बॉलीवुड के भाईजान सलमान खान ने हाल ही में मच अवेटेड फिल्म ‘आरआरआर’ प्री-रिलीज़ कार्यक्रम में भाग लिया और इस दौरान उन्होंने अपने फैंस को एक बड़ी खुशखबरी भी दी है।

राम चरण और जूनियर एनटीआर की फिल्म आरआरआर 7 जनवरी 2022 को रिलीज होगी और इससे पहले मेकर्स फिल्म के प्रमोशन इवेंट में लगे हुए हैं। एक दिन पहले ही मुंबई में आरआरआर के लिए एक ग्रैंड इवेंट रखा गया, जिसमें कई नामी हस्तियों ने भाग लिया। मुंबई में हुए आरआरआर के इस खास इवेंट में करण जौहर, आलिया भट्ट, जूनियर एनटीआर, रामचरण और ‘आरआरआर’ फिल्म के डायरेक्टर एसएस राजमौली मौजूद रहे। इसी इवेंट में सलमान खान ने भी शिरकत की। इवेंट में आरआरआर तो लेकर तो बात हुई ही साथ ही सलमान ने अपनी फिल्म बजरंगी भाईजान के सीक्वल की भी घोषणा कर दी।

रिपोर्ट्स के अनुसार सलमान ने इस इवेंट में बताया कि बजरंगी भाईजान के सीक्वल को एस एस राजमौली के पिता वी विजयेंद्र प्रसाद द्वारा लिखा गया है, जिन्होंने मूल फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए राष्ट्र पुरस्कार जीता था।

उल्लेखनीय है कि कबीर खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म में सलमान खान के अलावा करीना कपूर और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह फिल्म 17 जुलाई 2015 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। फिल्म ने भारत-पाकिस्तान को लेकर एकता का संदेश दिया। बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान ने इस फिल्म में हनुमान भक्त पवन का किरदार निभाया था जो एक मूक लड़की के साथ पाकिस्तान जाने के लिए बॉर्डर का रास्ता पार करता है। मुन्नी नामक लड़की का किरदार हर्षाली मल्होत्रा निभाया गया था। वहीं नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने पाकिस्तानी रिपोर्टर के रूप में नजर आए थे।इस फिल्म को दर्शकों के बीच काफी पसंद किया गया और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही।

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अपनी अभिनय क्षमता से भारतीय सिनेमा में स्टारडम को नया आयाम देने का श्रेय अशोक कुमार को जाता है। फिल्म जगत में अशोक कुमार दादा मुनि के नाम से मशहूर थे। आज अशोक कुमार बेशक इस दुनिया में नहीं है लेकिन हिंदी सिनेमा में उनके दिए गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। बिहार के भागलपुर में 13 अक्टूबर, 1911 को जन्मे अशोक कुमार के बचपन का नाम कुमुदलाल गांगुली था, लेकिन फिल्मों में आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर अशोक कुमार कर लिया था।

अशोक कुमार के पिता का नाम कुंजलाल गांगुली था और माता का नाम गौरी देवी था। अशोक कुमार बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर कुमार के बड़े भाई थे। अशोक कुमार ने कलकत्ता से वकालत की थी, लेकिन उनका झुकाव बचपन से ही अभिनय जगत की तरफ ज्यादा रहा। अपने स्कूल के दिनों में अक्सर वे क्लास के बाद अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने थियेटर जाते थे। कहा जाता है कि अशोक कुमार कभी भी अभिनेता नहीं बनना चाहते थे, वो फिल्म डायरेक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनकी छोटी बहन के पति शशधर मुखर्जी, हिमांशु राय की कंपनी बॉम्बे टॉकीज में साउंड इंजीनियर थे, ने उन्हें फिल्मों में अभिनय करने के लिए मनाया।

