Mumbai/Chhapra: मुंबई में आयोजित वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट सम्मिट (Waves) में दुनिया भर के ऑडियो विजुअल कंटेंट क्रिएटर्स, सिनेमा, पॉडकास्ट, रेडियो आदि के लोगों ने भाग लिया। इसी कार्यक्रम के दौरान आठवां सामुदायिक रेडियो सम्मेलन और 10 वें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार की घोषणा की गई। जिसमें देश भर से लगभग 500 कम्युनिटी रेडियो ने भाग लिया ।

आयोजन में बिहार के सारण जिला अंतर्गत रेडियो मयूर को प्रथम पुरस्कार दिया गया। रेडियो मयूर को ये पुरस्कार थीमेटिक कैटेगरी में प्रथम पुरस्कार के रूप में दिया गया। पुरस्कार सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल मुरुगन द्वारा प्रदान किया गया। 

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 महिलाओं के जागरूकता के कार्यक्रम “टेक सखी” के लिए मिल पुरस्कार 

रेडियो मयूर पर महिलाओं के जागरूकता के लिए एक प्रोग्राम “टेक सखी” चलाया गया था जो महिलाओं के डिजिटल सेफ्टी के ऊपर आधारित था। रेडियो मयूर के स्टेशन हेड कहते हैं कि,”हम 9 साल से काम कर रहे हैं और समाज में एक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। रेडियो के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कर मिलना अपने आप में एक सौभाग्य की बात है। ये एक तरह से हमारे लिए हमें और भी बेहतर काम करने को प्रेरित करेगा।”

पुरस्कार लेने के लिए रेडियो मयूर से सुष्मिता पल्लवी और अभिषेक अरुण मौजूद थे। इस अवसर पर आम जन ने रेडियो मयूर के इस उपलब्धि पर बधाई दी है।

 

श्रीनगर, 02 मई (हि.स.)। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान की फौज लगातार नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर भारतीय सेना को उकसाने की हरकत करने से बाज नहीं आ रही। भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान सेना की चौकियों की गोलीबारी का माकूल जवाब दिया गया। इस अधिकारी के अनुसार, 01-02 मई की रात पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा के पार जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश के कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ, नौशेरा और अखनूर क्षेत्रों में बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की। भारतीय सेना के जवानों ने संयमित और उचित तरीके से जवाब दिया।

भारतीय सेना के अनुसार, 30 अप्रैल और 01 मई की रात को भी पाकिस्तान सेना की चौकियों ने जम्मू और कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश के कुपवाड़ा, उरी और अखनूर के सामने नियंत्रण रेखा के पार बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी शुरू की। भारतीय सेना ने तत्काल उचित जवाब दिया। 29-30 अप्रैल की रात भी पाकिस्तान के सैनिकों ने नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर सेक्टरों में छोटे हथियारों से अकारण गोलीबारी कर भारत की सेना को उकसाया। पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी की घटनाएं कश्मीर घाटी के बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में एलओसी पर भी सामने आई हैं। जम्मू जिले के परगवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी फायरिंग की गई।

प्रारंभ में गोलीबारी कुपवाड़ा और बारामूला से शुरू हुई, जो बाद में पुंछ और अखनूर, फिर सुंदरबनी और नौशेरा तक फैल गई। इसके साथ ही परगवाल सेक्टर में भी गोलीबारी की खबरें आईं, जो पिछले सप्ताह के बाद अंतरराष्टीय सीमा पर पहली घटना मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। तब से पाकिस्तान एलओसी पर लगातार अकारण गोलीबारी कर रहा है। इसके मद्देनजर सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने सीमा क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ा दी है। इन क्षेत्रों के नागरिकों से सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की गई है। तनावपूर्ण माहौल के बीच सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी की गई है।

