-प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़

वाराणसी, 30 मई (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि ‘गंगा दशहरा’ पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और दान पुण्य किया। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ दरबार, श्री संकटमोचन सहित प्रमुख हनुमत मंदिरों में भी हाजिरी लगाई।

गंगा दशहरा पर श्रद्धालु भोर चार बजे से दिन चढ़ने तक गंगा स्नान करने के लिए घाटों पर नंगे पांव पहुंचते रहे। स्नान पर्व पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी, भैसासुर, खिड़किया घाट पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ जुटी रही। इसमें शहरियों की तुलना में ग्रामीणों की भीड़ ज्यादा रही। स्नानार्थियों के चलते गोदौलिया से दशाश्वमेधघाट तक मेले जैसा नजारा रहा। जिला प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा दरबार तक सुरक्षा व्यवस्था के साथ यातायात भी प्रतिबंधित किया है।

उल्लेखनीय है कि मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण पुराणों के अनुसार जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि में वृष लग्न में हुआ था। आज ही के दिन हजारों साल पहले गंगा धरती पर आईं थी। पापों का नाश कर प्राणियों का उद्धार करने के उद्देश्य से धरती पर ही रह गईं। तब से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

शाम को मां गंगा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार, दुग्धाभिषेक के साथ षोडशोपचार पूजन

गंगा दशहरा पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से किशोरी रमण दूबे ‘बाबू महाराज’ की अगुवाई में शाम को मां गंगा के प्रतिमा का भव्य श्रृंगार कर विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच षोडशोपचार पूजन किया जाएगा। बाबू महाराज ने बताया कि गंगा दशहरा पर शाम को मां गंगा की महाआरती की जाएगी। इसी क्रम में गंगा सेवा निधि की ओर से दशाश्वमेधघाट पर भव्य गंगा आरती की जाएगी। सनातनी भारतीय संस्कृति के स्नान पर्वों में गंगा दशहरा पर गंगा स्नान का खास महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से वर्ष भर गंगा स्नान करने बराबर के फल की प्राप्ति होती है।

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हिन्दू धर्म में एकादशी  व्रत का विशेष महत्व है।  पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। भगवान विष्णु के प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है।  यह व्रत शुभ फलदाई मानी जाती है।  महीने में कुल दो एकादशी मनाया जाता है।  साल में 24 एकादशी मनाया जाता है। ज्येष्ट मास की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते है।  इस व्रत को निर्जल रहकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होता है तथा लम्बी आयु, स्वास्थ ठीक रहता है तथा पाप को नाश करने वाला यह व्रत होता है।

व्रत का पूजा विधि
जो लोग बारह मास का एकादशी नहीं कर पाते है निर्जला एकादशी करने से पूर्ण हो जाता है, विधि इस प्रकार है.

(1 ) जिस दिन व्रत करना है उसके एक दिन पहले संध्याकाल से स्वस्छ रहे तथा संध्या काल के बाद भोजन नहीं करे.

(3 ) व्रत के दिन सुबह में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन करे पिला वस्त्र धारण करे.

(4 ) पूजन के बाद कथा सुने

(5 ) इस दिन जो व्रत करते है उनको विशेष दान (सरबत ) करना चाहिए मिट्टी के पात्र में जल भरकर उसमे गुड़ या शक्कर डाले तथा सफ़ेद कपड़ा से ढक कर दक्षिणा के साथ ब्रह्मण को दान दे.
(6) निर्जला एकादशी के दिन तिल का दान करें पितृ दोष से शांति मिलती है
(7) नमक का दान करे नमक दान करने से घर में अन्न की कमी नहीं रहती है।

व्रत का मुहूर्त
31मई 2023 दिन बुधवार

एकादशी तिथि का प्रारंभ 30मई 2023 दिन 01: 07 मिनट से
एकादशी तिथि का समाप्ति 31मई 23 दिन 01: 45दोपहर तक

पारण का मुहूर्त :
01 जून 2023 दिन गुरूवार सुबह 05:00 से 7:40 मिनट तक

कथा :
महाभारत के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा-हे मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।  इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। ’’ महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए।  इसके बाद से निर्जला एकादशी मनाई जाती है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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बिहार में ज्येष्ठ का दशहरा यानि गंगा दशहरा का त्योहार बहुत ही विधि – विधान से किया जाता है।  सौभाग्यवती महिलाए लंबी सौभाग्य के लिए यथा घर में सुख शांति के लिए गंगा दशहरा का पूजन करती है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी,  इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। गंगा दशहरा को माता गंगा को पूजन किया जाता है। यह त्योहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार में से एक है। इस दिन को गंगा अवतरण के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता गंगा पृथ्वी पर आने के कारण यह शुद्ध हो गई और इनका भब्य धारा का प्रभाव हुआ।

