Chhapra/Prayagraj:  दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ 2025 में भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं का त्रिवेणी संगम पर पहुंचना जारी है. प्रयागराज में महाकुंभ में स्नान करने के लिए करोड़ों लोग पहुँच रहे हैं।

ऐसे में श्रद्धालुओं के आवास और भोजन के लिए मेला क्षेत्र में शिविर बनाए गए हैं। इन शिविरों कुछ शिविर समजसेवियों के द्वारा भी लगाए गए हैं। जिनमें आवास और भोजन की व्यवस्था की गई है।

सारण के समाजसेवी राणा यशवंत प्रताप सिंह के द्वारा भी कुंभ मेला क्षेत्र में शिविर लगाया गया है। जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। शिविर में रुकने के बाद संगम में स्नान कर पुण्य कमा रहे हैं।

समाजसेवी राणा यशवंत प्रताप सिंह ने बताया कि क्षेत्र के लोगों के साथ साथ सम्पूर्ण बिहार और अन्य जगहों से भी श्रद्धालु शिविर में पहुँच रहे हैं। सभी श्रद्धालुओं के लिए राम जन्म सिंह सेवा समिति परिसर तैयार है। आवास और भोजन के प्रबंध उनके द्वारा की गई है।

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कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। यह हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक जैसे चार पवित्र स्थानों पर आयोजित होता है। कुंभ मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि खगोलीय घटनाओं से जुड़ी एक विशेष परंपरा है।

2025 में महाकुंभ प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा, जो कुल 45 दिनों का आयोजन होगा। अक्सर लोग कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्णकुंभ और महाकुंभ के बीच अंतर को लेकर भ्रमित रहते हैं।

इन आयोजनों का समय, धार्मिक महत्व और खगोलीय स्थितियों पर आधारित अंतर इन्हें खास बनाता है। इनके बीच के अतंर को जानिए।

1. कुंभ मेला (हर 12 साल में) इसके लिए स्थान भी फिक्स रहता है।
स्थान: चारों पवित्र स्थल (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक)।

खगोलीय स्थिति: जब सूर्य, चंद्रमा और गुरु (बृहस्पति) विशेष खगोलीय स्थिति में होते
हैं।
महत्व: इस समय इन स्थानों की नदियों (गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और संगम) का जल बेहद पवित्र माना जाता है।

2. अर्धकुंभ मेला (हर 6 साल में)

स्थान: केवल हरिद्वार और प्रयागराज।

अर्थ: ‘अर्ध’ का मतलब है आधा। यह कुंभ और पूर्णकुंभ के बीच की अवधि में आयोजित होता है।

विशेषता: इसे कुंभ चक्र का मध्य चरण माना जाता है।

3. पूर्णकुंभ मेला (हर 12 साल में, केवल प्रयागराज में)
     स्थान: केवल प्रयागराज।
      महत्व: इसे कुंभ मेले का उच्चतम धार्मिक स्तर माना जाता है।

2025 में आयोजन: इस साल प्रयागराज में पूर्णकुंभ का आयोजन होगा।

4. महाकुंभ मेला (हर 144 साल में)

5. स्थान: सिर्फ प्रयागराज।

महत्व: 12 पूर्णकुंभों के बाद आयोजित यह मेला एक ऐतिहासिक और दुर्लभ धार्मिक आयोजन है।

विशेषता:

इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, और इसे सबसे भव्य धार्मिक पर्व माना जाता है।

महाकुंभ का स्थान कैसे तय होता है?

महाकुंभ के आयोजन स्थल का निर्धारण ग्रहों की स्थितियों के आधार पर होता है, खासतौर पर गुरु (बृहस्पति) और सूर्य की स्थिति पर।

हरिद्वार: जब गुरु कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं।

उज्जैन: जब सूर्य मेष राशि में और गुरु सिंह राशि में होते हैं।

नासिक: जब गुरु और सूर्य दोनों सिंह राशि में होते हैं।

प्रयागराज: जब गुरु वृषभ राशि में और शनि मकर राशि में होते हैं।

महाकुंभ 2025 क्यों खास है?

