Chhapra: नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) सारण इकाई ने Lockdown की इस अवधि में विशेष पहल करते हुए पत्रकारों को टी-शर्ट उपलब्ध कराया है. इस टी-शर्ट को पहन कर पत्रकार Lockdown की अवधि में प्रशासन को सहयोग करते हुए समाचारों का संकलन कर रहे हैं. जिससे पत्रकारों की एक अलग पहचान बनी है, साथ ही साथ इस कार्य से जिला प्रशासन को भी सहयोग मिला है.

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) सारण जिला इकाई के महासचिव राकेश कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस से पूरा देश आक्रांत है. सरकार ने लॉक डाउन किया है जिसका पालन करना सभी देशवासियों का कर्तव्य है. ऐसे में पत्रकार संगठन एनयूजे(आई) ने Lockdown के समय अपनी अलग पहचान स्थापित कर समाचार संकलन का कार्य कर रही है. जिससे कि इस अवधि में पत्रकार को बेवजह कठिनाई ना हो और प्रशासन को पत्रकार का सहयोग मिल सकें. संगठन ने जिले के सभी सदस्यों को एक टीशर्ट उपलब्ध कराया है. जो एक खास रंग का है. टी शर्ट पर NUJ(I) का प्रतीक चिन्ह छपा हुआ है.

श्री सिंह ने बताया कि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि विधि व्यवस्था के दौरान सड़को पर प्रेस लिखी गाड़ियां दौड़ती रहती है. जिससे प्रशासन को असहयोग होता है और सख़्ती में कुछ दुर्व्यवहार की घटना घट जाती है.

प्रशासन और प्रेस एक दूसरे के पूरक है. ऐसे में यह टीशर्ट पत्रकारों की एक पहचान है. जो पत्रकार संगठन के सदस्य है उन्हें यह टीशर्ट मुहैया करा दिया गया है. इसकी सूचना जिला प्रशासन को भी दी गयी है. हालांकि इसके बावजूद भी कई ऐसे पत्रकार है जो संगठन के सदस्य नही है. उन्हें भी प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा है.

वही अध्यक्ष ठाकुर संग्राम सिंह ने बताया कि संगठन के करीब 120 सदस्य पूरे जिले में मौजूद है. बीस प्रखंड में लगभग सभी अख़बार और इलेक्ट्रॉनिक चैनल के पत्रकार NUJ(I) सारण के सदस्य है, जिन्हें यह टीशर्ट उपलब्ध कराया गया है.

उन्होंने सभी से आग्रह किया कि कर्तव्य निर्वहन के साथ साथ शारीरिक सुरक्षा जरूरी है. इसलिए प्रशासनिक निर्देशो का पालन करते हुए लॉक डाउन का पूर्ण पालन किया जाए. ज्यादा जरूरी पड़ने पर ही घर से बाहर निकला जाए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि घर में बंद होने पर ऐसी खबरों से बचें जो आपको परेशान कर सकती हैं और इनमें कोरोना से जुड़ी खबरें भी शामिल हैं.

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनिया लगभग बंद सी हो गई है. स्कूल, दफ्तर, मॉल और सिनेमाघर बंद पड़ें है और लोग घरों में सिमटे हुए हैं. ऐसे में बोरियत होना स्वाभाविक है. लेकिन लंबे समय तक घर पर बंद होने का असर बोरियत से आगे बढ़कर मानसिक परेशानियों में भी बदलने लगा है. दुनिया भर में, एक बड़ी संख्या में लोग एंग्जायटी (घबराहट) और बाकी मानसिक तकलीफों की शिकायत करने लगे हैं.

इसे भी पढ़ें:  छपरा का 6 वर्षीय बच्चा Online Charity कर जुटा रहा राहत कोष के लिए धन, अबतक जुटाए 9 हजार रुपये

तनाव से बचने का एक तरीका स्थितियों को स्वीकार कर लेना भी है. हो सकता है कि कोरोना वायरस से पैदा हुई इस आपात स्थिति में कुछ लोग मानसिक या शारीरिक परेशानियों के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हों. ऐसे में केवल यह याद रखे जाने की जरूरत है कि जान है तो जहान है. हो सकता है, कुछ लोगों को यह समाधान स्थितियों का अति-सरलीकरण लगे लेकिन फिलहाल कोई और विकल्प मौजूद नहीं है. अगर आर्थिक नुकसान नहीं है और केवल डर या बेचैनी है तो यह मान लेने में कोई बुराई नहीं कि आपको डर लग रहा है. मनोविज्ञान कहता है कि ऐसा करते ही दिमाग डर की बजाय डर के कारण और उससे निपटने के तरीकों पर केंद्रित हो जाता है. एक बार तनाव के कारणों को पहचान लेने के बाद इससे बाहर आने के लिए, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलेक्सेशन और ध्यान जैसे तरीके ऑनलाइन सीखे जा सकते हैं.

