैं जिसे भरा नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी।”

उन्होंने कहा, “लता दीदी के गानों ने कई तरह के इमोशन्स को उभारा। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा। फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थी।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं इसे अपना सम्मान मानता हूं कि मुझे हमेशा लता दीदी से अपार स्नेह मिला है। उनके साथ मेरी बातचीत अविस्मरणीय रहेगी। लता दीदी के निधन पर मुझे अपने साथी भारतीयों के साथ शोक है। उनके परिवार से बात की और संवेदना व्यक्त की। ओम शांति।”

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नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग में कारगर टीकाकरण अभियान के तहत देश में 24 घंटों में करीब 47 लाख टीके लगाए गए। इसके साथ देश में अबतक 168 करोड़, 98 लाख टीके लगाए जा चुके हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शनिवार सुबह तक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 166 करोड़, 17 लाख टीके की खुराक नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा चुकी है। राज्यों के पास अभी भी टीके की 11.02 करोड़ खुराक मौजूद है।

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