New Delhi: वैष्णों देवी दर्शन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक अहम आदेश जारी किया है. एनजीटी ने कहा है कि अब एक बार में 50 हजार से ज्यादा लोगों को ऊपर नहीं जाने दिया जाएगा. यह आदेश सोमवार से ही लागू कर दिया जाएगा.

एनजीटी ने कहा है कि अगर 50 हजार से ज्यादा लोगों होते हैं तो उन्हें अर्द्धकुंवारी या फिर कटरा पर ही रोक दिया जाएगा. मां वैष्णों देवी के दरबार में 50 हजार लोगों की ही क्षमता है और इससे अधिक लोगों को वहां जाने की अनुमति देना खतरनाक हो सकता है.

इसके अलावा बढ़ते प्रदूषण के चलते वैष्णो देवी में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगा दी गई है. हालांकि कंस्ट्रक्शन पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई गई है.

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Chhapra: मज़हब-ए-इस्लाम की रुह की हि़फ़ाज़त, नमाज़, इंसानियत को नई जिन्दगी देने वाले, जुल्म को सब्र से शिकस्त देने वाले मसीहा इमाम हु़सैन व उनके साथ कर्बला में शहीद होने वाले अफराद का चेहल्लुम (चालीसवाँ) आज भरपूर अ़क़ीदत के साथ मनाया गया.

बताते चलें कि पूरी दुनिया में उर्दू कैलेन्डर के मुताबिक़ 20 सफर को इमाम ह़ुसैन का चेहल्लुम मनाया जाता है. बुधवार को पठान के इमामबाड़े और दूसरी मजलिस फातमी इमामबाड़े में हुई. गुरुवार को आग मातम हुआ. आग मातम से पहले मातमी जुलूस दहियावां बड़े इमामबाड़े से शुरू हुआ जो छोटे इमामबाड़े पहुंचेगा जहां दहकते हुए अंगारे पर आग मातम किया गया. तत्पश्चात छोटे इमामबाड़े में मजलिस का इंतेखाब किया गया.

चेहल्लुम के अवसर पर दहियावां के छोटे इमामबाड़े से मातमी जुलूस निकाली गई. मातमी जुलूश महमूद चौक, पंकज सिनेमा रोड, थाना चौक, साहेबगंज चौक, मौना चौक, गांधी चौक होते हुए छोटा तेलपा कब्रिस्तान पहुंची जहां पहलाम किया गया.

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Chhapra/Rivelganj: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रत्येक वर्ष लगने वाले गोदना सेमरिया मेला का धार्मिक, ऐतिहासिक महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों लोग पवित्र स्नान के लिए पहुंचते है. मान्यताओं के अनुसार यहाँ स्नान दान करने से पाप और शाप से मुक्ति मिलती है.

यही हुआ था अहिल्या का उद्धार 
सारण जिला मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर छपरा-मांझी मुख्य मार्ग पर अवस्थित पौराणिक गोदना-सेमरिया वह स्थान है जहाँ मर्यादा पुरोषतम भगवान श्रीराम ने अहिल्या का उद्धार किया था. वाल्मीकि रामायण में इस स्थान का संपूर्ण वर्णन मिलता है.

कहा जाता है कि इसी स्थान पर महर्षि गौतम के श्राप से पत्थर बनी उनकी पत्नी अहिल्या का उद्धार भगवान श्रीराम ने किया था. मर्यादा पुरोषतम भगवान श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण व कुलगुरु विश्वामित्र जी के साथ अयोध्या से धनुष यज्ञ में भाग लेने के लिए जनकपुर जा रहे थे. जाने के क्रम में ही बक्सर के जंगल में तारकासुर का वध कर सरयू नदी के रास्ते यहाँ पहुंचे थे. भगवान श्रीराम का पैर अचानक एक सिला पट्ट से जैसे ही स्पर्श हुआ एक नारी अवतरित हो गयी. वह नारी महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या थी जो श्राप से पत्थर बन गयी थी.

अहिल्या का उद्धार जिस स्थान पर हुआ था वहां आज भी प्रभु श्रीराम के पदचिन्ह उभरे है जिनकी लोग श्रद्धापूर्वक पूजा करते है.

यही है वीर हनुमान जी का ननिहाल
एक अन्य मान्यता के अनुसार महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या और पुत्र सतानन व पुत्री अंजनी थी. वीर हनुमान के अंजनी के पुत्र होने के इस नाते यह स्थान वीर हनुमान के ननिहाल के रूप में भी जाना जाता है. इसका उल्लेख कई शास्त्रों में भी किया गया है.