इस मामले में उन लोगों को खास तौर पर ध्यान देने की ज़रूरत है जिनके घरों में बच्चे हैं. माता-पिता के लगातार परेशान होने का असर बच्चों पर बहुत जल्दी और बुरा पड़ता है. ऐसी परिस्थिति में बच्चों के साथ भी कोरोना वायरस के बारे में बात किए जाने की ज़रूरत है ताकि उन्हें पता चल सके कि घर और बाहर का माहौल क्यों बदला हुआ है. साथ ही, उन्हें यह बताना भी ज़रूरी है कि बहुत सी बातें आपके यानी माता-पिता के नियंत्रण में भी नहीं होता है़.

इसे भी पढ़ें: छपरा सदर अस्पताल में उपलब्ध हुआ कोरोना टेस्ट किट, लोगों को नहीं जाना होगा पटना

अच्छी नींद, पोषक भोजन, साफ वातावरण, व्यायाम और लोगों से मेल-जोल इंसान की मूलभूत ज़रूरतें हैं, इसलिए इसके विकल्प तलाशे जाने की ज़रूरत है. उदारहरण के लिए अपने घर वालों या दोस्तों से लगातार फोन पर संपर्क रखना या वीडियो चैट करना, दोनों तरफ के लोगों को सामान्य बने रहने में मदद करेगा. इसके अलावा भूले-बिसरे दोस्तों या कभी न मिलने वाले रिश्तेदारों को फोन कर उनके हाल-चाल जाने जा सकते हैं. कुछ जानकार खाना खुद बनाने से लेकर घर की सफाई करने या बाकी घरेलू काम निपटाने के विकल्प का भी इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. चूंकि ये काम सातों दिन चलते हैं इसलिए इनके साथ खुद को रोज व्यस्त रखना आसान है. इसके अलावा, वे लोग जो हमेशा समय की कमी के चलते स्वास्थ्य पर ध्यान न दे पाने की बात कहते हैं, कम से कम इन दिनों में एक्सरसाइज, योग, प्राणायाम आदि को अपना सकते हैं. यह स्वस्थ रखने के साथ-साथ तनाव कम करने में भी सहायक होगा।

यह लेखक के निजी विचार है

लेखक डॉ जीतेन्द्र कुमार सिंह एच आर कॉलेज, अमनौर, सारण में मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर है. 

Chhapra/Nagra: ओपी थाना के समीप सारण एसपी हर किशोर राय ने Lockdown का उल्लंघन कर रहे तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. उक्त व्यक्ति कन्हैया साह, विकाश साह व जितेन्द्र कुमार बताये जाते है.

ओपी प्रभारी ने बताया कि सोमवार की देर शाम लगभग आठ बजे पुलिस अधीक्षक नगरा आए थे. तभी दुकान खुले देख कर तीनों को गिरफ्तार करसौंप दिया. इस संबंध में प्रभारी जलेश्वर सिंह ने बताया कि Lockdown में धारा 144 के तोड़ने को लेकर कार्रवाई किया गया है.

Chhapra: Lockdown में मंगलवार को शहर में अजीबोगरीब नजारा दिखा. छपरा के विधायक डॉ सी एन गुप्ता के आवास पर सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए. महिला और पुरुष सभी कतारबद्ध होकर खड़े थे. Lockdown में Social Distancing मेंटेनेंस तो दूर की बात थी लोग अपनी सुरक्षा को दरकिनार करते हुए बिना मास्क और गमछा मुँह पर लगाये लाइन में खड़े थे. Lockdown में इतने लोगों के एक साथ पुलिस विधायक आवास पर खड़े देख भी भौचक थी. हालांकि पुलिस ने त्वरित करवाई करते हुए विधायक आवास पर लगी भीड़ को हटाया. इसके लिए उसे बल का प्रयोग करना पड़ा. कुछ देर बाद आवास पर स्थिति सामान्य हुई.

