जलालपुर: प्रखंड के जलालपुर बाजार स्थित आध्यात्मिक चेतना केंद्र में शुक्रवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई.

कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए उपस्थित जनों ने उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया तथा वैश्विक महामारी कोरोना से मुक्ति के लिए भगवान परशुराम से प्रार्थना की.

मौके पर सुन्दरकांड व विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी किया गया. केंद्र के अध्यक्ष दिग्विजय पांडेय ने बताया कि अक्षय तृतीया स्वयंसिद्ध मुहुर्त है जिसमे किया गया कार्य सदा मंगलकारी होता है. आज के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, महा पराक्रमी व सत्य के रक्षक भगवान परशुराम जी का अवतार हुआ था.

वे शस्त्र व शास्त्र के महान ज्ञाता थे. उनकी जयंती पर हम सभी मानव पर आई सबसे बड़ी विपदा से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करते हैं.

मौके पर विवेक मिश्रा, सुमन मिश्रा, विजय पांडेय राधेश्याम गुप्ता प्रभाकर तिवारी सत्य प्रकाश तिवारी, शैलेंद्र साधु भी थे. वही देवरिया मे भगवान परशुराम की जयन्ती मनाई गई. उपस्थित जनो ने उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया तथा भारत को कोरोना मुक्त करने की प्रार्थना की. मौके पर अखिलेश्वर पांडेय, गोलू पांडेय, भोलू पांडेय, गोपेश पांडेय, मुन्ना पांडेय, राजू पाठक भी थे.

0Shares

Chhapra: शुक्रवार को ईदल फितर का पर्व सादगी एवं एहतराम के साथ मनाया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते पर्व पर इसकी छाया स्पष्ट रूप से बनी रही. मुस्लिम भाइयों ने अपने अपने घरों में ईद की नमाज अदायगी की. फिर एक दूसरे को मुबारकबाद दी.

सोशल मीडिया पर ईद मुबारक का सुबह से ही जोर बना रहा. माहे रमजान में गुरूवार शाम को ईद का चांद दिखने के बाद आज शहर में ईद – उल- फितर शुक्रवार को शहर में मनायी जा रही है.

कोराना महामारी के चलते शहर की तमाम मस्जिदों में जहां पर संक्षिप्त मुस्लिम भाईयों ने कोविड गाइड लाइन के तहत नमाज अदा की जबकि अधिकांश मुस्लिम भाईयों ने अपने घरों में ईद की नमाज सुबह अदा करके देश और दुनिया में अमन चैन की दुआएं अल्ला ताला से की.

0Shares

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने कोरोना संक्रमण के फैलाव को देखते हुए चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया है। मगर चारों धामों के कपाट निर्धारित समय पर खुलेंगे। मंदिरों में पूर्जा-अर्चना होगी लेकिन किसी भी श्रद्धालु को दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी। केवल रावल, पुजारी और पुरोहित ही पूजा-अर्चना करेंगे। हेमकुंड साहिब की धार्मिक यात्रा पहले भी स्थगित हो चुकी है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरुवार को चारधाम यात्रा के स्वरूप को लेकर बैठक बुलाई गई थी। बैठक में  पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्य मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद रहे। कोविड महामारी के बीच आगामी चारधाम यात्रा को उत्तराखंड सरकार ने स्थगित करने का निर्णय किया।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पत्रकारों से कहा कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए चारधाम यात्रा को वर्तमान समय में बंद करने का निर्णय लिया गया है। चारों धाम के कपाट अपने तय समय पर खुलेंगे। केवल पुजारी और पुरोहित ही धामों में पूजा करेंगे। देश और राज्य के किसी भी यात्री को वहां जाने की अनुमति नहीं होंगे।
चारों धामों के कपाट खोलने की तिथि घोषित हो चुकी है।  विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को भक्तों के लिए खोले जाएंगे। बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 18 मई को खुलेंगे। यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई को खोले जाएंगे। उत्तरकाशी जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे। केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल फिर अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। 

0Shares

नई दिल्ली: देश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन रोक दिया गया है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को रोकने के साथ ही कहा है कि हालात में सुधार होते ही इसे फिर शुरू किया जाएगा।

इस वर्ष बाबा अमरनाथ की यात्रा 28 जून से शुरू होकर 22 अगस्त चलेगी, जिसके  लिए 15 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन शुरु हो गया था। जम्मू कश्मीर बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और यस बैंक की  शाखाओं में पंजीकरण प्रक्रिया की गई थी।, अब इस पर रोक लगा दी गई है।

0Shares

Chhapra: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण बुधवार को रामनवमी की पूजा घरों में आयोजित की गई. भक्तो द्वारा संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए घरों में ही पूजा पाठ किया गया. उधर रामनवमी पर प्रति वर्ष निकलने वाली शोभायात्रा भी इस बार स्थगित रही.

