Chhapra:भगवान शिव के प्रिय मास सावन की अंतिम सोमवारी पर जिले भर के शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही  सभी शिवालयों में शिव भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। खासकर महिलाओं में पूजा अर्चना को लेकर काफी उत्साह देखा गया। शहर समेत ग्रामीण क्षेत्र के शिवालयों में दिन भर शिव भक्तों का तांता लगा रहा।

इस दौरान महिला और पुरुष श्रद्धालुओं ने शिवालय पहुंचकर भगवान भोलेनाथ पर फल, फूल, नैवेद्ध, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़कर पूजा अर्चना किया। इसके साथ ही श्रद्धालु पूजा कर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भक्ति में लीन दिखे। पूजन को लेकर नगर के बूढ़ानाथ मंदिर, शिव शक्ति मंदिर, भूतनाथ मंदिर, मनसकामना नाथ मंदिर के अलावा सभी शिवालयों में शिव भक्तों का तांता लगा रहा।

बाबा को जल अर्पण करने को लंबी कतार दिखी। अंतिम सोमवारी को शिव भक्तों की उत्साह भी काफी देखी गई। हर शिवालयों आकर्षक ढंग से सजाया गया था। शिव भक्तों की सुरक्षा में महिला और पुरुष पुलिस बल हर शिवालयों और चौक चौराहे तैनात दिखे ।

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सावन की पूर्णिमा को भाई -बहन के स्नेह की डोर में बांधने वाला त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई के हाथ में रक्षा बांधती है तथा उनकी मंगल कमाना के लिए चंदन का टिका लगाती है।

रक्षा बंधन का अर्थ है ( रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का सबसे अधिक महत्व है। रक्षाबंधन भाई -बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है। राखी सामान्तः बहने भाई को ही बंधती हैं।  परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओ और परिवार में छोटी लड़की द्वारा सम्मानित सम्बंधित के रूप में जैसे (पुत्री अपने पिता को) प्रतिष्ठित वयोक्ति को राखी बांधी जाती है। गुरु शिष्य को राखी बांध सकते है। राखी बांधने के उपलक्ष में भाई अपने बहन को खुश करने के लिए कुछ भेंट में देते है। जिसे भाई बहन के प्यार और मजबूत बनता है। विवाह के बाद भी बहन भाई के घर जाकर अपने स्नेह के बंधन राखी को अपने भाई के कलाई में बांधती है। इसलिए इस दिन का बहनें बड़ी बेसब्री से इंतजार करती हैं। 

कब है रक्षाबंधन
पूर्णिमा तिथि का शुरुआत 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार सुबह 10 :13 मिनट से। 
पूर्णिमा तिथि का समाप्ति 31 अगस्त 2023 दिन गुरुवार सुबह 07 :46 मिनट तक। 
रक्षाबंधन कब मनाये इस बात को लेकर शंका बना हुआ है, रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार समय रात्रि 08 :47 के बाद रक्षाबंधन किया जाये तो शुभ रहेगा। तथा 31 अगस्त दिन गुरुवार इस दिन पूणिमा पड़ रहा है जो रक्षाबंधन के लिए शुभ समय 07:46 मिनट तक है इस समय तक रक्षाबंधन किया जायेगा। 

रक्षाबंधन के दिन बन रहा है भद्रा योग
भद्रा का शुरुआत 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार सुबह 10 :13 मिनट से
भद्रा काल की समाप्ति 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार रात्रि 08 :47 मिनट तक रहेगा
भद्रा का समय रक्षाबंधन करना निषिद्ध माना गया है सभी शुभ कायो के लिए भद्रा का त्याग करना चाहिए भद्रा के पूर्व -अर्ध भाग में व्याप्त रहती है अतः भद्रा काल में रक्षाबंधन नहीं करना
चाहिए यह समय शुभ कार्यो के लिए शुभ नहीं होता है। 

