– एचएएल ने आर्मी एविएशन के महानिदेशक को सौंपा पहला एलसीएच

– वायु सेना 03 अक्टूबर को जोधपुर में शुरू करेगी पहली एलसीएच स्क्वाड्रन

नई दिल्ली: स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को गुरुवार को भारतीय सेना में शामिल किया गया है। पहला एलसीएच आज औपचारिक रूप से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने सेना उड्डयन कोर के महानिदेशक को सौंप दिया। वायु सेना भी एलसीएच की तैनाती पाकिस्तान सीमा पर राजस्थान के जोधपुर में 03 अक्टूबर को करने जा रही है। अत्यधिक युद्धाभ्यास और फुर्तीला एलसीएच युद्धक क्षमता में काफी इजाफा करेगा।

सेना की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि एचएएल ने देश में निर्मित स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर आज भारतीय सेना को सौंप दिया है। एचएएल ने पहले स्वदेशी एलसीएच के कागजात औपचारिक रूप से सेना उड्डयन कोर के महानिदेशक को सौंपे। सेना इसकी तैनाती कहां तैनात करेगी, इसका खुलासा फिलहाल नहीं किया गया है। हालांकि, भारतीय सेना ने कुछ महीनों पहले बेंगलुरु में एलसीएच की एक स्क्वाड्रन बनाई थी, जिसे बाद में चीन की सीमा के पास मौजूद एयरबेस पर भी तैनात किये जाने की तैयारी है। सेना 95 एलसीएच और खरीदेगी, जिनकी सात यूनिट्स अलग-अलग पहाड़ी इलाकों पर बनाई जाएगी।

एलसीएच दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है, जो हथियारों और ईंधन के काफी भार के साथ 5,000 मीटर (16,400 फीट) की ऊंचाई पर लैंडिंग और टेक ऑफ कर सकता है। यह हेलीकॉप्टर 20 एमएम बुर्ज गन, 70 एमएम रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम, एयर टू ग्राउंड और एयर टू एयर लॉन्चिंग मिसाइल सिस्टम से लैस है। एलसीएच दो इंजन वाला 5-8 टन वर्ग का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है। एलसीएच में दो लोग बैठ सकते हैं। यह 51.10 फीट लंबा और 15.5 फीट ऊंचा है। पूरे साजो-सामान के साथ इसका वजन 5800 किलो रहता है। यह 700 किलोग्राम वजन के हथियार लेकर अधिकतम 268 किमी. प्रतिघंटा की गति से उड़ सकता है। इसकी रेंज 550 किलोमीटर है और एक बार में यह लगातार 3 घंटे 10 मिनट उड़ सकता है। अधिकतम 6500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है।

एलसीएच में प्रभावी लड़ाकू भूमिकाओं के लिए उन्नत तकनीकों और साइलेंट फीचर को शामिल किया गया है। इसे दुश्मन की वायु रक्षा, काउंटर विद्रोह, खोज और बचाव, टैंक विरोधी, काउंटर सर्फेस फोर्स ऑपरेशंस इत्यादि जैसी भूमिकाओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व’ के मौके पर पिछले साल 19 नवम्बर को भारतीय वायु सेना के प्रमुख वीआर चौधरी को हल्के वजन वाले लड़ाकू हेलीकॉप्टर का मॉडल सौंपा था।

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अहमदाबाद/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने गुरुवार की शाम अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में आयोजित भव्य उद्घाटन समारोह में 36वें राष्ट्रीय खेल के शुभारंभ की घोषणा की। इस अवसर पर खिलाड़ियों को प्रतिबद्धता और निरंतरता का मंत्र देते हुए प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि खिलाड़ियों को खेलों में मिली जीत देश को जश्न का मौका देगी और भविष्य के बारे में विश्वास जगाएगी।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय खेल में भाग लेने वाले देशभर के एथलीटों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी देश की प्रगति और सम्मान का सीधा संबंध खेलों में मिली सफलता से होता है। राष्ट्र को नेतृत्व युवा देते हैं और उनकी ऊर्जा और जीवन निर्माण का प्रमुख स्रोत खेल होते हैं। विकास में आगे देश मेडल लिस्ट में भी टॉप पर होते हैं। खेल के मैदान में खिलाड़ियों की जीत, उनका दमदार प्रदर्शन, अन्य क्षेत्रों में देश की जीत का भी रास्ता बनाता है। स्पोर्ट्स की सॉफ्ट पावर, देश की पहचान को, देश की छवि को कई गुना ज्यादा बेहतर बना देती है।

36वें राष्ट्रीय खेल के शुभारंभ की घोषणा से पूर्व अपने संबोधन की शुरूआत में प्रधानमंत्री ने कहा, “विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम, विश्व का इतना युवा देश और देश का सबसे बड़ा खेल उत्सव। जब आयोजन इतना अद्भुत और अद्वितीय हो, तो उसकी ऊर्जा ऐसी ही असाधारण होगी।”