-आरक्षण विरोधी रही है कांग्रेस, मंडल कमीशन को डाला था ठंडे बस्ते में

पटना, 1 मई (हि.स.) केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा है। गुरुवार को पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से उन्होंने कहा कि लालू यादव तो कांग्रेस के पल्लू में पले हैं। जिस कांग्रेस ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में रखा उसे लालू यादव ने समर्थन दिया था। उन्होंने जवाहर लाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल को गिनाते हुए कहा कि ये सभी आरक्षण विरोधी हैं। दरअसल जातीय जनगणना पर लालू यादव की ओर से इसे अपनी उपलब्धि बताने और ‘संघियों को अपने एजेंडे पर नचाने’ वाले बयान पर केंद्रीय मंत्री ने ये बातें कहीं।

पटना एयरपोर्ट पर दिल्ली रवाना होने से पहले गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सभी वर्गों के लिए काम किया है। पिछड़े वर्ग को मजबूत करने लिए कानून लाए। वहीं जब एससी-एसटी वर्ग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया तो दलितों के हितों के लिए संसद में मोदी सरकार द्वारा उसके खिलाफ कानून लाया गया । इसी तरह गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का काम किया, जबकि कांग्रेस और लालू यादव हमेशा ही इसके उलट काम करते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने मंडल कमीशन आयोग को ठंडे बस्ते में डाला। ये लोग सामाजिक समरसता के विरोधी हैं। उन्होंने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल को इस पूरे मामले पर बहस करने की चुनौती दी और कहा कांग्रेस द्वारा जातीय गणना का क्रेडिट लेने की बात करना अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना है।

पटना, 1 मई (हि.स.)। जातीय जनगणना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास मंत्री विजय चाैधरी ने गुुरूवार काे कहा कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर विपक्ष जबरन श्रेय लेने का पाखंड कर रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि इसकी पहल और बिहार में इसका संपूर्ण नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि विपक्ष की भूमिका मात्र समर्थन देने तक सीमित रही है,जबकि इस ऐतिहासिक निर्णय की शुरुआत और क्रियान्वयन दोनों नीतीश सरकार द्वारा किए गए। उन्होंने यह भी कहा कि समर्थन देने और किसी पहल की शुरुआत करने में गहरा अंतर होता है।

जदयू कार्यालय में पत्रकाराें से बातचीत में कांग्रेस के श्रेय लेने पर विजय चौधरी ने सवाल उठाते हुए कहा कि सीएम नीतीश ने इंडिया गठबंधन में जातीय गणना को पहला मुद्दा बनाने की बात कही थी लेकिन तब राहुल गांधी ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर इसे खारिज किया था। आज इस फैसले पर राहुल गांधी श्रेय लेने का काम कर रहे हैं। देश में जातीय गणना के फैसले पर पीएम मोदी को याद किया जाएगा। वहीं नीतीश कुमार ने इसकी शुरुआत की थी यह भी इतिहास में दर्ज हो गया है। नीतीश ने बिहार में करके देश को दिशा दिखाया यह भी याद किया जाएगा। नीतीश कुमार ने पूरे देश को रौशनी दिखाई है।

जातिय जनगणना के लिए नीतीश कुमार को सबसे बड़ा अगुआ बताते हुए कहा कि 2021 जनगणना होनी थी लेकिन उसके पहले 2019 में सीएम नीतीश ने जातीय गणना की मांग की थी। उस समय विधानसभा ने 2019 – 20 में सर्वसम्मति से पास किया था। उस समय केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर एनडीए की सरकार थी यह विशेष बात है। वहीं 2021 में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पीएम से मिला था, उस समय भी एनडीए सरकार थी। तब पीएम ने आश्वासन दिया था कि आगे क्या किया जा सकता है राज्य सरकार कर सकती है।उन्होंने कहा कि उसी के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय जनगणना कराया था। इसमें विपक्षी दलों की कोई भूमिका नहीं थी। इतना ही नहीं बिहार के जातीय गणना पर कोर्ट से रोक लगाया गया तो इस मामले में सरकार न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने भरोसा दिया कि इसे नौवीं अनुसूची में डालने के लिए नीतीश सरकार प्रतिबद्ध है।

