Chhapra: जिलाधिकारी राजेश मीणा की अध्यक्षता में सारण समाहरणालय सभागार में गणतंत्र दिवस आयोजन परामर्शदात्रि समिति की बैठक आयोजित की गयी।

जिसमें यह निर्णय लिया गया कि सुबह के नौ बजे मुख्य समारोह स्थल राजेन्द्र स्टेडियम में झण्डोतोलन किया जाएगा। कोविड प्रोटोकॉल के कारण आम जनता का प्रवेश निषेध रहेगा। पूरे कार्यक्रम के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की जाएगी।

विशिष्टजनों को ई-कार्ड के जरिए आंमत्रित किया जाएगा।पूर्व वर्षो की भॉति सभी सरकारी कार्यालयो में कोविड प्रोटोकोल का अनुपालन करते हुए ससमय झंडोतोलन किया जाएगा।

जिलाधिकारी के द्वारा समारोह स्थल पर सेनिटाइजेशन की समुचित व्यवस्था रखने का निदेश दिया। स्टेज और पोर्डियम को भी सेनिटाइज करने का निदेश सिविल सर्जन को दिया गया। मुख्य समारोह स्थल की साफ-सफाई सहित शहरी क्षेत्र एवं सभी स्मारक स्थलों के साफ-सफाई करवाने का निर्देेश उप नगर आयुक्त, छपरा नगर निगम को दिया गया।कार्यपालक अभियंता भवन प्रमंडल को मरम्मति रंग-रोगन एवं बैरिकेडिंग करवाने का निदेश दिया गया।

जिलाधिकारी के द्वारा बताया गया कि मुख्य समारोह स्थल के अतिरिक्त सभी प्रमुख कार्यालयों में झंडोतोलन किया जाएगा। महादलित टोलों में पूर्व की तरह ही पदाधिकारीगण के द्वारा झंडातोलन किया जाएगा।

जिलाधिकारी के द्वारा स्पष्ट निदेश दिया गया कि मुख्य समारोह स्थल अथवा अन्य झंडोतोलन स्थलों पर कोविड संक्रमण से बचाव हेतु राज्य सरकार के द्वारा जारी दिशा-निदेश का अनुपालन करते हुए सभी के लिए मास्क एवं सामाजिक दूरी का अनुपालन जरुरी होगा। कोविड संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्कूली बच्चों द्वारा प्रभातफेरी, दिन में सद्भावना मैच तथा संध्या का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नही किये जाएगें।

बैठक में जिलाधिकारी के साथ उप विकास आयुक्त अमित कुमार, अपर समाहर्त्ता डॉ गगन, सदर अनुमंडल पदाधिकारी अरुण  कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक (मु०),जिला कल्याण पदाधिकारी, प्रभारी पदाधिकारी सामान्य शाखा, जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी कन्हैया कुमार सहित जिला स्तरीय पदाधिकारी एवं गणतंत्र दिवस आयोजन परामर्शदात्रि समिति के सभी गणमान्य उपस्थित थे।

जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी
सारण, छपरा।

नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामले एक बार फिर बेहद तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं। शनिवार सुबह तक पिछले 24 घंटों में दो लाख, 68 हजार 833 से ज्यादा कोरोना के नए मरीज मिले हैं। इस दौरान ठीक होने वाले मरीजों की संख्या एक लाख 22 हजार, 684 है और 402 लोगों की मौत हो गई है।

शनिवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या कुल तीन करोड़, 49 लाख, 47 हजार, 390 है। इस दौरान कोरोना से रिकवरी रेट घटकर 94.83 प्रतिशत हो गया है। देश में एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 14 लाख, 17 हजार, 820 हो गई है। रोजाना संक्रमण दर 16.66 प्रतिशत हो गया है।

आईसीएमआर के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 16 लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए। अबतक कुल 70 करोड़ 07 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं।

पटना: सूर्य के उत्तरायण होने और मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त होते ही अब तमाम शुभकार्य शुरू हो गए हैं, शहनाई बजने की तैयारी होने लगी है। लंबे समय से शादी विवाह का इंतजार कर रहे घरों में तैयारी तेज हो गई है।

अभिभावक अपने बच्चों की शादी की तैयारी में जुट गए हैं, पंडित जी से दिन बनवाया जा रहा है, बैंड बाजा, टेंट हाउस एवं हलवाई की बुकिंग तेज हो गई है। हालांकि कोरोना संक्रमण अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है तथा गृह विभाग द्वारा प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। जिसके कारण कम भीड़ जुटाकर नियमों का पालन करते हुए लोग विवाह की तैयारी में जोर-शोर से जुटे हुए हैं। पंडित आशुतोष झा ने बताया कि इस वर्ष 2022 में पंचांग के अनुसार विवाह के 57 दिन शुभ मुहूर्त हैं।

15 जनवरी तक खरमास और पंचश्लाका वेध के कारण विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं था। परंपरा के अनुसार वर-वधु के कुंडली में 36 बिंदुओं पर मिलान के बाद शादी की तिथि तय होती है। शादी विवाह सिर्फ तिथि ही नहीं, नक्षत्र, माह, तिथि, पंचश्लाका वेध, लग्न तथा शुभ ग्रह के हिसाब से तय होता है। मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त हो चुका है, लेकिन तिथि, नक्षत्र और ग्रहों का योग सही नहीं रहने के कारण शहनाई अगले सप्ताह से बजेगी।