2025 का महाकुंभ प्रयागराज में 12 साल बाद आयोजित हो रहा है। यह सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व रखता है। इस आयोजन में शामिल होकर भक्त न केवल अपने पापों का क्षय मानते हैं, बल्कि मोक्ष की ओर अग्रसर होने का अनुभव भी करते हैं।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Prayagraj: विश्व का सबसे बड़ा सास्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन ‘महाकुम्भ 2025’ आज से शुरू हो गया है।  आस्था व आध्यात्मिकता का अविस्मणीय अनुभव करने श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे। यह आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।

गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम प्रयागराज में महाकुंभ पर करोड़ों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं।

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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति, भारत का एक प्रमुख हिंदू पर्व है।  यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है। भारत में हर पर्व त्योहार  संस्कृति से जुड़े हुए हैं। इन पर्व को लेकर लोगों में काफी आस्था और उमंग देखने को मिलता है।

इस वर्ष मकर संक्रांति मंगलवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान दान करने को शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति 2025: तारीख और समय

मकर संक्रांति: मंगलवार, 14 जनवरी 2025
मकर संक्रांति पुण्य काल: 09:03 बजे से 17:46 बजे तक
मकर संक्रांति महा पुण्य काल: 09:03 बजे से 10:48 बजे तक
मकर संक्रांति का क्षण: 09:03 बजे
इन मुहूर्तों को पुण्य काल और महा पुण्य काल कहा जाता है, जिनके दौरान धार्मिक कार्य और दान-पुण्य करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति का पर्व फसल कटाई और सूर्य देव की पूजा का पर्व है। यह दिन सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो भारतीय संस्कृति में सकारात्मक बदलाव और समृद्धि का संकेत माना जाता है। यह दिन अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है, और इसके साथ ही यह समय नई शुरुआत करने, आध्यात्मिक प्रैक्टिस और अच्छे कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।

भारत में मकर संक्रांति के विविध रूप
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है:

तमिलनाडु में इसे पोंगल कहते हैं, जिसमें सूर्य देवता को धन्यवाद देते हुए विशेष मीठा व्यंजन तैयार किया जाता है।
गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है, और इस दिन लोग गुब्बारे उड़ाते हैं, जो उत्साह और खुशी का प्रतीक होते हैं।
पंजाब और हरियाणा में इसे माघी के नाम से मनाते हैं, जहां लोग नदी में स्नान करते हैं और खास व्यंजन जैसे खीर और तिल गुड़ खाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य होते हैं। जैसे पवित्र स्नान: गंगा, यमुनाजी या गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना, जो आत्मा को शुद्ध करता है। नैवेद्य अर्पित करना: सूर्य देवता को खाने की सामग्री अर्पित करना और उनका आभार व्यक्त करना। दान और पुण्य कार्य: इस दिन विशेष रूप से गरीबों को कपड़े, खाना और पैसे दान करना पुण्य का कार्य माना जाता है। श्रद्धा कर्म: अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और अन्य श्रद्धा कर्म करना। व्रत का पारण: कई लोग व्रत रखते हैं और पुण्य काल के दौरान उसका पारण करते हैं।

मकर संक्रांति की क्षेत्रीय विविधताएं

मकर संक्रांति हर राज्य और क्षेत्र में अपने अनोखे तरीके से मनाई जाती है।

कुछ प्रमुख क्षेत्रीय परंपराएं:

महाराष्ट्र में तिल गुड़ बांटना, जो प्रेम और एकता का प्रतीक होता है।
बंगाल में गंगा सागर मेला जैसे बड़े आयोजन होते हैं, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
दक्षिण भारत में पोंगल के दौरान रंग-बिरंगे कोलम (रंगोली) बनाए जाते हैं और सामूहिक भोज होता है।
गुजरात में उत्तरी दिशा की ओर उड़ते रंग-बिरंगे पतंगों के साथ उत्तरायण की खुशी मनाई जाती है।
मकर संक्रांति न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामूहिकता, प्रेम और आस्था का पर्व भी है। यह पर्व हमें एकजुट होने, अच्छे कार्यों को करने और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594,9545290847