भारत की खेल के क्षेत्र में होती प्रगति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 8 साल पहले तक भारत के खिलाड़ी सौ से भी कम इंटरनेशनल इवेंट्स में हिस्सा लेते थे। अब भारत के खिलाड़ी 300 से भी ज्यादा इंटरनेशनल इवेंट्स में शामिल होते हैं। 8 साल पहले भारत के खिलाड़ी 20-25 खेलों को खेलने ही जाते थे। अब भारत के खिलाड़ी करीब 40 अलग-अलग खेलों में हिस्सा लेने जाते हैं। अब देश के प्रयास और उत्साह केवल एक खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि ‘कलारीपयट्टू’ और योगासन जैसे भारतीय खेलों को भी महत्व मिल रहा है। उन्हें खुशी है कि इन खेलों को नेशनल गेम्स जैसे बड़े आयोजनों में शामिल किया गया है।

पूर्ववर्ती सरकारों के परिवारवाद और निष्क्रियता पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने स्पोर्ट्स स्पिरिट के साथ स्पोर्ट्स के लिए काम किया। टॉप्स जैसी योजनाओं के जरिए वर्षों तक मिशन मोड में तैयारी की। आज बड़े-बड़े खिलाड़ियों की सफलता से लेकर नए खिलाड़ियों के भविष्य निर्माण तक, टॉप्स एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। आज फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे प्रयास एक जन-आंदोलन बन गए हैं। इसीलिए, आज खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा संसाधन भी दिए जा रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा अवसर भी मिल रहे हैं। पिछले 8 वर्षों में देश का खेल बजट करीब 70 प्रतिशत बढ़ा है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी सरकार ने खिलाड़ियों का मनोबल कम नहीं होने दिया। सभी को जरूरी संसाधन दिए और विदेश भी भेजा। साथ ही उन्होंने कहा कि अब खिलाड़ियों के रिटायर होने पर भी उनका ख्याल रखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री खिलाड़ियों से आग्रह किया कि वे नवरात्रि के पावन अवसर इससे जुड़े आयोजनों में भाग लें। उन्होंने कहा कि गुजरात में माँ दुर्गा की उपासना से लेकर गरबा तक, यहाँ की अपनी अलग ही पहचान है। जो खिलाड़ी दूसरे राज्यों से आए हैं, उनसे मैं कहूंगा कि खेल के साथ ही यहां नवरात्रि आयोजन का भी आनंद जरूर लीजिये।

राज्य की खेल सुविधाओं पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में फुटबाल, हॉकी, बास्केटबॉल, कबड्डी, बॉक्सिंग और लॉन टेनिस जैसे अनेकों खेलों की सुविधा एक साथ उपलब्ध है। ये एक तरह से पूरे देश के लिए एक मॉडल है।

आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री ने देसर में विश्वस्तरीय ‘स्वर्णिम गुजरात खेल विश्वविद्यालय’ का भी उद्घाटन किया। इस ऐतिहासिक परियोजना से देश के खेल शिक्षा परिदृश्य के बदलने की उम्मीद है। 130 एकड़ में 108 करोड़ के खर्च से बना यह विश्वविद्यालय सभी आधुनिक सुविधाओं से संपन्न है।

इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेश पटेल ने देशभर के हर नागरिक और खिलाड़ियों का राज्य में स्वागत करते हुए कहा कि पहले राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में सालों का वक्त लगता था लेकिन इन खेलों का आयोजन में महज तीन महीनों में किया गया है। उन्हें आशा है कि यह खेल प्रत्येक प्रतिभागी में नई ऊर्जा का संचार करेंगे।

इस अवसर पर केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश पटेल और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम से पहले उद्घाटन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मोहक प्रस्तुति की गई।

उल्लेखनीय है कि गुजरात राज्य में पहली बार राष्ट्रीय खेल का आयोजन हो रहा है। यह 29 सितंबर से 12 अक्टूबर, 2022 तक आयोजित किया जाएगा। देश भर के लगभग 15,000 खिलाड़ी, कोच और अधिकारी विभिन्न प्रकार के 36 खेलों में भाग लेंगे, जिससे यह अब तक का सबसे बड़ा राष्ट्रीय खेल बन जाएगा।

खेल आयोजन अहमदाबाद, गांधीनगर, सूरत, वडोदरा, राजकोट और भावनगर के छह शहरों में आयोजित किए जाएंगे। तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ एक सशक्त आधारभूत खेल सुविधा स्थापित करने की यात्रा शुरू की, जिससे राज्य को बहुत कम समय में खेलों की तैयारी करने में मदद मिली।

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उधमपुर/कटरा: शारदीय नवरात्रि के प्रथम चार दिन में करीब 1.45 लाख श्रद्धालुओं ने मां वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी लगाकर मां का आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं। अनुमान है कि इन नवरात्रि में करीब 3 लाख श्रद्धालु मां के समक्ष हाजिरी लगाएंगे।

गुरुवार को यात्री पंजीकरण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार पहले नवरात्रि पर 42 हजार श्रद्धालुओं ने वैष्णो देवी भवन पर नमन किया। जबकि दूसरे नवरात्रि पर 38,216 श्रद्धालुओं ने वैष्णो देवी दरबार पहुंचे। बुधवार को तीसरे नवरात्रि पर 34,115 श्रद्धालुओं और गुरुवार को समाचार लिखे जाने तक लगभग 32 हजार श्रद्धालु ने आरएफईडी यात्रा पर्ची लेकर मां भगवती की प्राकृतिक पिंडियों के दर्शन के लिए रवाना हुए।