उसके बाद शादी शुरू होगी तथा जनवरी में 23, 24, 27 एवं फरवरी में दो, छह, सात, दस एवं 11 को विवाह की शुभ तिथि है। 11 फरवरी के बाद गुरु अस्त दोष रहने के कारण विवाह का मुहूर्त नहीं है। मार्च में गुरुअस्त एवं खरमास दोष के कारण विवाह का कोई मूहूर्त नहीं है। उसके बाद अप्रैल में 17, 20, 21, 22, 24, 25, 27 एवं 28 को, मई में दो, नौ, 11, 12, 13, 18, 20, 22, 25, 26, 27 एवं 30 को, जून में एक, पांच, छह, नौ, 10, 13, 19, 22, 24 एवं 26 को तथा जुलाई में तीन, चार, छह एवं आठ को शादी का शुभ मुहूर्त है।

दस जुलाई को हरिशयनी (देवशयनी) एकादशी के बाद चतुर्मास दोष रहने से विवाह सहित तमाम शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी। चार नवंबर को हरिप्रबोधिनी (देवउठान एकादशी) तथा पांच नवंबर को तुलसी विवाह होने के साथ चतुर्मास समाप्त हो जाएगा। इसके बाद नवंबर में 24, 25, 26, 27 एवं 28 तथा दिसंबर में दो, तीन, चार, सात, आठ, नौ, 13, 14, 15 एवं 16 तारीख को विवाह का शुभ मुहूर्त है।

योगेश कुमार गोयल

15 जनवरी को प्रतिवर्ष भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष हम 15 जनवरी को 74वां सेना दिवस मना रहे हैं। सेना दिवस के अवसर पर पूरा देश थलसेना के अदम्य साहस, जांबाज सैनिकों की वीरता, शौर्य और उसकी शहादत को याद करता है। इस विशेष अवसर पर जवानों के दस्ते और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड के अलावा झांकियां भी निकाली जाती हैं और उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी दी जाती है, जिन्होंने देश और लोगों की सलामती के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।

15 जनवरी को ही यह दिवस मनाए जाने का विशेष कारण यही है कि 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा आज ही के दिन वर्ष 1949 में भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने थे। उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली थी। जनरल फ्रांसिस बुचर भारत के आखिरी ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ थे। 1953 में वे भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए और 94 वर्ष की आयु में 1993 में उनका निधन हुआ। केएम करियप्पा दूसरे ऐसे सेना अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी।

भारतीय थल सेना का गठन ईस्ट इंडिया कम्पनी की सैन्य टुकड़ी के रूप में कोलकाता में 1776 में हुआ था, जो बाद में ब्रिटिश भारतीय सेना बनी और देश की आजादी के बाद इसे ‘भारतीय थल सेना’ नाम दिया गया। भारतीय सेना की 53 छावनियां और 9 आर्मी बेस हैं और चीन तथा अमेरिका के साथ भारतीय सेना दुनिया की तीन सबसे बड़ी सेनाओं में शामिल है। हमारी सेना संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सबसे बड़ी योगदानकर्ताओं में से एक है। यह दुनिया की कुछेक ऐसी सेनाओं में से एक है, जिसने कभी भी अपनी ओर से युद्ध की शुरूआत नहीं की। भारतीय सेना के ध्वज का बैकग्राउंड लाल रंग का है, ऊपर बायीं ओर तिरंगा झंडा, दायीं ओर भारत का राष्ट्रीय चिह्न और तलवार हैं। सेना दिवस के अवसर पर सेना प्रमुख को सलामी दी जाती रही है लेकिन 2020 में पहली बार सेना प्रमुख के स्थान पर देश के प्रथम सीडीएस बने जनरल बिपिन रावत को सलामी दी गई थी।

देश की आजादी के बाद भारतीय सेना पांच बड़े युद्ध लड़ चुकी है, जिनमें चार पाकिस्तान के खिलाफ और एक चीन के साथ लड़ा था। देश की आजादी के बाद 1947-48 में हुए भारत-पाक युद्ध को ‘कश्मीर युद्ध’ नाम से भी जाना जाता है, जिसके बाद कश्मीर का भारत में विलय हुआ था। 1962 में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा धोखे से थाग-ला-रिज पर भारतीय सेना पर हमला बोल दिया गया था। उस जमाने में भातीय सेना के पास स्वचालित और आधुनिक हथियार नहीं होते थे, इसलिए चीन को रणनीतिक बढ़त मिली थी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। 13 दिनों तक चले उस युद्ध के बाद ही पाकिस्तान के टुकड़े कर बांग्लादेश का जन्म हुआ और पाकिस्तानी जनरल नियाजी के साथ 90 हजार पाक सैनिकों ने जांबाज भारतीय सेना के समक्ष हथियार डाल दिए थे। मई से जुलाई 1999 तक चले कारगिल युद्ध में तो भारतीय सेना ने पाकिस्तान को छठी का दूध याद दिला दिया था।