कहा जाता है इस दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दान -पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा जीवन में सुख -शांति बना रहता है। गंगा को सिर्फ नदी नहीं बल्कि हिन्दू धर्म में गंगा को माता का दर्जा दिया गया है। यह दिन को बहुत ही महतवपूर्ण माना गया है। गंगा दशहरा का त्योहार बिहार के आलावा, बंगाल, उतरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में मनाया जाता है।

गंगा दशहरा कब है जाने क्या है मुहूर्त 
दशमी तिथि का प्रारंभ 29 मई 2023 सुबह 11:49 से
दशमी तिथि का समाप्ति 30 मई 2023 दोपहर 01:07 तक
हस्त नक्षत्र का प्रारंभ 30 मई 2023 को 04:29 सुबह से
हस्त नक्षत्र का समाप्ति 31 मई 2023 को 6:00 सुबह तक

पूजन विधि
गंगा दशहरा का पूजन विधि इस प्रकार है।
इस दिन गंगा में स्नान करने का महत्व है । नये वस्त्र धारण करे।  पूजन सामग्री में फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य गंगा माता को चढ़कर पूजन करे साथ ही गंगा माता को अर्ध्य दे बाद में आरती करे ।

गंगा दशहरा के दिन ज्योतिषीय उपाय
गंगाजल में स्नान करने से मन पवित्र हो जाता है तथा आत्मा शुद्ध हो जाती है, सभी पाप नष्ट हो जाते है।

गंगा में स्नान करने के बाद भगवान शिव का पूजन करे,  इनके पूजन से चन्द्रमा का दोष दूर हो जाते है।

गंगा में स्नान करने के बाद अपने घर के मुख्य द्वार स्वस्तिक बनाकर उसका पूजन करे।

इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद मृत पूर्वजो के लिए पितृ तर्पण करे पितृदोष से राहत मिलेगा .

गंगा का पृथ्वी पर अवतरण की कथा

कथा के अनुसार कई वर्षो की कठोर तपस्या के बाद भागीरथ ने माता गंगा को प्रसन्न करने में सफल हुए थे।  माता गंगा ने खुश होकर उनसे कहा आपके इच्छा के अनुसार मै पृथ्वी पर आने को तैयार हूं लेकिन मेरे शक्ति ज्वार और प्रभाव को रोकने वाला कोई है, अगर ऐसा हुआ तो मेरा जल प्रभाव से पुरे ग्रह को मिटा सकता है। पुरे पाताल लोक को खत्म कर सकता है । इसके बाद भागीरथ ने गंगा माँ से विनती किये तथा इसका समाधान निकलने के लिए कहा तब माता गंगा ने उतर दिया केवल भगवान शिव गंगा को अपने सिर पर धारण करने के लिए तैयार हो जाते है तब मै पृथ्वी पर आउगी माता गंगा की बात सुनकर भागीरथ ने भगवान शिव की आराधना में लीन हो गए।  इनके तपस्या के खुश होकर भगवान शिव जी गंगा को अपनी जटाओ में धारण किया। ज्येष्ठ के दशहरा के दिन गंगा माता पृथ्वी की ओर जब प्रवाहित हुई तब भगवान शिव अपने बाल को खोलकर गंगा माता को अपनी जटाओ में बंध लिया था।  इसके बाद भगवान शिव ने अपने बाल के एक जटा ली और वही से गंगा माता की अवतरण हुआ।  इस जगह को गंगोत्री के नाम से जाना जाता है।

 

 

 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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पटना, 19 मई (हि.स.)। अपने पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं द्वारा किया जाने वाला वट सावित्री व्रत शुक्रवार को श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक तरीके से मनाया गया। पूजन के लिए सूर्योदय काल से ही बरगद पेड़ के समीप महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

जहां कि सुहागन महिलाओं ने अपने पति के दिर्घायु जीवन के लिए विशेष पूजा-अर्चना किया। सोलह श्रृंगार से सजी सुहागन महिलाएं जब समूह में गीत गाते हुए माथे पर विशेष आकृति का कलश लेकर पूजा के लिए चली तो पूरा वातावरण सुगंधित हो गया।

