नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को यहां किसान सम्मान निधि की 12वीं किस्त जारी कर दी। इस योजना के तहत इस बार 11 करोड़ से ज्यादा किसानों के खाते में दो हजार रुपये डीबीटी माध्यम से स्थानांतरित किए गए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022 की पूर्व संध्या पर रविवार को ट्वीट कर कहा था- ‘हमारी सरकार अन्नदाताओं के जीवन को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में कल सुबह 11:30 बजे दिल्ली में किसान सम्मान सम्मेलन का उद्घाटन करने के साथ ही पीएम-किसान की 12वीं किस्त भी जारी करूंगा। इस अवसर पर कई और योजनाओं को शुरू करने का भी सौभाग्य मिलेगा।’

प्रधानमंत्री ने सोमवार को इस मौके पर दो दिवसीय पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022 का शुभारंभ किया। इसका आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के मेला परिसर में किया गया है। प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि योजना की 12वीं किस्त के 16,000 करोड़ रुपये जारी किए। इस योजना के तहत पात्र भूमिधारक किसान परिवार को हर साल छह हजार रुपये का वित्तीय लाभ मिलता है। योजना के लाभार्थियों के खाते में हर चार महीने पर दो हजार रुपये सरकार की ओर से दिए जाते हैं।

कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ट्वीट किया है- ‘किसानों की समृद्धि में भागीदार बन रही पीएम किसान सम्मान निधि योजना। अब तक 11.3 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित।’ सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कृषि विज्ञानियों और किसानों से चर्चा करेंगे। साथ ही 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र की शुरुआत करेंगे। इस योजना के तहत देश भर में खाद की दुकानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र में परिवर्तित किया जाएगा। साथ ही किसानों को खाद, बीज, मिट्टी की जांच के बारे में बताया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना की भी शुरुआत की जाएगी। इसका उद्देश्य एक देश एक फर्टीलाइजर है। इसके तहत प्रधानमंत्री भारत यूरिया बैग लांच करेंगे। इसी ब्रांड नाम के तहत खाद बनाने वाली कंपनी अपने उत्पाद को बेचेगी। मेले में 1500 से अधिक किसान और एफपीओ, 500 कृषि स्टार्टअप, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और शिक्षाविद भी शामिल होंगे। ये सभी अपने विचार एक- दूसरे के साथ साझा करेंगे।

इस बार किसान सम्मेलन की थीम कृषि का बदलता स्वरूप और तकनीक है। इसका उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए नई-नई तकनीकों के बारे में जानकारी देना है। साथ ही खेती की चुनौतियों से निपटने के गुर बताए जाएंगे। इस दो दिवसीय मेले में एग्री स्टार्टअप कॉन्क्लेव और किसान सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

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नई दिल्ली:  कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने के लिए देशभर के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि सोमवार को मतदान करेंगे। मतगणना बुधवार को होगी। मतदाताओं को मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर में से किसी एक का चुनाव करना है। चुनाव प्रचार के दौरान शशि थरूर कई बार चुनाव में समान अवसर नहीं दिए जाने की शिकायत कर चुके हैं।

मतगणना के बाद कांग्रेस को करीब ढाई दशक बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिलेगा। चुनाव के लिए दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय समेत पूरे देश में 65 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे की वजह से अध्यक्ष पद खाली है। झारखंड के विधायक केएन त्रिपाठी ने पर्चा भरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की, लेकिन उनका नामांकन जांच के बाद खारिज कर दिया गया।

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देश-दुनिया के इतिहास में 15 अक्टूबर की तारीख कई कारणों से याद की जाती है। भारत के संदर्भ में इसका अहम स्थान है। दरसअल भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का इस तारीख से खास रिश्ता है। इस तारीख को उनकी जयंती मनाई जाती है। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में विज्ञान और भौतिकी का अध्ययन किया। अपने व्यावहारिक व्याख्यानों से विद्यार्थियों को स्वयं का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बनने के लिए शिक्षण और प्रेरणा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। सबसे महत्वपूर्ण भारतीय मिसाइलों और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के विकास की अगुवाई करने के लिए कलाम को ‘भारत का मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रशासक के रूप में बहुत ही विशिष्ट पदों को संभाला । 2002 में, एयरोस्पेस वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने। कलाम ने 2007 तक राष्ट्रपति पद पर सेवा की और उसके बाद अपना जीवन शिक्षण के लिए समर्पित कर दिया। वह शिलांग, आईआईएम-अहमदाबाद और आईआईएम-इंदौर में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में अतिथि प्रोफेसर बने।