दरअसल लोगों को यह मालूम चला था कि विधायक आवास पर डॉ सी एन गुप्ता द्वारा खाद्य सामग्री का वितरण किया जाना है. लोग इसकी पड़ताल करते विधायक आवास पहुंच गए. लोगों की भीड़ देख और लोग भी कतारबद्ध हो गए. इसबीच Lockdown और प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खुल गयी. करीब 500 से अधिक लोग बिना Social Distancing मेंटेनेंस के खड़े थे.

वही इस घटनाक्रम पर विधायक डॉ सीएन गुप्ता ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी ने ऐसा अफवाह उड़ा दिया था कि मेरे आवास पर राशन बांटा जा रहा है. जिसके बाद अचानक महिला-पुरुषों की भीड़ मेरे घर के बाहर एकत्र हो गयी. कुछ लोग मेरे आवास पर ऐसी शिकायत लेकर आए थे कि डीलर राशन नहीं दे रहा है या फिर मेरा कार्ड नहीं है. जिन्हे समझाया गया कि अधिकारियों से बात करके समस्या दूर की जाएगी.

उन्होंने कहा कि आमजन मानस भ्रम में नहीं पड़े. किसी को भी राशन वितरण सम्बंधित शिकायत या भोजन की कमी हो तो वो सीधे मेरे नंबर पर बात करें. परेशानी को प्रशासन की मदद से दूर करने का प्रयास किया जाएगा.

नगरा: प्रखंड क्षेत्र के कादीपुर गांव निवासी कोरोना वायरस से बचाव के लिए Lockdown का पालन करते हुए छपरा-मशरक मुख्य पथ स्थित कादीपुर अंबेडकर चौक के गांव में अंदर जाने वाली मुख्य सड़क को बॉस व बल्ला से मंगलवार को घेर कर किसी भी बाहरी लोगों को गांव के अंदर जाने नही दे रहे है.

दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि किसी भी अनजान व्यक्ति को गांव में आने नही दिया जा रहा है. अगर इस गांव के कोई भी व्यक्ति बाहर रह रहा है. अगर इस समय वो गांव आता है तो सीधे हमलोग अस्पताल व प्रशासन को सूचना देकर उसे बेहतर तरीके से जांच कराकर गांव में आने दे रहे है व अपने गांव में भी सभी को जागरूक कर लोगो को घर में रहने की अपील कर रहे है

Chhapra: सारण जनता दल यूनाइटेड की महिला जिलाध्यक्ष माधवी सिंह ने जरूरतमंद लोगों को राहत सामग्री वितरित की.

उन्होंने जरूरतमंद लोगों में 10 किलो चावल, 5 किलो आँटा, 2 किलो दाल, 5 किलो आलू और 1 लीटर सरसों तेल का वितरण किया गया. ताकि लॉक डाउन के समय उन्हें भोजन मिल सके.

आपको बता दें कि इससे पहले भी जदयू जिलाध्यक्ष लोगों की सहायता के लिए सामान का वितरण किया गया था. वही उनके द्वारा हेल्पलाइन की शुरुआत भी की गयी है ताकि लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके. 

इसे भी पढ़ें: सारण में जदयू नेत्री ने की पहल, मदद के लिए बढाया हाथ

Chhapra: सारण पुलिस अधीक्षक ने भगवान बाजार थानाध्यक्ष रमेश कुमार यादव को कर्तव्य में स्थिलता बरतने के आरोप में निलंबित कर लाइन हाजिर कर दिया है. मामला थाना परिसर से 4 अपराधियों के भागने का है.

पुलिस अधीक्षक हरकिशोर राय ने बताया कि मुफस्सिल थाना क्षेत्र से हत्या, लूट, ट्रेन लूट में सम्मिलित रहे 6 अपराधियों को पकड़ कर भगवान बाजार थाना लाया गया था. जिनमें से 4 भगवान बाजार थानाध्यक्ष के लापरवाही और कार्य में स्थिलता के कारण थाना परिसर से फरार होने में कामयाब हो गए. इसको लेकर जांच की गई जिसके बाद थानाध्यक्ष को निलंबित करते हुए लाइन हाजिर किया गया है.

उन्होंने बताया कि दो अन्य अपराधी गोधन और आर्यन को जेल भेज दिया गया है.

इस मामले के प्रकाश में आने के बाद आम लोग पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे है. Lockdown के समय जब सभी जगह पुलिस एक्टिव है ऐसे में थाना से अपराधियों के भागने की घटना से लोग तरह तरह के सवाल उठा रहे है.