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NewDelhi:  केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने आज चौथे राष्ट्रीय युवा पुलिस अधीक्षक सम्मेलन और पुलिस एक्सपो के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर BPR&D (पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो) के महानिदेशक और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के महानिदेशक/महानिरीक्षक/उप महानिरीक्षक, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) और केंद्रीय पुलिस संगठनों (CPOs) के महानिरीक्षक/उप महानिरीक्षक, युवा पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के सम्मेलन के लिए बीपीआरएंडडी द्वारा चुना गया विषय ‘साइबर अपराध- प्रबंधन, ड्रोन एवं काउंटर ड्रोन में नवाचार और अनुसंधान’ आज के समय में बहुत ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि बीपीआरएंडडी अपनी स्थापना के समय से उत्तम कार्यप्रणालियों और मानकों के प्रोत्साहन द्वारा हर उस क्षेत्र के विकास में शामिल रहा है, जहां देश की पुलिस की क्षमता निर्माण, प्रशासनिक एवं सुधारात्मक सुधार, आधुनिकीकरण और उन्नयन की आवश्यकता है। बीपीआरएंडडी ने राष्ट्र की सेवा में 52 साल की लंबी यात्रा पूरी की है और ब्यूरो देशभर में शांति, सद्भाव सुनिश्चित करने और कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने तथा भारतीय पुलिस के हर कदम का मार्गदर्शन एवं संवर्धन करने के लिए अनुकरणीय कार्य कर रहा है।

श्री नित्यानंद राय ने कहा कि लोक प्रशासन में पुलिस सबसे अहम हिस्सा है, जो सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। पुलिस राष्ट्र की शांति और सद्भाव की प्रहरी है, जिसकी किसी भी राष्ट्र और उसके नागरिकों को सबसे अधिक आवश्यकता होती है और देश में एक सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता होती है, जो पुलिस ही प्रदान करती है और इस तरह पुलिस देश के विकास यात्रा का एक अनिवार्य अंग है। उन्होंने कहा कि हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियां दो मोर्चों पर परिवर्तन देख रही हैं, पहला, दिन-प्रतिदिन नई आपराधिक चुनौतियों को हल करने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाना, अपराध पैटर्न की बेहतर पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि का उपयोग करना, और दूसरा, तेजी से बदलते अपराध पैटर्न और उनके तौर-तरीके को समझना और कड़ी कार्यवाही करना। श्री राय ने कहा कि अपराधी इस तकनीकी क्रांति का अधिक तेजी से दुरूपयोग करके हमारे सामने गंभीर खतरों और चुनौतियों को खड़ा कर रहे हैं, जिन पर हमें तत्काल ध्यान देने और नागरिकों और बुनियादी ढांचों की रक्षा के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को हमेशा विरोधियों से आगे रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि साइबर हमले, रैंसम-वेयर हमले, पहचान उजागर होना और बुनियादी ढांचों का प्रभावित होना आदि साइबर सुरक्षा डोमेन में होने वाले अपराध पैटर्न की कुछ प्रमुख श्रेणियां हैं।

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लगातार तीसरी बार समाजवादी पार्टी (सपा) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने पार्टी के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन गुरुवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अखिलेश के निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा की। अध्यक्ष पद के चुनाव में अखिलेश के अलावा किसी अन्य नेता के नाम का प्रस्ताव नहीं आया था।

लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर स्टेडियम में आयोजित सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन का गुरुवार को अंतिम दिन है। लगातार तीसरी बार अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश ने पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के प्रति आभार जताया। अखिलेश ने सत्ताधारी भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि यह जिम्मेदारी आप सब ने तब दी है, जब देश के लोकतंत्र और संविधान को खतरा है।

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– हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल रावत की मौत के बाद से खाली था सैन्य बलों के प्रमुख का यह पद
– भारत सरकार के मिलिट्री ऑफ अफेयर्स के सचिव का भी पद संभालेंगे लेफ्टिनेंट जनरल चौहान

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लगभग 10 माह बाद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को देश का अगला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया है। वह भारत सरकार के मिलिट्री ऑफ अफेयर्स के सचिव का भी पद संभालेंगे। केंद्र सरकार ने अनिल चौहान की नियुक्ति के बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। चौहान 30 सितंबर को अपना पद भार संभालेंगे। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद से सैन्य बलों के प्रमुख का यह पद खाली था।

देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का पिछले साल 08 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद केंद्र सरकार ने खाली पड़े इस पद पर नियुक्ति के लिए रक्षा बलों के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। रक्षा मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि 62 वर्ष से कम आयु का कोई भी सेवारत या सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद के लिए पात्र होंगे। इसीलिए नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार सेवारत और सेवानिवृत्त, दोनों तरह के सैन्य अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही थी।

पिछले साल दिसंबर में पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हवाई दुर्घटना में निधन के बाद 10 माह तक चले मंथन के बाद आखिरकार आज देश को दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) मिला गया। केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के नाम पर मुहर लगा दी। वह सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। सीडीएस की नियुक्ति सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के तौर पर होती है, जो वर्तमान में अतिरिक्त सचिव रैंक के तहत काम करता है। सीडीएस एकीकृत डिफेंस स्टाफ का अध्यक्ष भी होता है। सरकार ने सीडीएस को रक्षा कार्यक्रमों में ‘मेक इन इंडिया’ का प्रभारी भी बनाया है।

लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने सेना की उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली। इसके बाद सितंबर, 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई 2021 में सेवा से अपनी सेवानिवृत्ति तक पदभार संभाला। इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया था। सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।

सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में उन्हें जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक अनुभव है। 18 मई, 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं।

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उत्तर रेलवे मुरादाबाद रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (कोचिंग) सुधीर सिंह ने बताया कि गोरखपुर-अमृतसर-गोरखपुर के बीच साप्ताहिक फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन (अप-डाउन) 14 अक्टूबर से 11 नवम्बर के बीच चलाई जाएगी। इसके साथ छपरा-देहली-छपरा के बीच सप्ताह में दो बाद फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन (अप-डाउन) 3 अक्टूबर 10 नवम्बर के बीच चलाई जाएगी।

गोरखपुर-अमृतसर के बीच चलने वाली रेलगाड़ी संख्या 05005 फेस्टिवल स्पेशल साप्ताहिक ट्रेन 14 अक्टूबर शुक्रवार को गोरखपुर दोपहर से 2 बजकर 40 मिनट पर चलेगी और उसी दिन रात्रि 12 बजकर 45 मिनट मुरादाबाद पहुंचेगी और अगले दिन सुबह साढ़े नौ बजे अमृतसर पहुंचेगी। रेलगाड़ी संख्या 05006 फेस्टिवल स्पेशल साप्ताहिक ट्रेन 15 अक्टूबर शनिवार को अमृतसर से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर चलेगी और उसी दिन रात्रि में 9 बजकर 45 मिनट पर मुरादाबाद पहुंचेगी और अगले दिन सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर गोरखपुर पहुंचेगी।

छपरा-दिल्ली के बीच सप्ताह में दो बार चलने वाली रेलगाड़ी संख्या 05315 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन 3 अक्टूबर सोमवार को छपरा से सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर चलेगी और अगले दिन सुबह 7 बजकर 55 मिनट पर मुरादाबाद पहुंचेगी। उसी दिन सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर दिल्ली जंक्शन पहुंचेगी। यह रेलगाड़ी सप्ताह में दो बार सोमवार और गुरुवार को छपरा से चलेगी। दिल्ली-छपरा के बीच सप्ताह में दो बार चलने वाली रेलगाड़ी संख्या 05315 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन 4 अक्टूबर मंगलवार को देहली जंक्शन से दोपहर 2 बजे चलेगी और उसी दिन शाम 5 बजकर 10 मिनट पर मुरादाबाद पहुंचेगी। अगले दिन दोपहर में 1 बजकर 20 मिनट पर छपरा पहुंचेगी। यह रेलगाड़ी सप्ताह में दो बार मंगलवार और शुक्रवार को छपरा से चलेगी।

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हरिद्वार: सारण सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी की माता का देहांत हो गया। वो 88 वर्ष की थी। पिछले कई दिनों से वह अस्वस्थ चल रही थी और दिल्ली के अस्पताल में चिकित्सारत थी। वह सांसद रुडी के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर ही उनके साथ रहती थी और इलाजरत थी।

उन्होंने 25 सितम्बर (रविवार) को अस्पताल में ही सुबह के 11.59 बजे अंतिम सांस ली। निधन की खबर लगते ही दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए कई गणमान्य लोग आये जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, बिहार सरकार में मंत्री संजय झा, पूर्व सांसद संदीप दिक्षित भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयन्त पाण्डा, राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, सांसद रामेश्वर डूडी, सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह, सांसद अनुभव मोहन्ती, केसी त्यागी, डी राजा, हनन मौला, मधु गौड़ याक्षी, ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की।

इस दौरान बिहार के राज्यपाल फागु सिंह चौहान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनविस समेत कई राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों ने भी दूरभाष पर रूडी से बात कर उन्हें सांत्वना दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी रूडी की माता जी के दाह संस्कार मर हरिद्वार पहुंचे।

हरिद्वार में कनखल घाट पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने स्वयं उपस्थित हो पूरे विधि विधान से दाह संस्कार करवाया। इस दौरान कई अन्य साधू संत भी उपस्थित हुए।

इस संदर्भ में श्री रुडी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रभा सिंह जी अत्यंत ही धर्मपरायण महिला थी। हर वर्ष कई पर्व त्यौहार करती थी जिसमें प्रमुखता से छठ व्रत था। वह हरिहर आश्रम, हरिद्वार के भारत माता मंदिर – समन्वय सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित प्रभु प्रेमी संघ चैरिटेबल ट्रस्ट की वरिष्ठ साधिका भी थी और जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज के आश्रम में नियमित आती-जाती रहती थी। स्वामी जी भी उनको अपनी माता समान ही मानते थे। यही कारण है कि उनकी अस्वस्थता की जानकारी मिलते ही पर दुरभाष से बातचीत कर उनके स्वास्थ्य की पल-पल की जानकारी लेते रहे।

