Chhapra: श्रावण मास के पहले सोमवार पर मंदिरों में जलाभिषेक करने को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। शहर के प्रमुख शिव मंदिरों में प्रथम सोमवार को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं।

बाबा धर्मनाथ मंदिर, शिव शक्ति मंदिर समेत तमाम शिवालय में सोमवारी पर भक्तों की जबरदस्त भीड़ है। वहीं मंदिर के आसपास प्रसाद और बेल पत्र आदि की दुकानें भी लगी हैं।

प्राचीन बाबा धर्मनाथ मंदिर में प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर शिव भक्तों की भारी भीड़ जलाभिषेक करने पहुँचती है। जिसको लेकर मंदिर प्रशासन ने खास प्रबंध किए हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी कृष्णमोहन तिवारी ने बताया कि मंदिर में सुबह 4 बजे आरती होती है। 5 बजे से जलाभिषेक शुरू होगा।  जलाभिषेक करने पहुँचने वाले महिला और पुरुष भक्तों के लिए प्रवेश के अलग अलग द्वार बनाए गए हैं। मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पश्चिमी द्वार से होगा। जबकि पुरुषों का प्रवेश उत्तरी द्वार से होगा। किसी को कोई परेशानी ना हो इसके लिए बेरिकेडिंग की गई है। साथ ही पुलिस बल की तैनाती भी की गई है।

इस बार सावन में कुल 8 सोमवार हैं। पहला 10 जुलाई, दूसरा 17, तीसरा 24, चौथा 31, पांचवा 7 अगस्त, छठा 14, सातवां 21 अगस्त, आठवां 28 अगस्त को है।

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– दर्शन मार्ग में होगा बदलाव, क्रासिंग टू की तरफ से होगा मार्ग
– एक श्रद्धालु मात्र 17 सेकेंड में करेगा रामलला का दर्शन

अयोध्या, 07 जुलाई (हि.स.)। श्री राम जन्मभूमि के दर्शन मार्ग में बदलाव होगा, जिसके बाद रामभक्त जन्मभूमि पथ से सीधे परिसर के अंदर प्रवेश करेंगे। यह कार्य अक्टूबर माह में प्रस्तावित हैं। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालु सीधे राम मंदिर में जा सकेंगे। अभी श्रद्धालुओं को राम कोट बैरियर के रास्ते अस्थायी गर्भ गृह में भगवान के दर्शन कराए जा रहे हैं।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के भवन निर्माण समिति ने निर्माण में लगी कम्पनी को अक्टूबर तक सभी कार्यों को पूरा करने का लक्ष्य दिया है। जनवरी 2024 में प्राण प्रतिष्ठा कर श्री राम लला को स्थाई गर्भ गृह में प्रतिष्ठित किया जाएगा।

जन्मभूमि पथ से सीधे राम मंदिर तक रास्ते जोड़ने के बाद परिसर की सुरक्षा के भो अहम बिंदुओं पर कार्य किया जा रहा है। दर्शन पथ के चेकिंग प्वाइंट पर एक्सरे मशीन की बेहतर व्यवस्था रहेगी। श्रद्धालुओं को अलग-अलग स्थानों के चेकिंग पॉइंट से होकर अंदर प्रवेश दिया जाएगा ।

सुरक्षा में लगेंगे सीआईएसएफ के जवान
जन्म भूमि परिसर की सुरक्षा काफी अहम माना जा रहा है। सीआईएसएफ डीजी ने सुरक्षा के मानकों को नए सिरे से तैनात किए जाने की योजना को स्वीकृति दे दी है। राम जन्म भूमि मंदिर की सुरक्षा सीआईएसएफ के जवानों के द्वारा करने की योजना बनाई जा रही है। तैनात जवानों के पास आधुनिक उपकरण रहेंगे।

तीसरी आँख से भी होगी मन्दिर की निगरानी
रामजन्म भूमि परिसर में 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे हर तरह और हर तरफ निगरानी लाइव रुप से किया जाएगा। परिसर में बने वॉच टावर और ड्रोन कैमरे के माध्यम से परिसर की दूर-दूर तक निगहबानी होगी।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक यात्रियों की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है, लेकिन परिसर की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। इसके लिए सुरक्षा अधिकारी पूरा इंतजाम कर रहे हैं। कुछ दिनों बाद राम मंदिर के दर्शन मार्ग में बदलाव किए जाएंगे। उसके पहले सुरक्षा व्यवस्थाओं को भी तैयार कर लिया जाएगा।