कैसे मनाना चाहिए रक्षाबंधन

एक थाली लें। उसमें रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र और मिठाई रखें। साथ में देसी घी का दीपक भी प्रज्ज्वलित करके रखे। पूजा का थाली तैयार करके सर्वप्रथम भगवान को समर्पित करें। इसके उपरांत भाई को पूरब या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर के बैठाएं। सर्वप्रथम भाई का तिलक करें फिर रक्षासूत्र बांधने के उपरांत आरती करें। तदुपरान्त मिठाई खिलाकर भाई की मंगलकामना करें। यहां ध्यान रखने योग्य बात यह है रक्षासूत्र बांधने के समय भाई-बहन का सिर खुला हुआ नहीं होना चाहिए तथा रक्षासूत्र बांधने के उपरांत अपने माता पिता एवं गुरु का आशीर्वाद लें। तत्पश्चात अपनी बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार देना चाहिए।

जाने रक्षाबंधन का कथा :

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में राजा बलि जब अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे, तो उस समय भगवान श्री विष्णु राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार का रूप धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी. उस समय राजा बलि ने बिना सोचे भगवान विष्णु को तीन पग देने का वचन दे दिया. देखते ही देखते भगवान विष्णु ने अपने छोटे से पांव से दो पग में आकाश और पाताल को नाप लिया. तीसरे पग के लिए राजा बलि के पास कोई जगह नहीं थी. इसलिए उन्होंने अपने सिर को भगवान विष्णु के चरण के नीचे रख दिया.

यह देखकर भगवान विष्णु राजा बलि से बहुत प्रसन्न हुए. तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से वचन मांगा कि वह जब देखें तो उसे भगवान विष्णु भी दिखाई दें. यह सुनकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को वचन दिया और तथास्तु कहकर पाताल लोक में चले गए. जब भगवान विष्णु पाताल लोक में चले जाने से माता लक्ष्मी को बहुत चिंता होने लगी. माता लक्ष्मी की चिंता को देखकर देवर्षि नारद ने माता एक को सुझाव दिया, कि वह राजा बलि को अपना भाई बना लें.

ऐसा करने से उनके स्वामी वापस उनके पास आ जाएंगे.नारद मुनि की बात सुनकर माता लक्ष्मी स्त्री का वेश धारण करके रोती हुई पाताल लोक में राजा बलि के पास पहुंची. राजा बलि ने जब उन्हें रोता हुआ देखा, तो उन्होंने उनसे रोने का कारण पूछा तब माता लक्ष्मी ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं है. इस वजह से मैं बहुत दुखी हूं. यह सुनकर राजा बलि ने माता लक्ष्मी से कहा तुम मेरी बहन बन जाओं. इसके बाद माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपनी स्वामी भगवान विष्णु को वापस मांग लिया. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि उसी समय से रक्षाबंधन का त्योहार संसार में प्रचलित हो गया.

दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया, तब उनकी कनिष्ठा उंगली सुदर्शन चक्र की से कट गई थी. उंगली कटने की वजह से रक्त की धार बहने लगी थी. उसी समय द्रोपदी ने अपने साड़ी के एक टुकड़े को भगवान श्री कृष्ण की उंगली में बांध दिया. उसके बाद से ही भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को अपने बहन के रूप में स्वीकार कर उन्हें हर संकट से बचाने का वचन दिया था. इसी वजह से भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी को चीर हरण में निर्वस्त्र होने से भी बचाया था.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Chhapra: शहर के कटरा मुहल्ला में स्थित अति प्राचीन बाबा मनोकामना नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार होगा। इसके लिए अभियान की शुरुआत 28 अगस्त प्रातः 11:00 बजे वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ किया  जाएगा।

मंदिर समिति के कार्यकारिणी सदस्य एवं ग्राम वासियों ने सैकड़ो की संख्या में रविवार को बाबा मनोकामना नाथ से प्रार्थना कर वेंकटेश्वर नाथ मंदिर कटरा, जैन मंदिर, रथ वाली दुर्गा जी,  काठ की देवी, काली बाड़ी, सत्यनारायण मंदिर, सांवलिया जी का मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर होते हुए बाबा धर्मनाथ मंदिर, बाबा बटुकेश्वर नाथ पंच मंदिर दौलतगंज, महर्षी दधिचि आश्रम उमानाथ मंदिर दहियावां, बहुरिया कुलपति कुंवर मंदिर, मणिनाथ मंदिर बाबा, अरबरनाथ मंदिर नई बाजार में जाकर पूजा अर्चना किया गया। भूत भावन भोलेनाथ से प्रार्थना की गई कि आपका कार्य आप खुद करा लेंगे हम सभी एक माध्यम है हमें शक्ति प्रदान करें । मंदिर जीर्णोद्धार कायाकल्प का कार्यक्रम निर्विघ्न संपन्न हो।

इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह मुन्ना एवं सचिव अरुण पुरोहित ने समस्त छपरा वासियों से निवेदन किया कि इस शुभ घड़ी में श्रावण मास की आठवीं सोमवारी 28 अगस्त प्रातः 11:00 बजे मंदिर परिसर में आप सभी सब परिवार आकर पुण्य के भागीदार बने।

इस अवसर पर समिति के कोषाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह, कार्यकारिणी के प्रमुख सदस्य संजीव कुमार सिंह, अरुण कुमार सिंह, गुड्डू, गिरधारी प्रसाद स्वर्णकार, माधवेंद्र सिंह, राम सिंह, राजेश गुप्ता, भरत सिंह, पप्पू जैन, अभिमन्यु सिंह, जनक राय, अवधेश राय, विक्की कुमार, ठाकुरी राय, राधे राधे सिंह, रणजीत सिंह समेत सैकड़ो की संख्या में लोग ढोल बाजे गाजे के साथ के साथ सम्मिलित हुए। धर्मनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कृष्ण कुमार तिवारी उर्फ धन बाबा ने समिति के पदाधिकारी को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।

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पटना/मुजफ्फरपुर, 21 अगस्त (हि.स.)। उत्तर बिहार के सबसे बड़े शिवालय बाबा गरीब नाथ मंदिर की अजीबोगरीब भक्ति की कहानी है। जो भी भक्त अपना मन्नत बाबा से मांगते हैं बाबा उनकी मुरादे पूरी कर देते हैं। श्रावणी मेला में जलाभिषेक का अपना महत्व है लेकिन वैशाली जिले के भगवानपुर का रहने वाला अजय कुमार उर्फ बबलू की बाबा गरीब नाथ के लिए अजीब आस्था है।

अजय बताते हैं कि वर्ष 2001 से लगातार प्रत्येक सोमवारी को जलाभिषेक करने डाक बम आते हैं। अजय ने समाचार एजेंसी से बातचीत में बताया कि सारण जिले के पहलेजा घाट से जल उठाकर करीब 70 से 75 किलोमीटर की दूरी तय कर प्रत्येक सोमवारी की रात बाबा गरीब नाथ को जल चढ़ाने सावन में आता हूं।

अजय बताते हैं कि आज जो भी कुछ मेरा है वह चाहे धन दौलत हो या मेरा स्वास्थ्य, मेरा परिवार सब कुछ बाबा की कृपा और महिमा से है।जब तक बाबा हमारे जल को स्वीकार करेंगे हमें स्वस्थ रखेंगे। हमारे परिवार को ठीक-ठाक रखें तब तक हर साल सोमवारी को प्रत्येक सोमवार डाक कावर चढ़ाने आता रहूंगा।

बाबा गरीब नाथ मंदिर के प्रधान पुजारी विनय पाठक ने कहा कि बीते 2001 से लगातार अजय जी डाक कावड़ बाबा गरीब नाथ को चढ़ाते हैं।हर सोमवार को श्रावणी मेले में बाबा के लिए जलाभिषेक करने चले आते हैं। यह सब कुछ बाबा की महिमा है जिससे आस्था जुड़ी हुई है जो दिल से मांगता है, बाबा गरीब नाथ पूरा करते हैं।

उल्लेखनीय है कि डाक बम का जलाभिषेक करने वाले भक्त 24 घंटे के भीतर बिना रुके कांवड़ का जल लेकर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। इसको आस्था की प्रकाष्ठा और प्रभु के प्रति बागवान की आस्था से जोड़कर देखा जाता है।

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सावन का महीना तो बहुत ही पावन है धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पूज्य मास है. भगवान शिव का बहुत ही प्रिये मास है इस मास में पूजा -पाठ करना बहुत ही शुभ होता है.

हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्लपक्ष के पंचमी तिथि को विशेष पूजन किया जाता है इस दिन का बहुत ही महत्व है इस दिन नागो की प्रधान के रूप में पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन को नाग पंचमी कहते है।

इस दिन नाग यानि सर्प की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह में नाग और नागिन के जोड़े को दूध से पूजन करते है। जिसे मनुष्य के सांप के भय से दुर रहते है। इस दिन घर के दोनों बगल में नाग की मूर्ति खीचकर पूजन किया जाता है. इस सावन के नागपंचमी को बन रहा है शुभ दिन इस दिन सावन शुद्ध शुक्लपक्ष का प्रथम सोमवारी है तथा पुरे सावन का तिसरा सोमवार पड़ रहा है. जो शिव भक्तो के उतम फलदायी है। इस दिन नाग की पूजन के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करे तो सभी मनोरथ पूर्ण होता है।

ज्योतिष शास्त्र के पंचमी तिथि के देवता नागराज है एवं इस समय भगवान विष्णु ने शेष शयन पर रहते है, सावन मास में भगवान शिव का पूजन किया जाता है और सर्प उनका सवारी है।

समुंद्र मंथन के समय साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने प्रभु के कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है इसलिए सर्पराज का पूजन पंचमी को किया जाता है।

कब है नाग पंचमी क्या है मुहूर्त2

1 अगस्त 2023 दिन सोमवार को मनाया जायेगा .पंचमी तिथि का शुरूआत 21 अगस्त 2023 रात्रि 12:21 मिनट से

पंचमी तिथि की समाप्ति 22 अगस्त 2023 दिन मंगलवार रात्रि 02:00 तक मिल रहा है

नागपंचमी के दिन कितने नाग देवता का पूजन किया जाता है।

नाग पंचमी के दिन जिन नाग देवता का पूजन की जाती है वह इस प्रकार है। वासुकी, कालिया, शेषनाग, काकोटक, मणिभद्रक, धृतराष्ट्र, शंखपाल, तक्षक है इनका पूजन नाग पंचमी के दिन किया जाता है। इनके पूजन करने से परिवार में सर्प भय से मुक्त होते है।

साथ जिन लोगो को कालसर्प दोष बना हुआ है इन नाग देवता का पूजन करने से उनके दोष में कमी होती है सभी काम पूर्ण होते है।

पूजा विधि :

(1) नाग पंचमी के एक दिन पहले चर्तुथी को एक समय ही भोजन करे।

( 2) नाग पंचमी के दिन सुबह उठकर घर की सफाई करे, उसके बाद स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करे तथा व्रत का संकल्प ले।

(3) नागपंचमी के दिन अपने घर के दरवाजे के दोनों तरफ गोबर से सांप बनाये.

(4 ) सांप को दही, दूर्वा, कुशा, अक्षत, फूल तथा मोदक को समर्पित करे। उनकी पुजा करने से सर्प के डर से मुक्ति मिलती है।

 

(5) एक पात्र में दूध के साथ चीनी मिलकर नाग देवता को इसका भोग लगाये।

(6) इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराये और व्रत को करे ऐसा करने से घर में सांप से भय नहीं रहता है।

(7) इसके आलावा नाग को दूध से स्नान कराये।

(8) पूजन करने के बाद किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा दे।

कथा :

