Chhapra: युवा ब्राह्मण चेतना मंच के तत्वावधान में प्रातः स्मरणीय महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवम भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती समारोह मनाई गई,कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मंत्रोच्चार एवम दिप प्रज्वलन कर कार्यक्रम आगे बढ़ाया गया. दूसरे सत्र में वक्ताओं ने अपना अपना वक्तव्य रखा एवम वर्तमान समय मे पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा दिये गए विवादित बयान पर ब्राह्मणो ने भीषण गर्जना की एवम कई घोषणायें की गई,मंच का संचालन करते हुए वरिष्ठ पदाधिकारी पंडित श्याम सुंदर मिश्र ने मंच क्रिया कलापो पर प्रकाश डाला एवम मंच द्वारा संचालित कार्यक्रमों से अवगत कराया, साथ मंच के सारण प्रमंडलीय प्रभारी संजय पाठक एवम अंजनी मिश्र ने भी अपना अपना वक्तव्य सबके समक्ष रखा।

कार्यक्रम प्रभारी शशिप्रकाश मिश्र ने ब्राह्मणो को संगठित एवम जागरूक होने का निर्देश दिया , कार्यक्रम के अंतिम सत्र में महामना सम्मान समारोह किया गया जिसमें धर्मध्वजा वाहकों के रूप में मंदिर एवम मठो के पुजारी एवम महंथों को महामना सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत मे राष्ट्रीय संयोजक डॉ सुभाष पाण्डेय ने विप्रो से संगठित होने की अपील की एवम वर्तमान में हो रहे ब्राह्मणो के साथ दुर्व्यवहार को निशाने पर लेते हुए जितनमंझी पर सीधे वार किया एवम कहा कि अगर इसपर सरकार जल्द कारवाही नही करती तो मंच कुछ बड़ा करेगा जिसके बारे में किसी ने सोची नही होगी एवम उन्होंने ब्राह्मणो द्वारा दिये बलिदान को याद दिलाया।
अंत मे जिलाध्यक्ष मनीष कुमार पांडेय ने धन्वाद ज्ञापन कर कार्यक्रम को समाप्त किया। उक्त कार्यक्रम में पंडित अरुण कुमार पुरोहित, जिलाप्रवक्ता आशुतोष वत्स,जिला उपाध्यक्ष पंडित वीरेंद्र तिवारी , जिला सचिव नंदकिशोर उपाध्याय,जिला कोसाध्यक्ष मुन्ना पाठक, उत्तरबिहार प्रदेश प्रभारी चितरंजन पाठक,मानस मधुकर संदीपाचार्य , जिला प्रभारी बिमलेश तिवारी बबलू बाबा,कृष्ण कुमार मिश्र,श्याम कुमार मिश्र,रजनीश उपाध्याय, रंजीत उपाध्याय, दीपू जी,नारयण जी, विश्वजीत त्रिपाठी, आशुतोष त्रिपाठी सही सैकड़ों की संख्या में विप्र उपस्थित थे।

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बगहा: बगहा नगर थाना की पुलिस ने शनिवार को बगहा नगर परिषद के छतरौल चौक पर आपस में अवैध उगाही के बंटवारा करने को लेकर आपस में भीड़ गयी। पुलिस प्रशासन के दो लोग की आपसी भिड़ंत को देख स्थानीय लोगों की काफी हुजूम उमड़ पड़ी, इस दौरान दोनों पुलिस प्रशासन में जमकर गाली गलौज होने लगी, जिसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।पुलिस सूत्रों की बात माने तो मामला अवैध उगाही का है। जिसको आपसी बटवारा को लेकर दोनों पुलिसिया आपस में भिड़ गए। आपस में एक दूसरे को तू – तू मैं – मैं करना भी शुरू हो गया, जब ऐसे ही पुलिस और प्रशासन मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभाएंगे, तो देश और लोगों का भला कैसे हो पायेगा। स्थानीय लोगों की बात मानें, तो अवैध उगाही में वसूल की गई पैसे को लेकर यह दोनों पुलिस आपस में भिड़ गए। पुलिस इन्स्पेक्टर सह नगर थानाध्यक्ष बगहा आनंद कुमार सिंह ने बताया कि घटना की सुचना मिली है। उन्होंने बताया कि दोनों पुलिस कर्मियों पर अग्रेत्तर कारवाई की जायेगी।

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Chhapra: बिहार प्रदेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के तत्वाधान में नगर निगम चौक साईं मंदिर परिसर में 1000 लोगों को अन्नपूर्णा योजना के तहत खिचड़ी खिलाई गई। बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा आज पूरे बिहार में अन्नपूर्णा योजना के तहत खाना खिलाने की व्यवस्था की गई है। उसी के तहत बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन छपरा शाखा द्वारा अन्नपूर्णा योजना के तहत खिचड़ी खिलाने की व्यवस्था की गई। खिचड़ी खिलाने में संस्था के अध्यक्ष हरीकृष्ण चाँदगोठिया, महामन्त्री विजय चौधरी, संगठन मन्त्री श्याम बिहारी अग्रवाल, प्रमंडलीय मंत्री प्रहलाद कुमार सोनी, सत्यनारायण शर्मा, भगवती प्रसाद जगाती, पवन कुमार अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक सतीश अग्रवाल, बनवारी टिबड़ेवाल, गोविन्द लाठ, गोपाल गोयन्का, गोपाल अग्रवाल, विशाल जगनानी आदि ने खिचड़ी वितरण में सहयोग किया।