सेना दिवस के महत्वपूर्ण अवसर पर चीन द्वारा वर्तमान में लगातार पेश की जा रही चुनौतियों के दौर में भारतीय सेना की निरंतर बढ़ती ताकत का उल्लेख करना बेहद जरूरी है। भारतीय सैन्य बल में तेरह लाख से अधिक सक्रिय सैनिक, साढ़े ग्यारह लाख से ज्यादा आरक्षित बल तथा बीस लाख अर्धसैनिक बल हैं। भारतीय थलसेना में 4400 से ज्यादा टैंक टी-72, टी-90, अर्जुन एमके-1, अर्जुन एमके-2 इत्यादि टैंक, 5 हजार से ज्यादा तोपें, 290 स्वचालित तोपें, 290 से ज्यादा रॉकेट तोपें तथा 8600 बख्तरबंद वाहन शमिल हैं। पूरी दुनिया आज भारतीय सेना का लोहा मानती है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय थलसेना हर परिस्थिति में चीनी सेना से बेहतर और अनुभवी है, जिसके पास युद्ध का बड़ा अनुभव है, जो कि विश्व में शायद ही किसी अन्य देश के पास हो। भले ही चीन के पास भारत से ज्यादा बड़ी सेना और सैन्य साजो-सामान है लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में दुनिया में किसी के लिए भी इस तथ्य को नजरअंदाज करना संभव नहीं हो सकता कि भारत की सेना को अब धरती पर दुनिया की सबसे खतरनाक सेना माना जाता है और सेना के विभिन्न अंगों के पास ऐसे-ऐसे खतरनाक हथियार हैं, जो चीनी सेना के पास भी नहीं हैं। धरती पर लड़ी जाने वाली लड़ाइयों के लिए भारतीय सेना की गिनती दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में होती है और कहा जाता है कि अगर किसी सेना में अंग्रेज अधिकारी, अमेरिकी हथियार और भारतीय सैनिक हों तो उस सेना को युद्ध के मैदान में हराना असंभव होगा।

जापान के एक आकलन के मुताबिक भारतीय थलसेना चीन के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। इस रिपोर्ट के अनुसार हिन्द महासागर के मध्य में होने के कारण भारत की रणनीतिक स्थिति बेहद महत्वपूर्ण है और दक्षिण एशिया में अब भारत का काफी प्रभाव है। अमेरिकी न्यूज वेबसाइट सीएनएन की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि भारत की ताकत पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ गई है और युद्ध की स्थिति में भारत का पलड़ा भारी रह सकता है। बोस्टन में हार्वर्ड केनेडी स्कूल के बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स तथा वाशिंगटन के एक अमेरिकी सुरक्षा केन्द्र के अध्ययन में कहा जा चुका है कि भारतीय सेना उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में लड़ाई के मामले में माहिर है और चीनी सेना इसके आसपास भी नहीं फटकती।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

– निर्माण स्थल पर पत्रकारों को आज वीडियो और फोटो खींचने की दी गई अनुमति

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का पहला चरण पूरा हो गया है। बताया कि राममंदिर के दूसरे चरण के निर्माण में मिर्जापुर से लाए गए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट के पत्थरों से बनेगी। इसमें पत्थरों के 18 हजार ब्लॉक लगेंगे।

उन्होंने बताया कि यदि फरवरी से प्लिंथ का निर्माण शुरू हो गया तो अगले पांच महीने में प्लिंथ का निर्माण पूरा हो जाएगा। इसके बाद प्लिंथ के ऊपर गर्भगृह आकार लेना शुरू करेगा। बताया कि दिसंबर 2023 तक गर्भगृह में रामलला को विराजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

ट्रस्ट महासचिव राय ने बताया कि अयोध्या नेवाली राम भक्तों के लिए हमारी योजना है कि राममंदिर निर्माण की पूरी जानकारी मिल सके। इसी के तहत शहर के एलईडी स्क्रीनों पर प्रसारण की योजना है। राममंदिर निर्माण की प्रगति का एक वीडियो प्रसारित करने की योजना है। अयोध्या आने वाला हर श्रद्धालु राममंदिर निर्माण की तकनीक व भव्यता से परिचित हो सकेगा।

शुक्रवार को मकर संक्रांति के अवसर पर सायंकाल रामकोट स्थित रंगमहल बैरियर पर पूर्व सूचना के तहत भारी संख्या में पत्रकार एकत्र हुये। ट्रस्ट महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा, मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के साथ उपस्थित सभी पत्रकारों ने श्रीराम जन्मभूमि में हो रहे निर्माण कार्य की फ़ोटो और वीडियो कैद किया।

युगाब्ध-5123, विक्रम संवत 2078, राष्ट्रीय शक संवत-1943
सूर्योदय 06.57, सूर्यास्त 05.45, ऋतु – शीत

पौष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी, शनिवार, 15 जनवरी 2022 का दिन आपके लिए कैसा रहेगा। आज आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन हो सकता है, आज आपके सितारे क्या कहते हैं, यह जानने के लिए पढ़ें आज का भविष्यफल।