इसके बाद बरगद वृक्ष के नीचे विविध पूजन सामग्री, मौसमी फल एवं मिष्ठान के साथ पूजा-अर्चना करते हुए अखंड सुहाग की कामना की गई। इस दौरान कई जगह पंडित द्वारा कथा भी किया गया। जबकि, अधिकांश जगह महिलाओं ने खुद से पूजा-पाठ कर वट सावित्री की कथा सुनी।

जिसमें बताया गया था कि अपने पति सत्यवान की मृत्यु होने के बाद सावित्री ने कैसे बुद्धि विवेक के बल पर यमराज को प्रसन्न करते हुए ना केवल अपने पति को जिंदा करवा लिया, बल्कि अपने सास-ससुर का खोया हुआ राज्य वापस पा लिया था।

इधर, वट सावित्री व्रत के साथ सोमवारी अमावस्या रहने के कारण बरगद और पीपल दोनों वृक्ष की एक साथ पूजा-अर्चना हुई। बरगद के नीचे वट सावित्री पूजा करने के बाद महिलाओं ने पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना कर 108 बार परिक्रमा किया।

इस दौरान पारंपरिक भक्ति गीत गाती महिलाएं ने ना केवल पति के अमर सुहाग की कामना किया। बल्कि परिवार, समाज, गांव और देश के समृद्धि की भी कामना किया।

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पटना: लम्बे समय से पटना के नौबतपुर स्थित तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कार्यक्रम की तैयारी आखिरकार रंग लायी। शनिवार शाम पटना के नौबतपुर स्थित तरेत पाली मठ में बाबा बागेश्वर के दिव्य दरबार की भव्यता ने सभी को आकर्षक कर लिया।

बागेश्वर धाम के कथा वाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री निर्धारित समय पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और बजरंगबली की आरती के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हो गई। कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर बीजेपी के कई नेता हनुमान जी की आरती में शामिल हुए। मंच पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, अश्विनी कुमार चौबे, सांसद रामकृपाल यादव, रविशंकर प्रसाद, विपक्ष के नेता विजय सिन्हा, बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी और पूर्व मंत्री नीरज बबलू मौजूद रहे।

इससे पूर्व धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शनिवार सुबह पटना एयरपोर्ट पहुंचे थे। वहां से सांसद मनोज तिवारी ने उन्हें अपने गाड़ी में बैठाकर पनाश होटल लाया। जहां से थोड़ी देर आराम करने बाद वह लगभग तीन बजे कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए। पंडित धीरेंद्र शास्त्री शनिवार से अगले पांच दिनों तक हनुमंत पाठ करेंगे।

हनुमंत कथा को सुनने के लिए कार्यक्रम स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। मौके पर महिलाओं की संख्या अधिक रही। कार्यक्रम को लेकर लोगों में भारी उत्साह है और इसकी भव्यता देखते ही बन रही है।

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सूर्य ग्रहण 15 दिन बाद साल का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख माह पूर्णिमा तिथि पांच मई को लगने जा रहा है। बुद्ध पूर्णिमा को चंद्रमा उपछाया ग्रहण के साये में होगा। इसमें चांदनी कुछ फीकी सी होगी। ग्रहण रात एक बजे के करीब चंद्रमा से ग्रहण हट जाएगा। इस चंद्र ग्रहण का कुल समय चार घंटे और 15 मिनट बताया जा रहा है। यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने वाला है। साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत,अटलांटिक,अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा।

रात आठ बजकर 44 मिनिट से यह ग्रहण आरंभ होकर रात्रि एक बजकर एक मिनिट पर समाप्त होगा । चार घंटे 18 मिनिट अवधि के इस ग्रहण का मध्यकाल रात 10 बजकर 52 मिनिट पर होगा । यह उपछाया ग्रहण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया , दक्षिणी पश्चिमी यूरोप में दिखाई देगा । विश्व की कुल आबादी का लगभग 83 प्रतिशत लोग इसका कुछ न कुछ भाग तथा लगभग 56 प्रतिशत लोग इस पूरे ग्रहण को देख सकेंगे।

