800 भक्तों के साथ बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए छपरा से पहला जत्था रवाना

Chhapra: बाबा बर्फानी के दर्शन को लेकर बाबा अमरनाथ की यात्रा एक जुलाई से शुरू हो रही है. पहले दिन की यात्रा में छपरा के भक्त शामिल होंगे. जिसके लिए भक्तों का पहला जत्था छपरा से शुक्रवार को रवाना हुआ. पहले दिन के जत्थे में छपरा के शहर से लेकर गांव तक के करीब 800 सौ से अधिक भक्त शामिल है. जो बाबा बर्फानी का दर्शन करेंगे.

शुक्रवार की सुबह से ही छपरा जंक्शन भगवान भोलेनाथ के जयकारे से भक्तिमय बना हुआ था. शहर से लेकर गांव तक के हजारों लोग भक्तों को यात्रा पर जाने के लिए स्टेशन पर पहुंचे थे. इस दौरान स्थानीय लोगों द्वारा यात्री भक्तों के साथ साथ अन्य लोगों के लिए प्रसाद की व्यवस्था की गई थी.

इस अवसर पर शहर के गणमान्य लोगों ने अपनी उपस्थिति से शिव भक्तों का हौसला बढ़ाया. जय भोला भंडारी और बम बम भोले के जयकारे के साथ पूरा छपरा जंक्शन भक्तिमय बना हुआ था. जैसे ही जम्मू जाने वाली ट्रेन छपरा जंक्शन पहुंची पूरा स्टेशन बाबा बर्फानी के भक्तों से भरा पड़ा था. सभी जयकारे लगा रहे थे.

बाबा बर्फानी के दर्शन को लेकर जत्थे में युवाओं की भीड़ ज्यादा थी. पहली बार बाबा के दर्शन को जा रहे भक्तों में जोश भरा था. उन्होंने बताया कि बाबा के कृपा से उनकी यात्रा पूरी होंगी और वह बाबा का दर्शन करेंगे.

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Chhapra: सारण से बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शन के लिए प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु जाते हैं। इस बार भी श्रद्धालुओं का जत्था बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए निकला है।

शुक्रवार को छपरा जंक्शन से अमरनाथ एक्सप्रेस ट्रेन से सारण जिले का पहला जत्था रवाना हुआ। इस जत्था में 800 से अधिक श्रद्धालु रवाना हुए हैं। 

रात से हो रही बारिश के बीच छपरा जंक्शन पर सुबह से ही श्रद्धालुओं और गणमान्य लोगों का जुटना शुरू हो गया था। हर ओर भोले शंकर के जयकारे गूंज रहे थे। जंक्शन परिसर में आम लोगों के लिए भंडार का आयोजन भी किया गया था। जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। 

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– 3.76 लाख वर्गफुट में होगा निर्माण, 270 फीट ऊंचा होगा मुख्य शिखर

पूर्वी चंपारण,20 जून(हि.स.)। बिहार के पूर्वी चंपारण जिला स्थित केसरिया-चकिया पथ पर कैथवलिया बहुआरा में विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य मंगलवार 20 जून से शुरू हो गया।

पटना महावीर मंदिर न्यास समिति के प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल ने विधि विधान के साथ पूजा कर खुदाई के साथ निर्माण कार्य को शुरू करते कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन अवसर पर यह कार्य शुरू किया जा रहा है। वर्ष 2025 के आखिर तक विराट रामायण मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना सावन में की जाएगी। मंदिर के कुल 12 शिखरों की साज-सज्जा में और दो वर्ष लगेंगे।

उन्होने बताया कि प्रभु श्रीराम जब शादी के लिए अयोध्या से जनकपुर जा रहे थे,तब उनकी बारात यहां रूकी थी,इसलिए ही इस स्थल का चयन कर इसका नाम जानकी नगर रखा गया है।कहा,कि विराट रामायण मंदिर तीन मंजिला होगा। मंदिर के प्रवेश द्धार पर प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होगे।जिसके बाद काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग होंगे। जिसे महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम का स्वरूप दिया जा रहा है।

उन्होने बताया कि ऐतिहासिक प्रमाणो के अनुसार आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है। शिवलिंग का वजन 210 टन, ऊंचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी। मन्दिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्गफुट होगा। सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का होगा।दुसरा शिखर 198 फीट का होगा। जबकि 180 फीट के अन्य चार शिखर के साथ 135 फीट का एक और शिखर और 108 फीट ऊंचाई के 5 शिखर का निर्माण होंगा। विराट रामायण मंदिर की लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट है।