कथा के अनुसार एक ब्राह्मण के सात पुत्रबधूये थी .सावन मास लगते ही छः बहुए तो भाई के साथ मायके चली गई परन्तु आभागी सातवी के कोई भाई नहीं था कौन बुलाने आता बेचारी ने अति दुखित होकर पृथ्वी को धारण करने वाले शेषनाग को भाई के रूप में याद किया. करुनायुक्त ,दीन वाणी को सुनकर शेष जी वृद्ध ब्राह्मण के रूप में आये ,और फिर उसे लेकर चल दिये थोड़ी दुर रास्ता तय करने पर उन्होंने अपना असली रूप धारण कर लिए। तब अपने फन पर बैठाकर नाग लोक ले गए, वहा वह निचिन्त होकर रहने लगी पाताल लोक में जब वह निवास कर रही थी उसी समय शेष जी की कुल परम्परा में नागो के बहुत से बच्चे ने जन्म लिया उस नाग के बच्चे को सर्वत्र विचरण करते देख शेष नाग रानी ने उस वधु को पीतल का एक दीपक दिया तथा बताया की इसके प्रकाश से तुम अँधेरे में भी सब कुछ देख सकोगी एक दिन आकस्मात उसके हाथ से दीपक निचे टहलते हुए नाग बच्चो पर गिर गया परिणाम स्वरुप उन सबकी थोड़ी पूंछ कट गई।

यह घटना घटित होते ही कुछ समय बाद वह ससुराल भेज दी गई जब अगला सावन आया तो वह बधू दिवाल पर नाग देवता को बनाकर उसकी विधवत पूजा तथा मंगल कामना करने लगी हुई थी, इधर क्रोधित नाग बालक माताओं से अपनी पूंछ काटने का आदिकारण इस वधु को मारकर अपनी बदला चुकाने आये थे। लेकिन अपनी ही पूजा में श्रद्धा से उसे देखकर वे प्रसन्न हुए और उनका क्रोध समाप्त हुआ, बहन स्वरूपा उस वधु के हाथ से प्रसाद के रूप में उन लोगो को दूध के साथ चावल खाया। नागो ने उसे सर्पकुल से निर्भय होने के वरदान तथा उपहार में मणियो की माला दी उन्होंने यह भी बताया की सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हमें भाई के रूप में जो पूजेगा उसकी हम रक्षा करते है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा 

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ 

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Chhapra:  तीसरे सोमवारी पर मंदिरों में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। इस दौरान शहर के प्रमुख मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखि गई। सुबह से ही जलाभिषेक करने को लेकर लंबी कतारें मंदिरों के बाहर देखी गई। 

सावन में इस बार 8 सोमवार हैं। तीसरी सोमवारी पर शहर के धर्मनाथ मंदिर में बाबा का रुद्राक्ष से श्रृंगार किया गया। सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ, सिलहौरी में बाबा शीलानाथ मंदिर समेत जिले के मंदिरों में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे।       

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Chhapra: श्रावण मास के पहले सोमवार पर मंदिरों में जलाभिषेक करने को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। शहर के प्रमुख शिव मंदिरों में प्रथम सोमवार को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं।

बाबा धर्मनाथ मंदिर, शिव शक्ति मंदिर समेत तमाम शिवालय में सोमवारी पर भक्तों की जबरदस्त भीड़ है। वहीं मंदिर के आसपास प्रसाद और बेल पत्र आदि की दुकानें भी लगी हैं।

प्राचीन बाबा धर्मनाथ मंदिर में प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर शिव भक्तों की भारी भीड़ जलाभिषेक करने पहुँचती है। जिसको लेकर मंदिर प्रशासन ने खास प्रबंध किए हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी कृष्णमोहन तिवारी ने बताया कि मंदिर में सुबह 4 बजे आरती होती है। 5 बजे से जलाभिषेक शुरू होगा।  जलाभिषेक करने पहुँचने वाले महिला और पुरुष भक्तों के लिए प्रवेश के अलग अलग द्वार बनाए गए हैं। मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पश्चिमी द्वार से होगा। जबकि पुरुषों का प्रवेश उत्तरी द्वार से होगा। किसी को कोई परेशानी ना हो इसके लिए बेरिकेडिंग की गई है। साथ ही पुलिस बल की तैनाती भी की गई है।

इस बार सावन में कुल 8 सोमवार हैं। पहला 10 जुलाई, दूसरा 17, तीसरा 24, चौथा 31, पांचवा 7 अगस्त, छठा 14, सातवां 21 अगस्त, आठवां 28 अगस्त को है।

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– दर्शन मार्ग में होगा बदलाव, क्रासिंग टू की तरफ से होगा मार्ग
– एक श्रद्धालु मात्र 17 सेकेंड में करेगा रामलला का दर्शन