मेष राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार अच्छा चलेगा, लेकिन कार्यभार की अधिकता से तनाव भी बढ़ेगी। कठिन परिश्रम से कार्यों में सफलता मिलेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। क्रोध पर नियंत्रण और वाणी पर संयम रखें, अन्यथा वाद-विवाद में फंस सकते हैं। परिवार में कलह हो सकती है। निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। परिजनों और मित्रों को पूरा सहयोग मिलेगा। परिजनों के साथ किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं। स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है।

वृषभ राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कारोबार अच्छा रहेगा, लेकिन अनावश्यक खर्च भी बढ़ेंगे, जिससे आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। स्वभाव में कठोरता और रुखेपन पर नियंत्रण रखने की जरूरत है, अन्यथा पूरा दिन खराब हो सकता है। बेवजह लोगों से विवाद होने की संभावना रहेगी। यात्रा लाभकारी साबित हो सकती है। काम के प्रति जिम्मेदारी को समझें और रुके हुए अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाएं। रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

मिथुन राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी, जिससे समाज में मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार और नौकरी में सहयोगियों का पूरा सहयोग मिलेगा। कठिन परिश्रम से सभी कार्य सफल होंगे। अनावश्यक खर्च की अधिकता रहेगी। विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई में मन लगाना मुश्किल होगा। कार्यभार बढऩे से मानसिक और शारीरिक रूप से थकान का अनुभव करेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यात्रा पर जाने से बचें।

कर्क राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार में उतार-चढ़ाव रहेगा और व्यर्थ के कामों में अधिक समय खराब हो सकता है। बुजुर्गों की सलाह लेकर काम करेंगे, तो सफलता के साथ ज्यादा लाभ के अवसर मिलेंगे। प्रलोभन के चक्कर में न पड़ें तो बेहतर रहेगा। सहकर्मियों का पूरा सहयोग नहीं मिल पाएगा, जिससे कार्यक्षेत्र में निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परिजनों के साथ कहीं घूमने जाने की योजना बनाते हैं तो अच्छा होगा। लेन-देन से बचना होगा। परिवार में शांति का माहौल रहेगा।

सिंह राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। कारोबार में अच्छा लाभ मिलने की संभावना है। कठिन परिश्रम से अच्छे व अनुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें, अन्यथा व्यवसाय में नुकसान हो सकता है और नौकरी में अधिकारियों की डांट खानी पड़ सकती है। कार्य स्थल पर सहकर्मियों का पूरा सहयोग मिलेगा। विद्यार्थियों के लिए समय अच्छा है। परिवार में खुशनुमा माहौल रहेगा। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

कन्या राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। कार्यक्षेत्र में परिश्रम से धनलाभ के अवसर सुलभ होंगे। मन में उत्साह और शरीर में नई ऊर्जा का अनुभव करेंगे। अनैतिक रूप से धन कमाने के प्रयास लाभ तो देंगे, लेकिन बाद में समस्या खड़ी कर सकते हैं। नौकरी वाले लोग अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें। व्यापार-धंधा अच्छा चलेगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। परिवार के साथ भी अच्छा समय व्यतीत होगा। महमानों का आगमन होगा। खान-पान का ध्यान रखें, यात्रा को टालें।

तुला राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कार्य-व्यवसाय में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे मन बेचैन रहेगा और किसी कार्य को करने में मन नहीं लगेगा। धन की आमद सामान्य रहेगी। कारोबार में जोखिम लेने से बचना होगा, अन्यथा बड़ा नुकसान हो सकता है। सहकर्मी सामने से हितैषी बनेंगे, लेकिन पीछे से गड़बड़ कर सकते है। परिवार के साथ सम्बन्ध अच्छा रहेगा। बाहर घूमने जाने का अवसर मिल सकता है। अनावश्यक नोक-झोंक से दूर रहें।

वृश्चिक राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। आय-व्यय में संतुलन बना रहेगा। कार्यक्षेत्र में मंदी का सामना करना पड़ सकता है। नए कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं। नए लोगों से सम्पर्क बढ़ेगा। जमीन-जायदाद संबंधी मामले निपटेंगे। परिवार के सदस्यों को पूरा सहयोग मिलेगा। व्यापारी धन की उगाही को लेकर चिंतित रहेंगे। क्रोध पर नियंत्रण रखने से बेवजह के विवाद से बच सकते हैं। परिवार में कलह होने की संभावना रहेगी। खान-पान पर नियंत्रण रखें।

धनु राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। परिश्रम से सभी कामों में सफलता मिलेगी और बिगड़े हुए काम बन सकते हैं। कारोबार में आर्थिक लाभ और नौकरी में तरक्की के योग रहेंगे, लेकिन खर्च की अधिकता से चिंता बढ़ जाएगी। विपरीत लिंगीय से बातचीत करते समय सावधान रहें। गलत शब्दों का प्रयोग परेशानी में डाल सकता है। सामाजिक कार्यों में रुचि बनी रहेगी। स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। वाद-विवाद में न पड़ें।