इस घटना के समय सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जायेगी । इससे पृथ्वी की छाया और उपछाया दोनो बनेगी । इस ग्रहण के समय चंद्रमा उपछाया वाले भाग से होकर निकलेगा जिससे ग्रहण के दौरान चंद्रमा की चमक फीकी पड़ जायेगी ।

ऐसा दिखेगा पश्चिमी देशों में

बुद्ध पूर्णिमा के इस चंद्रमा को पश्चिमी देशों में वहां इस मौसम में प्रचुर मात्रा में खिलने वाले फूलों के कारण फ्लॉवर मून नाम दिया गया है । नेटिव अमेरिकी इसे बडिंग मून, एग लेयिंग मून, प्लाटिंग मून नाम से भी पुकारते हैं। इस कारण यह फ्लॉवर मून पर लगने वाला ग्रहण भी कहला रहा है।

130 सालों बाद बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण हो रहा है जबकि 26 मई 2021 को दिखा चंद्रग्रहण बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही था इसके अलावा कुछ रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि इस ग्रहण के समय चंद्रमा पास होगा जबकि पांच मई को चंद्रमा पृथ्वी से लगभग तीन लाख 80 हजार किमी दूर रहेगा, यह कम नहीं मध्यम दूरी है । जबकि कम दूरी में सुपरमून के समय यह दूरी तीन लाख 60 हजार किमी के लगभग रह जाती है।

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उत्तरकाशी: बारिश और बर्फबारी का मौसम भी श्रद्धालुओं के कदमों को नहीं रोक पा रहा है। इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद चार धामों में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। कहने का मतलब कि बिगड़ैल मौसम के बावजूद भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के कदम चार धाम तीर्थस्थलों की ओर लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि राज्य सरकार प्रतिकूल मौसम को देखते हुए तीर्थ यात्रियों के लिए हर दिन अलर्ट भी जारी कर रही है और इसी के आधार पर सभी को यात्रा करने की सलाह दे रही है।

प्रदेश सरकार ने मौसम के बदले मिजाज को देखते हुए फिलहाल पंजीकरण को रोक दिया है। इसके बावजूद पहले से पंजीकृत तीर्थयात्री और श्रद्धालु चार धामों की ओर बढ़ रहे हैं। गंगोत्री-यमुनोत्री में हो रही झमाझम बारिश से श्रद्धालुओं के उत्साह में किसी तरह की कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है।

सोमवार को भारी बारिश के बीच भी हजारों यात्रियों का हुजूम इन मार्गों जाते हुए देखा जा सकता है। उधर, सोनप्रयाग से भी केदारनाथ धाम के लिए सुबह आठ बजे तक 2584 यात्री रवाना हुए हैं। आज दोपहर बाद बदरीनाथ धाम का मार्ग भी खोल दिया गया है। इस मार्ग पर भी श्रद्धालुओं का धाम की ओर जाने का क्रम शुरू हो गया है।

बारिश और बर्फबारी से चार धामों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। गंगोत्री और यमुनोत्री सहित यमुना घाटी में लगातार बारिश हो रही है। साथ ही ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी हो रही है। यमुनोत्री धाम के आखिर प्रमुख पड़ाव जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम पैदल मार्ग पर मूसलाधार बारिश के बीच यात्री जोखिम उठाकर आवाजाही कर रहे हैं। उनकी आस्था और श्रद्धा के आगे बारिश-बर्फबारी और विपरीत परिस्थितियां भी बेमाने साबित हो रही हैं।

इस संबंध में बदरी-केदार समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने आज फिर वीडियो जारी कर कहा है कि बदरी और केदारनाथ धाम में मौसम बहुत दिनों से प्रतिकूल बना हुआ है। लगातार बारिश और बर्फबारी हो रही है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं-तीर्थयात्रियों की श्रद्धा और आस्था में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है। श्रद्धालु बहुत ही उत्साहित नजर आ रहे हैं।

प्रदेश सरकार और केदारनाथ मंदिर समिति के स्तर से श्रद्धालुओं के सरल और सुगम दर्शन की व्यवस्था के सभी प्रयास सुनिश्चित किए जा रहे हैं। धाम के मार्गों और पड़ाव स्थलों पर अलाव आदि की भी व्यवस्था की गई है। इसके बावजूद भी श्रद्धालुओं-तीर्थयात्रियों से मौसम के मद्देनजर प्रदेश सरकार की जारी की गई गाइडलाइन का पालन करने का आग्रह किया गया है। खासकर बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों को यात्रा करने से पहले मौसम को देखने और चिकित्सक की सलाह लेने को कहा गया है।

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Chhapra: भारत में आज ईद मनाई जा रही है. रमजान या ईद चांद दिखने के बाद मनाया जाता है. खाड़ी देशों में भारतीय उप महाद्वीप के एक दिन पहले चांद दृष्टिगोचर होता है. इसलिए वहां रमजान या ईद शुरू होने के एक दिन बाद भारत में ईद मनायी जाती है. जुमा की नमाज के बाद जिले के हर मस्जिद से ईद के नमाज के समय का एलान किया गया.