 

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Chhapra: अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगाँठ पर रामभक्तों ने दीपोत्सव मनाया। छपरा शहर के कचहरी स्टेशन परिसर में स्थित दुर्गा मंदिर में विश्व हिंदु परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एकत्र होकर हनुमान चालीसा का सामूहिक गान किया।

इस अवसर पर रामभक्तों ने कहा कि श्री राम का जीवन मानवता और नैतिकता का अनुपम उदाहरण है। 500 वर्षों की प्रतीक्षा को समाप्त करते हुए, गत वर्ष अयोध्या में प्रभु श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कर पूरे देश में आध्यात्मिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ था। यह भव्य मंदिर सदियों तक देशवासियों की आस्था और आकांक्षा का प्रतीक बना रहेगा। 

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– पहली बार एक ही दिन में 7.43 लाख श्रद्धालुओं ने किया दर्शन-पूजन, बेहतरीन भीड़ प्रबंधन से मंदिर में धक्कामुक्की की नहीं आई नौबत

वाराणसी, 02 जनवरी (हि.स.)। आंग्ल नववर्ष के पहले दिन काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के स्वर्णिम दरबार में शिवभक्तों के आने का नया रिकॉर्ड बना है। मंदिर में भोर मंगला आरती से लेकर रात 11 बजे शयन आरती तक कुल सात लाख 43 हजार 699 श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया। यह एक दिन में दर्शनार्थियों के आने का नया रिकॉर्ड है।

श्री काशी विश्वनाथ धाम के नव्य भव्य विस्तारित स्वरूप के बाद दरबार में दर्शन पूजन के नित नए कीर्तिमान बन रहे हैं। मंदिर न्यास के अनुसार वर्ष 2024 में पहली जनवरी को कुल सात लाख 35 हजार, 1 जनवरी 2023 को 5.50 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया था।

मंदिर न्यास की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नववर्ष के पहले दिन सुबह 06 बजे तक एक लाख 10 हजार 824, आठ बजे तक एक लाख 65 हजार 946, पूर्वाह्न 10 बजे तक 2 लाख 35 हजार 450, दोपहर 12 बजे तक दो लाख 80 हजार 971, अपराह्न दो बजे तक तीन लाख 59 हजार 832 और शाम चार बजे चार लाख 21 हजार 489 श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई। यह आंकड़ा शाम 06 बजे तक 5 लाख 9 हजार 770 हो गया। रात आठ बजे 6 लाख 06 हजार 130, रात 10 बजे सात लाख 14 हजार 387 और रात 11 बजे 7 लाख 43 हजार 699 का रिकॉर्ड आंकड़ा दर्ज हुआ।

मंदिर न्यास ने भी वर्ष के पहले दिन सात से आठ लाख भक्तों के आने की संभावना जताई थी। मंदिर प्रबंधन और प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन पर खासा ​ध्यान दिया जिसके चलते धाम में धक्कामुक्की की नौबत नही आई। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सावन और महाशिवरात्रि जैसे प्रोटोकॉल लागू किए गए।

सेवादारों और पुलिसकर्मियों ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा का जिम्मा संभाला था। 02 जनवरी को भी स्पर्श दर्शन, सुगम दर्शन, रुद्राभिषेक टिकट बुकिंग बंद रही।

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वैष्णव साधुओं के अनी अखाड़े के संत व महामण्डलेश्वर 08 जनवरी को करेंगे छावनी प्रवेश

महाकुंभ नगर(UP):  वैष्णव साधुओं के अनी-अखाड़े का छावनी प्रवेश 08 जनवरी को महाकुंभ मेला क्षेत्र में होगा। इनकी पेशवाई प्रयागराज के के.पी.इण्टर कॉलेज से शुरू होगी। इस दौरान, साधु-संत, महामण्डलेश्वर हाथी, घोड़े, पालकी, रथ, बग्घी और चांदी के हौदे पर सवार होकर मेला क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। इस यात्रा में निर्वाणी, निर्मोही व दिगम्बर अखाड़े के करीब 774 महामण्डलेश्वर शामिल होंगे। इनका छावनी प्रवेश ढोल-नगाड़े, शंखनाद और जयघोष के साथ होगा।

