मुंबई, 22 जुलाई (हि.स.)। गौतम गंभीर ने टीम इंडिया के मुख्य कोच के रूप में कार्यभार संभाल लिया है, उनका मानना ​​है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी निभानी है क्योंकि वह उस भूमिका में कदम रख रहे हैं जो पहले राहुल द्रविड़ और रवि शास्त्री के पास थी।

गंभीर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हमेशा मेरा साथ देंगे। मेरा लक्ष्य ड्रेसिंग रूम को खुशहाल और सुरक्षित बनाना है। मैं एक बहुत ही सफल टीम की कमान संभाल रहा हूं। मुझे बड़ी जिम्मेदारी निभानी है और मैं इसके लिए उत्साहित हूं,”

गंभीर को स्टार खिलाड़ियों से भरे ड्रेसिंग रूम में काम करना होगा जहां रोहित शर्मा और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली शामिल होंगे। गंभीर का कहना है कि विराट कोहली के साथ उनके अच्छे संबंध हैं।

उन्होंने कहा, “विराट कोहली के साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं, हम संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं – वह विश्व स्तरीय, बल्लेबाज हैं, मैंने आपको कई बार कहा है कि हम दोनों टीम इंडिया के लिए कड़ी मेहनत करेंगे और 140 करोड़ लोगों को गौरवान्वित करेंगे।”

उन्होंने कहा, “विराट और रोहित दोनों में अभी बहुत क्रिकेट बाकी है, वे विश्व स्तरीय हैं, कोई भी टीम उन दोनों को शामिल कर सकती है – चैंपियंस ट्रॉफी है, ऑस्ट्रेलिया सीरीज है, फिर अगर फिटनेस अच्छी रही तो 2027 का विश्व कप होगा।”

हार्दिक पर तरजीह देते हुए सूर्यकुमार यादव को गुरुवार को टी20 सीरीज का कप्तान घोषित किया गया। 33 वर्षीय सूर्यकुमार का टीम के कप्तान के रूप में पहला काम श्रीलंका सीरीज होगी। तीन टी20 मैच 27 जुलाई, 28 जुलाई और 30 जुलाई को खेले जाएंगे।

भारतीय टीम के मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने कहा कि पांड्या मेन इन ब्लू के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं और उनके जैसा कौशल किसी और में मिलना मुश्किल है।

अगरकर ने कहा, “हार्दिक हमेशा हमारे लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहे हैं। उनके जैसे कौशल पाना मुश्किल है। उनके लिए फिटनेस एक चुनौती रही है। उम्मीद है कि उनका प्रदर्शन किसी भी चीज़ से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। हम ऐसा खिलाड़ी चाहते हैं जो ज़्यादातर मौकों पर उपलब्ध रहे। इतना सब कहने के बाद, सूर्या में कप्तान बनने के लिए सभी ज़रूरी गुण हैं।”

भारतीय टीम श्रीलंका दौरे पर तीन मैचों की टी20 और उसके बाद तीन मैचों की वनडे सीरीज खेलेगी। तीन टी20 मैच 27, 28 और 30 जुलाई को खेले जाएंगे, जिसके बाद तीन मैचों की वनडे सीरीज होगी, जो 1 अगस्त से शुरू होगी। पल्लेकेले इंटरनेशनल स्टेडियम सीरीज के टी20आई चरण की मेजबानी करेगा, जबकि आर प्रेमदासा 50 ओवर के मैचों की मेजबानी करेगा।

गिरीश्वर मिश्र

शिक्षा की बहुआयामी और बहुक्षेत्रीय भूमिका से शायद ही किसी की असहमति हो । यह मानव निर्मित सबसे प्रभावी और प्राचीनतम हस्तक्षेप है जो जीवन और जगत को बदलता चला आ रहा है । समाज के अस्तित्व, संरक्षण और संवर्धन के लिए शिक्षा जैसा कोई सुनियोजित उपाय नहीं है । इसीलिए हर देश में शिक्षा में निवेश वहां की अर्थव्यवस्था का एक मुख्य मद हुआ करता है । आज ज्ञान -विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दृष्टि से विश्व में अग्रणी राष्ट्र अपनी शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दे रहे हैं । वे शिक्षा की गुणवत्ता को समृद्ध करने के लिए लगातार सक्रिय रहते हैं और शिक्षा की तकनीकी को उन्नत करते रहते हैं । देश, काल और परिस्थिति की बनती-बिगड़ती मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के कलेवर में बदलाव उनके लिए एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । साथ ही शिक्षा की सुविधा और प्रक्रिया पूरे समाज के लिए लगभग एक जैसी व्यवस्था स्वीकृत है । ठीक इसके विपरीत भारत में शिक्षा अनेक विसंगतियों से जूझती आ रही है । लोकहित के व्यापक लक्ष्यों के लिए समानता और समता आवश्यक है पर भारत में शिक्षा विभेदनकारी हो रही है और परिवर्तन को लेकर शंका और प्रतिरोध है। आज इन सबके चलते क्या प्रवेश क्या परीक्षा हमारी व्यवस्था चरमरा रही है । शिक्षा के क्षेत्र में ढलान के लक्षण लाभकारी नहीं हैं।