अशोक कुमार ने साल 1936 में आई बॉम्बे टॉकीज की फिल्म जीवन नैया से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। इस फिल्म में वह अभिनेत्री देविका रानी के अपोजिट लीड रोल में नजर आये। अशोक कुमार ने कभी थियेटर नहीं किया था और उन्हें अभिनय करने का कोई अनुभव नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने अपने शानदार अभिनय से अमिट छाप छोड़ी। अशोक कुमार की कुछ प्रमुख फिल्मों में कंगन, बंधन, झूला, बंदिनी, किस्मत, आंखों में तुम हो, भारत एक खोज, वो दिन आएगा, प्यार की जीत, मिस्टर इंडिया, जवाब हम देंगे आदि शामिल हैं।

साल 1947 में आयी अशोक कुमार की फिल्म ‘किस्मत’ सबसे सुपरहिट फिल्म साबित हुई। ये देश की पहली फिल्म बनी जिसने एक करोड़ रुपये की कमाई की थी। इस फिल्म ने अशोक कुमार को देश का सबसे बड़ा और हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार बना दिया था।

अशोक कुमार की निजी जिंदगी की बात करे तो उनकी शादी शोभा देवी से हुई थी जो उम्र में उनसे करीब दस साल छोटी थी। अशोक कुमार और शोभा देवी के चार बच्चे एक बेटा और तीन बेटी हैं। अशोक कुमार के 76वें जन्मदिन पर उनके भाई किशोर कुमार का निधन हो गया था, जिसके बाद अशोक कुमार ने कभी भी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। अशोक कुमार को हिंदी सिनेमा में दिए गए उनके योगदान के लिए साल 1988 में हिंदी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। साल 1998 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। लगभग छह दशक तक अपने बेमिसाल अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले अशोक कुमार का 10 दिसंबर, 2001 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और वह हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए।

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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म 9 दिसंबर,1945 को पटना,बिहार में हुआ। शत्रुघ्न सिन्हा ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पटना से की। इसके बाद उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से डिप्लोमा किया। शत्रुघ्न मुंबई आए और उन्हें पहला ब्रेक देव आनंद ने दिया। साल 1970 में आई देव आनंद निर्देशित, निर्मित व अभिनीत फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ में शत्रुघ्न सिन्हा ने एक पाकिस्तानी मिलिट्री अफसर का किरदार निभाकर अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। हालांकि फिल्म प्रेम पुजारी की रिलीज से पहले ही शत्रुघ्न की कुछ फ़िल्में रिलीज हो चुकीं थी, लेकिन उन फिल्मों में शत्रुघ्न का रोल इतना छोटा था कि उनपर किसी का भी ध्यान नहीं गया। बाद में शत्रुघ्न ने ‘मेरे अपने, कालीचरण, विश्वनाथ, दोस्ताना, क्रांति, नसीब, काला पत्थर, लोहा’ आदि फिल्मों में शानदार अभिनय किया।

उनकी फिल्म के मशहूर डायलॉग ‘जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं… जिस राख से बारूद बने उसे विश्वनाथ कहते हैं’और ‘खामोश’ आज भी दर्शकों की जुबान हैं। फिल्मों में अभिनय के अलावा शत्रुघ्न सिन्हा ने कुछ फिल्मों में गाने भी गाये हैं, जिसमें फिल्म दोस्ती का गाना कैसे जीते है भला , हमको तो नशा है मोहब्बत का (ज्वालामुखी),एक बात सुनी है चाचा जी (नरम गरम) आदि शामिल हैं।

साल 1991 में शत्रुघन सिन्हा ने राजनीति में कदम रखते हुए भाजपा में शामिल हो गए। वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे,लेकिन साल 2019 में वह भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने साल 1980 में पूनम सिन्हा से शादी की।उनके तीन बच्चे हैं।उनकी बेटी सोनाक्षी सिन्हा आज बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री है। शत्रुघ्न सिन्हा जल्द ही फिल्म ‘वो आदमी बहुत कुछ जानता था’ में नजर आएंगे।