अयोध्या, 07 जुलाई (हि.स.)। श्री राम जन्मभूमि के दर्शन मार्ग में बदलाव होगा, जिसके बाद रामभक्त जन्मभूमि पथ से सीधे परिसर के अंदर प्रवेश करेंगे। यह कार्य अक्टूबर माह में प्रस्तावित हैं। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालु सीधे राम मंदिर में जा सकेंगे। अभी श्रद्धालुओं को राम कोट बैरियर के रास्ते अस्थायी गर्भ गृह में भगवान के दर्शन कराए जा रहे हैं।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के भवन निर्माण समिति ने निर्माण में लगी कम्पनी को अक्टूबर तक सभी कार्यों को पूरा करने का लक्ष्य दिया है। जनवरी 2024 में प्राण प्रतिष्ठा कर श्री राम लला को स्थाई गर्भ गृह में प्रतिष्ठित किया जाएगा।

जन्मभूमि पथ से सीधे राम मंदिर तक रास्ते जोड़ने के बाद परिसर की सुरक्षा के भो अहम बिंदुओं पर कार्य किया जा रहा है। दर्शन पथ के चेकिंग प्वाइंट पर एक्सरे मशीन की बेहतर व्यवस्था रहेगी। श्रद्धालुओं को अलग-अलग स्थानों के चेकिंग पॉइंट से होकर अंदर प्रवेश दिया जाएगा ।

सुरक्षा में लगेंगे सीआईएसएफ के जवान
जन्म भूमि परिसर की सुरक्षा काफी अहम माना जा रहा है। सीआईएसएफ डीजी ने सुरक्षा के मानकों को नए सिरे से तैनात किए जाने की योजना को स्वीकृति दे दी है। राम जन्म भूमि मंदिर की सुरक्षा सीआईएसएफ के जवानों के द्वारा करने की योजना बनाई जा रही है। तैनात जवानों के पास आधुनिक उपकरण रहेंगे।

तीसरी आँख से भी होगी मन्दिर की निगरानी
रामजन्म भूमि परिसर में 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे हर तरह और हर तरफ निगरानी लाइव रुप से किया जाएगा। परिसर में बने वॉच टावर और ड्रोन कैमरे के माध्यम से परिसर की दूर-दूर तक निगहबानी होगी।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक यात्रियों की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है, लेकिन परिसर की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। इसके लिए सुरक्षा अधिकारी पूरा इंतजाम कर रहे हैं। कुछ दिनों बाद राम मंदिर के दर्शन मार्ग में बदलाव किए जाएंगे। उसके पहले सुरक्षा व्यवस्थाओं को भी तैयार कर लिया जाएगा।

एक श्रद्धालु मात्र 17 सेकेंड में रामलला का करेगा दर्शन
राष्ट्रीय निर्माण कंपनी राइट्स ने रामनवमी मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के एक्टिविटी पर रिपोर्ट को तैयार था। राममंदिर में श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन कराने के लिए बनाई जा रही हैं। इस योजना और राइट के सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जानकारी दी गई है कि एक श्रद्धालु मात्र 17 सेकेंड में रामलला का दर्शन कर सकेगा। सर्वे के हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है कि तीन लाख से अधिक श्रद्धालु एक दिन में राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश कर दर्शन कर बाहर निकलेंगे।

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सावन मास चढ़ते पूरा माहौल शिव भक्ति में पूर्ण रहता है। भगवान शिव को सावन महीना बहुत ही प्रिये है इसलिए इस मास में पूजन किया जाता है।

आज आपको सावन में कुछ अलग से ज्योतिषीय उपाय बता रहें हैं।  जो थोडा कठिन है लेकिन इसका प्रभाव से सभी कष्ट दूर होते है। सावन मास में रूद्र पाठ की महिमा है। आशुतोष भगवान सदा शिव की उपासना में रुद्राष्टाध्यायी का विशेष महत्व है।