नई दिल्ली, 1 मई (हि.स.)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा मुंबई में तीन मई को आठवें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन जैस्मिन हॉल-2, जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर, मुंबई में आयोजित होगा। यह प्रतिष्ठित कार्यक्रम वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट-2025 (वेव्स) के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारत में सामुदायिक मीडिया परिदृश्य को नवाचार, समावेशिता और प्रभाव के माध्यम से सुदृढ़ करना है।

भारतीय जन संचार संस्थान ने गुरुवार को बताया कि सम्मेलन की मुख्य विशेषता दसवें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों का वितरण होगा, जिसमें 12 उत्कृष्ट कम्युनिटी रेडियो स्टेशनों को उनकी सेवा और समुदाय में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। ये पुरस्कार सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव तथा राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन द्वारा प्रदान किए जाएंगे। मंत्रालय के सचिव संजय जाजू तथा संयुक्‍त सचिव सी. सेंथिल राजन भी उपस्थित रहेंगे और सामुदायिक रेडियो की बदलती भूमिका पर अपने विचार साझा करेंगे। इसके अतिरिक्त आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर, कुलसचिव डॉ. निमिष रुस्तगी तथा सम्मेलन की संयोजक प्रो. (डॉ.) संगीता प्रणवेन्द्र भी कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगी।

यह सम्मेलन देशभर के 530 से अधिक कम्युनिटी रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर संवाद और सहयोग का अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा यह सामुदायिक रेडियो की विविधता और स्थानीय कहानियों को सशक्त करने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करेगा। राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन, वेव्स- 2025 की परिकल्पना के अनुरूप, सामाजिक परिवर्तन और स्थानीय सशक्तिकरण के एक प्रभावशाली माध्यम के रूप में सामुदायिक रेडियो की पहुंच और प्रभावशीलता को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

लखनऊ, 01 मई(हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से गंगा एक्सप्रेस—वे पर राफेल, जगुआर, मिराज टू थॉउजेंड जैसे लड़ाकू विमानों की लैंडिंग होगी। शाहजहांपुर में जलालाबाद इलाके में पीरु ग्राम के निकट गंगा एक्सप्रेस-वे पर बनी हवाई पट्टी पर दो और तीन मई को वायु सेना के लड़ाकू विमानों को उतारा जायेगा। वहीं कुछ मिनटों के भीतर लड़ाकू विमान उड़ान भरते हुए भी दिखायी देंगे।

शाहजहांपुर जिले के जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने गुरूवार को पत्रकारों को बताया कि शाहजहांपुर के लिए गौरव से भरपूर क्षण होगा, जब दो मई और तीन मई को गंगा एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमानों की आवाजाही को अपनी आंखों से जिले के नागरिक देखेंगे। दिन रात लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और उड़ान भरने पर इसे देखकर गर्व का अनुभव होगा। इसे कार्यक्रम का स्वरूप दिया जा रहा है, जिसमें कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना, मंत्री जेपीएस राठौर अतिथि की भूमिका में रहेंगे, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी उपस्थिति रह सकती है।

जिलाधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करते हुए एक हजार स्कूली छात्र-छात्राओं को आमंत्रित किया गया है। स्कूली बच्चे लड़ाकू विमानों को हवाई पट्टी पर उतरते और उड़ते देख सकेंगे। सुरक्षा के दृष्टि से वायु सेना के अधिकारियों के निर्देश पर पांच किलोमीटर के परिक्षेत्र में बैरिकेडिंग करायी गयी है। इस परिक्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के आने जाने की मनाही रहेगी।

