Chhapra: सारण जिले के जलालपुर प्रखंड के फुटानी बाजार का पंडाल इस बार अपनी अनोखी डिजाइन को लेकर चर्चा में है। यहां दुर्गा पूजा समिति ने विशाल ऑक्टोपस की आकृति पर आधारित पंडाल बनाया है, जो श्रद्धालुओं और दर्शकों दोनों को आकर्षित कर रहा है।

पंडाल का पूरा ढांचा ऑक्टोपस के आकार में तैयार किया गया है। इसके आठ लंबे हाथ बाहर की ओर फैले हुए हैं, जिन पर रंगीन लाइटिंग की गई है। पंडाल का प्रवेश द्वार ऐसा बनाया गया है मानो श्रद्धालु ऑक्टोपस के मुख से होकर भीतर प्रवेश कर रहे हों। अंदर भव्य मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान है, जिसे देखने के लिए भक्तों की लंबी कतार लग रही है।

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रात्रि में पंडाल का नजारा और भी अद्भुत हो जाता है। हाथों पर लगी रंगीन रोशनी और बीच–बीच में चलने वाले लेजर शो इसे किसी समुद्री जीव विज्ञान प्रदर्शनी जैसा बना देते हैं। बच्चे और युवा इस पंडाल को खासा पसंद कर रहे हैं और इसे सेल्फी प्वाइंट बना चुके हैं।

आयोजकों ने बताया कि इस पंडाल का मकसद श्रद्धालुओं को अनोखा अनुभव देना है। पहली बार इस इलाके में ऐसा पंडाल बना है जो पूरी तरह समुद्री जीव की आकृति पर आधारित है।

फुटानी बाजार का यह पंडाल अब केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि कला, सृजनशीलता और तकनीक का अनोखा संगम बन चुका है। विगत कुछ वर्षों में इस पूजा समिति के द्वारा बनाए गए पंडालों ने खूब सुर्खियां बटोरीं हैं। 

Chhapra: छपरा शहर का नेहरू चौक इस बार नवरात्र में खासा आकर्षण का केंद्र बना है। यहां पूजा समिति ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर पंडाल का निर्माण कराया है। श्रद्धालु यहां पहुंचकर ऐसा अनुभव कर रहे हैं मानो वे सचमुच हिमालय की गोद में विराजमान भगवान शिव की नगरी में पहुंच गए हों।

पंडाल के बाहरी हिस्से को पत्थरों जैसी संरचना से सजाया गया है, जबकि प्रवेश द्वार पर लकड़ी और फाइबर का इस्तेमाल कर मंदिर की हूबहू प्रतिकृति तैयार की गई है। चारों ओर पर्वतीय दृश्यों को दर्शाने वाली पेंटिंग और सजावट की गई है।

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अंदर भव्य मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान है। रोशनी की विशेष व्यवस्था की गई है जिससे पंडाल का हर कोना आध्यात्मिक आभा से भरा नजर आता है। रात्रि में लाइटिंग इफेक्ट से पूरा पंडाल किसी धार्मिक तीर्थ जैसा अनुभव कराता है।

भक्तों ने बताया कि इस पंडाल को देखकर उन्हें उत्तराखंड के केदारनाथ धाम की याद ताजा हो जाती है। यहां आकर वे केवल मां दुर्गा के दर्शन ही नहीं, बल्कि हिमालयी आध्यात्मिकता का अनुभव भी कर रहे हैं।

पूजा समिति के सदस्यों का कहना है कि इस थीम का उद्देश्य श्रद्धालुओं को धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना है। भीड़–भाड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल और स्वयंसेवक लगातार तैनात हैं।

Chhapra: बनियापुर का दुर्गा पूजा पंडाल इस बार श्रद्धालुओं और दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां “ऑपरेशन सिंदूर” की थीम पर तैयार पंडाल देश के सैनिकों के शौर्य और बलिदान को समर्पित है। आयोजकों ने बताया कि इस थीम का उद्देश्य देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करना और युवाओं को सेना के प्रति प्रेरित करना है।