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि यह मंदिर अयोध्या में बन रहे रामलला मन्दिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट और सबसे ऊंचा शिखर 135 फीट से ज्यादा होगी। विराट रामायण मन्दिर में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मन्दिरो के साथ कई आश्रम, गुरुकुल और धर्मशाला का भी निर्माण होगा। 

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सूर्य कर रहे है मिथुन राशि में गोचर इस गोचर से मानव जीवन से लेकर पर्यावरण पर भी इनका प्रभाव पड़ता है।  ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के परिवर्तन से कई राशियों
पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वही कई राशियों पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा। वही सूर्य के राशि परिवर्तन भारतीय मानसून पर काफी प्रभाव दिखाई देता है।

सूर्य से जगत उत्पन होता है। सूर्य सर्वभूत स्वरूप सनातन परमात्मा है। इनका वर्ण लाल है। इनका वाहन रथ है। यह सिह राशि के स्वामी है। इनकी महादशा छः वर्ष की होती है। इनका तापमान ज्यादा बना हुआ रहता है। आम बोल-चाल की भाषा में सूर्य को गतिशील भी कहते है।  सूर्य को समस्त ग्रहों अधिक प्रकाशमान होने से सभी ग्रहों में अधिक शक्तिशाली होने से सौर मंडल में राजा का पद प्राप्त है। कुंडली में सूर्य उच्च का हो जातक जातक उच्चअधिकार बनता है। सूर्य के द्वारा सरकार का विचार सूर्य मान -सम्मान, इज्जत, आरोग, धन, अधिकार सूर्य ही देता है। सूर्य तेजवान, गरीबो पर दया तथा जीवन को महान बनाता है.

आइये जानते है सूर्य के राशि परिवर्तन से चन्द्र कुंडली के बारह राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

कब करेगे सूर्य गोचर
15 जून 2023 दिन गुरुवार समय संध्या 06:05 मिनट पर वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेगे .

मेष:
भाई -बहन के साथ संबंध ठीक रहेगा,यश की प्राप्ति होगी ,इस अवधि में आप खुशहाल रहेगे .रुके हुए सभी कार्य पूर्ण होंगे .विधार्थियों के लिए यह समय अनुकूल रहने वाला है.जो लोग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे है उनको सफलता मिलेगी.

वृष :
अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे पारिवारिक सुख में कमी दिखाई देगा । स्थाई सम्पति के लिए परिवार में विवाद बढेगा .आय के रस्ते खुलेगे माता के लिए यह समय ठीक रहेगा।

मिथुन :
यह गोचर आपके प्रथम भाव में होगा जिसे आप स्वाभिमानी आपसे अपने लोग नाराज होंगे सरकारी कार्यों में बाधा होगा.दाम्पत्य जीवन में तनाव होगा। स्वास्थ्य आपका प्राभवित रहेगा। 

कर्क :
यह गोचर आपके बारहवे भाव में होगा जो आपके लिए उतम नहीं रहेगा आय से ज्यादा व्यय रहेगा। विदेश यात्रा का योग बन रहा है, जो लोग विदेशी कम्पनी में कार्य कर रहे है उनको लाभ मिलेगा। यहाँ सप्तम दिर्ष्टि शत्रु भाव पर पड़ रहा है जिसे लोग आपको धोका देंगे। आपसे शत्रुता मोल लेंगे.स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा.नेत्र पीड़ा होगी। 

सिह:
इस राशि को एकादश भाव में गोचर करेगे। जिसे कई तरह लाभ मिलेगा.कई तरह से धन का लाभ देगा। समाज में आपका मान-सम्मान भरपुर मिलेगा। प्रेम संबध में सुधार होगा। सप्तम दृष्टि पंचम भाव पर पड़ेगा। जो लोग अविवाहित है उनको नये प्रेम स्थापित करेगे। परिवार खुशहाल रहेगा, संतान शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े। 

कन्या :
इस राशि में दशम भाव में गोचर करेगे जिसे इस अवधि में आपको अच्छी सफलता मिलेगी आय के स्त्रोत ठीक रहेगा । राजा समान आपको मान प्रसद्धि मिलेगा काम का जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। आपके अधिकारी का पूरा सहयोग मिलेगा। भवन -भूमि तथा भौतिक सुख की प्राप्ति होगी। 