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बॉलीवुड में ही मैन के नाम से मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर,1935 को पंजाब के नसराली ग्राम के जाट परिवार में हुआ था। उनका असली नाम धर्म सिंह देओल हैं।उनके पिता केवल केशव सिंह स्कूल के हेडमास्टर और मां सतवंत कौर गृहणी थी । साल 1949 में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान धर्मेंद्र ने सुरैया की फिल्म ‘दिल्ल्गी’ देखी, जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वह फिल्मों में अभिनय करेंगे। इस फिल्म को उन्होंने 40 बार देखा था। साल 1958 मे फिल्मफेयर नामक पत्रिका नई प्रतिभा की खोज कर रही थी। यह बात जैसे ही धर्मेंद्र को पता चली, तो उन्होंने भी इसके लिए फॉर्म भरा। इस प्रतियोगिता के लिए धर्मेन्द्र ने कड़ी मेहनत की और तमाम प्रतिभाशाली लोगों को पीछे छोड़ते हुए विजयी हुए, लेकिन अभिनेता बनने की राह इतनी आसान नहीं थी। मंजिल अभी दूर थी ,लेकिन धर्मेंद्र ने हार नहीं मानी। कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद पहली बार उन्हें साल 1960 में फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ में अभिनय करने का मौका मिला, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। इसके बाद धर्मेंद्र ने फिल्म अनपढ़, पूजा के फूल, बंदनी आदि मे अभिनय किया, लेकिन ये फ़िल्में भी धर्मेंद्र को कोई खास पहचान नहीं दिला पाईं।

साल 1996 मे आई फिल्म ‘फूल और पत्थर’ से धर्मेंद्र की किस्मत चमकी। इस फिल्म ने धर्मेंद्र को रातों-रात सुपरस्टार बना दिया। फिल्म मे उनके अभिनय को दर्शकों ने बहुत पसंद किया और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी सुपरहिट रहीं। इस फिल्म में धर्मेंद्र के साथ मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी और शशिकला भी मुख्य भूमिका में थीं। इस फिल्म के बाद धर्मेंद्र बॉलीवुड मे ‘ही मैन’ के नाम से मशहूर हो गए। इसके बाद बॉलीवुड मे धर्मेंद्र के नाम का सिक्का चलने लगा।रुपहले पर्दे पर धर्मेंद्र ने एक्शन के साथ-साथ रोमांटिक और हास्य फिल्मों मे भी शानदार अभिनय किया और दर्शकों के दिलों को जीता। साल 1975 मे आई फिल्म ‘शोले’ मे उनके अभिनय को दर्शकों ने बहुत ज्यादा पसंद किया। इस फिल्म के एक सीन मे धर्मेंद्र पानी की टंकी पर चढ़कर बोले गये संवाद ने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। उनकी प्रमुख फिल्मों मे अनुपमा, मंझली दीदी, सत्यकाम,ड्रीम गर्ल, चरस, आसपास, प्रतिज्ञा, राजा जानी, रजिया सुल्तान, अली बाबा चालीस चोर,चुपके-चुपके, बगावत, आतंक, द बर्निंग ट्रेन,अपने,यमला पगला दीवाना आदि शामिल हैं।धर्मेंद्र ने फिल्मों मे अभिनय के साथ ही कई फिल्मों को प्रोड्यूस भी किया,जिसमें बेताब, घायल, दिल्ल्गी, इंडियन, यमला पगला दीवाना 2 ,पल पल दिल के पास आदि शामिल हैं।

इन सब के अलावा धर्मेंद्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। साल 2004 में राजस्थान के बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा के सदस्य बने। धर्मेन्द्र ने दो शादियां की हैं। उन्होंने साल 1954 में 19 साल की उम्र में पहली शादी प्रकाश कौर से की थी। अपनी पहली शादी से उन्हें दो बेटे हुए सनी देओल और बॉबी देओल। दोनों ही हिंदी सिनेमा के सफलतम अभिनेता है और उनकी दो बेटियां विजेता देओल और अजीता देओल भी हैं। साल 1980 में धर्मेंद्र ने अभिनेत्री हेमा मालिनी से शादी की। उनसे उन्हें दो बेटियां ईशा देओल और अहाना देओल हुईं।धर्मेंद्र को बॉलीवुड मे हीमैन, एक्शन किंग और गरम धरम कहा जाता हैं। फिल्मों मे उनके सफल योगदान के लिए उन्हें साल 1997 में फिल्मफेयर का लाइफटाइम एचीवमेंट और 2012 मे पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