परंपरा में शिक्षा, विद्या और ज्ञान की प्राप्ति दुख से निवृत्ति के लिए आवश्यक मानी गई है । साथ ही ज्ञान का विस्तार लौकिक और पारलौकिक दोनों ही प्रकार के ज्ञान को समेटता है । इस पद्धति से ज्ञान देने के लिए गुरु-शिष्य की एक सशक्त प्रणाली विकसित हुई और गुरुकुल से लेकर विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय तक की अद्भुत संस्थाओं का विकास हुआ । उस प्रणाली से पठन-पाठन करते हुए साहित्य, आयुर्वेद, ज्योतिष, कामशास्त्र, नाट्यशास्त्र, व्याकरण, योग, न्याय, अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, वेद आदि अनेक विषयों का अध्ययन-अध्यापन हो रहा था। आज उपलब्ध ग्रंथों से इन विषयों के पीछे हुई लंबी और कठिन साधना का कोई भी सहज ही अनुमान लगा सकता है ।इस व्यवस्था की क्षमता और विलक्षण दृढ़ता का भी पता चलता है कि काल क्रम में सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था में परिवर्तन होते रहे फिर भी अपनी आंतरिक शक्ति की बदौलत सब कुछ के बावजूद यह ज्ञान परंपरा आज भी साँस ले रही है। विदेशी आक्रांताओं ने भी यहाँ की देशज शिक्षा में षड़यंत्रकारी दखल दिया । इस का सबसे जटिल और दूरगामी असर अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुआ । यह बात प्रमाणित है कि भारत का दोहन और शोषण ही साम्राज्यवादी अंग्रेजी राज का एकल उद्देश्य था । इस काम में पाश्चात्य ज्ञान को यहाँ रोप कर यहां की अपनी ज्ञान परंपरा को विस्थापित करने को उन्होंने अपना विशेष सहायक माना । धर्मांतरण की तर्ज़ पर भारतीय मानस को एक नये पश्चिमी सांचे में ढालना और देशज ज्ञान के प्रति भारतीयों के मन में वितृष्णा का भाव पैदा करना ही अंग्रेजों का उद्देश्य बन गया था ।

भारतीय मूल के ज्ञान का हाशियाकरण तेजी से शुरू हुआ तथा ज्ञान और संस्कृति के अप्रतिम प्रतिमान के रूप में अंग्रेजियत छाती चली गई । भारतीयों को अशिक्षित ठहरा कर उनके लिए अंग्रेजों द्वारा शिक्षा की जगह कुशिक्षा का प्रावधान किया गया। यह कुछ इस तरह हुआ मानों अंग्रेजी शिक्षा विकल्पहीन है और विकसित होने के लिए अनिवार्य है । परिणाम यह हुआ कि भारतीय शिक्षा के समग्र, समावेशी और स्वायत्त स्वरूप विकसित करने की बात धरी रह गई । हम उसके अंशों में थोड़ा बहुत हेर फेर ला कर काम चलाते रहे । स्वतंत्र भारत में अपनाई गई शिक्षा की नीतियां , योजनाएं और उनका कार्यान्वयन प्रायः पुरानी लीक पर ही अग्रसर हुआ । स्वतंत्र होने के बाद भी पश्चिमी मॉडल के जाल से आज भी हम उबर नहीं पाये हैं । शिक्षा के बाजारीकरण और आजीविका से उसका रिश्ता एक नये समीकरण को जन्म देने लगा और देशज शिक्षा को पीछे धकेल रहा था और हम सब अचेत तो नहीं पर दिग्भ्रम में जरूर पड़े रहे । गौरतलब है कि लगभग दो सदी के अंग्रेजी प्रभाव में हमारी सभ्यता में भी वेश-भूषा, खान-पान और मनोरंजन आदि में परिवर्तन आया । इन सब का स्वाद बदलने लगा । साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों में भी परिवर्तन शुरू हुआ । पाश्चात्य दृष्टि को मानक, वैज्ञानिक और सार्वभौमिक मानते हुए कर उसे ऊपर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में आरोपित किया जाता रहा। व्यवस्था की जड़ता इतनी रही कि शिक्षा के प्रसंग में उठने वाले सभी सरोकार जैसे देश का विकास, शिक्षण की गुणवत्ता, विभिन्न सामाजिक वर्गों का समावेशन, शिक्षा जगत में स्वायत्तता की स्थापना, शैक्षिक नवाचार बातचीत के विषय तो बनते रहे किंतु वास्तविकता में अधिकतर यथास्थिति ही बनी रही । संरचनात्मक बदलाव, विषय वस्तु, छात्र पर शैक्षिक भार, और अध्यापक प्रशिक्षण आदि गंभीर विषयों को लेकर भी असमंजस ही बना रहा। आज प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक इतने पैमाने देश में चल रहे हैं और लोकतंत्र के नाम पर इतने तरह की विकृतियाँ पनप गई हैं कि उनसे पार पाना मुश्किल हो रहा है। शिक्षा में तदर्थवाद या एड हाकिज्म का बोलबाला होता गया।