तुला :
इस राशि में सूर्य का गोचर नवम भाव में हो रहा है जिसे स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा .समाज में मन सम्मान मिलेगा .आपका आताम्विश्वास बढ़ जायेगा.यात्रा बनेगा.कार्य को सफल होने में देर होगी। बेवजह के बात में नहीं उलझे परेशानी होगी। 

वृश्चिक:
इस राशि वाले को आठवे भाव में गोचर करेगे जिसे आपको कई तरह से समस्या आएगी इस समय आप अपने वाणी पर नियंत्रण रखे। स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरुरत है। सरकारी कागजातों को ध्यान से पढ़कर हस्ताक्षर करे. शत्रु से परेशानी होगा तथा आपको गलत गतिविधि में फसा देगें। 

धनु :
इस राशि में सातवे भाव में गोचर कर रहे है जिसे व्योपारी के लिए यह समय बहुत ही बेहतर रहने वाला है नये निवेश करे लाभ होगा। पारिवारिक रिश्ता मजबूत होगा । दाम्पत्य जीवन में बना हुआ तनाव कम होगा तथा इनसे लाभ होगा। इस समय बात-विवाद में नहीं फसे। 
मकर :
इस राशि में सूर्य छठे भाव में गोचर कर रहे है जिसे आय के स्त्रोत ठीक रहेगा। स्वास्थ्य मध्यम का रहेगा. शत्रु परेशान करेगे।  आपके कार्य को सराहा जायेगा। मामा के घर से थोडा नाराजगी रहेगी। जो लोग नौकरी कर रहे है आपके अधिकारी का पूरा सहयोग मिलेगा। 

कुम्भ:
इस राशि में सूर्य पंचम भाव में गोचर करेगे जिसे नये कार्य की अच्छी समय है आपको इस समय अस्मरण शक्ति तेज होगी, संतान का सुख मिलेगा प्रेम जीवन में लाभ होगा।  विद्यार्थियों के लिए यह गोचर अनुकूल रहने वाला है। आय का स्त्रोत ठीक रहेगा। 

मीन :
इस राशि में चौथे भाव में सूर्य गोचर कर रहे है जिसे स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या बनेगा। माता जी के साथ अनबन बनेगा।  पारिवारिक रिश्ता कमजोर होगी कोई नया कार्य करने से पहले सोच -विचारकर निर्णय ले जमीन की खरीदारी करने से पहले बिचार कर ले। धर्य से कार्य करे। 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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केदारनाथ, 08 जून (हि.स.)। केदारनाथ धाम इन दिनों पूरी तरह से भक्तों से भरा हुआ है। केदारनाथ यात्रा में 45 दिनों में 8 लाख 20 हजार से अधिक भक्त धाम पहुंचककर दर्शन कर चुके हैं। औसतन प्रतिदिन 20 से 22 हजार के करीब तीर्थ यात्री केदारनाथ पहुंच रहे हैं।

इस वर्ष केदारनाथ धाम की यात्रा पर उम्मीद से भी अधिक भक्त पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि यात्रा के पुराने सभी रिकॉर्ड टूटते जा रहे हैं। इस वर्ष जहां 45 दिन में 8 लाख 20 हजार से अधिक भक्त धाम पहुंचे हैं। वहीं पिछले वर्ष इतने ही दिनों में 7 लाख यात्री केदारनाथ धाम पहुंचे थे।

उत्तराखंड के चारों धामों में सबसे अधिक यात्री केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं। कठिन चढ़ाई और मौसम की तमाम दुश्वारियों के बीच भी बाबा के भक्तों की आस्था कम नहीं हो रही है, बल्कि बढ़ती ही जा रही है। अभी मानसून सीजन शुरू होने में 15 दिन से अधिक का समय बचा हुआ है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यात्रा के दो माह में केदारनाथ पहुंचने वाले भक्तों का आंकड़ा 12 लाख के पार हो जायेगा।