ज्ञातव्य हो कि पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने बार्डर पर सक्रियता बढ़ा दी है। इसी दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेस—वे पर लड़ाकू विमानों की लैडिंग को भी सैन्य अभ्यास से जोड़ कर ही देखा जा रहा है। शुक्रवार और शनिवार को दो दिनों तक शाहजहांपुर में सैन्य अभ्यास के दौरान राफेल, सु 30 एमकेआई, मिराज टू थाउजेन्ड, मिग 29, जगुआर, सी 130 जे सुपर हरक्यूलिस, एएन 32, एमआई-17 वी फाइव हेलिकॉप्टर हैडिंग करते हुए देखा जायेगा।

Chhapra: विश्व नृत्य दिवस प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन नृत्य की वैश्विक महत्ता को रेखांकित करता है और दुनिया भर में विभिन्न नृत्य शैलियों के प्रति जागरूकता और सम्मान बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही नृत्य को एक सार्वभौमिक कला रूप के रूप में पहचान दिलाता है।

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में शास्त्रीय नृत्य एक अनमोल धरोहर है। इन नृत्य शैलियों में कत्थक विशेष स्थान रखता है, जो न केवल एक कला रूप है, बल्कि यह भारतीय आध्यात्मिकता, भक्ति और भावनात्मक अभिव्यक्ति का जीवंत माध्यम भी है।

आज की आधुनिक पीढ़ी जहाँ तकनीक और पश्चिमी प्रभावों के बीच बड़ी हो रही है, वहाँ इस शास्त्रीय परंपरा को जीवित रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। लेकिन समर्पित नृत्यगुरु, कलाकार और संस्थान इस चुनौती को अवसर में बदल रहे हैं। वे कत्थक को नई पीढ़ी के लिए सुलभ, आकर्षक और अर्थपूर्ण बना रहे हैं। सारण की युवा नृत्यांगना कुमारी अनीषा उन्हीं में से एक हैं।

महज 28 साल की उम्र में उन्होंने कई कला आयोजनों में अपनी प्रस्तुति दी है और सराहना बटोरी रहीं हैं। हिमेश चन्द्र मिश्रा व सुनीता मिश्रा की पुत्री अनीषा बतातीं हैं कि उन्होंने नृत्य की शिक्षा पंडित राजेश मिश्रा और गुरु बक्शी विकास से ग्रहण की। प्रयाग संगीत समिति से कत्थक नृत्य में प्रभाकर की उपाधि प्राप्त की है। अनिशा ने छोटे उम्र में ही कई उपलब्धि हासिल की है। विश्व प्रसिद्ध सुबह-ए-बनारस समेत कई बड़े आयोजनों में कत्थक की प्रस्तुति दी। इसके साथ ही कई पुरस्कार और सम्मान भी अपने नाम किए। अनीषा बतातीं हैं कि उनका उद्देश्य न केवल नृत्य की प्रस्तुति करना है, बल्कि युवाओं में अनुशासन, अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक गर्व की भावना भी विकसित करना है।

कत्थक: एक कथा कहने वाली कला
कत्थक शब्द की उत्पत्ति ‘कथा’ से हुई है, जिसका अर्थ है ‘कहानी’। इस नृत्य शैली की शुरुआत प्राचीन कथावाचकों द्वारा हुई, जो कथा कहने के दौरान अभिनय और नृत्य का उपयोग करते थे। धीरे-धीरे यह कला विकसित हुई और आज इसे भारत की आठ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों में एक माना जाता है।

कलाकारों द्वारा यह परंपरा सशक्त रूप में आगे बढ़ाई जा रही है। वे न केवल मंच पर प्रस्तुतियाँ दे रही हैं, बल्कि युवा छात्राओं को प्रशिक्षित कर एक सांस्कृतिक श्रृंखला का निर्माण कर रही हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहेगी।

हम सब के लिए यह आवश्यक है कि इस सांस्कृतिक प्रयास का हिस्सा बनें। चाहे एक शिष्य के रूप में, दर्शक के रूप में या संरक्षक के रूप में। कत्थक केवल एक नृत्य नहीं, यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और गौरव का प्रतीक है।

 

 

 

Prayagraj/Chhapra: प्रयागराज में महाकुंभ जारी है। हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ संगम तट पर पवित्र स्नान करने के लिए उमड़ रही है. एक अनुमान के अनुसार अब तक साढ़े सात करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान कर लिया है.