मिली सूचना के अनुसार रूडी के पिता का देहांत तभी हो गया था जब रुडी मात्र 7 वर्ष के थे। तीन पुत्र और दो पुत्रियों का पालन-पोषण की जिम्मेदारी माता प्रभा सिंह के कंधो पर आ गया लेकिन वह अपने कर्तव्यपथ से विमुख नहीं हुई। पिता की तरह अनुशासन और माता का लाड़-प्यार उन्होंने बच्चों को दिया। सभी सुशिक्षित और देश की प्रगति में योगदान देने वाले है। उनकी इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में हो। सोमवार को हरिद्वार में ही उनका अंतिम संस्कार हुआ। प्रभा सिंह जी अपने पिछे पांच पुत्र-पुत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ कर गई है जिसमे बड़े पुत्र रणधीर प्रताप सिंह, पुत्री चित्रा सिंह, रेखा सिंह, पुत्र सुधीर प्रताप सिंह और सबसे छोटे पुत्र राजीव प्रताप रुडी है।

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सीमांचल में गृहमंत्री अमित शाह की जनभावना रैली, नीतीश और लालू पर साधा निशाना

Purniya: गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्णिया में जन भावना सभा को संबोधित करते हुए बड़ा ऐलान कर दिया. गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि 2024 में बीजेपी की सरकार बनने पर बिहार को देश का सबसे विकसित राज्य बनाएंगे. बिहार के युवाओं में मेहनत करने का जोश है मगर बिहार आज तक विकसित नहीं हुआ.

आज जहां जहां बीजेपी की पूर्ण सरकार है वहां देखकर आईए वहां क्या स्थिति है. आपने भाजपा को हमेशा वोट दिया लेकिन लंगड़ी सरकार बनाई. एक बार भाजपा को पूर्ण बहुमत दे दीजिए हम बिहार को देश का सबसे विकसित राज्य बनाएंगे.

पूर्णिया में जन भावना सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आगाह करते हुए कहा कि वो नीतीश कुमार से बचके रहे नहीं तो कल वो उन्हें भी छोड़ देंगे और कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ जाएंगे. क्योंकि नीतीश बाबू की यह पुरानी आदत है. यह कोई नहीं बात नहीं है इससे पहले भी नीतीश ने कई लोगों के साथ ऐसा किया है.

अपने दो दिवसीय सीमांचल दौरे के दौरान अमित शाह शुक्रवार को पूर्णिया पहुंचे. जहां जन भावना सभा को उन्होंने संबोधित किया. इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उन्होंने जमकर हमला बोला. उनके निशाने पर नीतीश और लालू प्रसाद थे.

उन्होंने कहा कि मेरे बिहार आने से लालू और नीतीश की जोड़ी को पेट में दर्द हो रहा है वे कह रहे हैं कि अमित शाह झगड़ा लगाने आए हैं. जबकि झगड़ा लगाने का काम मेरा नहीं लालू यादव का है.

नीतीश पर हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि नीतीश जी ने कभी राजद के पीठ में खंजर घोंपा था आज बीजेपी के पीठ में छूरा घोंप लालू के गोद में जा बैठे है. जबसे बिहार में इन दोनों भाईयों के नेतृत्व में सरकार बनी बिहार में डर और भय का माहौल बना हुआ है. हालांकि सीमांचल हिन्दुस्तान का हिस्सा है किसी को डरने की जरूरत नहीं है.

नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री है. इसलिए डरने की कोई जररूत नहीं है. भाजपा को धोखा देकर लालू की गोद में बैठकर सत्ता का मजा नीतीश कुमार ले रहे हैं. नीतीश बाबू कान खोलकर सुन लीजिए आपने अपने राजनीतिक करियर में सबके साथ यही किया सभी को आपने धोखा दिया. लालू जी आप भी याद रखिएगा की कल के डेट में आपको भी छोड़कर नीतीश कुमार कांग्रेस का दामन थाम लेंगे. नीतीश ने जार्ज फर्नांडिश के साथ भी धोखा किया. शरद यादव के साथ भी धोखा किया जिसके बाद बीजेपी, जीतन राम मांझी और रामविलास पासवान को धोखा दिया.

अब बीजेपी को धोखा देकर लालू के पास चले गये. लालू नीतीश दोनों को कहना चाहता हूं आप जो दल बदल कर रहे हैं यह धोखा बिहार की जनता और जनादेश के साथ धोखा है. जनता ने लालू के साथ जाने के लिए वोट नहीं दिया था. सीमावर्ती जिले में एक आशंका बनी हुई है. मैं कहता हूं कि कोई डरियेगा नहीं मोदी जी की सरकार है डरने का नहीं.

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ऑटो ड्राइवर की लग गई 25 करोड़ की लॉटरी, टैक्स काटकर मिलेगी इतनी रकम

Desk: कहते है किस्मत में जो लिखा रहता है वह होकर ही रहता है, समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नही मिलता. किस्मत पर भरोसा करने वाले कई लोगों को छप्पर फाड़कर बंपर जीत भी मिलती है.

रविवार को केरल के एक ऑटो ड्राइवर के साथ किस्मत ने ऐसा ही सुखद संयोग बनाया है. इस ऑटो ड्राइवर ने पिछले सप्ताह शनिवार को लॉटरी का एक टिकट खरीदा. तब उसे भी शायद पता हो कि यह लॉटरी टिकट उसकी किस्मत को बदलने वाला है. अगले दिन यानी रविवार को जब लॉटरी जीतने वालों के नाम का ऐलान हुआ तो उसमें इस ऑटो ड्राइवर का भी नाम शामिल था. यह जानकर आप भी हैरान हो सकते हैं कि ऑटो ड्राइवर को लॉटरी में कोई छोटी-मोटी रकम नहीं बल्कि सीधे 25 करोड़ रुपये की जीत मिली.