डॉ. कलाम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान या भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में उनके काम के लिए उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया। उन्होंने 27 जुलाई, 2015 को आईआईएम-शिलांग में लेक्चर देते समय अंतिम सांस ली।

डॉ. कलाम अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया करते थे। उन्होंने कहा था-“मैं अपने बचपन के दिन नहीं भूल सकता। बचपन को निखारने में मेरी मां का विषेश योगदान है। उन्होने मुझे अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी। छात्र जीवन के दौरान जब मैं घर-घर अखबार बांट कर वापस आता था तो मां के हाथ का नाश्ता तैयार मिलता। पढ़ाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी मां ने मेरे लिए छोटा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ़ सकता था। मां ने अगर साथ न दिया होता तो मैं यहां तक न पहुचता।”

कलाम अपनी लगन और कड़ी मेहनत से आगे बढ़ते गए। जीवन में अभाव के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे ये बात हम सभी को प्रेरणा देती है। उनकी शालीनता, सादगी और सौम्यता ने हर एक का दिल जीता। उनके जीवन दर्शन ने भारत के युवाओं को एक नई प्रेरणा दी। लाखों लोगों के वह रोल मॉडल हैं।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1686ः बीजापुर के साथ मुगल शासक औरंगजेब ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1815ः नेपोलियन बोनापार्ट ने शर्मनाक हार का सामना किया।1866ः कनाडा स्थित फ्रेंच बहुल क्षेत्र क्यूबेक आग लगने से तबाह।
1923ः लीवर्ड द्वीप के उत्तर में उष्णकटिबंधीय तूफान आया।
1924ः तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति काल्विन कूलीड्ज ने स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी को राष्ट्रीय स्मारक करार दिया।
1932ः देश की पहली एयरलाइन टाटा संस लिमिटेड का शुभारंभ।
1949ः त्रिपुरा राज्य को भारत में शामिल किया गया।
1951ःस्वेज नहर समझौते को मिस्र की संसद ने ठुकराया।
1958ः मिस्र के साथ अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया ने राजनीतिक संबंध तोड़े।
1978ः पूर्वी कजाखिस्तान क्षेत्र में सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया।
1988ः दुनिया की समुद्री यात्रा पूरी कर उज्ज्वला पाटिल एशिया की प्रथम महिला बनीं।
1990ः राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव को नोबेल शांति पुरस्कार।
1996ः फिजी ने व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि की पुष्टि करने का दावा किया।
1998ः भारत की फातिमा बी को ग़रीबी उन्मूलन के लिए संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार से नवाजा गया।
2003 : अंतरिक्ष में मानवयुक्त यान भेजने वाला चीन तीसरा देश बना।
2006ः उत्तर कोरिया को संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रतिबंधित किया।
2012ः ब्रिटिश लेखिका हिलेरी मेंटल को मैन बुकर पुरस्कार।
2013ः फिलीपीन्स में शक्तिशाली भूकंप।सैंकड़ो लोगों की जान गई।

जन्म
1542ः मुगल शासक अकबर।
1920ः प्रसिद्ध उपन्यास द गॉडफादर के रचयिता मारियो ग्येनल्यूगी पूजो।
1922ः इतालवी कैथोलिक पादरी लुइजी जिउसानी।
1922ः प्रसिद्ध संगीतकार शंकर।
1931ः भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम।
1952ः छत्तीसगढ़ के दूसरे मुख्यमंत्री रमन सिंह।
1957ः भारतीय निर्देशक मीरा नायर।

निधन

1595ः मध्यकालीन भारत के विद्वान, साहित्यकार और फारसी के कवि फैजी।
1961ः भारत के प्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।
1975ः प्रसिद्ध चित्रकार एवं मूर्तिकार पद्म भूषण देवी प्रसाद राय चौधरी।
1999ः भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की प्रमुख सहयोगी दुर्गा भाभी।
2012ः कंबोडिया के राजा नोरोदम शिनौक।