वहीं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि लगभग 45 दिनों की यात्रा में अब तक आठ लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन कर लिए हैं, जिनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है। आने वाले तीर्थ यात्रियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए यात्रा से संबंधित सभी व्यवस्थाओं की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। शुरुआती 20 से 25 दिनों में खराब मौसम, बारिश व बर्फवारी रही। इसके बावजूद सभी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद किया जा रहा है। यात्रा मार्ग पर शौचालय, पेयजल, घोड़े खच्चरों के स्वास्थ्य सहित स्वास्थ्य विभाग द्वारा विकट परिस्थितियों में मेहनत की जा रही है। सभी अधिकारी एवं कर्मचारी जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही यात्रियों से फीडबैक भी लिया जा रहा है और सभी कमियों को दूर किया जा रहा है।

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पटना, 6 जून (हि.स.)। बिहार के पूर्वी चम्पारण में बन रहे विश्व के सबसे बड़े मंदिर विराट रामायण मंदिर का निर्माण का कार्य प्रारम्भ 20 जून से होगा। इसे वर्ष 2025 के फरवरी तक पूरा कर लिया जाएगा। मंदिर के निर्माण होने के साथ ही यहां विश्व की सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना हो जाएगी। महावीर मन्दिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल ने मंगलवार को यह जानकारी पत्रकारों से बातचीत में दी।

किशोर कुणाल ने कहा कि पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया-चकिया पथ पर कैथवलिया-बहुआरा में विराट रामायण मन्दिर का निर्माण 20 जून से प्रारंभ हो जाएगा। वर्ष 2025 के सावन तक मन्दिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना हो जाएगी। उसी साल आखिर तक विराट रामायण मन्दिर बनकर तैयार हो जाएगा। पूर्वी चंपारण के केसरिया में बन रहे विराट रामायण मंदिर को अंकोरवाट (कंबोडिया) की तर्ज पर बनाया जाएगा। यह अंकोरवाट मंदिर से भी दुगना ऊंचा बनेगा।

22 मन्दिर, 12 शिखर और 3 ब्लॉक होंगे
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि केसरिया में 3.76 लाख वर्गफुट में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मन्दिर मंदिर बनाए जाएंगे। इसमें 12 शिखर और 3 ब्लॉक होंगे। मुख्य शिखर 270 फीट ऊंचा होगा। 20 जून से काम की शुरुआत हो जाएगी और 27 फरवरी 2025 तक मंदिर की स्थापना कर दी जाएगी। विराट रामायण मन्दिर तीन मंजिला होगा। मन्दिर में प्रवेश के बाद प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश के दर्शन होंगे। वहां से बढ़ते ही काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग के दर्शन होंगे। महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम भी बनाया जा रहा है।

मंदिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की होगी स्थापना
शिवलिंग की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि शिवलिंग का वजन 200 टन, ऊंचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इतने वजन के शिवलिंग को लाने के लिए चकिया से कैथवलिया की 10 किलोमीटर की दूरी तक सड़क और पुल पुलिया के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण का अनुरोध बिहार के मुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री से किया गया है।

मंदिर का स्थान जानकी नगर के रूप में होगा विकसित
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मन्दिर निर्माण के लिए 120 एकड़ जमीन उपलब्ध है। इसे जानकी नगर के रूप में विकसित किया जाएगा जहां कई आश्रम, गुरुकुल, धर्मशाला आदि होंगे।

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-प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़

वाराणसी, 30 मई (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि ‘गंगा दशहरा’ पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और दान पुण्य किया। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ दरबार, श्री संकटमोचन सहित प्रमुख हनुमत मंदिरों में भी हाजिरी लगाई।

गंगा दशहरा पर श्रद्धालु भोर चार बजे से दिन चढ़ने तक गंगा स्नान करने के लिए घाटों पर नंगे पांव पहुंचते रहे। स्नान पर्व पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी, भैसासुर, खिड़किया घाट पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ जुटी रही। इसमें शहरियों की तुलना में ग्रामीणों की भीड़ ज्यादा रही। स्नानार्थियों के चलते गोदौलिया से दशाश्वमेधघाट तक मेले जैसा नजारा रहा। जिला प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा दरबार तक सुरक्षा व्यवस्था के साथ यातायात भी प्रतिबंधित किया है।

उल्लेखनीय है कि मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण पुराणों के अनुसार जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि में वृष लग्न में हुआ था। आज ही के दिन हजारों साल पहले गंगा धरती पर आईं थी। पापों का नाश कर प्राणियों का उद्धार करने के उद्देश्य से धरती पर ही रह गईं। तब से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

शाम को मां गंगा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार, दुग्धाभिषेक के साथ षोडशोपचार पूजन