एक श्रद्धालु मात्र 17 सेकेंड में रामलला का करेगा दर्शन
राष्ट्रीय निर्माण कंपनी राइट्स ने रामनवमी मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के एक्टिविटी पर रिपोर्ट को तैयार था। राममंदिर में श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन कराने के लिए बनाई जा रही हैं। इस योजना और राइट के सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जानकारी दी गई है कि एक श्रद्धालु मात्र 17 सेकेंड में रामलला का दर्शन कर सकेगा। सर्वे के हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है कि तीन लाख से अधिक श्रद्धालु एक दिन में राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश कर दर्शन कर बाहर निकलेंगे।

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सावन मास चढ़ते पूरा माहौल शिव भक्ति में पूर्ण रहता है। भगवान शिव को सावन महीना बहुत ही प्रिये है इसलिए इस मास में पूजन किया जाता है।

आज आपको सावन में कुछ अलग से ज्योतिषीय उपाय बता रहें हैं।  जो थोडा कठिन है लेकिन इसका प्रभाव से सभी कष्ट दूर होते है। सावन मास में रूद्र पाठ की महिमा है। आशुतोष भगवान सदा शिव की उपासना में रुद्राष्टाध्यायी का विशेष महत्व है।

शिव पुराण के अनुसार सनकादि ऋषियों के पूछने पर स्वयं महादेव ने रुद्राष्टाध्यायीके मंत्रो तथा अभिषेक का महत्व बताया है। मन, कर्म तथा वाणी से परम पवित्र तथा सभी प्रकार से अशक्ति से रहित होकर भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए रुद्राभिषेक करना चाहिए। इससे भगवान शिव की कृपा से सभी कामनाओं को प्राप्त करता है। सावन में रुद्राष्टाध्यायी के द्वारा रुद्राभिषेक करने से मनुष्यों की सभी कष्ट दुर होते है। यह पाठ वेद्सम्मित है, परम पवित्र तथा धन, यस और आयु की वृद्धि करने वाला है। 

जाने रुद्राष्टाध्यायी के पाठ से अभिषेक में की जाने वाले द्रव का नाम तथा उसका प्रभाव

रुद्राभिषेक में प्रयुक्त होने वाले प्रशस्त द्रव्य अपने कल्याण के लिए भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए निष्काम भाव से रुद्राभिषेक करना चाहिए इनका अनंत फल है। शास्त्र में अलग -अलग कामनाओ की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक में अनेक प्रकार के द्रव्य का नियम है:

(1) जल से अभिषेक करने पर वृष्टि होती है
(2) व्याधि की शांति के लिए कुशोदक से अभिषेक करना चाहिए
(3) पशु की प्राप्ति के लिए दही से अभिषेक करना चाहिए
(4) लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से तथा धन प्राप्ति के लिए मधु से अभिषेक करे
(5) मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से अभिषेक करे
(6) दूध के द्वारा अभिषेक करने से संतान की प्राप्ति होती है
(7) काकबन्ध्या ( एक संतान उत्पन करने वाली )अथवा जिनकी संतान उत्पन होते ही मर जाये या मृत संतान उत्पन करे उसे गाय के दूध से अभिषेक करने से जल्द संतान प्राप्त करती है
(8) जल की धारा भगवान शिव को अति प्रिये है अतः तेज बुखार हो गया हो उसको शांत करने के लिए जलधारा से अभिषेक करे ,
(9 )जो लोग गलत प्रेम प्रसंग में पड़ गया हो उसका प्रेम खत्म करने के लिए यानि विनाश के लिए दूध की धारा से अभिषेक करने से प्रेम प्रसंग समाप्त होते है

भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए निष्काम भाव से रूद्रपाठ करना चाहिए जो बहुत ही फलित होता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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मां पार्वती आश्रम में मना गुरु पूर्णिमा उत्सव

Chhapra: शिवनगरी स्थित मां पार्वती आश्रम में सोमवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर स्थानीय लोगों के साथ साथ आसपास के गांव और शहर के लोगों ने मां दुर्गा का दर्शन और शक्ति बालक महाराज का दर्शन किया.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सुबह से ही पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटी थी. यह छपरा का एकमात्र मंदिर है जो पार्वती आश्रम के नाम से जाना जाता है जहां पर 50 वर्षों से गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु महोत्सव के रूप में पूजा अर्चना की जाती है.