दिवस
विश्व छात्र दिवस (इसे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में उनकी जयंती पर मनाया जाता है।)
विश्व छड़ी दिवस
विश्व ग्रामीण महिला दिवस

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अदालत ने खारिज की मांग ,हिन्दू पक्ष को लगा झटका

वाराणसी (एजेंसी): ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग मामले में शुक्रवार को जिला जज डाॅ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है। अब कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की जांच नहीं होगी। न्यायालय ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष से जुड़े पक्षकार, उनके पैरोकार और अधिवक्ताओं की मौजूदगी में फैसला सुनाया।

इसके पहले अदालत ने न्यायालय परिसर में दोनों पक्षों से कुल 62 लोगों को प्रवेश की अनुमति मिली। इसके पूर्व दोनों पक्षों को सुनने और आपत्ति दाखिल करने के लिए समय देने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने अदालत में तर्क दिया था कि 16 मई को सर्वे के दौरान मिली आकृति के बाबत दी गई आपत्ति का निस्तारण नहीं किया गया और मुकदमा सिर्फ शृंगार गौरी की पूजा और दर्शन के लिए दाखिल किया गया है। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मिली आकृति को सुरक्षित व संरक्षित करने का आदेश दिया है। वैज्ञानिक जांच में केमिकल के प्रयोग से आकृति का क्षरण सम्भव है। कार्बन डेटिंग जीव व जन्तु की होती है, पत्थर की नहीं हो सकती, क्योंकि पत्थर कार्बन को एडाप्ट नहीं कर सकता।

प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना था कि कार्बन डेटिंग वाद की मजबूती व साक्ष्य संकलित करने के लिए कराई जा रही है, ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है। उधर,वादी पक्ष के अधिवक्ता ने न्यायालय में दलील दिया कि सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखाई दी। ऐसे में अब वह मुकदमे का हिस्सा है। उस आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच एएसआई की विशेषज्ञ टीम से कराया जाना जरूरी है।

जांच से आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का तथ्यात्मक रूप से पता लग सकेगा। अदालत में वादिनी राखी सिंह के अधिवक्ता मानबहादुर सिंह ने प्रतिउत्तर में दलील देने से इनकार कर दिया था। बताते चलें कि अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था। पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो।

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– जूम के रूप में चिनार कॉर्प्स ने अपनी टीम का बहादुर सदस्य खो दिया

श्रीनगर: आतंकियों की दो गोलियों से शहीद हुए आर्मी असॉल्ट डॉग जूम को आज सेना ने श्रद्धांजलि अर्पित की। चिनार वॉर मेमोरियल, बीबी कैंट में एक समारोह में चिनार कॉर्प्स के सभी रैंकों की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला, जीओसी चिनार कॉर्प्स ने बहादुर योद्धा को श्रद्धांजलि दी।

अनंतनाग में मुठभेड़ के दौरान 10 अक्टूबर को सेना के बहादुर हमलावर कुत्ते ज़ूम ने न केवल आतंकियों के सटीक स्थान की पहचान करने में बल्कि एक आतंकी को मार गिराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि इस दौरान उसे 02 गोलियां लगीं थीं, लेकिन घायल होने के बावजूद जूम ने दूसरे छिपे हुए आतंकी का पता लगाया। वहां से वापस आने पर ज्यादा खून बहने के कारण जूम बेहोश हो गया। उसे 54 एएफवीएच (एडवांस फील्ड वेटरनरी हॉस्पिटल) में भर्ती कराया गया, जहां गुरुवार को निधन हो गया था।

सेना का हमलावर कुत्ता जूम चिनार वारियर्स का एक अमूल्य सदस्य था। 2 साल की अपनी छोटी उम्र के बावजूद जूम को कई अभियानों का अनुभव था, जहां उसने अपनी ऊर्जा और साहस से खुद को प्रतिष्ठित किया था। जूम के रूप में चिनार कॉर्प्स ने अपनी टीम का बहादुर सदस्य खो दिया है।

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केरल के साजन प्रकाश और कर्नाटक की हशिका रामचंद्रा बने बेस्ट एथलीट

