Chhapra: लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर प्रसिद्ध रेत कलाकार अशोक कुमार ने अपनी रेत कलाकृति को महिला शक्ति को समर्पित किया है। उन्होंने श्रीराम जन्मोत्सव शोभा यात्रा समिति घाट पर घर से सरहद तक विषय पर एक भावनात्मक रेत कलाकृति तैयार की, जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
इस कलाकृति में एक ओर एक महिला को छठ व्रत करते हुए दर्शाया गया है, जो आस्था, त्याग और परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक है। दूसरी ओर एक महिला सैनिक को दिखाया गया है, जो सीमा पर खड़ी होकर देश की सुरक्षा में अपना योगदान दे रही है। दोनों ही प्रतीक भारतीय नारी की दो शक्तियों, संस्कार और साहस को एक साथ प्रस्तुत करते हैं।
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कलाकार अशोक कुमार ने बताया कि छठ महापर्व नारी शक्ति और संयम का पर्व है। व्रती महिलाएं अपने परिवार और समाज की सुख-समृद्धि के लिए कठिन तपस्या करती हैं। इसी भावना से प्रेरित होकर उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि आज की महिला सिर्फ घर की नहीं, बल्कि देश की रक्षा में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है।
घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं ने इस रेत कलाकृति के सामने रुककर तस्वीरें खींची और कलाकार की सराहना की। कई लोगों ने इसे छठ पर्व की भावना और नारी सशक्तिकरण का सुंदर संगम बताया।
अशोक कुमार की यह रेत कलाकृति न केवल छठ महापर्व की आस्था को जीवंत करती है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देती है कि नारी हर रूप में शक्तिशाली है, चाहे वह परिवार की संरक्षक हो या मातृभूमि की प्रहरी।
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