शिव पुराण के अनुसार सनकादि ऋषियों के पूछने पर स्वयं महादेव ने रुद्राष्टाध्यायीके मंत्रो तथा अभिषेक का महत्व बताया है। मन, कर्म तथा वाणी से परम पवित्र तथा सभी प्रकार से अशक्ति से रहित होकर भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए रुद्राभिषेक करना चाहिए। इससे भगवान शिव की कृपा से सभी कामनाओं को प्राप्त करता है। सावन में रुद्राष्टाध्यायी के द्वारा रुद्राभिषेक करने से मनुष्यों की सभी कष्ट दुर होते है। यह पाठ वेद्सम्मित है, परम पवित्र तथा धन, यस और आयु की वृद्धि करने वाला है। 

जाने रुद्राष्टाध्यायी के पाठ से अभिषेक में की जाने वाले द्रव का नाम तथा उसका प्रभाव

रुद्राभिषेक में प्रयुक्त होने वाले प्रशस्त द्रव्य अपने कल्याण के लिए भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए निष्काम भाव से रुद्राभिषेक करना चाहिए इनका अनंत फल है। शास्त्र में अलग -अलग कामनाओ की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक में अनेक प्रकार के द्रव्य का नियम है:

(1) जल से अभिषेक करने पर वृष्टि होती है
(2) व्याधि की शांति के लिए कुशोदक से अभिषेक करना चाहिए
(3) पशु की प्राप्ति के लिए दही से अभिषेक करना चाहिए
(4) लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से तथा धन प्राप्ति के लिए मधु से अभिषेक करे
(5) मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से अभिषेक करे
(6) दूध के द्वारा अभिषेक करने से संतान की प्राप्ति होती है
(7) काकबन्ध्या ( एक संतान उत्पन करने वाली )अथवा जिनकी संतान उत्पन होते ही मर जाये या मृत संतान उत्पन करे उसे गाय के दूध से अभिषेक करने से जल्द संतान प्राप्त करती है
(8) जल की धारा भगवान शिव को अति प्रिये है अतः तेज बुखार हो गया हो उसको शांत करने के लिए जलधारा से अभिषेक करे ,
(9 )जो लोग गलत प्रेम प्रसंग में पड़ गया हो उसका प्रेम खत्म करने के लिए यानि विनाश के लिए दूध की धारा से अभिषेक करने से प्रेम प्रसंग समाप्त होते है

भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए निष्काम भाव से रूद्रपाठ करना चाहिए जो बहुत ही फलित होता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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मां पार्वती आश्रम में मना गुरु पूर्णिमा उत्सव

Chhapra: शिवनगरी स्थित मां पार्वती आश्रम में सोमवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर स्थानीय लोगों के साथ साथ आसपास के गांव और शहर के लोगों ने मां दुर्गा का दर्शन और शक्ति बालक महाराज का दर्शन किया.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सुबह से ही पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटी थी. यह छपरा का एकमात्र मंदिर है जो पार्वती आश्रम के नाम से जाना जाता है जहां पर 50 वर्षों से गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु महोत्सव के रूप में पूजा अर्चना की जाती है.

इस अवसर पर मेले का भी आयोजन किया गया था. जिसमे झूला और डिस्को सहित खेल और मनोरंजन के साधन मौजूद थे. जिसका बड़े और बच्चों ने जमकर लुफ्त उठाया.

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श्रावण मास का शुरुआत आषाढ़ पूर्णिमा के बाद यानि उसके अगले दिन से प्रारंभ हो जाता है। इस वर्ष श्रावण मास दो महीने का रहेगा। 19 वर्षो के बाद यह समय बन रहा है शिव भक्तों को पूरे 58 दिन तक शिव की उपासन करने का अवसर मिलेगा।

श्रवण मास 4 जुलाई से होकर 31 अगस्त 2023 तक चलेगा। मास के शुरूआत 15 दिन शुद्ध तथा तथा माह के अंतिम 15 दिन शुद्ध मास रहेगा है। बाकि के दिन को पुरषोतम मास कहा जाता है। 

इस बार कुल 8 सोमवार पड़ेगे। जिससे पहला सोमवार 10 जुलाई को अंतिम सोमवार 28 अगस्त को पड़ेगा।