राज्य सरकार के निर्देश पर जनमानस के लिए मंदिरों में पूजा पाठ करने पर प्रतिबंध है. ऐसे में लोग घरों में ही पूजा करते दिखे. चैत्र नवरात्र के नौवें दिन भक्तो ने माता की भी पूजा अर्चना कर वर्त्तमान में कोरोना संक्रमण के समाप्ति के साथ लोगों के स्वास्थ्य कुशलता का आशीर्वाद मांगा.

0Shares

रामनवमी पर विशेष: मानवता का सबसे सुंदर व साकार स्वप्न हैं श्रीराम

रामनवमी विशेष: राम और रामराज्य

0Shares

Chhapra: लोक गीतों और उगते हुए सूर्य की रौशनी के बीच सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान भाष्कर भगवान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ सम्पन्न हो गया. चार दिवसीय चैती छठ को लेकर छठ व्रतियों में खासा उत्साह रहा.
इस वर्ष चैती छठ का नजारा पूरी तरह बदला हुआ था और वैश्वीक महामारी कोविड-19 को ले छठ व्रतियों ने छठ की पूजा अपने अपने घरों में ही की. छठी मइया के गीतों की गूंज के बीच गल्ली और मुहल्लों में छठ पूजा की धूम देखी गई. श्रद्धालुओ ने गलियों को सजाया, मुहल्लों की साफ सफाई की और घरो पर ही चैती छठ पूजा का आयोजन किया.
अक्सर जिले में गांव से लेकर शहर तक के नदियों, तालाबो, आहर, पोखर और पइन किनारे बने घाटो पर छठ पर्व को लेकर उमड़ने वाली भारी भीड़ इस बार नही देखी गई.
नदियों, तालाबो, आहर, पोखर और पइन पर छठ पूजा करने वाले व्रतियों की संख्या बहुत कम रही. कोरोना को लेकर छठ व्रती भी सावधान रहें और इस वर्ष के चैती छठ पूजा का आयोजन धूम धाम से अपने अपने घरों पर ही किया.  

0Shares

Chhapra: आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. करोना काल में दूसरी बार मनाए जा रहे चैत्र मास के छठ व्रत को इस बार भी व्रतियों ने अपने परिवार के साथ घर के अंदर छतों पर, ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब सरोवर एवं नदी घाटों पर उपस्थित होकर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की उपासना करते हुए पहले दिन का अर्घ्य दिया.

छठ व्रत को लेकर विगत 2 दिनों से चली आ रही अनुष्ठान के तीसरे दिन जलाशयों में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ देते हुए व्रतियों ने परिवार के स्वास्थ्य, संपन्नता, सुरक्षा एवं वर्तमान समय के कालचक्र में चल रही कोरोना महामारी को दूर करने का आशीर्वाद मांगा.

व्रती एवं उनके परिवार के सदस्यों ने संध्या समय में कोसी भराई का भी कार्यक्रम किया.

जिसके उपरांत सोमवार की सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को व्रतियों द्वारा अर्घ्य दिया जाएगा. महापर्व छठ को लेकर नदी घाटों, जलाशय, सरोवर, तालाब एवं छतों पर बनाए गए कृत्रिम तालाबों की सजावट की गई थी. घर के सदस्यों द्वारा रंग बिरंगी फूल एवं लाइट से भी सजावट किए गए थे.

बताते चलें कि विगत वर्ष 2020 में भी कोरोना संक्रमण काल था. विगत वर्ष लॉकडाउन की अवधि में महापर्व छठ व्रतियों ने अपने अपने घरों में मनाया था. इस वर्ष भी कोरोना का संक्रमण पुनः वापस है. वह होकर तेजी के साथ फैल रहा है, जिला प्रशासन द्वारा सभी छठ व्रतियों एवं परिवार के सदस्यों से कोरोना संक्रमण को देखते हुए अपने घरों में महापर्व को करने तथा मास्क एवं 2 गज की दूरी सहित कोविड-19 के पालन करने का आह्वान किया गया है.