महाकुंभ में अखाड़ों में संत, साधु, महात्माओं के साथ साथ विदेशों से पहुंचे सैलानियों के दल भी स्नान कर रहे हैं।

इसके साथ ही इस बार महाकुंभ में स्नान करने युवा भी बड़ी संख्या में प्रयागराज पहुँच रहे है। अपनी संस्कृति, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को जानने और इसको आत्मसात करने में युवा भी पीछे नहीं हैं। युवाओं की टोली प्रतिदिन स्नान करने के लिए अलग अलग प्रांतों से पहुँच रही है।

छपरा से महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे युवा मनीष कुमार मणि बताते हैं कि वैसे तो प्रयागराज में महाकुंभ 12 वर्षों में एक बार लगता है, लेकिन हम सब सौभाग्यशाली हैं कि इस बार 144 वर्षों के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है जो महाकुंभ के मुहूर्त से भी ज्यादा शुभ माना जा रहा है और हम सभी युवा इसके साक्षी बन रहे हैं। भारत की सनातन परंपरा पर हम सभी को गर्व है।

 

वहीं गोविंद सोनी ने बताया कि कड़ाके की ठंड और कोहरे के बावजूद श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. संगम में डुबकी लगाकर लोग पुण्य कमा रहे हैं और साधु-संतों के दर्शन कर रहे हैं. यह आस्था का अद्भुत संगम है। मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद हम सभी पूरे भक्ति भाव से महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों को भी बताना है। इसी उद्देश्य से मित्रों के साथ महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। युवा बड़ी संख्या में कुंभ में पहुँच रहे हैं। 

 

कुंवर जयसवाल ने बताया कि कुंभ मेला की व्यवस्था बहुत अच्छी है। खासकर सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है। कुंभ मेला में बड़ी संख्या में युवा पहुँच रहे हैं और अपनी संस्कृति जो जान और समझ रहे हैं। युगों से चली आ रही इस परंपरा को हुमने भी आत्मसात किया और अपनी भावी पीढ़ी को भी इसके महात्म से अवगत कराएंगे।  

 

 

अमित ओझा ने बताया कि प्रयागराज तीर्थों का राजा है। यहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम है। इस क्षेत्र को त्रिवेणी कहा जाता है।
यहाँ पहुँच कर सभी पुण्य के भागी बनते हैं। युवाओं को यहाँ आकार अपनी संस्कृति से परिचित होना चाहिए, इसी उद्देश्य से हम सब भी तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। 

बात दें कि मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे. 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर 3.5 करोड़ से ज़्यादा ने डुबकी लगाई थी।

– 20 नवंबर से अगले 30 नवंबर तक चलेगा कालाजार रोगी खोज अभियान
– कालाजार प्रभावित प्रखंडों में कालाजार मरीजों के घर के 500 मीटर के परिधि में रोगी की होगी खोज

Chhapra: जिले में कालाजार मरीजों की खोज के लिए अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की खोज करेंगी। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार कालाजार उन्मूलन के लिए वर्ष में चार चक्र में घर-घर कालाजार के संभावित रोगों की खोज करने का प्रावधान है। जिसके तहत जिले में यह अभियान 20 नवंबर से 30 नवंबर तक संचालित की जाएगी। आशा कार्यकर्ता के द्वारा घर-घर जाकर कालाजार रोगियों की खोज की जाएगी. अभियान वर्ष 2020, 21, 22 एवं 23 एवं सितंबर 2024 में कालाजार प्रभावित प्रखंडों में प्रतिवेदित कालाजार मरीजों के घर के 500 मीटर के परिधि में (200 से 250 घर ) अवस्थित घर घर जाकर वीएल /एचआईवी +पीकेडीएल रोगी की खोज जाएगी। क्षेत्र में अभियान की सफलता को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है। कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है। हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं।