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खान एवं भूतत्व विभाग मंत्री ने टूर्नामेंट का किया उद्घाटन

Chhapra: खेल से टीम भावना विकसित होता है। क्रिकेट खेल में हमेशा संघर्ष करने की सीख मिलती है। खेल से न सिर्फ शारीरिक बल्कि बौद्धिक क्षमता का भी विकास होता है। उक्त बातें उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग मंत्री जनक चमार ने कहीं।

उद्घाटन समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर खान एवं भूतत्व विभाग मंत्री जनक चमार, भारतीय जनता पार्टी व्यापार प्रकोष्ठ के संयोजक व कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रमंडलीय अध्यक्ष वरुण प्रकाश और भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष राम दयाल शर्मा ने संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन के बाद मुख्य अतिथि ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त किया। परिचय प्राप्त करने के बाद गुब्बारा उड़ा कर एवं फीता काटकर टूर्नामेंट का उद्घाटन किया गया।

वरुण प्रकाश ने कहा कि इस लीग को आने वाले वर्षों में और बड़ा स्वरूप देने की कोशिश की जाएगी। कई प्रसिद्ध खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में बिहार एवं उत्तर प्रदेश केई टीमें भाग ले रही हैं। दोनों राज्यों के खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में खेलेंगे। उद्घाटन मैच बलिया और बकुलहा के बीच खेला गया। टॉस जीतकर बलिया की टीम ने पहले गेंदबाजी का फैसला किया। बकुलहा की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 211 रनों का विशाल लक्ष्य बलिया के सामने रखा है। बलिया की टीम ने 7 बॉल पर 4 विकेट रहते 214 रन बनाकर लक्ष्य को हासिल कर लिया। मैन ऑफ द मैच डब्लू कुमार को दिया गया।

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Chhapra: स्थानीय थाना क्षेत्र में अपराधिक गतिविधियाँ दिन प्रतिदिन बढ़ती हीं जा रही हैं, एक माह पूर्व हीं रसूलपुर पंचायत के मुखिया प्रत्याशी के चालक को गोली मारकर हत्या किए जाने का मामले का पुलिस अभी पर्दाफाश भी नहीं कर पायी है कि शनिवार को अपराह्न 3-00 बजे रसूलपुर-चैनपुर पथ पर बाईक सवार तीन हथियारबंद अपराधियों ने जोरिक ब्लेड कंपनी के सेल्समैन को गोली मारकर दस हजार रूपये नकद व मोबाईल लूट लिए।

घायल युवक एकमा थाना क्षेत्र के भरहोपुर गाँव निवासी प्रह्लाद सिंह का 31वर्षीय पुत्र सतानन्द कुमार सिंह बताया जाता है जिसका ईलाज एकमा के निजी नर्सिंग होम में चल रहा है।घटना के संबंध में बताया जाता है कि सेल्समैन पकवाईनार से वसुली कर लौट रहा था तभी पकवाईनार पेट्रोल पंप से पूरब जिन्न बाबा के समीप रैकी कर रहे बाईक सवार तीन हथियारबंद अपराधियों ने सुनसान देखकर बाईक रोकने को कहा बाईक नहीं रोकने पर अपराधियों ने आगे से घेर लिया और बैग छीनने लगे जिसका बिरोध सेल्समैन ने किया. विरोध करने पर दो अपराधियों ने एक साथ कट्टे से फायर किया. जबकि एक कट्टे से मिसफायर हो गया पर दुसरे कट्टे से सेल्समैन के सीने पर गोली जा लगी जिससे वह जख्मी हो गया और लुटेरे बैग में रखे दस हजार रूपये नकद व मोबाइल लेकर भागने में सफल रहे.

घायलावस्था में किसी ने उसे अस्पताल पहुँचाया जहाँ उसकी हालत खतरे से बाहर है।घटना की सूचना पाते हीं रसूलपुर थानाध्यक्ष प्रभाकर कुमार भारती दल बल के साथ अस्पताल पहुँच पीड़ित का बयान लिया।पीड़ित ने तीन अज्ञात  लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है,पुुुलिस मामले की तहकीकात कर रही है।

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जलालपुर: भारत रत्न व काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की 160वी व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 97 वीं जयंती शनिवार को जलालपुर में सांसद आवास पर धूम धाम से मनाई गयी. सांसद ने महापुरुष द्वय के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे नमन कर अपनी श्रद्धांजलि दी. बाद मे उन्होंने ने उज्ज्वला 2 के तहत ललित भारत गैस एजेंसी के तत्वावधान में 50 लाभुकों के बीच निः शुल्क गैस कनेक्शन का वितरण किया.

वहीं सांसद ने स्थानीय सामुदायिक अस्पताल में पहुंचकर सैकड़ो रोगियों व उनके परिजनो के बीच फल ,ब्रेड व मास्क का वितरण किया तथा मरीजो से स्वास्थ्य सेवा के विषय मे जानकारी ली.मौके पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए सांसद सिग्रीवाल ने कहा कि आज एक नही दो दो महान विभूतियों का जन्म दिवस है जो कि अपने आप मे खास महत्व रखता है.