लगभग 250 से ज्यादा फिल्मों मे अभिनय कर चुके धर्मेंद्र सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं।देश-विदेश मे उनके चाहने वालों की संख्या लाखों में हैं। वर्कफ़्रंट की बात करें तो धर्मेंद्र जल्द ही फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी और अपने दो में नजर आएंगे।

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बीते ज़माने की मशहूर अदाकारा शर्मीला टैगोर का जन्म 8 दिसंबर, 1944 को हैदराबाद के एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था।उ न्होंने महज 13 साल की उम्र में सत्यजीत राय की बंगाली फिल्म ‘अपुर संसार’ से बतौर अभिनेत्री अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने हिंदी और बंगाली की कई फिल्मों में शानदार अभिनय किया जिसमें कश्मीर की कली, आराधना, अमरप्रेम, छोटी बहू, मन , विरुद्ध आदि शामिल हैं। शर्मीला साठ के दशक की सबसे बोल्ड अभिनेत्री मानी जाती थी और बड़े पर्दे के साथ -साथ उस दौर में दर्शकों के दिलों पर भी उनका राज था।

शर्मिला ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी से 27 दिसंबर, 1969 को शादी की थी। शादी के बाद शर्मीला ने अपना नाम आयशा सुल्तान रख लिया, लेकिन लोग आज भी उन्हें शर्मिला टैगोर के नाम से ही जानते हैं। इनके तीन बच्चे सैफ अली खान, सबा अली खान और सोहा अली खान हैं। शर्मिला ने अक्टूबर 2004 से मार्च 2011 तक भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड का नेतृत्व किया। दिसंबर 2005 में उन्हें यूनिसेफ सद्भावना राजदूत के रूप में चुना गया। वह 2009 के कान फिल्म समारोह में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता की जूरी सदस्यों में से एक थीं। फिल्म इंडस्ट्री के पूरे सफर में उन्हें अपने बेहतरीन अभिनय के लिए दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। 2013 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शर्मीला अब फिल्मों से दूर हैं, लेकिन अपने अभिनय की बदौलत वह आज भी दर्शकों के दिलों पर राज करती हैं।

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सारा अली खान की डेब्यू फिल्म ‘केदारनाथ’ की रिलीज को आज तीन साल पूरे हो गए है। इस फिल्म में सारा अली खान के साथ दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत लीड रोल में थे। फिल्म में सारा मन्दाकिनी के किरदार में थी, वहीं सुशांत सिंह राजपूत ने मंसूर नाम का किरदार निभाया था।आज फिल्म की रिलीज के तीन साल पूरे होने पर फिल्म की लीड एक्ट्रेस सारा अली खान और फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर ने अभिनेता को याद करते हुए सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट साझा किया है। अभिनेत्री सारा अली खान ने अपनी इंस्टा स्टोरी पर फिल्म के कुछ सीन्स के वीडियो और तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा-‘तीन साल पहले हमेशा के लिए ! ‘

वहीं फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर ने केदारनाथ के सेट से एक थ्रोबैक तस्वीर साझा करते हुए लिखा-”इस कहानी के लिए जोश, जुनून और पूर्ण भक्ति लगी। उसके बारे में सोचने पर आज भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन किसी की मेहनत का सबसे अच्छा मीठा फल तब मिलता है जब आप जानते हैं कि आपने उसे उगाने के लिए आपने अपना खून-पसीना एक किया है। इस प्रयास के लिए पूरी कास्ट और क्रू का बहुत आभारी हूं। लेकिन साथ ही यह फिल्म उस पवित्र और असाधारण आत्मा के बिछड़ने की भी याद दिलाती है, जो इस फिल्म की विरासत है। मैं अभी भी मंसूर को केदारनाथ की पवित्र पहाड़ियों में महसूस कर सकता हूं, जो अपनी मासूमियत और सुंदरता को दिखाते हुए एक प्यारी मुस्कान के साथ इस दुनिया को देख रहा है।’