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

कालाजार के कारण :
कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस (बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है।

कैसे होगी कालाजार रोगियों की पहचान:

वैसे मरीज कालाजार के रोगी हो सकते हैं जिन्हें
•15 दिन से ज्यादा से बुखार हो
•जिन्हें भूख नहीं लगती हो, उदर बड़ा हो रहा हो
•जिनका वजन लगातार कम हो रहा हो
•शरीर का काला पड़ रहा हो
•वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार न हो पर उनके शरीर पर दाग हो और पूर्व में कालाजार के रोगी रह चुके हों

नई दिल्ली, 18 नवंबर (हि.स.)। हॉकी इंडिया ने सोमवार को 26 नवंबर से 4 दिसंबर 2024 तक ओमान के मस्कट में होने वाले पुरुष जूनियर एशिया कप के लिए 20 सदस्यीय भारतीय पुरुष हॉकी टीम की घोषणा की।

भारत ने 2023, 2015, 2008 और 2004 सहित रिकॉर्ड चार बार यह टूर्नामेंट जीता है। पिछले साल भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को 2-1 से हराकर खिताब जीता था। इस साल, इस आयोजन में महाद्वीप की 10 टीमें हिस्सा लेंगी, जिन्हें दो पूल में बांटा गया है। पूल ए में भारत, चीनी ताइपे, जापान, कोरिया और थाईलैंड तथा पूल बी में बांग्लादेश, मलेशिया, चीन, ओमान और पाकिस्तान होंगे।

हालांकि भारत मेजबान होने के कारण एफआईएच जूनियर विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर चुका है, लेकिन कोच पीआर श्रीजेश के नेतृत्व में टीम सुल्तान जोहोर कप में हाल ही में मिली सफलता की लय को जारी रखने की कोशिश करेगी, जहां टीम तीसरे स्थान पर रही थी। इंडिया कोल्ट्स की टीम का नेतृत्व आमिर अली करेंगे और उप कप्तान रोहित होंगे।

मुख्य कोच और भारत के पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कहा, “सुल्तान जोहोर कप कई खिलाड़ियों के लिए पहली बार का अनुभव था, फिर भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन करते हुए शानदार जज्बा दिखाया और मैं उनके प्रदर्शन से काफी खुश हूं। टीम उस प्रदर्शन से आत्मविश्वास हासिल करेगी और जूनियर एशिया कप में सफल प्रदर्शन की दिशा में काम करेगी।”

उन्होंने कहा, “खिलाड़ी बेंगलुरु के साई में चल रहे राष्ट्रीय शिविर में काफी मेहनत कर रहे हैं और हमने डिफेंस में अधिक प्रभावी होने और गोल करने में कुशल होने के लिए अपने खेल में कुछ बदलाव किए हैं।”

भारतीय टीम इस प्रकार है:

गोलकीपर: प्रिंसदीप सिंह, बिक्रमजीत सिंह।

डिफेंडर: आमिर अली (कप्तान), तलेम प्रियोबार्ता, शारदानंद तिवारी, योगेम्बर रावत, अनमोल एक्का, रोहित (उपकप्तान)।

मिडफील्डर: अंकित पाल, मनमीत सिंह, रोसन कुजूर, मुकेश टोप्पो, थोकचोम किंग्सन सिंह।

फॉरवर्ड: गुरजोत सिंह, सौरभ आनंद कुशवाहा, दिलराज सिंह, अर्शदीप सिंह, अरिजीत सिंह हुंदल ।

रिजर्व: सुखविंदर, चंदन यादव।

– दोनों मिसाइलों की रेंज विस्तारित दूरी की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से भी अधिक होगी

