बिहार में सुखद बदलावों की बयार, बच्चियों के बाल विवाह में आई 70 प्रतिशत की कमी

बिहार में सुखद बदलावों की बयार, बच्चियों के बाल विवाह में आई 70 प्रतिशत की कमी

Patna, 26 सितम्बर (हि.स.)। बड़े पैमाने पर बाल विवाह के लिए अक्सर खबरों में बने रहने वाले बिहार में अब इसमें खासी गिरावट देखने में आई है। एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 70 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह की दर में 68 प्रतिशत की कमी आई है।

लड़कों के बाल विवाह की दर में 72 प्रतिशत की गिरावट

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की ओर से जारी शोध रिपोर्ट, ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो : एविडेंस टूवर्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ के अनुसार खराब आर्थिक स्थिति (90 प्रतिशत), बच्चों के लिए अच्छा जोड़ीदार मिल जाना (65 प्रतिशत) और सुरक्षा के सवाल (39 प्रतिशत) अब भी इस राज्य में बाल विवाह के पीछे प्रमुख कारण हैं। राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों में बाल विवाह की दर में 69 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह की दर में 72 प्रतिशत की गिरावट आई है।

सर्वे में शामिल अन्य चार राज्यों में लड़कियों की बाल विवाह की दर में असम में सबसे ज्यादा 84 प्रतिशत जबकि महाराष्ट्र में 70 प्रतिशत, राजस्थान में 66 प्रतिशत और कर्नाटक में 55 प्रतिशत की गिरावट आई है।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान केंद्र, राज्य सरकारों और नागरिक समाज संगठनों के समन्वित प्रयासों की बदौलत बाल विवाह की दर में यह अप्रत्याशित गिरावट संभव हुई है।

32 सहयोगी संगठन बिहार के 38 जिलों में काम कर रहे हैं

बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के लिए यह रिपोर्ट सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहैवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने तैयार की है जिसे न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर एक अलग कार्यक्रम में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने जारी किया।

बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के 32 सहयोगी संगठन बिहार के 38 जिलों में काम कर रहे हैं।

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संयोजक रवि कांत ने कहा, “अर्से से बिहार में बाल विवाह की दर देश में सबसे ज्यादा रही है। लेकिन जिस तरह से सरकार ने ग्राम पंचायतों की जवाबदेही तय करने, पंचायतों के सशक्तीकरण और सभी संबंधित पक्षों को साथ लेते हुए जमीन पर जागरूकता अभियान चलाने जैसे कदम उठाए हैं, उसके नतीजे अब दिखने लगे हैं। हम आश्वस्त हैं कि इस तरह के समन्वित प्रयासों से बिहार 2030 से पहले बाल विवाह से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा।

0Shares

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.