7 दिसंबर,2018 को रिलीज हुई फिल्म केदारनाथ एक रोमांटिक -ड्रामा फिल्म थी। फिल्म में सारा और सुशांत के अभिनय को दर्शकों ने काफी पसंद किया था। सुशांत सिंह राजपूत अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज इस फिल्म के तीन साल पूरे होने पर उनके तमाम चाहने वाले उन्हें याद कर रहे हैं।

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करण जौहर की मेगास्टार फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ की रिलीज के 20 साल पूरे होने वाले हैं। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख खान, काजोल, ऋतिक रोशन और करीना कपूर खान ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इन सबके अलावा फिल्म में रानी मुखर्जी भी नजर आईं थी।


इस आइकोनिक फिल्म के 20 साल पूरे होने को फिल्म के निर्देशक करण जौहर काफी उत्साहित हैं और वह इस पूरे सप्ताह को फिल्मोत्सव के रूप में सेलिब्रेट करेंगे। उन्होंने फिल्म के एक सीन का छोटा सा वीडियो साझा करते हुए अपने दिल की बात फैंस के सामने रखी है। करण जौहर ने लिखा-’20 साल होने जा रहे हैं और मैं अभी भी इस फिल्म को बड़े पर्दे पर रिलीज करने और इसे देखने जाने वाले लोगों के उत्साह को महसूस करता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि फिल्म को लेकर मेरे ऊपर यह प्रभाव बहुत बाद में पड़ा है और ये अहसास तब से रुका नहीं है। मैं त्यौहारों पर सभी वीडियो देखता हूं और मुझे लगता है कि इस फिल्म का संगीत सभी त्यौहारों का हिस्सा है। फिल्म के संवाद और फैशन को लोगों ने अपने दैनिक जीवन में निश्चित रूप से शामिल कर लिया है। मैं यह भी देखता हूं कि इस वक्त के बाद ये सब आपके परिवार से प्यार करने के बारे में है।’ इसके साथ ही करण जौहर ने फैंस से इस फिल्मोत्सव सप्ताह में शामिल होना आग्रह करते हुए कहा कि, इस पूरे सप्ताह हमारे साथ फिल्म के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाएं। क्योंकि हमारे पास आपके लिए बहुत कुछ हैं।

करण जौहर के निर्देशन में बनी यह फिल्म 14 दिसंबर 2001 को रिलीज हुई थी। फिल्म की कहानी भी करण जौहर ने ही लिखी थी। इस फिल्म के संवाद से लेकर गाने और फिल्म की कहानी दर्शकों को काफी पसंद आई थी और यह बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी।

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इन दिनों अपनी शादी को लेकर चर्चा में चल रहे फिल्म अभिनेता विक्की कौशल और कैटरीना कैफ परिवार के संग जयपुर पहुंच चुके हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार कैटरिना कैफ और विक्की कौशल 9 दिसंबर को सात फेरे लेंगे।

हालांकि, अभी तक विक्की कौशल और कैटरीना कैफ ने इस बारे में खुद आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं की है। लेकिन, दोनों के ही घर- परिवार में जारी तैयारियां इस बारे में काफी कुछ बयान कर रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, आज मेहंदी सेरेमनी के साथ विक्की-कैट की शादी के रस्मों की शुरुआत हो जाएगी। वहीं इस शादी में शामिल होने के लिए परिवार के सदस्यों के अलावा मेहमानों का भी आना शुरू हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, फिल्म निर्देशक कबीर खान, शरवरी वाघ, नेहा धूपिया, अंगद बेदी, गुरदास मान आदि भी जयपुर पहुंच गए हैं और इन सभी को जयपुर में स्पॉट भी किया गया है, जिससे कि यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ये सभी लोग कैट -विक्की की शादी में शामिल होने के लिए जयपुर पहुंचे हैं। विक्की और कैट की शादी में कुल 120 मेहमान ही शादी समारोह में शामिल होंगे। इ