गंगा दशहरा पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से किशोरी रमण दूबे ‘बाबू महाराज’ की अगुवाई में शाम को मां गंगा के प्रतिमा का भव्य श्रृंगार कर विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच षोडशोपचार पूजन किया जाएगा। बाबू महाराज ने बताया कि गंगा दशहरा पर शाम को मां गंगा की महाआरती की जाएगी। इसी क्रम में गंगा सेवा निधि की ओर से दशाश्वमेधघाट पर भव्य गंगा आरती की जाएगी। सनातनी भारतीय संस्कृति के स्नान पर्वों में गंगा दशहरा पर गंगा स्नान का खास महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से वर्ष भर गंगा स्नान करने बराबर के फल की प्राप्ति होती है।

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हिन्दू धर्म में एकादशी  व्रत का विशेष महत्व है।  पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। भगवान विष्णु के प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है।  यह व्रत शुभ फलदाई मानी जाती है।  महीने में कुल दो एकादशी मनाया जाता है।  साल में 24 एकादशी मनाया जाता है। ज्येष्ट मास की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते है।  इस व्रत को निर्जल रहकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होता है तथा लम्बी आयु, स्वास्थ ठीक रहता है तथा पाप को नाश करने वाला यह व्रत होता है।

व्रत का पूजा विधि
जो लोग बारह मास का एकादशी नहीं कर पाते है निर्जला एकादशी करने से पूर्ण हो जाता है, विधि इस प्रकार है.

(1 ) जिस दिन व्रत करना है उसके एक दिन पहले संध्याकाल से स्वस्छ रहे तथा संध्या काल के बाद भोजन नहीं करे.

(3 ) व्रत के दिन सुबह में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन करे पिला वस्त्र धारण करे.

(4 ) पूजन के बाद कथा सुने

(5 ) इस दिन जो व्रत करते है उनको विशेष दान (सरबत ) करना चाहिए मिट्टी के पात्र में जल भरकर उसमे गुड़ या शक्कर डाले तथा सफ़ेद कपड़ा से ढक कर दक्षिणा के साथ ब्रह्मण को दान दे.
(6) निर्जला एकादशी के दिन तिल का दान करें पितृ दोष से शांति मिलती है
(7) नमक का दान करे नमक दान करने से घर में अन्न की कमी नहीं रहती है।

व्रत का मुहूर्त
31मई 2023 दिन बुधवार

एकादशी तिथि का प्रारंभ 30मई 2023 दिन 01: 07 मिनट से
एकादशी तिथि का समाप्ति 31मई 23 दिन 01: 45दोपहर तक

पारण का मुहूर्त :
01 जून 2023 दिन गुरूवार सुबह 05:00 से 7:40 मिनट तक

कथा :
महाभारत के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा-हे मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।  इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। ’’ महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए।  इसके बाद से निर्जला एकादशी मनाई जाती है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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बिहार में ज्येष्ठ का दशहरा यानि गंगा दशहरा का त्योहार बहुत ही विधि – विधान से किया जाता है।  सौभाग्यवती महिलाए लंबी सौभाग्य के लिए यथा घर में सुख शांति के लिए गंगा दशहरा का पूजन करती है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी,  इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। गंगा दशहरा को माता गंगा को पूजन किया जाता है। यह त्योहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार में से एक है। इस दिन को गंगा अवतरण के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता गंगा पृथ्वी पर आने के कारण यह शुद्ध हो गई और इनका भब्य धारा का प्रभाव हुआ।

कहा जाता है इस दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दान -पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा जीवन में सुख -शांति बना रहता है। गंगा को सिर्फ नदी नहीं बल्कि हिन्दू धर्म में गंगा को माता का दर्जा दिया गया है। यह दिन को बहुत ही महतवपूर्ण माना गया है। गंगा दशहरा का त्योहार बिहार के आलावा, बंगाल, उतरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में मनाया जाता है।

गंगा दशहरा कब है जाने क्या है मुहूर्त 
दशमी तिथि का प्रारंभ 29 मई 2023 सुबह 11:49 से
दशमी तिथि का समाप्ति 30 मई 2023 दोपहर 01:07 तक
हस्त नक्षत्र का प्रारंभ 30 मई 2023 को 04:29 सुबह से
हस्त नक्षत्र का समाप्ति 31 मई 2023 को 6:00 सुबह तक