सूरत: 36वें नेशनल गेम्स की समाप्ति स्थानीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंडोर स्टेडियम में खेलों का समापन हो गया। सर्विसेज को सबसे बेस्ट टीम चुनी गई, जबकि केरल के साजन प्रकाश और कर्नाटक की हशिका रामचंद्र को बेस्ट एथलीट चुना गया। अगला नेशनल गेम्स गोवा में आयोजित होगा।

सात साल बाद आयोजित हुए इस नेशनल गेम्स का गुजरात सरकार ने आखिरी समय में मेजबानी करने का फैसला लिया था। तैयारी के लिए केवल सौ दिन का समय मिलने के बावजूद गुजरात सरकार से सफलतापूर्वक खेलों का आयोजन किया है। इस आयोजन में भारत के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आठ हजार से अधिक एथलीट्स ने हिस्सा लिया था। जुड़ेगा इंडिया-जीतेगा इंडिया के नारे के साथ 36 प्रकार के खेलों में एथलीट्स ने हिस्सा लिया।

समापन पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजा भलींद्र सिंह ट्रॉफी सर्विसेज को सौंपी। सर्विसेज ने लगातार चौथी बार इस पर अपना कब्जा किया है। सर्विसेज ने 61 स्वर्ण, 35 रजत और 32 कांस्य पदक अपने नाम किए। महाराष्ट्र ने पदक तालिका में दूसरा स्थान पाकर इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की बेस्ट स्टेट ट्रॉफी उठाई। महाराष्ट्र ने इस गेम्स में सबसे अधिक पदक जीते।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने साजन प्रकाश को बेस्ट पुरुष एथलीट का अवार्ड दिया, जिन्होंने पांच स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक अपने नाम किया। श्रीहरि नटराज ने पांच स्वर्ण और दो रजत जीते थे। 2015 में भी प्रकाश ने यह अवार्ड अपने नाम किया था। कर्नाटक की 14 साल की हशिका रामचंद्रा को बेस्ट महिला एथलीट का अवार्ड मिला। हशिका ने छह स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता है। उन्हें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अवार्ड प्रदान किया। गुजरात के 10 साल के शौर्यजीत खैरे ने मल्लखंभ में पदक हासिल किया था और वह इस गेम्स में पदक जीतने वाले सबसे युवा एथलीट बने।

आईआईटी गांधीनगर में आयोजित ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में 38 और राजकोट में आयोजित एक्वेटिक्स इवेंट्स में 36 राष्ट्रीय खेलों के रिकॉर्ड टूट गए। तमिलनाडु की रोजी मीना पॉलराज (महिला पॉल वॉल्ट) और एन. अजित (भारोत्तोलन पुरुषों की 73 किग्रा क्लीन एंड जर्क), सर्विसेज के शिव सुब्रमण्यम (पुरुष पोल वॉल्ट), यूपी के राम बाबू (पुरुषों की 35 किमी रेस वॉक) और अरुणाचल प्रदेश के सैम्बो लापुंग (पुरुषों की 96 किग्रा भारोत्तोलन- क्लीन एंड जर्क) राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ने वाले कुछ एथलीटों में से एक हैं।

महाराष्ट्र और हरियाणा के बीच खेल महाशक्ति बनने का संघर्ष चलता रहा और इसमें महाराष्ट्र ने 39 स्वर्ण, 38 रजत और 63 कांस्य के साथ दूसरा नम्बर हासिल किया। हरियाणा (38 स्वर्ण, 38 रजत, 39 कांस्य) को तालिका में तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने पदक तालिका में क्रमश: चौथा, पांचवां और छठा स्थान हासिल किया। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मणिपुर प्रत्येक का अभियान 20-20 स्वर्ण के साथ समाप्त हुआ। मेजबान गुजरात ने भी राष्ट्रीय खेलों के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उसने , कुल 49 पदक जीते जिनमें 13 स्वर्ण, 15 रजत और 21 कांस्य पदक शामिल हैं। मेजबान टीम ओवरआल स्टैंडिंग में 12 वें स्थान पर रही।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जब वे गुजरात आते हैं तो वहां एक तरह की ऊर्जा होती है, जिसे तुरंत महसूस किया जा सकता है। धनखड़ ने कहा, “मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप सभी गुजरात की मीठी यादों को घर ले जाएंगे।“ उन्होंने राष्ट्र निर्माण में खेल की शक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रीय खेलों में कई रिकॉर्ड तोड़े गए, लेकिन कोई दिल नहीं तोड़ा गया है। उपराष्ट्रपति ने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि देश जल्द ही ओलंपिक की मेजबानी करेगा।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने कहा कि खेल राज्य के साथ-साथ देश में भी जीवन का एक तरीका बनने लगा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी नई खेल नीति से राज्य के एथलीटों को उच्च लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। एथलीटों के कौशल को विकसित करने के लिए, हमने स्वर्णिम गुजरात खेल विश्वविद्यालय भी शुरू किया है और मुझे उम्मीद है कि विश्वविद्यालय ओलंपिक एथलीट बनाने में मदद करेगा।