सांसद ने कहा कि मदन मोहन मालवीय व अटल जी हमेशा गरीबों की सेवा के प्रति चिंतित रहते थे. उनका विश्वास था कि स्वस्थ भारत से ही मजबूत भारत का निर्माण किया जा सकता है|मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता उमेश तिवारी, ललित भारत गैस एजेंसी के प्रबंधक ललित कुमार सिंह, जितेंद्र बहादुर, युवा नेता प्रमोद सीग्रीवाल, मंडल अध्यक्ष ढुंनमुन सिंह, गुड्डू चौधरी भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य पंकज सिंह, कुंदन कुमार दिलीप सिंह जी एन एम गुंजन कुमारी डा रोहित कुमार अमन कुमार गुप्ता सहित क ई अन्य उपस्थित थे,

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संस्कार भारती के कार्यक्रम में जुटे कला साधक, प्रख्यात तबला वादक प्रो० सिद्धार्थ चटर्जी की प्रस्तुति से झूमे दर्शक

Chhapra: कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती सारण के तत्वावधान में स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय एसडीएस पब्लिक स्कूल में हुआ। कार्यक्रम में प्राख्यात तबला वादक प्रो० सिद्धार्थ चटर्जी के तबला वादन ने संगीत प्रेमियों का मनमोह लिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ संस्कार भारती उत्तर बिहार प्रान्त के उपाध्यक्ष पं० रामप्रकाश मिश्र, प्रख्यात तबला वादक प्रो० सिद्धार्थ चटर्जी, प्राख्यात कत्थक नर्तक बख्शी विकास, भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा, डॉ जनकदेव भारती, प्रान्त महामंत्री सुरभित दत्त ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद आगत अतिथियों का स्वागत और सम्मान किया गया।

इस अवसर पर प्रान्त उपाध्यक्ष पं रामप्रकाश मिश्र ने कहा कि संस्कार भारती कला और साहित्य के साधकों के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था है, जिसके माध्यम से कलाकारों को एक बड़ा मंच देने की लगातार कोशिश की जाती है.
कार्यक्रम में कत्थक नर्तक बख्शी विकास, कत्थक नृत्यांगना आदित्या श्रीवास्तव, सुधाकर कश्यप, रूपा कुमारी, सरिता कुमारी, वैभव पांडेय, विकास पांडेय, अनीश राज, समीक्षा भारती, अदिति राय और रौनक रत्न ने अपनी गायन और नृत्य की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से दर्शकों का मन जीत लिया।

इस अवसर पर एसडीएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो० अरुण कुमार सिंह, डॉ राकेश कुमार सिंह, पूर्व विधायक ज्ञानचंद मांझी, आशुतोष पांडेय, मुरली मनोहर तिवारी, राहुल मेहता, नवीन सिंह मुन्नू, धंनजय कुमार, जटी विश्वनाथ मिश्र, प्रियंका कुमारी, राजेश सिंह, राजीव सिंह, पशुपति नाथ अरुण, सचिन्द्र उपाध्याय, रामरीत जी समेत गणमान्य लोग और कला साधक उपस्थित थें। मंच संचालन संस्कार भारती सारण के संयोजक राजेश चंद्र मिश्र ने की।

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गिरीश्वर मिश्र

सात दशकों की अपनी प्रजातांत्रिक यात्रा में स्वतंत्र भारत ने राजनीति की उठापटक में अब तक कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति से लेकर अमृत महोत्सव मनाने तक की दूरी तय करने में देश के नायकों की चर्चा में जमीन से जुड़े और लोक-मानस का प्रतिनिधित्व करने वालों में भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी इस अर्थ में अनूठे हैं कि वे भारत के स्वभाव को भारत के नजरिये से परख पाते थे और परंपरा की शक्ति संजोते हुए भविष्य का स्वप्न देख सकते थे।

भारतीय संसद के सदनों में उनकी सुदीर्घ उपस्थिति राजनैतिक संवाद और संचार के लिए मानक बन चुकी थी। उनके व्यक्तित्व की बुनावट के ताने-बाने देश और लोक के सरोकारों से निर्मित हुए थे। किशोर वय में ही वे देश के आकर्षण से कुछ ऐसे अभिभूत हुए कि संकल्प ले डाला ‘हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए’ और अपने को इसके लिए समर्पित कर दिया। धैर्य, सहिष्णुता और वाग्मिता के साथ जीवन में एक कठिन और लंबी राह चलते हुए वे शीर्ष पर पहुंचे थे। वे कहते हैं ‘भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।’

भारत पर अंग्रेजी राज की लंबी दासता से मुक्ति मिलने के बाद आज लोकतांत्रिक देशों की पंक्ति में वैश्विक क्षितिज पर भारत आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से एक सशक्त देश के रूप में उभर रहा है। इसके पीछे नेतृत्व की भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती। विभाजन के बाद की कठिन परिस्थितियों में एक आधुनिक और समाजवादी रुझान के साथ उत्तर उपनिवेशी स्वतंत्र भारत की यात्रा शुरू हुई थी जिसका ढांचा बहुत कुछ अंग्रेजों द्वारा विनिर्मित था। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में नवाचार शुरू हुए थे और पंचवर्षीय योजनाओं का दौर चला था ताकि देश विकास की दौड़ में पीछे न रह जाय। इस बीच भारत समेत विश्व की परिस्थितियाँ बदलती रही। रूस और अमेरिका के बीच शीत युद्ध, वियतनाम युद्ध, पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के बीच की बर्लिन दीवार का टूटना, सोवियत रूस का विघटन और यूरोपियन यूनियन का गठन जैसी घटनाएं हुईं। भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 तथा 1971 में युद्ध हुआ और बांग्ला देश का उदय हुआ।भारत के भीतर क्षेत्रीयता और जाति के समीकरण प्रमुख होने लगे।