आप कैसे पहुंचे गोदना सेमरिया मेला

रेल: नजदीकी स्टेशन गौतम स्थान, रिविलगंज
बस: छपरा जिला मुख्यालय से वाहनों की सुविधा
हवाई मार्ग: नजदीकी एयरपोर्ट पटना लगभग 85 किलोमीटर

File photo

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Chhapra/Revelganj: गंगा और सरयू नदी के तट पर गोदना सेमरिया मेले का उद्घाटन सदर अनुमंडल पदाधिकारी चेत नारायण यादव और विधान परिषद वीरेंद्र नारायण यादव रिविलगंज प्रखंड प्रमुख राहुल राज, नगर परिषद अध्यक्ष अमिता यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया.

इस अवसर पर अपने संबोधन में बतौर मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक डॉ सी एन गुप्ता ने कहा कि मेले की पौराणिक मान्यताएं और सांस्कृतिक विरासत का महत्व है. जनमानस कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उद्धार के इस धरती पर आकर गंगा स्नान करते है.

मेले के विकास को लेकर देश स्तर पर कला संस्कृति मंत्री महेश शर्मा और प्रदेश स्तर पर पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार से मिलकर उत्थान पर चर्चा की गई है. दोनों मंत्री द्वारा ही इस मेले के विकास के लिए आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र के साथ साथ पूरे रिविलगंज में सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है. साथ ही कई पथों के निर्माण के योजना बनाई गई है.मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और इसके विकास के लिए हर सम्भव प्रयास करूंगा.

वही अपने संबोधन में एमएलसी डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि मेले के इतिहास का वर्णन पुराणों में है. हम गौरवान्वित है कि हम इस धरती के निवासी है. उन्होंने कहा कि मेले की सांस्कृतिक, पौराणिक मान्यताओं के साथ साहित्यिक पहचान भी है. जिसका वर्णन तुलसी दास जी ने किया है. अहिल्या उद्धार की यह धरती और यहाँ आयोजित यह गोदना सेमरिया मेला ने अपनी पौराणिकता को संजोय को रखा है.

वही सदर अनुमंडल पदाधिकारी चेत नारायण यादव ने कहा कि
बचपन मे मेला जाने की खबर मात्र से ही चेहरे खिल जाते थे.

आज इस गौरवान्वित धरती जहाँ अहिल्या उद्धार हुआ उस धरती और सभी का अध्यक्ष के नाते स्वागत है.

उन्होंने कहा कि भले यह मेला प्रशासनिक है लेकिन जनमानस ही इस आयोजन को सफल बनाते है.

प्रशासन ने इस मेले के आयोजन में कोई कसर नही रखी है बावजूद इसके सभी का सहयोग चाहिए.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा के मद्देनजर घाटो की बैरिकेटिंग की गई है. श्रद्धालु स्नान के दौरान उस घेरे से बाहर न जाये.साथ ही मेले को लेकर कंट्रोल रूम बनाया गया है.जहां वह मेले के दौरान आकर समस्या का समाधान करा सकते है. इसके अलावे नगर निगम मेयर प्रिया देवी, श्याम बिहारी अग्रवाल, सत्य प्रकाश यादव आदि मौजूद थे.

समारोह का संचालन मुकेश कुमार यादव और धन्यवाद ज्ञापन कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार द्वारा किया गया.

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Chhapra: महापर्व छठ उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया. व्रतियों ने अर्घ्य देकर 36 घंटे से जारी व्रत को तोड़ा. सुबह सवेरे से नदी घाटों पर श्रद्धालु जुटने लगाए थे. घाटों पर पहुंच लोगों ने पहले कोसी भरा फिर नदी के पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर के दर्शन देने तक इंतज़ार किया. भगवान भास्कर के दर्शन देते ही अर्घ्य समर्पित करने की प्रक्रिया शुरू हुई. सभी ने अर्घ्य दिया और प्रसाद ग्रहण किये.

भगवान भास्कर को अर्घ्य के बाद खरना के दिन से चला आ रहा 36 घंटों का व्रत सम्पन्न हो गया. सभी ने भगवान भास्कर और छठी मैया से अपने और अपने परिवार की सुख, समृद्धि और मंगल की कामना की.