यह जानकारी निर्वाणी अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत मुरलीदास महाराज ने हिन्दुस्थान समाचार को दी। उन्होंने बताया कि छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़ों के पदाधिकारी और संत शामिल होते हैं। इस यात्रा में वैष्णव अखाड़ा के अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़ा के शिविर में प्रवेश करके संत अपना डेरा जमाते हैं।

अयोध्या के श्रीहनुमान गढ़ी के संत राजूदास महाराज ने बताया कि निर्मोही, दिगम्बर और निर्वाणी-ये तीन अनी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न शिविरों में विभिन्न पताकाओं से युक्त संगठित होकर यह कुंभ मेले के अवसर पर मार्च करते हैं। उन्होंने बताया कि सर्वमान्य पताका श्रीमहंत के शिविर के समक्ष लगाई जाती है। नागा,संन्यासियों का संगठन उसी प्रकार संगठित रहता है जैसे सैनिक संगठन होते हैं।

उन्होंने बताया कि बिगुल और तुरही की आवाज सुनकर जैसे सैनिक का संगठन सावधान हो जाता है, उसी प्रकार यह नागमणि की आवाज सुनकर सावधान हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि सेना जैसे मार्च करते हैं, इसलिए इन्हें शाही नाम दिया गया है।

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-अंगद टीला पर होने वाले कार्यक्रम में समाज आमन्त्रित है : चंपत राय

अयोध्या, 22 दिसंबर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ भारतीय काल गणना के अनुसार मनाई जाएगी। उक्त जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कारसेवक पुरम में रविवार को दी।

ट्रस्ट के महामंत्री राय ने आज पत्रकार वार्ता में बताया कि वर्ष 2025 में जनवरी मास में पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी को दोपहर समय 12: 20 बजे मंदिर गर्भगृह में आरती और विशेष पूजा होगी। उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी 22 जनवरी 2024 को की गई थी, वर्ष 2025 में जनवरी मास में पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी को है। इसे ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ नाम दिया गया है। इस अवसर पर तीन दिवसीय (11,12 व 13 जनवरी) आयोजन होगा। व्यवस्था के दृष्टिगत पांच स्थानों को आयोजन स्थल बनाया गया है।

70 एकड़ मंदिर परिसर में होने वाले आयोजन और यज्ञ मण्डप के कार्यक्रम

राय ने बताया कि शुक्ल यजुर्वेद माध्यन्दिनी शाखा के 40 अध्यायों के 1975 मंत्रो से अग्नि देवता को आहुति प्रदान की जाएगी, 11 वैदिक मन्त्रोच्चार करेंगे। होम का यह कार्य प्रातः काल 8 से 11 बजे तक और अपराह्न 2 से 5 बजे तक होगा। उन्होंने बताया कि श्रीराममंत्र का जप यज्ञ भी इसी कालखंड में दो सत्रों में होगा, छह लाख मंत्र जप किया जाएगा।

इसके साथ राम रक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा, पुरुष सूक्त, श्री सूक्त, आदित्य हृदय स्तोत्र, अथर्वशीर्ष आदि के पारायण भी होंगे। दक्षिणी प्रार्थना मंडप में नित्य अपराह्न 3 से 5 बजे तक भगवान को राग सेवा प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने बताया कि मंदिर प्रांगण में तीनों दिन सायंकाल 6 से 9 बजे रात्रि तक रामलला के सम्मुख बधाई गान होगा। यात्री सुविधा केंद्र के प्रथम तल पर 3 दिवसीय संगीतमय मानस पाठ होगा।

इसके अतिरक्त अंगद टीला पर अपराह्न 2 से 3:30 बजे तक राम कथा और अपराह्न 3:30 से 5 बजे तक प्रभु श्रीराम के जीवन पर प्रवचन होंगे। उन्होंने बताया कि तीनों दिन सायंकाल 5:30 से 7:30 बजे तक भिन्न-भिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। अंगद टीला के समस्त कार्यक्रमों में समाज सादर आमंत्रित है। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठा द्वादशी (11 जनवरी, 2025) को प्रातः काल से प्रसाद वितरण प्रारंभ होगा।