कब कहां होगी ईद की नमाज
छपरा ईदगाह – 6. 45
मौला मस्जिद – 7.00
अहले हदीस मस्जिद – 6.45
औलिया मस्जिद, राहत रोड – 7:15 बजे
जामा मस्जिद बड़ा तेलपा – 7.30
सलेमपुर मस्जिद – 7.45
शिया मस्जिद – 10.00
रौजा मस्जिद – 7.15
नई बाजार बड़ी मस्जिद- 8.00
काजी जी की मस्जिद दहियावाँ – 8.15
चाँद कुदरिया मशरक – 8.00
जामा मस्जिद खोदाई बाग – 7.30
ईदगाह नूर नगर – 8.00
जामा मस्जिद रूदलपुर – 8.00
ईदगाह जगदीशपुर – 8.00
ईदगाह धूप नगर – 8.00
मस्जिद संवरी जलालपुर – 8.00
छोटा तेलपा मस्जिद – 6:30 बजे
बड़ी मस्जिद, नईबाजार – 7:30 बजे
मकबूल साहेब की मस्जिद दहियावां- 8:00 बजे
नूरदाई मस्जिद, गुदरी – 7:30 बजे
गुदरी बाजार मस्जिद – 7:30 बजे
ईदगाह, ब्रह्मपुर – 7:15 बजे
ईदगाह, मढ़ौरा – 7:15 बजे
नूर जामा मस्जिद, मानपुर – 7:30 बजे
ईदगाह, दिघवारा – 8:00 बजे
ईदगाह, इसुआपुर – 8:30 बजे
जामा मस्जिद, एकमा – 8:00 बजे
जामा मस्जिद, दरियापुर – 8:30 बजे
ईदगाह, नारायण चक – 8:00 बजे
ईद गाह बनियापुर – 8:00 बजे
ईदगाह, सुंदर मशरक – 8:00 बजे
ईदगाह, मशरक – 7:15 बजे

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Patna: पटना साहिब में आगामी 14 व 15 अप्रैल को दो दिवसीय पटना साहिब महोत्सव आयोजित होगा. पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय उच्च विद्यालय, मंगल तालाब पटना सिटी में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। इसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकार भाग लेंगे. सांस्कृतिक विरासत परंपरा व रीति-रिवाज पर आधारित लोक नृत्य व लोक गायन प्रस्तुत किया जायेग. इसके साथ ही गुरुवाणी, बिहार गौरव गान, भांगड़ा, गिद्धा लोक नृत्य व लोक गायन आकर्षक रहेगा.

विश्व प्रसिद्ध पटना साहिब महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रम में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा कार्यक्रमों का प्रदर्शन होगा. इसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी जायेगी। साथ ही साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति के समय गौरवशाली राज्य बिहार में अवस्थित ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक व अन्य पहलुओं के बारे में बताया जायेगा. इस कार्यक्रम में बिहार के पर्यटन स्थलों के बारे में भी जानकारी दी जायेगी। इसके आलावा दो दिवसीय महोत्सव की तैयारी को लेकर 15 कोषांग गठित हुआ है.

महोत्सव की तैयारियों को लेकर 15 कोषांग गठित किये गये हैं. सभी संबद्ध पदाधिकारियों को बेस्ट इवेंट मैनेजमेंट के लिए सजग व सक्रिय रहने का निर्देश दिया. महोत्सव की तैयारियों के लिए उप विकास आयुक्त को वरीय नोडल पदाधिकारी तथा विशिष्ट पदाधिकारी, अनुभाजन व एडीएम सामान्य को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. इसके अलावा जिला नजारत उप समाहर्ता व अनुमंडल पदाधिकारी, पटना सिटी सहायक नोडल पदाधिकारी बनाये गये हैं.

