धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात करने बड़ी संख्या में महाकुंभ पहुँच रहे हैं युवा

धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात करने बड़ी संख्या में महाकुंभ पहुँच रहे हैं युवा

Prayagraj/Chhapra: प्रयागराज में महाकुंभ जारी है। हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ संगम तट पर पवित्र स्नान करने के लिए उमड़ रही है. एक अनुमान के अनुसार अब तक साढ़े सात करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान कर लिया है.

महाकुंभ में अखाड़ों में संत, साधु, महात्माओं के साथ साथ विदेशों से पहुंचे सैलानियों के दल भी स्नान कर रहे हैं।

इसके साथ ही इस बार महाकुंभ में स्नान करने युवा भी बड़ी संख्या में प्रयागराज पहुँच रहे है। अपनी संस्कृति, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को जानने और इसको आत्मसात करने में युवा भी पीछे नहीं हैं। युवाओं की टोली प्रतिदिन स्नान करने के लिए अलग अलग प्रांतों से पहुँच रही है।

छपरा से महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे युवा मनीष कुमार मणि बताते हैं कि वैसे तो प्रयागराज में महाकुंभ 12 वर्षों में एक बार लगता है, लेकिन हम सब सौभाग्यशाली हैं कि इस बार 144 वर्षों के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है जो महाकुंभ के मुहूर्त से भी ज्यादा शुभ माना जा रहा है और हम सभी युवा इसके साक्षी बन रहे हैं। भारत की सनातन परंपरा पर हम सभी को गर्व है।

 

वहीं गोविंद सोनी ने बताया कि कड़ाके की ठंड और कोहरे के बावजूद श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. संगम में डुबकी लगाकर लोग पुण्य कमा रहे हैं और साधु-संतों के दर्शन कर रहे हैं. यह आस्था का अद्भुत संगम है। मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद हम सभी पूरे भक्ति भाव से महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों को भी बताना है। इसी उद्देश्य से मित्रों के साथ महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। युवा बड़ी संख्या में कुंभ में पहुँच रहे हैं। 

 

कुंवर जयसवाल ने बताया कि कुंभ मेला की व्यवस्था बहुत अच्छी है। खासकर सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है। कुंभ मेला में बड़ी संख्या में युवा पहुँच रहे हैं और अपनी संस्कृति जो जान और समझ रहे हैं। युगों से चली आ रही इस परंपरा को हुमने भी आत्मसात किया और अपनी भावी पीढ़ी को भी इसके महात्म से अवगत कराएंगे।  

 

 

अमित ओझा ने बताया कि प्रयागराज तीर्थों का राजा है। यहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम है। इस क्षेत्र को त्रिवेणी कहा जाता है।
यहाँ पहुँच कर सभी पुण्य के भागी बनते हैं। युवाओं को यहाँ आकार अपनी संस्कृति से परिचित होना चाहिए, इसी उद्देश्य से हम सब भी तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। 

बात दें कि मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे. 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर 3.5 करोड़ से ज़्यादा ने डुबकी लगाई थी।

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