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Chhapra/Doriganj/Manjhi/Rivilganj: आस्था के महापर्व छठ पूजा में गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया. गाँव से लेकर शहर के विभिन्न घाटों पर बड़ी संख्या में व्रतियों ने छठ पूजा का अर्घ्य दिया. घाटों पर मनोरम दृश्य देखने को मिला. छठ की छटा एक लग ही अहसास कराती है. सभी आस्था से पूजा करने पहुंचते है.

छपरा शहर के तमाम घाटों के साथ साथ रिविलगंज, मांझी डोरीगंज समेत जिले के तमाम प्रखंडों में छठ पूजा की धूम देखी गयी. शाम होते ही लोग घाट की ओर निकल पड़े और अर्घ्य की तैयारी में जुट गए.  

देखिये छठ पूजा की कुछ झलकियाँ..

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Chhapra: लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने दिनभर उपवास रखा. वहीं, घर में भगवान की आराधना कर शाम में खरना किया. जिसमें व्रतियों ने गुड़ चावल से बनी खीर और रोटी प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. इसके बाद परिवार के सदस्यों ने प्रसाद ग्रहण किया.

खरना करने के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया. जो गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा. छठ पर्व को लेकर शहर के लगभग सभी प्रमुख बाजारों में चहल पहल देखी गयी. चार दिवसीय छठ का पहला अर्घ्य गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाएगा. वहीं, शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन हो जाएगा.

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Chhapra: लोक आस्था के महापर्व छठ का आज दूसरा दिन है. व्रातियाँ आज दिनभर उपवास रखेंगी. वहीं, घर में भगवान की आराधना कर शाम में खरना करेंगी. जिसमें व्रतियों ने गुड़ चावल से बनी खीर और रोटी प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगी.

शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला उपवास

खरना करने के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जायेगा. जो शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा.

छठ पर्व को लेकर शहर के लगभग सभी प्रमुख बाजारों में चहल पहल देखी गयी. चार दिवसीय छठ का पहला अर्घ्य गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाएगा. वहीं, शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन हो जाएगा.

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Chhapra (Santosh kumar Banty): भारत भूमि सनातन धर्मावलंबियो व धार्मिक स्थलों का गढ़ है.ऋषि मुनियों की इस धरती पर धार्मिक केन्द्र व धार्मिक पर्यटन स्थल है जो विदेशी सैलानियों को भी मंत्र मुग्ध कर देता है.

बिहार के सारण जिले में कोठिया- नरांव स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर भी इन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है.

गड़खा प्रखंड के अवतारनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत छपरा-पटना मुख्य सडक मार्ग पर स्थित यह पौराणिक मंदिर जिले का एकमात्र ऐतिहासिक सूर्य मंदिर है.

जिला मुख्यालय से 18 किमी की दूरी पर स्थित यह सूर्य मंदिर प्रकृति की अनुपम छटा बटोरे हुए है. चारों तरफ से तालाब और उसमे भगवान सूर्य का यह मंदिर महापर्व छठ के दौरान विशेष रूप से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. जानकर बताते है कि पहले यह एक छोटा रामजानकी का मंदिर हुआ करता था.

यहां सप्तऋषियों के योग का केन्द था.जिससे इसका जुड़ाव अयोध्या, रांची, फतेहा, जलंधर आदि केंद्रों से रहा है.

यह स्थल 20 वी सदी के उत्तरार्द्ध मे वास्तविक रूप से फलना फूलना शुरू हुआ. श्रीश्री1008 श्री राम दास जी महाराज के आगमन के पश्चात सूर्य कुण्ड का उद्धार व सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया.

निर्मन के पश्चात आयोजित नौ कुण्डीय यज्ञ में देश के कोने-कोने से संत महात्मा व नागाओ का आगमन हुआ.

तब से दिनो दिन यहां की रौनकता बढती गई और वर्त्तमान समय मे यह एक स्थल पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित होने के कागार पर है.

सूर्य उपासना के महापर्व छठ में यहाँ मेला लगता है. छठ पर्व में अर्घ्य देने के लिए जिले के शहरी क्षेत्र से लेकर मदनपुर, नराव, धनौडा, कोठिया,
चैनपुरवा, मुसेपुर, मौजमपुर, डुमरी, सप्तापुर, गोपालपुर सहित दर्जनो गांवो से छठव्रती सूर्य उपासना के लिए जुटते है.