पंडाल में प्रवेश करते ही चारों ओर युद्धभूमि का दृश्य दिखाई देता है। मिट्टी, लकड़ी और थर्माकोल से बने मॉडलों के जरिए सेना की कार्रवाई, रणभूमि और सैनिकों की वीरता को जीवंत कर दिया गया है। पंडाल के बीचोबीच स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा को शक्ति और साहस का प्रतीक बताकर सैनिकों से जोड़ा गया है।

रात्रि में रंगीन लाइट और साउंड इफेक्ट इस पंडाल की खूबसूरती और भी बढ़ा देते हैं। कई जगहों पर देशभक्ति गीत बजाए जाते हैं, जिससे वातावरण भावुक और प्रेरणादायी हो उठता है। श्रद्धालु यहां आकर केवल पूजा–अर्चना ही नहीं कर रहे, बल्कि भारत माता के वीर सपूतों के योगदान को भी याद कर रहे हैं।

आयोजक समिति का कहना है कि यह पंडाल नवरात्र के अवसर पर श्रद्धा और देशप्रेम का संगम प्रस्तुत करता है। यहां उमड़ रही भीड़ इस बात का प्रमाण है कि लोग न केवल मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं, बल्कि देश की रक्षा में लगे जवानों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं।

आज का पंचांग
दिनांक 01/10 /2025 बुधवार
आश्विन शुक्लपक्ष नवमी
संध्या 07:01 उपरांत दशमी
नक्षत्र – पूर्वाषाढ़ा
सुबह 08:06 उपरांत उतराषाढ़ा
चन्द्र राशि धनु
दोपहर 02:27 उपरांत मकर
विक्रम सम्वत :2082
सूर्योदय 05:42 सुबह
सूर्यास्त :05:36 संध्या
चंद्रोदय :01:47 दोपहर
चंद्रास्त :12:27 रात्रि (02 अक्तूबर )
ऋतू :शरद
चौघडिया,दिन
चौघड़िया :
लाभ 06:42 सुबह 07:11सुबह,
अमृत 07:11सुबह 08:40 सुबह
काल 08:40 सुबह 10:10 सुबह
शुभ 10:10 सुबह 11:39 सुबह
रोग 11:40 सुबह 01:08 दोपहर
उद्देग 01:08 दोपहर 02:38 दोपहर
चर 02:38 दोपहर 04:07 संध्या
लाभ 04:07 संध्या 05:36 संध्या
लगन :शरद
सुबह 06:50 उपरांत तुला लगन
राहुकाल
सुबह 11:39 से 01:08 दोपहर
अभिजित मुहूर्त
आज नहीं है
दिशाशूल उत्तर
यात्रा विचार :आज कही यात्रा पर जाने के पहले धनिया खाकर यात्रा करे ,लाभ होगा .

आज का राशिफल

मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
प्रयास सफल रहेंगे। पराक्रम वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें।
लकी नंबर 2 लकी कलर संतरी

वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। नए विचार दिमाग में आएंगे।
लकी नंबर 7 लकी कलर भूरा

मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल लाभ देंगे। किसी बड़े काम की रुकावट दूर होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
लकी नंबर 7 लकी कलर स्लेटी

कर्क(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। काम में मन नहीं लगेगा। दूसरे आपसे अधिक की अपेक्षा करेंगे व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा।
लकी नंबर 5 लकी कलर सफेद

सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। घर में अतिथियों का आगमन होगा। प्रसन्नता तथा उत्साह बने रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। आलस्य हावी रहेगा। प्रमाद न करें।
लकी नंबर 9 लकी कलर पिला

कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। कोई बड़ा काम करने की इच्‍छा जागृत होगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे।
लकी नंबर 2 लकी कलर फिरोजा

तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। कोई बड़ा काम करने की इच्‍छा जागृत होगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे।
लकी नंबर 7 लकी कलर आसमानी

वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्य में राहत मिलेगी। चिंता दूर होगी।
लकी नंबर 1 लकी कलर संतरी

धनु(ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
लकी नंबर 4 लकी कलर बैंगनी

मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। विवाद से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति की बातों में न आएं। व्यवसाय ठीक चलेगा।
लकी नंबर 6 लकी कलर हरा

कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। थकान रहेगी।
लकी नंबर 3 लकी कलर लाल

मीन(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
धनहानि की आशंका है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। थकान व कमजोरी रह सकती है। व्यापार व व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय बाधा दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी।
लकी नंबर 8 लकी कलर महरूम

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष , वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ 8080426594/9545290847

Chhapra: छपरा शहर इन दिनों निर्माण कार्यों के चलते धूल और मिट्टी के बादल में घिरा हुआ है। जगह-जगह सड़कों की खुदाई, डबल डेकर निर्माण की गतिविधियां तो तेज़ी से चल रही हैं, लेकिन इन पर नियंत्रण और मानकों के पालन की जिम्मेदारी निभाने वाली एजेंसियां कहीं दिखाई नहीं देतीं। हालात ऐसे हैं कि शहर के लोग सुबह से शाम तक धूल और मिट्टी झेलने को विवश हैं।

नवरात्र में भी नहीं हुई सफाई

ध्यान देने वाली बात यह है कि नवरात्र जैसे पावन पर्व में भी शहर की सड़कें धूल से अटी पड़ी हैं। आमतौर पर ऐसे अवसरों पर नगर निगम द्वारा सफाई और पानी का छिड़काव किया जाता है, लेकिन छपरा में तस्वीर बिल्कुल उलटी है। लोग मंदिरों में जाते समय, बाजारों में खरीदारी करते वक्त और यहां तक कि अपने घरों में भी धूल की परत महसूस कर रहे हैं।

प्रशासन और एजेंसियों की लापरवाही

नगर निगम, जिला प्रशासन और निर्माण कार्य में लगी एजेंसियों पर सवाल उठ रहे हैं। निर्माण कार्यों के दौरान धूल नियंत्रण के लिए नियमित पानी छिड़काव, निर्माण सामग्री ढककर रखने और मलबा समय पर हटाने की जिम्मेदारी तय है। मगर, शहर में यह नियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है।

स्वास्थ्य पर गंभीर असर

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक धूल और प्रदूषण में रहने से सांस की बीमारियां, दमा, एलर्जी और आंखों में संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ती हैं। छपरा सदर अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि हाल के दिनों में सांस और एलर्जी की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि धूल में मौजूद महीन कण फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं, जो लंबे समय में गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं।

एक्सपर्ट की राय

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ प्रशांत सिन्हा का कहना है कि छपरा में जिस तरह से निर्माण कार्य बिना प्रदूषण नियंत्रण उपायों के हो रहा है, वह शहर की वायु गुणवत्ता को तेजी से खराब कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समय रहते पानी छिड़काव और नियमित सफाई जैसे कदम नहीं उठाए गए तो छपरा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) छोटे शहर से महानगर स्तर की खराब श्रेणी में पहुंच सकता है।

जनता की उम्मीदें

समय-समय पर कई स्वयंसेवी संस्थाएं इस मुद्दे को उठाती रही हैं, लेकिन कार्रवाई ठोस रूप से होती नहीं दिखती। लोगों का कहना है कि सरकार सिर्फ बड़े शहरों के प्रदूषण पर ध्यान देता है, जबकि छोटे शहरों में लोग चुपचाप हालात झेलते रहते हैं।

छपरा में धूल-मिट्टी की यह समस्या सिर्फ असुविधा नहीं बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले रही है। ऐसे में प्रशासन और नगर निगम को चाहिए कि तुरंत प्रभाव से निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव शुरू करें, सड़कों की सफाई दुरुस्त करें और निर्माण एजेंसियों पर सख्त निगरानी रखें। जब तक यह नहीं होगा, तब तक छपरा की जनता रोजाना धूल में घुटती रहेगी।