भारतीय ओलंपिक संघ के सचिव राजीव मेहता ने कहा कि गुजरात ने सिर्फ 90 दिनों में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन कर एक नया मानक स्थापित किया है। मेहता ने कहा “यह उन राज्यों के लिए एक उदाहरण होना चाहिए जो भविष्य में इसका आयोजन करेंगे।” राष्ट्रीय खेलों का झंडा 2023 संस्करण के मेजबान गोवा के खेल मंत्री गोविंद गौडे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को सौंपा गया। 8,500 लोगों ने राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लिया, जिनमें आईओए के अधिकारी, राष्ट्रीय खेल संघ और राज्य संघ, भारतीय खेल प्राधिकरण, शेफ डी मिशन, प्रतियोगिता प्रबंधक, शीर्ष एथलीट, मीडियाकर्मी और अन्य राष्ट्रीय खेल प्रतिभागी शामिल थे।

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भोपाल: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जन खड़गे ने कहा कि अभा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव मेरे अकेले का नहीं, पूरी कांग्रेस का चुनाव है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की इच्छानुसार मैं इस राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का एक उम्मीदवार हूं। मेरा कोई राजनैतिक एजेंडा नहीं है। उदयपुर में संपन्न पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान जो निर्णय हुए, उन्हीं को आगे बढ़ाना मेरी जिम्मेदारी होगी।

खड़गे बुधवार को भोपाल प्रवास के दौरान यहां कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ मौजूदा सरकारों ने जिस तरह उन्हें झूठे प्रकरण बनाकर प्रताड़ित और परेशान किया जा रहा है। ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग हमारे साथियों के मनोबल को तोड़ने के लिए किया जा रहा है, उनके खिलाफ सड़क से लेकर पार्लियामेंट तक सशक्त संघर्ष करना ही मेरा मुख्य एजेंड़ा होगा।

खड़गे ने कहा कि मैंने 55 वर्ष पहले कांग्रेस पार्टी के एक ब्लाक अध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की थी। मुझे गर्व है कि स्व. इंदिरा गांधी, स्व. राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का मुझे इस लंबी राजनैतिक यात्रा में उनका स्नेह और विश्वास मिला है। इस चुनाव में मेरी किसी से भी प्रतिस्पर्धा नहीं है, कांग्रेस पार्टी मेरा एक वृहद परिवार है, जिसमें सभी को अपनी बातें रखने का अधिकार है। हम सब मिलकर एक परिवार के एक सदस्य के रूप में उसे ऊंचाइयां देने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा राजनैतिक डाकेजनी के माध्यम से लोकतंत्र को लूट रही है। जिस तरह भाजपा द्वारा मप्र और कर्नाटक में सरकारें गिराई गईं, गोवा और महाराष्ट्र में भी कालेधन के माध्यम से ऐसी ही राजनैतिक डाकेजनी को अंजाम दिया गया। हम इस अलौकतांत्रिक चरित्र के खिलाफ न केवल सीधा संघर्ष करेंगे, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की गिरती हुई साख को भी पुनर्स्थापित करेंगे।

उन्होंने कांग्रेस को पुनर्जीवित किये जाने की बात करने वालों पर भी सीधा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी एक जीवित पार्टी है, उसे पुनर्जीवित करने की बात करने वाले लोग इस विचारधारा के दुश्मन प्रतीत होते हैं। भाजपा और उसकी विचारधारा पर भी तीखा तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि एक तरफ यह विचारधारा कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर हमारी काबिज सत्ताओं को कालेधन के बल पर गिराकर हमारी राजनैतिक ताकत से भयभीत क्यों हैं?