पूजन विधि
गंगा दशहरा का पूजन विधि इस प्रकार है।
इस दिन गंगा में स्नान करने का महत्व है । नये वस्त्र धारण करे।  पूजन सामग्री में फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य गंगा माता को चढ़कर पूजन करे साथ ही गंगा माता को अर्ध्य दे बाद में आरती करे ।

गंगा दशहरा के दिन ज्योतिषीय उपाय
गंगाजल में स्नान करने से मन पवित्र हो जाता है तथा आत्मा शुद्ध हो जाती है, सभी पाप नष्ट हो जाते है।

गंगा में स्नान करने के बाद भगवान शिव का पूजन करे,  इनके पूजन से चन्द्रमा का दोष दूर हो जाते है।

गंगा में स्नान करने के बाद अपने घर के मुख्य द्वार स्वस्तिक बनाकर उसका पूजन करे।

इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद मृत पूर्वजो के लिए पितृ तर्पण करे पितृदोष से राहत मिलेगा .

गंगा का पृथ्वी पर अवतरण की कथा

कथा के अनुसार कई वर्षो की कठोर तपस्या के बाद भागीरथ ने माता गंगा को प्रसन्न करने में सफल हुए थे।  माता गंगा ने खुश होकर उनसे कहा आपके इच्छा के अनुसार मै पृथ्वी पर आने को तैयार हूं लेकिन मेरे शक्ति ज्वार और प्रभाव को रोकने वाला कोई है, अगर ऐसा हुआ तो मेरा जल प्रभाव से पुरे ग्रह को मिटा सकता है। पुरे पाताल लोक को खत्म कर सकता है । इसके बाद भागीरथ ने गंगा माँ से विनती किये तथा इसका समाधान निकलने के लिए कहा तब माता गंगा ने उतर दिया केवल भगवान शिव गंगा को अपने सिर पर धारण करने के लिए तैयार हो जाते है तब मै पृथ्वी पर आउगी माता गंगा की बात सुनकर भागीरथ ने भगवान शिव की आराधना में लीन हो गए।  इनके तपस्या के खुश होकर भगवान शिव जी गंगा को अपनी जटाओ में धारण किया। ज्येष्ठ के दशहरा के दिन गंगा माता पृथ्वी की ओर जब प्रवाहित हुई तब भगवान शिव अपने बाल को खोलकर गंगा माता को अपनी जटाओ में बंध लिया था।  इसके बाद भगवान शिव ने अपने बाल के एक जटा ली और वही से गंगा माता की अवतरण हुआ।  इस जगह को गंगोत्री के नाम से जाना जाता है।

 

 

 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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पटना, 19 मई (हि.स.)। अपने पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं द्वारा किया जाने वाला वट सावित्री व्रत शुक्रवार को श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक तरीके से मनाया गया। पूजन के लिए सूर्योदय काल से ही बरगद पेड़ के समीप महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

जहां कि सुहागन महिलाओं ने अपने पति के दिर्घायु जीवन के लिए विशेष पूजा-अर्चना किया। सोलह श्रृंगार से सजी सुहागन महिलाएं जब समूह में गीत गाते हुए माथे पर विशेष आकृति का कलश लेकर पूजा के लिए चली तो पूरा वातावरण सुगंधित हो गया।

इसके बाद बरगद वृक्ष के नीचे विविध पूजन सामग्री, मौसमी फल एवं मिष्ठान के साथ पूजा-अर्चना करते हुए अखंड सुहाग की कामना की गई। इस दौरान कई जगह पंडित द्वारा कथा भी किया गया। जबकि, अधिकांश जगह महिलाओं ने खुद से पूजा-पाठ कर वट सावित्री की कथा सुनी।

जिसमें बताया गया था कि अपने पति सत्यवान की मृत्यु होने के बाद सावित्री ने कैसे बुद्धि विवेक के बल पर यमराज को प्रसन्न करते हुए ना केवल अपने पति को जिंदा करवा लिया, बल्कि अपने सास-ससुर का खोया हुआ राज्य वापस पा लिया था।

इधर, वट सावित्री व्रत के साथ सोमवारी अमावस्या रहने के कारण बरगद और पीपल दोनों वृक्ष की एक साथ पूजा-अर्चना हुई। बरगद के नीचे वट सावित्री पूजा करने के बाद महिलाओं ने पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना कर 108 बार परिक्रमा किया।