नई दिल्ली, 28 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ में कहा कि छठ महापर्व भारतीय संस्कृति की गहरी आस्था और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह पर्व अब वैश्विक स्तर पर भी पहचान बना रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार इसे यूनेस्को की ‘इनटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज लिस्ट’ में शामिल कराने का प्रयास कर रही है, जिससे इसकी गरिमा और बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 126वें एपिसोड में आज शहीद भगत सिंह और लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने देश में महिला सशक्तिकरण के उदाहरण दिए, सांस्कृतिक धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयासों का उल्लेख किया और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प पर जोर दिया। उन्होंने देशवासियों को आगामी त्योहारों की शुभकामनाएं दी और इस बात का विशेष उल्लेख किया कि संग अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने रविवार को आकाशवाणी के मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 125 कड़ियों की यात्रा पार करने का जिक्र किया और कहा कि यह जनता से जुड़ने का प्रेरणादायी माध्यम बन चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 28 सितंबर को दो महान विभूतियों की जयंती है। शहीद भगत सिंह को उन्होंने युवाओं के लिए प्रेरणा बताया और उनके साहसिक पत्र का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने अंग्रेजों से अपने साथ युद्धबंदी जैसा व्यवहार करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि भगत सिंह की निर्भीकता और सेवा भावना हर भारतीय को मार्गदर्शन देती है।

उन्होंने लता मंगेशकर को भारतीय संस्कृति का अमूल्य स्वर बताया। उन्होंने कहा कि उनके गीतों ने देशभक्ति और संवेदनाओं को जीवंत किया। उन्होंने बताया कि लता मंगेशकर से उनका व्यक्तिगत स्नेह रहा और वे हर वर्ष उन्हें राखी भेजती थीं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि लता मंगेशकर स्वातंत्र्य वीर सावरकर से प्रेरित रही है। उन्होंने कहा, “लता दीदी जिन महान विभूतियों से प्रेरित थीं उनमें वीर सावरकर भी एक हैं, जिन्हें वो तात्या कहती थीं। उन्होंने वीर सावरकर जी के कई गीतों को भी अपने सुरों में पिरोया।”

प्रधानमंत्री ने नवरात्रि के अवसर पर नारी शक्ति की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा के साहसिक “नाविका सागर परिक्रमा” का उल्लेख किया। इन दोनों अधिकारियों ने 238 दिनों तक 47,500 किलोमीटर की समुद्री यात्रा पूरी की।प्रधानमंत्री ने उनके अनुभव सुनाए। इनमें उन्होंने बताया कि यात्रा में तूफानों का सामना, अत्यधिक तापमान और सीमित संसाधनों के बावजूद धैर्य और टीमवर्क ने हमें सफलता दिलाई। प्रधानमंत्री ने इसे देश की बेटियों के साहस और संकल्प का अद्वितीय उदाहरण बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की ‘इनटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज लिस्ट’ में शामिल कराने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कोलकाता की दुर्गा पूजा को पहले से इस सूची में शामिल होने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि छठ पर्व का महत्व आज वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है और यह न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में आस्था का प्रतीक बन चुका है। गांधी जयंती का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने स्वदेशी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ी है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि 2 अक्टूबर को खादी उत्पाद अवश्य खरीदें और “वोकल फॉर लोकल” को जीवन मंत्र बनाएं।

उन्होंने तमिलनाडु, झारखंड और बिहार के उदाहरण दिए, जहां उद्यमियों और महिलाओं ने परंपरा और नवाचार को जोड़कर रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए रास्ते बनाए। उन्होंने कहा, “सफलता की ये सभी गाथाएं हमें सिखाती हैं कि हमारी परंपराओं में आय के कितने ही साधन छिपे हुए हैं। अगर इरादा पक्का हो, तो सफलता हमसे दूर नहीं जा सकती।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष की विजयादशमी विशेष महत्व रखती है, क्योंकि 1925 में इसी दिन नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार और गुरुजी गोलवलकर के नेतृत्व ने संगठन को राष्ट्र सेवा की दिशा दी।