मकर राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। मेहनत के बेहतर परिणाम सामने आएंगे। शरीर में नया जोश और उत्साह देखने को मिलेगा और सभी कार्य आसानी से पूरा करेंगे। रुके हुए काम भी पूरे हो सकते हैं। प्रॉपर्टी में निवेश फायदेमंद रहेगा। नौकरी में तरक्की के अवसर मिलेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त होगी। दैनिक कार्यों से समय निकालकर पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में शामिल हो सकते हैं, जिससे समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।

कुम्भ राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कठिन परिश्रम के बावजूद कार्यों में आशानुरूप सफलता नहीं मिलेगी, जिससे मन उदास रह सकता है। स्वास्थ्य एवं अन्य घरेलू समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। नौकरी अथवा व्यवसाय में भी सफलता के अवसर तो मिलेंगे, लेकिन कार्यभार की अधिकता से ऐसे मौके हाथ से निकल सकते हैं। परिजनों का पूरा सहयोग मिलेगा। दोस्तों के साथ मनमुटाव हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यात्रा पर जाने से बचें।

मीन राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। कारोबार में मुनाफा रहेगा। आकस्मिक धनलाभ के योग रहेंगे। कार्यभार की अधिकता रहेगी और मेहनत का प्रतिफल भी प्राप्त होगा। जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने बचें, वरना मौका हाथ से निकल सकता है। शेयर बाजार और प्रॉपर्टी में निवेश से अच्छा लाभ मिल सकता है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। बुजुर्गों कि सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होगा। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा, परिजनों के साथ पिकनिक पर जा सकते हैं।

Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय अतिथि शिक्षक संघ की एक बैठक गंगा सिंह महाविद्यालय परिसर में डॉ धर्मेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई।

इस बैठक में अतिथि शिक्षकों से संबंधित विभिन्न समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया । इस बैठक में कुछ महाविद्यालयों के प्राचार्य के द्वारा अतिथि शिक्षकों को जानबूझकर परेशान करने का विषय प्रमुख मुद्दा रहा। जगलाल चौधरी महाविद्यालय के निवर्तमान प्राचार्य के द्वारा एक साजिश के तहत कुछ अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का कुत्सित प्रयास किया गया जिसका अतिथि शिक्षकों ने पुरजोर विरोध करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष न्याय के लिए गुहार लगाए थे तथा समस्याओं के समाधान सप्ताह में नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी.

विश्वविद्यालय प्रशासन के न्याय प्रिय एवं कुशल कुलपति एवं कुलसचिव ने उचित निर्णय लेते हुए वंचित अतिथि शिक्षकों की सेवा नवीनीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। इसके लिए कुलपति एवं कुलसचिव धन्यवाद के पात्र हैं. इस कार्य हेतु विश्वविद्यालय अतिथि शिक्षक संघ कुलपति एवं कुलसचिव को कोटिशः धन्यवाद प्रेषित करते हैं तथा भविष्य में ऐसे ही विश्वविद्यालय के कार्य प्रणाली के लिए अपेक्षा रखते हैं जिसके कारण किसी भी अतिथि शिक्षक का शोषण ना हो.

इस बैठक में मुख्य तौर पर डॉ सूर्यदेव राम, डॉ अनिल कुमार, डॉ जितेंद्र कुमार राम, राकेश कुमार राम, डॉक्टर सुभाष कुमार दास, डॉ. इंद्रकांत डॉक्टर सरोज कुमार सिंह ,डॉ हरी मोहन कुमार डॉक्टर विभूति सिंह, डॉ रिजवान अहमद, डॉ मनोज कुमार पांडे, डॉ राजेश कुमार राहुल कुमार, डॉ नीतू सिंह, डॉक्टर मनीष कुमार सिंह, डॉक्टर अमित कुमार यादव, डॉक्टर रमन कुमार, डॉ विवेक कुमार, डॉ आशीष कुमार सिंह, सुश्री सुनीता कुमारी, नेहा कुमारी इत्यादि उपस्थित थे तथा अपने विचार रखे.

Chhapra: छपरा विधिमंडल चुनाव की मतगणना शुक्रवार को सम्पन्न हुई. चुनाव में अध्यक्ष पद पर तारकेश्वर सिंह और महामंत्री पद पर अमरेंद्र कुमार सिंह विजयी घोषित किये गए. वहीं मनोज कुमार सिंह 2 कोषाध्यक्ष चुने गए.

अध्यक्ष पर तारकेश्वर सिंह को 490 मत मिलें वही उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रविरंजन सिंह को 441 मत मिले. वहीं महासचिव पद पर अमरेंद्र कुमार सिंह को 682 मत मिले. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी शशिभूषण त्रिपाठी को 328 मत मिले.

चुनाव में कुल 1808 मतदाताओं में से 1571 मतदाताओं ने मतदान किया था. जिसके बाद से सभी प्रत्याशी विभिन्न समीकरणों के माध्यम से अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे थे.