महापर्व में आने वाले श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए यहां रात्रि विश्राम हेतु धर्मशाला भी बना है.

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Chhapra: आस्था का महापर्व छठ का चार दिवासीय अनुष्ठान नहाय खाय के साथ प्रारम्भ हो चूका है. मंगलवार को अहले सुबह से ही छठ व्रतियों का नदी घाट, पोखर, तालाब पर पहुंचना जारी है. जहां व्रती स्नान ध्यान के साथ इस व्रत की शुरुआत करेंगी.

शहर से सटे सरयू नदी के तट रावल टोला, सीढ़ी घाट, साहेबगंज के अलावे डोरीगंज के तिवारी घाट सहित कई बालू घाट पर व्रतियों की भारी भीड़ जुटी थी. स्नान के बाद सभी ने अपने घर आकर चने का दाल, लौकी की सब्जी और चावल का भोजन किया जायेगा. इस विधि विधान के साथ ही महापर्व की शुरुआत हो गई है.

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Chhapra: भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक और पंचकल्याणी पर्व श्रृंखला का अंतिम पर्व ‘भैया दूज’ आज मनाया गया. राहुकाल के बाद ही 1.08 बजे से शाम 4.36 मिनट तक शुभ मुहूर्त था. भाई बहन के अनमोल रिश्ते को लेकर महिलाये और युवतियां बड़े ही उल्लास के साथ भैया दूज का त्यौहार मनाती है.

भैया दूज के लिए भाइयों के साथ ही बहनों से एक दिन पहले ही तैयारी कर ली. इसके लिए भाइयों ने बहनों के लिए जहां उपहार खरीदे, वहीं बहनों ने भाइयों के लिए नारियल, खील, बताशे, मिठाई आदि की खरीदारी की. भाइयों ने भी बहनों के लिए उपहार आदि की खरीदारी की.

भैया दूज पर बहनें भाइयों को तिलक कर दीर्घायु और यशस्वी होने की कामना करती हैं और भाई रक्षा का वचन देते हैं. कहते हैं कि स्वयं यमराज भी अपनी बहन यमुना से टीका कराने यमनोत्री धाम पहुंचते हैं, इसलिए भैयादूज को यम के दरवाजे बंद रहते हैं.

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Chhapra/Amnour (Neeraj Kumar Sharma): श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन महामण्डलेश्वर अवधेशानंन्द गिरी महाराज के अमृतवाणी का श्रवण कर श्रोता आत्मविभोर हो गए. अमनौर इंटर कॉलेज के क्रीड़ा मैदान में संत की वाणी से बह रही अध्यात्म गंगा में भक्त गोते लगाते दिखे.

संध्या तीन बजे से शुरू हुए भागवत कथा के प्रारम्भ से ही चारो तरफ का वातावरण शांतिमय बन गया. एकचित होकर सभी श्रोता संत प्रसिद्ध कथावाचक अवधेशानन्द जी महाराज की वाणी का रसपान कर रहे थे. कथा में सत्य, आचरण, अध्यात्म, वैराग्य पर चिंतन को महाराज जी ने सबो के समक्ष रखा.

उन्होंने गलती और क्षमा पर नीति को स्पष्ट रूप से सामने रखते हुए कहा कि हम प्रायः प्रत्येक गलती के बाद क्षमा मांग लेते है. लेकिन तय है कि क्षमा भी वही कर सकता है कि जो सामर्थ्य रखता हो. जिसके पास अपना आत्मबल नही होता वह दूसरे को क्षमा भी नही कर सकता.

धरती पर आतंक के कारणों को सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि इसका एक कारण धर्मांतरण है. यही आतंकवाद का कारण भी है. यह कलयुग का प्रभाव है जो व्यक्ति के मति को प्रभावित कर अधर्म के मार्ग के तरफ गति शील करता है.

संसार में व्यक्ति व्यवहार, वाणी आचरण, चिंतन से अपनी पहचान तय करता है. सभी लोग के लिए यह तय करना जरुरी है कि हमने परिवार को समाज का देश को क्या दिया. वही यह तय करना जरूरी है कि हमें घर परिवार, समाज और पूर्वजो से क्या मिला है.

भारत महान संस्कृतियों का देश है. अगर व्यक्ति इन संस्कृतियों से भी प्रेरणा ले ले तो भी बड़े व्यक्तित्व का मालिक बन जायेगा.

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