नई दिल्ली: Covid-19 को फैलने से रोकने के लिए, भारतीय रेलवे सरकार के स्वास्थ्य देखभाल प्रयासों में अतिरिक्‍त योगदान देने का पूरा प्रयास कर रहा है. जिन कदमों का विस्‍तार किया गया है उनमें यात्री कोचों को एकांत कोच के रूप में बदलना, कोविड की जरूरतों को पूरा करने के लिए मौजूदा रेलवे अस्पतालों को उपकरणों से सुसज्जित करना, आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल के बेड चिन्हित करना, अतिरिक्त डॉक्टरों और पैरामेडिक्स की भर्ती आदि शामिल है.

इन सभी सुविधाओं को भारत सरकार द्वारा जरूरत के अनुसार अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाएगा. भारतीय रेलवे के जीएम और चिकित्‍साकर्मियों की देखरेख में सभी जोनों में तैयारियां की जा रही है.

भारतीय रेलवे सरकार की जरूरत के समय कोरोना के कुछ रोगियों को एकांत में रखने के किसी भी संभावित संकट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आरंभ में 5000 यात्री डिब्बों को बदलने की योजना बना रहा है. ये कोच चिकित्सा दिशा-निर्देशों के अनुसार एकांत के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से सुसजिजत होंगे. आवश्यकता पड़ने पर अधिक डिब्बों में बदलाव किया जा सकता है. कोच में मच्छरदानी लगी होगी, मोबाइल और लैपटॉप के लिए चार्जिंग प्‍वाइंट होगा और पैरामेडिक्स के लिए जगह आदि की सुविधा होगी. इन कोचों को जोनवार तैयार किया जाएगा.

भारत में रेलवे के 125 अस्पताल हैं और 70 से अधिक को आवश्यकता पड़ने पर किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार रखने की योजना बनाई जा रही है. इन अस्पतालों में समर्पित कोविड वार्ड या फ्लोर निर्दिष्‍ट करने का प्रयास किया जा रहा है. मरीजों की संभावित जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल के लगभग 6500 बिस्तर तैयार किए जा रहे हैं.

भारतीय रेलवे ने चिकित्‍सा निरीक्षण की बढ़ती जरूरत को पूरा करने और क्षेत्र में कोविड-19 नियंत्रण प्रबन्‍धन के प्रभारी अधिकारियों की सहायता के लिए अस्‍थायी उपाय के रूप में बाजार से डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को काम पर रखने और सेवानिवृत्त रेलवे डॉक्टरों को दोबारा काम पर रखने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए जोनल प्रमुखों को आगे बढ़ने को कहा है.

इस बात पर गौर किया जा सकता है कि भारतीय रेलवे के इन प्रयासों से न केवल सरकार के प्रयासों में वृद्धि होगी बल्कि कोराना वायरस से लड़ने के राष्ट्रीय प्रयासों में भी योगदान मिलेगा.

Varansi/Chhapra: कोरोना एलर्ट के मद्देनजर हुए लॉकडाउन परिस्थितियों में स्टेशनों के पास रहने वाले दिहाड़ी मजदूर एवं स्टेशन के यात्रीयों पर निर्भर रोज कमाकर खाने वाले गरीबों असहायों को राहत प्रदान करने के लिए मंडल रेल प्रशासन द्वारा आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं.

मंडल रेल प्रबंधक, वाराणसी विजय कुमार पंजियार के निर्देशन एवं मंडल सुरक्षा आयुक्त ऋषि पाण्डेय के नेतृत्व में कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए पूरे देश में लागू लॉक डाउन के तहत वाराणसी मंडल के विभिन्न स्टेशनों के आस-पास जीवकोपार्जन करने वाले भूखे प्यासे गरीब, मजदूर, असहाय लोगो को रेलवे सुरक्षा बल के तरफ से करीब 500 व्यक्तियों का लंच पैकेट तैयार कर इलाहाबाद सिटी, औड़िहार,सीवान एवं छपरा स्टेशनों के आस-पास रेलवे सुरक्षा बल के प्रभारी निरीक्षकों के नेतृत्व में (फूड पैकेट) खाना वितरित किया गया.