उन्होंने कहा, “सदियों की गुलामी ने हमारे स्वाभिमान और आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुंचाई थी। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के सामने पहचान का संकट खड़ा किया जा रहा था। देशवासी हीन-भावना का शिकार होने लगे थे। इसलिए देश की आजादी के साथ-साथ ये भी महत्वपूर्ण था कि देश वैचारिक गुलामी से भी आजाद हो। ऐसे में, परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी ने इस विषय में मंथन करना शुरू किया और फिर इसी भगीरथ कार्य के लिए उन्होंने 1925 में विजयादशमी के पावन अवसर पर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की।”

उन्होंने गुरुजी के वाक्य “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” को उद्धृत करते हुए कहा कि यह संघ की सेवा भावना का आधार है। उन्होंने बताया कि स्वयंसेवक आपदा के समय सबसे पहले राहत कार्य में पहुँचते हैं और हर कार्य में “राष्ट्र प्रथम” की भावना सर्वोपरि रहती है।

प्रधानमंत्री ने आगामी 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वाल्मीकिजी ने मानवता को रामायण जैसा अद्भुत ग्रंथ दिया। उन्होंने आग्रह किया कि अयोध्या में रामलला के दर्शन करने वाले लोग वाल्मीकि और निषादराज मंदिर के दर्शन भी करें।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति किसी एक दायरे में बंधे नहीं रहते। इनकी सुगंध सभी सीमाओं को पारकर लोगों के मन को छूती है। उन्होंने इस सन्दर्भ में पेरिस के “सौन्त्ख मंडप” की उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिसने भारतीय नृत्य को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया। इसकी स्थापना मिलेना सालविनी ने की थी। कुछ वर्ष पहले उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने कुछ गीतों की प्रस्तुति करते हुए जानकारी दी कि भूपेन हजारिका के गीतों को श्रीलंकाई कलाकारों ने सिंहली और तमिल में अनुवाद किया है, जिससे सांस्कृतिक जुड़ाव बढ़ा है। उन्होंने असम के गायक जुबीन गर्ग और विचारक एसएल भैरप्पा को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “जुबीन गर्ग एक मशहूर गायक थे, जिन्होंने देशभर में अपनी पहचान बनाई। असम की संस्कृति से उनका बहुत गहरा लगाव था। जुबीन गर्ग हमारी यादों में हमेशा बने रहेंगे और उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा।”

त्योहारों के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि खरीदारी के समय स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें और हर उत्सव को ‘वोकल फॉर लोकल’ का अवसर बनाएं। उन्होंने स्वच्छता को घर से बाहर समाज तक ले जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में एक के बाद एक त्योहार और खुशियां आने वाली हैं। हर पर्व पर हम खरीदारी भी खूब करते हैं। और इस बार तो ‘जीएसटी बचत उत्सव’ भी चल रहा है। एक संकल्प लेकर आप अपने त्योहारों को और खास बना सकते हैं। अगर हम ठान लें कि इस बार त्योहार सिर्फ स्वदेशी चीजों से ही मनाएंगे, तो देखिएगा, हमारे उत्सव की रौनक कई गुना बढ़ जाएगी।

कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री ने देशवासियों को त्योहार विशेष कर दीपावली की शुभकामनाएं दी और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को दोहराया।

Chhapra:  राजेंद्र कॉलेज, छपरा में रेड रिबन क्लब एवं सेहत केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में एचआईवी एड्स के संदर्भ में इंटेंसिफ़ाइड जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का संचालन नोडल अधिकारी डॉ. अनुपम कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम के संदर्भ में कॉलेज के प्राचार्य प्रो. उदय शंकर पांडेय ने के प्रेरक संदेश में कहा कि एचआईवी एड्स जैसी बीमारियों के प्रति समाज में अब भी भ्रांतियां मौजूद हैं। आवश्यक है कि युवाओं को सही जानकारी मिले और वे जागरूक नागरिक बनकर समाज में स्वस्थ वातावरण तैयार करें। कार्यक्रम में छात्रों को एचआईवी संक्रमण के कारण, उसके लक्षण, बचाव के उपाय तथा इलाज की आधुनिक सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