इस दौरान कड़ी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था भी तैनात रहेगी। दोनों की शादी का प्रोग्राम फोर्ट के भीतर का है। अंदर प्राइवेट सिक्योरिटी ही है। शादी में शामिल होने वाले मेहमानों को कोविड रोधी टीके की दोनों खुराक लगी होनी चाहिए और जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया है, उन्हें 72 घंटे पहले की आरटी-पीसीआर जांच की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य रूप से दिखानी होगी। इसके अलावा कहा जा रहा है कि इस सेलिब्रिटी कपल की शादी में आने वाले हर मेहमान को जीरो मोबाइल पॉलिसी अपनानी होगी। इसका मतलब यह है कि शादी के दौरान किसी भी मेहमान मोबाइल फोन अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होगी।

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JioPhone All-In-One Recharge Plans: रिलायंस जियो के अनलिमिटेड रीचार्ज प्लान्स के लिए टैरिफ बढ़ोतरी की घोषणा के कुछ दिनों बाद जियोफोन के रीचार्ज प्लान्स में भी बदलाव किये हैं. जियो ने तीन मौजूदा जियोफोन प्लान्स में बढ़ोतरी का ऐलान किया है.

कंपनी ने 200 रुपये से कम कीमत वाला एक नया प्लान भी अपनी इस श्रेणी में शामिल किया है. जियोफोन अब यूजर्स को अलग से डेटा वाउचर नहीं देगा. इसके अलावा आपको बता दें कि जियोफोन प्लान केवल जियोफोन में ही काम करते हैं, किसी भी अन्य रीचार्ज प्लान की तरह इन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

JioPhone 152 Plan
Jio ने एक नया ऑल-इन-वन प्लान भी पेश किया है, जिसकी कीमत 152 रुपये है. यह 28 दिनों की वैलिडिटी के साथ 0.5GB डेली डेटा और अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ आता है. इसके अलावा, प्लान में 300 SMS फ्री हैं और Jio ऐप्स का फ्री ऐक्सेस भी मिलेगा.

JioPhone 186 Plan
जियोफोन के तीन ऑल-इन-वन प्लान्स को रिवाइज किया गया है. 155 रुपये वाला जियोफोन ऑल-इन-वन प्लान अब 186 रुपये में मिलेगा. इस प्लान में 28 दिनों की वैलिडिटी, 1GB डेली डेटा, डेली 100 SMS, अनलिमिटेड वॉयस कॉल और जियो ऐप्स का फ्री ऐक्सेस भी मिलता है.

JioPhone 222 Plan
जियोफोन का अगला प्लान 186 रुपये का है, जिसकी कीमत बढ़ाकर अब 222 रुपये कर दी गई है. इस प्लान में 28 दिनों के लिए 2GB डेली डेटा, अनलिमिटेड कॉलिंग, 100 SMS और Jio ऐप्स का फ्री ऐक्सेस भी मिलता है.

JioPhone 899 Plan
749 रुपये वाला जियोफोन ऑल-इन-वन प्लान अब 899 रुपये का हो गया है. यह एन्युअल प्लान प्रतिमाह 2GB डेटा के हिसाब से 336 दिनों के लिए 24GB डेटा का ऐक्सेस देगा. यह प्लान अनलिमिटेड वॉयस कॉल, प्रतिदिन 50 SMS और Jio ऐप्स का ऐक्सेस भी फ्री में देता है.