केरल स्टेट लॉटरी डिपार्टमेंट ने ओनम बंपर 2022 का रिजल्ट रविवार को दोपहर के 02 बजे जारी किया. ओनम बंपर 2022 का पहला पुरस्कार 25 करोड़ रुपये का था.

यह पुरस्कार मिला तिरुवंनतपुरम के श्रीवराहम के एक ऑटो ड्राइवर अनूप को. अनूप फिलहाल ऑटोरिक्शा चलाकर आजीविका कमा रहे थे. इससे पहले उन्होंने एक होटल में शेफ का काम किया था.

अनूप ने शनिवार की रात को भगवती एजेंसी से लॉटरी का टिकट खरीदा. केरल लॉटरी के अनुसार, अनूप ने TJ750605 नंबर का लॉटरी टिकट लिया था. संयोग से जब ड्रॉ निकला तो यही टिकट सबसे बड़े पुरस्कार यानी 25 करोड़ रुपये वाला था. इस तरह अनूप एक झटके में करोड़पति बन गए. हालांकि अनूप को यह पूरी रकम नहीं मिलने वाली है. चूंकि भारत में लॉटरी से हुई कमाई पर भारी-भरकम टैक्स देना पड़ता है, अनूप को भी टैक्स काटने के बाद बाकी की रकम मिलेगी. उन्हें टैक्स काटकर 15 करोड़ 75 लाख रुपये मिलने वाले हैं.

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कौशल दीक्षांत समारोह में PM मोदी बोले- युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार

Desk: पीएम मोदी ने शनिवार को विश्वकर्मा जयंती के विशेष अवसर पर ‘कौशल दीक्षांत समारोह’ में देशभर के ITI के छात्र-छात्राओं को विशेष संदेश दिया। अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा, आज मेरा सौभाग्य है कि मुझे देशभर के लाखों ITI के छात्र-छात्राओं से बातचीत करने का अवसर मिला है।

ITI के 9 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का कौशल दीक्षांत समारोह

पीएम मोदी ने कहा, 21 वीं सदी में आगे बढ़ रहे हमारे देश में आज एक नया इतिहास रचा गया है। पहली बार ITI के 9 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का कौशल दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया है। 40 लाख से ज्यादा स्टूडेंट हमारे साथ वर्चुअल माध्यम से भी जुड़े हुए हैं। पीएम मोदी इस सभी को कौशल दीक्षांत समारोह की बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी।

विश्वकर्मा जयंती कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व

उन्होंने कहा, विश्वकर्मा जयंती कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व है। जैसे मूर्तिकार कोई मूर्ति बनाता है लेकिन जब तक उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती वो भगवान का रूप नहीं कहलाती। आज हम सभी के लिए गर्व की बात है कि आज विश्वकर्मा जयंती के दिन आपके कौशल की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, आपके कौशल को मान्यता मिल रही है।

विश्वकर्मा जयंती सच्चे अर्थ में श्रम करने वाले व्यक्ति का सम्मान

पीएम मोदी ने बताया कि विश्वकर्मा जयंती सच्चे अर्थ में श्रम करने वाले व्यक्ति का सम्मान है, श्रमिक का दिन है। हमारे यहां श्रमिक के कौशल में ईश्वर का अंश देखा गया है, उसे विश्वकर्मा के रूप में देखा गया है। यानि आपके पास आज जो कौशल है, स्किल है, उसमें भी कहीं न कहीं ईश्वर का अंश है। मैं समझता हूं कि यह आयोजन भग्वान विश्वकर्मा को हमारी एक भावभिनि कौशलांजिली की तरह है। कौशलांजिली कहो या कर्मांजिली कहो विश्वकर्मा जयंती से अद्भुत दिवस और क्या हो सकता है। बीते 8 वर्षों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से अनेक नई योजनाएं शुरू की है।

कौशल से नव निर्माण के पथ पर पहला कदम

पीएम मोदी ने कहा आज का दिन सोने में सुहागा है क्योंकि आज भगवान विश्वकर्मा की जयंती भी है और कौशल दीक्षांत समारोह भी। यह कौशल दीक्षांत समारोह अपने कौशल से नव निर्माण के पथ पर आपका पहला कदम और विश्व कर्मा जयंती का पुण्य अवसर कितना अद्भुत संयोग है। पीएम ने कहा, मैं विश्वास से कह सकता हूं कि आपकी ये शुरुआत जितनी सुखद है, आपके आने वाली कल की यात्रा भी उतनी ही सृजनात्मक होगी। इन्हीं शब्दों के साथ पीएम मोदी ने सभी छात्रों और सभी देशवासियों को भगवान विश्वकर्मा की जयंती की शुभकामनाएं दी।

भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं की शुरू

पीएम मोदी ने कहा, बीते 8 वर्षों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं शुरू की हैं, ‘श्रम एव जयते’ की अपनी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किया है। आज देश एक बार फिर स्किल को सम्मान दे रहा है, स्किल डवलपमेंट पर भी उतना ही जोर दे रहा है।