विशेषज्ञों ने बताया कि यह बीमारी स्पर्श, भोजन या साथ रहने से नहीं फैलती, बल्कि असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त चढ़ाने, नशा करने हेतु सुई का साझा उपयोग करने जैसी स्थितियों से फैलती है।

नोडल अधिकारी डॉ. अनुपम कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा इस अभियान का उद्देश्य युवाओं को जागरूक बनाना और समाज में एचआईवी एड्स को लेकर व्याप्त मिथकों को दूर करना है। यदि समय रहते जांच और उपचार प्रारंभ हो जाए तो संक्रमित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक डॉ. धनंजय आज़ाद, डॉ. प्रवीण कुमार भास्कर, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. सुशील कुमार सिंह, स्वयंसेवक रोबिन, श्वेता, रुचि समेत कई छात्र-छात्राएँ एवं सेहत केंद्र के स्वयंसेवक उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे समाज में एचआईवी एड्स के प्रति जागरूकता फैलाएँगे और भेदभावमुक्त वातावरण बनाने में सहयोग करेंगे।

मीरजापुर, 23 सितंबर (हि.स.)। शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन मंगलवार विंध्यधाम भक्ति और आस्था की उमंग में सराबोर रहा। मां विंध्यवासिनी मंदिर परिसर सहित नगर के अन्य देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता सुबह से ही लगना शुरू हो गया। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। भक्तों ने व्रत रखकर मां की उपासना की और विधि-विधान से आराधना कर सुख, समृद्धि एवं मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगा।

विंध्यधाम में अलसुबह से ही घंटा-घड़ियाल की गूंज और जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया। मां ब्रह्मचारिणी के दरबार को आकर्षक रूप से सजाया गया है। देवी प्रतिमाओं के चारों ओर फूलों की झालरें और रंग-बिरंगी रोशनी भक्तों के मन को भक्ति भाव से भर दे रही हैं। श्रद्धालु दर्शन-पूजन के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों में भी भाग ले रहे हैं।

विंध्यधाम में दूसरे दिन की भीड़ ने प्रशासन की परीक्षा भी ली। जिला प्रशासन व पुलिस ने सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर से लेकर घाट और मुख्य मार्गों तक पुलिस बल तैनात है। महिला पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने में सक्रिय दिखीं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने भी एंबुलेंस और मेडिकल टीम की व्यवस्था की है ताकि किसी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

स्थानीय बाजार में भी रौनक देखने को मिली। प्रसाद, चुनरी, नारियल और श्रृंगार सामग्री की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ उमड़ी। बाहर से आए श्रद्धालु मां के दरबार में दर्शन कर खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं।

श्रद्धालुओं का मानना है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से साधक को तप, त्याग और संयम की शक्ति प्राप्त होती है। नवरात्र का यह दिन अध्यात्म और साधना के मार्ग पर चलने का प्रेरणा स्रोत माना जाता है।

सुबह से ही विंध्यधाम भक्ति के रंग में रंगा रहा और भक्तों की भीड़ से माता का दरबार कृपा और श्रद्धा का अनोखा संगम प्रस्तुत करता रहा।

Chhapra: विवेकानंद इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में नवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन तीनों लोकों में सभी को सौभाग्य प्रदान करने वाली मां जगदम्बे की पूजा, दिव्य स्त्रीत्व का सम्मान करने तथा छात्रों के बीच सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए किया गया।

इस दौरान विद्यालय के यू० के० जी० से छठी कक्षा तक के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने अपनी शिक्षिका के मार्गदर्शन में नव दुर्गा के सभी स्वरूपों में आकर्षक ढंग से माँ दुर्गा के भक्ति गीतो पर नृत्य व झांकियां प्रस्तुत किया।

सभी छोटे बच्चों के आकर्षक स्वरूपो ने उपस्थित सभी दर्शकों का मन मोह लिया। बच्चों ने माता के सुंदर गीतों पर डांडिया भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दौरान बच्चो ने माता के सभी रूपों के बारे में बताया, साथ ही नवरात्रो की नौवों दिन की विशेषता पर चर्चा किया गया।