खड़गे ने कहा कि मेरे अध्यक्ष चुने जाने के बाद पीढ़ियों के अंतर को समाप्त करते हुए 50 फीसदी पार्टी के उनक कार्यकर्ताओं का चयन होगा, जो 50 वर्ष से कम आयु वर्ग के होकर विभिन्न वर्ग और जाति समुदाय के होंगे। आवश्यकतानुसार हमारी रीति-नीतियों में सामूहिक सहमति से परिवर्तन भी किया जायेगा। पत्रकार वार्ता में खड़गे के साथ राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी और अभा कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता गौरव वल्लभ भी मौजूद थे।

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जेपी ने सत्ता के लिए नहीं सिद्धांत की लड़ाई लड़ी, लेकिन उनके नाम से उपजे नेता कांग्रेस की गोद में जा बैठे: गृह मंत्री अमित शाह

Chhapra: जयप्रकाश नारायण की 120 वी जयंती पर सारण जिले के रिविलगंज प्रखंड स्थित सिताबदियारा पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों की चर्चा करते हुए विपक्षियों पर कड़ा प्रहार किया.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण सत्ता के लिए नहीं बल्कि सिद्धांत के लिए जाने जाते थे. लेकिन कुछ जो अपने को जयप्रकाश नारायण के अनुयाई कहते हैं वह सत्ता के लिए पांच बार पाला बदल चुके है लेकिन जनता उन्हें जरूर सबक सिखाएगी.

गृह मंत्री अमित शाह ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलनों की चर्चा हुए का करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण ने इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाई थी, गुजरात जैसे प्रदेश में जयप्रकाश नारायण ने छात्रों के आंदोलन का नेतृत्व करते हुए सफलता पाई.

बिहार में आंदोलन की शुरुआत जयप्रकाश नारायण ने की गांधी मैदान की भीड़ देखकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हतोत्साहित थी. जिसके बाद उन्होंने जयप्रकाश नारायण को जेल भेजवा दिया. उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी बाजपेई, मुरारजी देसाई के जेल भेजने घटना का भी जिक्र किया.

अमित शाह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने सभी विपक्षियों को एक साथ मिलाकर देश में पहली बार पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनवाई.

जेपी, विनोबा भावे के सिद्धांत एवं सर्वोदय के नारे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार विगत 8 वर्षों से पूरी कर रही है. ग्रामोत्थान के सपने के साथ गैस, बिजली, सड़क गांव गांव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में पूरा हो रहा है.

गृह मंत्री अमित शाह ने “अंधेरे में एक प्रकाश जयप्रकाश, जयप्रकाश” के नारे से जिस प्रकार बिहार और गुजरात में बदलाव किया. संपूर्ण क्रांति के नारे को नरेंद्र मोदी ने सफल बनाया है.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जे पी का नाम और जे पी के नाम से उपजे नेता आज कांग्रेस के गोद में जाकर बैठ गए हैं. जेपी ने कभी सत्ता के लिए नहीं बल्कि सिद्धांत के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन आज सत्ता के लिए लोग पाला बदलकर अपनी रोटियां सेक रहे हैं. हालांकि जनता उन्हें सबक जरूर सिखाएगी.

उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली सिताबदियारा में बनने वाले स्मारक के साथ रिसर्च सेंटर के साथ साथ फैकल्टी सेंटर एवं जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों को जाने वाले छात्रों के लिए स्टूडेंट सेंटर का भी निर्माण कराया जाएगा. जिससे छात्र उनके सिद्धांतों को जान पाएंगे.

अपने भाषण के दौरान श्री शाह ने बलिया के सांसद विरेंद्र सिंह मस्त के कार्यों की सराहना करते हुए कहां की आगे भी इस धरती के लिए कार्य करें.