इस अवसर पर ट्रस्ट सदस्य डा अनिल मिश्र, विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा उपस्थित रहे।

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मुरादाबाद, 18 दिसम्बर (हि.स.)। जिलाधिकारी अनुज सिंह ने बुधवार को जनपद के श्रद्धालुओं को बताया कि प्रयागराज पहुंचने से पहले महाकुंभ मेला 2025 मोबाइल एप डाउनलोड करें और मेला की जानकारी प्राप्त करें तथा यात्रा से पूर्व निवास स्थान सुनिश्चित कर लें।

जिलाधिकारी अनुज सिंह ने महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 के मध्य उत्तर प्रदेश के जनपद प्रयागराज में किया जा रहा है। मेला क्षेत्र गंगा एवं यमुना नदी के किनारों पर लगभग 4200 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। मेला क्षेत्र में दिन के समय तापमान कभी-कभी 9 डिग्री तथा रात्रि में लगभग 2 डिग्री तक हो सकता है, दिन में धूप न होने पर घने कोहरे की स्थिति भी बन जाती है। जिलाधिकारी ने जनपद के श्रद्धालुओं को बताया कि प्रयागराज पहुंचने से पहले महाकुंभ मेला 2025 मोबाइल एप डाउनलोड करें और मेला की जानकारी प्राप्त करें तथा यात्रा से पूर्व निवास स्थान सुनिश्चित कर लें।

इसके साथ ही बदलते मौसम के अनुसार कपड़े एवं खान-पान का सामान साथ, रखें गर्म एवं ऊनी वस्त्र साथ में अवश्य रखें, मौसम की पूर्ण जानकारी हेतु मौसम विभाग (IMD) की वेबसाइट देखें एवं आपदा की पूर्व चेतावनी हेतु सचेत मोबाइल एप डाउनलोड कर चेक करें। 60 वर्ष से अधिक आयु या पूर्व से बीमार व्यक्ति यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच अवश्य कराए और डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही यात्रा करें।

उन्होंने बताया कि पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नंबर चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाइयां अपने साथ अवश्य रखें। इसके साथ उन्होंने बताया कि हृदय रोग, श्वास रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगी यात्रा के समय विशेष सावधानी बरतें, यदि श्रद्धालु आयुष्मान कार्ड धारक हैं तो अपना आयुष्मान कार्ड साथ में रखें जिससे कि आकस्मिकता की स्थिति में सरकारी एवं निजी चिकित्सालय में आयुष्मान योजना के अंतर्गत मुफ्त इलाज प्राप्त हो सके।

इसके साथ ही जिलाधिकारी ने बताया कि आपात स्थिति में श्रद्धालु महाकुंभ हेल्पलाइन नंबर 1920, पुलिस हेल्पलाइन 112 तथा आपदा हेल्पलाइन 1077 पर कॉल कर सकते हैं।

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Sonpur: कला संस्कृति एवं युवा विभाग , बिहार के सौजन्य से जिला प्रशासन द्वारा दो दिवसीय हरिहर नाथ महोत्सव का आयोजन 11 एवं 12 दिसम्बर 2024 को सोनपुर में किया जा रहा है।

दो दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन उप मुख्य (कला संस्कृति एवं युवा विभाग) मंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा 11 दिसंबर को संध्या 5 बजे हरिहर नाथ मंदिर परिसर, सोनपुर में किया जायेगा।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में मंत्री विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग , बिहार सह प्रभारी मंत्री सुमित कुमार सिंह भी शिरकत करेंगे।

सांसद सारण, महराजगंज सहित सारण जिला के सभी सदस्य विधान परिषद एवं सदस्य विधान सभा की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

इस महोत्सव में 11 दिसंबर को भरत शर्मा व्यास तथा 12 दिसम्बर को भजन गायिका देवी की प्रस्तुति होगी।