इस अवसर पर मेले का भी आयोजन किया गया था. जिसमे झूला और डिस्को सहित खेल और मनोरंजन के साधन मौजूद थे. जिसका बड़े और बच्चों ने जमकर लुफ्त उठाया.

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श्रावण मास का शुरुआत आषाढ़ पूर्णिमा के बाद यानि उसके अगले दिन से प्रारंभ हो जाता है। इस वर्ष श्रावण मास दो महीने का रहेगा। 19 वर्षो के बाद यह समय बन रहा है शिव भक्तों को पूरे 58 दिन तक शिव की उपासन करने का अवसर मिलेगा।

श्रवण मास 4 जुलाई से होकर 31 अगस्त 2023 तक चलेगा। मास के शुरूआत 15 दिन शुद्ध तथा तथा माह के अंतिम 15 दिन शुद्ध मास रहेगा है। बाकि के दिन को पुरषोतम मास कहा जाता है। 

इस बार कुल 8 सोमवार पड़ेगे। जिससे पहला सोमवार 10 जुलाई को अंतिम सोमवार 28 अगस्त को पड़ेगा।

शुद्ध मास के कृष्ण पक्ष में 15 जुलाई को बन रहा है शनि प्रदोष के साथ महाशिवरात्रि का योग जो शिव आराधना के लिए काफी महतवपूर्ण है। 17 जुलाई को अवमस्या पड़ रहा है, जो इस दिन स्न्नान -दान के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। 

मलमास सावन का शुरूआत 18 जुलाई से शुरु होंगे। जिसे पुरषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस मास में दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुरुषोत्मी एकादशी 29 जुलाई को पड़ रहा है, जो इस दिन पूजन करने से बने हुए पितृ दोष में कमी होता है। 17 अगस्त 2023 को शुद्ध श्रावण मास शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो रहा है। 

जाने कब है सोमवार
पहला सोमवार 10 जुलाई
दूसरा सोमवार 17 जुलाई
तीसरा सोमवार 24 जुलाई
चौथा सोमवार 31 जुलाई
पांचवा सोमवार 7 अगस्त
छठा सोमवार 14 अगस्त
सातवाँ सोमवार 21 अगस्त
आठवां सोमवार 28 अगस्त

श्रवण मास के अन्तर्गत भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है.परिवार में सुख शांति बनी रहती है भगवान शिव का अभिषेक करने से कुंडली में कालसर्प दोष बना हुआ है या चंद्रमा ख़राब है ठीक हो जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाचवां महीना श्रावण होता है। इस बार श्रावण मास की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है जो 31 अगस्त को समाप्त होगा। यानि पूरे दो महीना नहीं बल्कि पूरे 58 दिन का रहेगा. इसे वर्षा ऋतु का महीना कहा जाता है। त्योहार की विविधता ही भारत की विशिष्ठता की पहचान है। श्रावण मास यानि सावन मास में पड़ने वाले सोमवार को सावन के सोमवार कहे जाते है। इस मास में विशेष तौर पर कुआरी युवतियाँ भगवान शिव के निमित्त व्रत को रखती है। सावन का महीना प्रेम और उत्साह का महीना माना जाता है। इस मास में नई -नवेली दुल्हन अपने मायके जाकर झुला झूलती है और सखियों से अपने प्रेम की बाते करती है। प्रेम के धागे को मजबूत करने के लिए इस मास में भगवान शिव के अलग -अलग तरीके से पूजन किया जाता है। जिसे महादेव प्रसन्न हो जाये और अपने भक्त को खुशहाल रखे। 

जाने श्रावण मास में अधिक मास के नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते है उसे संक्रांति कहा जाता है। भगवान सूर्य एक राशि में लगभग 30 दिन रहते है जिस माह में सूर्य सूर्य का गोचर नहीं होता है उसे माल मास यानि अधिक मास कहते है या पुरषोतम मास कहा जाता है। इस मास में विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश जैसे शुभ कार्य करना वर्जित रहता है। इस मास में जितना संभव हो दान करें। सावन मास में पुरषोतम मास होने के कारण शिव भक्तो के लिए विशेष शिव आराधना करने को मिलेगा। अधिक मास में शिव के साथ उनके परिवार के सदस्यों संग करनी चाहिए। इस मास में प्रत्येक दिन शिव का रुद्राभिषेक किया जा सकता है। रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध, घी, शहद, चीनी, गन्ने का रस आदि से अभिषेक करे। 