आज भारतीय शिक्षा की दुनिया में बड़ी सारी विषमताओं आ गई है । शिक्षा संस्थाओं की अनेक जातियां और उपजातियां खड़ी हो गई हैं और उनमें अवसर मिलने की संभावना सबको उपलब्ध नहीं है । पूरी तरह सरकारी, अर्ध सरकारी और स्ववित्तपोषित संस्थाओं की अजीबोगरीब खिचड़ी पक रही है । सबके मानक और गुणवत्ता के स्तर भिन्न हैं । फीस, प्रवेश, पढ़ाई और परीक्षा के तौर तरीके भी बेमेल हैं । बच्चे को पढ़ाना अभिभावकों के लिए बरसों बरस चलने वाला युद्ध और संघर्ष का सबब बन चुका है। देश को वर्ष 2047 में विकसित करने का बहुप्रचारित संकल्प सभी भारतीयों के लिए बड़ा ही लुभावना लगता है । विकसित भारत की कल्पना को साकार करने के लिए किसी जादुई छड़ी से काम न चलेगा। उसके लिए योग्य, प्रशिक्षित और निपुण मानव संसाधन की ज़रूरत सबसे ज्यादा होगी । जनसंख्या वृद्धि को देखते हए शिक्षा में प्रवेश चाहने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है । इस दृष्टि से योजना बनानी होगी और बजट में शिक्षा के लिए प्रावधान बढ़ाने की जरूरत है । अनेक वर्षों से शिक्षा पर देश के बजट में छह प्रतिशत खर्च करने की बात कही जा रही है परंतु वास्तविक व्यय तीन प्रतिशत भी बमुश्किल हो पाता है । कड़वा सच यह भी है कि खानापूर्ति से आगे बढ़कर कुछ करने का अवसर सिकुड़ता ही रहा है ।

हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के महत्वाकांक्षी प्रस्तावों के क्रियान्वयन के लिए वित्त की आवश्यकता को स्वीकार करना होगा। फरवरी-मार्च 2024 में प्रकाशित आंकड़ों को देखे तो पता चलता है कि शिक्षा के लिए आवंटित राशि में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फिर भी, यह राशि शिक्षा के लिए अपेक्षित निवेश सीमा 6 प्रतिशत से कम है। ऐसा लगता है कि प्राथमिकता के आधार पर अलग-अलग में मदों घट-बढ़ कर सरकार वित्तीय नियोजन का उपाय कर रही है। एक तरफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के बजट को कम किया गया है तो दूसरी तरफ केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अधिक राशि आवंटित की गई है। ऐसे ही उन संस्थाओं को जिन्हें सरकार प्रतिष्ठित संस्थान का दर्जा देती है, उसके बजट में भी वृद्धि की है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में विद्यालयी शिक्षा के बजट में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई। यह राशि समग्र शिक्षा अभियान को गति प्रदान करने का कार्य करेगी। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि विद्यालय स्तर पर प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों का नियोजन बाधित न हो, इसे ध्यान में रखते हुए इस राशि का उपयोग होगा। इसी तरह पीएम श्री योजना को भी प्रभावी बनाना होगा। सरकार को उच्च शिक्षा में बेहतर और समावेशी अवसर पैदा करने के लिए नए क्षेत्रों में संभावनाओं को तलाशना होगा। यदि हम विद्यालय स्तर के लिए बढ़ाया गया बजट अगर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है तो निकट भविष्य में उच्च शिक्षा पर निवेश बढ़ाना अपरिहार्य हो जाएगा। सरकार को यह भी संज्ञान में लेना होगा कि यदि शिक्षा रूपी लोकवस्तु पर राज्य निवेश नहीं बढ़ाएगा तो इसका लाभ बाजार की ताकतें उठाएंगी। इसका दोहरा नुकसान होगा। पहला, शिक्षा के लिए आम आदमी का निवेश बढ़ जायेगा। दूसरा, भारत जैसे देश में समावेशन की गंभीर समस्या पैदा हो जाएगी। यह भी विचारणीय है कि आधुनिक तकनीकी के माध्यम से शिक्षा के प्रसार और विस्तार के लिए भी प्राथमिकता से निवेश करना होगा। सरकार द्वारा संस्थानों से स्व वित्त पोषण की उम्मीद करना शिक्षा के लोक स्वरूप को क्षति पहुंचाएगा। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने ले लिए समर्थ मानव पूंजी की तैयारी हेतु वित्तीय आवंटन, नियोजन और अपेक्षित लक्ष्यों की प्राप्ति के आकलन द्वारा भावी भूमिका के निर्धारण उपागम द्वारा शिक्षा को प्रभावी बनाना होगा।

(लेखक,महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति हैं।)

नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। भारत के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश इस महीने के अंत में शुरू होने वाले पेरिस ओलंपिक के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लेंगे।

श्रीजेश पेरिस में अपने चौथे ओलंपिक खेलों में भाग लेंगे और टोक्यो में 2020 संस्करण से अपने कांस्य पदक के रंग को बदलने की उम्मीद करेंगे। 36 वर्षीय, जिन्होंने 2006 में भारत के लिए पदार्पण किया था, ने सोशल मीडिया पर अपने संन्यास की घोषणा की।

उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, “जब मैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपने अंतिम अध्याय की दहलीज पर खड़ा हूं, तो मेरा दिल कृतज्ञता और प्रतिबिंब से भर जाता है। मुझ पर विश्वास करने के लिए धन्यवाद। यहाँ एक अध्याय का अंत और एक नए रोमांच की शुरुआत है।”

उन्होंने कहा, “ओलंपिक में कप्तान के रूप में भारतीय टीम का नेतृत्व करना शब्दों से परे सम्मान था। और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर के रूप में नामित होना एक ऐसी मान्यता थी जिसे मैं हमेशा संजो कर रखूंगा। टोक्यो 2020 में हमारा ओलंपिक कांस्य पदक, सबसे बड़ी उपलब्धि थी, एक सपना साकार हुआ।”

भारत के लिए 328 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले श्रीजेश ने दो बार एशियाई खेलों का स्वर्ण, दो बार एशिया कप और चार अलग-अलग मौकों पर एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीती है। श्रीजेश को देश के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

मुंबई, 22 जुलाई (हि.स.)। मुंबई में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भारतीय क्रिकेट टीम श्रीलंका के लिए रवाना हो गई, जहां टीम तीन मैचों की टी20 और उसके बाद तीन मैचों की वनडे सीरीज खेलेगी। तीन टी20 मैच 27, 28 और 30 जुलाई को खेले जाएंगे, जिसके बाद तीन मैचों की वनडे सीरीज होगी, जो 1 अगस्त से शुरू होगी।

पल्लेकेले इंटरनेशनल स्टेडियम सीरीज के टी20आई चरण की मेजबानी करेगा, जबकि आर प्रेमदासा 50 ओवर के मैचों की मेजबानी करेगा।

दौरे की शुरुआत से पहले, भारत के नवनियुक्त मुख्य कोच गौतम गंभीर का मानना ​​है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी निभानी है क्योंकि वह राहुल द्रविड़ और रवि शास्त्री जैसे लोगों की भूमिका निभा रहे हैं।

गंभीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हमेशा मेरा साथ देंगे। मेरा लक्ष्य ड्रेसिंग रूम को खुशहाल और सुरक्षित बनाना है। मैं एक बहुत ही सफल टीम, जो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप और 50 ओवर के विश्व कप की उपविजेता और टी-20 चैम्पियन है, की कमान संभाल रहा हूं। । मुझे बड़ी जिम्मेदारी निभानी है और मैं इसके लिए उत्साहित हूं।”

गंभीर को अपने केकेआर साथी अभिषेक नायर , जो टीम के सहायक कोच की भूमिका निभाएंगे और रयान टेन डोशेट, जो सहायक स्टाफ में शामिल होंगे, का समर्थन प्राप्त होगा।

गंभीर ने कहा, “मैंने केकेआर के साथ आईपीएल में पिछले दो महीनों में अभिषेक और रयान के साथ मिलकर काम किया है। दोनों ही पूर्ण रूप से पेशेवर हैं और उम्मीद है कि वे कोच के रूप में भारतीय टीम के साथ सफल कार्यकाल बिताएंगे।”

नायर ने भारत के लिए तीन वनडे खेले और अपने प्रथम श्रेणी करियर के दौरान मुंबई के साथ कई रणजी ट्रॉफी खिताब जीते, जो 100 से अधिक खेलों तक चला। एक सक्रिय खिलाड़ी के रूप में भी, नायर ने दिनेश कार्तिक का मार्गदर्शन किया और उन्हें अंतरराष्ट्रीय वापसी करने में सहायता की। नायर इससे पहले कैरेबियन प्रीमियर लीग में ट्रिनबागो नाइट राइडर्स के मुख्य कोच के रूप में काम कर चुके हैं।

दूसरी ओर, टेन डोशेट वर्तमान में चल रहे मेजर लीग क्रिकेट में लॉस एंजिल्स नाइट राइडर्स के साथ सहायक कोच के रूप में जुड़े हैं।

बॉलीवुड एक्टर आमिर खान और किरण राव के तलाक को तीन साल हो गए हैं । दोनों ने 16 साल तक साथ रहने के बाद 2021 में तलाक लेने का फैसला किया। तलाक के बाद भी इन्हें साथ घूमते और काम करते देखा जाता है। दोनों के बीच अच्छी बॉन्डिंग देखी जा सकती है। दोनों को अक्सर परिवार और बच्चे के साथ समय बिताते देखा जाता है। अब किरण राव ने तलाक पर प्रतिक्रिया दी है।

आमिर और किरण ने फिल्म ‘लापता लेडीज’ में साथ काम किया है। यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होने के बाद नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई और सुपरहिट रही। दर्शकों को यह फिल्म काफी पसंद आई। अब तलाक के तीन साल बाद किरण राव पहली बार बोलती नजर आईं। उन्होंने कहा कि अलगाव के बाद वह खुश हैं।

किरण राव ने दिया इंटरव्यू

एक शो में किरण राव ने कई बातों पर बयान दिया। निजी जिंदगी से लेकर प्रोफेशनल मामलों तक हमने दिल खोलकर बातें कीं। ‘मुझे लगता है कि समय-समय पर आपको अपने रिश्ते को फिर से जीवंत करने की जरूरत है। क्योंकि जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम इंसान के रूप में बहुत कुछ बदलते हैं। हमें अलग-अलग चीजों की जरूरत है। मुझे लगता है कि तलाक के बाद मैं बहुत खुश हूं।’ किरण राव ने कहा, ‘आप इसे एक खुशहाल तलाक कह सकते हैं।’

तलाक के बाद की जिंदगी पर किरण ने दिया बयान

किरण ने आगे कहा कि, ‘जब मेरी शादी नहीं हुई थी तो मैं काफी समय तक सिंगल थी। शादी से पहले मैंने अपनी जिंदगी और आजादी का पूरा आनंद लिया।’ मैं तब अकेलापन महसूस करती थी, लेकिन अब नहीं, क्योंकि मैं अपने बेटे आजाद के साथ हूं।’ मुझे लगता है कि तलाक के बाद ज्यादातर लोग अकेलापन महसूस करते हैं, लेकिन मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ क्योंकि मुझे आमिर और मेरे परिवार का पूरा समर्थन मिला। वास्तव में, ये केवल अच्छी बातें हैं । यह बहुत ही सुखद तलाक है।’

हमारे बीच अब भी प्यार है

‘हमें अलग होने के लिए केवल एक पेपर की जरूरत थी। लेकिन हम जानते हैं कि हम एक-दूसरे के लिए क्या हैं। आज भी हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, एक-दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं।’ किरण ने कहा, “हमारे पास एक अतीत है, जिसे मैं कभी खोना नहीं चाहती।”