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Chhapra: गीता जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में  भरत मिश्र संस्कृत महाविद्यालय सलेमपुर के प्रांगण में पेंटिंग, लेखन, श्लोक संवाद जिला स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रो उच्चारण एवं दीप प्रज्वलित मुख्य अतिथि अरुण पुरोहित के साथ बद्रीनाथ नारायण पांडेय, कमलाकर मिश्र,सुधांशु शर्मा, आचार्य अम्बरीष मिश्रा, विनोद कुमार सिंह, उत्तम कुंडू एवं अजय सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

जिसमें शहर के दर्जनों स्कूल के सैकड़ो बच्चों ने भाग लिया । विभिन्न प्रतियोगिताओं को अलग-अलग वीक्षको द्वारा लिया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि अरुण पुरोहित धर्म प्रचारक ने कहा कि समिति का लक्ष्य जन जागरण के द्वारा हर घर तक गीता को पहुंचाना लक्ष्य है। गीता हमें जीवन जीने की कला बताती है। मनुष्यों की हर समस्या का समाधान गीता में है। 3 साल के अथक प्रयास का ही आज नतीजा है की हजारों की संख्या में( 4 से 15 साल उम्र) के बच्चे प्रतियोगिता में भाग लेकर गीता के श्लोक पढ़कर उसके अर्थ को अपने परिवार में समझा रहे हैं । कार्यक्रम में उपस्थित सभी ने अपने विचार रखें।

मुख्य अतिथि अरुण पुरोहित ने बताया गीता जयंती 11 दिसंबर को सभी लोग अपने घरों में गीता का पूजन करें गीता का पाठ करें अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ बैठकर गीता पर परिचर्चा करें।

जिला के सभी प्रखंड में 11 दिसंबर तक यह कार्यक्रम चलता रहेगा। इस अवसर पर नरेश चौबे, अनिल शुक्ला, सीमा सिंह, मिथिलेश सिंह, कामेश्वर सिंह विद्वान, विमलेश सिंह, सुरेश चौबे, उपस्थित रहे। 

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Chhapra: मारूती मानस मंदिर में प्रांगण आयोजित सात दिवसीय यज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को विश्व विख्यात कथा वाचक महामंडलेशवर स्वामी डाॅ इंद्रदेशवरानंद का प्रवचन सुनने छपरावासी उमड़ पड़े।

महाराज जी ने वेद, गीता तथा कृष्ण के कई प्रसंगों का उल्लेख कर बहुत ही सुंदर ढंग से अपनी बातों को काफ़ी प्रभावी तरीके से रखा।

उन्होंने कहा कि जीवन में बहुत घटनाएं होती हैं, उसको पकड़ कर बैठोगे तो आगे नहीं बढ़ोगे। ईर्ष्या, घृणा, द्वेष आदि से आदमी को बचना चाहिए। कभी भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। परमात्मा के नेत्रों से कोई नहीं बच सकता। हम लोग कभी-कभी चश्मा लगाकर भी सही अक्षर नहीं पहचान पाते लेकिन परमात्मा हर अक्षर पर नजर रखते हैं।

आप क्या कर रहे हैं,आपका कर्म कैसा है,उसी के अनुरूप परमात्मा आपको देखते हैं। प्रसंगवश महाराज जी ने कहा कि गलत तरीके से कमाया गया धन राक्षस बन जाता है, जो आगे नाश ही करता है। सुंदर घर, सुंदर वस्त्र, सुंदर वचन, अच्छा भोजन, यही धन का सदुपयोग है। अगर गलत तरीके से धन कमाया तो वह व्यसन,शराब,दुराचार,अपव्यय में चला जायेगा। बुरा धन निश्चित रूप से आपका बुरा ही करेगा। जब हमारे पाप इकट्ठे हो जाते हैं तो वह पाप हमारा दुश्मन बन जाता है। कर्म का फल इस धरती पर सबको भोगना पड़ता है। परमात्मा की दुनिया में जो कुछ सुंदर है, वह कई जन्मों के पुण्य का फल है।

इस अवसर पर मुख्य रूप सें भरत सिंह, जितेन्द्र कुमार सिंह, शैलेन्द्र सेंगर, पंडित रामप्रकाश मिश्रा आदि थे।

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