0Shares

लोक आस्था का महापर्व चैती छठ के दूसरे दिन शनिवार को व्रतियों के द्वारा खरना किया गया. खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया. जो सप्तमी को उदयगामी सूर्य को अर्घ के बाद संपन्न होगा।

चैती छठ: खरना का प्रसाद ग्रहण करती व्रती

Posted by Chhapra Today on Saturday, 17 April 2021

खरना के दिन गुड़ और चावल से बने प्रसाद को तैयार करने में पवित्रता का पूरा ख्याल रखते हुए खरना का प्रसाद पारम्परिक तरीके से मिट्टी के नये चूल्हा पर मिट्टी या पीतल के बर्तन में आम की लकड़ी से तैयार किया गया। तत्पश्चात छठ व्रती के द्वारा प्रसाद ग्रहण करने के बाद सभी लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।
रविवार को षष्ठी के दिन सायंकालीन अस्तांचलगामी सुर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वही सोमवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पर्व का समापन किया जाएगा।
ज्ञात हो कि वर्ष में दो बार छठ पर्व का आयोजन किया जाता है। जिसमें कार्तिक माह में मनाया जाने वाले छठ को बड़े व्यापक पैमाने पर मनाया जाता है। लेकिन चैती छठ मनाने वालो की संख्या कम रहता है । शहर में चैती छठ का आयोजन शंकर चौक मंदिर परिसर स्थित पोखरों में आयोजन किया जाता है। लेकिन इस बार प्रशासन ने अपने अपने घरो में रहकर छठ पर्व मनाने की अपील की है। छठ को लेकर लोग अंतिम खरीददारी में जुट गये हैं. बांस से बने डाला, सूप, नारियल की दुकानें लगभग सभी चौक चौराहे पर सजे हैं।
छठ पर्व में पूजा सामग्री के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में छठ व्रती महंगाई के असर से परेशान हैं। लेकिन खरीददारो में इसका असर पड़ता नहीं दिख रहा है। पर्व में किसी सामानों की कमी ना रहे इसका खासा ध्यान श्रद्धालु रख रहे हैं। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष महगाई काफी अधिक है। लगभग सामानों की कीमतें दोगुनी तक हो गयी है।

 

0Shares

लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के बाद शनिवार को खरना पर्व का आयोजन किया गया। खरना के उपरांत छठ व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेगी। जिसमें सप्तमी को उदयगामी सूर्य को अर्घ के बाद यह पर्व संपन्न होगा।
खरना के दिन गुड़ और चावल से बने प्रसाद को तैयार करने में पवित्रता का पूरा ख्याल रखा जाता है। खरना का प्रसाद पारम्परिक तरीके से मिट्टी के नये चूल्हा पर मिट्टी या पीतल के बर्तन में आम की लकड़ी से तैयार किया जाता है। जिसमें गंगाजल, चावल, दुध एवं गुड़ से खीर बनाया जाता है। सायं में छठ व्रती केला के पत्ते पर रोटी, खरना का खीर एवं फल षष्ठी माता को नैवेद्य चढाते हैंं। तत्पश्चात छठ व्रती के द्वारा प्रसाद ग्रहण करने के बाद सभी लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है।
रविवार को षष्ठी के दिन सायंकालीन अस्तांचलगामी सुर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वही सोमवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पर्व का समापन किया जाएगा। छठ व्रत करने की परम्परा ऋगवैदिक काल से चला आ रहा है। यह व्रत सौभाग्य आरोग्य एवं संतान कामना के लिए किया जाता है । मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से षष्ठी छठ माता प्रसन्न होती है।जिससे पूरे परिवार में सुख शांति धन धान्य से परिपूर्ण करती है।
हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के कारण नदी तालाब पोखर छठ घाटों पर अर्घ्य देने की पाबंदी है। श्रद्धालुओं द्वारा अपने घरों में भी छठ घाटों का निर्माण किया जा रहा है। व्रतियों द्वारा स्वच्छता का अत्यधिक ख्याल रखते हुए पर्व के लिए तैयार होने वाली सामग्रियों में गेहूं को साफकर सुखाया जा रहा है।
ज्ञात हो कि वर्ष में दो बार छठ पर्व का आयोजन किया जाता है। जिसमें कार्तिक माह में मनाया जाने वाले छठ को बड़े व्यापक पैमाने पर मनाया जाता है। लेकिन चैती छठ मनाने वालो की संख्या कम रहता है । शहर में चैती छठ का आयोजन शंकर चौक मंदिर परिसर स्थित पोखरों में आयोजन किया जाता है। लेकिन इस बार प्रशासन ने अपने अपने घरो में रहकर छठ पर्व मनाने की अपील की है। छठ को लेकर लोग अंतिम खरीददारी में जुट गये हैं. बांस से बने डाला, सूप, नारियल की दुकानें लगभग सभी चौक चौराहे पर सजे हैं।
छठ पर्व में पूजा सामग्री के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में छठ व्रती महंगाई के असर से परेशान हैं। लेकिन खरीददारो में इसका असर पड़ता नहीं दिख रहा है। पर्व में किसी सामानों की कमी ना रहे इसका खासा ध्यान श्रद्धालु रख रहे हैं। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष महगाई काफी अधिक है। लगभग सामानों की कीमतें दोगुनी तक हो गयी है।