शुद्ध मास के कृष्ण पक्ष में 15 जुलाई को बन रहा है शनि प्रदोष के साथ महाशिवरात्रि का योग जो शिव आराधना के लिए काफी महतवपूर्ण है। 17 जुलाई को अवमस्या पड़ रहा है, जो इस दिन स्न्नान -दान के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। 

मलमास सावन का शुरूआत 18 जुलाई से शुरु होंगे। जिसे पुरषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस मास में दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुरुषोत्मी एकादशी 29 जुलाई को पड़ रहा है, जो इस दिन पूजन करने से बने हुए पितृ दोष में कमी होता है। 17 अगस्त 2023 को शुद्ध श्रावण मास शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो रहा है। 

जाने कब है सोमवार
पहला सोमवार 10 जुलाई
दूसरा सोमवार 17 जुलाई
तीसरा सोमवार 24 जुलाई
चौथा सोमवार 31 जुलाई
पांचवा सोमवार 7 अगस्त
छठा सोमवार 14 अगस्त
सातवाँ सोमवार 21 अगस्त
आठवां सोमवार 28 अगस्त

श्रवण मास के अन्तर्गत भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है.परिवार में सुख शांति बनी रहती है भगवान शिव का अभिषेक करने से कुंडली में कालसर्प दोष बना हुआ है या चंद्रमा ख़राब है ठीक हो जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाचवां महीना श्रावण होता है। इस बार श्रावण मास की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है जो 31 अगस्त को समाप्त होगा। यानि पूरे दो महीना नहीं बल्कि पूरे 58 दिन का रहेगा. इसे वर्षा ऋतु का महीना कहा जाता है। त्योहार की विविधता ही भारत की विशिष्ठता की पहचान है। श्रावण मास यानि सावन मास में पड़ने वाले सोमवार को सावन के सोमवार कहे जाते है। इस मास में विशेष तौर पर कुआरी युवतियाँ भगवान शिव के निमित्त व्रत को रखती है। सावन का महीना प्रेम और उत्साह का महीना माना जाता है। इस मास में नई -नवेली दुल्हन अपने मायके जाकर झुला झूलती है और सखियों से अपने प्रेम की बाते करती है। प्रेम के धागे को मजबूत करने के लिए इस मास में भगवान शिव के अलग -अलग तरीके से पूजन किया जाता है। जिसे महादेव प्रसन्न हो जाये और अपने भक्त को खुशहाल रखे। 

जाने श्रावण मास में अधिक मास के नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते है उसे संक्रांति कहा जाता है। भगवान सूर्य एक राशि में लगभग 30 दिन रहते है जिस माह में सूर्य सूर्य का गोचर नहीं होता है उसे माल मास यानि अधिक मास कहते है या पुरषोतम मास कहा जाता है। इस मास में विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश जैसे शुभ कार्य करना वर्जित रहता है। इस मास में जितना संभव हो दान करें। सावन मास में पुरषोतम मास होने के कारण शिव भक्तो के लिए विशेष शिव आराधना करने को मिलेगा। अधिक मास में शिव के साथ उनके परिवार के सदस्यों संग करनी चाहिए। इस मास में प्रत्येक दिन शिव का रुद्राभिषेक किया जा सकता है। रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध, घी, शहद, चीनी, गन्ने का रस आदि से अभिषेक करे। 

अधिक मास कब से कब है

ज्योतिष गणना के अनुसार अधिक मास 18 जुलाई से 2023 को शुरू होगा और 16 अगस्त 2023 तक रहेगा। इस मास के स्वामी भगवान विष्णु है। भगवान विष्णु ने इस मास को वरदान दिया था जो भी भक्त इस मास में शिव पूजा करेगे। दान पुण्य करेगे उनका घर धन धन्य से परिपूर्ण रहेगा। सभी पाप नष्ट हो जायेगे तथा उनकी सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे। 

मलमास में क्या नहीं करें  
मलमास में शादी -विवाह, नया व्यापार, नई नौकरी, नये भवन निर्माण, मुंडन संस्कार, कोई भी शुभ कार्य नहीं करे। इस मास में किये गए सभी कार्य बेकार हो जाते है। इनसे कोई सुख नहीं मिलता है। इस समय बनाये घर में शांति नहीं मिलती है। 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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