अधिक मास कब से कब है

ज्योतिष गणना के अनुसार अधिक मास 18 जुलाई से 2023 को शुरू होगा और 16 अगस्त 2023 तक रहेगा। इस मास के स्वामी भगवान विष्णु है। भगवान विष्णु ने इस मास को वरदान दिया था जो भी भक्त इस मास में शिव पूजा करेगे। दान पुण्य करेगे उनका घर धन धन्य से परिपूर्ण रहेगा। सभी पाप नष्ट हो जायेगे तथा उनकी सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे। 

मलमास में क्या नहीं करें  
मलमास में शादी -विवाह, नया व्यापार, नई नौकरी, नये भवन निर्माण, मुंडन संस्कार, कोई भी शुभ कार्य नहीं करे। इस मास में किये गए सभी कार्य बेकार हो जाते है। इनसे कोई सुख नहीं मिलता है। इस समय बनाये घर में शांति नहीं मिलती है। 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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800 भक्तों के साथ बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए छपरा से पहला जत्था रवाना

Chhapra: बाबा बर्फानी के दर्शन को लेकर बाबा अमरनाथ की यात्रा एक जुलाई से शुरू हो रही है. पहले दिन की यात्रा में छपरा के भक्त शामिल होंगे. जिसके लिए भक्तों का पहला जत्था छपरा से शुक्रवार को रवाना हुआ. पहले दिन के जत्थे में छपरा के शहर से लेकर गांव तक के करीब 800 सौ से अधिक भक्त शामिल है. जो बाबा बर्फानी का दर्शन करेंगे.

शुक्रवार की सुबह से ही छपरा जंक्शन भगवान भोलेनाथ के जयकारे से भक्तिमय बना हुआ था. शहर से लेकर गांव तक के हजारों लोग भक्तों को यात्रा पर जाने के लिए स्टेशन पर पहुंचे थे. इस दौरान स्थानीय लोगों द्वारा यात्री भक्तों के साथ साथ अन्य लोगों के लिए प्रसाद की व्यवस्था की गई थी.

इस अवसर पर शहर के गणमान्य लोगों ने अपनी उपस्थिति से शिव भक्तों का हौसला बढ़ाया. जय भोला भंडारी और बम बम भोले के जयकारे के साथ पूरा छपरा जंक्शन भक्तिमय बना हुआ था. जैसे ही जम्मू जाने वाली ट्रेन छपरा जंक्शन पहुंची पूरा स्टेशन बाबा बर्फानी के भक्तों से भरा पड़ा था. सभी जयकारे लगा रहे थे.

बाबा बर्फानी के दर्शन को लेकर जत्थे में युवाओं की भीड़ ज्यादा थी. पहली बार बाबा के दर्शन को जा रहे भक्तों में जोश भरा था. उन्होंने बताया कि बाबा के कृपा से उनकी यात्रा पूरी होंगी और वह बाबा का दर्शन करेंगे.

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Chhapra: सारण से बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शन के लिए प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु जाते हैं। इस बार भी श्रद्धालुओं का जत्था बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए निकला है।

शुक्रवार को छपरा जंक्शन से अमरनाथ एक्सप्रेस ट्रेन से सारण जिले का पहला जत्था रवाना हुआ। इस जत्था में 800 से अधिक श्रद्धालु रवाना हुए हैं। 

रात से हो रही बारिश के बीच छपरा जंक्शन पर सुबह से ही श्रद्धालुओं और गणमान्य लोगों का जुटना शुरू हो गया था। हर ओर भोले शंकर के जयकारे गूंज रहे थे। जंक्शन परिसर में आम लोगों के लिए भंडार का आयोजन भी किया गया था। जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। 

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– 3.76 लाख वर्गफुट में होगा निर्माण, 270 फीट ऊंचा होगा मुख्य शिखर

पूर्वी चंपारण,20 जून(हि.स.)। बिहार के पूर्वी चंपारण जिला स्थित केसरिया-चकिया पथ पर कैथवलिया बहुआरा में विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य मंगलवार 20 जून से शुरू हो गया।