बीते 8 वर्षों में ITI’s में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें जोड़ी गईं

उन्होंने बताया कि हमारे देश में पहला ITI, 1950 में बना था। इसके बाद के सात दशकों में 10 हजार ITI’s बने। हमारी सरकार के 8 वर्षों में देश में करीब-करीब 5 हजार नए ITI’s बनाए गए हैं। बीते 8 वर्षों में ITI’s में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें भी जोड़ी गई हैं।

स्किल डवलपमेंट के साथ ही, युवाओं में सॉफ्ट स्किल्स का होना जरूरी

पीएम मोदी ने कहा, स्किल डवलपमेंट के साथ ही, युवाओं में सॉफ्ट स्किल्स का होना भी उतना ही जरूरी है। ITIs में अब इस पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। युवा जब स्किल के साथ सशक्त होकर निकलता है, तो उसके मन में ये विचार भी होता है कि कैसे वो अपना काम शुरू करें। स्वरोजगार की इस भावना को सहयोग देने के लिए, आज आपके पास बिना गारंटी लोन दिलाने वाली मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं की ताकत भी है।

युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार

पीएम मोदी बोले, आप सभी युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार हैं। आप भारत के उद्योग जगत की बैकबोन की तरह हैं और इसलिए विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में, आपकी बड़ी भूमिका है।

आपने आज जो सीखा है, वो आपके भविष्य का आधार जरूर बनेगा, लेकिन आपको भविष्य के हिसाब से अपने कौशल को अपग्रेड भी करना पड़ेगा इसलिए, बात जब स्किल की होती है, तो आपका मंत्र होना चाहिए- ‘स्किलिंग’, ‘री-स्किलिंग’ और ‘अप-स्किलिंग’।

फाइल फोटो

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देश को जन्मदिन पर PM मोदी ने दिया अनोखा उपहार, 70 साल बाद भारत में दौड़ेंगे चीते

Desk: पीएम मोदी ने 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन के मौके पर देश को अनोखा उपहार भेंट किया है। दरअसल, पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बने विशेष बाड़ों में रिहा किया है।

पीएम मोदी ने देशवासियों को दिया अहम वीडियो संदेश

इस अवसर पर पीएम मोदी ने देशवासियों को वीडियो संदेश भी दिया। उन्होंने कहा, मानवता के सामने ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब समय का चक्र हमें अतीत को सुधार कर नए भविष्य के निर्माण का मौका देता है। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है। दशकों पहले जैव विविधता की जो सदियों पुरानी कड़िया टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं और मैं ये भी कहूंगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो चुकी है। मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

चीते प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारीयों का कराएंगे बोध

आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा, विशेष रूप से मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं। मुझे विश्वास है कि ये चीते न केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारीयों का बोध कराएंगे बल्कि हमारे मानवीय मूल्यों और परंपराओं से भी अवगत कराएंगे।

जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं तो बहुत कुछ खो बैठते हैं

पीएम मोदी ने कहा, जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं तो बहुत कुछ खो बैठते हैं, इसलिए ही आजादी के इस अमृतकाल में हमने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति जैसे पंच प्राणों के महत्व को दोहराया है। पिछली सदियों में हमने वह समय भी देखा है जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन और आधुनिकता का प्रतीक मान लिया गया था।

1947 में जब केवल आखिरी तीन चीते बचे थे…

पीएम मोदी ने बताया कि 1947 में जब केवल आखिरी तीन चीते बचे थे तो उनका भी साल के जंगलों में निष्ठुरता व गैर जिम्मेदारी से शिकार कर लिया गया। यह दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृत काल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। अमृतमय तो वो सामर्थ्य होता है जो मृत को भी पुनर्जीवित कर देता है।

चीतों को भारत की धरती पर पुनर्जीवित करने में लगाई भरपूर ऊर्जा

उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि आजादी के अमृत काल में कर्तव्य और विश्वास का यह अमृत हमारी विरासत को हमारी धरोहरों को और अब चीतों को भी भारत की धरती पर पुनर्जीवित कर रहा है। इसके पीछे हमारी वर्षों की मेहनत है। एक ऐसा कार्य राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, उसके पीछे भी हमने भरपूर ऊर्जा लगाई।

चीता एक्शन प्लान किया तैयार

पीएम मोदी ने आगे जोड़ते हुए कहा, इसके पीछे एक विस्तृत चीता एक्शन प्लान तैयार किया गया। हमारे वैज्ञानिकों ने लंबी रिसर्च की। साउथ अफ्रीकन और नामीबियाई एक्सपर्ट के साथ मिलकर काम किया। हमारी टीम वहां गई, वहां के एक्सपर्ट्स भी भारत आए। पूरे देश में चीतों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र के लिए वैज्ञानिक सर्वे किए गए और तब कूनो नेशनल पार्क को इस शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। उन्होंने कहा, आज हमारी वो मेहनत परिणार्थ के रूप में हमारे सामने है।

प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी होता है सुरक्षित

यह बात सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे तो यहां का ग्रास लैंड इको सिस्टम फिर से रिस्टोर होगा, बायोडायवर्सिटी और बढ़ेगी, आने वाले दिनों में यहां इको टूरिज्म बढ़ेगा, विकास की नई संभावनाएं जन्म लेंगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, लेकिन मैं आज सभी देशवासियों से एक आग्रह करना चाहता हूं कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा, सहयोग करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। अंतर्राष्ट्रीय गाइडलाइन पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है।

किसी पूरी जीवित जाति का अस्तित्व मिट जाए हमें कैसे स्वीकार हो सकता है ?