पिछली सदी के सातवें दशक तक आते-आते राष्ट्रीय कांग्रेस और उसकी नीतियों से देश का मोहभंग शुरू हुआ। प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाया जाना एक ऐसी घटना हुई जिससे घिसटती व्यवस्था और सिमटती देश-दृष्टि की सीमाएँ ज़ाहिर हुईं। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और विभिन्न क्षेत्रों की उपेक्षा जैसे प्रश्नों से उलझती राजनीति से मोहभंग शुरू हुआ, जिसकी परिणति श्री जयप्रकाश नारायण की अगुआई में सामाजिक-राजनैतिक परिवर्तन की बड़ी शुरुआत हुई।

नेहरू-गांधी परिवार ने लगभग चार दशकों तक सत्ता संभाली थी। इसके बाद भारतीय राजनीति की बुनावट और बनावट कुछ इस तरह बदली कि संभ्रांत के वर्चस्व की जगह व्यापक समाज जिसमें हाशिए पर स्थित मध्यम और दलित वर्ग भी शामिल था, अपनी भूमिका हासिल करने के लिए उद्यत हुआ। भारतीय राजनीति के नए दौर में पारदर्शिता, साझेदारी और संवाद की ख़ास भूमिका रही। उत्तर आपात काल में कांग्रेस के विकल्प के रूप में ‘जनता दल’ का गठन हुआ और श्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी सरकार में श्री वाजपेयी परराष्ट्र मंत्री बने और 1977 से 1979 तक इस दायित्व का वहन किया।

आगे चलकर भारत का राजनैतिक परिदृश्य इस अर्थ में क्रमश: जटिल होता गया कि इसमें कई स्वर उठने लगे और यह स्पष्ट होने लगा कि विभिन्न राजनैतिक दलों को साथ लेकर चलने वाली एक समावेशी दृष्टि ही कारगर हो सकती थी। इसके लिए सहिष्णुता, खुलेपन की मानसिकता, सबको साथ ले चलने की क्षमता, सुनने-सुनाने का धैर्य और युगानुरूप सशक्त तथा दृढ़ संकल्प की जरूरत थी। इन सभी कसौटियों पर सर्वमान्य नेता के रूप में वाजपेयी जी खरे उतरे। विविधता भरी राजनीति में उनको लेकर बनी सहमति का ही परिणाम था कि उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए तीन बार स्वीकार किया गया। पहली बार 1996 में 13 दिनों का कार्यकाल था, 1998-1999 में दूसरी बार 19 महीने प्रधानमंत्रित्व संभाला। वर्ष 1999 में नेशनल डेमोक्रेटिक अलाएंस (एनडीए), जिसमें दो दर्जन के करीब राजनैतिक दल साथ थे, उसके कठिन नेतृत्व की कमान संभालते हुए वाजपेयी जी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। यह पूर्णकालिक सरकार रही।

निजी स्वार्थ से परे हट कर लोक-हित की चिंता वाजपेयी जी के लिए व्यापक जनाधार का निर्माण कर रही थी। उनकी लोकैषणा किसी चुंबक से कम न थी। वे सबको सहज उपलब्ध रहते थे। उन्हीं के शब्दों में कहें तो उन्हें इसका तीव्र अहसास था कि मनुष्य की मनुष्यता सबके साथ जुड़ने में ही है। अपने लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ समर्पण और भारत देश के स्वप्न को साकार करने की सघन चेष्टा ही थी जिसने वाजपेयी जी को सबको स्वीकार्य बना दिया था। कुल दस बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा में सदस्य के रूप में वे जन प्रतिनिधित्व करते रहे।

वे एक श्रेष्ठ और रचनात्मक दृष्टि से संपन्न सांसद थे। उनकी आरोह-अवरोह वाली द्रुत-विलंबित वाग्मिता सबको प्रभावित करती थी। वे अपना पक्ष प्रभावी पर सहज और तर्कपूर्ण ढंग से रखते थे और ऐसा करते हुए सांसदीय मर्यादाओं का यथोचित सम्मान भी करते थे। वे पंडित दीन दयाल उपाध्याय के संसर्ग में राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे राष्ट्रीय प्रकाशनों से वर्षों जुड़े रहे। लेखन और पत्रकारिता के कार्य ने उनकी दृष्टि को विस्तार दिया। किशोर वय में एक स्वयंसेवक के रूप में कर्मठ जीवन की जो दीक्षा उन्हें मिली थी उसने युवा वाजपेयी की जीवन-धारा ही बदल दी थी। उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने और 1968 से 1973 तक यह कार्यभार संभाला। देश से एकात्म होते हुए भारतीय समाज की चेतना को जगाना ही उनका एकमात्र ध्येय हो चुका था।

इस चर्चा के प्रसंग में यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि बहुलता और विविधता वाले भारत में किसी भी तरह की वैचारिक एकरसता और जड़ता श्रेयस्कर नहीं है। कांग्रेसी सरकारों की उपलब्धियों और नाकामियों को लेकर बहसें चलती रहती हैं और आगे भी चलेंगी पर भारत की पहली पूर्णकालिक मुकम्मल ग़ैर-कांग्रेसी सरकार बनाने का यश वाजपेयी जी को मिला। वर्ष 1999 से 2004 तक की अवधि में वह देश की सत्ता की बागडोर संभालते रहे। इससे पहले और उस दौर में भी उनके राजनैतिक जीवन की यात्रा अनेक उतार-चढ़ावों और चुनौतियों से अटी पड़ी थी पर अटल जी यही सोच आगे बढ़ते रहे: क्या हार में, क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो मिला, यह भी सही वो भी सही।

भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में देश के स्वाभिमान और गौरव के लिए वाजपेयी जी ने अनेक निर्णय लिए।पोखरन-2 का परमाणु परीक्षण एक गोपनीय और बड़े जोखिम से भरा निर्णय था। अनेक बड़े देशों ने इस कदम के चलते बंदिशें भी लगाईं परंतु वाजपेयी जी ने दृढ़तापूर्वक सभी चुनौतियों का सामना किया और देश के परमाणु कार्यक्रम को निर्विघ्न आगे बढ़ाया। पड़ोसी देशों के साथ सहयोग, संवाद और सौहार्द की अनिवार्यता को वे बखूबी पहचानते थे। पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की उन्होंने साहस के साथ हर कोशिश की। वहां के प्रधानमंत्री श्री नवाज़ शरीफ़ से संवाद हेतु दिल्ली-लाहौर बस यात्रा की पहल ऐतिहासिक महत्व की थी। इसके फलस्वरूप कई मुद्दों पर सहमति भी बनी पर कारगिल की लड़ाई ने गतिरोध पैदा किया। इसके बावजूद तख्तापलट कर पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने जनरल परवेज़ मुशर्रफ के साथ आगरा में बातचीत के साथ राह ढूढने की भी कोशिश की जो जनरल के दुराग्रह के चलते आगे न बढ़ सकी।

भारत के आंतरिक विकास के लिए देश में सड़कों का विस्तार कर आवागमन में सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तृत संजाल का निर्माण आरंभ कराना वाजपेयी जी की एक महत्वपूर्ण पहल थी। देश में आधार संरचनाओं के विस्तार लिए यह वरदान सिद्ध हुआ है। ‘सर्व शिक्षा अभियान’ द्वारा शिक्षा के सार्वभौमीकरण का बड़ा लक्ष्य हासिल करने की दिशा में देश आगे बढ़ा है। इसी तरह कई तरह के आर्थिक सुधारों को गति देते हुए 21वीं सदी के भारत को दिशा देने में वाजपेयी जी का योगदान अविस्मरणीय है।

भारत के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद पर हेतु एनडीए के समर्थन में भी वाजपेयी जी की प्रमुख भूमिका थी। वाजपेयी जी सुकवि भी थे और उनके कई काव्य संग्रह भी प्रकाशित हुए थे। कविताओं को पढ़ने और सुनाने का वाजपेयी का अपना ही अंदाज़ था जो श्रोताओं को झकझोर देता था। हिंदी उनकी मातृभाषा थी पर वे उसकी राष्ट्रीय भूमिका के आग्रही थे। संयुक्त राष्ट्र संघ की साधारण सभा में 1977 में भारत के परराष्ट्र मंत्री के रूप में वाजपेयी जी ने हिंदी में भाषण देकर एक नई पहल की थी। हिंदी वाजपेयी जी की अभिव्यक्ति की भाषा थी और उनका हिंदी-लेखन तथा व्याख्यान हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।

आधुनिक मन और भारत की सनातन संस्कृति के पुरस्कर्ता वाजपेयी जी देश की व्यापक कल्पना को संकल्प, प्रतिज्ञा और कर्म से जोड़ते हुए भारत के गौरव और सामर्थ्य को संबर्धित करने के लिए सतत यत्नशील रहे। भारत सरकार ने 2014 में वाजपेयी जी का जन्मदिन ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाने का निश्चय किया था। भारत की वर्तमान चुनौतियों के बीच सुशासन निश्चय ही सबसे महत्वपूर्ण है। नागरिक जीवन को सहज बनाने, न्याय देने तथा समानता और सौहार्द स्थापित करने की दिशा में देश को लंबी दूरी तय करनी है। अमृत महोत्सव इनके लिए प्रतिबद्ध होने का अवसर है।

(लेखक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति हैं।)

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जन्मदिन पर विशेष

आधुनिक वैश्विक संदर्भ में सुशासन का अर्थ मात्र अच्छे शासन से ही नहीं वरन अविलंब निर्णय लेने, निर्णयों को सार्थक ढंग से लागू करने और उन्हें कार्य रूप में परिणत करने की प्रक्रिया तथा उससे संबध्द समग्र तंत्र के कार्य निष्पादन से है। निःसंदेह सुशासन का विकास से अभिन्न संबंध है। सुशासन के बिना विकास की अवधारणा को साकार करना संभव नहीं है। इसलिये भारतीय राजनीति के अजातशत्रु भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस 25 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सुशासन की महत्ता को रेखांकित करते हुए इसे सुशासन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा करते हुए कहा कि सुशासन किसी भी राष्ट्र की प्रगति की कुंजी है।

भारत की सांस्कृतिक चेतना का मूल स्वरूप प्रारंभ से ही परोपकार और लोक कल्याण की निर्मल भावनाओं से ओत-प्रोत रहा है। आचार्य कौटिल्य ने अपनी प्रख्यात पुस्तक अर्थशास्त्र में सुशासन के उदत्त स्वरूप को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रजा का हित ही राजा का चरम लक्ष्य है। प्रजा के सुख में ही राजा का सुख निहित है, प्रजा के हित में उसका हित है।

महात्मा गांधी ने मेरे सपनों का भारत में जिस रामराज्य की परिकल्पना की थी उसमें सुशासन ही सुराज के रूप में अवतरित हुआ है। वहीं, लोकमान्य तिलक के शब्दों में देश में स्वराज्य ही नहीं सुराज भी आना चाहिये। सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत डॉ. अम्बेडकर की सामाजिक, आर्थिक न्याय की अवधारणा मानवाधिकारों की सुरक्षा की गांरटी के बिना कैसे सुशासन की परिकल्पना को साकार कर सकती है? एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय का समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति के मंगल का सपना भी सुशासन की अवधारणा में ही निहित है।