विद्यालय के निदेशक सह रिविलगंज प्रखंड प्रमुख डॉ राहुल राज ने देवी दुर्गा के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हुए विद्यालय परिवार के सभी सदस्यों को नवरात्रि एवं दशहरा की शुभकामनाएं दी तथा उन्हें मां के कल्याणकारी स्वरूप को आत्मसात करने तथा उनके अनमोल जीवन मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि विद्यालय में इस तरह के विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, ताकि बच्चों के अंदर छिपी हुई प्रतिभा में निखार आ सके। इस प्रकार के आयोजन से बच्चों का मनोबल बढ़ता है तथा उनमें और बेहतर करने की क्षमता भी बढ़ती है।

मौके पर विद्यालय की प्राचार्या, शिक्षक, शिक्षिका तथा अनेकों विद्यार्थीगण मौजूद रहे।

पटना, 22 सितंबर (हि.स.)। बिहार में पिछले एक दशक यानी 10 वर्ष के दौरान जमीन, मकान और फ्लैट जैसे संपत्तियों के निबंधन से होने वाला राजस्व दोगुने से अधिक हो गया है। राज्य के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आधिकारिक आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है।

राज्य के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2024-25 तक की अवधि में कुल एक करोड़ 22 लाख 66 हजार दस्तावेजों का निबंधन हुआ, जिससे राज्य सरकार को 49 हजार 606 करोड़ 69 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।

आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 में लगभग 11 लाख दस्तावेजों के निबंधन से 3 हजार 562 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 में 16 लाख 61 हजार दस्तावेजों के निबंधन से 7 हजार 648 करोड़ 88 लाख रुपये की आय हुई है। इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 14 लाख से अधिक दस्तावेजों के निबंधन से 6 हजार 170 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया गया है। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में सितंबर तक 7 लाख 57 हजार दस्तावेज निबंधित हुए हैं, जिससे 3 हजार 418 करोड़ 52 लाख रुपये की आय हो चुकी है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि दस्तावेज निबंधन की संख्या और उससे होने वाली आय में निरंतर वृद्धि हो रही है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से निबंधन प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है। इससे लोग घर बैठे आसानी से ऑनलाइन निबंधन कराने के साथ संबंधित दस्तावेजों को भी डाउनलोड कर सकते हैं।

पटना, 22 सितंबर (हि.स.)। बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से 16 अगस्त से 20 सितंबर 2025 तक चलाए गए महा–अभियान को राज्यवासियों से जबरदस्त समर्थन मिला है। इस अभियान के दौरान कुल 44 लाख 95 लाख 887 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें सर्वाधिक आवेदन जमाबंदी में त्रुटि सुधार के लिए आए हैं।

राजस्व विभाग को प्राप्त आवेदनों में जमाबंदी त्रुटि सुधार के 33,72,694, ऑफलाइन जमाबंदी को ऑनलाइन करने लिए, 5,74,252 (पांच लाख चौहत्तर हजार दो सौ बावन), उत्तराधिकार नामांतरण के लिए 2,97,195 (दो लाख संतानवे हजार एर सौ पंचानवे)और बंटवारा नामांतरण के लिए कुल 2,51,746 (दो लाख इक्यावन हजार सात सौ छिहत्तर) आवेदन शामिल हैं।

जिलावार प्रदर्शन की बात करें तो औरंगाबाद जिले के लोगों ने 3,00,608 आवेदनों के साथ पूरे राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद गोपालगंज (2,24,608), दरभंगा (2,17,799), समस्तीपुर (2,11,416), गया (2,05,372) और पटना (2,00,662) का स्थान आता है। शीर्ष 10 जिलों में इनके अलावा अररिया, सुपौल, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और सिवान भी शामिल हैं। अन्य जिलों में सीतामढ़ी, नालंदा, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, रोहतास, बांका, खगड़िया, जमुई और वैशाली ने भी उल्लेखनीय भागीदारी की है।