इस दौरान पारंपरिक भक्ति गीत गाती महिलाएं ने ना केवल पति के अमर सुहाग की कामना किया। बल्कि परिवार, समाज, गांव और देश के समृद्धि की भी कामना किया।

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पटना: लम्बे समय से पटना के नौबतपुर स्थित तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कार्यक्रम की तैयारी आखिरकार रंग लायी। शनिवार शाम पटना के नौबतपुर स्थित तरेत पाली मठ में बाबा बागेश्वर के दिव्य दरबार की भव्यता ने सभी को आकर्षक कर लिया।

बागेश्वर धाम के कथा वाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री निर्धारित समय पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और बजरंगबली की आरती के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हो गई। कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर बीजेपी के कई नेता हनुमान जी की आरती में शामिल हुए। मंच पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, अश्विनी कुमार चौबे, सांसद रामकृपाल यादव, रविशंकर प्रसाद, विपक्ष के नेता विजय सिन्हा, बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी और पूर्व मंत्री नीरज बबलू मौजूद रहे।

इससे पूर्व धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शनिवार सुबह पटना एयरपोर्ट पहुंचे थे। वहां से सांसद मनोज तिवारी ने उन्हें अपने गाड़ी में बैठाकर पनाश होटल लाया। जहां से थोड़ी देर आराम करने बाद वह लगभग तीन बजे कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए। पंडित धीरेंद्र शास्त्री शनिवार से अगले पांच दिनों तक हनुमंत पाठ करेंगे।

हनुमंत कथा को सुनने के लिए कार्यक्रम स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। मौके पर महिलाओं की संख्या अधिक रही। कार्यक्रम को लेकर लोगों में भारी उत्साह है और इसकी भव्यता देखते ही बन रही है।

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सूर्य ग्रहण 15 दिन बाद साल का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख माह पूर्णिमा तिथि पांच मई को लगने जा रहा है। बुद्ध पूर्णिमा को चंद्रमा उपछाया ग्रहण के साये में होगा। इसमें चांदनी कुछ फीकी सी होगी। ग्रहण रात एक बजे के करीब चंद्रमा से ग्रहण हट जाएगा। इस चंद्र ग्रहण का कुल समय चार घंटे और 15 मिनट बताया जा रहा है। यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने वाला है। साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत,अटलांटिक,अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा।

रात आठ बजकर 44 मिनिट से यह ग्रहण आरंभ होकर रात्रि एक बजकर एक मिनिट पर समाप्त होगा । चार घंटे 18 मिनिट अवधि के इस ग्रहण का मध्यकाल रात 10 बजकर 52 मिनिट पर होगा । यह उपछाया ग्रहण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया , दक्षिणी पश्चिमी यूरोप में दिखाई देगा । विश्व की कुल आबादी का लगभग 83 प्रतिशत लोग इसका कुछ न कुछ भाग तथा लगभग 56 प्रतिशत लोग इस पूरे ग्रहण को देख सकेंगे।

इस घटना के समय सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जायेगी । इससे पृथ्वी की छाया और उपछाया दोनो बनेगी । इस ग्रहण के समय चंद्रमा उपछाया वाले भाग से होकर निकलेगा जिससे ग्रहण के दौरान चंद्रमा की चमक फीकी पड़ जायेगी ।

ऐसा दिखेगा पश्चिमी देशों में

बुद्ध पूर्णिमा के इस चंद्रमा को पश्चिमी देशों में वहां इस मौसम में प्रचुर मात्रा में खिलने वाले फूलों के कारण फ्लॉवर मून नाम दिया गया है । नेटिव अमेरिकी इसे बडिंग मून, एग लेयिंग मून, प्लाटिंग मून नाम से भी पुकारते हैं। इस कारण यह फ्लॉवर मून पर लगने वाला ग्रहण भी कहला रहा है।

130 सालों बाद बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण हो रहा है जबकि 26 मई 2021 को दिखा चंद्रग्रहण बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही था इसके अलावा कुछ रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि इस ग्रहण के समय चंद्रमा पास होगा जबकि पांच मई को चंद्रमा पृथ्वी से लगभग तीन लाख 80 हजार किमी दूर रहेगा, यह कम नहीं मध्यम दूरी है । जबकि कम दूरी में सुपरमून के समय यह दूरी तीन लाख 60 हजार किमी के लगभग रह जाती है।

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