बेगूसराय: आजादी के बाद देश में स्थापित होने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का पहला और बिहार का एकलौता रिफाइनरी आइओसीएल बरौनी 57 साल का हो गया।

देश प्रथम के लक्ष्य पर काम करने वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की बरौनी रिफाइनरी बिहार और आसपास के राज्यों के साथ नेपाल में पेट्रोलियम जरूरतों को पूरा कर रही है। इसके साथ ही मेक इन इंडिया पहल को भी तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिफाइनरी विस्तार परियोजना के तहत कच्चे तेल की संसाधन क्षमता को छह से बढ़ाकर नौ मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष करने का शिलान्यास किया है। यह विशाल परियोजना मौजूदा रिफाइनरी परिसर में नई यूनिटों की स्थापना, यूनिटों के पुनरुद्धार, ऑफसाइट सुविधाओं में सुधार आदि द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। इसके साथ ही विश्वस्तरीय पॉलिप्रोपिलीन यूनिट भी कमीशन होगी, जिससे डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक उद्योगों का मार्ग प्रशस्त होगा।

बरौनी रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल की स्थापना से बिहार में प्लास्टिक उद्योगों में बड़ी क्रांति आएगी, स्वरोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे। रिफाइनरी के ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा और यह कच्चे तेल के आयात को कम करने में भी मददगार होगा। परियोजना का कई यूनिट इंडियन ऑयल के आरएंडडी केंद्र द्वारा मेक इन इंडिया के तहत स्वदेश में ही विकसित किया गया है। वहीं, स्वदेशी तकनीक से इंडजेट यूनिट से जेट ईंधन (एटीएफ या विमान टर्बाइन इंधन) उत्पादन के लिए यूनिट स्थापित किया गया है तथा जल्द ही हवाई ईंधन का उत्पादन शुरू हो जाएगा तथा बिहार एवं आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन की आवश्यकता पूरी होगी।

उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी 1965 को तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रो. हुमायूं कबीर द्वारा एक मिलियन मैट्रिक टन शोधन क्षमता के बरौनी रिफाइनरी का उद्घाटन किया गया था। 1969 में इसकी क्षमता एक से बढ़ाकर तीन एमएमटीपीए कर दिया गया। इसके बाद 1999 में रिफाइनरी की क्षमता का नवीकरण कर तीन से छह एमएमटीपीए किया गया था। अब नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा इसकी क्षमता छह से बढ़ाकर नौ एमएमटीपीए कर रही है तथा 2024 तक यह क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है।

बरौनी रिफाइनरी को 1965 में असम के कम सल्फर कच्चे तेल (स्वीट क्रूड) को संसाधित करने के लिए डिजाइन किया गया था। पूर्वोत्तर में अन्य रिफाइनरियों की स्थापना के बाद असम में कच्चे तेल की उपलब्धता कम हो रही थी। इसलिए स्वीट क्रूड अफ्रीका, नाइजीरिया और मलेशिया से मंगाया जा रहा था। वर्तमान में रिफाइनरी को हल्दिया के माध्यम से पूर्वी तट पर स्थित पारादीप से पाइपलाइन द्वारा कच्चा तेल प्राप्त होता है। बरौनी रिफाइनरी में विभिन्न सुधारों और विस्तार परियोजनाओं के साथ उच्च सल्फर क्रूड को संसाधित करने की क्षमता को जोड़ा गया है। जो सऊदी अरब और इराक जैसे मध्य पूर्व के देशों से आयातित होता है।

उच्च सल्फर कच्चा तेल, कम सल्फर कच्चे तेल से सस्ता होता है। बरौनी रिफाइनरी मुख्य रूप से डीजल उत्पादक रिफाइनरी है, इसका 54 प्रतिशत से अधिक उत्पाद मिश्रण एचएसडी के रूप में है। अन्य उत्पादों में केरोसिन, पेट्रोल, एलपीजी, नेप्था, कच्चा पेट्रोलियम कोक, फर्नेस ऑयल, कार्बन ब्लैक फीड स्टॉक, सल्फर और कोलतार है। जो कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मांग पूरा करती है। नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन भी बरौनी रिफाइनरी से एलपीजी समेत अन्य ईंधन आयात करता है।

आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए सदा समर्पित इंडियन ऑयल के लिए हमेशा पहले देश है, फिर व्यापार। आज इंडियन ऑयल केवल ईंधन ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ऊर्जा समाधान के साथ देश के सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इंडियन ऑयल लगातार वैकल्पिक ऊर्जा समाधानों के माध्यम से सतत विकास के लिए अपनी सीमाओं का विस्तार कर रहा है। जिसमें सीएनजी, सीबीजी, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल, बायोडीजल, ऑटोगैस और हाइड्रोजन ऊर्जा शामिल है।

मकर संक्रांति (14 जनवरी) पर विशेष
योगेश कुमार गोयल

मूलतः सूर्य उपासना का अति प्राचीन पर्व मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 14 जनवरी को पूरे उल्लास के साथ सम्पूर्ण भारत सहित कई अन्य देशों में भी किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से वसंत ऋतु की शुरूआत होती है, खरीफ की फसलें कट चुकी होती हैं और खेतों में रबी की फसलें लहलहा रही होती हैं, खेत में सरसों के फूल मनमोहक लगते हैं। इसीलिए यह पर्व सम्पूर्ण भारत में फसलों के आगमन की खुशी के रूप में भी मनाया जाता है।

मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को ही मनाए जाने के पीछे सूर्य की भूमिका का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इसी दिन सूर्य देवता इन्द्रधनुषी रंग से मेल खाते अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर मकर राशि में प्रवेश करते हुए अपनी उत्तर दिशा की यात्रा आरंभ करते हैं, जो हमारे जीवन को उजाले से भरने तथा अंधकार से छुटकारे का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भुलाकर उनके घर गए थे। कहा जाता है कि महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए मकर संक्रांति के ही दिन तर्पण किया था। मकर संक्रांति के दिन सूर्य की कक्षा में होने वाले परिवर्तन यानी सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में आने को अंधकार से प्रकाश की ओर परिवर्तन माना जाता है। सूर्य प्रायः 14 जनवरी को ही मकर राशि में प्रवेश करता है, इसीलिए उसी दिन मनाए जाने वाले पर्व को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है।

यह हिन्दू पर्व भारत के अलग-अलग राज्यों में भी अलग-अलग तरीकों और नामों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे लोहड़ी, खिचड़ी पर्व, पतंगोत्सव इत्यादि नामों से जाना जाता है जबकि मध्य भारत में इसे संक्रांति कहा जाता है। दक्षिण भारत में यह त्यौहार ‘पोंगल’ उत्सव के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी, पौष संक्रांति, भोगाली बिहू, शिशुर सेंक्रांत आदि नामों से भी जाना जाता है। नेपाल में इसे माघे संक्रांति या माघी संक्रांति व खिचड़ी संक्रांति, श्रीलंका में पोंगल या उझवर तिरूनल, बांग्लादेश में पौष संक्रांति, थाईलैंड में सोंगकरन, म्यांमार में थिंयान, कम्बोडिया में मोहा संगक्रान तथा लाओस में पि मा लाओ नाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति से ही दिन तिल-तिल करके बढ़ता है अर्थात् इस दिन से दिन की अवधि रात के समय से अधिक होने लगती है यानी दिन लंबे होने लगते हैं, जिससे खेतों में बोए हुए बीजों को अधिक रोशनी, अधिक उष्मा और अधिक ऊर्जा मिलती है, जिसका परिणाम अच्छी फसल के रूप में सामने आता है। इसलिए इस अवसर का खासतौर से किसानों के लिए तो बड़ा महत्व है।

मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द जहां मकर राशि को इंगित करता है, वहीं ‘संक्रांति’ शब्द का अर्थ है संक्रमण अर्थात प्रवेश करना। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को ही संक्रांति कहा जाता है। सूर्य हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है अर्थात् एक-एक करके वर्षभर में कुल 12 राशियों में प्रवेश करता है। सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे ‘संक्रांति’ कहा जाता है। पृथ्वी की गोलाकार आकृति और अक्ष पर भ्रमण की वजह से दिन और रात होते हैं। जब पृथ्वी का कोई भाग सूर्य के सामने आता है, उस समय वहां दिन होता है जबकि पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने नहीं होता, वहां रात होती है। यह पृथ्वी की दैनिक गति कहलाती है। पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 12 महीने में पूरी करती है, जिसे पृथ्वी की वार्षिक गति कहा जाता है। इस वार्षिक गति के आधार पर ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग समय पर अलग-अलग ऋतुएं होती हैं।

हिन्दू शास्त्रों में मकर संक्रांति को पुण्यदायी पर्व माना गया है। इस दिन श्राद्धकर्म तथा तीर्थ स्नान करना फलदायी माना गया है। इस दिन लाखों श्रद्धालु विभिन्न तीर्थ स्थलों पर पवित्र स्नान करते हैं और तिल से बने पदार्थों का दान करते हैं। गंगासागर पर तो इस अवसर पर तीर्थस्नान के लिए लाखों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है, जो इस पर्व की महत्ता को परिलक्षित करता है। मान्यता है कि इस दिन देशभर के किसी भी पवित्र तीर्थ, संगम स्थल या गंगा अथवा यमुना के तट पर स्नान करने से आध्यात्मिक, शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक ऊर्जा मिलती है। कहा जाता है कि इसी दिन स्वर्ग का द्वार भी खुलता है और इस विशेष दिन को सुख-समृद्धि का दिन माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, पूजा इत्यादि करने से पुण्य प्रभाव हजारों गुना बढ़ जाता है। मकर संक्रांति पर्व ‘पतंग महोत्सव’ के रूप में भी मनाया जाता है। दरअसल इस दिन लोग न केवल अपने घर की छतों पर या खुले मैदानों में पतंग उड़ाते हैं बल्कि देश के कई हिस्सों में पतंग उडाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। चूंकि कड़ाके की ठंड के इस मौसम में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक, स्फूर्तिदायक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यधिक लाभदायक माना जाता है, इसीलिए मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने के पीछे कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना मुख्य कारण माना जाता है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