पीएम मोदी ने कहा, दुनिया आज जब प्रकृति और पर्यावरण की ओर देखती है तो सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात करती है लेकिन प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी भारत के लिए ये केवल सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय ही सिर्फ हैं ऐसा नहीं है। हमारे लिए ये हमारी सेंसिबिलिटी और प्यूरीचैलिटी का भी आधार है। हम वो लोग हैं जिनका सांस्कृतिक अस्तित्व ”सर्वम खल्विदं ब्रह्म”, इस मंत्र पर टिका हुआ है। अर्थात संसार में पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, जड़, चेतन जो कुछ भी है वो ईश्वर का ही स्वरूप है, हमारा अपना ही विस्तार है। हम वो लोग है जो कहते हैं ”परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति” अर्थात खुद के फायदे को ध्यान में रखकर जीना वास्तविक जीवन नहीं है। वास्तविक जीवन वो जीता है जो परोपकार के लिए जीता है। इसलिए हम जब खुद भोजन करते हैं, उसके पहले पशु-पक्षियों के लिए अन्न निकालते हैं। पीएम मोदी ने कहा, हमारे आसपास रहने वाले छोटे से छोटे जीव की भी चिंता करना हमें बचपन से सिखाया जाता है। हमारे संस्कार ऐसे हैं कि कहीं अकारण किसी जीव का जीवन चला जाए तो हम अपराध बोध से भर जाते हैं फिर किसी पूरी जीवित जाति का अस्तित्व ही अगर हमारी वजह से मिट जाए, ये हमें कैसे स्वीकार हो सकता है ?

इकोनॉमी और इकोलॉजी कोई विरोधाभासी क्षेत्र नहीं

पीएम मोदी ने कहा हमारे यहां कितने बच्चों को यह पता तक नहीं होता है कि जिस चीता के बारे में सुनकर वो बड़े हो रहे हैं, वो उनके देश से पिछली शताब्दी में ही लुप्त हो चुके हैं। आज अफ्रीका के कुछ देशों में और ईरान में चीता पाए जाते हैं लेकिन भारत का नाम उस लिस्ट से बहुत पहले हटा दिया गया था। आने वाले समय में बच्चों को इस विडंबना से गुजरना नहीं पडे़गा। वे चीता को अपने ही देश में कूनो नेशनल पार्क में दौड़ता देख पाएंगे। चीता के जरिए आज हमारे जंगल और जीवन उसका एक बड़ा शून्य भर रहा है। आज 21वीं सदी का भारत पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि इकोनॉमी और इकोलॉजी कोई विरोधाभासी क्षेत्र नहीं है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही देश की प्रगति भी हो सकती है। यह भारत ने दुनिया को करके दिखाया है। आज एक और हम विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में शामिल हैं तो साथ ही देश के वन क्षेत्रों का विस्तार भी तेजी से हो रहा है। साल 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद से देश में करीब-करीब 250 नए संरक्षित क्षेत्र जोड़े गए हैं। हमारे यहां एशियाई शहरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। आज गुजरात देश में एशियाई शहरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। इसके पीछे दशकों की मेहनत, research-based policies और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है।

टाइगर की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है। असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है। हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है

पीएम मोदी ने कहा, आज देश में 75 वेटलैंड्स को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 वर्षों में ही जोड़ी गई हैं। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।

भारत में 70 साल बाद लाए गए चीते

उल्लेखनीय है कि भारत में 70 साल के अंतराल के बाद चीतों का इंतजार खत्म हुआ है। करीब 11 घंटे का सफर करने के बाद ये चीते भारत पहुंचे थे। इनमें पांच मादा और तीन नर चीतों को मॉडिफाइड बोइंग 747 विमान की मदद से नामीबिया की राजधानी होसिया से भारत लाया गया पर्यावरण और वन मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान यानि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया था।

क्या है चीते की खूबी ?

चीता दुनिया का सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर है। ये 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। आज पूरी दुनिया में सिर्फ 7,000 के करीब ही चीतें बचे हैं। चीता भारत में खुले जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में मदद करेगा। यह जैव विविधता के संरक्षण में मदद करेगा और जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होगा।

कब और कैसे गायब हुए थे चीते ?

लेकिन क्या भारत में कभी चीते थे ही नहीं? ऐसा नहीं है…, मौजूदा समय में विश्व में करीब 7,000 चीते हैं। लेकिन भारत में आखिरी बार चीता साल 1948 में देखा गया था। छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 73 साल पहले एक वयस्क चीता और दो शावकों का शिकार किया। उन्होंने इसकी तस्वीरें बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी को भेजी थीं। 1947 में अपने शिकार के साथ खड़े महाराजा की चीतों के साथ यह तस्वीर भारतीय इतिहास में अंतिम साबित हुई। आखिरकार 1952 में सरकार ने अधिकारिक तौर पर चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया।

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