उन्होंने कहा नारायण के जयप्रकाश नारायण के स्मारक को देखकर लोग उनके सिद्धांतों को जानेंगे. जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों को जिंदा रखेगे तो देश को चलाने के लिए युवा शक्ति प्राप्त होगी.

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Chhapra (सिताब दियारा): जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर छपरा के सिताबदियारा पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर बरसे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज सत्ता के लिए लोग पाला बदल लेते हैं। इन लोगों को जे पी के विचारों से कोई मतलब नहीं, उनके सिद्धांतों से कोई मतलब नहीं है। जेपी आंदोलन के कारण ही देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी। इन नेताओं को जेपी के विचारों से कोई मतलब नहीं है।

यूपी सरकार अपनी योजनाओं से जोड़कर सिताब दियारा क्षेत्र को बाढ़ से मुक्त करेंगी: योगी

उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने देश के लिए नए नए संकल्प लिए थे। आज उन संकल्पों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा कर रहे हैं। घर घर बिजली पहुंचाई जा रही है। केंद्र सरकार की कई योजनाओं का लाभ करोड़ों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आपातकालीन के खिलाफ जेपी ने आंदोलन किया। गुजरात के छात्रों के आंदोलन का नेतृत्व जेपी ने किया।

बताते चलें कि जयप्रकाश नारायण की जन्म भूमि छपरा के सिताबदियारा पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रतिमा का अनावरण किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। मंच पर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी, महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, छपरा विधायक डॉ सी एन गुप्ता सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे।

 

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने मुलायम सिंह से जुड़ी कई स्मृतियां ट्विटर पर साझा की है। मोदी ने कहा- ‘मुलायम सिंह यादव जी एक विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। उन्हें एक विनम्र और जमीन से जुड़े नेता के रूप में व्यापक रूप से सराहा गया, जो लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील थे। उन्होंने लगन से लोगों की सेवा की और लोकनायक जेपी और डॉक्टर लोहिया के आदर्शों को लोकप्रिय बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे ट्वीट में कहा कि मुलायम सिंह यादव जी ने यूपी और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई। वह आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के लिए एक प्रमुख सैनिक थे। रक्षामंत्री के रूप में उन्होंने एक मजबूत भारत के लिए काम किया। उनके संसदीय हस्तक्षेप व्यावहारिक थे और राष्ट्रीय हित को आगे बढ़ाने पर जोर देते थे।

मोदी ने कहा कि जब हमने अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के रूप में काम किया, तब मुलायम सिंह यादव जी के साथ मेरी कई बातचीत हुईं। हम दोनों की घनिष्ठता जारी रही और मैं हमेशा उनके विचारों को सुनने के लिए उत्सुक रहता था। उनका निधन मुझे पीड़ा देता है। उनके परिवार और लाखों समर्थकों के प्रति संवेदना हैं। ओम् शांति।

इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा नेता मायावती ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के व्योवृद्ध नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी के निधन हो जाने की खबर बेहद दुखद है। उनके परिवार व सभी शुभचिन्तकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। कुदरत उन सबको इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के संस्थापक, संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यादव के निधन पर शोक जताते हुए इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह के पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके भाई रामगोपाल यादव से फोन पर बातकर संवेदना व्यक्त की है। योगी ने कहा है कि मुलायम सिंह यादव का निधन अत्यंत दुखदायी है। उनके निधन से समाजवाद के प्रमुख स्तंभ एवं संघर्षशील युग का अंत हो गया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। मुख्यमंत्री ने शोकाकुल परिजनों एवं समर्थकों के प्रति संवेदना जताई है।

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लोकतंत्र बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी: प्रो. आनंद कुमार

Chhapra: विगत 8 अक्टूबर को संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्य तिथि पर नयी दिल्ली स्थित नारायण दत्त तिवारी भवन के सभागार में लोकनायक जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र और लोकतंत्र बचाओ अभियान के तत्वावधान में श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