इन सब पर यदि कोई पूरी तरह से खरा उतरा तो वह थे सुशासन के पुजारी अटल जी। आप सुशासन की एक ऐसी विकासोन्मुख व्यवस्था के पक्षधर थे जिससे समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के उन्नयन के प्रति प्रतिबध्द, समर्पित होकर राष्ट्र की उन्नति में आम आदमी भी अपनी भागीदारी की अनुभूति का सुखद अहसास कर सके।

भारतीय संस्कृति के मूल्यों के उन्नायक, उर्जावान समझ एवं सकारात्मक चिंतन के धनी, महान राजनीतिज्ञ, प्रखर प्रेरक, ओजस्वी वक्ता, कुशल पत्रकार, दक्ष सम्पादक, साहित्यकार, संवेदनशील कवि, विपक्षियों एवं आलोचकों के मध्य प्रशंसित, भारतीय संसद के नौ बार सदस्य, दो बार राज्यसभा सदस्य एवं तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के पद को गौरान्वित करने वाले अद्भूत व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी आभा से न केवल भारत की प्रतिष्ठा एवं गौरव में श्रीवृध्दि की वरन् राष्ट्र को सुशासन का अनूठा संबल प्रदत्त कर राष्ट्र के विकास को एक नई गति, नई दिशा, नई उर्जा और लय प्रदान की।

अटलजी का समग्र जीवन राष्ट्र की सेवा के लिये समर्पित रहा। मात्र 16 वर्ष की आयु में ही भारतीय जनसंघ से जुड़कर भारत की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुए। पहली बार 1996 में केवल 13 दिनों, दूसरी बार 1998-99 में 13, तीसरी बार 1999 से 2004 तक के कार्यकाल में देश के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवा का संकल्प पूर्ण किया। अटल जी लीक से हटकर एक ऐसा व्यक्तित्व थे जो अद्भुत राजनीतिज्ञ के साथ, वैयक्तिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति का साधक न होकर राष्ट्र आराधन और राष्ट्र निर्माण में जीवन का प्रत्येक क्षण समर्पित करने का साध्य थे।

अटलजी ने राजनीति में नैतिक मूल्यों, आदर्शो की पवित्रता को अक्षुण्ण रखते हुए सुशासन की बुनियाद रखी ताकि जवाबदेह, उत्तरदायी, पारदर्शी, प्रभावशाली, न्याय संगत, कुशल एवं समावेशी शासन व्यवस्था को साकार किया जा सके। बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जिन गणतांत्रिक मूल्यों आदर्शो, स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता,सामजिक, आर्थिक न्याय और व्यक्ति की गरिमा के सम्मान का जो उच्च आदर्श अवसर की समानता के साथ संयोजित कर प्रतिपादित किया है, वह सुशासन के स्पर्श से यथार्थ के धरातल पर साकार हो सकता है।

प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी का सम्पूर्ण कार्यकाल आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के माध्यम से लोकतंत्र को सार्थक और जीवंत बनाये रखने के लिये प्रतिबध्द था। 07 सितम्बर 2000 को न्यूयार्क में ‘एशिया सोसाईटी’ में दिये अपने प्रेरक भाषण में सुशासन के बुनियादी विचार को इस प्रकार रखा कि ’’व्यक्ति के सशक्तिकरण का अर्थ राष्ट्र का सशक्तिकरण और इस तीव्र सामाजिक बदलाव के साथ तेज आर्थिक विकास किया जा सकता है। निःसंदेह वे समाज के अंतिम छोर पर खड़े हुए सर्वाधिक उपेक्षित के सशक्तिकरण को सुशासन की आवश्यक शर्त मानते थे।

अपने कार्यकाल के कार्यों का निष्पादन उन्होंने एक मजबूत विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने, अधिकतम सामाजिक अवसरों को सृजित करने, लोकतंत्र की परम्पराओं को संरक्षित, सुरक्षित करने, जनता की सक्रियता और भागीदारी बढ़ाने के साथ ‘नागरिक प्रथम’ के महती सिध्दांत पर चलकर आम नागरिकों के कल्याण तथा आम नागरिक के शासन से जुड़ाव पर केंद्रित रखा। जहां आम और खास के अंतर को समाप्त करते हुए अच्छी और प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों के साथ जनता को भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी प्रशासन उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी गई।

अटलजी का यह विश्वास था कि सत्ताधारी दल को सदैव जवाबदेह, उत्तरदायी, निष्पक्ष और विकासोन्मुख होना चाहिये तथा विकास के लाभ समाज के सभी वर्गों तक सहजता, सरलता के साथ पहुंचने चाहिये। उन्होंने सदैव सामाजिक विषमताओं, विसंगतियों, विद्रूपताओं, अन्याय अत्याचार और शोषण का प्रबलता से प्रतिकार करते हुए सुशासन को महत्ता प्रदान की। विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी अपने विश्वास पर अपनी मान्यताओं पर अटल जी अटल रहे। यह दृढ़ निश्चय उनकी इस भावपूर्ण कविता से इंगित होता है- ‘‘सत्य का संघर्ष सत्ता से, न्याय लड़ता निरंकुशता से, अंधेरे ने दी चुनौती है, किरण अंतिम अस्त होती है, दीप निष्ठा का लिए निष्कंप, वज्र टूटे या उठे भूकम्प, किन्तु फिर भी जूझने का प्रण, अंगद ने बढ़ाया चरण, प्राण-प्रण से करेंगे प्रतिकार, दांव पर सब कुछ लगा है, रूक नहीं सकते, टूट सकते हैं मगर झुक नहीं सकते’’।