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भारतीय सिनेमा के इतिहास में फिल्म अभिनेता देव आनंद का नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखा जा चुका है। अभिनेता देव आनंद आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन अपने बेहतरीन अभिनय की बदौलत वह आज भी अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करते हैं।

26 सितंबर,1923 को जन्मे देव आनंद का पूरा नाम धर्मदेव आनंद था। देव आनंद ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1946 में फिल्म हम एक है से की। इस फिल्म में देव आनंद को गुरुदत्त के साथ अभिनय करने का मौका मिला। साल 1948 में देव आनंद बॉम्बे टाकीज प्रोडक्शन की फिल्म जिद्दी में मुख्य भूमिका में नजर आए। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई। इस फिल्म की सफलता ने देव आनंद को सुपरस्टार का दर्जा दिलाया।

साल 1949 में देव आनंद ने अपनी एक फिल्म कंपनी खोल ली जिसका नाम उन्होंने नवकेतन रखा। देव आनंद फिल्म अभिनेता के साथ-साथ फिल्म निर्देशक भी बन गए थे। देव आनंद ने कई फिल्मों में यादगार अभिनय किया जिसमें बाजी, हेरा-फेरी, ज्वैल थीफ, हम दोनों, काला पानी, तेरे घर के सामने, टैक्सी ड्राइवर, पेइंग गेस्ट, सीआइडी, फंटूस, गाइड, जॉनी मेरा नाम, प्रेम पुजारी, तेरे मेरे सपने, हीरा पन्ना, छुपे रुस्तम और तीन देवियां आदि शामिल हैं। इन फिल्मों में देव आनंद के अभिनय ने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी।

इन फिल्मों के बाद देव आनंद की गिनती सदाबहार अभिनेताओं में होने लगी।साल 1954 में देव आनंद ने कल्पना कार्तिक से शादी कर ली। देव आनंद ने निर्माता के रूप में मैं सोलह बरस की और देस परदेस में काम किया। देव आनंद को फिल्म जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 2001 में पद्म भूषण और साल 2002 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

बतौर निर्देशक उन्होंने कई फिल्में बनाई, जिसमें प्रेम पुजारी, हरे रामा हरे कृष्णा, हीरा पन्ना, हम नौजवान, अव्वल नंबर और मिस्टर प्राइम मिनिस्टर आदि शामिल हैं। 3 दिसंबर, 2011 को सदा मुस्कुराते रहने वाले देव आनंद का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। देव आनंद ने फिल्म जगत में जो मकाम हासिल किया था वह हर किसी के लिए संभव नहीं हैं। भारतीय सिनेमा के इतिहास में वह सदैव अमर रहेंगे।

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फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर की अपकमिंग फिल्म ‘पृथ्वीराज’ का शानदार टीजर सोमवार को मेकर्स ने जारी कर दिया है।यह एक ऐतिहासिक पीरियड ड्रामा फिल्म है। फिल्म में मानुषी राजकुमारी संयोगिता के किरदार में नजर आएगी, वहीं अक्षय कुमार फिल्म में पृथ्वीराज की भूमिका में होंगे। इन दोनों के अलावा फिल्म में अभिनेता सोनू सूद और संजय दत्त भी अहम भूमिका में हैं।

सोमवार को जारी हुए फिल्म के इस टीजर में फिल्म के सभी किरदारों से इंट्रोडयूस कराया गया ।टीजर की शुरुआत जंग के मैदान से होती है। वॉइसओवर आता है- जिसके पीछे सौ सिर, सौ सामंत, वचन और वतन के लिए सिर कटाने को तैयार हों, वो सम्राट पृथ्वीराज चौहान होता है। इस लाइन के बाद अक्षय कुमार की पृथ्वीराज के किरदार में युद्ध भूमि में म्यान से तलवार खींचते हुए एंट्री होती है। ऐसी कुछ और भी लाइंस सुनाई देती हैं- सभी सलामी के लिए तैयार हों, हिंदुस्तान का शेर आ रहा है। इसके बाद युढ्भूमि के दृश्य नजर आते हैं। इसके अलावा टीजर में संजय दत्त, मानुषी छिल्लर और सोनू सूद की भी झलक देखी जा सकती है।

टीजर काफी शानदार है और सोशल मीडिया पर अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है।यह फिल्म मानुषी छिल्लर की बॉलीवुड डेब्यू है।चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित इस फिल्म को आदित्य चोपड़ा प्रोड्यूस कर रहे हैं। फिल्म अगले साल 21 जनवरी को सिनेमाघरों में दस्तक देगी।