इसमें सर्वप्रथम प्रख्यात समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार, राष्ट्र सेवा दल के पूर्व अध्यक्ष सुरेश खैरनार, छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक कुमार शुभमूर्ति, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, जदयू के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अरुण श्रीवास्तव, पूर्व अध्यक्ष गाधी शांति प्रतिष्ठान भागलपुर राम शरन, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, बिहार राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष मोहम्मद शाहिद कमाल, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय नेता प्रमुख गांधीवादी रामधीरज भाई, समाजवादी चिंतक विजय प्रताप, जेपी आंदोलन के प्रमुख साथी, प्रखर वक्ता व क्रांतिकारी नेता घनश्याम भाई, सुशील कुमार, प्रभात कुमार जी, अरुण प्रसाद, मदन प्रसाद, राष्ट्रीय महासचिव अभय सिन्हा, पत्रकार, लेखक एवं पर्यावरणविद व राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र रावत, पर्यावरणविद प्रशांत सिन्हा ने दीप प्रज्वलित कर लोकनायक जयप्रकाश के चित्र पर माल्यार्पण कर अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित की.

इसके उपरांत केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा ने जेपी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला और जेपी के बताये रास्ते पर चलने पर बल दिया और कहा कि हमारा प्रयास है कि जेपी के सभी अनुयायी एक मंच पर आकर सच्ची आजादी की लडा़ई के लिए आगे बढे़ं.

इसके बाद जेपी आंदोलन के तब के साथी और गवाह रहे वरिष्ठ समाजवादी- क्रांतिकारी नेताओं ने न केवल अपने अनुभव सुनाये, बल्कि उस दौर में की गयी ज्यादतियों का सिलसिलेवार वर्णन करते हुए जेपी के विचारों के प्रसार पर बल दिया.

अपने प्रमुख सम्बोधन में जेपी आंदोलन में अग्रणी प्रमुख भूमिका निबाहने वाले प्रख्यात समाजशास्त्री, जेएन यू के चर्चित प्रोफेसर आनंद कुमार ने 1942 और 1974 के जेपी और आंदोलन के दौर की विषमताओं- विशेषताओं का सिलसिलेवार वर्णन किया और कहा कि उस समय आंदोलनकारियों को तानाशाही के विरोध करने और लोकतंत्र की रक्षा हेतु संघर्ष में किन किन तरह की दुश्वारियों का सामना करना पडा़ था लेकिन आंदोलन के महानायक जयप्रकाश जी के नेतृत्व का ही परिणाम रहा कि हमें अपने आंदोलन में न केवल कामयाबी मिली बल्कि तानाशाही सरकार को उखाड़ने में और जनता की सरकार बनाने में सफल हुए. लेकिन दुख है कि आज भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और हालात उससे भी भयावह हैं. इसलिए समय की मांग है कि लोकतंत्र की रक्षा की दिशा में किये जा रहे यज्ञ में सभी लोग आपसी मतभेद-मनभेद भुलाकर जी जान से कूद पडे़ं क्योंकि याद रखो लोकतंत्र बचेगा, तो हम बचेंगे, देश बचेगा. इसलिए आओ और इस संघर्ष के लिए कमर कसकर तैयार हो जाओ. इस दिशा में जन जागृति बहुत जरूरी है. यदि हम अपनी जिम्मेदारी का सही निर्वहन करने में नाकाम रहे तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा.

श्रृद्धांजलि सभा में मौजूद सृष्टि फाउण्डेशन के प्रमुख सरदार सुखविंदर सिंह, प्रयास एक आशा की प्रमुख जयश्री सिन्हा, सामाजिक कार्यकर्ता मो. रिजवान, विनय खरे, राजेश सिन्हा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी भारतीय रेल सुशील कुमार सिन्हा, प्रख्यात बालीवाल खिलाडी़ रजनी श्रीवास्तव, यमुना नदी के पुत्र के रूप में विख्यात अशोक उपाध्याय, वृक्ष मित्र आशीष शर्मा, जया श्रीवास्तव व प्रवीन इब्बन आदि अनेकों सामाजिक-पर्यावरण व लोकतंत्र बचाओ अभियान के कार्यकर्ताओं ने जेपी के चित्र पर अपने श्रृद्धासुमन अर्पित कर अपने महानायक की स्मृतियों को जीवंत किया. अंत में केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा, पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत व लोकतंत्र बचाओ अभियान के संयोजक राकेश रफीक भाई ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया.

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