वो महान आर्थिक सुधारक थे, उनके नेतृत्व में भारत में आर्थिक सुधारों के एक नये युग का सूत्रपात हुआ। वर्ष 1998 से 2004 तक आर्थिक वृध्दि के मोर्चे पर आर्थिक मंदी के बावजूद हमारी सकल घरेलू उत्पाद दर में आठ प्रतिशत की वृध्दि दर्ज हुई। विदेशी मुद्रा भंडार में भी अभूतपूर्व वृध्दि हुई जो 1998 में मात्र 12 अरब डालर से बढ़कर 102 अरब डालर तक पहुंचा और हमारी मजबूत अर्थव्यवस्था का द्योतक बना। वित्तीय घाटे को कम करने के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम लागू किया। वहीं दूसरी ओर व्यवसायों और उद्योगों के संचालन में सरकारी भूमिका सीमित करने, उनकी प्रतिबध्दता देश में एक पृथक विनिवेश मंत्रालय गठित किये जाने से परिलक्षित होती है। यह भी उल्लेखनीय है कि उनके कार्यकाल में महंगाई दर चार प्रतिशत तक ही सीमित रही।

अटलजी भारत में आधुनिक दूरसंचार प्रणाली के जनक भी हैं, उन्होंने विश्वस्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की साख को मजबूत करने के लिए 1999 में नई दूरसंचार क्रांति का शुभारंभ किया। उन्होंने राजस्व हिस्सेदारी व्यवस्था के साथ दूरसंचार कंपनियों के लिए नियत लाइसेंस फीस परिवर्तित कर दूरसंचार के क्षेत्र में नीतिगत पहल भी की। फलस्वरूप उद्योगों को शुरूआती दौर की चुनौतियों का सामना करने की ताकत मिली।

अटलजी के प्रगतिशील दूरदर्शी नेतृत्व में आम आदमी के कल्याण के लिए ‘अन्त्योदय अन्न योजना’ प्रारंभ हुई ताकि गरीबों को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध हो सके । किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड और फसल बीमा योजना लागू कर भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को नये क्रांतिकारी आयाम दिये। ज्ञान की रोशनी का लोकव्यापीकरण करने के लिए सर्वशिक्षा अभियान का शुभारंभ देश को सूखे और बाढ़ से मुक्ति दिलाने के लिये प्रमुख नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना, वरिष्ठजनों के लिये दादा-दादी बांड योजना, छात्रों को अध्ययन हेतु सस्ती दरों पर कर्ज का प्रावधान, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना और दुर्घटना एवं स्वास्थ्य बीमा योजना इत्यादि उनके सुशासन माडल की महत्वपूर्ण उपलब्धियां है।

प्रत्येक पंचायत को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से जोड़ने की सड़क क्रांति भारतीय अर्थव्यवस्था की अधोसंरचना के निर्माण में मील का पत्थर सिध्द हुई है। स्वर्णिम चतुर्भुज राज मार्गों का विराट नेटवर्क चैन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों को आपस में जोड़ता है जो आर्थिक विकास की संभावनाओं को साकार रूप प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना भारत की आत्मा को स्पर्श करती हुई उन दूरस्थ ग्रामीण अंचलों को जोड़ती है जो संपर्क सड़कें न होने से विकास की मुख्य धारा से कटे हुए थे। इसका सबसे बड़ा लाभ ग्रामीण जनजीवन का सशक्तिकरण हुआ। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां मिली, उपज समय पर कृषि उपज मंडियों तक पहुंचने से किसानों का सशक्तिकरण हुआ।

कारगिल युध्द के दौरान आपरेशन विजय के माध्यम से पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने वाले पुरोधा के राष्ट्र केंद्रित नेतृत्व में तमाम विरोधों के बावजूद विपरीत परिणामों की चिंता किये बगैर परमाणु परीक्षण कराया जो उनकी दृढ़ता की अद्भुत मिसाल है। विकसित राष्ट्रों के आर्थिक बहिष्कार की धमकी के सामने झुकने से इनकार करते हुए, बाधाओं से कभी भी विचलित न होने वाला अपने विरोधियों को भी साथ लेकर चलने वाला उनका कवि हृदय कह उठता है- “बाधाएं आती हैं आयें, घिरे प्रलय की घोर घटायें, पांव के नीचे अंगारे, सिर पर बरसे यदि ज्वालायें, निज हाथों में हंसते-हंसते आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा।”

एक मजबूत, विकसित और स्वाभिमानी राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य की आधारशिला रखने में अटलजी के सुशासन मॉडल के महत्वपूर्ण योगदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता। किसी ने सच ही लिखा है- ‘यों तो हजारों वर्षों से है जमीं पर आदमी का वजूद, मगर आंख आज भी तरसती है आदमी के लिये।

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Chhapra: क्रिसमस पर शहर के गिरजाघर में तैयारी की गयी है. इस अवसर पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जायेगा.
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इसके लिए गिरजा घर को आकर्षक तरीके से सजाया गया है.