पटना महावीर मंदिर न्यास समिति के प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल ने विधि विधान के साथ पूजा कर खुदाई के साथ निर्माण कार्य को शुरू करते कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन अवसर पर यह कार्य शुरू किया जा रहा है। वर्ष 2025 के आखिर तक विराट रामायण मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना सावन में की जाएगी। मंदिर के कुल 12 शिखरों की साज-सज्जा में और दो वर्ष लगेंगे।

उन्होने बताया कि प्रभु श्रीराम जब शादी के लिए अयोध्या से जनकपुर जा रहे थे,तब उनकी बारात यहां रूकी थी,इसलिए ही इस स्थल का चयन कर इसका नाम जानकी नगर रखा गया है।कहा,कि विराट रामायण मंदिर तीन मंजिला होगा। मंदिर के प्रवेश द्धार पर प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होगे।जिसके बाद काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग होंगे। जिसे महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम का स्वरूप दिया जा रहा है।

उन्होने बताया कि ऐतिहासिक प्रमाणो के अनुसार आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है। शिवलिंग का वजन 210 टन, ऊंचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी। मन्दिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्गफुट होगा। सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का होगा।दुसरा शिखर 198 फीट का होगा। जबकि 180 फीट के अन्य चार शिखर के साथ 135 फीट का एक और शिखर और 108 फीट ऊंचाई के 5 शिखर का निर्माण होंगा। विराट रामायण मंदिर की लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट है।

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि यह मंदिर अयोध्या में बन रहे रामलला मन्दिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट और सबसे ऊंचा शिखर 135 फीट से ज्यादा होगी। विराट रामायण मन्दिर में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मन्दिरो के साथ कई आश्रम, गुरुकुल और धर्मशाला का भी निर्माण होगा। 

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सूर्य कर रहे है मिथुन राशि में गोचर इस गोचर से मानव जीवन से लेकर पर्यावरण पर भी इनका प्रभाव पड़ता है।  ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के परिवर्तन से कई राशियों
पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वही कई राशियों पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा। वही सूर्य के राशि परिवर्तन भारतीय मानसून पर काफी प्रभाव दिखाई देता है।

सूर्य से जगत उत्पन होता है। सूर्य सर्वभूत स्वरूप सनातन परमात्मा है। इनका वर्ण लाल है। इनका वाहन रथ है। यह सिह राशि के स्वामी है। इनकी महादशा छः वर्ष की होती है। इनका तापमान ज्यादा बना हुआ रहता है। आम बोल-चाल की भाषा में सूर्य को गतिशील भी कहते है।  सूर्य को समस्त ग्रहों अधिक प्रकाशमान होने से सभी ग्रहों में अधिक शक्तिशाली होने से सौर मंडल में राजा का पद प्राप्त है। कुंडली में सूर्य उच्च का हो जातक जातक उच्चअधिकार बनता है। सूर्य के द्वारा सरकार का विचार सूर्य मान -सम्मान, इज्जत, आरोग, धन, अधिकार सूर्य ही देता है। सूर्य तेजवान, गरीबो पर दया तथा जीवन को महान बनाता है.

आइये जानते है सूर्य के राशि परिवर्तन से चन्द्र कुंडली के बारह राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

कब करेगे सूर्य गोचर
15 जून 2023 दिन गुरुवार समय संध्या 06:05 मिनट पर वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेगे .

मेष:
भाई -बहन के साथ संबंध ठीक रहेगा,यश की प्राप्ति होगी ,इस अवधि में आप खुशहाल रहेगे .रुके हुए सभी कार्य पूर्ण होंगे .विधार्थियों के लिए यह समय अनुकूल रहने वाला है.जो लोग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे है उनको सफलता मिलेगी.