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फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने हाल ही में अपने दिए गए आजादी वाले बयान के बाद अब अपनी इंस्टा स्टोरी पर एक पोस्ट साझा किया है। जिसमें कंगना ने दावा किया कि अगर वह गलत साबित हुई तो अपना पद्मश्री खुद ही लौटा देंगी।

दरअसल, हाल ही में कंगना ने देश को मिली आजादी को लेकर कहा था कि देश को 1947 में तो आजादी भीख में मिली थी जबकि देश को असली आजादी साल 2014 में मिली।’ अपने इस बयान के बाद कंगना न सिर्फ सुर्ख़ियों में हैं, बल्कि वह ट्रोलर्स के निशाने पर भी हैं। वहीं अब कंगना ने अपनी इंस्टा स्टोरी पर एक किताब का पन्ना अंश शेयर किया है।

इस पन्ने पर अरबिंदो घोष, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के कोट्स हैं, जिनमें कांग्रेस को लेकर उन्होंने अपनी बात कही है। कंगना ने अपनी इंस्टा स्टोरी में लिखा-उसी इंटरव्यू (न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू) में सब कुछ बहुत स्पष्ट रूप कहा है। 1857 में स्वतंत्रता के लिए पहली सामूहिक लड़ाई शुरू हुई। पूरी लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों ने बलिदान दिया।

1857 की लड़ाई मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है। अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी…कृपया इसमें मेरी मदद करें। मैंने शहीद वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई की फीचर फिल्म में काम किया है… आजादी की पहली लड़ाई 1857 पर बड़े पैमाने पर रिसर्च की थी… राष्ट्रवाद के साथ राइट विंग का भी उदय हुआ… लेकिन अचानक खत्म क्यों हो गया? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया? नेताजी बोस को क्यों मारा गया और गांधी जी का सपोर्ट उन्हें कभी क्यों नहीं मिला? एक गोरे (ब्रिटिश) ने पार्टीशन की लाइन क्यों खींची?

स्वतंत्रता का जश्न मनाने के बजाय भारतीयों ने एक-दूसरे को क्यों मारा? कुछ जवाब जो मैं मांग रही हूं कृपया जवाब खोजने में मेरी मदद करें। जैसा कि इतिहास है, अंग्रेजों ने बरबादी की हद तक भारत को लूटा है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान गरीबी और दुश्मनी के हालात में उनका भारत में रहना भी महंगा पड़ रहा था। लेकिन, वे जानते थे कि वे सदियों के अत्याचारों की कीमत चुकाए बगैर भारत से जा नहीं पाएंगे। उन्हें भारतीयों की मदद चाहिए थी। उनकी आजाद हिंद फौज के साथ छोटी सी लड़ाई ही हमें आजादी दिला सकती थी और सुभाष चंद्र बोस देश के पहले प्रधानमंत्री होते। क्यों आजादी को कांग्रेस के कटोरे में डाला गया गया?

जब राइट विंग इसे लड़कर ले सकती थी। क्या कोई ये समझाने में मदद कर सकता है। मैं परिणाम भुगतने के लिए तैयार हूं। जहां तक 2014 में आजादी का संबंध है, मैंने विशेष रूप से कहा था कि भौतिक आजादी हमारे पास हो सकती है, लेकिन भारत की चेतना और विवेक 2014 में मुक्त हो गए थे…पहली बार है जब अंग्रेजी न बोलने या छोटे शहरों से आने या भारत में बनी चीजों का उपयोग करने के लिए लोग हमें शर्मिंदा नहीं कर सकते… उस एक ही इंटरव्यू में सब कुछ साफ कहा है… लेकिन जो चोर हैं, उनकी तो जलेगी ही। कोई बुझा नहीं सकता… जय हिंद।

उल्लेखनीय है, कंगना रनौत ने गुरुवार को अपने एक बयान में कहा था कि-‘देश को 1947 में तो आजादी भीख में मिली थी जबकि देश को असली आजादी साल 2014 में मिली।’ अपने इस विवादित बयान के बाद कंगना लगातार सुर्खियों में बनी हुई है।

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