इस क्रम में मंडल सुरक्षा आयुक्त पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी ऋषि पांडेय के दिशा निर्देशन में रेलवे सुरक्षा बल औड़िहार की तरफ से करीब 150 व्यक्तियों का लंच पैकेट तैयार कर प्रभारी निरीक्षक नरेश कुमार मीना के नेतृत्व में औड़िहार स्टेशन के आस पास लॉक डाउन में फॅसे असहाय लोगो को भोजन दिया गया.

इसके अतिरिक्त इन असहाय गरीबों को कोरोना वायरस से बचाव के लिये मेडिकल विभाग द्वारा थर्मल स्क्रीनिंग कराई गयी तथा उनकी उचित काउन्सिलिंग भी की जा रही है. काउन्सिलिंग के दौरान उनकों संक्रमण से बचाव हेतु मास्क पहनकर रहने अपने अपने स्थान पर एक दूसरे से सामाजिक दूरी (Social distancing) बनाकर रहने तथा नियमित अंतराल पर साबुन से हाथ धोते रहने को निर्देशित किया गया.

इस कठिन समय में असहायों का विश्वास बनाये रखने के लिये रेल अधिकारी एवं कर्मचारी उनका लगातार मनोबल बढ़ा रहे हैं.

छपरा: राज्य सरकार ने विगत दिनों जनवरी माह के वेतन भुगतान का पत्र जारी किया. सरकार के द्वारा जारी इस पत्र पर शिक्षा मंत्री ने बयान देते हुए यह कह दिया कि सरकार हड़ताली शिक्षको को एक माह का वेतन दिया गया है. शिक्षक सरकार के अंग है और सरकार को इनकी चिंता है.

इसे भी पढ़ें: दूसरे प्रदेशों से लौटने वालों के लिए रहने, खाने की है पूर्ण व्यवस्था : जिलाधिकारी

शिक्षा मंत्री के इस बात पर कड़ा विरोध जारी करते हुए सरकार के इस बयान की कड़ी निंदा की है. शिक्षक नेताओ का कहना है कि अपर मुख्य सचिव ने जनवरी माह के वेतन भुगतान का आदेश दिया है. वही फरवरी माह में कार्याअवधि के भुगतान पर रोक यह कहते हुए लगाई गई है कि जो शिक्षक हड़ताल पर है उनका भुगतान नही होगा, ऐसे में सरकार किसकी हितैसी है.

शिक्षक नेता समरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा है कि सरकार ने जनवरी में किये गए कार्यो के वेतन का भुगतान 2 माह बाद जारी करने का निर्देश दिया है. यह बतलाता है कि सरकार शिक्षकों की कितनी हितैसी है. शिक्षा मंत्री का यह बयान की शिक्षक हमारे अंग है और उनके परिवार को चिंता है. तो आखिर किन नियमो के तहत कार्यावधि के वेतन भुगतान ओर रोक लगाई गई. शिक्षकों ने जो कार्य किया आप उसका भुगतान कर वाहवाही लूट रहे है.

इसे भी पढ़ें: Lockdown: ऑल इंडिया रोटी बैंक जरूरतमंदों तक पहुंचा रहा है सूखा राशन

अगर शिक्षक और उसके परिवार की चिंता है तो सरकार शिक्षकों से वार्ता करें. शिक्षकों ने हड़ताल में रहने के बावजूद सरकार के कदम से कदम मिलाकर राज्य और देश हित मे कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया. अगर शिक्षकों को अपना कर्तव्य याद नही रहता तो वह धरना देते, गांव गांव घूमकर जागरूकता अभियान नही चलाते, आर्थिक तंगी में भी जनता के बीच साबुन, हैंडवाश, का वितरण कर शिक्षकों ने अपना कर्तव्य निभाया है. सरकार भी अपना कर्तव्य निभाये, शिक्षकों से वार्ता करें. शिक्षकों की मांगों को पूरा करें.

Chhapra: शिक्षक नेता विश्वजीत सिंह चन्देल ने कहा कि कोरोना वायरस की आपदा से पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है. सरकारें आपदा की इस विकट घड़ी में जरूरतमंदों के लिए विशेष पैकेज का एलान कर रही हैं. खुद बिहार सरकार ने बीपीएल कार्डधारकों को मुफ्त राशन देने का एलान किया है. वहीं डॉक्टरों समेत तमाम स्वास्थ्यकर्मियों को बोनस भी दिया है.