वृष :
अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे पारिवारिक सुख में कमी दिखाई देगा । स्थाई सम्पति के लिए परिवार में विवाद बढेगा .आय के रस्ते खुलेगे माता के लिए यह समय ठीक रहेगा।

मिथुन :
यह गोचर आपके प्रथम भाव में होगा जिसे आप स्वाभिमानी आपसे अपने लोग नाराज होंगे सरकारी कार्यों में बाधा होगा.दाम्पत्य जीवन में तनाव होगा। स्वास्थ्य आपका प्राभवित रहेगा। 

कर्क :
यह गोचर आपके बारहवे भाव में होगा जो आपके लिए उतम नहीं रहेगा आय से ज्यादा व्यय रहेगा। विदेश यात्रा का योग बन रहा है, जो लोग विदेशी कम्पनी में कार्य कर रहे है उनको लाभ मिलेगा। यहाँ सप्तम दिर्ष्टि शत्रु भाव पर पड़ रहा है जिसे लोग आपको धोका देंगे। आपसे शत्रुता मोल लेंगे.स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा.नेत्र पीड़ा होगी। 

सिह:
इस राशि को एकादश भाव में गोचर करेगे। जिसे कई तरह लाभ मिलेगा.कई तरह से धन का लाभ देगा। समाज में आपका मान-सम्मान भरपुर मिलेगा। प्रेम संबध में सुधार होगा। सप्तम दृष्टि पंचम भाव पर पड़ेगा। जो लोग अविवाहित है उनको नये प्रेम स्थापित करेगे। परिवार खुशहाल रहेगा, संतान शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े। 

कन्या :
इस राशि में दशम भाव में गोचर करेगे जिसे इस अवधि में आपको अच्छी सफलता मिलेगी आय के स्त्रोत ठीक रहेगा । राजा समान आपको मान प्रसद्धि मिलेगा काम का जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। आपके अधिकारी का पूरा सहयोग मिलेगा। भवन -भूमि तथा भौतिक सुख की प्राप्ति होगी। 

तुला :
इस राशि में सूर्य का गोचर नवम भाव में हो रहा है जिसे स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा .समाज में मन सम्मान मिलेगा .आपका आताम्विश्वास बढ़ जायेगा.यात्रा बनेगा.कार्य को सफल होने में देर होगी। बेवजह के बात में नहीं उलझे परेशानी होगी। 

वृश्चिक:
इस राशि वाले को आठवे भाव में गोचर करेगे जिसे आपको कई तरह से समस्या आएगी इस समय आप अपने वाणी पर नियंत्रण रखे। स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरुरत है। सरकारी कागजातों को ध्यान से पढ़कर हस्ताक्षर करे. शत्रु से परेशानी होगा तथा आपको गलत गतिविधि में फसा देगें। 

धनु :
इस राशि में सातवे भाव में गोचर कर रहे है जिसे व्योपारी के लिए यह समय बहुत ही बेहतर रहने वाला है नये निवेश करे लाभ होगा। पारिवारिक रिश्ता मजबूत होगा । दाम्पत्य जीवन में बना हुआ तनाव कम होगा तथा इनसे लाभ होगा। इस समय बात-विवाद में नहीं फसे। 
मकर :
इस राशि में सूर्य छठे भाव में गोचर कर रहे है जिसे आय के स्त्रोत ठीक रहेगा। स्वास्थ्य मध्यम का रहेगा. शत्रु परेशान करेगे।  आपके कार्य को सराहा जायेगा। मामा के घर से थोडा नाराजगी रहेगी। जो लोग नौकरी कर रहे है आपके अधिकारी का पूरा सहयोग मिलेगा। 

कुम्भ:
इस राशि में सूर्य पंचम भाव में गोचर करेगे जिसे नये कार्य की अच्छी समय है आपको इस समय अस्मरण शक्ति तेज होगी, संतान का सुख मिलेगा प्रेम जीवन में लाभ होगा।  विद्यार्थियों के लिए यह गोचर अनुकूल रहने वाला है। आय का स्त्रोत ठीक रहेगा। 

मीन :
इस राशि में चौथे भाव में सूर्य गोचर कर रहे है जिसे स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या बनेगा। माता जी के साथ अनबन बनेगा।  पारिवारिक रिश्ता कमजोर होगी कोई नया कार्य करने से पहले सोच -विचारकर निर्णय ले जमीन की खरीदारी करने से पहले बिचार कर ले। धर्य से कार्य करे। 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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केदारनाथ, 08 जून (हि.स.)। केदारनाथ धाम इन दिनों पूरी तरह से भक्तों से भरा हुआ है। केदारनाथ यात्रा में 45 दिनों में 8 लाख 20 हजार से अधिक भक्त धाम पहुंचककर दर्शन कर चुके हैं। औसतन प्रतिदिन 20 से 22 हजार के करीब तीर्थ यात्री केदारनाथ पहुंच रहे हैं।

