पटना: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं। देश के अन्य राज्यों की भांति बिहार को भी इस बजट से काफी उम्मीद हैं।
बिहार सरकार ने केंद्रीय बजट के पूर्व अपनी अपेक्षा से केंद्र सरकार को वाकिफ करा दिया है। इस बजट में केंद्र सरकार से बिहार को उम्मीदें काफी अधिक हैं। हालांकि संघीय ढांचे में किसी खास राज्य के लिए एक बड़ा वित्तीय प्रावधान करना मुश्किल कार्य है। ऐसे में उम्मीद है कि आधारभूत संरचना से जुड़े खर्चों का लाभ बिहार को भी मिलता रहेगा।
दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि बिहार सरकार को कुल राजस्व का लगभग 25 प्रतिशत ही अपने संसाधनों से प्राप्त होता है, जबकि बाकि केंद्र से राज्य की करों में हिस्सेदारी और अन्य अनुदान होते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के स्तर पर राजस्व संग्रह में वृद्धि से सीधा लाभ अन्य राज्यों की तरह बिहार को भी बढ़े हुए राजस्व हस्तांतरण के रूप में मिलता है। अतः ऐसे कदम जिनसे देश की अर्थव्यवस्था में तेज विकास हो और परिणामतः कर राजस्व में वृद्धि हो, का लाभ राज्य को मिलने के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले कदम जारी रखने की उम्मीद बिहार को भी है।
बिहार के मध्यम वर्ग के लोगों की उम्मीद अन्य राज्यों के मध्य आय वर्ग के लोगों से काफी भिन्न नहीं है। यह उम्मीद है कि करों में राहत मिले और साथ ही महंगाई पर भी नियंत्रण हो। महंगाई नियंत्रण का सीधा संबंध अब बजट से तो नहीं है लेकिन फिर भी कुशल राजकोषीय प्रबंधन जिससे की घाटे को नियंत्रण में रखा जा सके, का असर महंगाई नियंत्रण पर काफी होता है। साथ ही चूंकि यह एक चुनाव से पहले की तैयारियों वाले वर्ष का बजट है, ऐसे में लोक-लुभावन घोषणाओं और विकास की गति देने वाली नीतियों के बीच सामंजस्य देखने को मिलेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
यूं तो केन्द्रीय बजट केंद्र सरकार के आय और व्यय का लेखा जोखा है, लेकिन इसमें निर्धारित होने वाले कई तरह के खर्चों का असर राज्यों के विकास पर भी होता है। ऐसे में जनता को व्यक्तिगत स्तर पर होने वाले लाभों के साथ-साथ विकास के निचले पायदान पर खड़े राज्य की भी अपनी अपेक्षाएं हैं। संघीय ढांचे में केंद्र के साथ-साथ राज्य की भी बड़ी भूमिका विकास में रहती है। केंद्र सरकार के खर्च का एक बड़ा हिस्सा राज्यों के माध्यम से भी होता है।
सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस पटना के अर्थशास्त्री और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुधांशु कुमार ने बातचीत में कहा कि बिहार सरकार के मूलतः बजट के विश्लेषण को इसमें होने वाली घोषणाओं के आम जनों पर होने वाले असर और साथ ही होने वाली राजनीतिक व्याख्याओं के नजर से भी देखा जाता रहा है। आम जनों की नजर से देखें तो कोरोना चुनौतीपूर्ण दौर और उसके बाद भी निम्न आय या गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को केंद्र सरकार से काफी सहायता मिली है। वहीं केंद्र के नीतिगत प्रयासों से उच्च आय की श्रेणी के लोगों को भी उनके व्यावसायिक क्रिया कलापों में सहयोग मिला है। इन नीतिगत प्रयासों के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में काफी अच्छी वृद्धि दर्ज की गयी है। हालांकि इस बीच मध्य आय वर्ग के लोगों की उम्मीदें भी केंद्र सरकार से बढ़ी हैं।
डॉ सुधांशु ने कहा कि कुल मिला कर अन्य वर्ष की भांति इस बार भी केन्द्रीय बजट से आम लोगों को उम्मीद है कि इस वर्ष भी कुछ खास हो, जिससे देश की अर्थव्यवस्था के विकास की गति भी बढ़े और इसका लाभ मध्य आय वर्ग सहित सभी लोगों को भी मिले। हालांकि बजट से उम्मीद और फिर वास्तविक प्रावधानों में राजनीतिक व्याख्या की गुंजाइश हमेशा रहती है जो सामन्यतः तकनीकी विश्लेषण से काफी दूर होते हैं।