इसे भी पढ़ें: सिर्फ़, इन नियमित और नियोजित शिक्षकों को मिलेगा फरवरी के वेतन, अपर मुख्य सचिव ने जारी किए आदेश

 

जबकि इन सबके बीच बिहार सरकार ने सूबे के लगभग चार लाख हड़ताली नियोजित शिक्षकों और लगभग 40 हजार माध्यमिक शिक्षकों को कार्यअवधि वेतन भी देना जरूरी नहीं समझा. इसके लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया जाएगा.

उन्होंने बिहार सरकार से फरवरी माह कार्यावधि का वेतन देने की अपील की. साथ ही कहा कि वेतन नहीं मिलने पर नियोजित शिक्षकों का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष ले जाऊंगा.

इसे भी पढ़ें:दूसरे प्रदेशों से लौटने वालों के लिए रहने, खाने की है पूर्ण व्यवस्था : जिलाधिकारी

सरकार देश में आयी आपदा की इस घड़ी में शिक्षकों के साथ अमानवीय और असंवैधानिक व्यवहार कर रही है. सरकार ने केवल जनवरी माह की पेमेंट देने की बात कही है. फरवरी माह का वेतन जिसमें शिक्षकों ने कार्य 25 फरवरी तक किया है. उसका वेतन देने में क्यों हिचक रही है? सरकार को तुरंत फरवरी माह का वेतन करने का आदेश देना चाहिए.

Chhapra: Lockdown में दिल्ली और अन्य दूसरे प्रान्त से आने वालों की संभावना के मद्देनजर जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. जिले में प्रवेश के साथ ही दूसरे प्रदेशों से आने वालों के रहने एवं खाने की व्यवस्था के साथ साथ उनकी स्वास्थ्य जांच कराई जाएगी.

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने इस संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि बिहार आने वाले व्यक्तियों को निर्धारित स्थल पर रखकर उनके भोजन की व्यवस्था करने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की जाँच और क्वेरेंटाईन से संबंधित निदेषों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें: राज्य समेत अन्य राज्यों में फंसे लोगों के लिए हेल्पलाईन जारी, कोषांग का हुआ गठन

इसके लिए जिलाधिकारी द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया गया है कि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी माँझी से समन्वय स्थापित कर स्थलों को चिन्हित कर लें. वही बीडीओ एवं सीओ माँझी को निदेश दिया गया है कि उक्त चयनित स्थलों पर भोजन, पानी और प्रकाश की समुचित व्यवस्था करायेंगे और वहाँ आवसित किये जाने वाले लोगों के निबंधन की व्यवस्था करेंगे.

सिविल सर्जन को आवासित लोगों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु चिकित्सक, पारामेडिकल स्टाफ और एम्बुलेंस की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है.

इसे भी पढ़ें: सारण जिला प्रशासन ने तय किया आटा, तेल, चीनी समेत 23 खाद्य पदार्थों का रेट, यहां देखिए लिस्ट

रविवार से माँझी के दलन सिंह उच्च विद्यालय में भी आपदा राहत केन्द्र खुल गया है. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के द्वारा इस केन्द्र का निरीक्षण कर पदाधिकारियों एवं कर्मियों को जरूरी निदेश दिया गया.

जिलाधिकारी के द्वारा सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को निदेश दिया गया है कि कार्यहित में प्रखंड क्षेत्र में पदस्थापित विभिन्न विभागों यथा मनरेगा, शिक्षा, आपूर्ति, सहकारिता, श्रम, सांख्यिकी, पंचायतीराज विभाग के सभी पर्यवेक्षक/कर्मी से प्रतिदिन आवश्यकता अनुसार कार्य लिया जाय. पर्यवेक्षक, कर्मी प्रखंड विकास पदधिकारी के निदेशानुसार कार्य संपादित करेंगे. इसमें कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

इसे भी पढ़ें: सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने लोगों से की अपील, कहा-घरों में रहकर देश का करें सहयोग

प्रखण्ड विकास पदाधिकारी लॉकडाउन की स्थिति में सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के अनुरूप हीं कार्य लेंगे. वही जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज छपरा स्थित आपदा राहत केन्द्र पर 46 लोग, सोनपुर अनुमंडल में आपदा राहत केन्द्र में 54, मढ़ौरा अनुमंडल में आपदा राहत केन्द्र पर 32 और दलन सिंह उच्च विद्यालय माँझी आपदा राहत केन्द्र पर 165 लोग आवसित है.