इस वर्ष केदारनाथ धाम की यात्रा पर उम्मीद से भी अधिक भक्त पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि यात्रा के पुराने सभी रिकॉर्ड टूटते जा रहे हैं। इस वर्ष जहां 45 दिन में 8 लाख 20 हजार से अधिक भक्त धाम पहुंचे हैं। वहीं पिछले वर्ष इतने ही दिनों में 7 लाख यात्री केदारनाथ धाम पहुंचे थे।

उत्तराखंड के चारों धामों में सबसे अधिक यात्री केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं। कठिन चढ़ाई और मौसम की तमाम दुश्वारियों के बीच भी बाबा के भक्तों की आस्था कम नहीं हो रही है, बल्कि बढ़ती ही जा रही है। अभी मानसून सीजन शुरू होने में 15 दिन से अधिक का समय बचा हुआ है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यात्रा के दो माह में केदारनाथ पहुंचने वाले भक्तों का आंकड़ा 12 लाख के पार हो जायेगा।

वहीं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि लगभग 45 दिनों की यात्रा में अब तक आठ लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन कर लिए हैं, जिनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है। आने वाले तीर्थ यात्रियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए यात्रा से संबंधित सभी व्यवस्थाओं की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। शुरुआती 20 से 25 दिनों में खराब मौसम, बारिश व बर्फवारी रही। इसके बावजूद सभी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद किया जा रहा है। यात्रा मार्ग पर शौचालय, पेयजल, घोड़े खच्चरों के स्वास्थ्य सहित स्वास्थ्य विभाग द्वारा विकट परिस्थितियों में मेहनत की जा रही है। सभी अधिकारी एवं कर्मचारी जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही यात्रियों से फीडबैक भी लिया जा रहा है और सभी कमियों को दूर किया जा रहा है।

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पटना, 6 जून (हि.स.)। बिहार के पूर्वी चम्पारण में बन रहे विश्व के सबसे बड़े मंदिर विराट रामायण मंदिर का निर्माण का कार्य प्रारम्भ 20 जून से होगा। इसे वर्ष 2025 के फरवरी तक पूरा कर लिया जाएगा। मंदिर के निर्माण होने के साथ ही यहां विश्व की सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना हो जाएगी। महावीर मन्दिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल ने मंगलवार को यह जानकारी पत्रकारों से बातचीत में दी।

किशोर कुणाल ने कहा कि पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया-चकिया पथ पर कैथवलिया-बहुआरा में विराट रामायण मन्दिर का निर्माण 20 जून से प्रारंभ हो जाएगा। वर्ष 2025 के सावन तक मन्दिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना हो जाएगी। उसी साल आखिर तक विराट रामायण मन्दिर बनकर तैयार हो जाएगा। पूर्वी चंपारण के केसरिया में बन रहे विराट रामायण मंदिर को अंकोरवाट (कंबोडिया) की तर्ज पर बनाया जाएगा। यह अंकोरवाट मंदिर से भी दुगना ऊंचा बनेगा।

22 मन्दिर, 12 शिखर और 3 ब्लॉक होंगे
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि केसरिया में 3.76 लाख वर्गफुट में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मन्दिर मंदिर बनाए जाएंगे। इसमें 12 शिखर और 3 ब्लॉक होंगे। मुख्य शिखर 270 फीट ऊंचा होगा। 20 जून से काम की शुरुआत हो जाएगी और 27 फरवरी 2025 तक मंदिर की स्थापना कर दी जाएगी। विराट रामायण मन्दिर तीन मंजिला होगा। मन्दिर में प्रवेश के बाद प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश के दर्शन होंगे। वहां से बढ़ते ही काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग के दर्शन होंगे। महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम भी बनाया जा रहा है।

मंदिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की होगी स्थापना
शिवलिंग की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि शिवलिंग का वजन 200 टन, ऊंचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इतने वजन के शिवलिंग को लाने के लिए चकिया से कैथवलिया की 10 किलोमीटर की दूरी तक सड़क और पुल पुलिया के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण का अनुरोध बिहार के मुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री से किया गया है।

मंदिर का स्थान जानकी नगर के रूप में होगा विकसित
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मन्दिर निर्माण के लिए 120 एकड़ जमीन उपलब्ध है। इसे जानकी नगर के रूप में विकसित किया जाएगा जहां कई आश्रम, गुरुकुल, धर्मशाला आदि होंगे।

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