 

0Shares

जम्मू: अमरनाथ जी यात्रा 2021 के लिए तीर्थयात्रियों का ऑनलाइन पंजीकरण 15 अप्रैल को बालटाल और चंदनवारी मार्गों के लिए शुरू होगा। इस वर्ष की 56 दिवसीय यात्रा 28 जून से दोनों मार्गों पर एक साथ शुरू होगी और रक्षाबंधन 22 अगस्त को समाप्त होगी। यह जानकारी श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीतीश्वर कुमार द्वारा दी गई।
इस अवसर पर सीईओ द्वारा स्वास्थ्य प्रमाण पत्रों के से सम्बंधित राज्य सरकार, संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा अधिकृत डॉक्टरों, चिकित्सा संस्थानों द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण हेतु स्वीकृत होंगे। 15 मार्च के बाद मान्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र ही जारी किए जाऐंगे। यात्रा के लिए पंजीकरण करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण हेतु जिन नियमों का पालन करने की आवश्यकता है, उन्हें बोर्ड की वेबसाइट पर डाल दिया गया है।
सीईओ द्वारा दी गई जानकारी में यात्री अपने आवेदनों को विधिवत संसाधित करने के बाद यात्रा के लिए यात्रा परमिट डाउनलोड कर सकेंगे। यात्रा के दौरान यात्रियों को अपनी मूल फोटो पहचान पत्र और सीएचसी अपने साथ रखना होगा। नीतीश्वर कुमार ने कहा कि यात्रा से सम्बंधित पर्ची प्राप्त यात्रियों को निर्दिष्ट तिथि तथा यात्रा हेतु अनुमति दी जाएगी। दोमेल और चंदनवारी में उन्होंने सभी इच्छुक यात्रियों से अग्रिम में ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा का लाभ उठाने और समय पर यात्रा परमिट प्राप्त करने की अपील की है ताकि जब वे अपनी यात्रा शुरू करें तो उन्हें किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
बैठक में सीईओ ने कहा कि 13 वर्ष या 75 वर्ष से अधिक तथा छह सप्ताह से अधिक गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण नहीं किया जाएगा । हेलीकॉप्टर से यात्रा करने का प्रस्ताव रखने वाले यात्रियों को पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उनके हेलीकॉप्टर टिकट नियमानुसार पर्याप्त होंगे। हालांकि, हेलीकॉप्टर से यात्रा करने की अनुमति देने से पहले उन्हें अधिकृत चिकित्सक द्वारा निर्धारित अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा ।
0Shares

Patna: अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए बिहार से एक बड़ी राशि भेजी गई है. जिसकी गणना कुछ हो चुकी है तो कुछ का कार्य चल रहा है.मंदिर निर्माण में दानदाताओं ने दिल खोल कर दान दिया है. जिसके कारण अभी की गणना अनुसार 22 करोड़ से ऊपर की राशि बिहार से भेजी गई है.

मंदिर निर्माण कार्य मे दान देने में उनके परम भक्‍त हनुमान जी सबसे आगे हैं. राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए पटना के हनुमान मंदिर से पांच करोड़ रुपये दान दिए जाएंगे. हनुमान मंदिर द्वारा यह राशि पांच सालों के दौरान दी जाएगी.

पटना के राजवंशी नगर हनुमान मंदिर ने भी इसके लिए 10 लाख रुपये दान दिए हैं. राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि संग्रह के तहत बिहार की अन्‍य कई मंदिर समितियों ने भी झोली खोलकर दान दिए हैं.

विदित हो कि राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह का अभियान बीते 15 जनवरी से 27 फरवरी तक चला था. अभियान के तहत संग्रह टोलियों ने गांव-गांव जाकर धन एकत्र किया.

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि संग्रह की ओर से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में दान देने में सबसे आगे पटना रहा, जहां से 6.25 करोड़ से अधिक की राशि मिली. दानापुर ने अलग से करीब 1.23 करोड़ का दान दिया.

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि संग्रह समिति की तरफ से एक ऐप तैयार किया गया, जिसमें बैंकों से राशि और चेक क्लियर होने के बाद खाते में कुल जमा राशि दिखती है. बिहार में संग्रह टोलियों के जरिए 22 करोड़ 80 लाख 52 हजार 629 रूपये जमा किए गए. जबकि, बैंकों ने 19 करोड़ 55 लाख 62 हजार की गिनती पूरी की है. अभियान के तहत जमा राशि की गिनती और चेक का क्लिरेंस अभी जारी है.

0Shares