महोत्सव के दौरान अलग-अलग व्यवस्थाओं के लिए आयोजन समिति कोषांग, कलाकार चयन समिति कोषांग, मंच समन्वयक, उद्घोषक चयन, पंडाल निर्माण कोषांग, वाहन एवं पार्किंग कोषांग, स्वच्छता कोषांग, मोमेन्टो, आमंत्रण कार्ड मुद्रण एवं वितरण कोषांग, नयाचार कोषांग, पेयजल एवं शौचालय कोषांग, विद्युत व्यवस्था कोषांग, बैरिकेडिंग, डी एरिया एवं भूमि समतलीकरण कोषांग, फोटोग्राफी विडियोग्राफी कोषांग, चिकित्सा व्यवस्था कोषांग, अग्निशाम व्यवस्था कोषांग, विधि-व्यवस्था कोषांग व प्रचार-प्रसार कोषांग शामिल है. डीएम ने सभी पदाधिकारियों को सभी अपेक्षित कार्यों को समय से व गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूरा करने का निर्देश दिया.

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हनुमान जयंती में बड़े ही धूम -धाम से मनाया जाता है।  बिहार के कई हनुमान मंदिर में विशेष पूजन किया जाये।  हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।  यह त्योहार हर साल पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाया जाता है। 

इस दिन भक्तगन हनुमान जी का व्रत रखते है साथ ही हनुमान जी का पूजन करते है।  मान्यता यह है की इस दिन पूजा करने से हनुमान जी अपने भक्तो के सभी कष्ट को दुर करते है।  कहा जाता है कलयुग का प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के बाद इनका ही नाम आता है।  इस युग में इनका अलग अलग नाम से पूजा होता है। इन्हें कोई संकट मोचन, बजरंगबली, मारुती, अंजनी पुत्र तथा हनुमान जी के नाम से पूजा होती है।  यह भगवान शिव का अवतार यानि रुद्रावतार माना जाता है। इनका जन्म चैत्र मास के पूर्णिमा तिथि दिन मंगलवार को हुआ था।  इसलिए मंगलवार को इनका विशेष पूजन किया जाता है। हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।  इस लिए इस दिन मंदिर में प्रातः काल ब्रह्मुहुर्त से ही
प्रवचन तथा पूजन पता का आयोजन किया जाता है। इस दिन हनुमान जी के साथ राम लक्ष्मण साथ में माता सीता का पूजन किया जाता है। प्रसाद के रूप में बेसन से बना हुआ लड्डू या बूंदी का लड्डू चढ़ाया जाता है।  क्योकि हनुमान जी का बहुत ही प्रिये है लाल रंग का सिंदूर भी प्रिये है। 

कब करे पूजन
06 अप्रैल 2023 दिन गुरुवार पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 05 अप्रैल दिन बुधवार 2023 बुधवार सुबह 09:19 मिनट से
06 अप्रैल 2023 दिन गुरुवार सुबह 10:04 मिनट पूर्णिमा तिथि मिल रहा है
उदया तिथि मानकर हनुमान जयंती 06 अप्रैल को ही मनाया जायेगा। 

व्यापार और नौकरी में उन्नति नहीं हो रही है करे यह उपाय .

हनुमान जयंती के दिन संकट मोचन के समक्ष तेल का दीपक लगाएं और ‘ऊं नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा’ मंत्र का 108 बार रुद्राक्ष की माला से जाप करें.

हनुमान जी का पूजन से मनोकामना पूर्ण होती है इस दिन करे इस मंत्र का जाप

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

इस दिन पूजन करने से शत्रुता खत्म होगी

इस दिन पूजन करने से पूर्णिमा के साथ हनुमान जयंती साथ में दिन गुरुवार जो भगवान विष्णु का दिन बन रहा है।  इस दिन हनुमान जी के साथ शंकर भगवान का पूजन करने से पारिवारिक कष्ट दुर होगा साथ में शत्रुता खत्म होगी.

 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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संत शिरोमणि नरहरि महाराज की जयंती मनी

Chhapra: स्थानीय PN ज्वेलर्स परिसर में संत शिरोमणि श्री नरहरि महाराज महाराज के जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर बिरादरी के लोगों ने संत शिरोमणि श्री नरहरि महाराज के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए माल्यार्पण किया.

कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन मंगलाचरण के साथ किया गया. जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य संरक्षक नागेंद्र कुमार ने कहा कि संत शिरोमणि श्री नरहरी महाराज ने समाज को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया आज उनके पद चिन्हों पर चलकर हमें भी अपने बिरादरी के उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए हमें एकता के सूत्र में बढ़ना होगा. श्री कुमार ने संत शिरोमणि श्री नरहरी महाराज के जीवन चरित्र पर भी प्रकाश डाला.

इस अवसर पर उन्होंने संत नरहरी शिक्षा कला एवं सांस्कृतिक चेतना मंच की इकाई स्वर्णिम बिहान के बारे में भी उपस्थित बिरादरी के लोगों को बताया. जयंती समारोह में छोटे-छोटे बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया.

श्री कुमार ने बताया कि संत नरहरी शिक्षा कला एवं सांस्कृतिक चेतना मंच के बैनर तले प्रतिवर्ष गरीब, असहाय व्यक्तियों के घर शादी विवाह समारोह में मदद, कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा के साथ-साथ अन्य सामाजिक कार्यों में भी मदद की जाती है.

जयंती समारोह के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर करने वाले छात्र छात्राओं के बीच पारितोषिक का भी वितरण किया गया. वही संध्या समय में प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.

इस मौके पर ईश्वर प्रसाद, अखिलेश कुमार, सतेंद्र कुमार, वरुण प्रकाश, डिप्टी मेयर रागनी कुमारी, धर्मनाथ पिंटू, नवीन सिंह मुन्नू सहित कई लोग शामिल थे.

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रामनवमी पर निकली शोभायात्रा, आसमान से बरसाए गए फूल, 5 दर्जन से अधिक स्थानों पर भोजन पानी का भंडारा

Chhapra: राम नवमी के अवसर पर शहर से लेकर गांव तक शोभा यात्रा निकाली गई. गाजे बाजे के साथ निकली इस शोभायात्रा में हजारों श्रद्धालुओं ने शामिल होकर इसे सफल बनाया.

शहर में पंकज सिनेमा चौक से श्री राम जन्म शोभायात्रा समिति द्वारा भव्य झांकियां निकाली गई. शोभायात्रा में 15 फीट के श्री राम के साथ महावीर हनुमान शामिल थे. वही 3 दर्जन से अधिक झांकियों में खाटू श्याम, रामेश्वरम, बालाजी और रामसेतु के पत्थर के साथ निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के प्रतिरूप ने लोगों को अपनी ओर खूब आकर्षित किया.

शोभायात्रा में इस बार कोलकाता से बुलाए गए पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन कर रहे कलाकारों ने लोगों को अपने प्रदर्शन से मंत्रमुग्ध कर दिया वही आजमगढ़ से पहुंचे ढोल वालों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

करीब 2 किलोमीटर से लंबी यह शोभा यात्रा पंकज सिनेमा से निकलकर महमूद चौक, थाना चौक, साहबगंज, कटहरी बाग, मौना नीम, मौना चौक, योगिनिया कोठी, नगरपालिका चौक होते हुए भगवान बाजार, गुदरी से निकलकर पुनः पंकज सिनेमा चौक पहुंची.

करीब 11:00 बजे निकली यह शोभायात्रा पूरी रात शहर में परिभ्रमण करती रही. शोभायात्रा में हजारों लोग शामिल हुए.

वहीं पूरे शहर में जगह जगह पर भगवान श्रीराम एवं हनुमान की पूजा एवं स्वागत किया गया. 5 दर्जन से अधिक स्थानों पर शोभायात्रा में शामिल लोगों के लिए शरबत, पानी, सत्तू, बिस्किट एवं विभिन्न तरह के खाने का भंडारा लगाया गया था. जिससे किसी तरह की परेशानी शोभायात्रा में शामिल लोगों को नहीं हुई.

पूरी रात शहर भ्रमण के बाद शोभा यात्रा पंकज सिनेमा पहुंची यहां श्री राम और महावीर हनुमान की प्रतिमा का नदी में विसर्जन किया जाएगा.

शोभायात्रा में हर वर्ग का उत्साह देखने को मिला. वहीं शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर हजारों की संख्या में उपस्थित महिलाओं ने श्री राम की प्रतिमा की आरती उतारी पूजा अर्चना के बाद उनका स्वागत किया. कई स्थानों पर फूल बरसाए गए जिससे लोग काफी हर्षित दिखे.

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