नई दिल्ली, 18 नवम्बर (हि.स.)। भारत ने एक सप्ताह के भीतर लंबी दूरी की दो मिसाइलों का कामयाबी के साथ परीक्षण करके एयरोस्पेस की दुनिया में अपनी बढ़ती ताकत का एहसास करा दिया है। भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल में आने वाली यह दोनों सबसे लंबी दूरी की पारंपरिक मिसाइलें होंगी, जिनकी रेंज विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से भी अधिक होगी। भारत को अब एक शक्तिशाली रॉकेट फोर्स की जरूरत है, जिसके लिए गाइडेड पिनाका रॉकेट सभी 12 परीक्षण पूरे होने के बाद अब 44 सेकंड में 60 किमी. दूर तक सात टन तक विस्फोटक से हमला करने में सक्षम हो गया है।

भारत ने इसी माह लंबी दूरी की हाइपरसोनिक और सबसोनिक नौसेना मिसाइलों के पहले परीक्षण किये हैं। सबसोनिक लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआरएलएसीएम) और हाइपरसोनिक लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल (एलआरएएसएचएम) दोनों ही सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल की पूरक होंगी, जो वर्तमान में भारतीय नौसेना का प्राथमिक स्ट्राइक हथियार है। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 12 नवंबर को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआरएलएसीएम) का पहला उड़ान परीक्षण किया।

इस दौरान सभी उप-प्रणालियों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करके प्राथमिक मिशन उद्देश्यों को पूरा किया। आईटीआर के विभिन्न स्थानों पर तैनात राडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज सेंसर के जरिए मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी की गई। ओडिशा तट पर परीक्षण को डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रतिनिधियों, सिस्टम के उपयोगकर्ताओं ने देखा। एलआरएलएसीएम को मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर का उपयोग करके जमीन से लॉन्च करने के लिए कॉन्फ़िगर किया गया है। इसे यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल सिस्टम का उपयोग करके फ्रंटलाइन जहाजों से भी लॉन्च किया जा सकता है।

डीआरडीओ के मुताबिक़ मिसाइल ने वे पॉइंट नेविगेशन का उपयोग करके विभिन्न ऊंचाइयों और गति पर उड़ान भरते हुए विभिन्न युद्धाभ्यास करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। मिसाइल बेहतर और विश्वसनीय प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए उन्नत एवियोनिक्स और सॉफ्टवेयर से भी लैस है। एलआरएलएसीएम को बेंगलुरु के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट ने डीआरडीओ की अन्य प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योगों के योगदान के साथ विकसित किया है। हैदराबाद का भारत डायनामिक्स लिमिटेड और बेंगलुरु का भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इस मिसाइल प्रणाली के विकास और उत्पादन में भागीदार हैं। दोनों संस्थान मिसाइल के विकास और एकीकरण में लगे हुए हैं।

इसके बाद डीआरडीओ ने 16 नवंबर की देर रात ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की उड़ान का सफल परीक्षण किया। उड़ान परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सफल टर्मिनल युद्धाभ्यास किया और उच्च स्तर की सटीकता के साथ हमला किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस मिसाइल को सशस्त्र बलों के लिए 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिसाइल को कई डोमेन में तैनात विभिन्न रेंज प्रणालियों द्वारा ट्रैक किया गया। इस मिसाइल को हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स की प्रयोगशालाओं तथा डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं और उद्योग भागीदारों ने देश में ही विकसित किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों मिसाइलों के सफल उड़ान परीक्षण को भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल के परीक्षण पर उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में स्वदेशी क्रूज मिसाइल विकास कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण पर डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग को बधाई देते हुए कहा कि इससे भारत ऐसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसी महत्वपूर्ण और उन्नत सैन्य तकनीक हैं।

Chhapra: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा, सोन, घाघरा और गंडक नदियों समेत विभिन स्थलों पर पवित्र स्नान किया. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नदियों में स्नान को लेकर लोग रात भर घाटों पर जमे रहे. सोनपुर, रिविलगंज, मांझी, डोरीगंज आदि घाटों पर स्नान के लिए विशेष व्यवस्था की गयी थी.