इस महा–अभियान के अंतर्गत रैयतों को उनके घर तक जमाबंदी पंजी की प्रति उपलब्ध कराई गई। इस दौरान जमाबंदी में त्रुटि सुधार, ऑफलाइन जमाबंदी को ऑनलाइन करने, उत्तराधिकार एवं बंटवारा नामांतरण के आवेदन लिए गए। अब इन आवेदनों का अंचलस्तर पर ऑनलाइन संधारण किया जा रहा है।

इस बीच विभाग ने निर्देश जारी कर कहा है कि शिविरों में ऑफलाइन लिए गए सभी आवेदनों को 26 सितम्बर तक महा-अभियान पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपलोड कर दिए जाएं। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने प्रमंडलीय आयुक्तों और सभी समाहर्त्ताओं को पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया है कि अंतिम दिनों में भीड़ और तकनीकी समस्या के कारण कई स्थानों पर आवेदन ऑफलाइन लिए गए थे, जिन्हें अब निर्धारित समय सीमा के भीतर ऑनलाइन करना जरूरी है।

यह जिम्मेदारी अंचलाधिकारियों की होगी और कार्य केवल उन्हीं कर्मियों के लॉगिन से किया जाएगा, जिन्हें अंचलाधिकारी ने अधिकृत किया है। आवेदनों के अपलोड होने पर आवेदक को पूर्ववत एसएमएस से सूचना दी जाएगी। विभाग ने 22 से 27 सितंबर 2025 तक शिविरों में प्राप्त प्रपत्रों और आवेदनों के संधारण की जांच का भी निर्णय लिया है।

Chhapra: शारदीय नवरात्र का पावन पर्व आज से आरंभ हो गया है। सुबह से ही पूरे देश में घरों, मंदिरों और पूजा पंडालों में भक्तों ने कलश स्थापना कर मां दुर्गा की आराधना शुरू की। श्रद्धालु व्रत रखकर, मंत्र-जाप और भजन-कीर्तन के साथ भक्ति में लीन नजर आए। वातावरण मां दुर्गा के जयकारों और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि से गूंज उठा।

मां शैलपुत्री की आराधना

नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। इन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री कहा गया है, इसी कारण नाम पड़ा “शैलपुत्री”। माता वृषभ पर सवार होकर एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल पुष्प धारण किए अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। मान्यता है कि मां शैलपुत्री की उपासना से साधक को दृढ़ता, शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर भक्तजन उपवास रखते हैं और दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ विशेष अनुष्ठान कर मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की साधना

नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इन नौ रूपों की साधना कर भक्त अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर कर दिव्यता और शक्ति की प्राप्ति करते हैं।

मंदिरों और पंडालों में रौनक

नवरात्र को लेकर मंदिरों और पूजा पंडालों में विशेष सजावट की गई है। जगह-जगह भव्य पंडाल बनाए गए हैं, जिनमें मां दुर्गा की मनमोहक प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। रोशनी, सजावट और भक्ति गीतों से पूरा माहौल आध्यात्मिक रंग में रंग गया है। श्रद्धालु परिवार सहित पंडालों में पहुंचकर मां के दर्शन कर रहे हैं और भजन-कीर्तन में शामिल हो रहे हैं।

प्रशासन की तैयारियां

त्योहार को लेकर प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क है। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों और बड़े पंडालों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। सफाई और बिजली आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कई जगहों पर महिला सुरक्षा बल और स्वयंसेवक भी तैनात किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

शारदीय नवरात्र न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। मान्यता है कि इसी काल में मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म और सत्य की स्थापना की थी। इसलिए नवरात्र को शक्ति की उपासना का पर्व कहा जाता है। यह पर्व भक्ति, तप और आत्मशुद्धि का अवसर भी है।

आस्था और विश्वास का पर्व

नवरात्र के दिनों में भक्त मां दुर्गा से सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। मान्यता है कि मां की सच्चे मन से की गई उपासना से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पंडालों और मंदिरों में उमड़ी भीड़ यह दर्शाती है कि मां की भक्ति लोगों के हृदय में गहराई तक रची-बसी है।