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ इस समय चर्चा में है। इस शो को बॉलीवुड एक्टर अनिल कपूर होस्ट करते नजर आ रहे हैं। घर से एक साथ दो प्रतियोगी बेघर हो गए हैं। ये दर्शकों के लिए भी बड़ा झटका है।

वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया के ‘बिग बॉस ओटीटी’ 3 से बाहर होने के बाद सभी ने सोचा था कि कोई एलिमिनेशन नहीं होगा, लेकिन बिग बॉस ने एक बार फिर गेम पलट दिया है। दर्शक भी संतुष्ट हैं क्योंकि बिग बॉस ओटीटी हाउस में दो प्रतियोगियों की यात्रा समाप्त हो गई है। अब ये प्रतिस्पर्धी कौन हैं? ये सवाल हर किसी के मन में है।

कौन से दो प्रतियोगी हुए बेघर

रियलिटी शो बिग बॉस ओटीटी 3 में वाइल्ड कार्ड एंट्री के तौर पर आए अदनान शेख और लगातार सबका ध्यान खींचने वाली सना सुल्तान घर से बाहर हो गए हैं। लव कटारिया और एल्विस यादव के कट्टर दुश्मन माने जाने वाले अदनान शेख जब घर में दाखिल हुए तो जबरदस्त एक्शन हुआ। लेकिन लव कटारिया के साथ कुछ नोकझोंक के बाद दोनों के बीच कुछ हद तक दोस्ती हो गई। दोनों को ज्यादातर समय एक साथ समय बिताते देखा गया। अदनान शेख ने भी ज्यादातर चीजों को लेकर बाहर ही बयानबाजी की। तो बिग बॉस ने भी अदनान को डांट लगाई।

नेटिज़ेंस की प्रतिक्रियाएं

एक ओर, नेटिज़ेंस ने इस बात की आलोचना की कि घर में कोई भी प्रतियोगी अदनान शेख जैसा नहीं देखा गया। नेटिजेंस ने कहा कि वह लगातार गुस्सा हो रही हैं और घर में ड्रामा कर रही हैं। सना सुल्तानी ने कई बार अनिल कपूर की आलोचना की।

बॉलीवुड में रिश्तों का बनना और टूटना सामान्य बात है। अभिनेत्री जान्हवी कपूर भी ब्रेकअप पर उनका दुख कई बार जाहिर हो चुका है। जान्हवी इन दिनों शिखर पहाड़िया को डेट कर रही हैं। दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ स्पॉट किये जाते हैं। शिखर से पहले जान्हवी कुछ और लोगों को डेट कर चुकी हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में जान्हवी ने डेटिंग लाइफ और ब्रेकअप पर कमेंट किया।

जान्हवी कपूर ने अपनी डेटिंग लाइफ के बारे में बात करते हुए कहा कि वह हर महीने अपने बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप कर लेती थीं। उन्होंने कहा, ‘मेरा पहला ब्रेकअप इतना बुरा नहीं था, क्योंकि वह मेरे पास वापस आ गया। दिल टूट गया था, लेकिन वह व्यक्ति वापस आ गया और सब कुछ ठीक था।’

जान्हवी कपूर ने आगे कहा, “मेरे पीरियड्स के कुछ सालों में हर महीने मैं इस व्यक्ति से रिश्ता तोड़ देती थी। पहले दो या तीन महीने वह सदमे में रहता था, लेकिन उसके बाद मैं रोते हुए और सॉरी कहते हुए उसके पास वापस जाती थी। मुझे समझ नहीं आता था कि मेरा दिमाग इस तरह क्यों काम कर रहा है, यह बहुत एक्सट्रीम था।”

जान्हवी कपूर के बॉयफ्रेंड शिखर पहाड़िया पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे के पोते हैं। जान्हवी और शिखर कई सालों से एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं। जान्हवी का बॉलीवुड में अपने डेब्यू से पहले ही ब्रेकअप हो गया, लेकिन शिखर से रिश्ता खत्म नहीं हुआ था। बाद में दोनों फिर एक हो गए। अब दोनों सार्वजनिक जगहों पर भी साथ-साथ आते हैं।