रात 12 बजे के बाद गौशाला में ईशा मशीह का जन्म हुआ था. इसे यादगार बनाने के लिए लोग रातभर कार्यक्रम करते हैं. 25 दिसंबर भौगोलिक दृष्टि से वर्ष का सबसे बड़ा दिन माना जाता है. यह दिन ईशाई समुदाय के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. ईसाई समुदाय के लोग भी ईशा मशीह के जन्म दिवस को शांति, आनंद, दया, प्रेम और क्षमापर्व के रूप में मनाते हैं.

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Chhapra: सारण के जिले मढौरा थाना क्षेत्र के देव बहुआरा में नहर से सटे ग्रामीण चिकित्सक मनोज ठाकुर के घर में गुरुवार रात डकैतों ने जमकर उत्पात मचाया। नकाबपोश डकैतों ने मारपीट की और लाखों की संपत्ति लूटकर चलते बने।कुल तीन लाख 45 हजार नगद, सोने-चांदी के गहने जिनकी कीमत करीब छह लाख है, वे सभी ले गए। घर के लोगों को रिवाल्वर के बल पर बहुत डराया। शरीर के गहने भी नोंच लिए। यहां तक पायल भी खुलवा लिया। रात 11 बजे हुई डकैती की सूचना पर देर रात एक बजे पुलिस पहुंची। पीड़ित परिवार का कहना है कि जिस तरह अपराधी बात कर रहे थे, उन्हें परिवार की पूरी जानकारी थी।


दरवाजे की जंजीर तोड़ रात 11 बजे पहुंचे नौ डकैत मनोज ठाकुर ने बताया कि 11 बजे रात के आसपास उनके घर के मुख्य दरवाजे पर लगे जंजीर को तोड़े जाने की आवाज आई। अभी वे इस आवाज के बारे में कुछ भांपते दो नकाबपोश उनके बेडरूम में पहुंच गए। उन्हें जोर से थप्पड़ जड़ते हुए कहा कि घर में शराब रखता है। वे कुछ बोलते इससे पहले ही उनपर पिस्टल तान दिया। पत्नी ने कुछ कहना चाहा तो उन्हें थी थप्पड़ मार दिया। इसके बाद एक-एक कर कुल नौ बदमाश कमरे में दाखिल हो गए। घर मे रखे सभी बक्सेे, अलमीरा को खोल कर सामान समेट लिए। घर में छोटी दवा दुकान के काउंटर को भी उन्होंने खंगाल दिया। इसके बाद पति-पत्नी व दो बच्चों को एक ही रूम में बंद कर दिया। धमकी दी कि शोर मचाया तो मार डालेंगे। इसके बाद बाहर लगी एक बाइक पर सवार दो लोग निकल गये जबकि अन्य लोग पैदल ही चले गए। डकैतों काे थी परिवार की पूरी जानकारी मनोज ठाकुर का घर गांव से थोड़ा हटकर बगीचे के बीच है। परिवार 15 वर्षों से यही रहता है। मनोज ठाकुर ग्रामीण चिकित्सक का कार्य करते हैं। मनोज ठाकुर व उनकी पत्नी आशा देवी ने बताया कि नया घर बनाने के लिए पैसे जुटा रखे थे। खरमास बाद घर बनवाने के लिए गिट्टी-बालू और ईंट खरीदने थे। लेकिन डकैतों ने सारे अरमान पर पानी फेर दिया। आशा देवी ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं। एक दिल्ली में रहकर पढ़ता है जबकि दो लड़के उनके साथ ही रहते हैं। लुटेरों ने पति-पत्नी की पिटाई के बाद बच्चों को भी मारना चाहा लेकिन उनमें से ही एक ने कहा कि रहने दो यह पढ़ता है। क्रिकेट भी खेलता है। इसे मत मारो। लुटेरे ऐसे बात कर रहे थे जैसे वह उनके ही परिवार के सदस्य है, उन्हें परिवार के बारे में सबकुछ जानकारी थी।

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जयपुर: मालपुरा गेट थाने इलाके में एक पति ने पांच हजार रुपये में अपनी पत्नी का सौदा कर दो दरिंदों के हवाले कर दिया। दरिंदों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इस संबंध में 45 वर्षीय पीडिता ने थाने में मामला दर्ज करवाया है।

पुलिस ने बताया कि पीड़िता चाय की थड़ी लगाकर चाय बेचने का काम करती है। जहां 19 दिसंबर को पीडिता का पति अपने साथ दो अन्य व्यक्ति को लेकर आया था। उसके पति ने पांच हजार रुपये में उसका सौदा किया है और उसे उसके दोस्तों के साथ कुछ दिन के लिए रहने के लिए कहा। इस पर जब उसने अपने पति का विरोध किया तो आरोपित पति ने पीडिता के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी और उसे जबरन पकड़कर थड़ी के पीछे ले गया।

जहां पर आरोपित पति ने पीडिता के हाथ पकड़ लिए और दोनों दोस्तों ने पति के सामने ही सामूहिक दुष्कर्म कर बुरी तरह मारपीट की। इस दौरान जब पीडिता का बेटा वहां पर आया तो उसके साथ भी आरोपितों ने मारपीट की। पीड़िता व उसके बेटे के शोर मचाने पर जब लोग इकट्ठा होने लगे तब तीनों आरोपित पीड़िता व उसके बेटे को जान से मारने की धमकी देकर मौके से फरार हो गए। इस पूरे घटनाक्रम के बाद पीडिता व उसका बेटा दो दिन तक सदमे में रहे और फिर मालपुरा गेट थाने पहुंच अपने पति सहित दो नामजद आरोपितों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपितों की तलाश में जुटी है।

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