हजार चौरासी की मांः पद्मश्री, ज्ञानपीठ, पद्म विभूषण, बंग विभूषण सहित कई दूसरे सम्मानों से प्रतिष्ठित लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था। उनके पिता मनीष घटक और मां धारीत्री देवी नामचीन लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। ढाका से शुरुआती पढ़ाई के बाद महाश्वेता देवी ने विश्वभारती विवि, शांति निकेतन से अंग्रेजी में स्नातक और कोलकाता विवि से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने शिक्षक और पत्रकार के रूप में जीवन शुरू किया।

लेखन का विस्तृत फलक छूने वाली महाश्वेता देवी का लेखन कठिन मानव संघर्षों की बेमिसाल दास्तां है। वे उन चंद लेखकों में थीं जो अपने उपन्यासों की भाव भूमि तैयार करने के लिए सुदूर जंगलों और बस्तियों में महीनों रहकर आदिवासियों और गरीबों की मशक्कत भरी जिंदगी और उनके संघर्षों को करीब से महसूस किया। उनकी पहली गद्य रचना ‘झांसी की रानी’ 1956 में प्रकाशित हुई। इसे लिखने के लिए 1857-58 में जिन-जिन इलाकों में क्रांति की लहरें उठी थीं, वहां का दौरा किया। जिसमें झांसी, ग्वालियर, कालपी, सागर, जबलपुर, पुणे, इंदौर, ललितपुर के जंगल शामिल थे।

ऐसा ही उन्होंने बिरसा मुंडा की गाथा लिखते हुए ‘अरण्येर अधिकार’, ‘अग्निगर्भ’, ‘मातृछवि’ , ‘नटी’, ‘1084 की मां’ जैसी दूसरी कृतियों को लिखते हुए भी किया। जिसकी वजह से उनकी कृतियां जीवंत हो उठीं। उनके उपन्यासों पर कुछ फिल्में भी बनीं जिसमें ‘रुदाली’, ‘हजार चौरासी की मां’ शामिल हैं।

उन्हें 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1986 में पद्मश्री, 1997 में ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। ज्ञानपीठ सम्मान उन्हें नेल्सन मंडेला के हाथों प्रदान किया गया। जिसमें मिली पांच लाख की राशि महाश्वेता देवी ने बंगाल के पुरुलिया आदिवासी समिति को दे दी। 28 जुलाई 2016 को कोलकाता में उनका निधन हो गया।

अन्य अहम घटनाएंः

1742ः सुप्रसिद्ध खगोल शास्त्री एडमंड हैली का निधन।

1919ः शायर और गीतकार कैफी आजमी का जन्म।

1977ः भारत के इकलौते फार्मूला वन चालक नारायण कार्तिकेयन का जन्म।

2017ः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला का निधन।

Chhapra: राज्य सरकार के निर्देश पर सूबे के नियोजित शिक्षकों के वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी विभागीय कार्यशैली के कारण उलझी हुई है. राज्य सरकार ने 15 प्रतिशत वेतन निर्धारण को लेकर सॉफ्टवेयर का निर्माण किया है जिसपर जिले के 20 प्रखंडों से प्राप्त शिक्षकों का डेटा अपलोड किया गया है लेकिन इस अपडेशन के दौरान हजारों शिक्षकों के डेटा में गड़बड़ी है. शिक्षक अपने वेतन पुनर्निर्धारण में हुई गलतियों को सुधार करने के लिए प्रखंड से लेकर जिला कार्यालय तक पहुंच रहे है इसके बावजूद भी इसमें सुधार नही हो पा रहा है.

जिले के 20 प्रखंडों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों के वेतन निर्धारण में हुई गलतियों में सुधार करने और छुटे हुए शिक्षकों के साथ 48 घंटे के अंदर गलतियों का सुधार कर जमा करने का निर्देश प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और लेखपाल को डीपीओ स्थापना ने पत्र दिया था, लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. जिले के हजारों शिक्षकों के वेतन निर्धारण में जन्मतिथि, आधार संख्या, ट्रेनिंग तिथि और वेतन में गलतियां है जिसके सुधार के लिए शिक्षकों द्वारा बीइओ कार्यालय में आवदेन दिया गया है.

उधर गुरुवार को निदेशक माध्यमिक शिक्षा मनोज कुमार ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और स्थापना डीपीओ को पत्र निर्गत करते हुए 14 जनवरी तक अंतिम रूप से इस कार्य को करने का निर्देश दिया है.

बताते चले कि राज्य सरकार की घोषणा के पश्चात नियोजित शिक्षकों के वेतन में 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि कर इसे जनवरी 2022 से देने का निर्देश दिया था. इसी के तहत शिक्षकों के वेतन निर्धारण के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है जहां शिक्षकों का डेटा अपलोड करना है जिसके बाद वेतन का निर्धारण किया जाना है.

सॉफ्टवेयर में देरी के कारण प्रक्रिया में विलंब हुआ है. वही डेटा अपलोड में भी कई तरह की गलतियां सामने आई है. जिसके कारण शिक्षकों के बढ़े हुए वेतन के अनुरूप जनवरी 2022 के वेतन भुगतान करने में परेशानी होगी. ऐसे में समय रहते राज्य सरकार के निर्देश पर पदाधिकारियों को सक्रिय किया जा रहा है. जिससे कि जनवरी में ही शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन दिया जा सकें.