जान्हवी फिल्म ‘उलझ’ में नजर आएंगी। यह फिल्म 2 अगस्त को रिलीज होगी। ऐसे में दर्शकों की उत्सुकता अब चरम पर पहुंच गई है। जान्हवी को अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में देखा गया था। शादी के बाद एक्ट्रेस को फूड पॉइजनिंग के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जान्हवी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।

सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान और श्वेता तिवारी की बेटी पलक तिवारी एक दूसरे को डेट कर रहे है। अक्सर ये दोनों स्टारकिड्स हाथों में हाथ डाले इवेंट्स, डिनर डेट पर पहुंचते रहे हैं। अब एक फुटबॉल मैच के दौरान इब्राहिम अली खान का हौसला बढ़ाने के लिए पलक तिवारी आते देखा। इस बार पैपराजी ने उन्हें कैमरे में कैद कर लिया। फिर उसके चेहरे की मुस्कान नहीं रुकी। पलक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

पलक और इब्राहिम अली खान पिछले एक साल से डेट कर रहे हैं। हालांकि, दोनों ने अभी तक अपने प्यार का इज़हार नहीं किया है, लेकिन नेटिज़न्स उन पर नज़र रख रहे हैं। हाल ही में पलक तिवारी इब्राहिम के फुटबॉल मैच के दौरान नजर आईं। वह दोस्तों के साथ बैठकर इब्राहिम को चीयर करने पहुंचीं। मैदान में इब्राहिम ने नारंगी रंग की जर्सी पहनी हुई थी। इसी टीम में टाइगर श्रॉफ भी थे। पलक तिवारी अपनी दो सहेलियों के साथ दर्शकों के बीच बैठी नजर आ रही हैं। उनका कैजुअल लुक क्रॉप टॉप और जींस है। जब पैपराजी ने उन्हें देखा तो वह शरमा गईं। उसके चेहरे की मुस्कान रुक ही नहीं रही थी।

गोवा ट्रिप पर इब्राहिम और उनके परिवार के साथ पलक तिवारी भी थीं। जब अमृता सिंह और सारा अली खान एयरपोर्ट पर पहुंचीं तो पलक भी पीछे से निकलती नजर आईं। तब यह अनुमान लगाया गया था कि पलक भी उनके साथ यात्रा पर थीं।

पटना, 22 जुलाई (हि.स.)। श्रावण मास की शुरुआत हो गई है। ऐसे में आज पहली सोमवारी को उत्तर बिहार का देवघर कहे जाने वाला बाबा गरीब स्थान मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए सारण जिले के पहलेजा घाट से जल लेकर करीब एक लाख कांवड़िये मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं।

सोमवार सुबह मुजफ्फरपुर में बाबा गरीब नाथ धाम में श्रावणी मेला का विधिवत उद्घाटन बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं मुजफ्फरपुर के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने किया। उनके साथ मंत्री केदार गुप्ता और अन्य नेता भी शामिल हुए। जिला प्रशासन ने श्रावणी मेला की पूरी तैयारी की है।

सावन के पहले सोमवार से पूर्व ही रविवार को हजारों हजार कांवड़िये गरीब नाथ मंदिर पहुंच चुके थे। रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि से ही बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं।

जलाभिषेक के दौरान कांवरियों को कहीं भी किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े इसको लेकर मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन और मुजफ्फरपुर पुलिस अलर्ट मोड पर है।

पूरे मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी लगाए गए हैं। पूरे मंदिर परिसर की निगरानी जिले के वरीय अधिकारी के द्वारा की जा रही है।

मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक ने बताया कि साधारण और डाक बम के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गयी है। रात बारह बजे से अरघा से जलाभिषेक शुरू हुआ जो सोमवार की दोपहर तक जारी रहेगा।

उल्लेखनीय है कि झारखंड बंटवारे के बाद से गरीब स्थान को बिहार का देवघर कहा जाता है। जहां सावन हर सोमवार को लाखों की संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं।

पटना, 22 जुलाई (हि.स.)। अवधेश नारायण सिंह ने सोमवार को बिहार विधान परिषद के सभापति के लिए नामांकन किया। इसके साथ वे सभापति चुन लिए गए। वे एक महीने से सदन के कार्यकारी सभापति थे।

सीएम नीतीश ने अवधेश नारायण सिंह को पुष्प गुच्छ देकर अभिनंदन किया। उनके नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी, ग्रामीण मंत्री अशोक चौधरी सहित कई नेता मौजूद रहे।

बिहार विधान मंडल का मानसून सत्र सोमवार शुरू हो गया है। पांच दिवसीय इस सत्र में विधान परिषद के 207वें सत्र का भी आयोजन होगा। सत्र शुरू होने के पहले अवधेश नारायण सिंह को बड़ी जिम्मेदारी मिली है और वे सभापति के रूप में अब दायित्व संभालते नजर आएंगे।

दो दिन पहले ही बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें सभी दलों के नेता शामिल हुए। बैठक में 207वें सत्र के सुगम एवं सफल संचालन पर चर्चा की गई।

कार्यकारी सभापति ने सभी दलों के नेताओं से आगामी सत्र के कुशल, सफल एवं शांतिपूर्ण संचालन के लिए सार्थक सहयोग देने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि उच्च सदन की अपनी एक गरिमा होती है, जिसका सम्मान सभी सदस्यों को करनी चाहिए।

आसन का हमेशा यह प्रयास होता है कि सदन निष्पक्ष रूप से नियम एवं संसदीय प्रक्रियाओं से संचालित हो।

पटना, 22 जुलाई (हि.स.)। बिहार विधानमंडल में मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्र में शामिल होने पहुंचे तो राजग सदस्यों ने उनका जोरदार स्वागत किया। सीएम नीतीश के साथ राज्य मंत्रिमंडल के कई सदस्य भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने सभी का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। इसके बाद विस में रूपौली के नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायक शंकर सिंह को विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने दिलवाई।

सोमवार की सुबह 11:00 बजे से विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू हुई। सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा पक्ष और विपक्ष के सदस्य मौजूद हैं। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सदन में मौजूद नहीं थे। मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों में पांच-पांच बैठकें होंगी। कुल पांच दिनों के सत्र के दौरान सरकार अनुपूरक बजट के साथ अन्य विधेयक को सदन में पेश करेगी। अनुपूरक बजट पर 25 जुलाई को विधानसभा में जबकि 26 जुलाई को विधान परिषद में मुहर लगेगी।

पहले दिन विधानसभा में रूपौली के नवनिर्वाचित विधायक शंकर सिंह को शपथ दिलाई गई। स्पीकर नंदकिशोर यादव ने शंकर सिंह को विधानसभा सदस्य के तौर पर शपथ दिलाई। इसके बाद दिवंगत लोगों के प्रति सदन में शोक संवेदना व्यक्त की गई। विधानसभा अध्यक्ष ने दिवंगत लोगों के परिजनों के प्रति पूरे सदन की तरफ से संवेदना जताई।

फिर राज्यपाल ने स्वीकृत अध्यादेशों की प्रति को सदन के पटल पर रखा। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने 2024-25 का पहला अनुपूरक बजट सरकार की तरफ से सदन में पेश किया। इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को 23 जुलाई पूर्वाह्न 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

सीएम नीतीश कुमार सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पार्टी विधानमंडल दल की बैठक सोमवार को शाम में होगी। जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी के सरकारी आवास पर यह बैठक होगी। बैठक में विधानमंडल के मानसून सत्र को लेकर मुख्यमंत्री दिशा-निर्देश सभी सदस्यों को जारी करेंगे। सदन में विपक्ष के हमले का जवाब कैसे देना है और सरकार की उपलब्धियों को सदन में विस्तार से रखने को लेकर चर्चा होगी। साथ ही सदन में सार्थक बहस और सवाल पूछने को लेकर भी सदस्यों को निर्देश जारी होगा।

Chhapra:सावन माह की पहली सोमवारी को जिले के शिवालयों और मंदिरों में शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही।

सुबह से ही शिव भक्त शिवालय पहुंचकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की। शिवालयों में जलाभिषेक के लिए भक्तो ने कतारबद्ध होकर शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ भांग धतूरा और फूल के साथ पूजा अर्चना की।

इस दौरान पूरा मंदिर परिसर हर हर महादेव, जय शिव शंकर,बाबा भोलेनाथ की जय की नारों से वातावरण गुंजायमान रहा।

इधर सावन की पहली सोमवारी को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से से सुरक्षा के विशेष इतजाम किए गए। सभी मंदिरों में पुलिस अधिकारियों के साथ पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति विधि व्यवस्था संधारण को लेकर की गई थी। 

जिला प्रशासन के निर्देश पर दंडाधिकारी के साथ पुलिस अधिकारियों और बलों की प्रतिनियुक्ति रही, जो व्यवस्था बनाए रखने में तल्लीन दिखे।